क्रिस्टोफर कोलंबस (Christopher Columbus) इटली का समुद्री यात्री, खोजकर्ता, और अनुसंधानकर्ता थे, जिन्होंने 15वीं सदी में नवभारतीय सागर के पार जाकर नए महाद्वीप, अमेरिका की खोज की। उन्होंने एक अंग्रेज़ी और स्पेनिश सरकारी संरक्षण में तीन यात्राएं की, जिनका मुख्य उद्देश्य भारत के लिए नये यात्रा मार्ग की खोज था, लेकिन उनकी यात्राओं ने अमेरिका के अस्तित्व की जानकारी को दुनिया के सामने रखा।
1492 में, कोलम्बस की पहली यात्रा स्पेनिश राज्यपाल इज़ाबेला और फर्नांडो के समर्थन में शुरू हुई। वह सात जहाज़ों के साथ निकले और उनका उद्देश्य भारत की पूर्वी तटों तक पहुंचना था। लेकिन उनकी यात्रा में तकनीकी दुर्घटनाओं और गलतियों के कारण वे अमेरिकी महाद्वीप पर पहुंचे, जिसे उन्होंने “भू-उत्तर” के रूप में नामित किया। इससे अमेरिका की खोज का प्रारंभ हुआ।
कोलंबस की यात्राओं ने एक महत्वपूर्ण इतिहासिक घटना को प्रकट किया। वे इस्पानियों को नए संसाधनों, संस्कृति और समाज के संपर्क में लाए, और इसे अमेरिकी उपमहाद्वीप की खोज के रूप में मान्यता मिली। इससे यूरोपीय देशों का अमेरिका में आक्रमण और कोलोनीयकरण शुरू हुआ, जिससे नयी धर्म, भाषा, संस्कृति और व्यापारिक संबंधों की नींव रखी गई।
Columbus की यात्राएं विश्व इतिहास में महत्वपूर्ण मोड़ हैं, क्योंकि यह नहीं सिर्फ अमेरिका की खोज का प्रारंभ हुआ, बल्कि यह भूमिका निभाई जिसके कारण बाद में यूरोपीय देशों का विश्व पर व्यापारिक, सामरिक और सांस्कृतिक प्रभाव बढ़ा। इससे अमेरिका और यूरोप के बीच एक नया संसारिक संपर्क का आरम्भ हुआ और वैश्विक इतिहास में महत्वपूर्ण एकता की घोषणा हुई।
क्रिस्टोफर कोलंबस का जीवन इतिहास (Life History of Christopher Columbus)
क्रिस्टोफर कोलंबस (Christopher Columbus) का जीवन एक रोमांचकारी और महत्वपूर्ण इतिहास है। वह इतालवी थे और 15वीं सदी में उनकी यात्राओं ने नवभारतीय सागर के पार जाकर नए महाद्वीप, अमेरिका की खोज की। यह खोजकर्ता और अनुसंधानकर्ता विश्व इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।
क्रिस्टोफर कोलंबस का जन्म 1451 ईसवी में इटाली के जेनोवा शहर में हुआ। उनके पिता का नाम डोमिनीको कोलंबो था, जो एक नौसेना कर्मचारी थे। उनके परिवारिक पृष्ठभूमि के बारे में अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन यह माना जाता है कि वे गरीब परिवार से संबंध रखते थे।
कोलंबस की युवा उम्र में ही उन्हें समुद्री यात्राओं और व्यापार की आकांक्षा थी। वे नौकायन के क्षेत्र में प्रशिक्षित हुए और नौसेना में सेवानिवृत्ति लेने के बाद व्यापारिक गतिविधियों में सक्रिय हो गए।
कोलंबस की पहली खोज 1492 में हुई, जब उन्होंने स्पेनिश राज्यपाल इज़ाबेला और फर्नांडो के समर्थन में सात जहाज़ों के साथ यात्रा पर निकला। इसका मुख्य उद्देश्य भारत के लिए नये यात्रा मार्ग की खोज था, लेकिन तकनीकी दुर्घटनाओं और गलतियों के कारण उनकी यात्रा अमेरिका में पहुंचने से पहले ही समाप्त हो गई। उन्होंने यहां पर स्पनिश संरक्षण के तहत कई यात्राएं की और अमेरिका के अस्तित्व की जानकारी को दुनिया के सामने रखा।
कोलंबस की यात्राएं और उनके द्वारा लिखे गए वर्णन ने यूरोप में विस्मय और उत्साह का माहौल पैदा किया। उनके वर्णनों में वे अमेरिका में मिले नये जीवन, वनस्पति, और संस्कृति का विवरण दिया करते थे। उनकी यात्राओं के परिणामस्वरूप यूरोप में अमेरिकी महाद्वीप के प्रति रोमांचक रुचि और उत्साह बढ़ा।
कोलंबस की अगली यात्रा में उन्होंने समुद्री यात्रा करके कैरिबियन द्वीप समूह का अन्वेषण किया। उन्होंने हजारों किलोमीटर दूरी के द्वीपों पर जाकर अन्यायों के साथ व्यापारिक संबंध स्थापित किए। इससे स्पेनिश सम्राट फर्नांडो और इज़ाबेला को उनपर विश्वास बढ़ा और उन्हें अधिक संसाधनों और सम्पत्ति की आपूर्ति करने का अवसर मिला।
क्रिस्टोफर Columbus की अंतिम यात्रा 1502 ईसवी में हुई, जब उन्होंने एक और समुद्री यात्रा के दौरान केंट्रल अमेरिका के कुछ हिस्सों को अन्वेषित किया। इस यात्रा में उन्होंने भूमि के गहरे अंदर तक जाने वाले तटों का पता लगाया और संग्रह किए गए धन और वस्त्रों को ले कर वापसी की। यह यात्रा उनके लिए वित्तीय कठिनाईयों के साथ जुड़ी थी और इसके बावजूद उन्होंने नई जगहों की खोज में सफलता हासिल की।
क्रिस्टोफर कोलम्बस की मृत्यु 1506 ईसवी में हुई, जब उन्हें विरान हुई स्पेन के वलादोलिड शहर में अपने आवास में देखा गया। वे अपनी यात्राओं से अमेरिकी महाद्वीप के प्रति अनवरत रुचि, आविष्कार और अद्यतन रखते थे।
क्रिस्टोफर कोलंबस की जीवन कथा में रोमांच, साहस और खोज की भावना समाहित है। उनकी यात्राओं ने नवीनतम युग में ग्रामीण समुद्री यात्राओं और व्यापार की परंपरा को प्रेरित किया और नवीनतम भूमिका निभाई जिसने उनकी खोज को एक ऐतिहासिक घटना बना दिया। आज, कोलंबस को अमेरिका की खोजकर्ता के रूप में सम्मानित किया जाता है, हालांकि उनके संप्रभुत्व के प्रश्न और उनकी कार्रवाई के विवाद भी मौजूद हैं।
क्रिस्टोफर कोलंबस का प्रारंभिक वर्ष (Christopher Columbus’s Early Years)
क्रिस्टोफर कोलंबस (Christopher Columbus) का जन्म 1451 ईस्वी में इटाली के जेनोवा शहर में हुआ। उनके पिता का नाम डोमिनीको कोलंबो था और माता का नाम सुज़ाना फोंटानरोसा था। उनके परिवार में अन्य भी भाई-बहन थे।
क्रिस्टोफर कोलंबस की कुछ जानकारी उनकी शैक्षिक प्रशिक्षण के बारे में हमें मिलती है। उन्होंने अपने बचपन में पठन-लिखन की शिक्षा प्राप्त की, जिसमें लैटिन, ग्रीक, जियोग्राफी, गणित और नौकायन संबंधी विषयों की अच्छी ज्ञान प्राप्ति हुई। उन्होंने जेनोवा के नौसेना में काम किया और यहां पर नौसेना के तकनीकी और साहसिक पहलुओं की शिक्षा प्राप्त की।
क्रिस्टोफर कोलम्बस की जानकारी में एक अहम बदल उनके जीवन के वर्षों में हुआ, जब उन्होंने 1476 ईसवी में पुनः जेनोवा में लौटकर सौभाग्य से एक व्यापारी और नौसेना अधिकारी के पद पर चुने जाने का अवसर पाया। इससे पहले, उन्होंने कई वर्षों तक अंडलुसिया (स्पेन) के राजा फर्नांडो और इस्पानिया की रानी इज़ाबेला के साथ मिलकर जीनोवेज़ व्यापारिक समूहों के लिए यात्रा करते हुए व्यापारिक और नौसेना अनुभव प्राप्त किया।
इसके बाद, क्रिस्टोफर कोलंबस ने जेनोवा से निकलकर 1477 ईसवी में लिस्बन (पुर्तगाल) की ओर अपना कदम बढ़ाया। वहां पर उन्होंने यात्रियों की यात्राएं और द्वीप समूहों के साथ व्यापारिक संबंध स्थापित किए। इससे पहले की एक यात्रा में, उन्होंने साहिली और उपनिवेशों के प्रदर्शन करके साहसिकता का प्रदर्शन किया।
क्रिस्टोफर कोलंबस के जीवन के प्रारंभिक वर्षों में, उन्होंने एक व्यापारी, नौसेना अधिकारी, और यात्राएं करने वाले व्यक्ति के रूप में अपने अनुभव और कौशल का विकास किया। यह उनकी जीवन की एक महत्वपूर्ण अवधि थी, जब उन्होंने अपनी खोज के लिए आवेदन किया और तैयारियों की शुरुआत की, जो अमेरिका की खोज के रूप में उनके महानायकत्व में मुख्य भूमिका निभाएगी।
कोलंबस का मार्ग और यात्रायें (Route and Journeys Of Christopher Columbus)
क्रिस्टोफर कोलम्बस की यात्राएं उनके समुद्री प्रवासों की सूची को दर्शाती हैं। उन्होंने अपने जीवनकाल में कई यात्राएं की। हालाँकि क्रिस्टोफर कोलंबस के द्वारा अपनाए गए मार्गों को लेकर कई विवाद हैं। उनकी प्रमुख यात्राएं निम्नानुसार थीं –
- पहली यात्रा (1492): क्रिस्टोफर कोलंबस की पहली यात्रा सबसे प्रमुख और मशहूर यात्रा रही है। इस यात्रा में उन्होंने तीन जहाज़ों, सांता मारिया, पिंता और निन्या, का उपयोग किया। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य था भारत के लिए एक नया मार्ग खोजना, लेकिन अंततः वह उन्हें अमेरिका की खोज में सफलता दिलाई। वे स्पेनिश शासनकाल के राजा-महारानी फर्नांदो और इज़ाबेला के आर्थिक समर्थन पर निर्भर थे। उन्होंने इस यात्रा के दौरान बहामास द्वीपसमूह, हैटी और कुबा की खोज की।
क्रिस्टोफर कोलंबस की पहली यात्रा 3 अगस्त 1492 को स्पेन से शुरू हुई और 12 अक्टूबर 1492 को उन्होंने बहामास द्वीपसमूह के निकट संध्या को पहुंचा। इसके बाद उन्होंने हैटी और कुबा के कुछ हिस्सों की खोज की। यात्रा के दौरान वे बहुत सारे द्वीपों का पता लगाए और उन्हें स्थायी तौर पर शासित करने का दावा किया। - दूसरी यात्रा (1493-1496): क्रिस्टोफर कोलंबस की दूसरी यात्रा 1493 में शुरू हुई और 1496 में सम्पन्न हुई। इस यात्रा में उन्होंने अपने पहले सफल यात्रीयों की वापसी की और अमेरिका में नई संस्कृति की स्थापना की। उन्होंने हिस्पानियोला (हैटी और डोमिनिकन गणराज्य) को अपने शासन में लिया और यहां स्थायी आबादी की स्थापना की।
- तीसरी यात्रा (1498-1500): क्रिस्टोफर कोलंबस की तीसरी यात्रा 1498 में शुरू हुई और 1500 में सम्पन्न हुई। इस यात्रा में उन्होंने सांता मारिया डीला कोंसेप्सियोन के साथ एक नया यात्री जहाज़ का उपयोग किया। उनका प्रमुख लक्ष्य था भारत के लिए एक नया मार्ग खोजना। यह यात्रा उन्हें वेनेजुएला के समीप स्थित समुद्र तटों और त्रिनिदाद द्वीप की खोज करने का मौका दिया।
क्रिस्टोफर कोलम्बस की यात्राएं इतिहास में महत्वपूर्ण रहीं और उन्होंने उन्हें विश्वव्यापी पहचान प्रदान की। इन यात्राओं ने साम्राज्य विस्तार, संस्कृति का अद्यतन, और वैश्विक व्यापार की शुरुआत के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
क्रिस्टोफर कोलम्बस की यात्राओं ने उन्हें अमेरिका की खोज में महत्वपूर्ण योगदान दिया और इतिहास के पन्नों पर अविस्मरणीय रूप से छप गए हैं।
जब कोलंबस ने अमेरिका की खोज की थी (When Columbus discovered America)
क्रिस्टोफर कोलंबस ने अमेरिका की खोज 12 अक्टूबर 1492 को की थी। उनकी यात्रा के दौरान, वे स्पेनिश शासनकाल के राजा-महारानी फर्नांदो और इज़ाबेला के आर्थिक समर्थन पर निर्भर थे। उनकी पहली यात्रा में वह तीन जहाज़ों, सांता मारिया, पिंता और निन्या, का उपयोग करते हुए स्पेन से निकले थे।
12 अक्टूबर 1492 को, कोलंबस और उनकी टीम बहामास द्वीपसमूह के निकट संध्या में पहुंचे। यह घटना अमेरिका की खोज के रूप में महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे नए संसाधनों, सभ्यता के मिश्रण, और भूगर्भिक विदेशी संपर्क की शुरुआत हुई। यह भूमिका महत्वपूर्ण रही और अमेरिका की खोज यूरोपीय देशों के लिए नए गहने के समान थी।
क्रिस्टोफर कोलंबस के द्वारा अमेरिका की खोज का प्रमुख उद्देश्य भारत के लिए एक नया मार्ग खोजना था, लेकिन उन्हें अनुभव में एक नया महाद्वीप मिला जिसे उन्होंने “इंडियाज़ अन्तरिक्ष” के नाम से जाना। यह उनके द्वारा अमेरिका की खोज का पहला प्रमाणिक लेखिकीत वर्णन है।
क्रिस्टोफर कोलंबस की यात्राओं ने वैश्विक इतिहास को बदल दिया और नए संसाधनों, संपर्कों, और व्यापारिक सम्बन्धों की शुरुआत की। इससे यूरोपीय समाजों में बड़ी गतिशीलता हुई और नई समाजशास्त्रीय, वाणिज्यिक, और सांस्कृतिक अद्यतनों की प्रेरणा मिली।
क्रिस्टोफर कोलंबस की अंतिम यात्रा (Last Journey Of Christopher Columbus)
क्रिस्टोफर कोलंबस की अंतिम यात्रा उनके जीवन के अंतिम वर्षों में हुई। इस यात्रा को “चतुर्थ यात्रा” भी कहा जाता है। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य था अमेरिका में एक नया नावी चरण की स्थापना करना और स्थायी स्थापना बनाना। यहां तक कि उन्होंने सोचा था कि अमेरिका से स्वर्ग का द्वार मिलेगा।
क्रिस्टोफर कोलंबस की अंतिम यात्रा 1502 में शुरू हुई। उन्होंने चार जहाज़ों का उपयोग किया – सांता मारिया, पानिया, वायरा और गालेगो। यह यात्रा अग्निपरीक्षणीय सामरिक सफलता नहीं लाई, बल्कि विपरीत रूप में व्यापारिक और स्वास्थ्य समस्याओं से भरी रही।
कोलंबस और उनकी टीम ने विभिन्न क्षेत्रों में यात्रा की, जिसमें केंट, होंडुरस, निकारागुआ और पानामा शामिल थे। इन यात्राओं के दौरान वह अपरिचित समुद्री तटों का अन्वेषण करते रहे और नए भूगोलिक जीवन को खोजते रहे।
1504 में, कोलम्बस की नौका सांता मारिया एक तूफान में बेहोश हो गई और उन्हें अपने जीवन की सुरंग में लड़वाना पड़ा। वे और उनकी टीम बर्मूडा द्वीप पर कुछ समय के लिए फंस गए, जहां वे नया जहाज़ बनाने के लिए संशोधित सांता मारिया का इंतजार करने के लिए रुके रहे।
अंततः, 1506 में, क्रिस्टोफर कोलंबस अपनी इस दुनियादारी से छुटकारा पा गए। वे उस समय अपने नगरीय बंगले में ही थे, जो उन्होंने अंतिम वर्षों में बनवाया था।
क्रिस्टोफर कोलंबस की अंतिम यात्रा उनके जीवन के अंतिम दिनों में भयानक और चुनौतीपूर्ण सिरदर्दों के साथ घिरी रही। यह उनके उद्देश्यों की निष्ठा का एक प्रमाण है, जो उन्होंने अपनी पूरी जीवनकाल में रखी।
क्रिस्टोफर कोलंबस की मृत्यु (Death of Christopher Columbus)
क्रिस्टोफर कोलम्बस की मृत्यु 1506 ईस्वी में हुई। उनकी मृत्यु की वजह एक बार्सीलोना में हुई बीमारी थी। वह अपने जीवन के अंतिम सालों में अनेक स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित रहे थे।
क्रिस्टोफर कोलंबस ने अपने मरणानंतर सभी अपने संपत्ति को अपने वारसों के लिए सुनिश्चित करने की इच्छा रखी थी। उन्होंने अपनी पत्नी और बच्चों के भरोसे द्वारा इस मामले को सुलझाया।
क्रिस्टोफर कोलम्बस की मृत्यु के बाद, उनका शव उस स्थान पर स्थापित किया गया जहां वह मरे थे, जो वर्तमान दिन में डोमिनिकन गणराज्य के संतो डोमिंगो में स्थित है। हालांकि, क्रिस्टोफर कोलंबस के अवशेषों को कई बार यहां से वहां स्थानांतरित किया गया है। आखिरकार, 1992 में स्पेन ने अपने संगठन की अनुमति से क्रिस्टोफर कोलंबस के अवशेषों को सेवा में रखने की अनुमति दी, और वे अब सेवा में हैं जो सांतो डोमिंगो के कासा दे कोबो संगठन में स्थित है।
सांता मारिया की खोज का दावा (Santa Maria’s Discovery Claim)
क्रिस्टोफर कोलम्बस की पहली यात्रा के दौरान, उन्होंने सांता मारिया की खोज का दावा किया है। सांता मारिया उनकी तीन यात्राओं में से एक जहाज़ थी और इस जहाज़ का उपयोग विशेष रूप से पहली यात्रा में किया गया था।
1492 में, क्रिस्टोफर कोलंबस ने स्पेनिश राज्यों की समर्थन में एक प्रयास किया था भारत तक पश्चिमी समुद्र के रास्ते नवीनतम मार्ग खोजने का। उन्होंने सांता मारिया जहाज़ को अपनी प्रमुख यात्रा के लिए चुना था।
उनकी यात्रा के दौरान, क्रिस्टोफर कोलंबस और उनकी टीम ने बहुत सारे राष्ट्रों को देखा और उनके साथ संपर्क स्थापित किया। वे बहामास, हैती, डोमिनिकन गणराज्य, क्यूबा और अन्य क्षेत्रों की ओर गए।
हालांकि, दावा किया जाता है कि सांता मारिया की खोज करते समय क्रिस्टोफर कोलंबस द्वारा उठाए गए नाविक और इतिहासकारों के बीच विशेषज्ञता है कि सांता मारिया की सटीक जगह निर्धारित करना कठिन है। इसलिए, यह एक विवादित मुद्दा है और विशेषज्ञों के बीच विभाजित मत है कि सांता मारिया वास्तव में कहां लंदने वाली थी।
कोलंबस के दावे के बावजूद, सांता मारिया की खोज की प्रमुख महत्वपूर्णता है क्योंकि यह उस समय का एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटना है जब पश्चिमी दुनिया के लिए नए जगहों की खोज हुई और एक नया संसार खुला।
इन्हें भी देखें –
- ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी (1600 – 1858)
- ब्रिटिश राज (1857 – 1947)
- भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस (1885-1947)
- सैयद वंश (1414-1451 ई.)
- टीपू सुल्तान (1750-1799 ई.)
- तुगलक वंश (1320-1413ई.)
- भारतीय परमाणु परीक्षण (1974,1998)
- लोदी वंश (1451-1526 ई.)
- भारत के स्वतंत्रता सेनानी: वीरता और समर्पण
- Revolutionary Database Management System | DBMS
- HTML’s Positive Potential: Empower Your Web Journey|1980 – Present
- A Guide to Database Systems | The World of Data Management
- Kardashev scale