एक चिनगारी घर को जला देती है – मुंशी प्रेमचंद | हिंदी अनुवाद
एक चिनगारी घर को जला देती है” रुसी लेखक और महान साहित्यकार लियो टॉलस्टॉय द्वारा लिखी एक प्रसिद्द कहानी है, जिसका हिंदी अनुवाद प्रेमचंद जी द्वारा किया गया है।
एक चिनगारी घर को जला देती है” रुसी लेखक और महान साहित्यकार लियो टॉलस्टॉय द्वारा लिखी एक प्रसिद्द कहानी है, जिसका हिंदी अनुवाद प्रेमचंद जी द्वारा किया गया है।
मुंशी प्रेमचंद जी द्वारा लिखी गयी कहानी “मंत्र” एक बहुत ही मार्मिक और लोकप्रिय कहानी है, जिसको पढने पर पाठकों के आँखों में आंसू आ जाते हैं। इसको पढने पर मन में दया भाव स्वतः ही उत्पन्न हो जाता है। यह कहानी समाज के अन्दर मानवता, दया और परोपकार को जीवित रखने का प्रयास है। … Read more
हिन्दी साहित्य में लोकप्रियता की दृष्टि से मुंशी प्रेमचंद का विशेष स्थान है। मुंशी प्रेमचंद जी का वास्तविक नाम धनपत राय श्रीवास्तव था। वे न केवल भारत में, बल्कि विदेशों में भी, विशेषकर रूस में, खासा लोकप्रिय हैं। मुंशी प्रेमचंद जी उपन्यास सम्राट तो थे ही, उसके साथ वह अपने समय में भारतीय जनता के … Read more
यह कहानी प्राचीन भारतीय इतिहास के उन गौरवशाली पहलुओं को उजागर करती है। उस समय भारत एक समृद्ध देश था, और दुनिया भर में सम्मानित था। इस कहानी के कथानक में दो मुख्य पात्र हैं। उनमें से एक समुद्री डाकू बुद्धगुप्त है, और दूसरी चंपा नाम की महिला है। यह कहानी पुरातनता का ऐतिहासिक माहौल … Read more
शब्द और अर्थ के सम्बन्ध को ध्यान में रखने वाले तत्त्व को शब्द की शक्ति कहते हैं। अर्थात किसी शब्द में छिपे अर्थ का बोध करने वाली शक्ति को शब्द शक्ति कहते हैं। “अभिधा, लक्षणा और व्यंजना” शब्द की तीन शक्तियाँ हैं। शब्द तीन प्रकार के होते हैं – वाचक, लक्षक और व्यंजक, और प्रत्येक … Read more
प्राचीन हिंदी गद्य साहित्य काव्य जितना समृद्ध, विस्तृत एवं विविधतापूर्ण नहीं है। मूल गद्य के अलावा, टिप्पणियों और अनुवादों के रूप में भी प्रचुर मात्रा में गद्य सामग्री उपलब्ध है। हिंदी गद्य का प्रामाणिक रूप 13वीं शताब्दी में राजस्थानी, 14वीं शताब्दी में मैथिली, 16वीं शताब्दी में ब्रजभाषा और दखिनी, 17वीं शताब्दी में खड़ीबोली और अन्य … Read more
छायावादी युग का समय 1918 ई. से 1936 ई. के मध्य की कालावधि को माना जाता है। हालाँकि कुछ जगहों पर छायावाद का प्रारंभ 1920 ई. से माना जाता है। वहीं इलाचंद्र जोशी, शिवनाथ और प्रभाकर माचवे ने छायावाद का आरंभ लगभग 1912 ई. से 1914 ई. के मध्य माना है। द्विवेदी युगीन काव्य की प्रतिक्रिया में छायावाद … Read more
निपात का प्रयोग मुख्य रूप से अव्यय के लिए होता है। परन्तु निपात शुद्ध अव्यय नहीं होते हैं। निपात का कोई लिंग अथवा वचन नहीं होता है। इनका प्रयोग निश्चित शब्द, शब्द के समूह अथवा पूरे वाक्य को अन्य (अतिरिक्त) भावार्थ प्रदान करने के लिए किया जाता है। निपात सहायक शब्द होने के बाद भी … Read more
अव्यय हिंदी व्याकरण का महत्वपूर्ण अंग है। हिंदी व्याकरण को भली प्रकार से समझने के लिए अव्यय को समझना नितांत आवश्यक है। हिंदी व्याकरण में संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण इन सबके रूप वाक्य के अनुसार बदलते रहते हैं, परन्तु किसी भी वाक्य में अव्यय किसी भी परिस्थिति में नहीं बदलते हैं। ये हर स्थिति में अपने मूलरूप में ही बने रहते है, … Read more
हिंदी भाषा में विराम चिन्ह की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण होती है। ये विराम चिन्ह हमारी भाषा को सुचारू और सुंदर बनाने में मदद करते हैं और वाक्यों को समझने में भी मदद करते हैं। अगर विराम चिन्ह का प्रयोग न किया जाए तो कभी-कभी अर्थ का अनर्थ भी हो जाता है। भाषा के लिखित … Read more