भाषा : परिभाषा, स्वरूप, विशेषताएँ, शैली और उत्पत्ति

भाषा : परिभाषा, स्वरूप, विशेषताएँ, शैली और उत्पत्ति

मानव सभ्यता का मूल आधार भाषा है। यदि मनुष्य को विचारशील प्राणी कहा जाता है, तो यह केवल उसकी भाषागत क्षमता के कारण संभव हुआ है। भाषा वह माध्यम है जिसके द्वारा व्यक्ति अपने मनोभावों, विचारों और अनुभवों को अभिव्यक्त करता है। समाज, संस्कृति, साहित्य और ज्ञान-विज्ञान का संवाहक होने के नाते भाषा का महत्व … Read more

हिंदी वर्णमाला में आयोगवाह : अनुस्वार, अनुनासिक, विसर्ग और हलन्त | परिभाषा, प्रयोग एवं महत्व

हिंदी वर्णमाला में आयोगवाह : अनुस्वार, अनुनासिक, विसर्ग और हलन्त | परिभाषा, प्रयोग एवं महत्व

हिंदी वर्णमाला विश्व की सबसे वैज्ञानिक लिपि व्यवस्था देवनागरी लिपि पर आधारित है। इसमें प्रत्येक ध्वनि का स्पष्ट और स्वतंत्र चिन्ह मौजूद है। स्वर, व्यंजन, संयुक्ताक्षर और विदेशी ध्वनियों के अतिरिक्त हिंदी भाषा में कुछ ऐसे चिह्न भी प्रयुक्त होते हैं जो स्वर या व्यंजन के साथ मिलकर उनकी ध्वन्यात्मकता (phonetics) को बदल देते हैं। … Read more

हिंदी वर्णमाला में व्यंजन : परिभाषा, प्रकार और भेद

हिंदी वर्णमाला में व्यंजन : परिभाषा, प्रकार और भेद

हिंदी भाषा की संरचना का आधार उसकी वर्णमाला है। वर्णमाला केवल ध्वनियों का समूह मात्र नहीं, बल्कि वह भाषा की आत्मा है, जिसके माध्यम से विचारों, भावनाओं और ज्ञान का आदान-प्रदान होता है। हिंदी की वर्णमाला में स्वर और व्यंजन दोनों का समान महत्त्व है। जहाँ स्वर स्वतंत्र रूप से उच्चरित होने वाले ध्वनि तत्व … Read more

हिंदी भाषा के स्वर : परिभाषा, प्रकार और भेद

हिंदी भाषा के स्वर : परिभाषा, प्रकार और भेद

भाषा मानव की सबसे बड़ी संपत्ति है और ध्वनि उसकी आत्मा। हिंदी भाषा की नींव उसके ध्वनियों और वर्णों पर आधारित है। जब उच्चारित ध्वनियों को लिखने की आवश्यकता होती है, तब उनके लिए जो चिह्न बनाए जाते हैं उन्हें ‘वर्ण’ कहा जाता है। वर्ण भाषा की सबसे छोटी इकाई है। इन वर्णों का व्यवस्थित … Read more

हिन्दी के प्रमुख कवियों और लेखकों के उपनाम

हिन्दी के प्रमुख कवियों और लेखकों के उपनाम

हिंदी साहित्य का इतिहास अत्यंत समृद्ध और गौरवपूर्ण है। इसमें कवियों, लेखकों और रचनाकारों ने अपनी लेखनी से समाज, संस्कृति, धर्म, राजनीति और जीवन के विविध आयामों को अभिव्यक्त किया है। विशेष बात यह है कि इन साहित्यकारों को उनके वास्तविक नाम से अधिक उनके उपनामों से जाना जाता है। उपनाम न केवल उनकी पहचान … Read more

हिंदी ध्वनियों (वर्णों) के उच्चारण स्थान, वर्गीकरण एवं विशेषतायें

हिंदी ध्वनियों (वर्णों) के उच्चारण स्थान, वर्गीकरण एवं विशेषतायें

भारतीय भाषाशास्त्र की परंपरा अत्यंत प्राचीन और समृद्ध है। संस्कृत, प्राकृत और अपभ्रंश के माध्यम से विकसित हुई हिंदी भाषा में ध्वनिविज्ञान (Phonetics) का विशेष महत्व है। ध्वनि ही भाषा का आधार है और ध्वनियों के व्यवस्थित अध्ययन के बिना भाषा-विज्ञान अधूरा माना जाता है। संस्कृत और हिंदी व्याकरण में ध्वनियों के उच्चारण-स्थान (Articulatory places … Read more

गुरु-शिष्य परम्परा: भारतीय संस्कृति की आत्मा और ज्ञान की धरोहर

गुरु-शिष्य परम्परा | भारतीय संस्कृति की आत्मा और ज्ञान की धरोहर

भारतीय संस्कृति और सभ्यता की नींव सदैव ज्ञान, साधना और परम्परा पर आधारित रही है। इस परम्परा की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी है – गुरु-शिष्य संबंध। गुरु वह होता है जो अपने ज्ञान, अनुभव और आचरण से शिष्य को अंधकार (अज्ञान) से प्रकाश (ज्ञान) की ओर ले जाता है। शिष्य वह होता है जो गुरु से … Read more

नाट्यशास्त्र : उद्भव, विकास, अध्याय, टीकाएँ एवं भारतीय नाट्य परम्परा

नाट्यशास्त्र : उद्भव, विकास, अध्याय, टीकाएँ एवं भारतीय नाट्य परम्परा

भारतीय संस्कृति में कला का स्थान सदैव सर्वोपरि रहा है। नृत्य, संगीत, अभिनय और काव्य जैसी ललित कलाएँ केवल मनोरंजन का साधन नहीं बल्कि जीवन-दर्शन की अभिव्यक्ति भी मानी जाती हैं। इन्हीं कलाओं का संगम हमें भरतमुनि द्वारा रचित नाट्यशास्त्र में प्राप्त होता है। यह नाट्यकला का सर्वप्राचीन और सर्वाधिक प्रामाणिक ग्रंथ माना जाता है, … Read more

सरस्वती पत्रिका : इतिहास, संपादक और संपादन काल

सरस्वती पत्रिका : इतिहास, संपादक और संपादन काल

हिंदी साहित्य के इतिहास में अनेक पत्र-पत्रिकाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इन पत्रिकाओं ने न केवल साहित्यिक धारा को दिशा दी बल्कि भाषा, समाज, राष्ट्र और संस्कृति के विकास में भी योगदान दिया। इन्हीं पत्रिकाओं में “सरस्वती” को सबसे प्रमुख और प्रभावशाली पत्रिका माना जाता है। इसे हिंदी साहित्य की अग्रणी और सर्वश्रेष्ठ पत्रिका … Read more

लेखक: परिभाषा, प्रकार और प्रमुख साहित्यकार

लेखक: परिभाषा, प्रकार और प्रमुख साहित्यकार

मानव सभ्यता के विकास के साथ ही लेखन कला का भी उत्थान हुआ। लेखन ने न केवल ज्ञान के संरक्षण और प्रसार का कार्य किया, बल्कि समाज की सांस्कृतिक, सामाजिक और नैतिक संरचना को भी गढ़ा। लेखन को विचारों, भावनाओं और अनुभवों को अभिव्यक्त करने का सबसे सशक्त साधन माना जाता है। यही कारण है … Read more

सर्वनाम (Pronoun) किसे कहते है? परिभाषा, भेद एवं उदाहरण भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग | नाम, स्थान एवं स्तुति मंत्र प्रथम विश्व युद्ध: विनाशकारी महासंग्राम | 1914 – 1918 ई.