1. श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग: स्थान: प्रभास पट्टण, गुजरात, भारत इतिहास: सोमनाथ ज्योतिर्लिंग को सोमनाथ मंदिर में स्थापित किया गया है, जो सुप्रासिद्ध और प्राचीन मंदिरों में से एक है। स्तुति मंत्र: ॐ सोमनाथाय नमः।
2. श्री मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग: स्थान: श्रीशैलम, आंध्र प्रदेश, भारत इतिहास: श्रीशैलम के मल्लिकार्जुन मंदिर में स्थित है और यह एक प्राचीन और महत्वपूर्ण पूजा स्थल है। स्तुति मंत्र: ॐ मल्लिकार्जुनाय नमः।
3. श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग: स्थान: उज्जैन, मध्य प्रदेश, भारत इतिहास: महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन में स्थित है और कुंभ मेला के साथ-साथ इसका अत्यधिक महत्व है। स्तुति मंत्र: ॐ महाकालेश्वराय नमः।
5. श्री केदारनाथ ज्योतिर्लिंग: स्थान: केदारनाथ, उत्तराखंड, भारत इतिहास: केदारनाथ मंदिर हिमालय की गहराईयों में स्थित है और यह चार धाम यात्रा का एक महत्वपूर्ण भाग है। स्तुति मंत्र: ॐ केदारेश्वराय नमः।
7. श्री काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग स्थान: काशी( वाराणसी), उत्तरप्रदेश, भारत इतिहास: काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी में स्थित है और यह एक प्रमुख पूजा स्थल है। स्तुति मंत्र: आनन्दकन्दं हतपापवृन्दम्। श्रीविश्वनाथं शरणं प्रपद्ये। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।
8. श्री त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग: स्थान: नासिक, महाराष्ट्र, भारत इतिहास: त्र्यम्बकेश्वर मंदिर नासिक में स्थित है और यह त्रयम्बका कुंभ मेला के लिए जाना जाता है। स्तुति मंत्र: ॐ त्र्यम्बकेश्वराय नमः।
9. श्री वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग: स्थान: देवघर, झारखंड, भारत इतिहास: वैद्यनाथ मंदिर देवघर में स्थित है और यह भगवान शिव के अत्यधिक प्रमुख पूजा स्थलों में से एक है। स्तुति मंत्र: ॐ वैद्यनाथाय नमः।
11. श्री रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग: स्थान: रामेश्वरम, तमिलनाडु, भारत इतिहास: रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग की स्थापना भगवान श्रीराम द्वारा लंका पर आक्रमण करने से पहले की गयी थी। स्तुति मंत्र: ॐ रामेश्वराय नमः।
12. श्री घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग: स्थान: एल्लोरा (औरंगाबाद), महाराष्ट्र, (छत्रपती संभाजीनगर, महाराष्ट्र), भारत इतिहास: गृष्णेश्वर मंदिर एल्लोरा में स्थित है और यह एक प्राचीन मंदिर है। स्तुति मंत्र: ॐ गृष्णेश्वराय नमः।
द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तुति मंत्र सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्। उज्जयिन्यां महाकालं ओम्कारम् अमलेश्वरम्॥ परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशङ्करम्। सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥ वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे। हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये॥ एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः। सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति॥