अव्यय हिंदी व्याकरण का महत्वपूर्ण अंग है। हिंदी व्याकरण को भली प्रकार से समझने के लिए अव्यय को समझना नितांत आवश्यक है। हिंदी व्याकरण में संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण इन सबके रूप वाक्य के अनुसार बदलते रहते हैं, परन्तु किसी भी वाक्य में अव्यय किसी भी परिस्थिति में नहीं बदलते हैं। ये हर स्थिति में अपने मूलरूप में ही बने रहते है, इसमें परिवर्तन नहीं होता है। अव्यय शब्द का अर्थ है- ‘जो व्यय न हो’।
अव्यय की परिभाषा
ऐसे शब्द जिनमे लिंग, वचन, पुरुष, कारक आदि के कारण किसी तरह का विकार नहीं आता, उन्हें अव्यय कहते हैं। जैसे– अब, तब, क्यों, किन्तु, परन्तु आदि।
अव्यय शब्द हमेशा अपरिवर्तित, अविकारी तथा अव्यय रहते हैं । इनका मूल रूप हमेशा स्थिर रहता है कभी परिवर्तित नहीं होता है।
अव्यय के उदाहरण
आज, कब, इधर, उधर, किन्तु, परन्तु, क्यों, जब, तब, और अतः, इसलिए, क्यों, वाह, आह, ठीक, अरे, और, तथा, एवं, अतएव, चूँकि, अवश्य आदि शब्द अव्यय के उदाहरण हैं। इन शब्दों का प्रयोग वाक्य में निम्न प्रकार से होता है:-
- वे सब यहाँ से चले गये।
- घोडा बहुत तेज दौड़ता है।
- अब खाना पीना बंद करो।
- हम सब धीरे-धीरे चल रहे थे।
- सोहन प्रतिदिन शाम को खेलने जाता है।
- किताब यहाँ रखा है।
- आकर्ष प्रतिदिन पढ़ता है।
- आर्या सुंदर दिखती है।
- सभी बहुत थक गए हैं।
- राहुल अपना काम कर रहा है l
- हर्षित नित्य नहाता है।
- चाचाजी कब गए?
- सीमा कल जाएगी।
- वह प्रतिदिन पढ़ता है l
- मीना कहाँ गई?
- इधर -उधर मत भागो।
- दिनेश आगे चला गया।
अव्यय के भेद
अव्यय शब्दों के मुख्यतः चार भेद होते हैं, परन्तु इसके अलावा कई जगहों पर अव्यय का एक और प्रकार माना जाता है जिसे निपात अव्यय कहते हैं। अगर निपात को अव्यय के रूप में गिना जाय तो अव्यय के पांच भेद हो जाते हैं, परन्तु निपात शुद्ध अव्यय नहीं है। अव्यय के भेद निम्नलिखित है :-
- क्रिया विशेषण अव्यय
- संबंधबोधक अव्यय
- समुच्चयबोधक अव्यय
- विस्मयादिबोधक अव्यय
- निपात अव्यय
क्रियाविशेषण अव्यय किसे कहते हैं?
जो अव्यय शब्द क्रिया की विशेषता बताते हैं, उन शब्दों को क्रियाविशेषण अव्यय कहते हैं। जैसे- अचानक, एकाएक, जल्दी, कल आदि।
जैसे- मै अचानक आ गया।
तुम परसों घर जाओगे।
यहाँ से शीघ्र जाओ।
इन वाक्यों में अचानक, परसों व शीघ्र क्रिया विशेषण अव्यय हैं।
क्रिया विशेषण अव्यय के भेद
अर्थ के आधार पर क्रिया विशेषण अव्यय के 4 भेद होते हैं जो निम्नलिखित है :-
- कालवाचक क्रिया विशेषण अव्यय
- स्थानवाचक क्रिया विशेषण अव्यय
- परिमाणवाचक क्रिया विशेषण अव्यय
- रीतिवाचक क्रिया विशेषण अव्यय
कालवाचक क्रिया विशेषण अव्यय
जिन शब्दों से क्रिया होने के समय का पता चलता है उन्हें कालवाचक क्रिया विशेषण अव्यय कहते हैं।
जैसे- सुबह, दोपहर, शाम आदि।
- रमेश शाम को चला जायेगा।
- अजय परसों जयपुर जायेगा।
कालवाचक क्रिया विशेषण अव्यय के निम्न उपभेद होते हैं –
समयवाचक | आज, कल, अभी, तुरंत |
अवधिवाचक | आजकल, रातभर, दिनभर, नित्य |
बारंबारतावाचक | कईबार, प्रतिदिन, हर बार |
स्थानवाचक क्रिया विशेषण अव्यय
जिन अव्यय शब्दों से क्रिया के होने के स्थान का पता चलता है, उन्हें स्थानवाचक क्रियाविशेषण अव्यय कहते हैं। जैसे- यहां, वहां, जहां, तहां, कहां आदि।
- रमेश का घर कहाँ है।
- रमेश तुम गर्मियों की छुट्टी में कहाँ घूमने जाओगे?
स्थानवाचक क्रिया विशेषण अव्यय के निम्न उपभेद होते हैं-
स्थिवाचक | वहाँ, यहाँ, बहार, भीतर |
दिशावाचक | दायें, बाएं, इधर, उधर |
परिमाणवाचक क्रिया विशेषण अव्यय
जिन शब्दों से क्रिया के नाप, तोल, माप अथवा परिमाण का पता चलता है, उन्हें परिमाणवाचक क्रिया विशेषण अव्यय कहते हैं। जैसे- बहुत, थोड़ा, जरा सा ,कम, अधिक आदि।
- तुम थोड़ा सा खा लो।
- मुझे अधिक टॉफी मिली है।
परिमाणवाचक क्रिया विशेषण अव्यय के निम्न उपभेद होते हैं-
अधिकताबोधक | बहुत, खूब, अत्यंत, अति |
न्यूनताबोधक | कुछ, जरा, थोड़ा, किंचित् |
पर्यप्तिवोधक | काफी, ठीक, बस, यथेष्ट |
तुलनाबोधक | कम, अधिक, इतना, उतना |
श्रेणीवोधक | थोड़ा-थोड़ा, बारी-बारी, तिल-तिल |
रीतिवाचक क्रिया विशेषण अव्यय
जिन शब्दों से क्रिया के होने की रीति या विधि का पता चलता हो, उन्हें रीतिवाचक क्रिया विशेषण अव्यय कहते हैं।
जैसे- ऐसे, वैसे, जैसे, मानो, अचानक, धीरे, कदाचित, इसलिए, अवश्य, तक, सा, तो, हाँ, जी, यथासंभव।
- गाड़ी तेज चलती है।
- साइकिल धीरे-धीरे चलती है।
- अजय तेज दौड़ता है।
संबंधबोधक अव्यय किसे कहते हैं?
जो शब्द वाक्य में संज्ञा अथवा सर्वनाम के बाद आकर उसका सम्बन्ध वाक्य के दूसरे शब्द से दिखाये उसे संबंधबोधक अव्यय कहते हैं। यदि वाक्य में संज्ञा न हो तो वही अव्यय क्रियाविशलेषण कहलाता है। जैसे- के साथ, पास, आगे, समान, सामने, बाहर, कारण, तुल्य, सदृश्य आदि।
- रमेश गीता के साथ स्कूल गया है।
- रीता बहार कपड़े लेने गयी है।
- तुम्हारे घर के सामने मेरी बाइक खड़ी है।
अर्थ के आधार पर संबंधबोधक अव्यय 14 प्रकार के होते है:-
स्थानवाचक | आगे, पीछे, निकट, समीप, सामने, बाहर |
दिशावाचक | बायाँ, दायाँ, आसपास, ओर, तरफ |
कालवाचक | पहले, बाद, आगे, पश्चात, अब, तक |
साधनवाचक | द्वारा, माध्यम, सहारे, मार्फ़त, जरिये |
उद्देश्यवाचक | लिए, वास्ते, निमित, हेतु |
व्यतिरेकवाचक | सिवा, अतिरिक्त, अलावा, बगैर, बिना, रहित |
विनिमयवाचक | स्थान पर, बदले, जगह पर, एवज |
सादृशवाचक | समान, तुल्य, बराबर, तरह, सरीखा, योग्य |
विरोधवाचक | खिलाफ, विपरीत, विरोध, विरुद्ध |
साहचर्यवाचक | साथ, सहित, संग, समेत |
विषयवाचक | भरोसे, सम्बन्ध, विषय, आश्रय |
संग्रहवाचक | लगभग, मात्र, भर, तक, अंतर्गत |
तुलनावाचक | अपेक्षा, समक्ष, समान, बनिस्बल |
कारणवाचक | परेशानी से, मारे, चलते, कारण |
समुच्चयबोधक अव्यय किसे कहते हैं?
जो अव्यय दो या दो से अधिक शब्दों/ वाक्यांशों अथवा वाक्यों को आपस में जोड़ते हैं अथवा अलग करते हैं उन्हें समुच्चयबोधक अव्यय कहते हैं। जैसे- और, या, अथवा आदि।
- माता और पिता सो रहे हैं।
- आम या केला खाओ।
- राहुल और सोहन खेल रहे है।
- अदिति अथवा सुनिधि में से किसी को भी बुलाओ।
इन वाक्यों में ‘और’, ‘या’ अथवा, समुच्चयबोधक अव्यय हैं।
समुच्चयबोधक अव्यय के भेद
समुच्चय बोधक अव्यय के दो भेद होते है संयोजक और विभाजक।
- समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय
- व्यधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय
समानाधिकरण समुच्चयबोधक के चार उपभेद हैं –
संयोजक | और, एवं, व, तथा |
विभाजक | या, अथवा, वा, किंवा, नहीं तो |
विरोध-दर्शक | पर, परन्तु, लेकिन, किन्तु, मगर, बल्कि, वरन |
परिणाम-दर्शक | अतएव, इसलिए, अतः |
व्यधिकरण समुच्चयबोधक के भी चार उपभेद हैं –
कारणवाचक | क्योंकि, चूँकि, इसलिए, कि |
उद्देश्यवाचक | कि, जो, ताकि, जोकि |
संकेतवाचक | जो…..तो, यदि….तो, यद्यपि…..तथापि |
स्वरुपवाचक | कि, जो, अर्थात, यानी |
विस्मयादिबोधक अव्यय किसे कहते हैं?
जिन शब्दों से हर्ष, शोक, घृणा, आश्चर्य, भय आदि का भाव प्रकट होता है उन्हें विस्मयादिबोधक अव्यय कहते हैं। जैसे– छि: !, अरे !, वाह !, हाय !, अहा !, धिक् आदि।
- अरे ! तुम कब आये।
- वाह ! आज तो मजा आ गया।
- हाय ! मेरे पैसे कौन ले गया।
विस्मयादिबोधक अव्यय के भेद
विस्मयादिबोधक अव्यय के भेद (उपभेद) निम्नलिखित है :-
हर्षबोधक | वाह !, आहा !, धन्य !, जय !, शाबाश ! |
शोकबोधक | हाय !, आह !, उफ !, हा !, ऊह !, काश !, त्राहि त्राहि ! |
आश्चर्यबोधक | अरे !, हे !, ऐ !, क्या !, ओहो !, हैं ! |
स्वीकारबोधक | हाँ !, जी हाँ !, जी !, ठीक !, अच्छा ! |
अनुमोदनबोधक | अच्छा !, ठीक !, हो !, हाँ हाँ ! |
तिरस्कारबोधक | हट !, छिः !, दुर !, धिक् ! |
संबोधनबोधक | अरे !, अजी !, भई !, हे !, अहो !, रे !, री ! |
निपात अव्यय किसे कहते हैं?
निपात का प्रयोग मुख्यतः अव्यय के लिए होता है। परन्तु निपात शुद्ध अव्यय नहीं होते हैं। इनका कोई लिंग अथवा वचन नहीं होता है। निपात का प्रयोग निश्चित शब्द, शब्द के समूह अथवा पूरे वाक्य को अन्य (अतिरिक्त) भावार्थ प्रदान करने के लिए किया जाता है। निपात सहायक शब्द होने के बावजूद भी वाक्य के अंग नहीं होते हैं। परन्तु वाक्य में निपात के प्रयोग से वाक्य का सम्पूर्ण अर्थ प्रभावित हो जाता है।
जो अव्यय शब्द किसी शब्द के बाद लगकर उसके अर्थ या भाव में विशेष बल देते हैं, वे निपात अव्यय कहलाते हैं। हिंदी में अधिकांशतः निपात उस शब्द या शब्द समूह के बाद आते हैं, जिनको वे विशिष्टता या बल प्रदान करते हैं। अर्थात निपात जिस शब्द के बाद लगते हैं उस शब्द को बल (विशिष्टता) प्रदान करते है। जैसे- ही, भी, तक।
- सुरेश ने ही मुझे मारा था। (अर्थात सुरेश के अलावा और किसी ने नहीं मारा था।)
- सुरेश ने मुझे ही मारा था। (अर्थात सुरेश ने मुझे ही मारा था और किसी को नहीं।)
- सुरेश ने मुझे मारा ही था। (अर्थात सुरेश ने मुझे सिर्फ मारा था, और कुछ नहीं किया था, जैसे गाली आदि नहीं दिया था।)
- तुम ही जाओगे। (अर्थात सिर्फ तुम ही जाओगे और कोई नहीं जायेगा।)
- आज ही बारिश होगी। (अर्थात आज ही बारिश होगी दूसरे दिन नहीं ।)
- आपने तो हद कर दी।
- आज मै भी आपके साथ चलूँगा।
- पंडितजी को बच्चे तक जानते है।
- धन कमा लेने मात्र से जीवन सफल नहीं हो जाता।
- मीरा खाने के साथ पानी भी पीती है।
निपात अव्यय के भेद
निपात के 9 भेद होते हैं, जो निम्नलिखित है :-
सकारात्मक निपात / स्वीकृतिबोधक निपात | हाँ, जी, जी हाँ |
नकारात्मक निपात / नकारबोधक निपात | नहीं, जी नहीं |
निषेधात्मक निपात | मत |
प्रश्नबोधक निपात | क्या |
विस्मयादिबोधक निपात | क्या, काश |
तुलनात्मक निपात / तुलनाबोधक निपात | सा |
अवधारणबोधक निपात | ठीक, करीब, तक़रीबन, लगभग |
आदरबोधक निपात | जी |
बलदायक निपात / बलप्रदायक निपात | तो, ही, भी, भर, सिर्फ, तक, केवल |
संस्कृत के अव्यय
कुछ अव्यय संस्कृत में भी होते हैं जो इस प्रकार हैं-
संस्कृत के अव्यय —-> अर्थ
अद्य —-> आज
ह्यः —-> बीता हुआ कल
स्वस्ति —-> कल्याण हो
नमः —-> नमस्कार
कुतः —-> कहाँ से
सह —-> साथ
विना —-> बिना
धिक् —-> धिक्कार
शनैः —-> धीरे
शीघ्रम् —-> जल्दी
अपि —-> भी
अथवा —-> या
वा —-> या
न —-> नहीं
च —-> और
पुनः —-> फिर
कदापि —-> कभी भी
अधुना —-> अब
तदा —-> तब
यदा —-> जब
कदा —-> कब
सदा —-> हमेशा
कथम् —-> कैसे
तथा —-> तैसे
यथा —-> जैसे
सर्वत्र —-> सब जगह
कुत्र —-> कहां
तत्र —-> वहां
अत्र —-> यहां
श्वः —-> आने वाला कल
परश्वः —-> परसों
इन्हें भी देखें-
- हिंदी के विराम चिन्ह और उनका प्रयोग | 50 + उदाहरण
- अनेकार्थी शब्द |500 +उदाहरण
- विलोम शब्द | विपरीतार्थक शब्द | Antonyms |500+ उदाहरण
- पर्यायवाची शब्द अथवा समानार्थी शब्द 500+ उदाहरण
- विशेषण (Adjective)- भेद तथा 50+ उदाहरण
- छंद : उत्कृष्टता का अद्भुत संगम- परिभाषा, भेद और 100+ उदाहरण
- कारक: परिभाषा, भेद तथा 100+ उदाहरण