इथेनॉल: संरचना, उपयोग, लाभ और चुनौतियाँ

मानव सभ्यता के इतिहास में पेय, औषधि और ऊर्जा के संदर्भ में यदि किसी रसायन का सबसे व्यापक रूप से उपयोग हुआ है, तो वह है एथेनॉल (Ethanol)। इसे सामान्यतः एथिल अल्कोहल (Ethyl Alcohol) भी कहा जाता है। एथेनॉल वह पदार्थ है जिसने न केवल सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन को प्रभावित किया, बल्कि औद्योगिक उत्पादन, चिकित्सा जगत और नवीकरणीय ऊर्जा क्रांति में भी केंद्रीय भूमिका निभाई।
आज की तारीख में जब दुनिया ऊर्जा संकट, पर्यावरण प्रदूषण और सतत विकास (Sustainable Development) की चुनौतियों का सामना कर रही है, तब एथेनॉल जैसे वैकल्पिक ईंधनों की प्रासंगिकता और भी अधिक बढ़ गई है। सरकारी परीक्षाओं के दृष्टिकोण से भी यह विषय अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि एथेनॉल से जुड़ी नीतियाँ, कार्यक्रम और वैज्ञानिक तथ्य अक्सर प्रश्नपत्रों में पूछे जाते हैं।

एथेनॉल क्या है?

एथेनॉल एक सरल और हल्का अल्कोहल (Alcohol) है, जिसका रासायनिक सूत्र C₂H₅OH है। यह एक साफ, रंगहीन, वाष्पशील और ज्वलनशील द्रव है जिसकी गंध तीव्र और विशिष्ट होती है।
यह प्रायः शर्करा (Sugars) या स्टार्च (Starch) के किण्वन (Fermentation) द्वारा प्राप्त किया जाता है। खमीर (Yeast) एंजाइम की सहायता से यह प्रक्रिया संपन्न होती है, जिसमें शर्करा टूटकर एथेनॉल और कार्बन डाइऑक्साइड में बदल जाती है। यही कारण है कि यह मानव जाति द्वारा ज्ञात सबसे प्राचीन रसायनों में से एक माना जाता है।

एथेनॉल के मुख्य गुण (Properties of Ethanol)

एथेनॉल को समझने के लिए इसके वैज्ञानिक गुणों पर एक दृष्टि डालना आवश्यक है:

  • रासायनिक सूत्र (Chemical Formula): C₂H₅OH
  • आणविक भार (Molecular Weight): 46.07 g/mol
  • क्वथनांक (Boiling Point): 78.37 °C
  • घुलनशीलता (Solubility): पानी में पूरी तरह घुलनशील
  • स्वभाव (Nature): ज्वलनशील (Flammable), वाष्पशील (Volatile), हल्का मादक (Intoxicating)

इन गुणों के कारण एथेनॉल का प्रयोग पेय पदार्थों से लेकर औद्योगिक रसायन और ईंधन तक विभिन्न क्षेत्रों में होता है।

एथेनॉल के ऐतिहासिक पहलू

  • प्राचीन मिस्र और मेसोपोटामिया सभ्यता में एथेनॉल आधारित पेयों का उल्लेख मिलता है।
  • भारतीय वैदिक साहित्य में भी मदिरा, सुरा और आसव का उल्लेख है, जो मूलतः एथेनॉल के ही रूप हैं।
  • मध्यकालीन अरब वैज्ञानिकों ने डिस्टिलेशन (आसवन) की तकनीक विकसित की, जिससे शुद्ध एथेनॉल का उत्पादन संभव हुआ।
  • आधुनिक काल में एथेनॉल का प्रयोग औद्योगिक क्रांति, चिकित्सा क्षेत्र और अब ऊर्जा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर किया जा रहा है।

एथेनॉल के प्रमुख उपयोग

1. मादक पेयों में उपयोग (Alcoholic Beverages)

एथेनॉल का सबसे सामान्य और प्राचीन उपयोग मादक पेयों में हुआ है।

  • बीयर, वाइन, व्हिस्की और रम जैसे पेयों में एथेनॉल ही नशे का प्रमुख घटक है।
  • नियंत्रित मात्रा में सेवन मनोरंजन और सामाजिक आयोजनों का हिस्सा है।
  • किंतु अत्यधिक सेवन स्वास्थ्य और सामाजिक समस्याओं का कारण बन सकता है।

2. ईंधन और ऊर्जा (Fuel and Energy)

आज के युग में एथेनॉल का सबसे महत्वपूर्ण और चर्चित उपयोग है – बायोफ्यूल (Biofuel)

  • एथेनॉल को पेट्रोल के साथ मिलाकर E10, E20 और E85 जैसे मिश्रित ईंधन बनाए जाते हैं।
  • भारत में यह कार्यक्रम Ethanol Blending Program के नाम से चल रहा है, जो ऊर्जा सुरक्षा और आयातित तेल पर निर्भरता को कम करने में मदद करता है।
  • अमेरिका और ब्राज़ील इस क्षेत्र में अग्रणी हैं।

3. औद्योगिक उपयोग (Industrial Applications)

एथेनॉल को एक विलायक (Solvent) के रूप में अनेक उद्योगों में प्रयोग किया जाता है।

  • पेंट, वार्निश और परफ्यूम निर्माण में।
  • फार्मास्यूटिकल उद्योग में दवाओं के निर्माण हेतु।
  • कॉस्मेटिक्स और क्लीनिंग प्रोडक्ट्स में आवश्यक रसायन के रूप में।

4. चिकित्सा और स्वच्छता (Medical and Sanitation)

  • एथेनॉल आधारित सैनिटाइज़र और डिसइंफेक्टेंट्स बैक्टीरिया और वायरस को नष्ट करने में प्रभावी हैं।
  • COVID-19 महामारी के दौरान इसका महत्व विश्वभर में बढ़ गया।
  • दवाओं में यह विलायक और संरक्षक के रूप में उपयोगी है।

एथेनॉल के लाभ

1. नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत

  • पेट्रोलियम की तरह सीमित नहीं।
  • गन्ना, मक्का और अन्य अनाज जैसी बायोमास फसलों से निर्मित।
  • टिकाऊ और पर्यावरण-हितैषी ऊर्जा विकल्प।

2. पर्यावरणीय लाभ

  • जीवाश्म ईंधन की तुलना में स्वच्छ जलन (Cleaner Combustion)
  • कार्बन मोनोऑक्साइड और अन्य प्रदूषक गैसों का उत्सर्जन कम।
  • वायु प्रदूषण नियंत्रण में सहायक।

3. आर्थिक लाभ

  • किसानों के लिए नई आय का स्रोत।
  • गन्ना और मक्का जैसी फसलों की मांग बढ़ती है।
  • भारत जैसे देशों का क्रूड ऑयल आयात बिल घटता है।

4. सार्वजनिक स्वास्थ्य लाभ

  • सैनिटाइजेशन और हाइजीन में महत्वपूर्ण भूमिका।
  • महामारी नियंत्रण में सहायक।

चुनौतियाँ और चिंताएँ

  1. स्वास्थ्य संबंधी जोखिम:
    • मादक पेयों में एथेनॉल का अत्यधिक सेवन लिवर डैमेज, मानसिक रोग और सामाजिक समस्याएँ उत्पन्न करता है।
  2. खाद्य सुरक्षा पर असर:
    • यदि अधिक भूमि और संसाधन ईंधन हेतु फसलों में लगते हैं तो खाद्य उत्पादन प्रभावित हो सकता है।
  3. भंडारण और परिवहन:
    • एथेनॉल अत्यधिक ज्वलनशील है।
    • इसके भंडारण और परिवहन में विशेष सावधानियाँ आवश्यक हैं।
  4. आर्थिक असंतुलन:
    • किसानों का ध्यान भोजन उत्पादन से हटकर केवल एथेनॉल फसलों पर केंद्रित हो सकता है, जिससे असमानता बढ़ सकती है।

भारत और एथेनॉल नीति (Ethanol Policy in India)

भारत सरकार ने 2003 से Ethanol Blending Program (EBP) शुरू किया।

  • लक्ष्य – पेट्रोल में 20% तक एथेनॉल मिश्रण (E20) करना।
  • 2025 तक इसे हासिल करने की योजना है।
  • यह कदम ऊर्जा आत्मनिर्भरता (Energy Self-reliance) और Net Zero Carbon Emission 2070 के लक्ष्य की दिशा में बड़ा योगदान देगा।

वैश्विक परिदृश्य (Global Scenario)

  • ब्राज़ील: दुनिया का सबसे बड़ा एथेनॉल उत्पादक।
  • अमेरिका: मक्का आधारित एथेनॉल उत्पादन में अग्रणी।
  • यूरोप: नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की ओर तेजी से अग्रसर।

निष्कर्ष

एथेनॉल केवल एक रासायनिक यौगिक नहीं है, बल्कि यह ऊर्जा, पर्यावरण, उद्योग और स्वास्थ्य की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण संसाधन है। यह हमें जीवाश्म ईंधन की निर्भरता से मुक्त कर सकता है, किसानों के लिए नई संभावनाएँ खोल सकता है और सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी सहायक सिद्ध हो सकता है।
हालाँकि इसके अत्यधिक सेवन और कृषि संसाधनों के दुरुपयोग से जुड़ी चुनौतियाँ भी मौजूद हैं। अतः एथेनॉल का विवेकपूर्ण और संतुलित उपयोग ही हमें टिकाऊ विकास की राह पर ले जा सकता है।


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