23 अप्रैल 2025 को टाइम्स हायर एजुकेशन (THE) द्वारा जारी एशिया यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2025 ने एशिया की उच्च शिक्षा प्रणाली की बदलती तस्वीर को एक नई दिशा दी है। इस वर्ष की रैंकिंग में 35 देशों और क्षेत्रों के 853 विश्वविद्यालयों को शामिल किया गया है। यह रैंकिंग न केवल शिक्षण और शोध की गुणवत्ता को प्रदर्शित करती है, बल्कि नवाचार, वैश्विक दृष्टिकोण और उद्योग से होने वाली आय जैसे व्यापक मापदंडों को भी आधार बनाती है।
इस लेख में हम इस रैंकिंग की प्रमुख विशेषताओं, भारतीय विश्वविद्यालयों के प्रदर्शन, एशिया के प्रमुख रुझानों और वैश्विक परिदृश्य के संदर्भ में इसके प्रभाव का विश्लेषण करेंगे।
रैंकिंग के मानदंड: क्या बनाता है किसी विश्वविद्यालय को उत्कृष्ट?
Times Higher Education की एशिया यूनिवर्सिटी रैंकिंग कई प्रमुख मानदंडों पर आधारित होती है, जिनमें प्रमुख हैं:
- शिक्षण (Teaching – Learning Environment): फैकल्टी की योग्यता, छात्र-अध्यापक अनुपात, संस्थान की प्रतिष्ठा आदि।
- शोध (Research – Volume, Income and Reputation): अनुसंधान प्रकाशन, फंडिंग और अनुसंधान की वैश्विक स्वीकृति।
- उद्धरण (Citations – Research Influence): विश्वविद्यालय के शोध को अन्य अकादमिक कार्यों में कितना संदर्भित किया गया है।
- अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण (International Outlook): अंतरराष्ट्रीय छात्रों और फैकल्टी की उपस्थिति, वैश्विक सहयोग आदि।
- उद्योग आय (Industry Income – Innovation): संस्थान द्वारा उद्योग जगत को दिए गए नवाचार और सेवाओं से होने वाली आय।
भारत की भागीदारी: कुछ उपलब्धियाँ, कुछ चिंताएँ
IISc बेंगलुरु: एक बार फिर भारत की शान
इस वर्ष भी Indian Institute of Science (IISc), बेंगलुरु ने भारत का नेतृत्व करते हुए शीर्ष भारतीय स्थान हासिल किया है। उसे एशिया में 38वां स्थान प्राप्त हुआ है। हालांकि, यह 2024 की 32वीं रैंक से गिरावट है, लेकिन यह अब भी भारतीय संस्थानों में सर्वोच्च है।
यह गिरावट भारत की उच्च शिक्षा में बढ़ती चुनौतियों और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को उजागर करती है। शिक्षा, शोध और नवाचार के क्षेत्र में अपेक्षित सुधारों की आवश्यकता स्पष्ट होती है।
अन्य भारतीय विश्वविद्यालयों की रैंकिंग में गिरावट
कई भारतीय संस्थानों ने सूची में स्थान तो बनाया, परंतु अधिकतर की रैंकिंग में गिरावट देखी गई:
रैंक | विश्वविद्यालय |
---|---|
38 | इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (IISc) |
111 | अन्ना विश्वविद्यालय |
131 | इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, इंदौर (IIT इंदौर) |
140 | महात्मा गांधी विश्वविद्यालय |
146 | शूलिनी यूनिवर्सिटी ऑफ बायोटेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट साइंसेज |
149 | सवीथा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एंड टेक्निकल साइंसेज |
161 | जामिया मिलिया इस्लामिया |
184 | IIT गुवाहाटी |
184 | KIIT यूनिवर्सिटी |
188 | अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी |
188 | UPES (यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी स्टडीज) |
191 | IIT पटना |
191 | NIT राउरकेला |
200 | इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, हैदराबाद (IIIT हैदराबाद) |
यह विविधता भारत के उच्च शिक्षा परिदृश्य की बहुलता को दर्शाती है, लेकिन साथ ही गुणवत्ता, अनुसंधान व नवाचार में सतत सुधार की आवश्यकता को भी इंगित करती है।
एशिया में प्रतिस्पर्धा तेज: वैश्विक नेताओं का वर्चस्व
चीन: शिक्षा की महाशक्ति
चीन इस रैंकिंग में एक बार फिर शीर्ष पर रहा है:
- त्सिंगहुआ यूनिवर्सिटी – 1st स्थान
- पेकिंग यूनिवर्सिटी – 2nd स्थान
चीन के विश्वविद्यालयों ने लगातार शोध, अंतरराष्ट्रीय सहयोग और नवाचार के क्षेत्र में अग्रणी स्थान बनाए रखा है। सरकार की आक्रामक निवेश नीति और रणनीतिक योजनाओं का असर स्पष्ट रूप से नजर आता है।
सिंगापुर: सीमित आकार, असीम गुणवत्ता
- नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर – 3rd स्थान
- नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी – 4th स्थान
सिंगापुर की यूनिवर्सिटियाँ अपनी अनुसंधान शक्ति और ग्लोबल नेटवर्क के कारण शिक्षा में मानक स्थापित कर रही हैं।
जापान और हॉन्गकॉन्ग की सशक्त उपस्थिति
- यूनिवर्सिटी ऑफ टोक्यो, क्योटो यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ हॉन्गकॉन्ग, और हॉन्गकॉन्ग यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी जैसी संस्थाओं ने टॉप 10 में स्थायी स्थान बनाए रखा है। ये संस्थान वर्षों से स्थिरता, अनुसंधान और अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा के प्रतीक रहे हैं।
नई प्रविष्टियाँ: उभरते देश और शिक्षा का विस्तार
इस वर्ष की रैंकिंग में कुछ ऐसे देश भी शामिल हुए हैं जिनकी उपस्थिति पहले नहीं रही:
- उज़्बेकिस्तान
- बहरीन
- मंगोलिया
- सीरिया
इन देशों की विश्वविद्यालयों की रैंकिंग में उपस्थिति से स्पष्ट है कि अब एशियाई उच्च शिक्षा का विस्तार केवल पारंपरिक शक्तियों तक सीमित नहीं है। यह शिक्षा की लोकतांत्रिक पहुँच और वैश्विक अकादमिक समावेशन की दिशा में एक कदम है।
भारत के लिए शिक्षा में सुधार की दिशा
भारत को शिक्षा के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा के इस दौर में स्थायी सुधारों की आवश्यकता है:
- शोध और नवाचार पर निवेश: सरकारी और निजी क्षेत्र दोनों को शोध में निवेश बढ़ाना होगा।
- फैकल्टी गुणवत्ता और प्रशिक्षण: शिक्षकों को विश्वस्तरीय प्रशिक्षण प्रदान करना होगा।
- अंतरराष्ट्रीय सहयोग और साझेदारी: वैश्विक विश्वविद्यालयों के साथ शोध और छात्र-शिक्षक आदान-प्रदान को प्रोत्साहन देना चाहिए।
- उद्योग से जुड़ाव: विश्वविद्यालयों को इंडस्ट्री के साथ मिलकर व्यावसायिक परियोजनाओं पर कार्य करना चाहिए।
- डिजिटल शिक्षा और प्रौद्योगिकी उपयोग: आधुनिक शिक्षण उपकरणों और तकनीकी प्लेटफॉर्म को अपनाना होगा।
गुणवत्ता की नई दौड़ में भारत कहाँ?
Times Higher Education की एशिया यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2025 भारत के लिए एक सकारात्मक चेतावनी की तरह है। जहाँ एक ओर IISc जैसे संस्थान वैश्विक स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर अधिकांश संस्थानों की रैंकिंग में गिरावट यह संकेत देती है कि गुणवत्ता में सुधार के लिए गंभीर प्रयास आवश्यक हैं।
शिक्षा केवल ज्ञान का हस्तांतरण नहीं, बल्कि एक राष्ट्र की शक्ति का आधार होती है। भारत जैसे देश को जो ‘विश्वगुरु’ बनने का सपना देखता है, उसे अपनी उच्च शिक्षा प्रणाली को वैश्विक मानकों के अनुसार ढालने की दिशा में और अधिक गंभीरता से कार्य करना होगा।
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