हमारी आकाशगंगा रहस्यों से भरी हुई है। इसमें न जाने कितने प्रकार के तारे, ग्रह, गैसें और धूलकण हैं, जो वैज्ञानिकों के लिए खोज और शोध का आधार बनते हैं। हाल ही में वैज्ञानिकों ने एक अत्यंत दुर्लभ और रहस्यमय तारे A980 में एक चौंकाने वाला तत्व खोजा है — जर्मेनियम (Ge)। यह खोज इसलिए भी रोमांचक है क्योंकि A980 एक एक्सट्रीम हीलियम स्टार (Extreme Helium Star / EHe) है — एक ऐसा प्रकार का तारा जो अब तक वैज्ञानिकों को चौंकाता रहा है।
इस लेख में हम EHe तारों की प्रकृति, संरचना, इतिहास, वैज्ञानिक महत्व और नवीनतम खोजों पर चर्चा करेंगे।
एक्सट्रीम हीलियम (EHe) तारे क्या होते हैं?
मूल प्रकृति और परिभाषा
एक्सट्रीम हीलियम स्टार (Extreme Helium Star / EHe) वे तारे होते हैं जिनमें हाइड्रोजन की मात्रा लगभग नगण्य होती है, जबकि इनका मुख्य घटक हीलियम होता है। तारों के निर्माण और विकास की सामान्य प्रक्रिया में हाइड्रोजन एक मूल ईंधन के रूप में होता है, लेकिन EHe तारे इस परंपरा से अलग हैं।
ये तारे अत्यंत दुर्लभ होते हैं, और इनकी संरचना तथा उत्पत्ति को लेकर खगोल वैज्ञानिकों के बीच व्यापक शोध और चर्चा चलती रहती है।
एककम-द्रव्यमान सुपरजायंट
EHe तारे आमतौर पर low-mass supergiant stars की श्रेणी में आते हैं। यानि, भले ही इनका आकार बड़ा हो, लेकिन उनका द्रव्यमान तुलनात्मक रूप से कम होता है। यह विशेषता इन्हें अन्य सामान्य सुपरजायंट तारों से अलग बनाती है।
एक्सट्रीम हीलियम स्टार (EHe) की रासायनिक संरचना
हाइड्रोजन की अनुपस्थिति
EHe तारों की सबसे प्रमुख विशेषता है — इनमें हाइड्रोजन का अभाव। जहां सामान्य तारे जैसे सूर्य मुख्यतः हाइड्रोजन और हीलियम से बने होते हैं, वहीं EHe तारे लगभग पूरी तरह हाइड्रोजन रहित होते हैं। यह एक असाधारण गुण है, क्योंकि हाइड्रोजन ब्रह्मांड का सबसे सामान्य तत्व है।
हीलियम की प्रधानता
EHe तारे मुख्य रूप से हीलियम से बने होते हैं। इसके अतिरिक्त इनमें कार्बन, ऑक्सीजन, और कुछ भारी तत्व जैसे नाइट्रोजन, सिलिकॉन, और हाल ही की खोज के अनुसार जर्मेनियम (Ge) भी हो सकते हैं।
EHe तारों की उत्पत्ति
व्हाइट ड्वार्फ के विलय से निर्माण
वैज्ञानिकों का मानना है कि EHe तारे तब बनते हैं जब दो मृत तारों — एक कार्बन-ऑक्सीजन व्हाइट ड्वार्फ और एक हीलियम व्हाइट ड्वार्फ — का आपस में विलय (merger) हो जाता है। यह विलय अत्यंत जटिल और उर्जावान प्रक्रिया होती है, जिसके परिणामस्वरूप एक नया, विशाल लेकिन कम द्रव्यमान वाला तारा बनता है जिसमें हीलियम की प्रधानता होती है।
विस्फोट नहीं, पुनर्जन्म
इस प्रक्रिया को अक्सर “स्टेलर रिबर्थ” यानी तारकीय पुनर्जन्म की संज्ञा दी जाती है, क्योंकि पुराने, मृत तारों से एक नया और शक्तिशाली तारा जन्म लेता है। यह सुपरनोवा विस्फोट की तुलना में कम विनाशकारी लेकिन अत्यंत महत्वपूर्ण प्रक्रिया होती है।
अब तक खोजे गए EHe तारे
कुल खोजें
आज तक हमारी आकाशगंगा में केवल 21 एक्सट्रीम हीलियम तारे ही खोजे गए हैं। इनकी संख्या की अल्पता ही इन्हें विशेष बनाती है और इनके अध्ययन को महत्वपूर्ण बनाती है।
पहला EHe तारा: HD 124448
पहला EHe तारा HD 124448 था, जिसे 1942 में डैनियल एम. पॉपर (Daniel M. Popper) ने टेक्सास स्थित McDonald Observatory में खोजा था। यह खोज खगोलशास्त्र के इतिहास में मील का पत्थर साबित हुई।
एक्सट्रीम हीलियम (EHe) तारों का तापमान और चमक
एक्सट्रीम हीलियम तारों (EHe Star) का तापमान सामान्य तारों से अधिक होता है। इनका सतही तापमान लगभग 8000 केल्विन से लेकर 35000 केल्विन तक पाया गया है, जो इन्हें अत्यंत चमकदार बनाता है।
इनकी उच्च ऊर्जा और चमक इन्हें दूरबीनों से भी स्पष्ट रूप से देखने योग्य बनाती है, विशेषतः अवरक्त (infrared) और पराबैंगनी (ultraviolet) तरंगदैर्ध्य में।
तारा A980 और उसमें जर्मेनियम की खोज
क्या है A980?
A980 एक नया EHe तारा है, जिसे वैज्ञानिकों ने हाल ही में खोजा है। इस तारे में एक अद्भुत और अभूतपूर्व विशेषता पाई गई है — इसमें भारी मात्रा में जर्मेनियम मौजूद है।
जर्मेनियम: एक अनोखी खोज
अब तक EHe तारों में जर्मेनियम नहीं पाया गया था। A980 पहला ऐसा तारा है जिसमें इस अर्धधातु (metalloid) की उपस्थिति दर्ज की गई है। यह खोज तारों की रासायनिक संरचना और उनके निर्माण की प्रक्रिया को लेकर नई संभावनाओं और प्रश्नों को जन्म देती है।
जर्मेनियम (Germanium / Ge) के बारे में
परिचय
जर्मेनियम एक रासायनिक तत्व है, जिसका प्रतीक Ge और परमाणु क्रमांक 32 है। यह आवर्त सारणी के समूह 14 (Group 14 / IVa) में आता है, और सिलिकॉन तथा टिन के बीच स्थित होता है।
भौतिक और रासायनिक गुण
- जर्मेनियम एक चमकीला, धूसर रंग का अर्धधातु (metalloid) होता है।
- इसकी क्रिस्टलीय संरचना हीरे की तरह होती है।
- यह वायु और जल में स्थिर रहता है और अधिकांश रसायनों से प्रभावित नहीं होता।
- यह केवल नाइट्रिक एसिड से प्रतिक्रिया करता है, बाकी आम अम्ल और क्षार इससे असर नहीं डालते।
वैज्ञानिक महत्व
जर्मेनियम का प्रयोग अर्धचालकों, ऑप्टिकल उपकरणों और इंफ्रारेड तकनीकों में किया जाता है। तारों में इसकी मौजूदगी यह संकेत देती है कि ये तारे अत्यंत उच्च ताप और दाब की स्थिति में इस तत्व का निर्माण करने में सक्षम होते हैं।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह खोज क्यों महत्वपूर्ण है?
तारकीय न्यूक्लियोसिंथेसिस की समझ
जर्मेनियम जैसे भारी तत्व का EHe तारे में पाया जाना यह दर्शाता है कि तारों के भीतर तत्वों का निर्माण यानी न्यूक्लियोसिंथेसिस (nucleosynthesis) अपेक्षाकृत जटिल और विविध प्रक्रिया है, जो अब तक हमारी समझ से परे रही है।
खगोल-रसायन विज्ञान की नई दिशा
इस खोज से एस्ट्रोकैमिस्ट्री (Astrochemistry) की एक नई शाखा को बल मिलेगा, जिसमें तारों की रासायनिक संरचना का और गहन विश्लेषण किया जाएगा।
भविष्य की संभावनाएँ
एक्सट्रीम हीलियम स्टार (EHe) तारों की खोज
यदि वैज्ञानिक अधिक संख्या में EHe तारे खोज पाते हैं, तो तारों की उत्पत्ति, रचना और विकास के बारे में हमारी समझ और गहराई प्राप्त करेगी।
तत्वों की उत्पत्ति का रहस्य
जर्मेनियम जैसे तत्वों की उत्पत्ति कहां और कैसे होती है — यह प्रश्न इस खोज से और अधिक प्रासंगिक बन गया है। क्या यह तत्व तारकीय विलयों के समय बनता है, या यह पहले से मौजूद रहता है? वैज्ञानिकों को अब इन पहलुओं की गहराई से जांच करनी होगी।
एक्सट्रीम हीलियम स्टार (EHe) खगोलशास्त्र के क्षेत्र में सबसे रहस्यमय और अद्वितीय तारों में से हैं। हाइड्रोजन की अनुपस्थिति, हीलियम की प्रधानता, और अब A980 जैसे तारों में जर्मेनियम की खोज — यह सभी तथ्य इस बात का संकेत हैं कि ब्रह्मांड आज भी हमारे लिए एक गूढ़ पुस्तक की तरह है, जिसमें हर पन्ने पर कोई नया रहस्य छिपा है।
EHe तारे न केवल तारकीय संरचना की हमारी समझ को चुनौती देते हैं, बल्कि यह भी दर्शाते हैं कि तारों के माध्यम से हम ब्रह्मांड की रासायनिक विविधता और उत्पत्ति की गहराई तक पहुंच सकते हैं।
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