एबेल पुरस्कार (Abel Prize) | गणित का नोबेल सम्मान

एबेल पुरस्कार (Abel Prize), जिसे अक्सर “गणित का नोबेल पुरस्कार” कहा जाता है, नॉर्वे के राजा द्वारा प्रतिवर्ष उत्कृष्ट गणितज्ञों को प्रदान किया जाता है। इस पुरस्कार का नाम 19वीं सदी के नॉर्वेजियन गणितज्ञ नील्स हेनरिक एबेल के सम्मान में रखा गया है, जिन्होंने समीकरणों और फलनों के क्षेत्र में क्रांतिकारी योगदान दिया। 2001 में स्थापित यह पुरस्कार न केवल गणितीय उपलब्धियों को मान्यता देता है, बल्कि इसका उद्देश्य नोबेल पुरस्कारों के समकक्ष एक अंतरराष्ट्रीय मानक स्थापित करना भी है। 7.5 मिलियन नॉर्वेजियन क्रोनर (लगभग 873,000 अमेरिकी डॉलर) की मौद्रिक राशि और प्रतिष्ठा के साथ यह पुरस्कार गणित के क्षेत्र में सर्वोच्च सम्मानों में गिना जाता है।

एबेल पुरस्कार (Abel Prize) एक से अधिक गणितज्ञों को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए संयुक्त रूप से भी दिया जाता है। 2020 का एबेल पुरस्कार हिलेल फुरस्टेनबर्ग (Hillel Furstenberg) और ग्रेगरी मार्गुलिस (Gregory Margulis) को तथा 2021 का एबेल पुरस्कार लास्ज़्लो लोवास्ज़ (László Lovász) और आविअ विगडरसन (Avi Wigderson) को संयुक्त रूप से दिया गया है।

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एबेल पुरस्कार (Abel Prize) | इतिहास और स्थापना

प्रारंभिक प्रयास (1899–1905)
एबेल पुरस्कार की कहानी 1899 में शुरू होती है, जब नॉर्वेजियन गणितज्ञ सोफस ली ने नील्स एबेल की 100वीं जयंती के अवसर पर इसकी स्थापना का प्रस्ताव रखा। ली को यह जानकर आश्चर्य हुआ कि अल्फ्रेड नोबेल की योजना में गणित के लिए कोई पुरस्कार शामिल नहीं था। 1902 में, स्वीडन-नॉर्वे के राजा ऑस्कर द्वितीय ने इस पुरस्कार को वित्तपोषित करने की इच्छा जताई, और गणितज्ञ लुडविग सिल्लो तथा कार्ल स्टॉर्मर ने इसके नियमों का मसौदा तैयार किया। हालाँकि, 1905 में स्वीडन और नॉर्वे के राजनीतिक विभाजन के कारण यह योजना धरी की धरी रह गई।

पुनर्जन्म (2001–2003)
एक सदी बाद, 2001 में नॉर्वे सरकार ने एबेल पुरस्कार को पुनर्जीवित करने का निर्णय लिया। यह निर्णय एबेल की 200वीं जयंती (2002) के उपलक्ष्य में लिया गया। पहला औपचारिक पुरस्कार 2003 में प्रदान किया गया, हालाँकि 2002 में प्रतिष्ठित गणितज्ञ एटल सेलबर्ग को एक मानद पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इस पुरस्कार के माध्यम से नॉर्वे ने गणित के क्षेत्र में वैश्विक योगदान को बढ़ावा देने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।

पुरस्कार का स्वरूप और चयन प्रक्रिया

चयन समिति और मानदंड
एबेल पुरस्कार विजेताओं का चयन नॉर्वेजियन एकेडमी ऑफ़ साइंस एंड लेटर्स द्वारा गठित एक समिति करती है। इस समिति में पाँच प्रख्यात अंतरराष्ट्रीय गणितज्ञ शामिल होते हैं, जिनकी नियुक्ति अकादमी द्वारा की जाती है। चयन प्रक्रिया पारदर्शी और खुली होती है—कोई भी व्यक्ति किसी भी गणितज्ञ का नामांकन कर सकता है, लेकिन स्व-नामांकन की अनुमति नहीं है। पुरस्कार केवल जीवित व्यक्तियों को दिया जाता है, लेकिन यदि विजेता की घोषणा के बाद मृत्यु हो जाए, तो इसे मरणोपरांत प्रदान किया जा सकता है।

पुरस्कार राशि और प्रमाणपत्र
पुरस्कार में 7.5 मिलियन नॉर्वेजियन क्रोनर (2025 तक लगभग 873,000 अमेरिकी डॉलर) की राशि शामिल है। यह राशि नोबेल पुरस्कार के बराबर है, जो एबेल पुरस्कार की प्रतिष्ठा को रेखांकित करती है। विजेता को एक प्रमाणपत्र और राजा द्वारा आयोजित समारोह में सम्मानित किया जाता है।

वित्तपोषण और प्रशासन

आरंभिक निवेश और वर्तमान बजट
2001 में नॉर्वे सरकार ने इस पुरस्कार के लिए 200 मिलियन नॉर्वेजियन क्रोनर (लगभग 21.7 मिलियन यूरो) की प्रारंभिक राशि आवंटित की। शुरुआत में “एबेल फाउंडेशन” द्वारा प्रबंधित, अब यह पुरस्कार सीधे नॉर्वे के राष्ट्रीय बजट से वित्तपोषित होता है। फंड का प्रबंधन एक बोर्ड द्वारा किया जाता है, जिसमें नॉर्वेजियन एकेडमी के सदस्य शामिल होते हैं।

प्रशासनिक संरचना
एबेल बोर्ड में शिक्षाविद् और विशेषज्ञ शामिल होते हैं, जो पुरस्कार से जुड़े आयोजनों और वित्तीय निर्णयों की देखरेख करते हैं। वर्तमान बोर्ड के सदस्यों में इंग्रिड के. ग्लैड (अध्यक्ष), असलाक बाके बुआन, और गुन एलिजाबेथ बिरकेलुंड जैसे नाम शामिल हैं।

पुरस्कार समारोह और संबद्ध गतिविधियाँ

ओस्लो विश्वविद्यालय में समारोह
पुरस्कार प्रदान करने का समारोह ओस्लो विश्वविद्यालय के “औला” भवन में आयोजित होता है, जहाँ 1947 से 1989 तक नोबेल शांति पुरस्कार का समारोह होता था। यह स्थान ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है, जो विजेताओं को एक गौरवशाली मंच प्रदान करता है।

एबेल संगोष्ठी
नॉर्वेजियन गणितीय सोसायटी द्वारा आयोजित एबेल संगोष्ठी वर्ष में दो बार होती है। यह आयोजन गणित के नवीन शोधों पर चर्चा करने और युवा गणितज्ञों को प्रेरित करने का अवसर प्रदान करता है।

2025 का एबेल पुरस्कार: मासाकी काशीवारा

इस वर्ष, 2025 का एबेल पुरस्कार जापानी गणितज्ञ मासाकी काशीवारा (Masaki Kashiwara) को प्रदान किया गया। उन्हें यह सम्मान बीजगणितीय विश्लेषण (Algebraic Analysis), प्रतिनिधित्व सिद्धांत (Representation Theory), डी-मॉड्यूल्स (D-Modules) के विकास और क्रिस्टल बेस (Crystal Bases) की खोज के लिए दिया गया। उनका कार्य गणितीय समीकरणों के हल और गणनाओं को सरल बनाने में सहायक सिद्ध हुआ है।

मासाकी काशीवारा का योगदान

  1. बीजगणितीय विश्लेषण और प्रतिनिधित्व सिद्धांत – उन्होंने गणितीय समीकरणों और उनकी व्याख्या के लिए नए तरीकों का विकास किया।
  2. डी-मॉड्यूल्स का विकास – डी-मॉड्यूल्स की थ्योरी ने गणितीय समीकरणों के अध्ययन को एक नई दिशा दी।
  3. क्रिस्टल बेस की खोज – इस खोज ने जटिल गणनाओं को सरल ग्राफ़ में बदलने की क्षमता प्रदान की, जिससे गणितीय सिद्धांतों की समझ में क्रांतिकारी सुधार हुआ।

2024 का एबेल पुरस्कार: मिशेल टैलग्रांड

2024 में, फ्रांसीसी गणितज्ञ मिशेल टैलग्रांड (Michel Talagrand) को एबेल पुरस्कार प्रदान किया गया था। उन्हें यह पुरस्कार संभाव्यता सिद्धांत (Probability Theory) और स्टोकेस्टिक प्रक्रियाओं (Stochastic Processes) में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए दिया गया। उनके कार्यों ने अनिश्चितता और गणितीय मॉडलों के विश्लेषण को एक नया दृष्टिकोण दिया।

प्रथम एबेल पुरस्कार विजेता: जीन-पियरे सेरे (2003)

फ्रांसीसी गणितज्ञ सेरे को टोपोलॉजी और बीजगणित के क्षेत्र में उनके मौलिक कार्यों के लिए सम्मानित किया गया।

प्रथम महिला एबेल पुरस्कार विजेता: करेन उहलेनबेक (2019)

अमेरिकी गणितज्ञ करेन उहलेनबेक ने ज्यामिति और गणितीय भौतिकी के क्षेत्र में अग्रणी शोध किए। उनकी उपलब्धि ने महिलाओं के लिए गणित में नए द्वार खोले।

भारतीय गणितज्ञ और एबेल पुरस्कार

अब तक, केवल एक भारतीय गणितज्ञ को एबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ है: एस.आर. श्रीनिवास वर्धन (S.R. Srinivasa Varadhan) – उन्हें 2007 में एबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्हें यह पुरस्कार प्रायिकता सिद्धांत (Probability Theory) और विशेष रूप से बड़े विचलन के एकीकृत सिद्धांत (Unified Theory of Large Deviations) के विकास में उनके योगदान के लिए दिया गया था। उनका शोध सांख्यिकी और गणितीय मॉडलिंग में महत्वपूर्ण साबित हुआ है।

एबेल पुरस्कार विजेता के नाम और उनके योगदान (वर्षवार)

गणित के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले गणितज्ञों को प्रदान किया जाने वाला एबेल पुरस्कार (Abel Prize) विश्व का एक प्रतिष्ठित सम्मान है। एबेल पुरस्कार के विजेता विश्व के विभिन्न गणितज्ञों में से चुने जाते हैं, जिन्होंने गणित के विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसे गणित का “नोबेल पुरस्कार” भी कहा जाता है।

यह पुरस्कार नॉर्वेजियन गणितज्ञ नील्स हेनरिक एबल (Niels Henrik Abel) के सम्मान में दिया जाता है, जिन्होंने गणित के कई महत्वपूर्ण सिद्धांतों में योगदान दिया था। अब तक यह पुरस्कार कई गणितज्ञों को प्रदान किया जा चुका है। एबेल पुरस्कार (Abel Prize) विजेताओं में शामिल हैं:

2002 (मानद पुरस्कार)

एटल सेलबर्ग (Atle Selberg)

  • देश: नॉर्वे/अमेरिका
  • योगदान: संख्या सिद्धांत और स्वचालित रूपों के क्षेत्र में अग्रणी शोध।

2003 का एबेल पुरस्कार (प्रथम आधिकारिक एबेल पुरस्कार)

जीन-पियरे सेरे (Jean-Pierre Serre)

  • देश: फ्रांस
  • योगदान: टोपोलॉजी, बीजगणित और ज्यामिति में मौलिक कार्य।

2004 का एबेल पुरस्कार

सर माइकल फ्रांसिस अटियाह (Michael Atiyah) और इसाडोर सिंगर (Isadore Singer)

  • देश: यूके/अमेरिका
  • योगदान: इंडेक्स प्रमेय (Index Theorem) के लिए, जो गणित और भौतिकी के बीच सेतु बनाता है।

2005 का एबेल पुरस्कार

पीटर लैक्स (Peter Lax)

  • देश: हंगरी/अमेरिका
  • योगदान: आंशिक अवकल समीकरणों और उनके कम्प्यूटेशनल अनुप्रयोगों में योगदान।

2006 का एबेल पुरस्कार

लेनार्ट कार्ल्सन (Lennart Carleson)

  • देश: स्वीडन
  • योगदान: हार्मोनिक विश्लेषण और चिकनी गतिशील प्रणालियों में शोध।

2007 का एबेल पुरस्कार

श्रीनिवास वर्धन (S. R. Srinivasa Varadhan)

  • देश: भारत/अमेरिका
  • योगदान: प्रायिकता सिद्धांत और स्टोकैस्टिक प्रक्रियाओं में योगदान।

2008 का एबेल पुरस्कार

जॉन ग्रिग्स थॉम्पसन (John Griggs Thompson) और जैक्स टिट्स (Jacques Tits)

  • देश: अमेरिका/फ्रांस
  • योगदान: समूह सिद्धांत (Group Theory) में अत्याधुनिक शोध।

2009 का एबेल पुरस्कार

मिखाइल ग्रोमोव (Mikhail Gromov)

  • देश: रूस/फ्रांस
  • योगदान: ज्यामितीय विश्लेषण और सिंप्लेक्टिक ज्यामिति में नवाचार।

2010 का एबेल पुरस्कार

जॉन टेट (John Tate)

  • देश: अमेरिका
  • योगदान: संख्या सिद्धांत और बीजगणितीय ज्यामिति में दीर्घकालिक प्रभाव।

2011 का एबेल पुरस्कार

जॉन मिलनर (John Milnor)

  • देश: अमेरिका
  • योगदान: टोपोलॉजी, K-सिद्धांत और गतिशील प्रणालियों में योगदान।

2012 का एबेल पुरस्कार

एंड्रयू स्ज़ेमेरेडी (Endre Szemerédi)

  • देश: हंगरी/अमेरिका
  • योगदान: असतत गणित और कंप्यूटर विज्ञान में क्रांतिकारी शोध।

2013 का एबेल पुरस्कार

पियरे डेलिग्ने (Pierre Deligne)

  • देश: बेल्जियम
  • योगदान: बीजगणितीय ज्यामिति और संख्या सिद्धांत में वेइल अनुमानों का समाधान।

2014 का एबेल पुरस्कार

याकोव सिनाई (Yakov Sinai)

  • देश: रूस/अमेरिका
  • योगदान: गतिशील प्रणालियों, एर्गोडिक सिद्धांत और भौतिकी में अनुप्रयोग।

2015 का एबेल पुरस्कार

जॉन फोर्ब्स नैश (John F. Nash Jr.) और लुई निरेनबर्ग (Louis Nirenberg)

  • देश: अमेरिका/कनाडा
  • योगदान: आंशिक अवकल समीकरणों और गेम थ्योरी में योगदान।

2016 का एबेल पुरस्कार

एंड्रयू जे. वाइल्स (Andrew Wiles)

  • देश: यूके
  • योगदान: फ़र्मेट के अंतिम प्रमेय का प्रमाण और संख्या सिद्धांत में उल्लेखनीय कार्य।

2017 का एबेल पुरस्कार

यवेस मेयर (Yves Meyer)

  • देश: फ्रांस
  • योगदान: वेवलेट सिद्धांत और संख्यात्मक विश्लेषण में अग्रणी भूमिका।

2018 का एबेल पुरस्कार

रॉबर्ट लैंगलैंड्स (Robert Langlands)

  • देश: कनाडा/अमेरिका
  • योगदान: “लैंगलैंड्स प्रोग्राम” के लिए, जो संख्या सिद्धांत और समूह प्रतिनिधित्व को जोड़ता है।

2019 का एबेल पुरस्कार

करेन उहलेनबेक (Karen Uhlenbeck)

  • देश: अमेरिका
  • योगदान: ज्यामितीय विश्लेषण और गेज सिद्धांत में अग्रणी शोध; प्रथम महिला विजेता

2020 का एबेल पुरस्कार

हिलेल फुरस्टेनबर्ग (Hillel Furstenberg) और ग्रेगरी मार्गुलिस (Gregory Margulis)

  • देश: इज़राइल/अमेरिका
  • योगदान: असंभव समूहों और एर्गोडिक सिद्धांत में योगदान।

2021 का एबेल पुरस्कार

लास्ज़्लो लोवास्ज़ (László Lovász) और आविअ विगडरसन (Avi Wigderson)

  • देश: हंगरी/अमेरिका
  • योगदान: कंप्यूटेशनल जटिलता सिद्धांत और असतत गणित में योगदान।

2022 का एबेल पुरस्कार

डेनिस सुलिवन (Dennis Sullivan)

  • देश: अमेरिका
  • योगदान: टोपोलॉजी और गतिशील प्रणालियों में अत्याधुनिक शोध।

2023 का एबेल पुरस्कार

लुइस कैफ़रेली (Luis Caffarelli)

  • देश: अर्जेंटीना/अमेरिका
  • योगदान: आंशिक अवकल समीकरणों और उनके अनुप्रयोगों में योगदान।

2024 का एबेल पुरस्कार

मिशेल टैलग्रांड (Michel Talagrand)

  • देश: फ्रांस
  • योगदान: संभाव्यता सिद्धांत और स्टोकेस्टिक प्रक्रियाओं में योगदान।

2025 का एबेल पुरस्कार

मासाकी काशीवारा (Masaki Kashiwara)

  • देश: जापान
  • योगदान: बीजगणितीय विश्लेषण, प्रतिनिधित्व सिद्धांत, डी–मॉड्यूल्स के विकास और क्रिस्टल बेस की खोज में योगदान।

एबेल पुरस्कार विजेताओं की विस्तृत सारणी (2002–2025)

एबेल पुरस्कार (Abel Prize) विजेताओं की सुव्यवस्थित एवं विस्तृत सारणी (2002–2025) निम्नलिखित है। इस सारणी में विजेताओं के नाम के साथ उनके योगदान, उनके देश, वर्ष तथा उससे सम्बंधित प्रमुख स्रोत/टिप्पणी को भी दिया गया है। गणितज्ञों के नाम हिंदी और अंग्रेजी दोनों में दिए गए हैं:

वर्षविजेतादेशयोगदानप्रमुख स्रोत/टिप्पणी
2002एटल सेलबर्ग (Atle Selberg)नॉर्वे/अमेरिकासंख्या सिद्धांत, रीमैन ज़ीटा फ़ंक्शन, और स्वचालित रूपों के साथ स्पेक्ट्रल सिद्धांत का संयोजनमानद पुरस्कार; 2002 में एबेल पुरस्कार की स्थापना के अवसर पर सम्मानित
2003जीन-पियरे सेरे (Jean-Pierre Serre)फ्रांसटोपोलॉजी, बीजगणितीय ज्यामिति, और संख्या सिद्धांत को आधुनिक रूप देनाप्रथम आधिकारिक एबेल पुरस्कार
2004माइकल अतियाह (Michael Atiyah); इसाडोर सिंगर (Isadore Singer)यूके/अमेरिकाइंडेक्स प्रमेय: टोपोलॉजी, ज्यामिति, और भौतिकी के बीच सेतुसंयुक्त पुरस्कार; भौतिकी में स्ट्रिंग थ्योरी को प्रभावित किया
2005पीटर लैक्स (Peter Lax)हंगरी/अमेरिकाआंशिक अवकल समीकरणों का सिद्धांत और कम्प्यूटेशनल समाधानन्यूमेरिकल विश्लेषण में मौलिक योगदान
2006लेनार्ट कार्ल्सन (Lennart Carleson)स्वीडनहार्मोनिक विश्लेषण और डायनेमिकल सिस्टम्स में अग्रणी शोधकार्ल्सन की प्रमेय (L² अभिसरण) के लिए प्रसिद्ध
2007श्रीनिवास वर्धन (S. R. Srinivasa Varadhan)भारत/अमेरिकाप्रायिकता सिद्धांत, विशेषकर “लार्ज डेविएशन” का एकीकृत सिद्धांतस्टोकैस्टिक प्रक्रियाओं के गणितीय मॉडलिंग में योगदान
2008जॉन थॉम्पसन (John Thompson); जैक्स टिट्स (Jacques Tits)अमेरिका/फ्रांससमूह सिद्धांत में क्रांतिकारी शोध, विशेषकर सीमित समूहों का वर्गीकरणथॉम्पसन-टिट्स सिद्धांत के लिए प्रसिद्ध
2009मिखाइल ग्रोमोव (Mikhail Gromov)रूस/फ्रांसज्यामिति में अमूर्त संरचनाओं का विकास, सिंप्लेक्टिक ज्यामिति“हाइपरबोलिक ग्रुप्स” पर कार्य
2010जॉन टेट (John Tate)अमेरिकासंख्या सिद्धांत और बीजगणितीय ज्यामिति में दीर्घकालिक प्रभावटेट-शफ़रेविच समूह और p-विभाज्य समूहों के अध्ययन में योगदान
2011जॉन मिलनर (John Milnor)अमेरिकाटोपोलॉजी (7-स्फीयर), K-सिद्धांत, और गतिशील प्रणालियों में नवाचारमिलनर-थर्स्टन सिद्धांत के लिए प्रसिद्ध
2012एंड्रयू स्ज़ेमेरेडी (Endre Szemerédi)हंगरी/अमेरिकाअसतत गणित, कंप्यूटर विज्ञान, और एर्गोडिक सिद्धांत में योगदानस्ज़ेमेरेडी की प्रमेय (अंकगणितीय प्रगति) के लिए प्रसिद्ध
2013पियरे डेलिग्ने (Pierre Deligne)बेल्जियमवेइल अनुमानों का समाधान और बीजगणितीय ज्यामिति में परिवर्तनकारी योगदानमिशेल-रापोपोर्ट अनुमानों पर कार्य
2014याकोव सिनाई (Yakov Sinai)रूस/अमेरिकागतिशील प्रणालियों, एर्गोडिक सिद्धांत, और गणितीय भौतिकी में अनुप्रयोगसिनाई बिलियर्ड्स और एंट्रॉपी सिद्धांत के लिए प्रसिद्ध
2015जॉन नैश (John Nash); लुई निरेनबर्ग (Louis Nirenberg)अमेरिका/कनाडाअरेखीय आंशिक अवकल समीकरणों का सिद्धांत और ज्यामितीय विश्लेषणनैश-मोजर सिद्धांत और निरेनबर्ग-स्प्रक योगदान
2016एंड्रयू वाइल्स (Andrew Wiles)यूकेफ़र्मेट के अंतिम प्रमेय का प्रमाण और अर्ध-स्थिर दीर्घवृत्तीय वक्रों की मॉड्यूलरिटीसंख्या सिद्धांत में नए युग का सूत्रपात
2017यवेस मेयर (Yves Meyer)फ्रांसवेवलेट्स के गणितीय सिद्धांत का विकास और संख्यात्मक विश्लेषणछवि संपीड़न और सिग्नल प्रोसेसिंग में व्यावहारिक अनुप्रयोग
2018रॉबर्ट लैंगलैंड्स (Robert Langlands)कनाडा/अमेरिका“लैंगलैंड्स प्रोग्राम”: संख्या सिद्धांत और प्रतिनिधित्व सिद्धांत का एकीकरणस्वचालित रूपों और L-फ़ंक्शन्स के बीच संबंध स्थापित करना
2019करेन उहलेनबेक (Karen Uhlenbeck)अमेरिकाज्यामितीय आंशिक अवकल समीकरण, गेज सिद्धांत, और गणितीय भौतिकीप्रथम महिला एबेल पुरस्कार विजेता
2020हिलेल फुरस्टेनबर्ग (Hillel Furstenberg); ग्रेगरी मार्गुलिस (Gregory Margulis)इज़राइल/अमेरिकासमूह सिद्धांत, संख्या सिद्धांत, और कॉम्बिनेटरिक्स में प्रायिकता और डायनेमिक्स का उपयोगमार्गुलिस सुपररिजिडिटी और फुरस्टेनबर्ग की एर्गोडिक विधियाँ
2021लास्ज़्लो लोवास्ज़ (László Lovász); आविअ विगडरसन (Avi Wigderson)हंगरी/अमेरिकाकंप्यूटेशनल जटिलता, असतत गणित, और एल्गोरिदम सिद्धांत में योगदानPCP प्रमेय और ग्राफ़ सिद्धांत में निर्णायक शोध
2022डेनिस सुलिवन (Dennis Sullivan)अमेरिकाटोपोलॉजी (हाइपरबोलिक और कॉम्प्लेक्स), गतिशील प्रणालियों में अग्रणी शोधसुलिवन की न्यूनतम मॉडल्स और चरम समूह सिद्धांत
2023लुइस कैफ़रेली (Luis Caffarelli)अर्जेंटीना/अमेरिकाआंशिक अवकल समीकरणों की नियमितता सिद्धांत, मोंज-एम्पीयर समीकरणफ्री-बाउंड्री समस्याओं में अग्रणी कार्य
2024मिशेल टैलग्रांड (Michel Talagrand)फ्रांससंभाव्यता सिद्धांत, स्टोकेस्टिक प्रक्रियाओं, और गाऊसी प्रक्रियाओं का विश्लेषणहाई-डायमेंशनल स्पेस में अनुकूलन समस्याओं पर शोध
2025मासाकी काशीवारा (Masaki Kashiwara)जापानबीजगणितीय विश्लेषण, डी-मॉड्यूल्स, और क्रिस्टल बेस का विकासप्रतिनिधित्व सिद्धांत और क्वांटम समूहों में गहन योगदान

टिप्पणियाँ:

  1. देश: कई विजेताओं के दोहरे राष्ट्रीयता/संस्थान दिए गए हैं, जैसे एटल सेलबर्ग (नॉर्वे/अमेरिका) और लुइस कैफ़रेली (अर्जेंटीना/अमेरिका) ।
  2. योगदान: तकनीकी शब्दावली (जैसे “लैंगलैंड्स प्रोग्राम”, “वेइल अनुमान” “स्टोकेस्टिक”, “डी-मॉड्यूल्स” आदि) को अंग्रेजी में रखा गया है, क्योंकि ये गणितीय संदर्भों में मानक हैं।
  3. स्रोत: सारणी में उल्लिखित जानकारी विकिपीडिया, मैकट्यूटर इतिहास, और आधिकारिक एबेल पुरस्कार वेबसाइट के डेटा पर आधारित है।

एबेल पुरस्कार गणित की दुनिया में एक मील का पत्थर है। यह न केवल उत्कृष्टता को पहचान देता है, बल्कि गणितीय शोध को वैश्विक स्तर पर प्रोत्साहित करने का माध्यम भी बन गया है। करेन उहलेनबेक जैसी विजेताओं ने इसकी विविधता और समावेशिता को भी रेखांकित किया है। नॉर्वे सरकार और गणितज्ञ समुदाय के सहयोग से यह पुरस्कार आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा।

एबेल पुरस्कार का महत्व और प्रभाव

गणित को वैश्विक मंच
नोबेल पुरस्कारों में गणित की अनुपस्थिति को एबेल पुरस्कार ने पूरा किया है। यह पुरस्कार न केवल गणितज्ञों को प्रोत्साहित करता है, बल्कि जनसाधारण में गणित के प्रति रुचि जगाता है।

शैक्षणिक प्रेरणा
एबेल पुरस्कार से जुड़ी संगोष्ठियाँ और पुस्तक श्रृंखलाएँ (जैसे 2010 में शुरू की गई श्रृंखला) शोधकर्ताओं के लिए संसाधन का काम करती हैं।

बर्नट माइकल होल्म्बो मेमोरियल पुरस्कार
2005 में स्थापित बर्नट माइकल होल्म्बो मेमोरियल पुरस्कार शिक्षण में उत्कृष्टता को प्रोत्साहित करता है और एबेल के शिक्षक के नाम पर रखा गया है।

एबेल पुरस्कार से सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्य

  • एबेल पुरस्कार का नामकरण प्रसिद्ध नॉर्वेजियन गणितज्ञ नील्स हेनरिक एबल (1802–1829) के नाम पर किया गया है। एबल ने गणितीय विश्लेषण और बीजगणित में महत्वपूर्ण योगदान दिया, विशेष रूप से अनंत श्रृंखला (infinite series) और अबेल समीकरण (Abel’s Equation) के क्षेत्र में। हालांकि, उनकी असमय मृत्यु के कारण उनके कई कार्य अधूरे रह गए।
  • उनके योगदान के सम्मान में नॉर्वेजियन संसद ने 2002 में एबेल पुरस्कार की स्थापना की।
  • इस पुरस्कार की स्थापना एबल की 200वीं जयंती के अवसर पर की गई थी।
  • पहला एबेल पुरस्कार 2003 में प्रदान किया गया था
  • प्रथम एबेल पुरस्कार (Abel Prize) विजेता: जीन-पियरे सेरे (2003)
  • प्रथम महिला एबेल पुरस्कार (Abel Prize) विजेता: करेन उहलेनबेक (2019)
  • एबेल पुरस्कार का चयन नॉर्वेजियन अकादमी ऑफ साइंसेज एंड लेटर्स (Norwegian Academy of Science and Letters) द्वारा नियुक्त एक समिति द्वारा किया जाता है।
  • इस समिति को गणित के अंतरराष्ट्रीय संगठनों, जैसे कि इंटरनेशनल मैथमेटिकल यूनियन (IMU) और यूरोपीय गणितीय सोसायटी (EMS) से परामर्श प्राप्त होता है।
  • नकद पुरस्कार – इस पुरस्कार के अंतर्गत एक बड़ी धनराशि दी जाती है, जो गणितज्ञ के अनुसंधान को प्रोत्साहित करने के लिए होती है। 2025 में, इस पुरस्कार के अंतर्गत मिलने वाला मौद्रिक पुरस्कार राशि 7.5 मिलियन नॉर्वेजियन क्रोनर (लगभग US$ 873,000) है।
  • ग्लास पट्टिका (Glass Plaque) – यह विशेष रूप से नॉर्वेजियन कलाकार हेनरिक हौगन (Henrik Haugan) द्वारा डिज़ाइन की जाती है।
  • सम्मान समारोह – यह समारोह नॉर्वे के राजा की उपस्थिति में आयोजित किया जाता है।

एबेल पुरस्कार गणित के क्षेत्र में अत्यधिक प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक है। यह उन गणितज्ञों को सम्मानित करता है जिन्होंने गणितीय अनुसंधान को नए आयाम दिए हैं। 2025 में यह पुरस्कार मासाकी काशीवारा को प्रदान किया गया, जिन्होंने बीजगणितीय विश्लेषण और डी-मॉड्यूल्स में महत्वपूर्ण योगदान दिया। भारतीय गणितज्ञ एस.आर. श्रीनिवास वर्धन को 2007 में इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। यह पुरस्कार गणित के क्षेत्र में न केवल शोध को प्रेरित करता है, बल्कि गणितज्ञों को उनके योगदान के लिए वैश्विक पहचान भी दिलाता है।

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