कीट-आधारित पशुधन चारा | सतत पशुपालन की ओर एक क्रांतिकारी कदम

तेजी से बढ़ती जनसंख्या और खाद्य सुरक्षा की चुनौतियों के बीच पशुपालन विश्वभर में पोषण और आजीविका का महत्वपूर्ण आधार बना हुआ है। परंतु, बढ़ती मांगों को पूरा करने की होड़ में पारंपरिक पशु आहार के अत्यधिक प्रयोग ने न केवल प्राकृतिक संसाधनों पर बोझ बढ़ाया है, बल्कि एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस (AMR) जैसी गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य समस्या को भी जन्म दिया है। ऐसे में कीट-आधारित पशु आहार एक उभरता हुआ टिकाऊ और किफायती समाधान बनकर सामने आ रहा है, जो पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य दोनों के लिए लाभकारी सिद्ध हो सकता है।

इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कीट-आधारित पशुधन चारे की उपयोगिता, पोषण मूल्य, इसके एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस पर संभावित प्रभाव, तथा इसके सामाजिक-आर्थिक लाभ।

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एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस (AMR): एक अदृश्य वैश्विक संकट

AMR की परिभाषा

एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस (AMR) वह स्थिति है जब बैक्टीरिया, वायरस, फंगस और परजीवी समय के साथ दवाओं के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेते हैं, जिससे सामान्यत: प्रभावशाली रही दवाएं इन पर असर करना बंद कर देती हैं। परिणामस्वरूप, सामान्य संक्रमणों का इलाज करना कठिन हो जाता है और ये संक्रमण गंभीर रूप ले सकते हैं।

AMR की गंभीरता

आज AMR एक वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल बन चुका है। आंकड़ों के अनुसार:

  • हर वर्ष लगभग 7 लाख लोग AMR से संबंधित संक्रमणों के कारण अपनी जान गंवाते हैं।
  • यदि वर्तमान प्रवृत्ति जारी रही, तो 2050 तक यह संख्या 1 करोड़ वार्षिक मौतों तक पहुँच सकती है।
  • इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था को 8% तक GDP का नुकसान हो सकता है, जो विश्व की अर्थव्यवस्था पर एक विनाशकारी प्रभाव डालेगा।

पशुपालन और AMR के बीच संबंध

AMR का एक बड़ा कारण पशुपालन में एंटीबायोटिक्स का अत्यधिक और अनियंत्रित उपयोग है। वैश्विक स्तर पर उत्पादित एंटीबायोटिक्स का लगभग 50% से अधिक भाग पशुपालन में प्रयुक्त होता है। यह उपयोग केवल रोगों के इलाज तक सीमित नहीं है, बल्कि पशुओं की वृद्धि दर बढ़ाने और उत्पादन क्षमता को अधिक करने के लिए भी किया जाता है।

इस प्रकार के लगातार एंटीबायोटिक संपर्क से पशुओं की आंतों में मौजूद बैक्टीरिया में एंटीबायोटिक रेसिस्टेंस जीन (ARGs) विकसित हो जाते हैं। ये जीन खाद्य श्रृंखला, मिट्टी, जल स्रोत और सीधे मानव संपर्क के माध्यम से मनुष्यों तक पहुँच सकते हैं और स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न करते हैं।

कीट-आधारित पशु आहार: परिचय और विकास

कीट-आधारित आहार क्या है?

कीट-आधारित पशु आहार वह पोषण सामग्री है जिसे विशेष पोषण गुणों से भरपूर कीटों से तैयार किया जाता है। इनमें प्रमुख हैं:

  • ब्लैक सोल्जर फ्लाई (Black Soldier Fly)
  • क्रिकेट
  • मीलवर्म
  • ग्रासहॉपर

ये कीट प्रोटीन का उत्कृष्ट और पचने योग्य स्रोत होते हैं। कीट-आधारित आहार विशेषकर मुर्गीपालन, मत्स्य पालन और सुअर पालन में एक वैकल्पिक प्रोटीन स्रोत के रूप में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है।

विकास में भूमिका निभाने वाले संस्थान

भारत में कीट-आधारित पशु आहार के विकास में अनेक सरकारी और निजी संस्थान अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं:

  • भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने इस दिशा में व्यापक शोध कार्य किए हैं।
  • CIBA (केंद्रीय जलीय जीव पालन संस्थान) और CMFRI (केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान) ने मत्स्य पालन में इसके प्रयोग को बढ़ावा दिया है।
  • निजी क्षेत्र में Ultra Nutri India, Loopworm, Bhairav Renderers जैसी कंपनियों ने व्यावसायिक उत्पादन और वितरण की दिशा में प्रयास किए हैं।

कीट-आधारित आहार: पोषण संबंधी श्रेष्ठता

उच्च गुणवत्ता वाला प्रोटीन स्रोत

कीटों में प्रोटीन की मात्रा 40% से 70% तक हो सकती है, जो मछली के आटे (फिश मील) और सोया मील जैसे पारंपरिक प्रोटीन स्रोतों की तुलना में बराबर या अधिक होती है। कीट प्रोटीन की पाचन क्षमता भी अधिक होती है, जिससे पशुओं को ऊर्जा की अधिकतम प्राप्ति होती है।

आवश्यक अमीनो एसिड और वसा

कीटों में आवश्यक अमीनो एसिड (जैसे लाइसिन, मेथियोनिन) और लिपिड्स होते हैं, जो पशुओं की वृद्धि, प्रतिरक्षा और स्वास्थ्य के लिए जरूरी होते हैं। इनसे पशुओं में रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है और वृद्धि दर में सुधार होता है।

सूक्ष्म पोषक तत्व

कीटों में जिंक, आयरन, कैल्शियम जैसे महत्वपूर्ण सूक्ष्म पोषक तत्व भी प्रचुर मात्रा में होते हैं। यह विशेष रूप से उन क्षेत्रों में महत्वपूर्ण है जहां खनिजों की कमी वाले आहार से पशुओं को पोषण दिया जाता है।

कीट-आधारित आहार और AMR नियंत्रण

प्राकृतिक एंटीमाइक्रोबियल पेप्टाइड्स (AMPs)

कीटों में डिफेंसिन्स, सेक्रोपिन्स जैसे प्राकृतिक एंटीमाइक्रोबियल पेप्टाइड्स (AMPs) पाए जाते हैं। ये पेप्टाइड्स:

  • रोगजनक सूक्ष्मजीवों के विकास को रोकते हैं।
  • पशुओं की प्राकृतिक प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं।
  • संक्रमण की संभावना को घटाते हैं।

इससे पशुपालन में एंटीबायोटिक्स पर निर्भरता कम होती है और AMR पर नियंत्रण पाने में मदद मिलती है।

रोग निवारक दृष्टिकोण

कीट-आधारित आहार पशुओं को एक बेहतर पोषण और रोग निवारक सुरक्षा प्रदान करता है। इससे न केवल एंटीबायोटिक की आवश्यकता घटती है, बल्कि पशुओं का स्वास्थ्य भी बेहतर बना रहता है। इससे उत्पादन लागत घटती है और उत्पाद की गुणवत्ता भी बेहतर होती है।

पर्यावरणीय और आर्थिक लाभ

संसाधन दक्षता

कीट पालन में पारंपरिक पशु आहार उत्पादन की तुलना में कहीं कम भूमि, जल और ऊर्जा की आवश्यकता होती है। उदाहरण स्वरूप:

  • कीट पालन के लिए पारंपरिक प्रोटीन स्रोतों की तुलना में 50% से 90% तक कम जल की आवश्यकता होती है।
  • कीटों को जैविक अपशिष्ट पर पाला जा सकता है, जिससे अपशिष्ट प्रबंधन में भी मदद मिलती है।

आर्थिक लाभ

शोधों में पाया गया है कि कीट-आधारित आहार का लाभ-लागत अनुपात पारंपरिक फिश मील या सोया मील की तुलना में बेहतर होता है। स्थानीय स्तर पर उत्पादन से महंगे आयातित प्रोटीन स्रोतों पर निर्भरता घटती है, जिससे किसानों की आय में वृद्धि संभव है।

ग्रामीण आजीविका सृजन

कीट पालन ग्रामीण स्तर पर रोजगार के नए अवसर प्रदान करता है। इससे कुटीर उद्योगों को बढ़ावा मिलता है और महिला व युवा उद्यमियों के लिए स्वरोजगार की संभावनाएं उत्पन्न होती हैं।

चुनौतियाँ और भविष्य की दिशा

उपभोक्ता मानसिकता

कीट-आधारित उत्पादों के प्रति अभी भी उपभोक्ताओं में झिझक पाई जाती है, विशेषकर मानव खाद्य श्रृंखला में इसके अप्रत्यक्ष उपयोग को लेकर। इसे दूर करने के लिए जागरूकता अभियानों की आवश्यकता है।

नियामक ढांचा

भारत सहित कई देशों में कीट-आधारित आहार के उत्पादन और उपयोग पर स्पष्ट नीतिगत दिशानिर्देशों की आवश्यकता है ताकि गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

शोध और नवाचार

कीटों की नस्ल सुधार, पोषण संवर्धन और बड़े पैमाने पर उत्पादन तकनीकों पर और अधिक शोध आवश्यक है ताकि यह तकनीक व्यावसायिक रूप से और अधिक सफल हो सके।

कीट-आधारित पशु आहार सतत विकास, पर्यावरणीय संतुलन, आर्थिक लाभ और सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षा की दिशा में एक अभिनव पहल है। यह न केवल पशुपालन की लागत को कम कर सकता है, बल्कि एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस जैसी वैश्विक स्वास्थ्य समस्या को भी नियंत्रित करने में सहायक हो सकता है।

आवश्यकता है कि सरकार, उद्योग और अनुसंधान संस्थान मिलकर कीट-आधारित आहार को मुख्यधारा में लाने के लिए सहयोग करें, ताकि यह तकनीक छोटे और मध्यम किसानों तक पहुँच सके और एक सतत एवं सुरक्षित भविष्य की आधारशिला रख सके।

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