भारत की प्रमुख कृषि क्रांति, उत्पादन और उनके जनक

भारत की कृषि और उद्योगों में पिछले कुछ दशकों में कई क्रांतियाँ आई हैं। इन कृषि क्रांति एवं औद्योगिक क्रांति ने देश को न केवल आत्मनिर्भर बनाया है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अपनी एक अलग पहचान बनाई है। ये क्रांतियाँ विभिन्न कृषि उत्पादों और संबंधित उद्योगों के विकास पर केंद्रित रही हैं, जिन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है।

भारत की प्रमुख कृषि क्रांति एवं औद्योगिक क्रांति, उत्पादन और उनके जनक के नाम निम्नलिखित सारणी में दिए गए हैं –

भारत की कृषि एवं औद्योगिक क्रांति एवं उत्पादन | Agricultural and Industrial Revolutions

क्र. सं.क्रांतिउत्पादन
1हरित क्रांतिखाद्यान्न
2श्वेत क्रांतिदुग्ध
3नीली क्रांतिमत्स्य
4भूरी क्रांतिउर्वरक
5रजत क्रांतिअंडा
6पीली क्रांतितिलहन
7कृष्ण क्रांतिबायोडीजल
8लाल क्रांतिटमाटर/मांस
9गुलाबी क्रांतिझींगा मछली
10बादामी क्रांतिमासाला
11सुनहरी क्रांतिफल
12अमृत क्रांतिनदी जोड़ों परियोजनाएं
13धुसर/स्लेटी क्रांतिसीमेंट
14गोल क्रांतिआलु
15इंद्रधनुषीय क्रांतिसभी क्रांतियों पर निगरानी
16सनराइज/सुर्योदय क्रांतिइलेक्ट्रॉनिक उधोग
17गंगा क्रांतिभ्रष्टाचार के खिलाफ सदाचार
18सदाबहार क्रांतिजैव तकनीकी
19सेफ्रॉन क्रांतिकेसर उत्पादन
20स्लेटी/ग्रे क्रांतिउर्वरकों के उत्पादन
21हरित सोना क्रांतिबाँस उत्पादन
22मूक क्रांतिमोटे अनाजों
23परामनी क्रांतिभिन्डी
24ग्रीन गॉल्ड क्रांतिचाय
25खाद्द श्रंखला क्रांतिभारतीय कृषकों की 2020 तक आमदनी
26खाकी क्रांतिचमड़ा
27व्हाइट गॉल्ड क्रांतिकपास (तीसरी क्रांति)
28N.H.क्रान्तिस्वर्णिम चतुर्भुज योजना

भारत की प्रमुख कृषि क्रांति एवं उनके जनक

क्र. सं.क्रांति जनक
1हरित क्रांतिM.S. स्वामीनाथन
2नीली क्रांतिअरुण कृष्णन
3श्वेत क्रांतिडॉ वर्गीज कुरियन
4प्रेरित प्रजनन क्रांतिहीरा लाल चौधरी
5गुलाबी क्रांतिदुर्गेश पटेल
6स्वर्णिम क्रांतिनिर्पख तुतेज
7लाल क्रांतिविशाल तिवारी
8सिल्वर क्रांतिइंदिरा गाँधी
9इंद्रधनुष क्रांतिडॉ. आरएस परोदा और डॉ. एन.एन. सिंह
10पीली क्रांतिसैम पित्रोदा
  • भारत में हरित क्रांति के जनक M.S. स्वामीनाथन हैं।
  • विश्व में हरित क्रांति के जनक नार्मन बोरलोग हैं।

विभिन्न क्रांति एवं उनके उद्देश्य | कृषि और उद्योग में आत्मनिर्भरता की ओर एक कदम

भारत की प्रमुख कृषि क्रांतियाँ: उत्पादन और विकास की कहानी

भारत, एक कृषि प्रधान देश, ने कृषि क्षेत्र में क्रांतियों के माध्यम से जबरदस्त प्रगति की है। इन क्रांतियों ने न केवल खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि की है, बल्कि किसानों की आर्थिक स्थिति को भी बेहतर बनाया है। ये क्रांतियाँ कृषि, मत्स्य पालन, दुग्ध उत्पादन, और अन्य संबंधित क्षेत्रों में विकास और नवाचार को प्रेरित करती हैं। यहाँ हम कृषि क्रांतियों के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

1. हरित क्रांति (Green Revolution)

हरित क्रांति ने भारत को खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह क्रांति 1960 के दशक में शुरू हुई और इसके तहत उन्नत किस्म के बीजों, सिंचाई प्रौद्योगिकी, रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग को प्रोत्साहित किया गया। इस क्रांति ने गेहूं और चावल जैसे मुख्य खाद्यान्नों की पैदावार को बढ़ाकर भारत को खाद्यान्न के संकट से उबारा। हरित क्रांति की वजह से भारत एक खाद्यान्न आयातक देश से खाद्यान्न निर्यातक देश बन गया, और यह क्रांति कृषि के क्षेत्र में तकनीकी सुधार का प्रतीक बनी।

2. श्वेत क्रांति (White Revolution)

श्वेत क्रांति को भारत में दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में क्रांति के रूप में जाना जाता है। इसे ‘ऑपरेशन फ्लड’ भी कहा जाता है, जिसे वर्गीज कुरियन के नेतृत्व में शुरू किया गया। इस क्रांति ने भारत को दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश बना दिया और डेयरी उद्योग को आत्मनिर्भर और सशक्त किया। इस क्रांति ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत किया और किसानों को अतिरिक्त आय के अवसर प्रदान किए।

3. नीली क्रांति (Blue Revolution)

नीली क्रांति ने मत्स्य पालन और जलीय कृषि को बढ़ावा दिया। इसके तहत समुद्री और अंतर्देशीय मत्स्य पालन को प्रोत्साहन मिला, जिससे मछुआरों की आजीविका में सुधार हुआ और भारत एक प्रमुख मत्स्य उत्पादक देश के रूप में उभरा। यह क्रांति मछलियों और अन्य समुद्री उत्पादों की पैदावार में वृद्धि के साथ-साथ उनकी गुणवत्ता सुधारने में भी सहायक साबित हुई।

4. पीली क्रांति (Yellow Revolution)

पीली क्रांति का संबंध तिलहन उत्पादन से है, जिसने भारत को तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने में मदद की। 1990 के दशक में भारत ने वार्षिक तिलहन फसलों से 25 मिलियन टन उत्पादन का रिकॉर्ड बनाया, जिससे देश तेल आयातक से तेल निर्यातक बन गया। इस क्रांति ने भारत की खाद्य तेल आवश्यकता को पूरा करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया और किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया।

5. रजत क्रांति (Silver Revolution)

रजत क्रांति का संबंध अंडा उत्पादन से है। इस क्रांति ने अंडे के उत्पादन में वृद्धि कर भारत को प्रमुख अंडा उत्पादक देश बना दिया। इस क्रांति के तहत मुर्गी पालन में आधुनिक तकनीकों का उपयोग, उच्च पोषक आहार और चिकित्सा विज्ञान के विकास के कारण अंडे की पैदावार में वृद्धि हुई। इससे अंडा किसानों की आय में सुधार हुआ और प्रोटीन के एक सस्ते स्रोत के रूप में अंडे की उपलब्धता बढ़ी।

6. सुनहरी क्रांति (Golden Revolution)

सुनहरी क्रांति का समय 1991 से 2003 तक का माना जाता है। इस क्रांति ने भारत को फलों के उत्पादन में दुनिया का अग्रणी देश बना दिया। भारत इस अवधि के दौरान केले, आम और अन्य फलों के उत्पादन में विश्व नेता बन गया। इस क्रांति ने किसानों को एक स्थायी आजीविका का साधन दिया और पोषण के बेहतर विकल्प प्रदान किए। सुनहरी क्रांति ने न केवल उत्पादन में वृद्धि की बल्कि फलों की गुणवत्ता और संरक्षण को भी बढ़ावा दिया।

7. भूरी क्रांति (Brown Revolution)

भूरी क्रांति का मुख्य उद्देश्य कॉफी उत्पादन को प्रोत्साहित करना था, विशेषकर समाजिक और पर्यावरणीय दृष्टि से जिम्मेदार कॉफी उत्पादन। यह क्रांति विशाखापत्तनम के आदिवासी क्षेत्रों में केंद्रित थी, जहां कॉफी की खेती स्थानीय लोगों के लिए एक नई आजीविका का साधन बनी। इसके तहत पर्यावरण-संवेदनशील तरीकों का उपयोग कर कॉफी का उत्पादन किया गया, जिससे न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल मिला बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी भारत को एक नई पहचान मिली।

8. गुलाबी क्रांति (Pink Revolution)

गुलाबी क्रांति मांस और मुर्गी पालन के क्षेत्र में तकनीकी क्रांति को दर्शाती है। इस क्रांति के तहत भारत में मांस और मुर्गी उत्पादों के उत्पादन और निर्यात में वृद्धि हुई। आधुनिक प्रसंस्करण तकनीकों और बेहतर पशुपालन पद्धतियों के कारण मांस उत्पादन के क्षेत्र में बड़े बदलाव आए। गुलाबी क्रांति ने मांस उद्योग को एक संगठित और वैश्विक मानकों के अनुरूप बना दिया।

9. कृष्ण क्रांति (Black Revolution)

कृष्ण क्रांति का उद्देश्य पेट्रोलियम उत्पादन को बढ़ावा देना था, जिसमें बायोडीजल के उत्पादन और पेट्रोल के साथ एथेनॉल के मिश्रण को बढ़ावा दिया गया। एथेनॉल, जो गन्ने से बनने वाले शीरे का उप-उत्पाद है, एक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है। इस क्रांति का मुख्य उद्देश्य पेट्रोल के साथ एथेनॉल के मिश्रण से ईंधन उत्पादन को सस्ता और पर्यावरण के अनुकूल बनाना था। एथेनॉल के मिश्रण से न केवल हाइड्रोकार्बन संसाधनों की कमी को पूरा किया जा सकता है, बल्कि यह प्रदूषकों को भी कम करता है और बेहतर दहन प्रक्रिया सुनिश्चित करता है।

10. ग्रे क्रांति (Grey Revolution)

ग्रे क्रांति उर्वरकों के उत्पादन से संबंधित है। इस क्रांति ने हरित क्रांति के दुष्प्रभावों को दर्शाया, विशेषकर तब जब नई कृषि तकनीकों और उपकरणों का दुरुपयोग होता है। इसका मुख्य उद्देश्य किसानों को जागरूक करना और उर्वरकों के संतुलित उपयोग को प्रोत्साहित करना था, ताकि भूमि की उर्वरता बनी रहे और पर्यावरणीय समस्याओं से बचा जा सके।

11. सुनहरा फाइबर क्रांति (Golden Fiber Revolution)

सुनहरा फाइबर क्रांति का संबंध जूट उत्पादन से है। औद्योगिक क्रांति के दौरान जूट का उपयोग कपड़ा उद्योग में कच्चे माल के रूप में किया जाने लगा, और आज भी इसे मजबूत धागों और जूट उत्पादों के निर्माण में उपयोग किया जाता है। इस क्रांति ने जूट उद्योग को बढ़ावा देकर इसे एक प्रमुख निर्यातक उद्योग बना दिया और रोजगार के अवसर भी बढ़ाए।

12. ऑपरेशन ग्रीन्स (Operation Greens)

ऑपरेशन ग्रीन्स का उद्देश्य टमाटर, प्याज, और आलू (TOP फसलों) के उत्पादन को बढ़ावा देना था। 2018-2019 के केंद्रीय बजट में लॉन्च किया गया यह कार्यक्रम ऑपरेशन फ्लड की तर्ज पर तैयार किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य TOP फसलों की मूल्य श्रृंखला को संगठित करना और किसानों को उचित मूल्य दिलाना था। इससे किसानों की आय में वृद्धि और उपभोक्ताओं को सस्ते दर पर सब्जियाँ उपलब्ध हो सकीं।

भारतीय कृषि क्रांतियाँ न केवल उत्पादन और आर्थिक विकास के प्रतीक हैं, बल्कि ये देश की खाद्य सुरक्षा, पोषण, और स्थायी आजीविका सुनिश्चित करने के लिए भी महत्त्वपूर्ण हैं। हर क्रांति ने अपनी अलग-अलग चुनौतियों और अवसरों के साथ कृषि और संबंधित क्षेत्रों में नवाचार को बढ़ावा दिया है। ये क्रांतियाँ भारतीय किसानों की मेहनत, वैज्ञानिक प्रयासों, और सरकार की नीतियों के सफल समन्वय का परिणाम हैं।

इन क्रांतियों ने भारत को कृषि और अन्य संबंधित क्षेत्रों में वैश्विक नेता बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वे न केवल उत्पादन बढ़ाने में सहायक रही हैं, बल्कि उन्होंने पर्यावरणीय स्थिरता, सामाजिक उत्तरदायित्व, और किसानों की आर्थिक सशक्तिकरण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत की कृषि क्रांतियाँ आने वाले समय में भी नई तकनीकों और नीतियों के साथ देश की कृषि प्रगति में मील के पत्थर साबित होंगी।


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