भारत की कॉन्सर्ट अर्थव्यवस्था मनोरंजन से आगे बढ़कर रोजगार और आर्थिक वृद्धि का प्रमुख स्रोत बन रही है। NLB सर्विसेज के अनुसार, यह उद्योग 2032 तक 1.2 करोड़ नौकरियों का सृजन करेगा। लाइव इवेंट्स अब महानगरों से निकलकर टियर-2 और टियर-3 शहरों में स्थानीय युवाओं को अवसर दे रहे हैं। कोल्डप्ले जैसे कॉन्सर्ट्स ने हजारों लोगों को रोजगार और शहरों की अर्थव्यवस्था को बड़ा बढ़ावा दिया है। जानिए कैसे भारत की संगीत संस्कृति अब आर्थिक क्रांति का हिस्सा बन रही है।
मनोरंजन की बदलती परिभाषा
मनोरंजन अब सिर्फ एक शाम के सुकून या कुछ घंटों के मौज-मस्ती तक सीमित नहीं रहा। भारत में लाइव कॉन्सर्ट उद्योग तेजी से एक व्यापक और सतत आर्थिक गतिविधि के रूप में विकसित हो रहा है। संगीत, तकनीक, डिजिटल प्रचार और पर्यटन के संगम से उत्पन्न यह ‘कॉन्सर्ट इकोनॉमी’ अब रोजगार, आर्थिक वृद्धि और सांस्कृतिक प्रभाव का सशक्त केंद्र बन चुकी है।
2025 से 2032 के बीच भारत की यह उभरती हुई कॉन्सर्ट अर्थव्यवस्था करीब 1.2 करोड़ नई नौकरियों का सृजन करने की दिशा में अग्रसर है, जो न केवल महानगरों बल्कि टियर-2 और टियर-3 शहरों में भी स्थानीय युवाओं के लिए वरदान साबित हो रही है।
लाइव कॉन्सर्ट उद्योग का विस्तार: महानगरों से छोटे शहरों तक
परंपरागत रूप से भारत का लाइव म्यूज़िक और एंटरटेनमेंट उद्योग दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और हैदराबाद जैसे मेट्रो शहरों तक सीमित था। लेकिन डिजिटल पहुंच, बुनियादी ढांचे में सुधार और ब्रांड्स की रणनीतिक रुचि के चलते अब यह उद्योग गुवाहाटी, जयपुर, लखनऊ, कोच्चि, भुवनेश्वर, नागपुर और चंडीगढ़ जैसे छोटे शहरों में भी अपनी पैठ बना चुका है।
इस बदलाव के पीछे कई कारक जिम्मेदार हैं:
- बेहतर परिवहन और कनेक्टिविटी (हवाई, रेल और सड़क मार्ग का विस्तार)
- युवा और आकांक्षी जनसंख्या, जो वैश्विक ट्रेंड्स को अपनाने को तैयार है
- सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की बढ़ती पहुंच, जिसने प्रचार को सस्ता और प्रभावी बनाया है
- ब्रांड मार्केटिंग का रुझान, जो क्षेत्रीय बाजारों को भुनाने के लिए लाइव इवेंट्स को अपनाते हैं
कॉन्सर्ट्स से रोजगार सृजन: भारत के युवाओं के लिए अवसर
NLB सर्विसेज की एक रिपोर्ट के अनुसार, हर एक बड़े कॉन्सर्ट से औसतन 15,000 से 20,000 अस्थायी नौकरियां उत्पन्न होती हैं। ये नौकरियां केवल एक दिन के आयोजन तक सीमित नहीं होती, बल्कि प्री-इवेंट प्लानिंग से लेकर पोस्ट-इवेंट रिपोर्टिंग तक फैली होती हैं।
मुख्य रोजगार क्षेत्र:
- भीड़ नियंत्रण और सुरक्षा सेवाएं
- आतिथ्य सेवाएं (हॉस्पिटैलिटी)
- लॉजिस्टिक्स और ट्रांसपोर्टेशन
- डिजिटल मीडिया और मार्केटिंग
- इवेंट प्रोडक्शन और साउंड इंजीनियरिंग
- टिकटिंग, डेटा एनालिटिक्स और कस्टमर इंटरेक्शन
- आर्टिस्ट मैनेजमेंट और कोऑर्डिनेशन
इन नौकरियों में से लगभग 10–15% अब स्थायी रोजगार के रूप में परिवर्तित हो रही हैं, विशेषकर डिजिटल मार्केटिंग, ऑडियो-वीडियो टेक्नोलॉजी, और प्रोडक्शन मैनेजमेंट जैसे क्षेत्रों में।
स्थानीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव: जब संगीत बनता है आर्थिक इंजन
लाइव कॉन्सर्ट्स के आर्थिक प्रभाव केवल टिकट बिक्री तक सीमित नहीं होते। यह एक पूरी स्थानीय अर्थव्यवस्था को गति देने वाला इंजन बनता जा रहा है।
कोल्डप्ले के अहमदाबाद कॉन्सर्ट (2024): एक केस स्टडी
- ₹641 करोड़ का स्थानीय आर्थिक योगदान
- ₹72 करोड़ जीएसटी संग्रहण
- फ्लाइट्स और होटल्स की फुल बुकिंग
- रेस्तरां और कैफे में 300% तक अधिक भीड़
- स्थानीय MSMEs और स्ट्रीट वेंडर्स की बिक्री में उल्लेखनीय वृद्धि
- टैक्सी, ऑटो और राइड-हेलिंग सेवाओं की मांग में बूम
इस उदाहरण से स्पष्ट है कि बड़े कॉन्सर्ट्स पर्यटन को बढ़ावा देने, MSMEs को प्रोत्साहन देने और जीएसटी संग्रहण के माध्यम से सरकारी राजस्व बढ़ाने में सक्षम हैं।
2032 तक 1.2 करोड़ नौकरियों की संभावना
2030 से 2032 के बीच भारत की कॉन्सर्ट इकोनॉमी में जो उछाल आएगा, उसके पीछे निम्नलिखित कारक होंगे:
- बढ़ती डिजिटलीकरण और लाइव स्ट्रीमिंग सेवाएं
- रूरल और सेमी-अर्बन क्षेत्रों में ब्रॉडबैंड विस्तार
- कॉर्पोरेट ब्रांड्स की ओर से इवेंट मार्केटिंग में निवेश
- स्थानीय कलाकारों और सांस्कृतिक महोत्सवों को बढ़ावा
- इंटरनेशनल टूरिंग बैंड्स और प्रमोटर्स की रुचि
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सरकार और उद्योग एक साथ मिलकर स्किलिंग और बुनियादी ढांचे में निवेश करें, तो यह 1.2 करोड़ नौकरियों का लक्ष्य प्राप्त करना संभव है।
उद्योग की चुनौतियाँ: प्रतिभा और टेक्नोलॉजी में अंतर
हालांकि संभावनाएं बहुत हैं, लेकिन यह उद्योग कुछ गहरी चुनौतियों से भी जूझ रहा है:
- कुशल पेशेवरों की कमी –
लाइव प्रोडक्शन, साउंड और लाइट इंजीनियरिंग जैसे तकनीकी क्षेत्रों में प्रशिक्षित स्टाफ की भारी कमी है। - प्रशिक्षण और प्रमाणन की अनुपस्थिति –
टियर-2 और टियर-3 शहरों में युवाओं के पास औपचारिक ट्रेनिंग का अवसर नहीं है, जिससे गुणवत्ता प्रभावित होती है। - अस्थिरता और सीज़नलिटी –
कुछ आयोजनों की प्रकृति मौसमी होती है, जिससे लगातार रोजगार सुनिश्चित करना कठिन हो जाता है। - टिकटिंग और तकनीकी समाधान –
कई आयोजनों में आधुनिक टिकटिंग प्रणाली की कमी, डेटा चोरी और ब्लैक मार्केटिंग की आशंका को जन्म देती है।
स्किलिंग और प्रशिक्षण की आवश्यकता
इस सेक्टर में दीर्घकालिक स्थायित्व और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है:
- इवेंट मैनेजमेंट संस्थानों की स्थापना
- ऑनलाइन सर्टिफिकेशन प्रोग्राम्स का विस्तार
- सरकारी-निजी भागीदारी में स्किल हब्स की स्थापना
- टियर-2 और टियर-3 शहरों में क्षेत्रीय भाषा में प्रशिक्षण
इस प्रकार, युवाओं को न केवल रोजगार मिलेगा, बल्कि वे वैश्विक मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व करने लायक प्रतिभा भी विकसित कर पाएंगे।
कॉर्पोरेट और सरकारी समर्थन: बदलाव की कुंजी
सरकार और कॉर्पोरेट जगत की भागीदारी इस क्षेत्र को औपचारिक अर्थव्यवस्था में स्थान दिला सकती है:
- राज्य सरकारों द्वारा इवेंट्स को प्रोत्साहन (टैक्स सब्सिडी, स्थल उपलब्धता)
- बुनियादी ढांचे का विकास (ओपन एयर स्टेडियम्स, कनेक्टिविटी)
- CSR के तहत सांस्कृतिक इवेंट्स में निवेश
- GST और आयकर नीति में सुधार
उदाहरण: महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और गोवा जैसे राज्यों ने सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देने हेतु नीतिगत बदलाव किए हैं।
विशेषज्ञों की राय: भविष्य की दिशा
सचिन आलुग, CEO, NLB Services
“लाइव इवेंट्स अब केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि युवा सशक्तिकरण और रोजगार के औपचारिककरण का माध्यम बन चुके हैं। यह एक सतत आर्थिक गतिविधि है जो पूरे वर्ष चलती है।”
नमन पुगलिया, Chief Business Officer – Live Events, BookMyShow
“भारत का लाइव एंटरटेनमेंट अब ग्लोबल मानचित्र पर अपनी पहचान बना चुका है। कोल्डप्ले के कॉन्सर्ट में 15,000 से अधिक नौकरियाँ उत्पन्न हुईं, जिनमें से 9,000 से अधिक स्थानीय लोगों को मिलीं।”
निष्कर्ष: भारत की नई सांस्कृतिक-आर्थिक क्रांति
कॉन्सर्ट इकोनॉमी भारत में रोजगार और आर्थिक विकास का एक नया इंजन बनकर उभर रही है। यह न केवल युवाओं के लिए रोज़गार के अवसर उत्पन्न कर रही है, बल्कि भारत के सांस्कृतिक वैभव को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत करने का भी मंच बन रही है।
2032 तक 1.2 करोड़ नौकरियों का सृजन एक बड़ी उपलब्धि होगी, लेकिन इसके लिए आवश्यक है:
- संरचित नीति निर्माण
- टेक्नोलॉजी और प्रशिक्षण में निवेश
- स्थानीय प्रतिभाओं का सशक्तिकरण
- सरकार और उद्योग की साझा जिम्मेदारी
यदि यह सब सही दिशा में होता है, तो निःसंदेह भारत की कॉन्सर्ट इकोनॉमी आने वाले दशक की सबसे चमकदार आर्थिक कहानियों में से एक होगी।
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