भारत पर ब्रिटिश शासन एक व्यापारिक इकाई के रूप में उस समय शुरू हुआ जब 31 दिसंबर, 1600 ई. को ईस्ट इंडिया कंपनी ने महारानी एलिज़ाबेथ प्रथम से रॉयल चार्टर प्राप्त किया। लगभग तीन शताब्दियों की समयावधि के भीतर ब्रिटिश शासन एक व्यापारिक शक्ति से परिवर्तित होकर दुनिया की सबसे बड़ी राजनितिक शक्तियों में से एक बन गया।
एक छोटा सा द्वीपीय देश होने के बावजूद ब्रिटेन अपने आप को दुनिया में सबसे बड़े साम्राज्यों में से एक के रूप में स्थापित होने में सक्षम कर पाया। ब्रिटेन के बारे में अक्सर कहा जाता है कि ‘ब्रिटेन ऐसा साम्राज्य था जिसका सूर्य कभी अस्त नहीं होता था’।
यह उपलब्धि ब्रिटेन ने अपने उपनिवेशों की मज़बूत एवं कुशल नौकरशाही की पृष्ठभूमि बनाकर हासिल की। भारत में ब्रिटेन ने इस पर ब्रिटिश गवर्नर-जनरल और वायसराय के माध्यम से नियंत्रण स्थापित किया। भारत के पहले गवर्नर-जनरल के रूप में विलियम वेंटिक को नियुक्त किया गया था, और लॉर्ड कैनिंग को भारत का पहला वायसराय नियुक्त किया गया था। तो वही चक्रवर्ती राजगोपालाचारी ने भारत के अंतिम गवर्नर-जनरल के रूप में कार्य किया। तथा लॉर्ड लुइस माउंटबेटन भारत के आखिरी वायसराय के रूप में तैनात थे।
भारत में ब्रिटिश शासन का इतिहास
ब्रिटिश राज 1858 और 1947 के बीच भारतीय उपमहाद्वीप पर ब्रिटिश द्वारा शासन था। क्षेत्र जो सीधे ब्रिटेन के नियंत्रण में था जिसे आम तौर पर समकालीन उपयोग में “इंडिया” कहा जाता था- उसमें वो क्षेत्र शामिल थे जिन पर ब्रिटेन का सीधा प्रशासन था जैसे कि समकालीन, “ब्रिटिश इंडिया” और वो रियासतें जिन पर व्यक्तिगत शासक राज करते थे पर उन पर ब्रिटिश क्राउन की सर्वोपरिता थी।
ब्रिटिश राज गोवा और पुदुचेरी जैसे अपवादों को छोड़कर वर्तमान समय के लगभग सम्पूर्ण भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश तक विस्तृत था। विभिन्न समयों पर इसमें अदन (1858 से 1937 तक), लोवर बर्मा (1858 से 1937 तक), अपर बर्मा (1886 से 1937 तक), ब्रितानी सोमालीलैण्ड (1884 से 1898 तक) और सिंगापुर (1858 से 1867 तक) को भी शामिल किया जाता है।
बर्मा को भारत से अलग करके 1937 से 1948 में इसकी स्वतंत्रता तक ब्रिटानी ताज के अधिन सीधे ही शासीत किया जाता था। फारस की खाड़ी के त्रुशल स्टेट्स को भी 1946 तक सैद्धान्तिक रूप से ब्रितानी भारत की रियासत माना जाता था और वहाँ मुद्रा के रूप में रुपया काम में लिया जाता था। इसकी शुरुआत बक्सर के युद्ध के बाद से होती है।
बक्सर के युद्ध में जीत के बाद अंग्रेजों की इच्छाएं और ज्यादा बढ़ने लगती है और वे बंगाल से अपना पूरा फायदा लेने के बारे में सोचते हैं और इसलिए रॉबर्ट क्लाइव द्वारा बंगाल में 1765 में “द्वैध शासन प्रणाली” को लागू कर दिया जाता है। इस द्वैध शासन प्रणाली में अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी कार्यों का सारा बोझ बंगाल के नवाब के ऊपर ड़ाल देती है और राजस्व के सारे अधिकार अपने पास रख लेती है जैसे टैक्स वसूलना और व्यापार करना। इस प्रकार से रॉबर्ट क्लाइव बंगाल का गवर्नर बन जाता है।
ईस्ट इंडिया कंपनी का भारत पर शासन करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण पद गवर्नर जनरल का था। 1857 की क्रांति के बाद में ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन को समाप्त करके भारत पर ब्रिटिश साम्राज्य का औपनिवेशिक शासन चला, जिसका नेतृत्व वायसराय करते थे।
अर्थात दोनों पदों में ज्यादा अंतर नहीं है यह वह सर्वोच्च पद हैं, जिनके जरिए अंग्रेजों ने भारत पर शासन किया था।
बंगाल के गवर्नर
रॉबर्ट क्लाइव बंगाल का पहला गवर्नर बनता है रॉबर्ट क्लाइव द्वारा बंगाल में 1765 में “द्वैध शासन प्रणाली” को लागू कर दिया जाता है।
रॉबर्ट क्लाइव (1757-1760 ई. एवं पुनः 1765-1767 ई.)
इसने बंगाल में द्वैद शासन की व्यवस्था की, जिसके तहत राजस्व वसूलने, सैनिक संरक्षण एवं विदेशी मामले कंपनी के अधीन थे, जबकि शासन चलने की जिम्मेदारी नवाब के हाथों में थी। राबर्ट क्लाइव ने मुग़ल सम्राट शाह आलम द्वितीय को इलाहबाद की द्वितीय संधि (1765 ई. ) के द्वारा कंपनी के संरक्षण में ले लिया। राबर्ट क्लाइव ने बंगाल के समस्त क्षेत्र के लिए दो उप दीवान, बंगाल के लिए मुहम्मद रज़ा खां और बिहार क्र लिए रजा शिताब राय को नियुक्त किया।
राबर्ट क्लाइव के बाद बंगाल के अन्य गवर्नर बरेलास्ट (1767-69 ई.), कार्टियर (1769-72 ई.), वारेन हेस्टिंग्स (1772-74 ई.) तक रहे। रेगुलेटिंग एक्ट 1773 ई. के अनुसार बंगाल के गवर्नर को अब अंग्रेजी क्षेत्रों का गवर्नर जनरल कहा जाने लगा। जिसका कार्यकाल पांच वर्षों का निर्धारित किया गया। मद्रास एवं बंबई के गवर्नर को इसके अधीन कर दिया गया।
इस प्रकार भारत में कंपनी के अधीन प्रथम गवर्नर जनरल वारेन हेन्सिंग्स (1774-85 ई.) हुआ। वारेन हेन्सिंग्स 1750 ई. में कंपनी में एक कलर्क के रुप में कलकत्ता आया था। यह अपनी कार्यकुशलता के कारण सबसे पहले कासिम बाज़ार का अध्यक्ष फिर बंगाल का गवर्नर एवं उसके बाद कंपनी का गवर्नर जनरल बन गया।
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बंगाल के गवर्नर जनरल
बंगाल के गवर्नर को ही रेग्युलेटिंग एक्ट 1773 के तहत भारत का गवर्नर जनरल बना दिया गया और इसके अधीन मद्रास एवं बंबई के गवर्नर को कर दिया गया। साथ ही साथ गवर्नर जनरल का कार्यकाल पांच वर्षों का निर्धारित किया गया। अर्थात अब बंगाल के गवर्नर का पद का दायरा बढ़ा कर के उसको गवर्नर जनरल बना दिया गया। जो कि पूरे भारत का गवर्नर जनरल बन गया, और इसके अधीन बाकी के सभी गवर्नर को कर दिया गया। और गवर्नर जनरल का कार्यकाल पांच वर्ष निर्धारित कर दिया गया ।
जब बंगाल के गवर्नर को गवर्नर जनरल बनाया गया उस समय बंगाल का गवर्नर वारेन हेन्सिंग्स था, इस प्रकार से वारेन हेन्सिंग्स अब बंगाल के गवर्नर से बंगाल का गवर्नर जनरल बन गया और वह बंगाल का पहला गवर्नर जनरल और आखिरी गवर्नर कहलाया।
वारेन हेन्सिंग्स (1774-85 ई.)
- वारेन हेन्सिंग्स ने राजकीय कोषागार को मुर्शिदाबाद से हटाकर कलकता कर दिया।
- 1772 ई. में इसने प्रत्येक जिले में एक फौजदारी तथा दीवानी अदालतों की स्थापना की। फौजदारी अदालतें सदर निजामत अदालत द्वारा निरीक्षित होती थी। नाजिम द्वारा नाजिम द्वारा नियुक्त दरोगा अदालत की अध्यक्षता करता था। दीवानी अदालत में कलक्टर मुख्या न्यायधीश होता था जिला फौजदारी अदालत एक भारतीय अधिकारी के अधीन होती थी, जिसकी सहायता के लिए एक मुफ़्ती और एक काजी होता था। कलक्टर इस न्यायालय के कार्य की देखभाल करता था।
- कलकत्ता में एक सदर दीवानी अदालत और एक सदर फौजदारी अदालत कि स्थापना की गई। सदर दीवानी अदालत में कलकत्ता काउंसिल का सभापति और उसी काउन्सिल का दो सदस्य राय रायन और मुख्य कानूनगो की सलाह से न्याय करते थे। सदर फौजदारी अदालत में नाइब निजाम, मुख्य काजी,मुफ़्ती और तीन मौलवियों के सलाह से न्याय करते थे।
- दीवानी मुकदमों में जातीय कानून अर्थात हिन्दुओं के सम्बन्ध में हिन्दू कानून और मुसलमानों के लिए मुस्लिम कानून लागू किया जाता था।जबकि फौजदारी मुकदमों में मुस्लिम कानून लागु किया जाता था।
- 1772 में कोर्ट ऑफ़ डायरेक्टर्स ने द्वैद प्रणाली को समाप्त करने के लिए तथा कंपनी को बंगाल, बिहार तथा उड़ीसा प्रान्त की शासन व्यवस्था का उत्तरदायित्व सँभालने का आदेश दिया। वारेन हेस्टिंग्स ने दोनों उपदिवानों मुहम्मद रजाखां, तथा राजा शिताबराय को पद से हटा दिया ।
- हेस्टिंग्स ने नवाब कि देखभाल के लिए मीर जाफर कि विधवा मुन्नी बेगम को उसका संरक्षक नियुक्त किया। 1775 में मुन्नी बेगम को हटा कर मुहम्मद रजा खां को नवाब का सरक्षक नियुक्त किया गया।
- इसने 1781 ई. में कलकत्ता में मुस्लिम शिक्षा के विकास के लिए प्रथम मदरसा स्थापित किया।
- इसी के समय 1782 में जोनाथन डंकन ने बनारस में संस्कृत विद्यालय कि स्थापना की।
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- गीता के अंग्रेजी अनुवाद का विलियम विलकिन्स को हेस्टिंग्स ने आश्रय प्रदान की।
- इसी समय सर विलियम जोन्स ने 1784 ई. में ‘द एशियाटिक सोसाईटी ऑफ़ बंगाल’ की स्थापना की ।
- इसी समय 1780 ई. में भारत का पहला समाचार पत्र ‘ द बंगाल गजट ‘ का प्रकाशन जेम्स अन्गास्तक हिक्की ने किया था ।
- प्रथम आंग्ल मराठा युद्ध (1775-1782 ई. ) एवं द्वितीय आंग्ल मैसूर युद्ध(1780-1784 ई.) वारेन हेस्टिंग के समय में ही लडे गए ।
- इसी के काल में बोर्ड ओद रेवेन्यु कि स्थापना हुई।
- हेस्टिंग ने संपूर्ण लगन कि देख भाल के लिए एक भारतीय अधिकारी राय रायनकि नियुक्ति की। इस पद को प्राप्त करने वाला पहला भारतीय दुर्लभ राय का पुत्र राज बल्लभ था ।
- ईस्ट इंडिया एक्ट 1784 ई. के विरोध में स्तीफा डे कर जब वारेन हेस्टिंग 1785 ई. में इंग्लैंड पंहुचा तो बर्फ द्वारा उसके ऊपर महाभियोग लगाया गया परन्तु 1795 ई. में इसे आरोप से मुक्त कर दिया गया ।
सर जाॅन मैक फरसन ( 1785-1786 ई.)
- इसे अस्थाई गवर्नर जनरल नियुक्त किया गया था।
लार्ड कार्नवालिश ( 1786-1793 और 1805 ई.)
- इसके समय में जिले के समस्त अधिकार कलेक्टर के हाथों में दिए गए।
- इसने भारतीय न्यायधीशों से युक्त जिला फौजदारी अदालतों को समाप्त कर उसके स्थान पर चार भ्रमण करने वाली अदालते जिसमे से तीन बंगाल के लिए और एक बिहार के लिए नियुक्त की।
- कर्नवालिश ने 1793 ई. में प्रसिद्ध कर्नवालिश कोर्ट का निर्माण करवाया जो शक्तियों के पृथक्कीकरण सिधांत पर आधारित है।
- पुलिस कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रो में पुलिस अशिकर प्राप्त जमींदारों को पुलिस अधिकार से वंचित कर दिया।
- कंपनी के कर्मचारियों की व्यक्तिगत व्यापर पर प्रतिबन्ध लगा दिया।
- जिला में पोलिस थाना कि स्थापना कर एक दरोगा को इसका इंचार्ज बनाया ।
- भारतियों के लिए सूबेदार, जमादार, प्रशासनिक सेवा में मुंसिफ, सदर, अमीन, या डीप्टी कलेक्टर से ऊँचा पद नहीं दिया जाता था।
- इसने स्थाई बंदोबस्त कि पद्धति लागु की जिसके तहत जमींदारों को अब भूराजस्व का लगभग नब्बे प्रतिशत (10/11 भाग) कंपनी को तथा दस प्रतिशत भाग (1/11 भाग) अपने पास रखना था।
- स्थाई बंदोबस्त कि योजना जॉन शोर ने बने थी । इसे बंगाल, बिहार, उड़ीसा, बनारस एवं मद्रास के उत्तरी जिला में लागु की गई थी। इसमें जमींदार भूराजस्व कि दर तय करने के लिए स्वतंत्र थे ।
- लार्ड कर्नवालिश को भारत में नागरिक सेवा का जनक माना जाता था।
- लार्ड कार्नवालिस का 1805 ई. में दूसरा कार्यकाल शुरू हुआ परन्तु शीघ्र ही उनकी मृत्यु हो गई ।
सर जॉन शोर (1793-1798 ई.)
- इसने अहस्तक्षेप निति अपनाई।
लार्ड बेलेजली (1798-1805 ई.)
- इसने सहायक संधि की पद्धति शुरू की । भारत में सहायक संधि का प्रयोग बेलेजली से पूर्व फ़्रांसिसी गवर्नर डुप्ले ने किया था
- सहायक संधि करने वाले राज्य हैदराबाद, मैसूर , तंजौर, अवध, पेशवा, बरार एवं भोसले एवं अन्य सहायक संधि करने वाले राज्य जोधपुर, जयपुर, मच्छेडी, बूंदीतथा भरतपुर थे ।
- इसी समय टीपू सुल्तान चौथे अन्गल मैसूर युद्ध में मारा गया।
- यह स्वयं को बंगाल का शेर कहता था।
- इसी ने कलकत्ता में नागरिक सेवा में भारती किये गए युवकों को प्रशिक्षित करने के लिए फोर्ट विलियम कॉलेज कि स्थापना की जो 1854 तक अंग्रेजों को भारतीय भाषाओँ कि शिक्षा देने के लिए चलता रहा ।
- लार्ड कार्नवालिस का 1805 ई. में दूसरा कार्यकाल शुरू हुआ परन्तु शीघ्र ही उनकी मृत्यु हो गई ।
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लार्ड सर जार्ज वार्लो (1805-1807 ई.)
- 1806 ई. में बेल्लोर हुई सिपाही विद्रोह इसके समय की महत्वपूर्ण घटना थी ।
लार्ड मिन्टों प्रथम (1807-1813 ई.)
- इसके समय में रणजीत सिंह एवं अंग्रेजों के बीच 25 अप्रैल 1809 ई. को अमृतसर की संधि हुई ।
- इसी के समय में चार्टर एक्ट 1813 ई. पास हुआ।
लार्ड हेंस्टिंग्स (1813-1823 ई.)
- इसी के समय आंग्ल नेपाल युद्ध 1814 -1816 ई. में हुई । इसमें नेपाल के अमर सिंह थापा को एटीएम समर्पण करना पड़ा।
- मार्च 1816 ई. में अंग्रेजों एवं गोरखों के बीच सांगोली कि संधि के द्वारा आंग्ल नेपाल युद्ध का अंत हुआ ।
- इसके समय में पिंडारियों का दमन कर दिया गया ।
- पिंडारियों के प्रमुख नेता में वासिल मुहम्मद, चितू एवं करीम खां थे ।
- इसने मराठो की शक्ति को अंतिम रूप से नष्ट कर दिया।
- इसने प्रेस पर लगे प्रतिबन्ध को समाप्त कर प्रेस के मार्ग दर्शन के लिए नियम लगाये ।
- इसी समय 1822 ई. टैनेन्सी एक्ट या काश्तकारी अधिनियम लागु किया गया।
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लार्ड एमहर्स्ट (1823-1828ई.)
- इसके समय में प्रथम आंग्ल वर्मा युद्ध 1824-1826 ई. के मध्य लड़ा गया ।
- 1826 ई. में अंग्रेजों एवं वर्मा के बीच यान्डाबू कि संधि हुई।
- 1824 ई. बैरकपुर का सैन्य विद्रोह हुआ ।
लार्ड विलियम बेंटिक (1828-1835 ई. )
- 1803 ई. में यह मद्रास का गवर्नर था । इसी के समय 1806 ई. में माथे पर जातीय चिंह न लगाने तथा कानों में बालियाँ न पहनने देने पर बेल्लोर के सैनिकों ने विद्रोह कर दिया।
- 1833 के चार्टर एक्ट के द्वारा बंगाल के गवर्नर जनरल को भारत का गवर्नर जनरल बना दिया गया । इस प्रकार भारत का प्रथम गवर्नर जनरल लार्ड विलियम वेंटिक हुआ।
भारत के गवर्नर जनरल
चार्टर एक्ट 1833 द्वारा बंगाल के गवर्नर-जनरल का पदनाम पुनः बदलकर ‘भारत का गवर्नर-जनरल’ कर दिया गया। भारत के पहले गवर्नर-जनरल विलियम बैंटिक थे। यह पद मुख्य रूप से प्रशासनिक उद्देश्यों के लिये था और इसे ईस्ट इंडिया कंपनी के कोर्ट ऑफ डायरेक्टर्स को रिपोर्ट करना था।
लार्ड विलियम बेंटिक (1828-1835 ई. )
- 1833 ई. के चार्टर एक्ट के द्वारा बंगाल के गवर्नर जनरल को भारत का गवर्नर जनरल बना दिया गया ।
- राजा राम मोहन राय के सहयोग से विलियम वेंटिक ने 1829 ई. में सती प्रथा का को समाप्त कर दिया था। विलियम वेंटिक ने इस प्रथा के खिलाफ कानून बनाकर 1829 ई. में धरा 17 के तहत विधवाओ के सती होने को अवैध घोषित कर दिया।
- बेंटिंक ने कर्नल स्लीमैन कि सहायता से 1830 ई. तक ठगी प्रथा को समाप्त कर दिया।
- ठग देवी काली की पूजा करते थे।
- सन 1835 ई. में बेंटिंक ने कलकत्ता में कलकत्ता मेडिकल कालेज कि सथापना की ।
- इसी के समय में मैकाले की अनुसंसा पर अंग्रेजी को शिक्षा का माध्यम बनाया गया। मैकाले द्वारा कानून का वर्गीकरण भी किया गया।
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- बेंटिंक ने 1831 में मैसूर तथा 1834 में कुर्ग एवं मध्य कचेर को हड़प लिया।
- इसने भारतियों को उत्तरदायी पदों पर नियुक्त कर दिया। इसके समय में भारतियों को प्रदान किया गया उच्चतम पद सदर अमीन का था, जिसे 700 रुपये प्रतिमाह तनख्वाह मिलती थी।
- इसके समय कंपनी के 1833 के चार्टर एक्ट के द्वारा यह निश्चित किया गया कि धर्म, रंग, जाति अथवा जन्म के आधार पर किसी व्यक्ति को कंपनी की सेवा करने में प्रवेश करने से नहीं रोका जायेगा।
- इसने शिशु बालिका की हत्या पर भी प्रतिबन्ध लगा दिया।
चार्ल्स मेटकाॅफ (1835 से 1836)
- 1 वर्ष के कार्यकाल में चार्ल्स मेटकाॅफ ने प्रेस से नियंत्रण हटाया इसलिए इसे “भारतीय प्रेस का मुक्तिदाता” कहा जाता है ।
लॉर्ड ऑकलैंड (1836 से 1842)
- प्रथम आंग्ल अफगान युद्ध (1839 से 1842)
- कोलकाता से दिल्ली तक ग्रैंड ट्रंक रोड की मरम्मत करवाया ।
- इसी के समय भारतीय विद्यार्थियों को डॉक्टरी की शिक्षा हेतु विदेश जाने की अनुमति ब्रिटिश संसद ने प्रदान की ।
लॉर्ड एलिनबरो (1842 से 1844)
- पहला आंगन अफगान युद्ध समाप्त हुआ ।
- अगस्त 1843 में सिंध को पूर्ण रूप से ब्रिटिश साम्राज्य में शामिल किया ।
- सिंध विजय के संदर्भ में नेपियर ने कहा था कि – “वह अफगानी तूफान की पूंछ थी” ।
- 1843 में दास प्रथा का उन्मूलन इसी के समय हुआ ।
- रविवार की छुट्टी की शुरुआत भी 1843 से ही हुई ।
लॉर्ड हार्डिंग (1844 से 1848)
- पहला आंग्ल सिख युद्ध (1845-46), जिसमें अंग्रेजी विजयी हुए ।
- इसने नरबलि प्रथा पर रोक लगाई ।
लॉर्ड डलहौजी (1848 से 1856)
- द्वितीय आंग्ल सिख युद्ध 1848 -49 इन्हीं के समय हुआ ।
- द्वितीय आंग्ल बर्मा युद्ध जिसमें 1852 में लोअर बर्मा और पीगू को अंग्रेजी राज्य में मिलाया ।
- 1852 में इनाम कमीशन की स्थापना की गई ।
- डलहौजी के शासनकाल में व्यपगत सिद्धांत (Doctrine of lapse) को लागू किया, जिसके तहत विभिन्न राज्यों को अंग्रेजी साम्राज्य में मिलाया गया ।
- शिक्षा संबंधी सुधारों में डलहौजी ने 1854 के वुड डिस्पैच को लागू किया |
- डलहौजी को भारत में “रेलवे का जनक” माना जाता है |
- डलहौजी के समय भारत में पहली बार 16 अप्रैल 1853 को मुंबई से ठाणे के बीच पहली बार रेल चलाई गई |
- 1854 में नए पोस्ट ऑफिस एक्ट के तहत भारत में पहली बार डाक टिकट का प्रचलन हुआ |
- डलहौजी ने पहली बार अलग से सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD) की स्थापना की और एक स्वतंत्र विभाग के रूप में लोक सेवा विभाग की स्थापना की |
- डलहौजी ने शिमला को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया |
- 1853 के चार्टर एक्ट से अधिकारियों की नियुक्ति के लिए प्रतियोगी परीक्षा की व्यवस्था की गई |
लॉर्ड कैनिंग (1856 – 1862)
- लॉर्ड कैनिंग के समय 1857 की क्रांति हुई थी | इस क्रांति के बाद भारत में कंपनी शासन समाप्त करके ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन कर लिया |
- भारत शासन अधिनियम, 1858 के तहत मुगल सम्राट के पद को समाप्त कर दिया |
- लॉर्ड कैनिंग अंतिम गवर्नर जनरल थे तथा पहले वायसराय बने थे |
- कैनिंग के समय 1861 में उच्च न्यायालय अधिनियम बनाया, जिसमें पुराने सुप्रीम कोर्ट को समाप्त करके कोलकाता, मद्रास और मुंबई में एक-एक उच्च न्यायालय की स्थापना की |
- कैनिंग के समय ही 1856 में विधवा पुनर्विवाह अधिनियम लागू हुआ |
- 1857 में कैनिंग के समय महालेखा परीक्षक पद बनाया गया |
- डलहौजी की व्यक्तिगत सिद्धांत को समाप्त कर दिया गया |
लॉर्ड एल्गिन (1862-63)
- इसने वहाबी आंदोलन को समाप्त किया ।
लॉर्ड लॉरेंस (1864 से 1869)
- 1865 में भूटान में ब्रिटिश साम्राज्य पर आक्रमण किया |
- उन्होंने अफगानिस्तान के संदर्भ में अहस्तक्षेप की नीति अपनाई, जिसे शानदार निष्क्रियता कहते हैं |
- उड़ीसा, बुंदेलखंड और राजपूताना में भीषण अकाल पड़े और हेनरी कैंपवेल के नेतृत्व में अकाल आयोग का गठन किया |
- भारत और यूरोप के बीच में 1865 में पहली बार समुद्री टेलीग्राफ सेवा शुरू हुई |
लॉर्ड मेयो (1869 – 1872)
- लॉर्ड मेयो के समय भारत में प्रथम जनगणना 1872 में की गई |
- लॉर्ड मेयो ने अजमेर में 1872 में मेयो कॉलेज की स्थापना की |
- इसने 1872 में एक कृषि विभाग की स्थापना की |
लॉर्ड नॉर्थब्रुक (1872 – 1876)
- इसके समय बंगाल में भयानक अकाल पड़ा |
- स्वेज नहर खुल जाने से भारत ब्रिटेन व्यापार में वृद्धि हुई |
- पंजाब में कूका आंदोलन इसी के समय हुआ |
- इसने बड़ौदा के मल्हारराव गायकवाड को भ्रष्टाचार के आरोप में हटाकर मद्रास भेज दिया |
लॉर्ड लिटन (1876 – 1880)
- यह एक प्रसिद्ध उपन्यासकार, निबंध, लेखक और साहित्यकार था |
- लिटन ने रिचर्ड स्ट्रैची की अध्यक्षता में 1878 में एक अकाल आयोग की नियुक्ति की |
- मार्च 1878, में लॉर्ड लिटन ने भारतीय समाचार पत्र अधिनियम (वर्नाकुलर प्रेस एक्ट) पारित कर भारतीय समाचार पत्रों पर कठोर प्रतिबंध लगाए |
- 1878 में पारित हुए भारतीय शस्त्र अधिनियम के तहत शस्त्र रखने और व्यापार करने के लिए लाइसेंस अनिवार्य किया |
- लॉर्ड लिटन ने अलीगढ़ में एक मुस्लिम एंग्लो प्राच्य महाविद्यालय की स्थापना की |
लॉर्ड रिपन (1880 – 1884)
- लॉर्ड रिपन ने वर्नाकुलर प्रेस एक्ट को समाप्त किया ।
- इसने स्थानीय स्वशासन की शुरुआत की ।
- रिपन के समय से ही 1881 से भारत में नियमित दशकीय जनगणना शुरू हुई ।
- 1881 में प्रथम कारखाना अधिनियम लाया, 7 वर्ष से कम आयु के बच्चों के काम पर प्रतिबंध लगाया ।
- फ्लोरेंस नाइटेंगल ने रिपन को “भारत के उद्धारक” की उपाधि दी ।
लॉर्ड डफरिन (1884 से 1888)
- लॉर्ड डफरिन के समय ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना हुई ।
- इनके समय तृतीय आंग्ल बर्मा युद्ध 1885-88 हुआ और बर्मा (वर्तमान म्यानमार) को पूर्णतया ब्रिटिश राज्य में शामिल कर लिया ।
- इसी के समय बंगाल, अवध और पंजाब के टेनेंसी एक्ट पारित हुए ।
लॉर्ड लैंसडाउन (1888 से 1894)
- भारत अफगानिस्तान के मध्य डूरंड रेखा का निर्धारण हुआ । यहां से पढ़ें प्रमुख अंतरराष्ट्रीय सीमाएं
- 1893 में दूसरा कारखाना अधिनियम लाया, जिसमें महिलाओं को 11 घंटे से अधिक काम करने पर प्रतिबंध लगाया साथ ही सप्ताह में 1 दिन छुट्टी अनिवार्य की ।
लॉर्ड एलगिन द्वितीय (1894 से 1899)
- लॉर्ड एलन द्वितीय का कथन है – “भारत को तलवार के बल पर विजय किया गया है और तलवार के बल पर ही इसकी रक्षा की जाएगी”
- इसके समय उत्तर और मध्य भारत में भयंकर अकाल पड़े ।
लॉर्ड कर्जन (1899 से 1905)
- लॉर्ड कर्जन ने बंगाल का विभाजन किया था –
- 19 जुलाई 1905 को शिमला में बंगाल विभाजन की घोषणा की और 16 अक्टूबर 1905 को बंगाल विभाजन योजना लागू की गई ।
- इसके अंतर्गत पूर्वी बंगाल और असम प्रांत को पूर्वी बंगाल के रूप में बनाया, जिसकी राजधानी ढाका रखी ।
- पश्चिमी बंगाल दूसरा प्रांत था, जिसकी राजधानी कोलकाता थी |
- यह बंटवारा हिंदू और मुस्लिम बंटवारे के तौर पर ज्यादा जाना जाता है ।
- 1899 में कर्जन ने भारतीय टंकण और पत्र मुद्रा अधिनियम के तहत अंग्रेजी स्वर्ण मुद्रा को कानूनी मुद्रा घोषित किया ।
- प्राचीन स्मारक परीक्षण अधिनियम 1904 द्वारा ऐतिहासिक इमारतों की सुरक्षा और मरम्मत के लिए कर्जन ने भारतीय पुरातत्व विभाग की स्थापना की ।
- कर्जन ने 1906 सहकारी उदार समिति अधिनियम बनाया, जिससे किसान उचित ब्याज पर कर्ज ले सकते थे साथ ही इसने कृषि बैंक भी खुलवाएं ।
- कर्जन के समय पहली बार प्रत्येक प्रांत और केंद्रीय स्तर पर अलग से गुप्तचर विभाग की स्थापना की ।
लॉर्ड मिंटो द्वितीय (1905 – 1910)
- लॉर्ड मिंटो के समय मुसलमानों के लिए अलग निर्वाचन व्यवस्था मार्ले मिंटो सुधार अधिनियम, 1909 के तहत किया गया ।
- इसके समय 1906 में ढाका में मुस्लिम लीग की स्थापना हुई ।
- 1907 के सूरत अधिवेशन में कांग्रेस का विभाजन हुआ ।
- इसी के समय 1907 में आंग्ल और रूसी प्रतिनिधि मंडलों के बीच बैठक हुई ।
लॉर्ड हार्डिंग द्वितीय (1910 से 1916)
- इसी के समय ब्रिटेन के राजा जॉर्ज पंचम भारत आए ।
- 12 दिसंबर 1911 को दिल्ली में भव्य दरबार का आयोजन हुआ जहां पर बंगाल विभाजन को रद्द कर दिया तथा भारत की राजधानी कोलकाता से दिल्ली बनाने की घोषणा की ।
- 1912 में दिल्ली भारत की राजधानी बनी ।
- 23 दिसंबर 1912 को लॉर्ड हार्डिंग पर दिल्ली में बम फेंकने के आरोप में भाई बालमुकुंद को फांसी दी गई ।
- 1916 में लॉर्ड हार्डिंग को बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) का कुलाधिपति बनाया ।
लॉर्ड चेम्सफोर्ड (1916 से 1921)
- 1916 के कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में कांग्रेस और मुस्लिम लीग का समझौता हुआ ।
- 1916 में पुणे में महिला विश्वविद्यालय की स्थापना हुई ।
- शिक्षा पर सैडलर आयोग का गठन इसी के समय 1917 में हुआ ।
- 1919 में चेम्सफोर्ड के समय रौलट एक्ट पारित हुआ ।
- इसी के कारण 13 अप्रैल 1909 को जलियांवाला बाग हत्याकांड अमृतसर में हुआ ।
- खिलाफत आंदोलन एवं महात्मा गांधी का असहयोग आंदोलन इसी के समय शुरू हुआ ।
- तीसरा अफगान युद्ध भी इसी समय हुआ ।
लॉर्ड रीडिंग (1921 से 1926)
- 1921 में मोपला विद्रोह लॉर्ड रीडिंग के समय हुआ ।
- 1921 में एम.एन. रॉय द्वारा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का गठन हुआ ।
- नवंबर 1921 में प्रिंस ऑफ वेल्स के भारत आने पर पूरे भारत में हड़ताल हुई ।
- इसी के समय 5 फरवरी 1922 को चौरी चौरा कांड गोरखपुर में हुआ, इसी के साथ असहयोग आंदोलन समाप्त हुआ ।
- इसके समय 1922 से इलाहाबाद में सिविल सेवा परीक्षा की शुरुआत हुई ।
- 1923 में चितरंजन दास और मोतीलाल नेहरू ने इलाहाबाद में स्वराज पार्टी की स्थापना की ।
लॉर्ड इरविन (1926 से 1931)
- लॉर्ड इरविन के समय 3 फरवरी 1928 में साइमन कमीशन भारत आया ।
- लाला लाजपत राय की मृत्यु के बदले में दिल्ली के असेंबली हॉल में बम फेंका गया ।
- लाहौर जेल में जतिन दास ने अंग्रेज और भारतीय कैदियों के बीच भेदभाव के कारण 13 जुलाई 1929 से भूख हड़ताल शुरू की तथा 64 वे दिन उनकी मृत्यु हो गई ।
- लॉर्ड इरविन के समय 1929 के कांग्रेस लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज का लक्ष्य रखा ।
- इसी के समय महात्मा गांधी का सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू हुआ 5 मई 1930 को उन्हें गिरफ्तार किया ।
- 12 नवंबर 1930 को पहला गोलमेज सम्मेलन हुआ ।
- 4 मार्च 1931 को गांधी – इरविन समझौता पर हस्ताक्षर के साथ सविनय अवज्ञा आंदोलन स्थगित हुआ ।
लॉर्ड वेलिंगटन (1931 से 1936)
- लॉर्ड वेलिंगटन के समय दूसरा गोलमेज सम्मेलन हुआ, जिसमें गांधी जी ने कांग्रेस की तरफ से हिस्सा लिया लेकिन असफलता के बाद 1932 में दोबारा सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू किया ।
- 16 अगस्त 1932 को रैमजे मैकडोनाल्ड ने विवादास्पद सांप्रदायिक पंचाट की घोषणा की, जिसके तहत दलितों को हिंदुओं से अलग वर्ग मानकर उनके लिए निर्वाचन मंडल में अलग प्रावधान किया ।
- गांधी जी इससे बहुत दुखी हुए और आमरण उपवास शुरू कर दिया | अंत में पुणे समझौते के तहत दलित वर्गों के लिए साधारण वर्गों में सीटों का आरक्षण किया ।
- पूना समझौता (पूना पैक्ट) महात्मा गांधी और भीमराव अंबेडकर के बीच 24 सितंबर 1932 को हुआ था ।
- इसी के समय 1932 में तीसरा गोलमेज सम्मेलन हुआ, कांग्रेस ने हिस्सा नहीं लिया ।
- लॉर्ड वेलिंगटन के समय भारत सरकार अधिनियम, 1935 पास किया ।
लॉर्ड लिनलिथगो (1936 से 1943)
- लिनलिथगो के समय पहली बार चुनाव करवाए गए, जिसमें कांग्रेस ने कुल 11 में से 8 प्रांतों में सरकारें बनाई ।
- 1 सितंबर 1939 को दूसरा विश्व युद्ध शुरू हुआ और भारत को भी इसमें अंग्रेजों ने झोंक दिया ।
- 1 मई 1940 को सुभाष चंद्र बोस ने फॉरवर्ड ब्लॉक की स्थापना की ।
- मार्च 1940 में मुस्लिम लीग के लाहौर अधिवेशन में पहली बार पाकिस्तान की मांग की गई ।
- 8 अगस्त 1940 को अंग्रेजों द्वारा अगस्त प्रस्ताव लाया गया ।
- मार्च 1942 में क्रिप्स मिशन भारत आया, इसे कांग्रेस और मुस्लिम लीग दोनों ने अस्वीकार किया ।
- 9 अगस्त 1942 को कांग्रेस ने भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया, जिसे अगस्त क्रांति भी कहते हैं ।
- इसी के समय 1943 में बंगाल में भयानक अकाल पड़ा ।
लॉर्ड वेवेल (1944 से 1947)
- इसी के समय ब्रिटेन के प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली ने भारत में आम चुनाव की घोषणा की, जिसमें प्रांतीय और केंद्रीय विधानसभा में कांग्रेस को पर्याप्त बहुमत मिला ।
- कैबिनेट मिशन 1946 में भारत आया इस मिशन में 3 सदस्य थे – स्टेफोर्ड क्रिप्स, पैथिक लोरेंस और एबी अलेक्जेंडर ।
- 20 फरवरी 1947 को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री एटली ने हाउस ऑफ कॉमंस में यह घोषणा की कि जून 1948 तक भारत की सत्ता भारतीयों को दे देंगे ।
लॉर्ड माउंटबेटन (मार्च 1947 से जून 1948)
- सत्ता हस्तांतरण करने के लिए 24 मार्च 1947 को भारत का गवर्नर जनरल लॉर्ड माउंटबेटन को बनाया गया ।
- 3 जून 1947 को माउंटबेटन योजना घोषित की, जिसमें भारत का विभाजन करना शामिल था ।
- 4 जुलाई को ब्रिटिश संसद में इटली द्वारा भारतीय स्वतंत्रता विधेयक प्रस्तुत किया जिस को 18 जुलाई को स्वीकृति मिल गई।
- भारतीय स्वतंत्रता विधेयक में 2 नए देशों की घोषणा की गई थी – 1.भारत और 2.पाकिस्तान
- 15 अगस्त 1947 को हमारा प्यारा भारत अंग्रेजों से स्वतंत्र हो गया ।
- स्वतंत्र भारत के प्रथम गवर्नर जनरल लॉर्ड माउंटबेटन थे ।
- लॉर्ड माउंटबेटन के बाद स्वतंत्र भारत के प्रथम एवं अंतिम भारतीय गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालचारी बने थे ।
ब्रिटिश राज के गवर्नर जनरल/वायसराय की सूची:
गवर्नर जनरल/वायसराय | कार्यकाल अवधि | महत्वपूर्ण जानकारी |
वारेन हेस्टिंग्स | 1774 – 1785 | भारत में सबसे पहले गवर्नर जनरल (वे फोर्ट विलियम के गवर्नर जनरल नियुक्त किए गए थे पर भारत में तैनात ईस्ट इंडिया कंपनी के सभी अधिकारियों पर उनका नियंत्रण था)। उनके कुछ अनुचित कार्यों के लिए, (अर्थात् रोहिल्ला युद्ध, नंद कुमार को प्राणदण्ड, राजा चैत सिंह और अवध की बेगमों के मामले के लिए) उनके खिलाफ इंग्लैंड में महाभियोग चलाया गया था। |
लॉर्ड कार्नवालिस | 1786 – 1793 एवं 1805 | स्थायी निपटान (पर्मानेंट सेट्टल्मेंट), ईस्ट इंडिया कंपनी और बंगाल के जमींदारों के बीच जमीन पर लिया जाने वाला राजस्व निश्चित करने के लिए समझौता, उनकी अवधि के दौरान लागू किया गया था। |
लॉर्ड वेलेजली | 1798 – 1805 | सहायक गठबंधन (सबसिडियरी अलियांस) की शुरूवात इन्होने की। इसके तहत ईस्ट इंडिया कम्पनी से प्राप्त संरक्षण के बदले में भारतीय शासक अपने राज्य क्षेत्र में ब्रिटिश सेना रखने पर सहमत हुए। सहायक गठबंधन को स्वीकार करने वाला पहला राज्य हैदराबाद था। |
लार्ड विलियम बेंटिक | 1828 – 1835 | 1828 मे भारत के पहले गवर्नर जनरल नियुक्त। उन्होंने सती प्रथा को गैरकानूनी और भारत में अंग्रेजी शिक्षा की शुरुआत की। |
लॉर्ड डलहौजी | 1848 – 1856 | उन्होने कुख्यात डॉक्ट्रीन ऑफ लैप्स की शुरुआत की। भारत में रेलवे और टेलीग्राफ का आगमन उनकी अवधी में ही हुआ। उन्हे आधुनिक भारत के निर्माता के रूप में भी जाना जाता है। |
लॉर्ड कैनिंग | 1856 – 1862 | वे 1857 की लड़ाई के दौरान गवर्नर जनरल थे। उन्हे युद्ध के बाद पहला वायसराय नियुक्त किया गया। |
लॉर्ड मेयो | 1869 – 1872 | वे अंडमान द्वीप समूह में एक अपराधी द्वारा मारे गए थे। भारत मे पहली जनगणना इसी अवधी में हुई थी पर इसमे सारे राज्य सम्मलित नही थे। |
लॉर्ड लिटन | 1876 – 1880 | 1 जनवरी 1877 को दिल्ली दरबार अथवा शाही दरबार, जिसमे महारानी विक्टोरिया को केसर-ए-हिंद घोषित किया गया, का आयोजन इनकी अवधि के दौरान हुआ था। भारतीय भाषा के समाचार पत्रों पर नियंत्रण रखने वाला अधिनियम वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट, 1878 इन्ही कि अवधि में पारित हुआ। |
लॉर्ड रिप्पन | 1880 – 1884 | उन्होंने शासन की दोहरी प्रणाली की शुरुआत की। भारत की पहली सम्पूर्ण एवं समकालिक जनगणना 1881 मे आयोजित की गई। वे इल्बर्ट बिल के साथ भी जुड़े थे जिसके तहत भारतीय न्यायाधीश ब्रिटिश अपराधियों को दण्डित कर सकते थे। |
लॉर्ड डफ्फरिन | 1884 – 1888 | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना इनकी अवधि के दौरान हुई थी। |
लॉर्ड कर्जन | 1899 – 1905 | बंगाल का विभाजन तथा स्वदेशी आंदोलन की शुरुवात। |
लॉर्ड हार्डिंगे | 1910 – 1916 | 1911 में भारत की राजधानी कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित हुई। इंगलैंड के राजा, जॉर्ज पंचम दिल्ली दरबार में उपस्थित होने के लिए 1911 मे भारत आए। राश बिहारी बोस और अन्य द्वारा उनकी हत्या का प्रयास किया गया। |
लॉर्ड चेम्सफोर्ड | 1916 – 1921 | 1919 के जलियांवाला बाग त्रासदी उनकी अवधि के दौरान हुई। मोंटेग चेम्सफोर्ड सुधार, रोलेट एक्ट, खिलाफत आंदोलन आदि घटनाएं भी इनकी अवधि से जुड़ी हैं। |
लॉर्ड रीडिंग | 1921 – 1926 | चौरी-चौरा की घटना इनकी अवधि में घटी। इसी दौरान महात्मा गाँधी को पहली बार जेल भेजा गया। |
लॉर्ड इरविन | 1926 – 1931 | इनकी अवधि साइमन कमीशन, गांधी इरविन समझौता, पहली गोलमेज सम्मेलन और प्रसिद्ध दांडी मार्च से जुड़ी है. |
लॉर्ड विल्लिंगडन | 1931 – 1936 | दूसरे और तीसरे गोल मेज़ सम्मेलन का आयोजन, रामसे मैकडोनाल्ड का साम्प्रदायिक निर्णय और महात्मा गाँधी और डॉ० अम्बेडकर के बीच पूना पक्ट इस अवधि से जुड़ी घटनाएँ हैं। |
लॉर्ड लिन्लिथगो | 1936 – 1943 | किर्प्स मिशन का भारत दौरा और भारत छोड़ो आंदोलन इनकी अवधि से जुड़े हैं। |
लॉर्ड वावेल | 1943 – 1947 | शिमला सम्मेलन और कैबिनेट मिशन का भारत दौरा इसी अवधि में हुआ। |
भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान महत्वपूर्ण वर्ष
वर्ष | महत्व |
1857 | भारतीय स्वतंत्रता का प्रथम संग्राम जिसे अंग्रेजों द्वारा सिपाही विद्रोह का नाम दिया गया। |
1885 | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का गठन। |
1905 | बंगाल का विभाजन, स्वदेशी आंदोलन। |
1909 | मिंटो मॉर्ले सुधार। |
1911 | भारत की राजधानी का कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरण। |
1919 | भारत सरकार अधिनियम 1919, रोलेट एक्ट, जलियांवाला बाग त्रासदी। |
1920 | खिलाफत आंदोलन। |
1922 | उत्तर प्रदेश में चौरी चौरा आक्रोश। |
1928 | साइमन कमीशन का भारत आना, लाला लाजपत राय का देहांत। |
1929 | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वतंत्रता का संकल्प। |
1930 | दांडी मार्च, नागरिक अवज्ञा आंदोलन का आरंभ। |
1931 | गांधी इरविन समझौता, भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फाँसी। |
1935 | भारत सरकार अधिनियम, 1935। |
1942 | भारत छोड़ो आंदोलन, आजाद हिंद फौज़ की संरचना। |
1943 | क्रिप्स आयोग का भारत दौरा। |
1946 | ब्रिटिश कैबिनेट मिशन का भारत दौरा। |
इन्हें भी देखें –
- ब्रिटिश साम्राज्य 16वीं–20वीं सदी- एक समय की महाशक्ति और विचारों का परिवर्तन
- मराठा साम्राज्य MARATHA EMPIRE (1674 – 1818)
- मराठा साम्राज्य के शासक और पेशवा
- ब्रिटिश राज
- परिसंघीय राज्य अमेरिका |CSA|1861-1865
- प्रथम विश्व युद्ध: विनाशकारी महासंग्राम | 1914 – 1918 ई.
- रूस की क्रांति: साहसिक संघर्ष और उत्तराधिकारी परिवर्तन |1905-1922 ई.
- खिलजी वंश | Khilji Dynasty | 1290ई. – 1320 ई.
- चोल साम्राज्य (300 ई.पू.-1279ई.)
- परमार वंश (800-1327 ई.)
- भाषा एवं उसके विभिन्न रूप
- हिंदी वर्णमाला- स्वर और व्यंजन (Hindi Alphabet)
- संधि – परिभाषा एवं उसके भेद (Joining)
- हिंदी भाषा का इतिहास
- समास – परिभाषा, भेद और 100 + उदहारण
- अलंकार- परिभाषा, भेद और 100 + उदाहरण
- वर्तनी किसे कहते है? उसके नियम और उदहारण
- Article: Definition, Types, and 100+ Examples
- Determiner: Definition, Types, and 100+ Examples
- Wh- Word and Wh- Question
- Sentence Analysis with examples
- Phrase: Definition, Types, and 100+ Examples
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