ट्रेकोमा (Trachoma) : वैश्विक स्वास्थ्य संकट से मुक्ति की ओर एक महत्वपूर्ण उपलब्धि

ट्रेकोमा (Trachoma) एक अत्यधिक संक्रामक बैक्टीरियल संक्रमण है जो विश्व के गरीब, ग्रामीण और उपेक्षित क्षेत्रों में अंधत्व का एक प्रमुख कारण रहा है। यह संक्रमण मुख्य रूप से Chlamydia trachomatis नामक बैक्टीरिया से होता है। इसे लंबे समय से सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर चुनौती माना जाता रहा है, विशेष रूप से अफ्रीका, एशिया, दक्षिण अमेरिका, मध्य पूर्व और ऑस्ट्रेलिया के निर्धन समुदायों में। हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा सेनेगल को ट्रेकोमा मुक्त देश घोषित किया गया है, जो वैश्विक स्वास्थ्य क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। सेनेगल के इस ऐतिहासिक उपलब्धि ने वैश्विक ट्रेकोमा उन्मूलन प्रयासों को नई ऊर्जा प्रदान की है।

ट्रेकोमा: रोग की विशेषताएँ और प्रभाव

ट्रेकोमा आंख का एक जीवाणु संक्रमण है जो अत्यधिक संक्रामक होता है। यह संक्रमण संक्रमित व्यक्ति के आंखों के स्राव, मक्खियों के संपर्क, दूषित कपड़ों और तौलिए के माध्यम से फैलता है। यदि संक्रमण की शीघ्र पहचान और उपचार नहीं किया जाए तो यह रोग गंभीर अंधत्व का कारण बन सकता है। बार-बार संक्रमण से पलकों के अंदर की त्वचा मोटी हो जाती है और आंख की सतह पर झुर्रियां पड़ने लगती हैं, जिससे कॉर्निया को नुकसान पहुंचता है और अंततः स्थायी अंधत्व हो जाता है। एक बार अंधत्व हो जाने के बाद इसे पलटना अत्यंत कठिन होता है। यही कारण है कि ट्रेकोमा को अंधत्व का रोकथाम योग्य कारण कहा जाता है।

वैश्विक स्थिति

हालांकि, वैश्विक प्रयासों और जागरूकता अभियानों के बावजूद ट्रेकोमा अभी भी कई विकासशील और अविकसित देशों की बड़ी आबादी के लिए खतरा बना हुआ है। अफ्रीका, एशिया, मध्य व दक्षिण अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और मध्य पूर्व के गरीब और ग्रामीण क्षेत्रों में यह रोग अब भी हाइपर-एंडेमिक (अत्यधिक प्रचलित) है। इन क्षेत्रों में स्वच्छता की कमी, पीने के स्वच्छ जल का अभाव, स्वास्थ्य सेवाओं की अनुपलब्धता और शिक्षा की कमी इस रोग के प्रसार को बढ़ावा देती है।

WHO और अंतरराष्ट्रीय प्रयास

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और कई अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने ट्रेकोमा उन्मूलन के लिए विविध रणनीतियों को अपनाया है। इनमें SAFE रणनीति को सबसे अधिक प्रभावी माना जाता है, जिसमें S (Surgery), A (Antibiotics), F (Facial cleanliness) और E (Environmental improvement) शामिल हैं। इस रणनीति के तहत संक्रमित लोगों का शल्य चिकित्सा द्वारा उपचार, एंटीबायोटिक्स वितरण, व्यक्तिगत सफाई पर बल और स्वच्छ पर्यावरण निर्माण का समन्वित प्रयास किया जाता है। WHO ने वर्ष 1996 में “Global Elimination of Trachoma by 2020” (GET 2020) कार्यक्रम की शुरुआत की थी। हालांकि लक्ष्य वर्ष के पार हो जाने के बावजूद प्रयास लगातार जारी हैं और धीरे-धीरे सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं।

सेनेगल की ऐतिहासिक उपलब्धि

सेनेगल को WHO ने आधिकारिक रूप से ट्रेकोमा मुक्त घोषित कर दिया है। यह उपलब्धि इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि सेनेगल उप-सहारा अफ्रीका के उन देशों में आता है जहां कभी यह संक्रमण महामारी का रूप ले चुका था। सेनेगल ने वर्ष 2000 के दशक की शुरुआत में ट्रेकोमा नियंत्रण कार्यक्रम की शुरुआत की थी। लगातार दो दशकों तक चले सघन स्वास्थ्य कार्यक्रम, सामुदायिक जागरूकता अभियानों, स्वच्छता परियोजनाओं, और निशुल्क एंटीबायोटिक्स वितरण के चलते यह देश अब इस रोग से मुक्त हो चुका है। WHO की रिपोर्ट के अनुसार सेनेगल अब दुनिया का 25वां और अफ्रीका का 9वां देश बन गया है जिसने ट्रेकोमा को सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में समाप्त किया है।

सेनेगल की पूर्व उपलब्धि: गिनी वर्म रोग का उन्मूलन

सेनेगल का ट्रेकोमा मुक्त होना देश के लिए दूसरी ऐसी उपलब्धि है जब उसने उपेक्षित उष्णकटिबंधीय बीमारियों (NTDs) को पराजित किया है। वर्ष 2004 में WHO ने सेनेगल को गिनी वर्म रोग (ड्राकुन्कुलियासिस) से मुक्त घोषित किया था। इस सफलता ने देश के स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत बनाने और सामुदायिक भागीदारी बढ़ाने में सहायता की थी। उसी अनुभव और आधार पर सेनेगल ने ट्रेकोमा के विरुद्ध भी प्रभावी लड़ाई लड़ी।

अन्य ट्रेकोमा मुक्त देश

सेनेगल से पहले विश्व के 24 देश ट्रेकोमा उन्मूलन की इस सूची में शामिल हो चुके हैं। इनमें भारत, नेपाल, पाकिस्तान, चीन जैसे एशियाई देश भी शामिल हैं। इन देशों ने भी सेनेगल की तरह WHO के मार्गदर्शन में SAFE रणनीति और अन्य सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों के माध्यम से इस रोग को समाप्त करने में सफलता प्राप्त की है।

भारत का योगदान

भारत में भी ट्रेकोमा एक समय पर गंभीर समस्या थी, विशेषकर ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में। भारत सरकार ने इसे समाप्त करने के लिए राष्ट्रीय दृष्टि मिशन (National Programme for Control of Blindness) के तहत विशेष प्रयास किए। वर्ष 2017 में भारत को WHO ने ट्रेकोमा से सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में मुक्त घोषित किया। यह उपलब्धि सामूहिक प्रयासों का परिणाम थी, जिसमें स्वास्थ्य मंत्रालय, गैर-सरकारी संगठन (NGOs), स्थानीय निकायों और जनता का योगदान शामिल था।

ट्रेकोमा उन्मूलन में चुनौतियाँ

ट्रेकोमा के पूर्ण उन्मूलन की राह में अब भी कई चुनौतियाँ शेष हैं। इनमें शामिल हैं:

  1. गरीब और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी
  2. स्वच्छ जल और सफाई सुविधाओं का अभाव
  3. सामाजिक और सांस्कृतिक बाधाएँ
  4. शिक्षा और जागरूकता की कमी
  5. युद्धग्रस्त क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं का ठप पड़ना
  6. पर्याप्त फंडिंग और संसाधनों की कमी

इन बाधाओं के कारण ट्रेकोमा का उन्मूलन धीमी गति से हो रहा है। परंतु WHO और उसके साझेदार संस्थानों के सतत प्रयासों के चलते स्थिति में सुधार हो रहा है।

भविष्य की दिशा

सेनेगल की सफलता अन्य देशों के लिए भी एक प्रेरणा है। WHO का लक्ष्य है कि अगले कुछ वर्षों में अधिक से अधिक देश ट्रेकोमा मुक्त घोषित किए जाएँ। इसके लिए निम्नलिखित कदम महत्वपूर्ण होंगे:

  • प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं का सुदृढ़ीकरण
  • सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देना
  • SAFE रणनीति का व्यापक क्रियान्वयन
  • स्वच्छता और स्वच्छ जल पर आधारित योजनाओं का विस्तार
  • स्वास्थ्य कर्मियों का प्रशिक्षण और क्षमतावर्धन
  • स्कूलों और स्थानीय समुदायों में जागरूकता कार्यक्रम
  • संक्रमण के नए मामलों का शीघ्र पहचान और उपचार

निष्कर्ष

ट्रेकोमा, जो कभी अंधत्व का एक प्रमुख कारण माना जाता था, अब धीरे-धीरे वैश्विक स्वास्थ्य मानचित्र से गायब हो रहा है। सेनेगल का ट्रेकोमा मुक्त होना केवल उस देश की उपलब्धि नहीं, बल्कि समूचे वैश्विक स्वास्थ्य समुदाय की सामूहिक जीत है। यह उपलब्धि इस बात का प्रमाण है कि उचित रणनीति, सरकार की प्रतिबद्धता, समुदाय की सक्रिय भागीदारी और अंतरराष्ट्रीय सहयोग से कोई भी सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या समाप्त की जा सकती है। आवश्यकता है कि अन्य देश भी सेनेगल, भारत, नेपाल जैसे देशों से प्रेरणा लेकर अपने यहां ट्रेकोमा उन्मूलन के प्रयास तेज करें और विश्व को इस प्राचीन संक्रमण से मुक्त कराने में योगदान दें।


इन्हें भी देखें –

Leave a Comment

Contents
सर्वनाम (Pronoun) किसे कहते है? परिभाषा, भेद एवं उदाहरण भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग | नाम, स्थान एवं स्तुति मंत्र प्रथम विश्व युद्ध: विनाशकारी महासंग्राम | 1914 – 1918 ई.