ताप्ती बेसिन मेगा रिचार्ज परियोजना: भारत में जल संरक्षण और अंतर-राज्यीय सहयोग की ऐतिहासिक पहल

भारत में जल संकट की समस्या दिनोंदिन गंभीर होती जा रही है। विशेषकर मध्य भारत के अनेक हिस्सों में सूखा, असमय वर्षा और भूमिगत जल के अत्यधिक दोहन ने कृषि और पेयजल की आपूर्ति को बुरी तरह प्रभावित किया है। इन स्थितियों से निपटने के लिए राज्यों के बीच सहयोग और दीर्घकालिक जल संरचनात्मक योजनाएँ आवश्यक हैं। इसी दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र सरकारों ने 10 मई, 2025 को “ताप्ती बेसिन मेगा रिचार्ज परियोजना” के लिए आपसी सहमति से एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता जल संसाधनों के सतत उपयोग, कृषि स्थिरता और क्षेत्रीय विकास के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है।

परियोजना की पृष्ठभूमि

ताप्ती बेसिन मेगा रिचार्ज परियोजना का विचार पहली बार 1990 के दशक में सामने आया था, जब महाराष्ट्र के वर्तमान उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस नागपुर के महापौर थे। तब से लेकर अब तक, इस परियोजना पर कई बार चर्चा हुई, लेकिन इसे अमलीजामा पहनाने की दिशा में ठोस कदम अब जाकर उठाया गया है।

25 वर्षों बाद ताप्ती नदी अंतर-राज्यीय नियंत्रण बोर्ड की बैठक भोपाल में आयोजित की गई, जिसमें मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस परियोजना के समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह बैठक अपने आप में ऐतिहासिक थी, क्योंकि पिछली ऐसी बैठक सन् 2000 में हुई थी।

ताप्ती नदी का महत्व और उद्गम

ताप्ती नदी, जिसे मध्य भारत की प्रमुख नदियों में से एक माना जाता है, मध्य प्रदेश के बैतूल जिले से निकलती है और पश्चिम की ओर बहते हुए महाराष्ट्र और गुजरात होते हुए अरब सागर में मिलती है। यह नदी न केवल तीन राज्यों के लिए जल संसाधन का महत्वपूर्ण स्रोत है, बल्कि इसके बेसिन में लाखों लोगों की आजीविका भी जुड़ी हुई है।

ताप्ती बेसिन मेगा रिचार्ज परियोजना: एक परिचय

यह परियोजना विश्व की सबसे बड़ी नदी रिचार्ज परियोजना मानी जा रही है। इसका उद्देश्य जल संकट से जूझ रहे क्षेत्रों में जल आपूर्ति को सुनिश्चित करना, सिंचाई की सुविधा को विस्तार देना और भूमिगत जल पर निर्भरता को घटाना है।

प्रमुख तथ्य:

  • परियोजना का नाम: ताप्ती बेसिन मेगा रिचार्ज परियोजना
  • संबंधित राज्य: मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र
  • MoU हस्ताक्षर की तिथि: 10 मई, 2025
  • स्थान: भोपाल (ताप्ती नदी नियंत्रण बोर्ड की बैठक के दौरान)
  • अनुमानित लागत: ₹19,244 करोड़ (2022–23 के अनुमान के अनुसार)
  • अपेक्षित केंद्रीय वित्त पोषण: 90%
  • कुल जल उपयोग: 31.13 टीएमसी
    • मध्य प्रदेश: 11.76 टीएमसी
    • महाराष्ट्र: 19.36 टीएमसी

परियोजना के मुख्य उद्देश्य

  1. जल संकट का समाधान:
    ताप्ती बेसिन क्षेत्र के जिलों में लंबे समय से जल संकट बना हुआ है। इस परियोजना के माध्यम से जल संचयन और रिचार्ज की व्यवस्था कर जल संकट को कम किया जाएगा।
  2. पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करना:
    ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में सुरक्षित और स्थायी पेयजल आपूर्ति को प्राथमिकता दी जाएगी।
  3. सिंचाई प्रणाली का विस्तार:
    परियोजना से लगभग 3.57 लाख हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
  4. स्थानीय भूजल स्तर में वृद्धि:
    रिचार्ज संरचनाओं के माध्यम से भूजल स्तर को संतुलित किया जाएगा, जिससे खेती और पीने के पानी की आपूर्ति निरंतर बनी रहे।

प्रभावित क्षेत्र और लाभार्थी जिले

मध्य प्रदेश में:

  • प्रमुख जिले: बुरहानपुर, खंडवा
  • सिंचाई कवरेज: 1,23,082 हेक्टेयर
  • भूमि उपयोग: 3,362 हेक्टेयर भूमि का उपयोग किया जाएगा
  • पुनर्वास/विस्थापन: कोई आवश्यकता नहीं पाई गई

महाराष्ट्र में:

  • प्रमुख जिले: जलगांव, अकोला, बुलढाणा, अमरावती
  • सिंचाई कवरेज: 2,34,706 हेक्टेयर

प्रौद्योगिकी और क्रियान्वयन रणनीति

ताप्ती बेसिन मेगा रिचार्ज परियोजना में अत्याधुनिक जल प्रबंधन तकनीकों का उपयोग किया जाएगा:

  • रिवर इंटरलिंकिंग और माइक्रो-कैचमेंट योजनाएं: जल प्रवाह को नियंत्रित कर जल संचयन की दक्षता बढ़ाना
  • अंडरग्राउंड स्टोरेज वॉल्ट्स और इंजीनियर्ड एक्विफर रिचार्जिंग सिस्टम: अधिक जल रिचार्ज क्षमता
  • GIS और रिमोट सेंसिंग आधारित निगरानी तंत्र: परियोजना की निगरानी और प्रभाव विश्लेषण में सहायक

राज्य सरकारों और केंद्र की भूमिका

परियोजना में केंद्र सरकार की प्रमुख भूमिका होगी, क्योंकि कुल लागत का 90% वित्त पोषण केंद्र द्वारा किया जाएगा। शेष 10% खर्च दोनों राज्य सरकारें साझा रूप से करेंगी।

राज्य सरकारों की जिम्मेदारियाँ:

  • भूमि अधिग्रहण (जहां आवश्यक हो)
  • परियोजना की तकनीकी रूपरेखा तैयार करना
  • जिला स्तरीय कार्यान्वयन समितियों का गठन
  • जल उपयोगिता की निगरानी और रिपोर्टिंग

केंद्र सरकार की भूमिका:

  • वित्त पोषण सुनिश्चित करना
  • तकनीकी मार्गदर्शन और निगरानी
  • परियोजना की नियमित समीक्षा

परियोजना का राष्ट्रीय और वैश्विक महत्त्व

  1. राष्ट्रीय जल संरक्षण मॉडल:
    यह परियोजना देश के अन्य जल संकटग्रस्त क्षेत्रों के लिए अनुकरणीय मॉडल प्रस्तुत करती है।
  2. जलवायु लचीलापन:
    जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न होने वाली अनिश्चितताओं का सामना करने में परियोजना सहायक होगी।
  3. कृषि उत्पादन में वृद्धि:
    सिंचाई सुविधा बढ़ने से कृषि उत्पादन में स्वाभाविक रूप से वृद्धि होगी।
  4. अंतर-राज्यीय सहयोग का आदर्श उदाहरण:
    यह परियोजना संघीय ढांचे में राज्यों के आपसी समन्वय और सहयोग का उत्कृष्ट उदाहरण है।

वर्तमान स्थिति और आगामी योजनाएँ

ताप्ती बेसिन मेगा रिचार्ज परियोजना की योजना निर्माण प्रक्रिया लगभग पूर्ण हो चुकी है। अब इसके प्रारंभिक कार्य 2025 के अंत तक शुरू होने की संभावना है। आगामी अंतर-राज्यीय बोर्ड बैठक अक्टूबर 2025 में प्रस्तावित है, जिसमें आगे की रणनीति और कार्य विभाजन को अंतिम रूप दिया जाएगा।

चुनौतियाँ और समाधान

प्रमुख चुनौतियाँ:

  • परियोजना क्षेत्र में जल प्रवाह का असंतुलन
  • जल वितरण की पारदर्शिता सुनिश्चित करना
  • सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभावों का मूल्यांकन

संभावित समाधान:

  • स्वतंत्र जल नियामक बोर्ड की स्थापना
  • पारदर्शी जल उपयोग नीति
  • स्थानीय समुदायों की भागीदारी सुनिश्चित करना
  • पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन (EIA) की समय पर प्रक्रिया

सामाजिक और आर्थिक प्रभाव

इस परियोजना से लाखों किसान लाभान्वित होंगे। सिंचाई के क्षेत्र में विस्तार से कृषि पर निर्भरता वाले परिवारों की आय में वृद्धि होगी। साथ ही, पेयजल की स्थायी उपलब्धता से ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा।

संक्षिप्त सारांश तालिका

श्रेणीविवरण
परियोजना का नामताप्ती बेसिन मेगा रिचार्ज परियोजना
MoU हस्ताक्षर तिथि10 मई, 2025
राज्यमध्य प्रदेश और महाराष्ट्र
बैठक स्थानभोपाल
अनुमानित लागत₹19,244 करोड़
केंद्रीय फंडिंग90% (अपेक्षित)
कुल जल उपयोग31.13 टीएमसी
सिंचाई कवरेज3,57,788 हेक्टेयर
लाभार्थी जिलेम.प्र.: बुरहानपुर, खंडवा; म.रा.: जलगांव, अकोला, बुलढाणा, अमरावती
रिचार्ज परियोजना स्थितिविश्व की सबसे बड़ी
अगली बोर्ड बैठकअक्टूबर 2025

ताप्ती बेसिन मेगा रिचार्ज परियोजना भारत के जल प्रबंधन के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित हो सकती है। यह न केवल सूखा प्रभावित क्षेत्रों को राहत देगी, बल्कि जल संरक्षण, कृषि विकास और राज्य सहयोग के क्षेत्र में भी नई दिशाएँ तय करेगी। यदि इस परियोजना को नियोजित ढंग से और पारदर्शिता के साथ क्रियान्वित किया जाए, तो यह देश की जल नीति में एक क्रांतिकारी परिवर्तन लाने की क्षमता रखती है।

Economics – KnowledgeSthali
Current Affairs – KnowledgeSthali


इन्हें भी देखें –

Leave a Comment

Contents
सर्वनाम (Pronoun) किसे कहते है? परिभाषा, भेद एवं उदाहरण भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग | नाम, स्थान एवं स्तुति मंत्र प्रथम विश्व युद्ध: विनाशकारी महासंग्राम | 1914 – 1918 ई.