दीवाली 2025: कब है, क्या हैं पाँच शुभ योग, लक्ष्मी-गणेश पूजा का सही मुहूर्त, पूजा विधि, तिथि और महत्त्व

भारत उत्सवों की भूमि है — यहाँ हर पर्व के पीछे कोई न कोई गहरी सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और सामाजिक भावना जुड़ी होती है। इन्हीं में सबसे उज्ज्वल और हर्षोल्लास से भरा पर्व है दीपावली, जिसे दीवाली के नाम से भी जाना जाता है। यह केवल दीपों का त्योहार नहीं, बल्कि प्रकाश का, आशा का और आत्मिक जागरण का प्रतीक है। जब कार्तिक मास की अमावस्या की रात्रि में असंख्य दीप जलते हैं, तो मानो समूचा भारत जगमगा उठता है — घर, आंगन, मंदिर, गलियाँ और हृदय सब प्रकाशित हो उठते हैं।

दीवाली 2025 विशेष महत्त्व रखती है क्योंकि इस बार यह पर्व न केवल सोमवार, 20 अक्टूबर को मनाया जाएगा, बल्कि इस दिन पांच अत्यंत शुभ योगों का संयोग भी बन रहा है — हंस योग, लक्ष्मीनारायण योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग और स्थिर लग्न योग। ऐसे योगों का मिलन कई वर्षों में एक बार ही होता है, जिससे इस वर्ष का दीपोत्सव विशेष फलदायी और मंगलकारी माना जा रहा है।

यह पर्व केवल घरों को रोशनी से नहीं, बल्कि हृदयों को प्रेम, विश्वास और समृद्धि से भी आलोकित करता है। हर राज्य, हर समुदाय अपने-अपने पारंपरिक स्वरूप में इसे मनाता है — कहीं भगवान श्रीराम के अयोध्या आगमन की स्मृति में दीपोत्सव होता है, तो कहीं माँ लक्ष्मी और गणेश जी की आराधना से घर-आंगन में श्रद्धा का दीप जलता है।

इस लेख में हम विस्तारपूर्वक जानेंगे — दीवाली 2025 की सही तारीख, शुभ मुहूर्त, तिथि, पूजा विधि, पाँचों शुभ योगों का महत्व, और साथ ही यह भी समझेंगे कि यह दीपोत्सव हमारे जीवन में आध्यात्मिक और सामाजिक दोनों स्तरों पर क्यों अत्यंत महत्वपूर्ण है।

दीपावली: रोशनी, श्रद्धा और समृद्धि का पर्व

भारत की संस्कृति में यदि किसी एक पर्व को सर्वाधिक आनंद, उत्साह और आध्यात्मिक आस्था के साथ मनाया जाता है, तो वह है दीपावली। यह पर्व केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि भारतीय जीवन-दर्शन की आत्मा है। अंधकार पर प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान, और बुराई पर अच्छाई की विजय का यह पर्व हर भारतीय के जीवन में आशा का दीप जलाता है।

साल 2025 में यह पावन अवसर सोमवार, 20 अक्टूबर को आने जा रहा है। इस वर्ष की दीपावली को अत्यंत शुभ माना जा रहा है क्योंकि इस बार पांच महाशुभ योग बन रहे हैं — हंस योग, लक्ष्मीनारायण योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग और स्थिर लग्न योग। इन योगों के संयोग से यह दीपावली न केवल भौतिक समृद्धि बल्कि आध्यात्मिक उन्नति के दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण हो गई है।

तिथि और पंचांग विवरण: कब है दीवाली 2025?

हिंदू पंचांग के अनुसार, दीपावली कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है। वर्ष 2025 में यह तिथि 20 अक्टूबर दोपहर 3:44 बजे से प्रारंभ होकर 21 अक्टूबर शाम 5:55 बजे तक रहेगी।
चूंकि 20 अक्टूबर को प्रदोषकाल (शाम का शुभ समय) में अमावस्या तिथि विद्यमान होगी, इसलिए ज्योतिषाचार्यों और धर्माचार्यों के अनुसार इसी दिन मुख्य लक्ष्मी-गणेश पूजन और दीपोत्सव करना श्रेष्ठ रहेगा।

🔹 प्रदोषकाल: शाम 6:34 से रात 8:37 बजे तक
🔹 मुख्य पूजा मुहूर्त: शाम 7:08 से रात 8:18 बजे तक (कुल अवधि – 1 घंटा 11 मिनट)
🔹 अमावस्या प्रारंभ: 20 अक्टूबर, दोपहर 3:44 बजे
🔹 अमावस्या समाप्त: 21 अक्टूबर, शाम 5:55 बजे

इन मुहूर्तों के अनुसार, इस बार की दीवाली सोमवार के दिन पड़ने के कारण सोम अमावस्या का भी विशेष योग बन रहा है, जो पितरों की शांति और परिवार की उन्नति के लिए अत्यंत शुभ माना गया है।

दीवाली 2025 का ज्योतिषीय महत्त्व: पांच शुभ योगों की अद्भुत संगति

वर्ष 2025 की दीपावली केवल अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक नहीं होगी, बल्कि यह ग्रह-नक्षत्रों के शुभ प्रभावों से संपन्न एक अत्यंत लाभकारी पर्व भी साबित होगी।
इस वर्ष जिन पांच शुभ योगों का निर्माण हो रहा है, वे हैं:

  1. हंस योग:
    यह योग तब बनता है जब गुरु ग्रह केंद्र स्थान में उच्च स्थिति में होता है। यह राजयोग कहलाता है और इससे धन, मान-सम्मान और ज्ञान की वृद्धि होती है।
    👉 2025 की दीवाली पर हंस महापुरुष योग बन रहा है, जिससे यह वर्ष आर्थिक दृष्टि से शुभ संकेत दे रहा है।
  2. लक्ष्मीनारायण योग:
    जब गुरु और शुक्र एक-दूसरे के साथ शुभ दृष्टि में हों, तब यह योग बनता है। यह योग धन-धान्य, संपत्ति और सुख-सुविधा का द्योतक है। इस योग में किए गए लक्ष्मी पूजन से देवी महालक्ष्मी अत्यंत प्रसन्न होती हैं।
  3. सर्वार्थ सिद्धि योग:
    यह योग किसी भी कार्य में सफलता दिलाने वाला होता है। यदि इस योग में दीपदान किया जाए, तो मान्यता है कि पूरे वर्ष घर में दरिद्रता नहीं आती।
  4. अमृत सिद्धि योग:
    यह योग अमरत्व, दीर्घायु और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इस दिन का दीपकदान शुभ फल देने वाला माना गया है।
  5. स्थिर लग्न योग:
    जब स्थिर राशि (वृष, सिंह, वृश्चिक या कुम्भ) में पूजा की जाए, तो उसे स्थायी फल देने वाला कहा गया है। इस बार शाम का लग्न वृषभ होने से स्थिर लग्न योग बनेगा, जो लक्ष्मी पूजन के लिए सर्वश्रेष्ठ है।

इन पंचमहाशुभ योगों के संगम से यह स्पष्ट है कि दीवाली 2025 हर दृष्टि से सर्वश्रेष्ठ काल लेकर आई है।

दीवाली 2025 की धार्मिक पृष्ठभूमि

दीपावली का संबंध कई पौराणिक कथाओं और धार्मिक परंपराओं से जुड़ा हुआ है।

  • उत्तर भारत में यह त्योहार भगवान श्रीराम के 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटने की स्मृति में मनाया जाता है।
  • गुजरात में इसे माँ लक्ष्मी के आगमन और व्यापारिक नववर्ष (Bestu Varas) के रूप में मनाया जाता है।
  • दक्षिण भारत में इसे भगवान कृष्ण द्वारा नरकासुर पर विजय के प्रतीक के रूप में “नरक चतुर्दशी” कहा जाता है।
  • वहीं सिख समुदाय इसे बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाता है, जब गुरु हरगोविंद जी को मुग़ल बंदीगृह से मुक्त किया गया था।
  • जैन धर्म में इस दिन भगवान महावीर स्वामी का निर्वाण दिवस माना जाता है।

इस प्रकार दीपावली का महत्त्व केवल धार्मिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक भी है।

लक्ष्मी-गणेश पूजा विधि (2025 के लिए)

दीवाली का मुख्य आकर्षण लक्ष्मी-गणेश पूजन होता है। यह पूजा विधि अत्यंत वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दोनों है, क्योंकि यह व्यक्ति के मन, घर और समाज में सकारात्मकता और ऊर्जा का संचार करती है।

पूजा विधि (विस्तृत क्रम):

  1. स्नान और शुद्धिकरण:
    संध्या के समय स्नान कर नए वस्त्र पहनें। घर और पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें।
  2. कलश स्थापना:
    कलश में जल, सुपारी, चावल और सिक्का डालें। कलश के ऊपर नारियल रखकर उस पर स्वस्तिक बनाएं।
  3. देवताओं का आह्वान:
    सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें क्योंकि वे विघ्नहर्ता हैं।
    इसके बाद महालक्ष्मी, कुबेर जी और सरस्वती जी का आह्वान करें।
  4. दीपदान:
    घर के प्रत्येक कोने में दीपक जलाएं। एक दीपक तुलसी के पास, एक मुख्य द्वार पर और एक कूड़े के स्थान पर जलाना शुभ माना गया है।
  5. मंत्र जाप:
    लक्ष्मी जी के लिए: “ॐ महालक्ष्म्यै नमः।”
    गणेश जी के लिए: “ॐ गं गणपतये नमः।”
    कुबेर जी के लिए: “ॐ कुबेराय नमः।”
  6. भोग और आरती:
    पूजन के पश्चात मिठाइयाँ, फल, और खील-बताशे चढ़ाकर आरती करें। परिवार के सभी सदस्य मिलकर लक्ष्मी आरती गाएं।
  7. प्रसाद वितरण और दीप विसर्जन:
    रात में 12 बजे तक दीप जलते रहें, तत्पश्चात प्रातःकाल शुद्ध जल में उन्हें विसर्जित करें।

दीपदान और उसका महत्त्व

दीपदान का शाब्दिक अर्थ है — प्रकाश का दान। यह न केवल आध्यात्मिक रूप से बल्कि पर्यावरण और सामाजिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, दीपदान करने से पापों का नाश होता है, पितरों को शांति मिलती है और घर में सुख-समृद्धि आती है।

दीपदान के नियम:

  • पहला दीप भगवान गणेश के समक्ष, दूसरा माँ लक्ष्मी के समक्ष।
  • एक दीप मुख्य द्वार पर बाहर की ओर, ताकि लक्ष्मी जी का प्रवेश हो सके।
  • एक दीप कूड़े या अपवित्र स्थान पर ताकि नकारात्मक ऊर्जा का नाश हो सके।
  • एक दीप तुलसी जी के पास जलाना अत्यंत शुभ माना गया है।

दीवाली 2025 का सांस्कृतिक और सामाजिक स्वरूप

दीवाली के समय केवल घर ही नहीं, बल्कि पूरा भारत प्रकाश, उल्लास और एकता से जगमगा उठता है।

  • गाँवों में मिट्टी के दीये सजाए जाते हैं।
  • शहरों में रंगीन लाइटें और सजावट की होड़ रहती है।
  • बच्चे आतिशबाज़ियाँ करते हैं, महिलाएँ रंगोली बनाती हैं और पुरुष व्यापारिक खाते (खाताबही) खोलते हैं।

इस दिन कई स्थानों पर रामलीला के समापन के बाद दीपोत्सव आयोजित होता है, जिसमें हजारों दीप जलाकर अयोध्या जैसे नगर स्वर्ग समान दिखते हैं।

2025 की दीपावली विशेष रूप से इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि सरकार और विभिन्न संस्थाओं द्वारा ग्रीन क्रैकर्स अभियान चलाया जा रहा है ताकि प्रदूषण कम हो और पर्यावरण सुरक्षित रहे। इस प्रकार यह पर्व संस्कृति और सतत विकास दोनों का प्रतीक बनता जा रहा है।

आर्थिक दृष्टि से दीवाली का प्रभाव

भारत में दीवाली का समय व्यापार और अर्थव्यवस्था के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।

  • इस अवधि में सोना-चांदी, इलेक्ट्रॉनिक्स, वस्त्र और वाहन बाजार में जबरदस्त उछाल आता है।
  • व्यापारी लक्ष्मी पूजन के साथ नए हिसाब-किताब की शुरुआत करते हैं।
  • शेयर बाजार भी इस दिन विशेष मुहूर्त ट्रेडिंग सत्र आयोजित करता है, जिसे निवेशकों के लिए शुभ माना जाता है।

2025 में चूँकि हंस योग और लक्ष्मीनारायण योग बन रहे हैं, इसलिए अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इस वर्ष दीवाली के बाद बाजारों में नई ऊर्जा देखने को मिलेगी

आध्यात्मिक दृष्टि से दीपावली का संदेश

दीपावली का सबसे गहरा अर्थ है — अपने भीतर के अंधकार को मिटाना।
यह अंधकार हमारे मन में बसी नकारात्मकता, ईर्ष्या, लोभ, क्रोध और अहंकार का प्रतीक है। जब हम दीप जलाते हैं, तो वह केवल तेल का दीप नहीं होता, बल्कि आत्मा का दीपक होता है।

महर्षि वाल्मीकि ने कहा है —

“दीपं शुद्धं सदा ध्यायेत्, दीपं सर्वार्थ साधकम्।”
अर्थात, जो व्यक्ति शुद्ध मन से दीपक का ध्यान करता है, उसे जीवन के सभी कार्यों में सफलता मिलती है।

इस प्रकार दीवाली हमें सिखाती है कि सच्चा प्रकाश केवल बाहर नहीं, बल्कि अंतर में जलता है। जब हम अपने भीतर करुणा, सत्य और प्रेम का दीप जलाते हैं, तभी जीवन में वास्तविक समृद्धि आती है।

दीवाली सप्ताह: पाँच दिनों का पर्व

दीपावली अकेला एक दिन नहीं, बल्कि पाँच दिवसीय उत्सव है। प्रत्येक दिन का अपना धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है:

क्रमांकपर्व का नामतिथि (2025)प्रमुख अनुष्ठान
1धनतेरस17 अक्टूबर 2025 (शुक्रवार)भगवान धन्वंतरि और कुबेर की पूजा, बर्तन-धन की खरीद
2नरक चतुर्दशी / छोटी दीवाली19 अक्टूबर 2025 (रविवार)अभ्यंग स्नान, दीपदान और यमराज की पूजा
3दीवाली / लक्ष्मी पूजन20 अक्टूबर 2025 (सोमवार)लक्ष्मी-गणेश पूजन, दीपोत्सव, मिठाई वितरण
4गोवर्धन पूजा / अन्नकूट21 अक्टूबर 2025 (मंगलवार)श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत की पूजा
5भैया दूज22 अक्टूबर 2025 (बुधवार)भाई-बहन का प्रेम पर्व, तिलक और उपहार

इन पाँचों दिनों का संयोजन भारत की समग्र सांस्कृतिक विविधता को एक सूत्र में पिरोता है।

दीवाली और पर्यावरण: ग्रीन दीवाली का संदेश

वर्तमान समय में जब प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन चुकी है, तो आवश्यक है कि हम “ग्रीन दीवाली” का संदेश अपनाएँ।
2025 की दीवाली को कई राज्य सरकारों ने “इको-फ्रेंडली दीपावली अभियान” के रूप में मनाने का आह्वान किया है। इसके अंतर्गत:

  • मिट्टी के दीयों का प्रयोग,
  • कम धुएँ वाले पटाखे,
  • फूलों और प्राकृतिक रंगों से रंगोली,
  • बायोडिग्रेडेबल सजावट सामग्री का उपयोग प्रोत्साहित किया जा रहा है।

इस प्रकार, आधुनिक युग की दीवाली परंपरा और पर्यावरण के बीच संतुलन का संदेश देती है।

निष्कर्ष: प्रकाश का पर्व, आत्मा का उत्सव

दीवाली 2025 केवल तिथि या मुहूर्त का विषय नहीं है; यह एक आध्यात्मिक यात्रा का अवसर है — अंधकार से प्रकाश की ओर, नकारात्मकता से सकारात्मकता की ओर, और अस्थिरता से स्थिरता की ओर।

20 अक्टूबर की शाम जब करोड़ों दीप जलेंगे, तो यह दृश्य केवल भारत ही नहीं, बल्कि समस्त विश्व को यह सिखाएगा कि जहाँ दीप जलता है, वहाँ आशा जीवित रहती है।
माँ लक्ष्मी, भगवान गणेश और महादेव की कृपा से यह दीवाली सभी के जीवन में धन, धैर्य, धर्म और दया का प्रकाश फैलाए।


✨ शुभकामनाएँ:
इस वर्ष की दीपावली आपके जीवन में नई ऊर्जा, सौभाग्य, और समृद्धि लेकर आए — यही मंगलकामना।
दीपावली 2025 की हार्दिक शुभकामनाएँ! 🌸🪔🌼


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