भारत की नदियाँ और उनकी सहायक नदियाँ | Rivers and Tributaries

भारत एक विशाल और विविध भौगोलिक क्षेत्र है, जिसमें नदियाँ न केवल जल संसाधन प्रदान करती हैं बल्कि आर्थिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। भारतीय उपमहाद्वीप की प्रमुख नदियाँ, जैसे कि सिंधु, गंगा, ब्रह्मपुत्र, यमुना, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी, नर्मदा, दामोदर, रावी, और महानदी, देश के विभिन्न हिस्सों में जीवन के लिए आधारभूत भूमिका निभाती हैं। इन नदियों की सहायक नदियाँ भी उनके जलग्रहण क्षेत्रों की समृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं। इस लेख में हम भारत की प्रमुख नदियों और उनकी सहायक नदियों का विस्तृत विश्लेषण करेंगे, ताकि इनके महत्व और उनके योगदान को समझा जा सके।

Table of Contents

1. सिंधु नदी | भारतीय उपमहाद्वीप की महत्वपूर्ण जलधारा

सिंधु नदी का उद्गम तिब्बत में कैलाश पर्वत की उत्तरी ढलान में मानसरोवर झील के पास होता है। यह तिब्बत के माध्यम से उत्तर-पश्चिम दिशा में बहती है और जम्मू और कश्मीर में भारतीय क्षेत्र में प्रवेश करती है। इस हिस्से में यह एक सुरम्य कण्ठ बनाती है। सिंधु नदी में ज़स्कर, श्योक, नुब्रा और हुंजा जैसी कई सहायक नदियाँ शामिल होती हैं। यह नदी लद्दाख, बाल्टिस्तान और गिलगित के क्षेत्रों से होकर बहती है और लद्दाख रेंज तथा ज़स्कर रेंज के बीच प्रवाहित होती है।

सिंधु नदी नंगा पर्वत के उत्तर में स्थित अटॉक के पास 5181 मीटर गहरे कण्ठ से हिमालय को पार करती है और फिर दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर झुकते हुए पाकिस्तान में प्रवेश करती है। भारत और पाकिस्तान में इसकी कई सहायक नदियाँ हैं। कुल मिलाकर, यह नदी 3610 किलोमीटर लंबी है और कराची के पास अरब सागर में मिलती है।

सिंधु नदी, अपने विशाल और समृद्ध इतिहास, सांस्कृतिक महत्त्व और पारिस्थितिकी तंत्र के कारण एक अद्वितीय स्थान रखती है। यह नदी न केवल एशिया की सबसे लंबी नदियों में से एक है, बल्कि यह क्षेत्र की सभ्यता, कृषि और जल संसाधनों के लिए जीवनरेखा भी है।

सिंधु नदी की महत्ता इस बात में निहित है कि यह न केवल प्राकृतिक जल का स्रोत है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक धरोहर भी है, जिसने सभ्यता के प्रारंभिक चरणों में मानव समाज के विकास में अहम भूमिका निभाई। यह नदी आज भी उन पुरानी यादों और ऐतिहासिक घटनाओं को जीवित रखे हुए है, जो हमारे अतीत का हिस्सा रही हैं।

सिंधु नदी, एशिया की सबसे प्रमुख और ऐतिहासिक नदियों में से एक है, जो न केवल अपने जल संसाधन के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके किनारे पनपी सिंधु घाटी सभ्यता भी विश्व की सबसे पुरानी और महत्वपूर्ण सभ्यताओं में से एक रही है। सिंधु नदी की समृद्ध विरासत, इसके पारिस्थितिकी तंत्र और ऐतिहासिक महत्त्व के कारण इसे पाकिस्तान की राष्ट्रीय नदी भी माना जाता है।

सिंधु नदी का उद्गम तिब्बत के मानसरोवर झील के निकट स्थित बोखार-चू ग्लेशियर से निकलने वाली ‘सिन-का-बाब’ नामक जलधारा को माना जाता है। यहाँ से निकलकर यह नदी तिब्बत के पठार से गुजरती है और जम्मू और कश्मीर की सीमाओं को पार करते हुए दक्षिण-पश्चिम दिशा में बहती है। इसके बाद, यह पाकिस्तान के रेगिस्तानी और सिंचित क्षेत्रों से होकर गुजरती है और कराची के दक्षिण में अरब सागर में गिर जाती है। इस नदी की कुल लंबाई लगभग 3610 किलोमीटर है, जिसमें इसका अधिकांश भाग पाकिस्तान में प्रवाहित होता है। भारतीय भूभाग में सिंधु नदी की लंबाई लगभग 1114 किलोमीटर है।

सिंधु नदी की सहायक नदियाँ

क्रमांकसहायक नदी का नामउद्गम स्थल/प्रवाह दिशाकिस ओर मिलती है
1श्योक नदीकाराकोरम पर्वतमाला के ग्लेशियरदायीं ओर (पश्चिम की तरफ से)
2काबुल नदीअफगानिस्तान, काबुल शहरदायीं ओर (पश्चिम की तरफ से)
3कुर्रम नदीपाकिस्तान के कुर्रम जिलेदायीं ओर (पश्चिम की तरफ से)
4गोमल नदीपश्चिमी पाकिस्तानदायीं ओर (पश्चिम की तरफ से)
5हुंजा नदीकाराकोरम पर्वतमालादायीं ओर (पश्चिम की तरफ से)
6गिलगित नदीगिलगित-बाल्टिस्तानदायीं ओर (पश्चिम की तरफ से)
7स्वात नदीस्वात घाटी, पाकिस्तानदायीं ओर (पश्चिम की तरफ से)
8कुनार नदीअफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमादायीं ओर (पश्चिम की तरफ से)
9झोब नदीबलूचिस्तान, पाकिस्तानदायीं ओर (पश्चिम की तरफ से)
10सतलुज (शतद्रु) नदीतिब्बत, मानसरोवरबायीं ओर (पूर्व की तरफ से)
11व्यास (विपासा) नदीहिमाचल प्रदेश, रोहतांग दर्राबायीं ओर (पूर्व की तरफ से)
12रावी (ईरावती) नदीहिमाचल प्रदेशबायीं ओर (पूर्व की तरफ से)
13चिनाब (चन्द्रभागा) नदीजम्मू-कश्मीरबायीं ओर (पूर्व की तरफ से)
14झेलम (वितस्ता) नदीकश्मीर, अनंतनागबायीं ओर (पूर्व की तरफ से)
15जास्कर नदीहिमालय पर्वतमालाबायीं ओर (पूर्व की तरफ से)
16स्यांग नदीहिमालयबायीं ओर (पूर्व की तरफ से)
17शिगार नदीकाराकोरम पर्वतमालाबायीं ओर (पूर्व की तरफ से)
18गिलगित नदीगिलगित-बाल्टिस्तानबायीं ओर (पूर्व की तरफ से)
19सुरु नदीहिमालयबायीं ओर (पूर्व की तरफ से)
20सुन नदीपर्वतीय क्षेत्रबायीं ओर (पूर्व की तरफ से)
21पंचनद नदीपंजाब की संयुक्त नदियाँबायीं ओर (पूर्व की तरफ से)

सिन्धु नदी तन्त्र | सिन्धु और सहायक नदियाँ | Indus River System

2. ब्रह्मपुत्र नदी | हिमालय की महान धारा

ब्रह्मपुत्र नदी का उद्गम हिमालय के उत्तर में तिब्बत के पुरंग जिले में स्थित मानसरोवर झील के निकट चेमायुंगडुंग ग्लेशियर से होता है। यहाँ पर इसे “यरलुंग त्संगपो” के नाम से जाना जाता है। यह स्थान समुद्र तल से लगभग 5,300 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यह नदी तिब्बत, भारत तथा बांग्लादेश से होते हुए बंगाल की खाड़ी में जाकर मिलती है।

ब्रह्मपुत्र नदी का विशाल और विविधतापूर्ण मार्ग तिब्बत के पठारों से होकर भारत और बांग्लादेश के मैदानी इलाकों तक फैला है। यह नदी केवल एक जलधारा नहीं है, बल्कि यह इस क्षेत्र की सांस्कृतिक, आर्थिक और पारिस्थितिकी धरोहर भी है। इसके विशाल जल प्रवाह, सहायक नदियों, और जटिल अपवाह तंत्र ने इसे एक अद्वितीय प्राकृतिक संपदा बना दिया है। हालांकि, बाढ़, जलवायु परिवर्तन, और जल प्रबंधन की चुनौतियों के कारण इस नदी के संरक्षण और सतत विकास के लिए आवश्यक उपाय करना अत्यधिक महत्वपूर्ण हो गया है।

ब्रह्मपुत्र के विस्तृत अध्ययन से पता चलता है कि यह नदी न केवल तिब्बत, भारत और बांग्लादेश के भौगोलिक और पर्यावरणीय संतुलन को प्रभावित करती है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन का एक अविभाज्य हिस्सा भी है।

ब्रह्मपुत्र नदी, जिसे पूर्व में यारलुंग त्संगपो के नाम से जाना जाता है, तिब्बत से शुरू होकर भारत के असम राज्य और बांग्लादेश से होती हुई बहती है। यह नदी गंगा और सिंधु की तरह ही भारतीय सभ्यता की एक महत्वपूर्ण धारा है। ब्रह्मपुत्र नदी की कुल लम्बाई 2,900 किलोमीटर है जो दुनिया की 29वीं सबसे लंबी नदी है।

ब्रह्मपुत्र नदी की सहायक नदियाँ

ब्रह्मपुत्र नदी की सहायक नदियों के नाम को उत्तर और दक्षिण तट की सहायक नदियों के रूप में निम्नलिखित सूची में दिया गया है –

ब्रह्मपुत्र नदी की उत्तर तट की सहायक नदियाँब्रह्मपुत्र नदी की दक्षिण तट की सहायक नदियाँ
सुबसिरी (Subansiri)नोआ दिहिंग (Noa Dehing)
सियांग (Siang)बुरीदिहिंग (Buridehing)
कामेंग (जियाभाराली) (Kameng)दिबांग (Dibang)
धनसिरी (उत्तर) (Dhansiri North)धनसिरी (दक्षिण) (Dhansiri South)
मानस (Manas)कोपिली (Kopili)
संकोष (Sankosh)डिखो (Dikhow)
जीधाल (Jiadhal)डिगारु (Digaru)
पुथिमारी (Puthimari)दुधनई (Dudhnai)
पागलदिया (Pagladiya)कृष्णाई (Krishnai)
चम्पामति (Champamati)जिनजिरान (Jinjiran)
सारलभंगा (Saralbhanga)कुलसी (Kulsi)
आई (Aie)भोगदोई (Bhogdoi)

ब्रह्मपुत्र नदी में उत्तर बंगाल से जुड़ने वाली नदियाँ

  • तीस्ता (Tista)
  • संकोष (Sankosh)
  • रैडाइक-I (Raidak-I)
  • रैडाइक-II (Raidak-II)
  • तोर्सा (Torsa)
  • जलढाका (Jaldhaka)

ब्रह्मपुत्र नदी तन्त्र | ब्रह्मपुत्र और सहायक नदियाँ

3. गंगा नदी | भारत की जीवनदायिनी नदी

गंगा नदी, भारत की सबसे पवित्र नदी मानी जाती है और देश की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान का अभिन्न हिस्सा है। गंगा हिमालय से निकलती है और बंगाल की खाड़ी में समा जाती है। यह भारत के एक-चौथाई क्षेत्र को सींचती है और इसकी घाटी सैकड़ों मिलियन लोगों का जीवन-निर्वाह करती है। गंगा का अधिकांश प्रवाह गंगा के मैदानी क्षेत्र से होकर गुजरता है, जिसे हिंदुस्तान का हृदयस्थल माना जाता है। इस क्षेत्र ने मौर्य साम्राज्य (3वीं शताब्दी ईसा पूर्व) से लेकर मुगल साम्राज्य (16वीं शताब्दी) तक कई सभ्यताओं का उदय देखा है।

गंगा नदी दक्षिणी महान हिमालय से, भारत और चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र की सीमा के पास, निकलती है। पाँच प्रमुख सहायक नदियाँ भागीरथी, अलकनंदा, मंदाकिनी, धौलीगंगा, और पिंडर मिलकर गंगा नदी का निर्माण करती है। ये सभी नदियाँ उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों से निकलती हैं तथा विभिन्न स्थानों पर मिल कर पंच प्रयाग का निर्माण करती है। इनमें मुख्यतः दो प्रमुख धाराएँ हैं — अलकनंदा और भागीरथी।

अलकनंदा, जो इन दोनों में लंबी है, नंदा देवी पर्वत के उत्तर में लगभग 50 किलोमीटर (30 मील) की दूरी पर निकलती है। दूसरी ओर, भागीरथी लगभग 10,000 फीट (3,000 मीटर) की ऊँचाई पर, हिमालय के गंगोत्री हिमनद के आधार पर स्थित एक उपहिमनदीय गुफा से निकलती है। गंगोत्री हिंदुओं के लिए एक पवित्र तीर्थस्थल है। गंगा का वास्तविक स्रोत गौमुख को माना जाता है, जो गंगोत्री से लगभग 21 किलोमीटर (13 मील) दक्षिण-पूर्व में स्थित है।

अलकनंदा और भागीरथी नदियाँ देवप्रयाग में मिलकर मुख्य धारा गंगा का निर्माण करती हैं। गंगा यहाँ से दक्षिण-पश्चिम दिशा में श्वालिक पर्वतमाला (बाहरी हिमालय) को काटते हुए बहती है और ऋषिकेश में पहाड़ों से निकलकर मैदानों में प्रवेश करती है। इसके बाद यह हरिद्वार पहुँचती है, जो हिंदुओं का एक पवित्र तीर्थस्थल है।

गंगा का अधिकांश प्रवाह भारतीय क्षेत्र में है, लेकिन इसका विशाल डेल्टा बंगाल क्षेत्र में स्थित है, जिसे यह ब्रह्मपुत्र नदी के साथ साझा करती है। यह डेल्टा मुख्य रूप से बांग्लादेश में स्थित है। गंगा का प्रवाह सामान्यतः उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व की ओर होता है, लेकिन डेल्टा क्षेत्र में यह दक्षिण की ओर मुड़ जाता है।

गंगा नदी की सहायक नदियाँ

गंगा नदी की सहायक नदियों का विवरण निम्नलिखित है –

  • गोमती: गोमती नदी उत्तर प्रदेश से बहती है और गंगा में मिलती है। यह क्षेत्रीय जलवायु और कृषि के लिए महत्वपूर्ण है।
  • घाघरा: घाघरा नदी, गंगा की एक प्रमुख सहायक है जो नेपाल से शुरू होती है और उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से होकर बहती है।
  • गंडक: गंडक नदी भी नेपाल से निकलती है और उत्तर प्रदेश और बिहार के विभिन्न हिस्सों से होकर गंगा में मिलती है।
  • कोसी: कोसी नदी, बिहार के लिए महत्वपूर्ण है और गंगा में विलीन होती है। इसे ‘सुरंग नदी’ के नाम से भी जाना जाता है।
  • यमुना: यमुना नदी, गंगा की एक प्रमुख सहायक है और उत्तर भारत के विभिन्न हिस्सों से बहती है।
  • सोन: सोन नदी, मध्य प्रदेश और बिहार से होती हुई गंगा में मिलती है।
  • हुगली: हुगली नदी, गंगा की एक शाखा है जो पश्चिम बंगाल से बहती है और कोलकाता शहर के महत्वपूर्ण जलस्रोतों में से एक है।

गंगा में दाहिनी (दक्षिणी दिशा) और बाईं (उत्तरी दिशा) से मिलने वाली प्रमुख सहायक और उपसहायक नदियों को उनके उद्गम स्थल और किस नदी से कहाँ पर मिल रही हैं, यह जानकारी निम्नलिखित सारणी में व्यवस्थित की गई है –

गंगा में दाहिनी ओर (दक्षिणी दिशा) से मिलने वाली सहायक नदियाँ

क्रमांकनदीउद्गम स्थलमिलन स्थान
1यमुनायमुनोत्री हिमखंड, हिमालयप्रयागराज, उत्तर प्रदेश में गंगा से मिलती है
2तमसा (टोन्स)मध्य प्रदेश के मैहर जिले में कैमूर पर्वतमाला में स्थित तमसा कुण्ड नामक जलाशयउत्तर प्रदेश में प्रयागराज से 32 किलोमीटर दूर सिरसा के निकट यह गंगा नदी में मिल जाती है।
3कर्मनाशाबिहार के कैमूर ज़िले के सरोदाग के पास कैमूर रेंज की पहाड़ीबिहार में गंगा नदी से मिलती है
4सोननदीअमरकंटक पठार, मध्य प्रदेशपटना के पास गंगा से मिलती है

गंगा में दाहिनी ओर (दक्षिणी दिशा) से मिलने वाली उपसहायक नदियाँ

क्रमांकनदीउद्गम स्थलमिलन स्थान
1चम्बलमध्य प्रदेश, जनापाव पहाड़ीइटावा, उत्तर प्रदेश में यमुना से मिलती है।
2टोंसउत्तराखंड के बंदरपूंछ पर्वत से 6,315 मीटर की ऊंचाई परदेहरादून के पास कालसी क्षेत्र के नीचे यमुना में जाकर मिलती है।
3बेतवामध्य प्रदेश, विंध्याचल पर्वतमालाहमीरपुर, उत्तर प्रदेश में यमुना से मिलती है।
4गिरिहिमाचल प्रदेश, शिवालिक पर्वतयमुना नदी से मिलती है।
5आसनउत्तराखंडयमुना नदी से मिलती है।
6केनमध्य प्रदेश, विंध्याचल क्षेत्रयमुना नदी से मिलती है।

गंगा में बाईं ओर (उत्तरी दिशा) से मिलने वाली सहायक नदियाँ

क्रमांकनदीउद्गम स्थलमिलन स्थान
1रामगंगाकुमाऊँ हिमालय, उत्तराखंडकन्नौज के पास गंगा से मिलती है।
2गोमतीपीलीभीत, उत्तराखंडगाजीपुर, उत्तर प्रदेश में गंगा से मिलती है।
3घाघरा (सरयू)तिब्बतबलिया, उत्तर प्रदेश में गंगा से मिलती है।
4गंडकनेपाल, त्रिशूल पर्वतसोनपुर, बिहार में गंगा से मिलती है।
5बूढ़ी गंडकनेपाल, शिवालिक पर्वतखगड़िया ज़िले में, खगड़िया शहर के निकट गंगा नदी में मिल जाती है।
5कोसीतिब्बत और नेपाल, गोसाईधामकटिहार, बिहार में गंगा से मिलती है।
6महानंदादार्जिलिंग जिले का हिमालयी क्षेत्रबांग्लादेश में पद्मा (गंगा) नदी से मिलती है।

गंगा में बाईं ओर (उत्तरी दिशा) से मिलने वाली उपसहायक नदियाँ

क्रमांकनदीउद्गम स्थलमिलन स्थान
1बागमतीनेपाल में हिमालय की महाभारत श्रेणियों में स्थित बागद्वारकमला नदी से मिलने के बाद बोर्नेस्थान, बिहार में यह कोसी नदी में मिल जाती है। 
2करनाली (सरयू)तिब्बत के पठार पर स्थित मापचांचुगों हिमनदकरनाली अथवा कर्णाली नदी नेपाल से होकर दक्षिण-पूर्व में बहते हुए सिवालिक पर्वतमाला को पार करके यह दो शाखाओं में विभाजित हो जाती है और आगे जाकर भारतीय सीमा के दक्षिण में फिर से जुड़ती हैं और घाघरा का निर्माण करती हैं।
3शारदा (महाकाली)उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़ जिले में नंदा देवी पर्वतमाला के पूर्वी ढलानों सेबहराइच के दक्षिण-पश्चिम में घाघरा नदी से मिल जाती है।

4. यमुना नदी | गंगा की सबसे लम्बी सहायक नदी

यमुना नदी, उत्तर भारत की एक प्रमुख नदी है, जो मुख्य रूप से उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश राज्यों से होकर बहती है। यह गंगा की सबसे लम्बी सहायक नदी है और भारत की सबसे पवित्र नदियों में से एक मानी जाती है।

यमुना नदी पश्चिमी उत्तराखंड में हिमालय की बांदरपंच पर्वतमाला की ढलानों से, यमुनोत्री (जमुनोत्री) के पास से निकलती है। यह दक्षिण दिशा की ओर हिमालय की तलहटी से होकर तेजी से बहती है और उत्तराखंड से निकलकर गंगा के मैदान में प्रवेश करती है। यहाँ यह उत्तर प्रदेश और हरियाणा की सीमा के साथ बहती है। इस क्षेत्र में नदी से पूर्वी और पश्चिमी यमुना नहरों को पानी मिलता है।

दिल्ली के पास पहुँचने पर यमुना आगरा नहर को जल प्रदान करती है। दिल्ली के दक्षिण में, अब पूरी तरह उत्तर प्रदेश के भीतर, यह मथुरा के पास दक्षिण-पूर्व दिशा में मुड़ती है और फिर आगरा, फिरोजाबाद, और इटावा से होकर बहती है। इटावा के पास यमुना में कई दक्षिणी सहायक नदियाँ मिलती हैं, जिनमें प्रमुख हैं चंबल, सिंध, बेतवा, और केन।

प्रयागराज (इलाहाबाद) के पास, लगभग 1,376 किलोमीटर (855 मील) की यात्रा के बाद, यमुना गंगा नदी में मिल जाती है। इन दोनों नदियों का संगम हिंदुओं के लिए अत्यंत पवित्र स्थल है। यहाँ वार्षिक मेले और हर 12 वर्षों में कुंभ मेले का आयोजन होता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं।

यमुना की सहायक नदियाँ

  • चंबल: चंबल नदी, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश से बहती है और यमुना में मिलती है। यह क्षेत्र की जलवायु और कृषि के लिए महत्वपूर्ण है।
  • सिंध: सिंध नदी, राजस्थान और हरियाणा से होकर बहती है और यमुना की सहायक नदी है।
  • बेतवा: बेतवा नदी, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश से बहती है और यमुना में मिलती है।
  • केन: केन नदी, मध्य प्रदेश से शुरू होकर यमुना में मिलती है।
  • टोंस: टोंस नदी, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के क्षेत्रों से बहती है और यमुना में विलीन होती है।
  • हिन्डन: हिन्डन नदी, उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से बहती है और यमुना में मिलती है।

5. गोदावरी नदी और उसकी सहायक नदियाँ

गोदावरी नदी, दक्षिण भारत की सबसे लंबी नदी है और इसे ‘दक्षिण की गंगा’ भी कहा जाता है। यह नदी महाराष्ट्र से शुरू होती है और बंगाल की खाड़ी में मिलती है।

सहायक नदियाँ:

  • इंद्रावती: इंद्रावती नदी, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के क्षेत्रों से होकर बहती है और गोदावरी में विलीन होती है।
  • मंजिरा: मंजिरा नदी, महाराष्ट्र और तेलंगाना के क्षेत्रों से बहती है और गोदावरी में मिलती है।
  • बिन्दुसार: बिन्दुसार नदी, गोदावरी की सहायक है और महाराष्ट्र के क्षेत्रों से बहती है।
  • सरबरी: सरबरी नदी, गोदावरी की एक प्रमुख सहायक है जो महाराष्ट्र से बहती है।
  • पेनगंगा: पेनगंगा नदी, गोदावरी की सहायक है और महाराष्ट्र से शुरू होकर गोदावरी में मिलती है।
  • प्राणहिता: प्राणहिता नदी, गोदावरी की एक महत्वपूर्ण सहायक है और मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से बहती है।

6. कृष्णा नदी और उसकी सहायक नदियाँ

कृष्णा नदी, दक्षिण भारत की एक प्रमुख नदी है जो महाराष्ट्र से शुरू होकर आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में बहती है और बंगाल की खाड़ी में मिलती है।

सहायक नदियाँ:

  • तुंगभद्रा: तुंगभद्रा नदी, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के क्षेत्रों से बहती है और कृष्णा में मिलती है।
  • घटप्रभा: घटप्रभा नदी, कर्नाटक से शुरू होती है और कृष्णा में विलीन होती है।
  • मालाप्रभा: मालाप्रभा नदी, कर्नाटक से बहती है और कृष्णा में मिलती है।
  • भीम: भीम नदी, कर्नाटक और महाराष्ट्र से बहती है और कृष्णा की सहायक है।
  • वेदावती: वेदावती नदी, कर्नाटक से बहती है और कृष्णा में विलीन होती है।
  • कोयना: कोयना नदी, महाराष्ट्र से निकलती है और कृष्णा में मिलती है।

7. कावेरी नदी और उसकी सहायक नदियाँ

कावेरी नदी, दक्षिण भारत की प्रमुख नदियों में से एक है और तमिलनाडु और कर्नाटक के क्षेत्रों से बहती है। इसे ‘कावेरी माता’ भी कहा जाता है।

सहायक नदियाँ:

  • काबिनी: काबिनी नदी, कर्नाटक से बहती है और कावेरी में मिलती है।
  • हेमावती नदी: हेमावती नदी कर्नाटक के क्षेत्रों से बहती है और कावेरी में विलीन होती है।
  • सिम्शा नदी: सिम्शा नदी, कर्नाटक से बहती है और कावेरी में मिलती है।
  • अर्कावती नदी: अर्कावती नदी, कर्नाटक से बहती है और कावेरी में मिलती है।
  • भवानी नदी: भवानी नदी, तमिलनाडु से बहती है और कावेरी में विलीन होती है।

8. नर्मदा नदी और उसकी सहायक नदियाँ

नर्मदा नदी, मध्य भारत की एक प्रमुख नदी है जो गुजरात और मध्य प्रदेश के क्षेत्रों से बहती है और अरब सागर में मिलती है।

सहायक नदियाँ:

  • अमरावती: अमरावती नदी, मध्य प्रदेश से बहती है और नर्मदा में विलीन होती है।
  • भुखी: भुखी नदी, नर्मदा की सहायक है और मध्य प्रदेश के क्षेत्रों से बहती है।
  • तवा: तवा नदी, मध्य प्रदेश से बहती है और नर्मदा में मिलती है।
  • बंगेर: बंगेर नदी, नर्मदा की एक प्रमुख सहायक है जो मध्य प्रदेश से बहती है।

9. दामोदर नदी और उसकी सहायक नदियाँ

दामोदर नदी, झारखंड और पश्चिम बंगाल से बहती है और हुगली नदी में मिलती है। यह नदी कोयला क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है।

सहायक नदियाँ:

  • बराकर: बराकर नदी, झारखंड से बहती है और दामोदर में मिलती है।
  • कोनार: कोनार नदी, झारखंड से बहती है और दामोदर में विलीन होती है।

10. रावी नदी और उसकी सहायक नदियाँ

रावी नदी, हिमालय के क्षेत्र से बहती है और पाकिस्तान में सिंधु नदी में मिलती है। यह नदी भारतीय पंजाब के लिए महत्वपूर्ण है।

सहायक नदियाँ:

  • बुधिल: बुधिल नदी, रावी की सहायक है और जम्मू और कश्मीर से बहती है।
  • नई या धोना: नई या धोना नदी, रावी की एक प्रमुख सहायक है।
  • सिउल: सिउल नदी, जम्मू और कश्मीर से बहती है और रावी में विलीन होती है।
  • ऊझ: ऊझ नदी, जम्मू और कश्मीर से बहती है और रावी में मिलती है।

11. महानदी नदी और उसकी सहायक नदियाँ

महानदी नदी, मध्य और पूर्व भारत की एक प्रमुख नदी है जो छत्तीसगढ़ से शुरू होकर उड़ीसा में बंगाल की खाड़ी में मिलती है।

सहायक नदियाँ:

  • सिवनाथ: सिवनाथ नदी, छत्तीसगढ़ से बहती है और महानदी में मिलती है।
  • हसदेव: हसदेव नदी, छत्तीसगढ़ से बहती है और महानदी में विलीन होती है।
  • जोंक: जोंक नदी, ओडिशा से बहती है और महानदी में मिलती है।
  • मंड: मंड नदी, छत्तीसगढ़ से बहती है और महानदी में मिलती है।
  • इब: इब नदी, ओडिशा से बहती है और महानदी में विलीन होती है।
  • ओंग: ओंग नदी, ओडिशा से बहती है और महानदी में मिलती है।
  • तेल: तेल नदी, ओडिशा से बहती है और महानदी में विलीन होती है।

भारत की कुछ महत्वपूर्ण नदियों का संक्षिप्त विवरण


झेलम नदी: कश्मीर की जीवनरेखा

झेलम नदी का उद्गम कश्मीर के दक्षिण-पूर्वी हिस्से में वेरीनाग के झरने से होता है। यह वुलर झील से होकर बहती है और बारामुला में प्रवेश करती है। पीर पंजाल रेंज में, यह बारामुला और मुज़फ़्फ़राबाद के बीच एक गहरे कण्ठ में बहती है। मुजफ्फराबाद में झेलम नदी में किशनगंगा नामक सहायक नदी शामिल होती है।

झेलम पंजाब के मैदानों से बहती हुई अंततः पाकिस्तान में त्रिमु के पास चिनाब नदी में मिल जाती है। झेलम नदी का कश्मीर क्षेत्र की अर्थव्यवस्था और संस्कृति में महत्वपूर्ण योगदान है।


चिनाब नदी: चंद्र और भागा का संगम

चिनाब नदी का उद्गम लाहुल क्षेत्र में बारा लाचा दर्रे के पास चंद्र और भागा नदियों के संगम से होता है। इसे हिमाचल प्रदेश में चंद्रभागा के नाम से भी जाना जाता है। यह नदी उत्तर-पश्चिम दिशा में पीर पंजाल रेंज के समानांतर बहती है और किश्तवाड़ के पास सीमा के माध्यम से कट जाती है।

अखनूर के पास यह पंजाब के मैदानों में प्रवेश करती है और बाद में झेलम नदी में शामिल हो जाती है। चिनाब नदी पाकिस्तान में रवि और सतलुज नदियों से भी जुड़ती है।


ब्यास नदी: कुल्लू घाटी की शोभा

ब्यास नदी का उद्गम रोहतांग दर्रे के पास स्थित ब्यास कुंड से होता है। यह मनाली और कुल्लू से गुजरती है, जहाँ इसकी घाटी को कुल्लू घाटी के नाम से जाना जाता है। नदी मंडी शहर से उत्तर-पश्चिम दिशा में बहती है और फिर पंजाब के मैदानों में प्रवेश करती है। हरिका के पास यह सतलुज नदी में मिल जाती है। ब्यास नदी की कुल लंबाई 615 किमी है।


रावी नदी: हिमाचल की छोटी लेकिन महत्वपूर्ण नदी

रावी नदी उत्तरी भारत में प्रवाहित होने वाली एक नदी है। इस नदी का उल्लेख ऋग्वैदिक काल में भी किया गया है, इसका ऋग्वैदिक कालीन नाम परुष्णी है। यह नदी अमृतसर और गुरदासपुर की सीमा बनाती है। रावी नदी को लहौर नदी भी कहा जाता है।

रावी नदी का उद्गम रोटांग दर्रे के पास कांगड़ा हिमालय में होता है। रोहतांग दर्रे से निकल कर रावी नदी हिमाचल प्रदेश, जम्‍मू कश्‍मीर होते हुए डलहौजी के पास दक्षिण-पश्चिम दिशा में मुड़ती है और माधोपुर के पास पंजाब के मैदानों में प्रवेश करती है। ढोला धार रेंज में एक कण्ठ काटते हुए यह पाकिस्तान में चिनाब नदी में मिल जाती है। यहीं पर थीन बांध का निर्माण हुआ है। रावी नदी की कुल लंबाई लगभग 720 किमी है। यह नदी सिंधु के सहायक पंचनद में सबसे छोटी नदी हैं।

1960 के सिंधु जल संधि के अनुसार, रावी और दो अन्य नदियों का पानी भारत को आवंटित किया गया था।


सतलुज नदी: हिमालय की प्राचीन धारा

सतलुज नदी का उद्गम तिब्बत में राकस झील से होता है, जो मानसरोवर झील से जुड़ी हुई है। यह नदी शिपकी दर्रे के माध्यम से हिमाचल प्रदेश में प्रवेश करती है और स्पीति नदी से जुड़ती है। सतलुज नदी लद्दाख और ज़ांस्कर की श्रेणियों में गहरे कण्ठ काटती हुई पंजाब के मैदानों में प्रवेश करती है।

भाखड़ा नांगल बांध सतलुज नदी पर स्थित है, जिससे गोबिंद सागर झील का निर्माण हुआ है। नदी की कुल लंबाई 1500 किमी है।


रामगंगा नदी: गढ़वाल की धारा

रामगंगा नदी का उद्गम गढ़वाल की पहाड़ियों में गैरसेन के पास होता है। यह उत्तर प्रदेश के मैदानों में बहते हुए कन्नौज के पास गंगा नदी में विलीन हो जाती है।


घाघरा नदी: शारदा और कर्णाली का संगम

घाघरा नदी को पहाड़ी क्षेत्र में कर्णाली और मैदान में घाघरा कहा जाता है। यह शारदा नदी के साथ मिलकर बिहार में छपरा के पास गंगा नदी में विलीन हो जाती है।


गंडक नदी: दो धाराओं का संगम

गंडक नदी का निर्माण कालीगंडक और त्रिशूलगंगा नदियों के संगम से होता है। यह बिहार के चंपारण जिले में गंगा के मैदान में प्रवेश करती है और सोनपुर में गंगा नदी में मिलती है।


काली गंगा (शारदा या सरयू)

काली गंगा का उद्गम उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में है। यह भारत-नेपाल सीमा के साथ बहती हुई घाघरा नदी में मिल जाती है।


बेतवा नदी: बुंदेलखंड की धारा

बेतवा नदी मध्य प्रदेश में भोपाल के पास से निकलती है। यह उत्तर-पूर्वी दिशा में बहती हुई ग्वालियर और झाँसी के क्षेत्रों से गुजरती है।


सोन नदी: गंगा की दक्षिणी सहायक नदी

सोन नदी का उद्गम अमरकंटक पठार से होता है। यह नदी उत्तर दिशा में बहती हुई आरा के पास गंगा नदी में मिल जाती है।


कोसी नदी: शोक की नदी

कोसी नदी का उद्गम तिब्बत में माउंट एवरेस्ट के उत्तर में होता है। इसकी प्रमुख धारा अरुण नदी है। बाढ़ के कारण इसे ‘शोक की नदी’ भी कहा जाता है। यह बिहार में गंगा नदी में मिलती है।


इन नदियों और उनकी सहायक नदियों का विस्तृत नेटवर्क भारत की प्राकृतिक सुंदरता और संसाधनों की समृद्धि को दर्शाता है। ये नदियाँ न केवल जल संसाधन और कृषि के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि भारतीय सभ्यता और संस्कृति की भी महत्वपूर्ण धारा हैं।

भारत की प्रमुख नदियों की सहायक नदियों की सूची (टेबल)


मुख्य नदीप्रमुख सहायक नदियाँ
सिंधुसतलुज, द्रास, जांस्कर, श्योक, गिल्गिट, सुरु
ब्रह्मपुत्रदिबांग, लोहित, जिया भोरेली (कामेंग), दिखौव, सुबानसिरी, मानस
गंगागोमती, घाघरा, गंडक, कोसी, यमुना, सोन, हुगली
यमुनाचंबल, सिंध, बेतवा, केन, टोंस, हिन्डन
गोदावरीइंद्रावती, मंजिरा, बिन्दुसार, सरबरी, पेनगंगा, प्राणहिता
कृष्णातुंगभद्रा, घटप्रभा, मालाप्रभा, भीम, वेदावती, कोयना
कावेरीकाबिनी, हेमावती, सिम्शा, अर्कावती, भवानी
नर्मदाअमरावती, भुखी, तवा, बंगेर
दामोदरबराकर, कोनार
रावीबुधिल, नई या धोना, सिउल, ऊझ
महानदीसिवनाथ, हसदेव, जोंक, मंड, इब, ओंग, तेल

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