नाजी जर्मनी: तिरस्करण की शक्ति | 1933 -1945

नाजी जर्मनी, जिनका आधार 1933 में आया था, एक इतिहासकारी और प्राधिकृतिक घटना था जो द्वितीय विश्व युद्ध के परिणामस्वरूप जर्मनी में आए नाजी पार्टी के शासन को वर्णित करता है। इस प्राधिकृतिक शासन के दौरान, नाजी जर्मनी ने जर्मन समाज को अपने नियंत्रण में किया और अनेक आतंकवादी कार्रवाइयों का आयोजन किया, जिसमें होलोकॉस्ट के तहत लाखों यहूदी और अन्य समुदायों के लोगों की हत्या की गई।

नाजी जर्मनी का इतिहास आतंकवाद, राजनीतिक प्रतिबद्धता, और युद्ध के प्रभाव की उत्कृष्ट उदाहरण है, जिसका मानवता और विश्व इतिहास पर गहरा प्रभाव हुआ। नाजी जर्मनी के इस अध्याय को विचारशीलता और सुरक्षा के प्रति जागरूकता की दृष्टि से देखा जाता है।

Table of Contents

नाजी जर्मनी का संक्षिप्त विवरण

विषयविवरण
राजधानी और सबसे बड़ा शहरबर्लिन
अवसामान्य भाषाजर्मन
धर्म54% प्रोटेस्टेंट, 40% कैथोलिक, 3.5% गॉटग्लौबिग, 1.5% अधार्मिक, 1% अन्य
जनसंख्या1939 में: 79,375,281
1940 में: 109,518,183
सरकारएक एकाधिकृत नाजी एकपार्टी फासीवादी राज्य जिसमें एक पूर्णत: नियंत्रक तानाशाही है।
राज्य के प्रमुख1933–1934: पॉल वॉन हिंडेनबर्ग
1934–1945: एडॉल्फ हिटलर
1945: कार्ल डोनिट्ज
प्रधानमंत्री1933–1945: एडॉल्फ हिटलर
1945: जोसेफ गोएबल्स
1945: लुट्ज़ वॉन क्रोसिगक
विधान मंडलराइचस्ताग
उच्च सदनराइच्सराट (1934 में बिघटित)
ऐतिहासिक युग द्वितीय विश्व युद्ध
क्षेत्र– 1939: 633,786 किमी² (244,706 वर्ग मील)
– 1940: 823,505 किमी² (317,957 वर्ग मील)
मुद्राराइच्समार्क (ℛℳ)
पूर्व राज्यवाइमर गणराज्य
उत्तराधिकारी राज्यपूर्वी जर्मनी, पश्चिमी जर्मनी, ऑस्ट्रिया, पूर्वी जर्मनी, ऑस्ट्रिया
नाजी जर्मनी का संक्षिप्त विवरण

नाजी जर्मनी – एक अधिनायकवादी तानाशाही राज्य

नाजी जर्मनी, जिसे आधिकारिक तौर पर 1943 तक जर्मन रीच [आई] के रूप में जाना जाता था, बाद में ग्रेटर जर्मन रीच [जे] था, 1933 और 1945 के बीच जर्मन राज्य था, जब एडॉल्फ हिटलर और नाजी पार्टी ने देश को नियंत्रित किया और इसे एक अधिनायकवादी तानाशाही राज्य में बदल दिया। इस राज्य के चलने के दौरान, हिटलर ने जर्मन समाज को एक संघटित और प्रतिष्ठित तरीके से नियंत्रित किया और जर्मनी को अपने आदर्शों के आधार पर निर्माण करने का प्रयास किया।

जर्मन रीच (1933-1943)

जर्मन रीच (1933-1943) के दौरान, हिटलर ने वायमर गणराज्य को समाप्त करके नाजी जर्मनी का निर्माण किया और वहाँ के समाज, सेना, और शासन को अपने नियमों और नीतियों के अनुसरण के लिए विवश किया। इसके परिणामस्वरूप, नाजी जर्मनी ने यूरोप में अपनी आक्रमणकारी नीतियों को आगे बढ़ाया और द्वितीय विश्व युद्ध के प्रारंभिक चरण में सफलता प्राप्त की।

ग्रेटर जर्मन रीच (1943-1945)

ग्रेटर जर्मन रीच (1943-1945) के दौरान, जर्मनी का क्षेत्रीय नियंत्रण सीमित हो गया और वह युद्ध में हारने की ओर बढ़ गया। अमेरिका और मित्र राष्ट्रों के आक्रमण, हवाई बमबारी, और सोवियत संघ के पुनरुत्थान के परिणामस्वरूप, जर्मनी को 1945 में हार का सामना करना पड़ा और उसे 1939 की सीमा पर वापस धकेल दिया गया।

फ्रांस पर मित्र राष्ट्रों के आक्रमण के बाद, जर्मनी को पूर्व से सोवियत संघ और पश्चिम से अन्य मित्र राष्ट्रों ने जीत लिया, और 8 मई 1945 को जर्मन संरक्षित राष्ट्र के आत्मसमर्पण करना पड़ा। हिटलर के हार स्वीकार करने से इनकार करने के कारण जर्मन बुनियादी ढांचे का बड़े पैमाने पर विनाश हुआ और युद्ध से संबंधित अतिरिक्त मौतें हुईं। युद्ध के अंतिम महीनों में, मित्र राष्ट्रों ने अस्वीकरण की नीति शुरू की और नूर्नबर्ग परीक्षणों में युद्ध अपराधों के लिए कई जीवित नाजी नेतृत्व पर मुकदमा चलाया गया। इससे द्वितीय विश्व युद्ध का अंत हुआ और यूरोप और दुनिया का भूमिगत सार्वजनिक जीवन में बदलाव आया।

नाजी जर्मनी की स्थापना

Flag of Nazi Germany

नाजी जर्मनी (Nazi Germany) दुनिया के इतिहास के एक महत्वपूर्ण और चुनौतीपूर्ण काल में एक प्रमुख राज्य था जो 1933 से 1945 तक विदेशी नीतियों, संगठनों और दुनिया के इतिहास के सबसे बड़े और दुखद घटनाक्रमों में से कुछ में शामिल हुआ।

नाजी पार्टी (Nazi Party), जिसके प्रमुख नेता आडोल्फ हिटलर थे, 1933 में जर्मनी में सत्ता में आई और हिटलर को जर्मनी के चांसलर (केंसलर) बनाया गया। इसके बाद, वे नाजी जर्मनी का नेतृत्व स्थापित करने के लिए कई अद्भुत कदम उठाए, जिसमें जर्मन समाज को अपने नियंत्रण में करना शामिल था।

नाजी जर्मनी की स्थापना नाजी पार्टी (Nazi Party) के आगमन के साथ हुई, जिसके प्रमुख नेता आडोल्फ हिटलर थे। इस दुस्साहसपूर्ण घटना का आरंभ 20वीं सदी के अंत में, 1920 के दशक के बीच हुआ, जब आडोल्फ हिटलर ने अपने नेतृत्व में नाजी पार्टी को स्थापित किया।

नाजी पार्टी का मुख्य उद्देश्य जर्मनी को पुनः महाशक्ति बनाना और यूरोप में अपनी साम्राज्यवादी सामर्थ्य को बढ़ाना था। इसके लिए, पार्टी ने अपनी विचारधारा को एक संघटित और प्रचलित रूप दिया, जिसमें राष्ट्रवाद, अंधविश्वास, और यहूदी समुदाय के खिलाफ आतंकवादी भावनाओं का प्रचार किया गया। 1930 के दशक में, नाजी पार्टी के सदस्य संख्या में वृद्धि होती गई और 1932 के चुनावों में वे सबसे बड़ी पार्टी बन गए, लेकिन वे अभी भी सत्ता में नहीं थे।

फिर, 1933 के जर्मन चुनावों में आडोल्फ हिटलर के नेतृत्व में नाजी पार्टी ने बहुमत से जीत हासिल की और हिटलर को जर्मनी के चांसलर (केंसलर) बनाया गया। इसके बाद, वे जर्मनी के संघटित और कुशल रूप में अपने नियमन को बढ़ाने लगे और वर्षों तक अपने अधिकार को बरकरार रखने में सफल रहे।

नाजी जर्मनी की स्थापना के बाद, उन्होंने अपनी आत्मा के साथ जर्मन समाज को पुनर्निर्माण के लिए अनेक अद्भुत कदम उठाए, जिसमें शून्यकरण कार्यक्रम, जनसंख्या नियंत्रण, और विदेशी नीतियां शामिल थीं। उन्होंने होलोकॉस्ट के रूप में एक अत्यंत दुखद घटना को भी आयोजित किया, जिसमें लाखों यहूदी और अन्य समुदायों के लोगों की हत्या की गई।

नाजी जर्मनी के शासन के दौरान, वे द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत करने के बाद पूरे यूरोप को जर्मनी ने घेर लिया और युद्ध के दौरान अपने आतंकवादी दृष्टिकोण को पूरे यूरोप पर फैलाया।

नाजी जर्मनी का सत्ताधारी शासन द्वितीय विश्व युद्ध के शुरुआत करने का प्रमुख कारण था, और उसके द्वारा किए गए अप्राधिकृत कार्य और नीतियां दुनिया के लिए एक सबक हैं जो हमें यह सिखाती है कि मानवता किस प्रकार के प्रमुख गलतियों से दूर रहनी चाहिए।

नाज़ी जर्मनी : सत्ता और संघर्ष का इतिहास

जुलाई 1932 के जर्मन संघीय चुनाव के बाद, नाज़ी पार्टी ने संसद में सबसे बड़ी पार्टी की स्थिति हासिल की, लेकिन उसके पास बहुमत नहीं था। हिटलर ने गठबंधन सरकार में भाग लेने से मना कर दिया, उसने कहा कि वह इस गठबंधन में तभी शामिल होगा जब उसको इस गठबंधन का लीडर (नेता) चुना जायेगा। वाइमर गणराज्य के संविधान के अनुसार, जर्मनी के चांसलर (सरकार के प्रमुख) को राष्ट्रपति पॉल वॉन हिंडनबर्ग द्वारा नियुक्त किया जा सकता था, जिन्होंने दक्षिणपंथी राजनेताओं और उद्योगपतियों के आदेश पर 30 जनवरी 1933 को हिटलर को नियुक्त किया था।

रैहस्टाग आग का उपयोग रैहस्टाग फायर डिक्री को पारित करने के लिए किया गया था, जिसके परिणामस्वरूप नागरिक स्वतंत्रता का दमन हुआ और राजनीतिक विरोधियों की बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियाँ हुईं। 1933 के सक्षम अधिनियम ने हिटलर की सरकार को रीचस्टैग (संसद) या राष्ट्रपति के बिना कानून बनाने और लागू करने की शक्ति दी। नाज़ियों ने राजनीतिक विरोध को ख़त्म करना और सत्ता को मजबूत करना शुरू किया।

अगस्त 1934 में हिंडनबर्ग की मृत्यु हो गई और चांसलर और राष्ट्रपति पद की शक्तियों का विलय करके हिटलर तानाशाह बन गया। 1934 के जर्मन जनमत संग्रह ने हिटलर को एकमात्र फ्यूहरर (नेता) के रूप में पुष्टि की। हिटलर के व्यक्तित्व में सत्ता केंद्रीकृत हो गई, उसका शब्द सर्वोच्च कानून बन गया। सरकार एक समन्वित, सहयोगी संस्था नहीं थी, बल्कि सत्ता और हिटलर के पक्ष के लिए संघर्ष कर रहे गुटों का एक समूह था।

महामंदी के बाद, नाजियों ने भारी सैन्य खर्च का उपयोग करके आर्थिक स्थिरता बहाल की और बड़े पैमाने पर बेरोजगारी को समाप्त किया। घाटे के खर्च से वित्तपोषित, शासन ने व्यापक सार्वजनिक कार्य परियोजनाएं शुरू कीं, जिनमें ऑटोबानेन (मोटरवे) और एक विशाल गुप्त पुन: शस्त्रीकरण कार्यक्रम शामिल है, जिससे वेहरमाच (सशस्त्र बल) का गठन हुआ। आर्थिक स्थिरता की वापसी ने शासन की लोकप्रियता को बढ़ाया।

इस प्रकार, नाजी जर्मनी का इतिहास एक ऐतिहासिक महामंदी के बाद संघर्ष और सत्ता के संघर्ष की रूपरेखा है, जिसमें इसके नेतृत्वकर्ता आडोल्फ हिटलर का महत्वपूर्ण भूमिका है। इसके परिणामस्वरूप, नाजी जर्मनी का इतिहास एक सभी के लिए सीखने और स्मरण करने योग्य घटना है जिससे हम सभी को ऐतिहासिक सबक सिखने का अवसर मिलता है।

नाजी जर्मनी : नस्लवाद, यूदी-विरोधीता, और राजनीतिक दुरुपयोग

नस्लवाद, नाजी यूजीनिक्स, स्लाववाद-विरोधी और विशेष रूप से यहूदी-विरोधीवाद शासन की केंद्रीय वैचारिक विशेषताएं थीं। नाजियों द्वारा जर्मनिक लोगों को “मास्टर रेस” माना जाता था, जो आर्य जाति की सबसे शुद्ध शाखा थी। इस दृष्टिकोण से, उन्होंने अन्य जातियों और समुदायों, विशेष रूप से यहूदी-विरोधी अनुभव किया।

नाजी जर्मनी में यहूदी और रोमानी लोगों के साथ भेदभाव और उत्पीड़न तेज हो गए। पहला एकाग्रता शिविर मार्च 1933 में स्थापित किया गया था, जिसमें यहूदी, उदारवादी, समाजवादी, कम्युनिस्ट, और अन्य राजनीतिक विरोधियों को कैद, निर्वासित या हत्या किया गया। ईसाई चर्च और नागरिक हक्कों की रक्षा करने वालों पर भी अत्याचार किया गया और नेताओं को जेल में डाल दिया गया।

इसके साथ ही, शिक्षा नाजीवाद के उद्देश्यों के अनुसार रूपांतरित की गई। नस्लीय जीव विज्ञान, जनसंख्या नीति, और सैन्य सेवा के लिए फिटनेस को महत्वपूर्ण बनाया गया। महिलाओं के कैरियर और शैक्षिक अवसरों में कटौती की गई, और 1936 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक ने जर्मनी को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर प्रदर्शित किया। प्रचार मंत्री जोसेफ गोएबल्स ने जनता की राय को प्रभावित करने के लिए फिल्म, सामूहिक रैलियों, और हिटलर की सम्मोहक वक्तृत्व कला का प्रभावी उपयोग किया। सरकार ने कलात्मक अभिव्यक्ति को नियंत्रित किया, विशिष्ट कला रूपों को बढ़ावा दिया और दूसरों पर प्रतिबंध लगाया या उन्हें हतोत्साहित किया।

नाजी जर्मनी के आक्रमण: द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत

1930 के दशक के उत्तरार्ध से, नाजी जर्मनी ने तेजी से आक्रामक क्षेत्रीय मांगें कीं और इन्हें पूरा न करने पर युद्ध की धमकी दी। इसका प्रमुख उदाहरण है उनका पोलैंड पर आक्रमण, जिसके बाद द्वितीय विश्व युद्ध का आरंभ हुआ।

  1. सारलैंड के मतदान (1935): 1935 में सारलैंड ने जर्मनी में फिर से शामिल होने के लिए मतदान किया। यह एक साइबर्ग राज्य की गठन की प्रक्रिया का हिस्सा था और जर्मन आक्रमण की पूर्व-सूचना देने वाला महत्वपूर्ण कदम था।
  2. राइनलैंड में सेना का भेजा जाना (1936): 1936 में हिटलर ने राइनलैंड में सेना भेजी, जिसे प्रथम विश्व युद्ध के बाद विसैन्यीकृत कर दिया गया था। यह कदम उनके प्राथमिक आक्रमण के एक हिस्से के रूप में देखा जा सकता है और यह भारतीय उपमहाद्वीप पर उनके आक्रमण की धमकी को दिखाता है।
  3. ऑस्ट्रिया और सुडेटेनलैंड का कब्ज़ा (1938): 1938 में, जर्मनी ने ऑस्ट्रिया पर कब्ज़ा किया, जिसका नाम “आंशलूश” था। उन्होंने फिर से चेकोस्लोवाकिया के सुडेटेनलैंड क्षेत्र की मांग की और उसे भी प्राप्त कर लिया। यह दिखाता है कि जर्मनी अपने आक्रमण की धमकी को पूरा कर रही थी और उनका विस्तारण तेज़ था।
  4. पोलैंड पर आक्रमण (1939): यह वर्ष द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत का होता है। जर्मनी ने 1 सितंबर 1939 को पोलैंड पर आक्रमण किया, जिससे युरोप में द्वितीय विश्व युद्ध की आग की शुरुआत हुई।
  5. जर्मन और सोवियत संघ के साथ समझौता (1939): 1939 में, जर्मनी और सोवियत संघ के बीच एक गैर-आक्रामकता समझौता हुआ, जिसमें दोनों देशों ने आपसी साझा किए गए क्षेत्रों के बारे में समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता उनके साथी आक्रमण की योजना की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।
  6. ग्राहक राज्यों का गठन (1939): मार्च 1939 में, जर्मनी ने चेक भूमि के बचे हुए हिस्सों पर कब्ज़ा किया और इन्हें ग्राहक राज्यों के रूप में गठित किया। यह उनके आक्रमण की विशाल विस्तारण का हिस्सा था और उनके प्राधिकृत संख्या और शक्ति को और भी बढ़ा दिया।

ये घटनाएँ दिखाती हैं कि नाजी जर्मनी ने उस समय क्षेत्रीय और आंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी सामरिक सामर्थ्य को बढ़ावा दिया और अपने आक्रमण की धमकियों को पूरा किया। इसके परिणामस्वरूप, युरोप में द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत हुई, जिसने दुनिया को एक महान युद्ध के रूप में प्रभावित किया।

अमानवी अपराध और नरसंहार का अत्यंत दुखद अध्याय

नरसंहार का मुख्य उद्देश्य हिटलर और उसके नाजी नेतृत्व के तहत एक नये जर्मनिक सुप्रसिद्ध और शुद्ध “मास्टर रेस” का निर्माण करना था, जिसमें आर्य जाति की सबसे शुद्ध शाखा मानी जाती थी। इसके परिणामस्वरूप, हिटलर और उसके अनुयायियों ने यहूदियों, स्लाव लोगों, रोमानी समुदाय के लोगों, और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के प्रति बेहद खौफनाक और बर्बर अत्याचार किए।

नरसंहार के तहत कई आयोजन और प्रक्रियाएं थीं:

  1. इन्सत्ज़ग्रुपपेन (Einsatzgruppen): नाजी जर्मनी के सैन्य इनस्त्ज़ग्रुपपेन अर्धसैनिक मृत्यु दस्तों ने उनके शासकीय क्षेत्रों में जाकर लाखों यहूदियों और अन्य नरसंहार पीड़ितों का नरसंहार किया। इनस्त्ज़ग्रुपपेन के सदस्यों ने शून्यक खड़ी करने, गोली मारने, और और भी अत्याचारिक क्रियाएँ कीं।
  2. नाजी यातना शिविर (Nazi Concentration Camps): हिटलर द्वारा व्यवस्थित नाजी यातना शिविरों में लाखों लोग बंद किए गए, जहां उन्हें उत्पीड़न, मानसिक और शारीरिक कठिनाइयाँ, और वाणिज्यिक उत्पादन में श्रमिकता के तौर पर उपयोग किया गया।
  3. गैस चैम्बर्स (Gas Chambers): कई नाजी यातना शिविरों में गैस चैम्बर्स का उपयोग भी किया गया, जिनमें यहूदी पर्वाही और अन्य विचारकों को जान से मार दिया जाता था।

नरसंहार के तहत, दरिंदगी, नास्तिकता, और मानवाधिकारों के उल्लंघन की नापसंदीदा उदाहरण हैं और यह दुनिया के इतिहास में एक अद्वितीय और अत्यंत दुखद अध्याय के रूप में याद किया जाता है। होलोकॉस्ट एक अमानवी अपराध का प्रतीक है, और इसकी याद को जिन्दगी में बनाए रखना हम सभी की जिम्मेदारी है ताकि ऐसा कभी फिर न हो सके।

द्वितीय विश्व युद्ध का अंत: जर्मनी की हार और युरोप का पुनर्निर्माण

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, जर्मनी का साम्राज्यकारी आदर्श हिटलर के नेतृत्व में कुछ समय के लिए तो विकसित हुआ, लेकिन आखिरकार युद्ध की तीन बड़ी महाशक्तियों – सोवियत संघ, यूनाइटेड स्टेट्स, और ग्रेट ब्रिटेन का युद्ध में एक साथ आने के परिणामस्वरूप जर्मनी को हारना ही पड़ा। इन महाशक्तियों ने साथ मिलकर जर्मन सैन्य को पूरी तरह से हरा दिया और जर्मन के बुनियादी ढांचे को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया गया।

1941 में सोवियत संघ पर जर्मन आक्रमण शुरू में सफल रहा था, जिससे उन्होंने सोवियत संघ के कुछ हिस्सों को अपने अधीन कर लिया। सोवियत संघ का पुनरुत्थान और युद्ध में अमेरिका के प्रवेश के कारण जर्मनी 1943 में युद्ध में पीछे होने लगा, और 1944 के अंत तक उसे 1939 की सीमा पर वापस धकेल दिया गया। इसके परिणामस्वरूप, जर्मन सेना थक गई और उनकी सामरिक शक्तियों में कमी आई।

जर्मनी को पीछे धकेलने के बाद भी उसके खिलाफ हवाई बमबारी जारी रखते हुए बड़े पैमाने पर बढ़ा दी गयी, जिससे उनके इकोनॉमी और संबंधित संरचनाओं में काफी नुकसान हुआ। पश्चिमी और पूर्वी यूरोप में अन्य मित्र राष्ट्रों ने धीरे-धीरे ज़मीन पर कब्जा किया और जर्मन साम्राज्य को तोड़ दिया। फ्रांस पर मित्र राष्ट्रों के आक्रमण के बाद, जर्मनी को पूर्व से सोवियत संघ और यूगोस्लाविया तथा पश्चिम से पश्चिमी यूरोप के अन्य मित्र राष्ट्रों ने हराया और 8 मई 1945 को जर्मनी ने आत्मसमर्पण कर दिया।

हिटलर के हार स्वीकार करने से इनकार करने के कारण, जर्मन बुनियादी संरचनाओं का बड़े पैमाने पर विनाश हुआ और युद्ध से संबंधित अतिरिक्त मौतें हुईं। युद्ध के अंतिम महीनों में, मित्र राष्ट्रों ने अस्वीकरण की नीति शुरू की और नूर्नबर्ग परीक्षणों में युद्ध अपराधों के लिए कई जीवित नाजी नेतृत्व पर मुकदमा चलाया गया।

इस प्रकार, द्वितीय विश्व युद्ध के अंतिम चरण ने जर्मन साम्राज्य को तोड़ दिया और यूरोप एवं दुनिया के इतिहास में महत्वपूर्ण परिवर्तन लाया। इससे द्वितीय विश्व युद्ध का अंत हुआ और यूरोप और दुनिया के भूमिगत सार्वजनिक जीवन में बदलाव आया।

होलोकॉस्ट: एक अत्यंत दुखद और नृशंस घटना

नाजी जर्मनी के शासन के दौरान, वे एक घमासान और आतंकी कार्रवाई की गई, जिसे होलोकॉस्ट कहा जाता है। होलोकॉस्ट में, लाखों यहूदी और अन्य समुदायों के लोगों की हत्या की गई, और वे असहमत योजनाओं के तहत तबादला भी किये गए। यह दुनिया भर में एक अत्यंत दुखद और नृशंस घटना थी और इसके बारे में अब भी विश्व स्मृति में बात की जाती है।

होलोकॉस्ट, नाजी जर्मनी के शासन के दौरान घटी एक अत्यंत दुखद और नृशंस घटना थी, जिसमें लाखों यहूदी और अन्य समुदायों के लोगों की अद्वितीय और अत्यंत बर्बर हत्या की गई। इसका मुख्य उद्देश्य था नाजी पार्टी की नीतियों के तहत जर्मनी और यूरोप को “रसीयन जाति” के अंतर्गत साफ करना था। होलोकॉस्ट के दौरान, लोगों को असहमत योजनाओं के तहत तबादला भी किया गया, जिससे उन्होंने अपने घरों, जीवन, और संपत्ति को खो दिया।

प्रारंभिक घटनाएँ

होलोकॉस्ट की शुरुआत नाजी जर्मनी के नेतृत्व में हुई असहमत और अत्याचारपूर्ण नीतियों के तहत हुई। यह नीतियाँ यूरोप में यहूदी समुदाय के खिलाफ थीं और इसे ‘यहूदी समस्या’ (Jewish Question) के रूप में प्रस्तुत किया गया। नाजी जर्मनी के शासकों ने यूरोप भर में यहूदी लोगों को निश्वासन, दरिद्रता, और शारीरिक क्षति के लिए परमिट किया।

कैम्प्स और गैस चैम्बर

होलोकॉस्ट का सबसे दुखद हिस्सा थे कॉन्सेंट्रेशन कैम्प्स और एक्ज़्टर्मिनेशन कैम्प्स, जहाँ पर लाखों लोगों को निर्दोषता के आरोप में बंद किया गया और उन्हें खत्म किया गया। इन कैम्प्स में, लोगों को अधिकारिक जीवन जीने का और उनकी यहूदी धर्म के कारण क्षमा नहीं की गई। इन कैम्प्स में उपयोग किए गए गैस चैम्बर्स के माध्यम से लोगों को गैस से मार दिया गया।

महान और आत्मसाती

होलोकॉस्ट की यह दुखद और आतंकवादी क्रिया दुनिया भर में एक महान और आत्मसाती घटना है, जिसके परिणामस्वरूप लाखों लोगों की मौके पर हत्या हुई और और उनका बाल-बच्चा उद्धारण किया गया। यह एक सामाजिक, मानविक और नैतिक दुराचार की उच्चतम रूप में उदाहरण है और यह दिखाता है कि नेतृत्व की बुराई किस प्रकार से मानवता को नुकसान पहुंचा सकती है।

होलोकॉस्ट के दुखद आंकड़े

  • होलोकॉस्ट के दौरान, लाखों यहूदी लोगों की हत्या की गई, जिसमें बच्चे, महिलाएँ, और पुरुष शामिल थे।
  • घरेलू और विदेशी कैम्पों में लोगों को बंद किया गया, जहाँ उन्हें अत्याचार, भूखमरी, और खतरनाक शारीरिक कष्ट का सामना करना पड़ा।
  • गैस चैम्बर्स का इस्तेमाल करके लाखों लोगों को वायुमंडलीय गैसों से मौके पर मौत का सामना करना पड़ा।

**यद्यपि होलोकॉस्ट के दौरान कई लोगों ने अपने जीवन की रक्षा के लिए संघर्ष किया और विदेशी योजनाओं के तहत बचाव करने में सफल रहे, लेकिन यह एक अत्यंत दुःखद घटना रही, जिसका सबक हमें देता है कि मानवता की समझदारी, सहानुभूति, और साझा दुखभाव बहुत महत्वपूर्ण हैं ताकि ऐसे घटनाओं को फिर से नहीं होने दिया जा सके।

होलोकॉस्ट की स्मृति

होलोकॉस्ट की स्मृति को जिनेवा, स्विट्जरलैंड में स्थित “यहूदी घातकता केंद्र” (Jewish Memorial) जैसे स्थलों पर जीवंत रूप से बनाए गए स्मारकों और म्यूजियमों के माध्यम से जिनमें इस दुखद घटना की याद की जाती है। होलोकॉस्ट की याद को जिनेवा समझदारी, शांति, और मानवता के प्रति समर्पित होने का प्रतीक माना जाता है ताकि ऐसा कभी फिर न हो सके।

नाजी जर्मनी के बाद का इतिहास

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, नाजी जर्मनी के नेता आडोल्फ हिटलर की मौत हो गई और जर्मनी का विभाजन हुआ। पश्चिम जर्मनी और पूर्व जर्मनी के बीच तंग पुलिंग के बाद, दो अलग-अलग जर्मनी राष्ट्र बने। पश्चिम जर्मनी डेमोक्रेटिक और पूर्व जर्मनी कम्युनिस्ट शासन के तहत आये।

नाजी जर्मनी के बाद, दुनिया ने एक नए अध्याय की ओर कदम बढ़ा, लेकिन इसका प्रभाव और नाजी जर्मनी के आतंकवादी शासन की यादें हमेशा बनी रहीं। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, नाजी जर्मनी के नेता आडोल्फ हिटलर की मौत हो गई, जो कि 1945 में बर्लिन के दिग्गज बिंग के अगले की गर्मी में घातक आत्महत्या करने की रूप में हुई।

इसके परिणामस्वरूप, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जर्मनी का विभाजन हुआ, और दो अलग-अलग जर्मनी राष्ट्र बने। पश्चिम जर्मनी और पूर्व जर्मनी के बीच तंग पुलिंग के बाद, दो विभाजित राष्ट्रों के बीच तनाव था।

पश्चिम जर्मनी: डेमोक्रेसी और सामाजिक निर्माण

पश्चिम जर्मनी एक डेमोक्रेटिक सरकार के तहत आया और यह एक स्वतंत्र और खुले समाज का निर्माण किया। इसके बाद, पश्चिम जर्मनी ने अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत किया और उसके विकास में योगदान किया।

पश्चिम जर्मनी द्वितीय विश्व युद्ध के बाद एक डेमोक्रेटिक सरकार के तहत आया और यहाँ पर एक स्वतंत्र और खुले समाज का निर्माण हुआ। जर्मनी के पश्चिमी हिस्से ने यह इकाई बनाने के लिए सक्रिय रूप से काम किया और डेमोक्रेसी के मूल मूल्यों का पालन किया। सरकार के साथ, जनता भी सक्रिय भागीदारी करने में शामिल हुई और समाज में समानता और समाजिक न्याय की दिशा में कदम बढ़ाया। पश्चिम जर्मनी ने अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत किया और विकास में महत्वपूर्ण योगदान किया, जिससे वह एक महत्वपूर्ण आर्थिक शक्ति बन गई।

पूर्व जर्मनी: कम्युनिस्ट शासन और आर्थिक समस्याएँ

पूर्व जर्मनी को कम्युनिस्ट शासन के तहत आया और यह एक अलग विधान का अनुसरण करता था। इसके परिणामस्वरूप, पूर्व जर्मनी में आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ा, लेकिन वह भी अपनी अर्थव्यवस्था को सुधारने में कामयाब रहा।

पूर्व जर्मनी को कम्युनिस्ट शासन के तहत आया और यहाँ पर एक अलग विधान का अनुसरण किया गया। इसके परिणामस्वरूप, पूर्व जर्मनी को आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ा, लेकिन वह भी अपनी अर्थव्यवस्था को सुधारने में कामयाब रही। यहाँ पर कम्युनिस्ट आदर्शों के आधार पर समाज को आर्थिक और सामाजिक समानता की दिशा में कदम बढ़ाया गया और यह भी दिखाया कि कम्युनिस्ट विधान कैसे संघटित था।

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, जर्मनी ने अपने आत्मनिर्भरता का मार्ग चुना और विकास में महत्वपूर्ण योगदान किया, और इसके बाद यह एक अगले जीवन के लिए तैयार हुआ। इस तरीके से, जर्मनी ने एक नए दिशा में कदम बढ़ाया और यूनाइटेड नेशंस के सदस्य बनकर विश्व शांति और सहयोग की दिशा में योगदान किया।

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, जर्मनी ने अपने आत्मनिर्भरता का मार्ग चुना और विकास में महत्वपूर्ण योगदान किया। यह भी एक बड़ा पाठ है कि युद्ध के बाद दुनिया के बहुत सारे देशों ने एक समझौता किया कि युद्ध के तनाव से बचाव के लिए यूनाइटेड नेशंस की स्थापना की गई और विश्व शांति और सहयोग की दिशा में कदम बढ़ा।

नाजी जर्मनी का इतिहास एक अत्यधिक प्रमुख घटनाओं का संग्रह है, जिनमें उनके आतंकवादी और सामाजिक नीतियों का महत्वपूर्ण स्थान है नाजी जर्मनी का इतिहास हमें यह सिखाता है कि आतंकवाद और सामाजिक नीतियों का प्रभाव केवल उनके समय पर ही नहीं होता है, बल्कि यह सारे दुनिया को प्रभावित कर सकता है और हमें सबक सिखने की आवश्यकता है कि हम मानवता, शांति, और सहयोग के मूल मूल्यों का सम्मान करें।

नाजी जर्मनी के महत्वपूर्ण तथ्य

नाजी जर्मनी से सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्य संक्षेप में निचे दिया गया हैं –

द्वितीय विश्व युद्ध

  • द्वितीय विश्व युद्ध, जिसे आमतौर पर “World War II” या “WWII” के नाम से जाना जाता है, एक महत्वपूर्ण और विश्वभर में आक्रामक और मानवता के लिए विनाशकारी युद्ध था। इस युद्ध का आरंभ नाजी जर्मनी के हमले से हुआ, जो कि 1939 में पोलैंड पर हुआ था, और इसके बाद यह युद्ध पूरे दुनिया को अपने प्रभाव में ले लिया।
  • नाजी जर्मनी द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत करने का प्रमुख कारण था। 1939 में नाजी जर्मनी द्वारा पोलैंड पर हमला करने के बाद, यह युद्ध पूरे दुनिया को अपनी घेराबंदी में ले लिया। द्वितीय विश्व युद्ध जर्मनी के हार के साथ खत्म हुआ, और 1945 में बर्लिन की गिरावट के बाद नाजी जर्मनी का समापन हुआ।

नाजी जर्मनी के आक्रमण

  • द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत नाजी जर्मनी के आक्रमण के साथ हुई, जिसका प्रमुख कारण था उनकी आक्रामक और आतंकवादी नीतियाँ। 1939 में, वे पोलैंड पर हमला करने के बहाने बनाए और इसके परिणामस्वरूप ब्रिटेन और फ्रांस ने जर्मनी को घेर लिया, जिससे द्वितीय विश्व युद्ध की आरंभिक घटनाएँ हुईं।

युद्ध की प्रक्रिया

  • द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, जर्मनी ने अपने आक्रमण को यूरोप और अन्य क्षेत्रों में बढ़ाया, और इसके परिणामस्वरूप यह युद्ध दुनिया के बहुत सारे भागों में फैल गया। यह युद्ध दुनिया के बड़े और महत्वपूर्ण लड़ाइयों में से कुछ में शामिल था, जैसे कि स्टैलिनग्राड की लड़ाई, दुब्लिन की लड़ाई, और स्टॉकहोम की लड़ाई।

समापन

  • द्वितीय विश्व युद्ध जर्मनी के हार के साथ 1945 में समापन हुआ, जब बर्लिन की गिरावट हुई और नाजी जर्मनी की सरकार और नेतृत्व का अंत हुआ। इसके बाद, युद्ध के बाद कई बड़े नदीनियों में जर्मनी के विभाजन का निर्णय लिया गया और पश्चिम जर्मनी और पूर्व जर्मनी के रूप में दो अलग-अलग राष्ट्र बने।
  • द्वितीय विश्व युद्ध ने दुनिया को एक अत्यंत प्रभावशाली और दुखद घटना के रूप में छोड़ा, और यह सबको सिखाया कि युद्ध का मानवता पर क्या प्रभाव हो सकता है। इसके बाद, यूनाइटेड नेशंस की स्थापना की गई जिसका उद्देश्य युद्ध के नाशनों के बीच शांति और सहयोग की स्थापना था ताकि दुनिया को फिर से बाराम्बार युद्ध के तनाव से मुक्ति मिल सके।

नाजी जर्मनी के संबंध में महत्वपूर्ण तारीखें

नाजी जर्मनी के संबंध में महत्वपूर्ण तारीखों की एक सूची इस प्रकार है:

  • 30 जनवरी 1933: हिटलर का राष्ट्रपति बनना – एडॉल्फ हिटलर ने जर्मनी के राष्ट्रपति पॉल वॉन हिंडेनबर्ग के त्याग पश्चात् राष्ट्रपति बने और नाजी पार्टी का पूर्ण नियंत्रण देखने का मौका मिला।
  • 23 मार्च 1933: सक्षम अधिनियम – हिटलर और नाजी पार्टी ने सक्षम अधिनियम को पारित करवाया, जिससे संसद के पौराणिक अधिकारों को समाप्त किया गया और नाजी पार्टी को और अधिक सत्ता प्राप्त करने का मार्ग मिला।
  • 15 सितंबर 1935: न्यूरम्बर्ग कानून – न्यूरम्बर्ग कानूनों के तहत, यहूदी नागरिकों के अधिकारों को सीमित किया गया और उन्हें अधिकतम दर्जा की दिवालियता का परिसमापन किया गया।
  • 12 मार्च 1938: आश्चलस – जर्मनी ने ऑस्ट्रिया को अपने अधीन में किया, जिसे आश्चलस के तौर पर जाना जाता है, और इसे अपने बड़े राज्य का हिस्सा बना दिया।
  • 1 सितंबर 1939: पोलैंड पर आक्रमण – नाजी जर्मनी ने पोलैंड पर हमला किया, जिससे द्वितीय विश्व युद्ध का आरंभ हुआ।
  • 30 अप्रैल 1945: हिटलर की मृत्यु – आडॉल्फ हिटलर ने बर्लिन में आत्महत्या की।
  • 2 मई 1945: बर्लिन का पतन – बर्लिन शहर के गिरने के बाद, द्वितीय विश्व युद्ध के यूरोप थिएटर में नाजी जर्मनी की हार स्थिर हो गई।
  • 8 मई 1945: समर्पण – नाजी जर्मनी ने अमेरिका, सोवियत संघ, और अन्य मित्र राष्ट्रों के साथ समर्पण किया, जिससे द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त हुआ।
  • 5 जून 1945: बर्लिन घोषणा – बर्लिन घोषणा के तहत, नाजी जर्मनी के नियंत्रण को समाप्त किया गया और न्यूर्नबर्ग परीक्षणों का आयोजन हुआ, जिसमें युद्ध अपराधों के खिलाफ मुकदमा चलाया गया।

ये तारीखें नाजी जर्मनी के इतिहास में महत्वपूर्ण हैं और इसके द्वितीय विश्व युद्ध समाप्ति और नाजी पार्टी के शासन के चरणों को प्रकट करती हैं।

नाजी जर्मनी का इतिहास एक सभी के लिए सीखने और स्मरण करने योग्य घटना है जिससे हम सभी को ऐतिहासिक सबक सिखने का अवसर मिलता है।


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