निपात का प्रयोग मुख्य रूप से अव्यय के लिए होता है। परन्तु निपात शुद्ध अव्यय नहीं होते हैं। निपात का कोई लिंग अथवा वचन नहीं होता है। इनका प्रयोग निश्चित शब्द, शब्द के समूह अथवा पूरे वाक्य को अन्य (अतिरिक्त) भावार्थ प्रदान करने के लिए किया जाता है। निपात सहायक शब्द होने के बाद भी वाक्य के अंग नहीं होते हैं। परन्तु वाक्य में निपात का प्रयोग करने से वाक्य का सम्पूर्ण अर्थ प्रभावित हो जाता है।
जो अव्यय शब्द किसी शब्द के बाद लगकर उसके अर्थ अथवा भाव में विशेष बल देते हैं, वे अव्यय शब्द, निपात अव्यय कहलाते हैं। हिंदी में अधिकांशतः निपात उस शब्द या शब्द समूह के बाद आते हैं, जिनको वे विशिष्टता या बल प्रदान करते हैं। अर्थात निपात जिस शब्द के बाद लगते हैं उस शब्द को बल (विशिष्टता) प्रदान करते है।
निपात (Particle) की परिभाषा
किसी वाक्य में प्रयुक्त किसी निश्चित शब्द पर अतिरिक्त भार देने के लिए जिन शब्दों का प्रयोग किया जाता है उन शब्दों को निपात कहते है।
जैसे- ही, भी, तक, मत, क्या, हाँ, भी, केवल, जी, नहीं, न, काश आदि।
निपात के उदाहरण-
- मुकेश ने ही मुझे मारा था। (अर्थात मुकेश के अलावा और किसी ने नहीं मारा था।)
- मुकेश ने मुझे ही मारा था। (अर्थात मुकेश ने मुझे ही मारा था और किसी को नहीं।)
- मुकेश ने मुझे मारा ही था। (अर्थात मुकेश ने मुझे सिर्फ मारा था, और कुछ नहीं किया था, जैसे गाली आदि नहीं दिया था।)
- आप ही जाओगे। (अर्थात सिर्फ आप ही जाओगे और कोई नहीं जायेगा।)
- कल ही बारिश होगी। (अर्थात कल ही बारिश होगी दूसरे दिन नहीं।)
- आपको आज रात रुकना ही पड़ेगा।
- आपने तो हद कर दी।
- कल मै भी आपके साथ चलूँगा।
- महात्मा गांधीजी को बच्चे तक जानते है।
- धन कमा लेने मात्र से जीवन सफल नहीं हो जाता।
- नीरव खाने के साथ पानी भी पिता था।
दुनिया में अनेकों भाषाएँ हैं। इन भाषाओँ में प्रयुक्त शब्दों का अलग अलग दृष्टिकोणों से वर्गीकरण किया गया है। भारत में ऐसा माना जाता है कि शब्दों का सबसे पहले वैज्ञानिक वर्गीकरण यास्क मुनि द्वारा किया गया था। जिनके अनुसार शब्द चार प्रकार के भागों में वर्गीकृत किये गए हैं। इसका श्लोक निम्न है:-
‘चत्वारि पदजातानि नमाख्याते चोपसर्गनिपातश्च’
इस श्लोक का अर्थ है कि पदों (शब्दों) के चार भाग होते हैं – नाम, आख्यात, उपसर्ग और निपात। आज तक किये गए सभी शब्दों के वर्गीकरण में इसका महत्त्वपूर्ण स्थान है।
श्री किशोरीदास वाजपेयी” जी द्वारा कहा जाता है कि भाषा में दो तरह के शब्द प्रमुख है-
- नाम और आख्यात- संज्ञाएँ और क्रियाएँ।
- उपसर्ग और निपात (या अव्यय)।
अर्थात किसी वाक्य में प्रयुक्त शब्दों को मुख्यतः दो भागों में बाँट सकते हैं, जिसमे से एक है संज्ञा और क्रिया। तथा दूसरा भाग है उपसर्ग और निपात (या अव्यय)। इनमे से नाम और आख्यात (संज्ञाएँ और क्रियाएँ) स्वतंत्र चलते हैं और उपसर्ग, निपात इनके साथ इनकी सेवा में रहते हैं।
निपात ऐसा सहायक शब्द भेद है जिसमें वे शब्द आते हैं जिनके प्रायः अपने शब्दावलोसंबंधी तथा वस्तुपरक अर्थ नहीं होते हैं।” यथा- तक, मत, क्या, हाँ, भी, केवल, जी, नहीं, न, काश।
अन्य शब्द भेदों तथा निपात में जो भिन्नता है वह यह है कि अन्य शब्द भेदों का अर्थात संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया-विशेषण आदि का अपना अर्थ होता है परन्तु निपात का अपना अर्थ नहीं होता है। वाक्य को अतिरिक्त अर्थ अथवा भावार्थ प्रदान करने के लिए निपात का प्रयोग निश्चित शब्द, शब्द-समुदाय या पूरे वाक्य में किया जाता है।
निपात सहायक शब्द होने के बावजूद भी निश्चित वाक्य नहीं होते। वाक्य में इनके प्रयोग से उस वाक्य का अर्थ परिवर्तित हो जाता है। निपात वाक्य में जो कार्य करते हैं वे निम्नलिखित हैं:-
निपात के प्रमुख कार्य
प्रश्न- जैसे- क्या वह विद्यालय गया था ?
अस्वीकृति- जैसे-वह घर पर नहीं है।
विस्मयादिबोधक- जैसे- कैसी सुहावनी रात है।
किसी शब्द पर बल देना- जैसे- मुझे भी इसका पता है।
निपात के प्रकार
यास्क मुनि ने निपात के तीन भेद माने है-
- उपमार्थक निपात : यथा- इव, न, चित्, नुः
- कर्मोपसंग्रहार्थक निपात : यथा- न, आ, वा, ह;
- पदपूरणार्थक निपात : यथा- नूनम्, खलु, हि, अथ।
निपात निम्नलिखित 9 प्रकार के होते हैं-
सकारात्मक / स्वीकृतिबोध / स्वीकारात्मक निपात | हाँ, जी, जी हाँ |
नकारात्मक निपात / नकारबोधक निपात | नहीं, जी नहीं |
निषेधात्मक निपात | मत |
प्रश्नबोधक निपात | क्या |
विस्मयादिबोधक निपात | क्या, काश |
तुलनात्मक निपात / तुलनाबोधक निपात | सा |
अवधारणबोधक निपात | ठीक, करीब, तक़रीबन, लगभग |
आदरबोधक निपात | जी |
बलदायक निपात / बलप्रदायक निपात | तो, ही, भी, भर, सिर्फ, तक, केवल |
स्वीकारात्मक निपात
स्वीकारात्मक निपात- हाँ, जी, जी हाँ।
ये सब निपात स्वीकृति को व्यक्त करते हैं तथा सदैव स्वीकारार्थक उत्तर के आरम्भ में आते हैं।
प्रश्न- आप विद्यालय जाते हो ?
उत्तर- जी।
प्रश्न- वे सब घर जा रहे हैं ?
उत्तर- जी हाँ।
जी तथा जी हाँ निपात विशेष आदरसूचक स्वीकारार्थक उत्तर के समय प्रयुक्त होते हैं।
नकारात्मक निपात
नकारात्मक निपात – नहीं, जी नहीं।
प्रश्न: तुम्हारे पास यह पुस्तक है ?
उत्तर- नहीं।
निषेधात्मक निपात
निषेधात्मक निपात – मत।
- आज आप मत जाइए।
- मुझे अपना मुँह मत दिखाना।
आदरार्थक निपात
आदरार्थक निपात – क्या, न।
- क्या- तुम्हें वहाँ क्या मिलता है ?
- न- तुम अँगरेजी पढ़ना नहीं जानते हो न ?
तुलनात्मक निपात
तुलनात्मक निपात – सा।
- सा- इस लड़के सा पढ़ना कठिन है।
विस्मयार्थक निपात
विस्मयार्थक निपात – क्या, काश।
- क्या- क्या सुन्दर लड़की है !
- काश- काश ! वह न गया होता !
बलार्थक या परिसीमक निपात
बलार्थक या परिसीमक निपात – तक, भर, केवल, मात्र, सिर्फ, तो, भी, ही।
तक- मैंने उसे देखा तक नहीं। हमने उसका, नाम तक नहीं सुना।
भर- मेरे पास पुस्तक भर है। उसको अपनी कॉपी भर दे दो।
केवल- वह केवल सजाकर रखने की वस्तु है।
मात्र- वह मात्र सुन्दर थी, शिक्षित तो नहीं थी।
ही- उसका मरना ही था कि घर-का-घर बर्बाद हो गया।
भी- मैं भी यहीं रहता हूँ।
अवधारणबोधक निपात
अवधारणबोधक निपात – ठीक, लगभग, करीब।
ठीक- ठीक समय पर पहुँचा। ठीक पाँच हजार रुपये उसने दिये।
लगभग- लगभग पाँच लाख विद्यार्थी इस वर्ष प्रवेशिका की परीक्षा दे चुके हैं।
करीब- इस समय करीब पाँच बजे हैं।
आदरसूचक निपात
आदरसूचक निपात – जी।
जी- यह निपात व्यक्तिवाचक या जातिवाचक नाम, उपाधि तथा पद आदि सूचित करने वाले संज्ञा शब्दों के बाद प्रयुक्त होता है।
जैसे- इन्दिरा जी, गुरुजी, डॉक्टर जी, वर्माजी।
इन्हें भी देखें-
- अव्यय | परिभाषा, प्रकार तथा 100 + उदाहरण
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- विलोम शब्द | विपरीतार्थक शब्द | Antonyms |500+ उदाहरण
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