नीली क्रांति के 5 वर्ष : प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) का प्रभाव और भविष्य

भारत प्राचीन काल से ही समुद्रों, नदियों और झीलों से जुड़ा देश रहा है। यहाँ की विशाल तटीय रेखा, आंतरिक जलाशय और विविध भौगोलिक स्थिति मत्स्य पालन को एक स्वाभाविक आजीविका और पोषण का आधार प्रदान करती रही है। आज़ादी के बाद भी मछली उत्पादन भारत की ग्रामीण और तटीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान रखता था, लेकिन लंबे समय तक इसे संगठित विकास की दृष्टि से पर्याप्त महत्व नहीं मिला।

21वीं सदी के दूसरे दशक में, जब भारत ने खाद्य सुरक्षा, पोषण, निर्यात और ग्रामीण रोजगार की नई चुनौतियों का सामना करना शुरू किया, तब मत्स्य क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता स्पष्ट हुई। इसी पृष्ठभूमि में नीली क्रांति (Blue Revolution) और बाद में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) का उदय हुआ।

आज, इन योजनाओं के पाँच वर्ष पूरे होने पर यह समझना आवश्यक है कि कैसे भारत ने मत्स्य क्षेत्र को पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ, आर्थिक रूप से लाभकारी और सामाजिक रूप से समावेशी बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल कीं।

नीली क्रांति (Blue Revolution) की शुरुआत – 2015

भारत में 2015 में “नीली क्रांति” का सूत्रपात हुआ। इसका मुख्य उद्देश्य था –

  • मछली उत्पादन में वृद्धि,
  • मत्स्य क्षेत्र की पूरी वैल्यू चेन को आधुनिक बनाना,
  • मछुआरों की आय बढ़ाना,
  • निर्यात को प्रोत्साहन देना,
  • और रोजगार सृजन करना।

नीली क्रांति के प्रभाव

इस क्रांति से उत्पादकता और बुनियादी ढाँचे में सुधार हुआ। तटीय और आंतरिक दोनों प्रकार के मत्स्य पालन को बढ़ावा मिला। साथ ही, सरकार ने तकनीकी हस्तक्षेप और वित्तीय सहयोग के माध्यम से इसे ग्रामीण और शहरी रोजगार से जोड़ने का प्रयास किया।

प्रमुख चुनौतियाँ

हालाँकि, नीली क्रांति के दौरान कुछ गंभीर चुनौतियाँ बनी रहीं –

  1. पोस्ट–हार्वेस्ट हैंडलिंग की समस्या – मछली पकड़ने के बाद भंडारण, प्रसंस्करण और वितरण की कमजोर व्यवस्था।
  2. ट्रेसबिलिटी (Traceability) की कमी – अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों में निर्यात हेतु आवश्यक मानकों का पालन करने में कठिनाई।
  3. मछुआरों का सामाजिक–आर्थिक कल्याण – अधिकतर मछुआरे असंगठित और कमजोर वर्ग से आते हैं, जिनके लिए सुरक्षा जाल अपर्याप्त रहा।
  4. बाज़ार पहुँच (Market Access) – छोटे उत्पादकों को वैश्विक सीफ़ूड बाज़ार तक पहुँचने में बाधाएँ रहीं।

इन्हीं चुनौतियों को दूर करने और नीली क्रांति को आगे बढ़ाने के लिए 2020 में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) का शुभारंभ किया गया।

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) – 2020

योजना का उदय

  • घोषणा : केंद्रीय बजट 2019–20 में
  • औपचारिक शुरुआत : सितंबर 2020
  • लक्ष्य : उत्पादन, तकनीक, इन्फ्रास्ट्रक्चर, वैल्यू चेन, ट्रेसबिलिटी और मछुआरों के कल्याण से जुड़ी कमियों को दूर करना।

इसे एक नए “ब्लू रिवोल्यूशन” को गति देने वाली योजना माना गया।

योजना की संरचना

PMMSY एक छत्र योजना (Umbrella Scheme) है, जिसके दो प्रमुख घटक हैं –

  1. केंद्रीय क्षेत्र योजना (Central Sector Scheme – CS)
    • पूरी तरह से केंद्र सरकार द्वारा वित्तपोषित और लागू।
  2. केंद्रीय प्रायोजित योजना (Centrally Sponsored Scheme – CSS)
    • केंद्र सरकार आंशिक सहयोग देती है।
    • राज्य सरकारों द्वारा कार्यान्वयन किया जाता है।

प्रमुख उद्देश्य

PMMSY के कुछ मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं –

  • मछली उत्पादन और उत्पादकता में उल्लेखनीय वृद्धि करना।
  • आधुनिक तकनीकों का प्रसार।
  • मछली की गुणवत्ता और निर्यात मानकों को बेहतर बनाना।
  • मत्स्य पालन अवसंरचना का विकास – जैसे कोल्ड स्टोरेज, आइस प्लांट, फीड मिल, प्रसंस्करण इकाइयाँ।
  • मछुआरों और उनके परिवारों के सामाजिक–आर्थिक कल्याण को सुनिश्चित करना।
  • महिला और युवाओं को उद्यमिता से जोड़ना।

पाँच वर्षों की प्रमुख उपलब्धियाँ और मील के पत्थर

1. रिकॉर्ड मछली उत्पादन

  • वर्ष 2024–25 में भारत ने 195 लाख टन मछली उत्पादन का नया रिकॉर्ड बनाया।
  • यह 2019–20 के मात्र 64 लाख टन की तुलना में कई गुना अधिक है।

2. वैश्विक स्थिति

  • भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश बन गया।
  • वैश्विक उत्पादन में भारत का योगदान लगभग 8% है।

3. निर्यात में वृद्धि

  • 2019–20 में मत्स्य निर्यात : ₹46,662.85 करोड़
  • 2023–24 में मत्स्य निर्यात : ₹60,524.89 करोड़
  • यह वृद्धि भारत को वैश्विक सीफ़ूड मार्केट में मजबूत स्थान दिलाती है।

4. महिला सशक्तिकरण

  • महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने हेतु लाभार्थी उन्मुख गतिविधियाँ शुरू की गईं।
  • एंटरप्रेन्योर मॉडल में महिलाओं को प्रोत्साहन।
  • परियोजना लागत का 60% तक वित्तीय सहयोग दिया गया।
  • एक परियोजना पर अधिकतम ₹1.5 करोड़ तक की सहायता उपलब्ध कराई गई।

सामाजिक और आर्थिक प्रभाव

ग्रामीण और तटीय अर्थव्यवस्था

मत्स्य पालन ने लाखों ग्रामीण परिवारों को नई आजीविका दी। तटीय क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़े और सहायक उद्योगों का विकास हुआ।

पोषण और खाद्य सुरक्षा

मछली प्रोटीन का प्रमुख स्रोत है। PMMSY ने कुपोषण और प्रोटीन की कमी को दूर करने में योगदान दिया।

महिला और युवा सशक्तिकरण

योजना ने महिलाओं को स्वावलंबन का अवसर दिया। मत्स्य आधारित उद्यमिता में युवाओं की भागीदारी बढ़ी, जिससे ग्रामीण–शहरी पलायन पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ा।

चुनौतियाँ और सीमाएँ

यद्यपि PMMSY ने उल्लेखनीय प्रगति की है, लेकिन कुछ चुनौतियाँ अब भी बनी हुई हैं –

  1. पर्यावरणीय स्थिरता – मत्स्य उत्पादन बढ़ाने के साथ समुद्री पारिस्थितिकी की रक्षा करना एक चुनौती है।
  2. जलवायु परिवर्तन – बढ़ते तापमान और महासागरीय अम्लीयकरण से मछली प्रजातियों पर असर पड़ता है।
  3. तकनीकी पहुँच – छोटे और सीमांत मछुआरों तक उन्नत तकनीक पहुँचाना अभी कठिन है।
  4. बाज़ार पहुँच और निर्यात मानक – अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के लिए अधिक उन्नत अवसंरचना की आवश्यकता है।
  5. वित्तीय समावेशन – सभी मछुआरे बैंकिंग और बीमा सेवाओं से नहीं जुड़े हैं।

भविष्य की संभावनाएँ

भारत के पास मत्स्य पालन को ब्लू इकोनॉमी का आधार बनाने की अपार क्षमता है। आने वाले वर्षों में –

  • डिजिटल ट्रेसबिलिटी सिस्टम विकसित करना होगा।
  • सतत मत्स्य पालन (Sustainable Fisheries) को प्राथमिकता देनी होगी।
  • इको–फ्रेंडली एक्वाकल्चर पर ध्यान केंद्रित करना होगा।
  • निर्यात–उन्मुख इन्फ्रास्ट्रक्चर को और मजबूत करना होगा।
  • युवा और महिला उद्यमियों को वैश्विक बाजार से जोड़ना होगा।

Quick Revision Table : नीली क्रांति और प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY)

श्रेणीप्रमुख तथ्य
नीली क्रांति (Blue Revolution) की शुरुआत2015 – मछली उत्पादन बढ़ाने और पूरी वैल्यू चेन को आधुनिक बनाने के लिए
कमियाँ (2015 योजना की)पोस्ट–हार्वेस्ट हैंडलिंग, ट्रेसबिलिटी, मछुआरों का कल्याण, बाज़ार पहुँच
PMMSY की घोषणाकेंद्रीय बजट 2019–20
औपचारिक शुरुआतसितंबर 2020
प्रकृतिछत्र योजना (Umbrella Scheme)
घटक1. केंद्रीय क्षेत्र योजना (CS) – 100% केंद्र द्वारा वित्तपोषित
2. केंद्रीय प्रायोजित योजना (CSS) – केंद्र + राज्य द्वारा
मुख्य उद्देश्यउत्पादन वृद्धि, आधुनिक तकनीक, अवसंरचना विकास, मछुआरों का कल्याण, महिला–युवा उद्यमिता, निर्यात क्षमता बढ़ाना
प्रमुख उपलब्धियाँ (2020–2025)– मछली उत्पादन : 195 लाख टन (2024–25)
– वैश्विक योगदान : ~8%
– निर्यात : ₹46,662.85 करोड़ (2019–20) → ₹60,524.89 करोड़ (2023–24)
महिला सशक्तिकरणपरियोजना लागत का 60% तक सहयोग, ₹1.5 करोड़ तक सहायता
चुनौतियाँजलवायु परिवर्तन, पर्यावरणीय स्थिरता, तकनीकी पहुँच की कमी, निर्यात मानक, वित्तीय समावेशन
भविष्य की संभावनाएँडिजिटल ट्रेसबिलिटी, सतत मत्स्य पालन, इको–फ्रेंडली एक्वाकल्चर, निर्यात–उन्मुख इन्फ्रास्ट्रक्चर, महिला–युवा उद्यमिता

निष्कर्ष

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) ने पाँच वर्षों में यह सिद्ध कर दिया है कि यदि किसी क्षेत्र को दूरदृष्टि और समग्र रणनीति के साथ विकसित किया जाए, तो वह न केवल अर्थव्यवस्था बल्कि समाज और पर्यावरण के लिए भी परिवर्तनकारी सिद्ध हो सकता है।

आज भारत विश्व के प्रमुख मछली उत्पादकों में शामिल है। यह सफलता केवल संख्यात्मक उपलब्धि नहीं, बल्कि लाखों मछुआरों, ग्रामीण परिवारों और महिलाओं के जीवन स्तर में आए सुधार की कहानी है।

भविष्य में, यदि चुनौतियों को सुलझाते हुए सतत विकास पर ध्यान दिया गया, तो भारत न केवल “नीली क्रांति” का वैश्विक मॉडल बनेगा, बल्कि इसे “हरित और नीली अर्थव्यवस्था” का संगम भी कहा जाएगा।


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