भारत के प्राचीन इतिहास को अगर विश्व के इतिहास के महान अध्यायों में से एक कहा जाए तो इसे अतिश्योक्ति नहीं कहा जा सकता। इसका वर्णन करते हुए भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने कहा था, ‘‘विरोधाभासों से भरा लेकिन मजबूत अदृश्य धागों से बंधा’’। भारतीय इतिहास की विशेषता है कि वो खुद को तलाशने की सतत् प्रक्रिया में लगा रहता है, और लगातार बढ़ता रहता है।
प्राचीन भारत का इतिहास
इस अद्भुत उपमहाद्वीप का इतिहास लगभग 75,000 साल पुराना है, और इसका प्रमाण होमो सेपियंस की मानव गतिविधि से मिलता है। यह आश्चर्य की बात है कि 5,000 साल पहले सिंधु घाटी सभ्यता के वासियों ने कृषि और व्यापार पर आधारित एक शहरी संस्कृति विकसित कर ली थी।भारत का इतिहास न सिर्फ मानव सभ्यता की शुरुआत से, बल्कि सिंधु घाटी की सभ्यता, अशोक के शिलालेख, संगम साहित्य आदि से जुड़ा हुआ है।
प्राचीन भारत का इतिहास विभिन्न स्रोतों से जाना जाता है और इसे तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है:
- प्रागैतिहासिक काल (Prehistoric Age)
- आदि ऐतिहासिक काल (Proto-historic Age) और
- ऐतिहासिक काल (Historic Age)।
1. प्रागैतिहासिक काल (Prehistoric Age)
प्रागैतिहासिक काल एक समय था जब लिखित या साहित्यिक स्रोत उपलब्ध नहीं थे। इस काल का प्रमुख स्रोत पुरातात्विक होते हैं, जैसे कि पाषाण उपकरण, खुदाई से प्राप्त आकृतियाँ, और अन्य खण्डहर। इस काल के बारे में अधिक जानकारी हमें खुदाई और खण्डहरों से ही मिलती है।प्रागैतिहासिक काल को पाषाण काल के नाम से भी जाना जाता है। इस काल में पाषाण उपकरणों की प्रधानता थी। विद्वानों ने प्रागैतिहासिक काल को पाषाण उपकरणों की उपस्थिति के आधार पर पाषाण काल नाम दिया, और इसे तीन भागों में विभक्त किया है। ये तीन भाग हैं-
- पुरापाषाण काल (25 लाख ईसा पूर्व से 10,000 ईसा पूर्व)
- मध्य पाषाण काल (10,000- 4,000 ई.पू)
- नवपाषाण काल (4,000 ईसा पूर्व से 1,000 ईसा पूर्व) ।
2. आदि ऐतिहासिक काल (Proto-historic Age)
आदि ऐतिहासिक काल में, लिखित और साहित्यिक स्रोत उपलब्ध होते हैं, लेकिन इनको अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है। इस समय मनुष्य धातु का उपयोग करना शुरू कर दिया था। इस युग को ब्रॉन्ज (Bronze) अथवा कांस्य युग नाम से भी जाना जाता है। इस काल में सिंधु-सरस्वती सभ्यता (हड़प्पा सभ्यता) और अन्य प्राचीन सभ्यताओं के बारे में जानकारी हमें पुरातात्विक खण्डहरों से ही मिलती है।
3. ऐतिहासिक काल (Historic Age)
ऐतिहासिक काल में, लिखित और साहित्यिक स्रोत उपलब्ध होते हैं और इनको पढ़कर हम भारतीय इतिहास के विभिन्न युगों के बारे में जान सकते हैं। इसमें वैदिक काल, बौद्ध धर्म, जैन धर्म, मौर्य काल, गुप्त काल, और अन्य महत्वपूर्ण काल समाहित हैं।
इस प्रकार से, प्राचीन भारत का इतिहास तीन भागों में बाँटा गया है, इन तीनों भागों के अलग अलग स्रोत हैं। जैसे: –
- प्रागैतिहासिक काल का स्रोत – पाषाण काल (पुरापाषाण काल, मध्य पाषाण काल और नवपाषाण काल)।
- आदि ऐतिहासिक काल का स्रोत – ब्रॉन्ज (Bronze) अथवा कांस्य युग, सिन्धु घाटी सभ्यता (हड़प्पा सभ्यता) और अन्य प्राचीन सभ्यतायें।
- ऐतिहासिक काल का स्रोत – वैदिक काल महाजनपद, नन्द वंश, मौर्य वंश, गुप्त वंश आदि।
इन स्रोतों का विवरण आगे दिया गया है। ये काल एक संकेतक हैं, जो हमें भारतीय इतिहास के विकास को समझने की दिशा में मदद करते हैं।
भारत के प्राचीन इतिहास को घटनाक्रम और कलाक्रम के अनुसार पाषाण युग, सिन्धु घाटी सभ्यता, वैदिक काल आदि का विवरण इस प्रकार है-
भारतीय उपमहाद्वीप (INDIAN SUBCONTIENENT)
पाषण काल STONE AGE (36000 – 1800) BC
सिन्धु घाटी सभ्यता INDUS VALLEY CIVILISATION(2500 -1500) BC
वैदिक काल VEDIC AGE(1500 – 500) BC
धार्मिक आन्दोलन Religious Movements
जनपद एवं महाजनपद Janpadas and Mahajanapadas
इन्हें भी देखें –
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