आज के वैश्विक परिदृश्य में क्षेत्रीय सहयोग और बहुपक्षीय साझेदारियाँ किसी भी क्षेत्र के समेकित विकास और स्थिरता के लिए अत्यंत आवश्यक हो गई हैं। इसी दिशा में कार्य कर रहा है बिम्सटेक (BIMSTEC) – Bay of Bengal Initiative for Multi-Sectoral Technical and Economic Cooperation यानी बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग हेतु बंगाल की खाड़ी पहल।
वर्ष 2025 में आयोजित 6वाँ बिम्सटेक शिखर सम्मेलन, इस दिशा में एक बड़ा और निर्णायक कदम साबित हुआ। इस सम्मेलन की मेज़बानी थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक ने की और यह आयोजन न केवल सदस्य देशों के आपसी संबंधों को मज़बूती देने वाला रहा, बल्कि इसने क्षेत्रीय विकास की नई दिशा भी प्रस्तुत की।
बिम्सटेक (BIMSTEC) | एक संक्षिप्त परिचय
बिम्सटेक की स्थापना वर्ष 1997 में बैंकॉक घोषणा (Bangkok Declaration) के माध्यम से की गई थी। प्रारंभ में इस संगठन को BIST-EC के नाम से जाना जाता था जिसमें चार देश शामिल थे – बांग्लादेश, भारत, श्रीलंका और थाईलैंड।
बाद में म्यांमार के शामिल होने पर इसका नाम BIMST-EC हो गया और वर्ष 2004 में नेपाल और भूटान के शामिल होने से इसे वर्तमान स्वरूप में BIMSTEC का नाम मिला।
बिम्सटेक के सदस्य देश
बिम्सटेक के कुल 7 सदस्य देश हैं:
- बांग्लादेश
- भूटान
- भारत
- म्यांमार
- नेपाल
- श्रीलंका
- थाईलैंड
बिम्सटेक (BIMSTEC) के उद्देश्य और महत्व
बिम्सटेक का उद्देश्य बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में स्थित दक्षिण एशियाई और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के बीच तकनीकी और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना है। इसके अंतर्गत सदस्य देशों के बीच विभिन्न क्षेत्रों में साझेदारी और सहयोग किया जाता है। यह संगठन दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया के बीच एक सेतु की तरह कार्य करता है। बिम्सटेक (BIMSTEC) के उद्देश्य निम्न प्रकार से हैं –
- क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को बढ़ाना
- व्यापार, निवेश और पर्यटन को प्रोत्साहित करना
- आपदा प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन से निपटने में सहयोग
- गरीबी उन्मूलन और सतत विकास को बढ़ावा देना
- तकनीकी, सामाजिक और वैज्ञानिक क्षेत्रों में सहयोग और सहायता
- व्यावसायिक एवं तकनीकी प्रशिक्षण और शोध सुविधाओं की उपलब्धता
- सदस्य देशों की सामाजिक-आर्थिक प्रगति को बढ़ावा देना
महत्वपूर्ण आँकड़े
- जनसंख्या: लगभग 1.7 अरब, जो विश्व की 22% आबादी है।
- सामूहिक GDP (2023): लगभग 5.2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर।
- भू-राजनीतिक स्थिति: दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया को जोड़ने वाला सेतु।
6वाँ बिम्सटेक शिखर सम्मेलन | एक अवलोकन
वर्ष 2025 में थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में आयोजित 6वाँ बिम्सटेक शिखर सम्मेलन, बहुपक्षीय साझेदारी और सहयोग की दिशा में एक ऐतिहासिक अवसर बना। यह दूसरी बार था जब थाईलैंड ने इस सम्मेलन की मेज़बानी की, इससे पहले यह अवसर वर्ष 2004 में मिला था।
बिम्सटेक शिखर सम्मेलन की थीम
“BIMSTEC: Prosperous, Resilient and Open”
(समृद्ध, लचीला और खुला)
इस थीम ने बिम्सटेक देशों के बीच समावेशी विकास, आपदा लचीलापन और पारदर्शिता के सिद्धांतों को प्राथमिकता दी।
बिम्सटेक शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता
थाईलैंड की प्रधानमंत्री पैतोंगटार्न शिनावात्रा ने इस सम्मेलन की अध्यक्षता की।
बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में भारत की भूमिका और पहलें
भारत, BIMSTEC का एक प्रमुख सदस्य है और क्षेत्रीय विकास में उसकी सक्रिय भागीदारी हमेशा से देखने को मिली है। इस बार भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सम्मेलन में कई महत्त्वपूर्ण प्रस्ताव रखे, जिनका उद्देश्य संगठन को अधिक प्रभावशाली और क्रियाशील बनाना था।
1. BIMSTEC Centres of Excellence की स्थापना (भारत में)
भारत ने 5 प्रमुख क्षेत्रों में उत्कृष्टता केंद्रों (Centres of Excellence) की स्थापना का प्रस्ताव रखा:
- आपदा प्रबंधन
- सतत समुद्री परिवहन
- पारंपरिक चिकित्सा
- कृषि अनुसंधान और प्रशिक्षण
- कैंसर देखभाल में क्षमता निर्माण
इन केंद्रों का उद्देश्य संबंधित क्षेत्रों में शोध, नीति निर्माण और प्रशिक्षण को बढ़ावा देना है।
2. आपदा प्रबंधन अभ्यास
भारत ने घोषणा की कि वह चौथे BIMSTEC आपदा प्रबंधन अभ्यास की मेज़बानी करेगा। इसका उद्देश्य सदस्य देशों को आपसी सहयोग से आपदाओं का सामना करने के लिए तैयार करना है।
3. BODHI कार्यक्रम
BODHI का पूर्ण रूप है – BIMSTEC for Organized Development of Human Resource Infrastructure।
इस कार्यक्रम के अंतर्गत भारत हर वर्ष 300 युवाओं को प्रशिक्षित करेगा, जिससे मानव संसाधन विकास को बढ़ावा मिलेगा।
4. डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI)
भारत ने डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर पर पायलट अध्ययन की घोषणा की, जिससे क्षेत्रीय आवश्यकताओं को समझा जा सके और डिजिटल समावेशन को बढ़ावा मिले।
5. व्यापार और वाणिज्य
- BIMSTEC Chamber of Commerce की स्थापना का प्रस्ताव।
- भारत ने हर साल BIMSTEC Business Summit आयोजित करने की पेशकश की।
6. गृह मंत्रियों की बैठक
भारत ने BIMSTEC गृह मंत्रियों की पहली बैठक आयोजित करने की भी घोषणा की, जिससे सुरक्षा, आतंकवाद-रोधी उपाय और आंतरिक स्थिरता पर सहयोग को बढ़ावा मिलेगा।
7. ऊर्जा सहयोग
BIMSTEC Energy Centre, जो बेंगलुरु में स्थित है, अब पूरी तरह से क्रियाशील हो चुका है। इसका उद्देश्य ऊर्जा क्षेत्र में शोध और नीति विकास को गति देना है।
6वें बिम्सटेक शिखर सम्मेलन की प्रमुख उपलब्धियाँ
- क्षेत्रीय व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के लिए समझौते
- सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए साझा योजनाएँ
- स्वास्थ्य, शिक्षा और कृषि में नवाचार की दिशा में पहल
- क्षेत्रीय कनेक्टिविटी परियोजनाओं को प्राथमिकता देना
बिम्सटेक के अब तक के शिखर सम्मेलन (BIMSTEC Summits)
बिम्सटेक की स्थापना के बाद से अब तक कुल 6 शिखर सम्मेलन आयोजित किए जा चुके हैं, जिनमें से प्रत्येक सम्मेलन ने संगठन की दिशा और कार्यप्रणाली को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
क्रमांक | तिथि | मेज़बान देश | मेज़बान शहर |
---|---|---|---|
1 | 31 जुलाई 2004 | थाईलैंड | बैंकॉक |
2 | 13 नवंबर 2008 | भारत | नई दिल्ली |
3 | 4 मार्च 2014 | म्यांमार | नाय पी तॉ |
4 | 30–31 अगस्त 2018 | नेपाल | काठमांडू |
5 | 30 मार्च 2022 | श्रीलंका | कोलंबो (आभासी बैठक) |
6 | 2–4 अप्रैल 2025 | थाईलैंड | बैंकॉक |
बिम्सटेक (BIMSTEC) के प्रमुख क्षेत्र (Sectors) – कुल 14
बिम्सटेक में कुल 14 प्राथमिक क्षेत्र निर्धारित किए गए हैं जिनमें सदस्य देश “लीड कंट्री” (Lead Country) की भूमिका निभाते हैं। इनमें से सातवाँ से तेरहवाँ क्षेत्र वर्ष 2005 में ढाका में हुई 8वीं मंत्री स्तरीय बैठक में जोड़े गए, जबकि चौदहवाँ क्षेत्र 2008 में नई दिल्ली में हुई 11वीं मंत्री स्तरीय बैठक में जोड़ा गया।
बिम्सटेक के 14 क्षेत्रों के नाम
- व्यापार और निवेश (Trade & Investment)
- परिवहन और संचार (Transport & Communication)
- ऊर्जा (Energy)
- पर्यटन (Tourism)
- प्रौद्योगिकी (Technology)
- मत्स्य पालन (Fisheries)
- कृषि (Agriculture)
- सार्वजनिक स्वास्थ्य (Public Health)
- गरीबी उन्मूलन (Poverty Alleviation)
- आतंकवाद-रोधी और अंतर्राष्ट्रीय अपराध (Counter-Terrorism & Transnational Crime)
- पर्यावरण और आपदा प्रबंधन (Environment & Disaster Management)
- जन-संपर्क (People-to-People Contact)
- सांस्कृतिक सहयोग (Cultural Cooperation)
- जलवायु परिवर्तन (Climate Change)
बिम्सटेक (BIMSTEC) का स्थायी सचिवालय (Permanent Secretariat)
बिम्सटेक का स्थायी सचिवालय वर्ष 2014 में ढाका, बांग्लादेश में स्थापित किया गया। भारत इस सचिवालय के कुल व्यय में 32% योगदान देता है।
बिम्सटेक (BIMSTEC) के सचिव-जनरल (Secretary General) की सूची
क्रमांक | कार्यकाल | देश | सचिव-जनरल का नाम |
---|---|---|---|
1 | 2014–2017 | श्रीलंका | सुमिथ नाकंदला |
2 | 2017–2020 | बांग्लादेश | एम. शाहिदुल इस्लाम |
3 | 2020–2023 | भूटान | तेनज़िन लेकफेल |
4 | 2024–वर्तमान | भारत | इंद्र मणि पांडे |
वर्तमान में भारत के राजनयिक श्री इंद्र मणि पांडे इस संगठन के सचिव-जनरल हैं।
बिम्सटेक (BIMSTEC) अध्यक्षता (Chairmanship) प्रणाली
बिम्सटेक की अध्यक्षता वर्णानुक्रम (alphabetical order) के अनुसार सदस्य देशों को दी जाती है, जिससे संगठन में संतुलन और पारदर्शिता बनी रहती है।
विभिन्न वर्षों में बिम्सटेक (BIMSTEC) की अध्यक्षता करने वाले देश
- बांग्लादेश: 1997–1999, 2005–2006, 2025–वर्तमान
- भारत: 2000, 2006–2008
- म्यांमार: 2001–2002, 2009–2014
- श्रीलंका: 2002–2003, 2018–2022
- थाईलैंड: 2004–2005, 2022–2024
- नेपाल: 2015–2018
बिम्सटेक एक ऐसा संगठन है जो क्षेत्रीय सहयोग, सतत विकास और बहुपक्षीय साझेदारी को नई दिशा देने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके शिखर सम्मेलन, सचिवालय, कार्यक्षेत्र और अध्यक्षता प्रणाली सभी यह दर्शाते हैं कि यह संगठन भविष्य में दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया के बीच एक सशक्त और स्थायी मंच बन सकता है।
6वाँ शिखर सम्मेलन, 2025, इस दिशा में उठाया गया एक और सशक्त कदम है जो न केवल आपसी संबंधों को प्रगाढ़ करता है, बल्कि सामूहिक विकास और समृद्धि की ओर भी ले जाता है।
बिम्सटेक शिखर सम्मेलन | भविष्य की दिशा और चुनौतियाँ
जहाँ बिम्सटेक भविष्य में क्षेत्रीय एकता और सहयोग की नई मिसाल बन सकता है, वहीं इसके सामने कुछ चुनौतियाँ भी हैं:
मुख्य चुनौतियाँ
- सदस्य देशों के बीच राजनीतिक मतभेद
- वित्तीय संसाधनों की कमी
- परियोजनाओं के क्रियान्वयन में देरी
- चीन जैसे बाहरी प्रभावों से सामंजस्य
इन चुनौतियों से निपटने के लिए सदस्य देशों को मिलकर एक रणनीतिक और दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाना होगा।
6वाँ बिम्सटेक शिखर सम्मेलन, बंगाल की खाड़ी क्षेत्र के लिए एक मील का पत्थर साबित हुआ है। इसने न केवल सदस्य देशों के बीच विश्वास को गहरा किया, बल्कि एक समृद्ध, लचीला और खुला क्षेत्रीय व्यवस्था की ओर भी संकेत दिया।
भारत की ओर से प्रस्तुत की गई पहलों ने यह स्पष्ट किया कि वह क्षेत्रीय नेतृत्व की भूमिका निभाने को तैयार है और तकनीक, मानव संसाधन, व्यापार, ऊर्जा और आपदा प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में सक्रिय योगदान देगा।
यदि सदस्य देश इस साझा विज़न को लेकर एकजुट रहते हैं, तो बिम्सटेक आने वाले वर्षों में एशिया की सबसे प्रभावशाली बहुपक्षीय संस्था बन सकती है।
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