यह लेख हिंदी साहित्य के भक्ति काल (1350 ई. – 1650 ई.) से संबंधित कवियों और उनकी रचनाओं का सुव्यवस्थित विवरण प्रस्तुत करता है। भक्ति काल को हिंदी साहित्य का स्वर्ण युग माना जाता है, जिसमें धार्मिक भावना, सामाजिक सुधार और काव्यात्मक उत्कृष्टता का अद्वितीय संगम देखने को मिलता है। इस लेख में भक्ति काल को चार प्रमुख धाराओं में विभाजित किया गया है – संत काव्य, सूफी काव्य, कृष्ण भक्ति काव्य और राम भक्ति काव्य। प्रत्येक धारा के अंतर्गत प्रमुख कवियों जैसे कबीरदास, रैदास, गुरु नानक, जायसी, सूरदास, तुलसीदास, मीराबाई, रसखान, केशवदास, रहीम आदि की प्रसिद्ध रचनाओं का विस्तारपूर्वक उल्लेख किया गया है।
इसके अतिरिक्त अष्टछाप के आठ प्रसिद्ध कृष्ण भक्त कवियों तथा विविध रचनाकारों की भी सूची प्रदान की गई है, जिनकी रचनाएँ भक्ति साहित्य को समृद्ध बनाती हैं।
यह सूची न केवल साहित्यिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों के लिए भी अत्यंत उपयोगी है। भक्ति काल की प्रमुख काव्य रचनाओं और उनके रचनाकारों की यह संगठित जानकारी छात्रों को अध्ययन, स्मरण और प्रस्तुति में सहायता प्रदान करती है। यदि आप हिंदी साहित्य में गहरी रुचि रखते हैं या किसी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, तो यह लेख आपके लिए एक संपूर्ण संदर्भ सामग्री है।
निम्नलिखित सूची में भक्ति काल के कवियों और उनकी रचनाओं को सुव्यवस्थित एवं क्रमबद्ध रूप से प्रस्तुत किया गया है। यह सूची प्रतियोगी परीक्षाओं व अध्ययन की दृष्टि से अत्यंत उपयोगी है।
भक्ति काल (1350 ई. – 1650 ई.)
भक्ति काल को हिंदी साहित्य का स्वर्ण युग कहा जाता है। इसे चार प्रमुख काव्यधाराओं में विभाजित किया गया है:
- संत काव्य (निर्गुण भक्ति – रामानंद परंपरा)
- सूफी काव्य (निर्गुण भक्ति – प्रेमाख्यान परंपरा)
- कृष्ण भक्ति काव्य (सगुण भक्ति – वल्लभाचार्य परंपरा)
- राम भक्ति काव्य (सगुण भक्ति – तुलसी परंपरा)
संत काव्यधारा के कवि (रचनाकार) एवं उनके काव्य (रचनाएँ)
क्रम | कवि (रचनाकार) | प्रमुख काव्य (रचनाएँ) |
---|---|---|
1 | कबीरदास | बीजक (रमैनी, सबद, साखी) |
2 | रैदास | बानी |
3 | गुरु नानक देव | गुरु ग्रंथ साहिब में संकलित |
4 | सुंदरदास | सुंदर विलाप |
5 | मलूकदास | रत्नखान, ज्ञानबोध |
सूफी काव्यधारा के कवि (रचनाकार) एवं उनके काव्य (रचनाएँ)
क्रम | कवि (रचनाकार) | प्रमुख काव्य (रचनाएँ) |
---|---|---|
1 | असाइत | हंसावली |
2 | मुल्ला दाऊद | चंदायन |
3 | मंझन | मधुमालती |
4 | कुतबन | मृगावती |
5 | उस्मान | चित्रावली |
6 | जायसी | पद्मावत, अखरावट, कन्हावत, आखिरी कलाम |
7 | आलम | माधवानल कामकंदला |
8 | शेख नबी | ज्ञान दीपक |
9 | पुहकर | रस रतन |
10 | दामोदर कवि | लखमसेन पद्मावती कथा |
11 | नंददास | रूप मंजरी |
12 | ईश्वरदास | सत्यवती कथा |
13 | नूर मुहम्मद | इंद्रावती, अनुराग बाँसुरी |
कृष्ण भक्ति काव्यधारा के कवि (रचनाकार) एवं उनके काव्य (रचनाएँ)
क्रम | कवि (रचनाकार) | प्रमुख काव्य (रचनाएँ) |
---|---|---|
1 | सूरदास | सूरसागर, साहित्य लहरी, सूरसारावली |
2 | परमानंददास | परमानंद सागर |
3 | कृष्णदास | जुगलमान चरित्र |
4 | कुंभनदास | फुटकल पद |
5 | छीतस्वामी | फुटकल पद |
6 | गोविंदस्वामी | फुटकल पद |
7 | चतुर्भुजदास | द्वादशयश, भक्ति प्रताप |
8 | नंददास | रास पंचाध्यायी, भ्रमर गीत |
9 | श्रीभट्ट | युगल शतक |
10 | हित हरिवंश | हित चौरासी |
11 | स्वामी हरिदास | हरिदास जी के पद |
12 | ध्रुवदास | भक्त नामावली, रसलावनी |
13 | मीराबाई | नरसी का मायरा, गीत गोविंद टीका, राग गोविंद |
14 | रसखान | प्रेम वाटिका, दानलीला, सुजान रसखान |
15 | नरोत्तमदास | सुदामा चरित |
राम भक्ति काव्यधारा के कवि (रचनाकार) एवं उनके काव्य (रचनाएँ)
क्रम | कवि (रचनाकार) | प्रमुख काव्य (रचनाएँ) |
---|---|---|
1 | रामानंद | राम आरती |
2 | अग्रदास | रामाष्टयाम, राम भजन मंजरी |
3 | ईश्वरदास | भरतमिलाप, अंगदपैज |
4 | तुलसीदास | रामचरितमानस, गीतावली, कवितावली, विनयपत्रिका, दोहावली, कृष्ण गीतावली, पार्वती मंगल, जानकी मंगल, बरवै रामायण, रामाज्ञा प्रश्नावली, वैराग्य संदीपनी |
5 | नाभादास | भक्तमाल |
6 | केशवदास | रामचंद्रिका |
7 | नरहरिदास | पौरुषेय रामायण |
विविध कवि (रचनाकार) एवं उनके काव्य (रचनाएँ)
क्रम | कवि (रचनाकार) | प्रमुख काव्य (रचनाएँ) |
---|---|---|
1 | छीहल | पंचसहेली |
2 | लालच दास | हरिचरित, भागवत दशम स्कंध भाषा |
3 | महापात्र नरहरि बंदीजन | रुक्मिणी मंगल, छप्पय नीति |
4 | मनोहर कवि | शत प्रश्नोत्तरी |
5 | बलभद्र मिश्र | हनुमन्नाटक |
6 | केशवदास | कविप्रिया, रसिकप्रिया, वीरसिंह देव चरित, विज्ञान गीता |
7 | रहीम | रहीम दोहावली, श्रृंगार सोरठा, बरवै नायिका भेद, मदनाष्टक |
8 | सेनापति | काव्य कल्पद्रुम |
9 | सुंदर | सुंदर श्रृंगार |
10 | लालचंद | पद्मिनी चरित्र |
अष्टछाप के कवि
(वल्लभ संप्रदाय के आठ प्रमुख कृष्ण भक्त कवि)
वल्लभाचार्य के शिष्य:
- सूरदास
- कुंभनदास
- परमानंददास
- कृष्णदास
विट्ठलनाथ के शिष्य:
- छीत स्वामी
- गोविंद स्वामी
- चतुर्भुजदास
- नंददास
भक्ति काल हिंदी साहित्य का वह युग है जिसमें अध्यात्म, सामाजिक चेतना, भक्ति और काव्य का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। इस काल के कवियों ने अपने शब्दों से जनमानस को न केवल ईश्वर के प्रति समर्पण की राह दिखाई, बल्कि सामाजिक कुरीतियों, अंधविश्वासों और भेदभाव के विरुद्ध भी जागरूकता फैलाई। चाहे निर्गुण भक्ति के प्रवर्तक कबीर हों, सूफी प्रेमाख्यान के रचयिता जायसी हों, या सगुण भक्ति के महान कवि तुलसीदास, सूरदास और मीराबाई – सभी ने भारतीय काव्य परंपरा को एक नई दिशा दी।
यह लेख भक्ति काल के उन महान रचनाकारों और उनकी अमर काव्यकृतियों का एक सारगर्भित और व्यवस्थित परिचय प्रदान करता है, जो न केवल साहित्यिक दृष्टि से बल्कि सांस्कृतिक और धार्मिक परिप्रेक्ष्य में भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
यह समस्त भक्ति कालीन साहित्य भारतीय भक्ति आंदोलन का जीवंत प्रमाण है। यह सूची न केवल प्रतियोगी परीक्षाओं में सहायक है, बल्कि हिंदी साहित्य के अध्ययन हेतु भी आधारशिला है। आशा है कि यह सामग्री विद्यार्थियों, शोधार्थियों और हिंदी प्रेमियों के लिए ज्ञानवर्धक और उपयोगी सिद्ध होगी।
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