भारत-इज़रायल कृषि समझौता | आधुनिक कृषि की दिशा में एक सशक्त साझेदारी

भारत और इज़रायल के बीच कृषि क्षेत्र में सहयोग का इतिहास लम्बा और गहरा रहा है। दोनों देशों ने तकनीकी विशेषज्ञता, अनुसंधान, और नवाचार को साझा करते हुए कृषि के क्षेत्र में एक नया मानक स्थापित किया है। हाल ही में नई दिल्ली में भारत के केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और इज़रायल के कृषि एवं खाद्य सुरक्षा मंत्री एवी डिक्टर के बीच हुआ एक नया व्यापक कृषि समझौता इसी साझेदारी को और अधिक सुदृढ़ करता है।

यह समझौता (भारत-इज़रायल कृषि समझौता) न केवल द्विपक्षीय कृषि सहयोग को विस्तार देता है, बल्कि खाद्य सुरक्षा को मज़बूत करने, किसानों की आय में वृद्धि करने, और भारत में आधुनिक कृषि तकनीकों के प्रसार को भी गति देता है।

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भारत-इज़रायल कृषि समझौता | ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

प्रारंभिक पहल

भारत और इज़रायल के बीच कृषि सहयोग की शुरुआत 1993 में राजनयिक संबंध स्थापित होने के बाद हुई। मगर वास्तविक गति 2006 में इंडो-इज़रायल एग्रीकल्चरल प्रोजेक्ट (IIAP) के शुभारंभ से मिली। इस परियोजना का उद्देश्य था:

  1. किसानों को आधुनिक तकनीकों से प्रशिक्षित करना।
  2. सेंटर्स ऑफ एक्सीलेंस (CoEs) की स्थापना करना, जो अनुसंधान और प्रशिक्षण का केंद्र बने।
  3. इज़रायल की कृषि प्रौद्योगिकियों को भारतीय परिस्थितियों के अनुकूल बनाना।

आज देशभर में 43 CoEs सक्रिय हैं, जो विशिष्ट फसलों और तकनीकों पर केंद्रित हैं। उदाहरण के लिए, महाराष्ट्र के नागपुर में ड्रिप सिंचाई और पश्चिम बंगाल के कोलकाता में फूलों की खेती पर केंद्र स्थापित हैं।

Indo-Israel Agricultural Project (IIAP)

इस परियोजना (Indo-Israel Agricultural Project) का मूल उद्देश्य था:

  • किसानों को प्रशिक्षण देना
  • आधुनिक तकनीकों का प्रदर्शन करना
  • बागवानी में सर्वोत्तम प्रथाओं को लागू करना

IIAP के अंतर्गत इज़रायल के सहयोग से भारत में Centers of Excellence की स्थापना की गई, जिनका उल्लेख हम आगे करेंगे।

भारत-इज़रायल कृषि समझौते की प्रमुख विशेषताएँ | उद्देश्य

हालिया समझौते को “पाँच वर्षीय बीज सुधार योजना” समेत कई नवीन पहलों के साथ डिज़ाइन किया गया है। इसके प्रमुख उद्देश्य हैं:

  1. खाद्य और पोषण सुरक्षा को मजबूत करना।
  2. किसानों की आय में वृद्धि करना।
  3. जलवायु-लचीली कृषि को बढ़ावा देना।
  4. तकनीकी हस्तांतरण और संयुक्त अनुसंधान को प्राथमिकता।

पाँच वर्षीय बीज सुधार योजना (Five-Year Seed Improvement Plan)

इस नए समझौते की एक अत्यंत महत्वपूर्ण पहल बीज सुधार की पाँच वर्षीय योजना है। यह योजना विशेष रूप से निम्नलिखित लक्ष्यों को ध्यान में रखकर तैयार की गई है:

  • बीजों की गुणवत्ता में सुधार
  • उच्च उत्पादकता वाले बीजों का विकास
  • जलवायु के अनुकूल बीजों की पहचान और प्रसार
  • जैव विविधता के संरक्षण के साथ नवाचार का समावेश

यह योजना भारत की कृषि विविधता को ध्यान में रखते हुए इज़रायली तकनीक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के सहयोग से कार्यान्वित की जाएगी।

भारत-इज़रायल कृषि समझौता | सहयोग के मुख्य क्षेत्र

इस समझौते के तहत जिन प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग को प्राथमिकता दी गई है, वे इस प्रकार हैं:

1. मिट्टी और जल प्रबंधन

इज़रायल की जल प्रबंधन तकनीकें विश्वप्रसिद्ध हैं, विशेषतः सूखा-प्रभावित क्षेत्रों में। भारत में इन तकनीकों का उपयोग किसानों को जल संकट से उबारने और सतत सिंचाई प्रणालियों के विकास में सहायक होगा।

2. बागवानी और कृषि उत्पादन

उन्नत पौधशालाएँ, ग्रीनहाउस तकनीक, और रोग प्रतिरोधक फसलों के उत्पादन में इज़रायल का योगदान महत्वपूर्ण है। भारत के किसानों को इन तकनीकों से बेहतर उत्पादन और गुणवत्ता मिलेगी।

3. कटाई के बाद की प्रोसेसिंग तकनीक

फसल की कटाई के बाद का नुकसान भारतीय कृषि में एक बड़ी समस्या है। इज़रायली विशेषज्ञता इस क्षेत्र में मूल्यवर्धन और उत्पाद की दीर्घायुता में मदद करेगी।

4. कृषि यंत्रीकरण

इज़रायल द्वारा विकसित छोटे और सटीक कृषि उपकरण भारत के लघु और सीमांत किसानों के लिए उपयोगी सिद्ध होंगे।

5. पशुपालन एवं डेयरी

सुधारित नस्लों का विकास, पशुओं के लिए पोषण तकनीक, और डेयरी प्रबंधन में इज़रायल की तकनीक भारत को आत्मनिर्भर बना सकती है।

6. अनुसंधान एवं विकास (R&D)

संयुक्त अनुसंधान परियोजनाएं, कृषि प्रयोगशालाओं की स्थापना और नवाचारों का परीक्षण इस सहयोग का अहम हिस्सा हैं।

7. तकनीकी विस्तार और नवाचार

  • कीट प्रबंधन: इज़रायल द्वारा विकसित जैविक और कम-रासायनिक कीटनाशक समाधान भारतीय कृषि को सुरक्षित बना सकते हैं।
  • क्षमता निर्माण (Capacity Building): किसानों, कृषि वैज्ञानिकों और छात्रों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम और कार्यशालाएँ।
  • उन्नत कृषि तकनीकों का विकास और प्रसार: जैसे सटीक सिंचाई, मौसम पूर्वानुमान आधारित कृषि निर्णय प्रणाली।
  • पोस्ट-हार्वेस्ट टेक्नोलॉजी: कोल्ड स्टोरेज, पैकेजिंग और निर्यात के लिए उत्पाद तैयार करना।

प्रमुख तकनीकी नवाचार | इज़रायल की देन

1. ड्रिप सिंचाई (Drip Irrigation)

इज़रायल ने ड्रिप सिंचाई को एक व्यावसायिक सफलता के रूप में स्थापित किया। यह तकनीक कम जल में अधिक उत्पादन सुनिश्चित करती है। भारत में इसका प्रसार खासकर महाराष्ट्र, गुजरात, और कर्नाटक जैसे राज्यों में तेजी से हुआ है।

2. सटीक कृषि (Precision Farming)

इज़रायल की सटीक कृषि प्रणाली के तहत भूमि की स्थिति, मौसम डेटा, और फसल की आवश्यकता के अनुसार उर्वरकों और जल का सटीक प्रबंधन किया जाता है। यह तकनीक भारतीय किसानों के लिए विशेष रूप से लाभकारी हो सकती है।

3. स्मार्ट ग्रीनहाउस

इज़रायल में विकसित स्मार्ट ग्रीनहाउस तकनीकें तापमान, नमी, प्रकाश और जल की मात्रा को नियंत्रित करके फसलों की गुणवत्तापूर्ण पैदावार सुनिश्चित करती हैं।

Centers of Excellence (CoEs) | एक क्रांतिकारी पहल

भारत-इज़रायल कृषि साझेदारी के अंतर्गत पूरे भारत में 43 Centers of Excellence (CoEs) स्थापित किए गए हैं। ये केंद्र आधुनिक कृषि तकनीकों के प्रशिक्षण, प्रदर्शन, और शोध का प्रमुख माध्यम हैं।

Centers of Excellence (CoEs) | प्रमुख उद्देश्य

  • उन्नत तकनीक का तेज़ी से किसानों तक हस्तांतरण
  • किसानों को व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करना
  • फसल विशिष्ट तकनीकियों का प्रदर्शन

Centers of Excellence (CoEs) | प्रमुख विशेषताएँ

  • प्रत्येक केंद्र एक विशिष्ट फसल या तकनीक पर केंद्रित होता है, जैसे – सब्जियाँ, फल, फूल, जल प्रबंधन आदि।
  • किसानों के लिए प्रशिक्षण शिविर, फील्ड डेमोंस्ट्रेशन और तकनीकी मार्गदर्शन।
  • राज्य सरकारों के सहयोग से इन केंद्रों का प्रबंधन।

उदाहरण

  • कोलकाता (पश्चिम बंगाल): फूलों की खेती के लिए केंद्र
  • करनाल (हरियाणा): बागवानी अनुसंधान
  • नागपुर (महाराष्ट्र): ड्रिप सिंचाई और सटीक खेती

प्रभाव और लाभ

भारत-इज़रायल कृषि सहयोग ने पिछले कुछ वर्षों में कृषि क्षेत्र में निम्नलिखित सकारात्मक परिवर्तन लाए हैं:

  • किसानों की उत्पादकता में वृद्धि
  • जल और उर्वरकों के कुशल उपयोग से लागत में कमी
  • निर्यात के लिए गुणवत्ता युक्त कृषि उत्पादों का उत्पादन
  • युवाओं में कृषि के प्रति रुचि का विकास
  • महिला किसानों को तकनीकी प्रशिक्षण

भविष्य की राह

इस नवीन समझौते और उसके अंतर्गत प्रस्तावित योजनाओं से भारत में कृषि क्षेत्र को नई दिशा मिल सकती है। निम्नलिखित पहलुओं पर भविष्य में विशेष ध्यान केंद्रित होगा:

  1. क्लाइमेट-स्मार्ट एग्रीकल्चर – जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए तकनीकी समाधानों का विकास।
  2. डिजिटल कृषि प्लेटफॉर्म – कृषि डेटा, पूर्वानुमान, और बाज़ार से जोड़ने वाले डिजिटल समाधानों का विस्तार।
  3. उत्पाद का वैश्विक बाज़ार से जुड़ाव – वैश्विक मानकों के अनुसार कृषि उत्पादों का निर्माण और निर्यात।

भारत और इज़रायल के बीच यह नया कृषि समझौता कृषि क्षेत्र के लिए एक नई क्रांति का संकेत है। इज़रायल की तकनीकी विशेषज्ञता और भारत की कृषि विविधता मिलकर न केवल उत्पादकता को बढ़ाएगी, बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा, निर्यात क्षमता और किसानों की समृद्धि में भी महत्वपूर्ण योगदान देगी।

आधुनिक तकनीकों को अपनाने, संयुक्त शोध परियोजनाओं को क्रियान्वित करने और प्रशिक्षण केंद्रों के माध्यम से किसानो को सशक्त बनाने की यह पहल ‘नवीन भारत की कृषि क्रांति’ की ओर एक ठोस कदम है।

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