भारत के द्वीप समूह | Islands of India

भारत, एक आश्चर्यजनक और विविधता से भरपूर देश है, जिसमें विभिन्न प्रकार के द्वीप समूह हैं। ये भारत के द्वीप समूह इसकी ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक सुंदरता को दर्शाते हैं।

भौगोलिक दृष्टि से भारत के दो महान एवं प्रमुख द्वीप समूह हैं । इनमे से एक बंगाल की खाड़ी में स्थित है, और दूसरा अरब सागर में हैं। बंगाल की खाड़ी में स्थित द्वीप समूह का नाम अंडमान और निकोबार द्वीप समूह है। जबकि अरब सागर में स्थित द्वीप समूह का नाम लक्ष्य द्वीप समूह है। इन दोनों द्वीप समूहों के अतिरिक्त भी भारत के पास अनेको द्वीप समूह है। इन द्वीप समूहों के नाम और उनका विवरण आगे दिया गया है।

भारत के द्वीप समूह और उनकी विशेषताएं

भारत के द्वीप समूहों को मुख्य रूप से दो भागों में विभाजित किया जा सकता है। एक बंगाल की खाड़ी में स्थित अंडमान और निकोबार द्वीप समूह तथा दूसरा अरब सागर में स्थित लक्ष्य द्वीप समूह। परन्तु इनके अतरिक्त भी द्वीप समूह भारत के पास हैं जिनको अन्य द्वीप समूह की श्रेणी में रखा जा सकता है। भारत के द्वीप समूहों का विवरण निम्नलिखित है:-

  • प्रमुख द्वीप समूह
    • बंगाल की खाड़ी के द्वीप समूह (अंडमान और निकोबार द्वीप समूह)
    • अरब सागर के द्वीप समूह (लक्षद्वीप समूह)
  • अन्य द्वीप समूह
    • श्री हरिकोटा द्वीप
    • पंबन द्वीप
    • न्यू मूर द्वीप
    • अब्दुल कलाम द्वीप (व्हीलर द्वीप)
    • माजुली द्वीप (नदी द्वीप)

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह (Andaman and Nicobar Islands)

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह (Andaman and Nicobar Islands)

अंडमान और निकोबार के द्वीप समूह कई छोटे और बड़े द्वीपों का समूह है। यह बंगाल की खाड़ी में स्थित है। इन द्वीपों का निर्माण मूल रूप से ज्वालामुखी के उदगार के फलस्वरूप हुआ हैं। इन द्वीपों के किनारे (तट) अत्यंत खूबसूरत हैं। इन द्वीपों पर भूमध्यरेखीय वनस्पति पाई जाती है। यहाँ के अधिकतर द्वीप समतल हैं, और समुद्र तट से केवल कुछ मीटर ही ऊपर हैं।

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का निर्माण, भारतीय प्लेट और बर्मा माइनर प्लेट (यूरेशियन प्लेट का हिस्सा) के बीच टकराव के कारण हुआ था। अराकान योमा रेंज (म्यांमार) का दक्षिण की ओर विस्तार ही अंडमान और निकोबार द्वीप समूह है, यह अपने आप में अराकान योमा पूर्वांचल हिल्स का विस्तार है।

पोर्ट ब्लेयर शहर इस क्षेत्र की राजधानी के रूप में जाना जाता है। अंडमान और निकोबार के द्वीपों का कुल भूमि क्षेत्र लगभग 8,249 किमी2 (3,185 वर्ग मील) है। इस पूरे क्षेत्र को तीन जिलों में बांटा गया है: –

  • निकोबार, जिसकी राजधानी कार निकोबार है।
  • दक्षिण अंडमान, जिसकी राजधानी पोर्ट ब्लेयर है।
  • उत्तरी और मध्य अंडमान, जिसकी राजधानी मायाबंदर है।

अंडमान द्वीप समूह में दक्षिण की तरफ नार्थ सेंटिनल नामक द्वीप स्थित है। इस द्वीप पर रहने वाले लोगों को निग्रिटो (अश्वेत तथा छोटे कद वाले) कहा जाता है। ये लोग काफी पिछड़ी जनजाति है। इन्हें सेंटिनली जनजाति कहते है। इन जनजाति (सेंटिनलीज़ लोग) के बारे में कहा जाता है कि इन जनजातियों का विकास नहीं हो सका है और आज भी ये लोग मानव के विकास के उस दौर में जी रहे हैं जिसे पाषाण काल कहा जाता है।

इस द्वीप पर मिलने वाली अन्य जनजातियाँ हैं – ग्रेट अंडमानीज (Great Andamenese), ओंज (the Onge), शोम्पेन (the Shompen) और जारवा (the Jarawas)। इसके अलावा भी इस द्वीप पर अन्य जनजातियाँ भी रहती है। परन्तु ये पांच जनजातियाँ बाकी जनजातियों से ज्यादा असार्वजनिक है। और इन पाचों में से भी सबसे ज्यादा असार्वजनिक जनजाति सेंटिनली जनजाति है।

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह समूह के अंतर्गत निम्नलिखित मुख्य द्वीपों के समूह हैं:

  • अंडमान द्वीप समूह
    • उत्तरी अंडमान
    • मध्य अंडमान
    • दक्षिणी अंडमान
    • छोटा अंडमान (लिटिल अंडमान)
  • निकोबार द्वीप समूह
    • कार निकोबार
    • छोटा निकोबार (लिटिल निकोबार)
    • महान निकोबार (ग्रेट निकोबार)

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के महत्वपूर्ण तथ्य

  • अंडमान और निकोबार द्वीप समूह 572 छोटे बड़े द्वीपों का समूह है।
  • यह बंगाल की कड़ी में 6°N-14°N और 92°E-94°E के बीच स्थित हैं।
  • अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर है। पोर्टब्लेयर दक्षिणी अंडमान द्वीप पर स्थित है। यही पर प्रसिद्द सेल्लुलर जेल है।
  • दक्षिणी अंडमान और लिटिल अंडमान के बीच डंकन पास पाया जाता है
  • अंडमान और निकोबार द्वीप समूह अधिकतर समुद्र में जलमग्न पर्वतों के उपरी भाग है और कुछ का निर्माण ज्वालामुखी गतिविधि से हुआ है।
  • इसके उत्तरी भाग को अंडमान द्वीप तथा दक्षिणी भाग को निकोबार द्वीप के नाम से जाना जाता है। इन दोनों भागों को मिलकर अंडमान और निकोबार द्वीप समूह कहा जाता है।
  • 10 डिग्री उत्तरी अक्षांश चैनल (10 N चैनल) अंडमान से निकोबार को अलग करता है। जहां रिची द्वीपसमूह और भूलभुलैया द्वीप नामक इस द्वीप के दो मुख्य द्वीप समूह पाए जाते हैं।
  • निकोबार द्वीप समूह में स्थित बैरेन द्वीप पर भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी है। जो मध्य अंडमान के पूर्व में स्थित है।
  • उत्तरी अंडमान के पूर्व में स्थित नार्कोंनडम द्वीप एक सुषुप्त ज्वालामुखी द्वीप है।
  • उत्तरी अंडमान में कोको स्ट्रेट स्थित है जो अंडमान को म्यामार के कोको द्वीप से अलग करती है।
  • ग्रेट निकोबार भौगोलिक रूप से इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप के सबसे निकट स्थित भारतीय क्षेत्र है। 6 डिग्री चैनल ग्रेट निकोबार को सुमात्रा से अलग करता है।
  • निकोबार द्वीप समूह में, ग्रेट निकोबार सबसे बड़ा है।
  • ग्रेट निकोबार के दक्षिण में स्थित इंदिरा पॉइंट भारत का दक्षिणतम बिंदु (दक्षिण का आखिरी छोर) था। परन्तु 2004 के सुनामी में यह पूरी तरह जलमग्न हो गया।
  • इंदिरा पॉइंट को पिगमेलियन पॉइंट के नाम से भी जाना जाता हैं।
  • अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की सबसे ऊँची चोटी का नाम ‘सैंडल पिक’ है जो उत्तरी अंडमान में स्थित है। इसकी ऊंचाई 738 मीटर है।
  • ‘माउन्ट थुईल्लर’ अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की दूसरी सबसे ऊँची छोटी है जो ग्रेट निकोबार द्वीप समूह पर स्थित है।
  • इस द्वीप समूह की मुख्य पर्वत चोटियों में उत्तरी अंडमान पर सैडल चोटी (लगभग 738 मीटर), मध्य अंडमान पर माउंट डियोवोली (515 मीटर), दक्षिणी अंडमान पर माउंट कोयोब (लगभग 460 मीटर) और ग्रेट निकोबार पर माउंट थुईल्लर (642 मीटर) शामिल हैं। 
  • यहाँ पर ‘जारवा’ और ‘शाम्पेन’ जैसे प्रमुख जनजातियों के लोग रहते है जो आज भी अपने आदिम स्थित में ही जीवन यापन करते हैं।
  • साल 2014 के सोलहवी लोक सभा के चुनाव में पहली बार ऐसा हुआ था, जब शाम्पेंन जनजाति के लोगों ने भी अपने मताधिकार का प्रयोग किया था।
  • अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में घने उष्णकटिबंधीय वर्षा वन हैं जबकि इसके तटीय क्षेत्रों में मैंग्रोव वन हैं।
  • डंकन मार्ग, दक्षिणी अंडमान से लिटिल अंडमान को अलग करता है।
  • हाल ही में सरकार द्वारा अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के कुछ द्वीपों के नामों में परिवर्तन किये गए हैं:-
    • रॉस द्वीप का नाम बदलकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप कर दिया गया है।
    • नील द्वीप का नाम बदलकर शहीद द्वापर के रूप में रखा गया है।
    • हैवलॉक द्वीप का नाम बदलकर स्वराज द्वीप रखा गया है।

लक्षद्वीप समूह (Lakshadweep Island)

लक्षद्वीप समूह (Lakshadweep Island)

सन 1973 में लक्‍का दीव, मि‍नीकाय और अमीनदीवी द्वीपसमूहों का नाम बदल कर लक्षद्वीप कर दिया गया। लक्षद्वीप में, अधिकांश द्वीप घोड़े की नाल के आकार के हैं। यहाँ पर एटोल (मूंगा) पाए जाते हैं। अरब सागर में प्रवाल भित्तियों द्वारा लक्ष्य द्वीप का निर्माण हुआ है। लक्षद्वीप पहले 36 प्रमुख द्वीपों का समूह था। परन्तु पराली द्वीप का समुद्र के कटाव के कारण पानी में डूब जाने के कारण वर्तमान में लक्ष्यद्वीप समूह में 35 प्रमुख द्वीप ही है। इनमे से एंड्रोट द्वीप सबसे बड़ा द्वीप है जबकि बिट्रा इस सभी में सबसे छोटा द्वीप है। कुछ स्रोतों के अनुसार मिनिकॉय को सबसे बड़ा द्वीप माना जाता है।

लक्षद्वीप पर लगभग 12 द्वीप ऐसे हैं, जो 30,000 वर्ग मील के क्षेत्र में फैले हुए हैं। अरब सागर और भारत के दक्षिण-पश्चिमी तट का लगभग 78,000 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र तक इनका विस्तार है। लक्ष्यद्वीप समूह में केवल 10 द्वीप ही ऐसे हैं जिन पर लोग रहते हैं। इसके सबसे उत्तर में अमीनदीवी द्वीप और सबसे दक्षिण में मिनिकॉय द्वीप है।

लक्षद्वीप समूह के मुख्य द्वीप

लक्षद्वीप समूह जिन प्रमुख द्वीपों का समूह है वे इस प्रकार हैं-

  1. बंगारम द्वीप समूह
  2. कवरत्ती द्वीप समूह
  3. कलपेनी द्वीप समूह
  4. मिनीकॉय द्वीप समूह
  5. कदमत द्वीप समूह
  6. अगत्ती द्वीप समूह
  7. अनद्रोथ द्वीप समूह
  8. बित्रा द्वीप समूह

लक्षद्वीप समूह के महत्वपूर्ण तथ्य

  • अरब सागर में मुख्य रूप से तीन प्रकार के द्वीप समूह पाए जाते हैं जिनका नाम अमीनदीवी द्वीप समूह, लक्षद्वीप द्वीप समूह और मिनिकॉय द्वीप समूह हैं। इन्ही द्वीप समूहों को सामूहिक रूप से लक्षद्वीप द्वीप समूह के रूप में जाना जाता है।
  • लक्षद्वीप समूह पूरी तरह से प्रवाल भित्ति से निर्मित है।
  • ये द्वीप रीयूनियन हॉटस्पॉट ज्वालामुखीय घटना के कारण बने हैं।
  • इन द्वीपों में संवहनीय वर्षा होती है एवं इनमें भूमध्यरेखीय प्रकार की वनस्पति पाई जाती है।
  • ये 8° उत्तर-12° उत्तर एवं 71° पूर्व -74° पूर्व देशांतर के मध्य व्यापक रूप से फैले हुए हैं।
  • ये द्वीप समूह केरल तट से 280 किमी-480 किमी की दूरी पर स्थित हैं।
  • लगभग 36 द्वीप समूह हैं जिनमें से 10 बसे हुए हैं।
  • एक द्वीप जिसका नाम पराली है, समुद्र कटाव के कारण पानी डूब गया है।
  • मिनिकॉय द्वीप समूह सबसे बड़ा द्वीप समूह है, जिसका क्षेत्रफल 453 वर्ग किमी है। कुछ स्रोतों के अनुसार एंड्रोट द्वीप सबसे बड़ा द्वीप है।
  • इन द्वीपों के पूरे समूह को 10 डिग्री चैनल द्वारा विभाजित किया गया है, जिसके उत्तर में अमिनी द्वीप एवं दक्षिण में कन्नानोर द्वीप है।
  • यहाँ पर पाए जाने वाले अधिकांश द्वीपों की ऊंचाई अपेक्षाकृत कम है और वे समुद्र तल से 5 मीटर से अधिक ऊँचे नहीं हैं।
  • इस द्वीपसमूह के द्वीपों में पूर्वी समुद्र तट पर असंपिंडित गुटिकाएं, बजरी (शिंगल), गोलाश्मिका (कोबल्स) एवं गोलाश्म (बोल्डर) से युक्त तूफानी समुद्र तट हैं। इन तूफानी समुद्र तट को झंझा पुलिन भी कहते हैं।
  • इन द्वीपों की स्थलाकृति समतल है, इस कारण से यहाँ पर पहाड़ी, धाराएं, घाटियां इत्यादि जैसी उच्चावच आकृतियाँ देखने को नहीं मिलती हैं।
  • मिनिकोय द्वीप को नौ डिग्री चैनल द्वारा लक्षद्वीप के बाकी हिस्सों से अलग किया गया है जबकि लक्षद्वीप समूह को आठ डिग्री चैनल द्वारा मालदीव से अलग किया गया है।
  • लक्षद्वीप में गर्मी और आर्द्रता होती है तथा इसका सामान्य तापमान 27°C – 32°C होता है।
  • लक्षद्वीप जिले में वनों की कमी है।
  • घनी वनस्पति, मुख्य रूप से नारियल के जंगल, इस द्वीप की सुन्दरता को बढ़ाते हैं।

मूंगे क्या हैं?

कोरल पॉलीप्स का अध्ययन महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये समुद्री जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और समुद्र के पारिस्थितिकी प्रणाली को प्रभावित कर सकते हैं। इनका लघु जीवन रूप, प्रांतों में रहने और जीवन का संचालन करने का तरीका बेहद रोचक होता है।

प्रवाल भित्ति (स्टोनी कोरल्स)

प्रवाल भित्ति या स्टोनी कोरल्स वे कोरल पॉलीप्स होते हैं जो समुद्र के नीचे की कठोर सतहों पर उथले होते हैं। इनके पास कोई आधिकारिक कीचड़ या गर्म पानी की आवश्यकता नहीं होती है। ये अपने शरीर में कैल्शियम कार्बोनेट का निर्वहन करते हैं, जिससे उनकी कठोर सतह बनती है। इन कोरल पॉलीप्स का आवास चट्टानों, अन्य कोरल्स, समुद्री मलबा, या अन्य कठोर सतहों से जुड़ा होता है। वे अक्सर पेडल डिस्क के माध्यम से इस सतह से जुड़े होते हैं।

मूंगा पॉलीप्स (सोफ्ट कोरल्स)

मूंगा पॉलीप्स, जिन्हें सोफ्ट कोरल्स भी कहा जाता है, अक्सर समुद्री मलबा और अन्य मलबे के साथ दिखाई देते हैं। इनकी कठोरता न केवल कोरल की कठोर सतह से आती है, बल्कि वे सामाजिक जीवन के हिस्से के रूप में भी कार्य करते हैं। मूंगों के समुदाय को कॉलोनी कहा जाता है, और इनके साथी कोरल्स के साथ वे समुद्र के बिकेरों के रूप में बदल सकते हैं।

रीफ जानवर

रीफ जानवर, जैसे कि कोरल पॉलीप्स, समुद्री जीवन के महत्वपूर्ण हिस्से होते हैं। ये जीवन पाने के लिए और समुद्री जीवन के अन्य हिस्सों के साथ आपसी संवाद के लिए कोरल पॉलीप्स का सहायक बनते हैं। इनके साथ रहने के तरीके, उनके जीवन का संचालन, और उनके योगदान को समझना महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये हमारे समुद्री पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।

इस रूप में, कोरल पॉलीप्स, मूंगा पॉलीप्स, और रीफ जानवर, समुद्री जीवन के तीन मुख्य घटक होते हैं और समुद्री पारिस्थितिकी प्रणाली के संरचनात्मक हिस्से होते हैं। इनके जीवन के अद्वितीय पहलुओं का अध्ययन करने से हम समुद्री पर्यावरण की सुरक्षा और उसके संरचनात्मक प्रणाली को समझ सकते हैं और उनके संरक्षण के तरीकों का पालन कर सकते हैं।

भारत के अन्य द्वीप समूह

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह तथा लक्ष द्वीप समूह के अतिरिक्त भारत के पास अन्य द्वीप समूह भी है जिनका विवरण आगे दिया गया है:-

  • श्री हरिकोटा द्वीप
  • पंबन द्वीप
  • न्यू मूर द्वीप
  • अब्दुल कलाम द्वीप (व्हीलर द्वीप)
  • माजुली द्वीप (नदी द्वीप)

भारत के कुछ सबसे महत्वपूर्ण द्वीप इस प्रकार हैं:

श्रीहरिकोटा द्वीप

श्रीहरिकोटा द्वीप आंध्र प्रदेश राज्य के नेल्लोर जिले में स्थित है, जो पुलिकट झील और बंगाल की खाड़ी के बीच स्थित है। श्रीहरिकोटा भारत में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की महत्वपूर्ण उपग्रह प्रक्षेपण सुविधाओं में से एक है। इस द्वीप पर सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र स्थित है। श्रीहरिकोटा द्वीप पुलिकट झील को बंगाल की खाड़ी से अलग करता है। पुलीकट झील आँध्रप्रदेश तथा तमिलनाडु की सीमा पर स्थित है।

पंबन द्वीप

पम्बन द्वीप मन्नार की खाड़ी में स्थित है, जो श्रीलंका और भारत के मध्य है। इस द्वीप को रामेश्वरम द्वीप के नाम से भी जाना जाता है। यह राम सेतु जिसको आदम ब्रिज भी कहा जाता है, का भाग है। इस द्वीप का अधिकांश भाग सफेद रेत से ढका हुआ है, जो खेती के लिए उपयुक्त नहीं है।

न्यू मूर द्वीप

न्यू मूर द्वीप , को साउथ तलपट्टी और पुरबाशा द्वीप के नाम से भी जाना जाता है। यह गंगा-ब्रह्मपुत्र के तट से दूर, बंगाल की खाड़ी में एक छोटा सा निर्जन सैंडबार द्वीप था। जो नवंबर 1970 में भोला चक्रवात के बाद बंगाल की खाड़ी में उभरा और मार्च 2010 के आसपास गायब हो गया।

यह द्वीप निर्जन था और इस पर कोई स्थायी बस्तियाँ या स्टेशन स्थित नहीं थे। परन्तु इस क्षेत्र में तेल और प्राकृतिक गैस के अस्तित्व की संभावनाओ के कारण भारत और बांग्लादेश दोनों ने इस पर अपने अधिकार का दावा किया। यह मुद्दा उस समय भी दोनों देशों के बीच बड़े विवाद का हिस्सा था जब समुद्री सीमा तय करने की रैडक्लिफ अवार्ड पद्धति का निर्धारण हो रहा था। यह  मामला 7 जुलाई 2014 को सुलझाया गया, जब स्थायी मध्यस्थता न्यायालय (पीसीए) ने “बांग्लादेश और भारत के बीच बंगाल की खाड़ी समुद्री सीमा मध्यस्थता” मामले में फैसला सुनाया।

उस फैसले के तहत इस द्वीप पर भारत का अधिकार है और भारतीय नौसेना इसकी निगरानी करती है। इस द्वीप पर भारत ने अधिकार का संकेत देने वाला स्तंभ भी स्थापित किया है। न्यू मूर द्वीप को बांग्लादेश द्वारा दक्षिण तलपट्टी नाम दिया गया है।

अब्दुल कलाम द्वीप (व्हीलर द्वीप)

व्हीलर द्वीप या अब्दुल कलाम द्वीप ओडिशा के तट पर स्थित है और इसमें सबसे उन्नत मिसाइल परीक्षण सुविधाओं में से एक है, बहुत पहले इस द्वीप का नाम लेफ्टिनेंट व्हीलर के नाम पर रखा गया था। यह द्वीप ओडिशा के सागर तट से दूर और राजधानी भुवनेश्वर से लगभग डेढ़ सौ किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक द्वीप है। इस द्वीप का प्रयोग भारत अपने प्रक्षेपास्त्र कार्यक्रम के लिए करता है।

माजुली द्वीप (नदी द्वीप)

माजुली द्वीप भारत के असम राज्य में स्थित है। यह दुनिया का सबसे बड़ा नदी द्वीप है जो ब्रह्मपुत्र नदी में स्थित है और इसे असम के सबसे बड़े द्वीपों में से एक माना जाता है। कृषि आजीविका का सबसे महत्वपूर्ण रूप है और मिट्टी के कटाव के कारण द्वीप को बहुत गंभीर पारिस्थितिक खतरे का सामना करना पड़ता है। यह द्वीप अपनी जैव विविधता के लिए प्रसिद्द है। यहाँ सघननर्मदा तथा तपती नदी के मुहाने पर स्थित जनसँख्या पायी जाती है। मान्जुली द्वीप को असाम का 35वाँ जिला घोषित किया गया है। इस कारण से यह भारत का पहला द्वीपीय जिला बन गया है।

कुछ अन्य महत्वपूर्ण तथ्य

  • कच्छ की कड़ी कच्छ तथा काठियावाड प्रायद्वीप को अलग करती है।
  • खम्भात की खाड़ी काठियावाड़ प्रायद्वीप को गुजरात की मुख्य भूमि से अलग करती है।
  • नर्मदा तथा तपती नदी के मुहाने पर स्थित द्वीप के नाम अलियाबेट तथा खादियाबेट हैं।
  • बेलिंगटन द्वीप कोच्ची शहर अर्थात केरल का एक भाग है।
  • लद्दाख को भारत का शीत मरुस्थल कहा जाता है।
  • पश्चिमी घाट की सबसे ऊँची चोटी का नाम अनाईमुड़ी है, जिसकी ऊंचाई 2695 मीटर है। यह दक्षिण भारत की भी सबसे ऊँची चोटी है।
  • पूर्वी घाट की सबसे ऊँची चोटी का नाम महेंद्रगिरी है जो ओडिशा में स्थित है। कुछ स्रोतों में आँध्रप्रदेश में स्थित जिन्दगढ़ा चोटी को पूर्वी घाट की सबसे ऊँची चोटी के रूप में बताया जाता है।
  • ओडिशा में गढ़जात की पहाड़ियां मिलती है।
  • महाराष्ट्र की सबसे ऊँची चोटी का नाम कलासुबाई है।

इन्हें भी देखें –

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