भारत और थाईलैंड के बीच ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक संबंध सदियों पुराने हैं। समय के साथ, इन संबंधों ने नई ऊंचाइयों को छुआ है और अब एक रणनीतिक साझेदारी के रूप में विकसित हो चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैंकॉक यात्रा इस दिशा में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित हुई, जहां भारत और थाईलैंड ने अपने द्विपक्षीय संबंधों को और सशक्त बनाने के लिए पांच महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए। यह साझेदारी बहुआयामी, व्यापक और दीर्घकालिक सहयोग की दिशा में दोनों देशों की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
भारत और थाईलैंड के संबंध प्राचीन काल से ही सौहार्दपूर्ण रहे हैं। इन संबंधों की नींव बौद्ध धर्म, रामायण की कहानियाँ, स्थापत्य कला और भाषाई प्रभावों पर टिकी है। दक्षिण पूर्व एशिया में भारतीय प्रभाव हजारों वर्षों से स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। 1947 में भारत की स्वतंत्रता के तुरंत बाद भारत और थाईलैंड के बीच औपचारिक राजनयिक संबंध स्थापित हुए।
दोनों देशों ने 2022 में इन संबंधों की 75वीं वर्षगांठ मनाई। यह एक प्रतीकात्मक अवसर था, जिसने यह दर्शाया कि समय के साथ-साथ यह रिश्ता और भी मजबूत हुआ है।
- राजनयिक संबंधों की स्थापना: 1947 में भारत की स्वतंत्रता के तुरंत बाद ही भारत और थाईलैंड के बीच औपचारिक राजनयिक संबंध स्थापित हुए।
- 75 वर्षों का जश्न: 2022 में दोनों देशों ने राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ एक साथ मनाई, जो आपसी सहयोग की गहराई को दर्शाता है।
रणनीतिक साझेदारी की घोषणा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैंकॉक यात्रा के दौरान, भारत और थाईलैंड ने औपचारिक रूप से रणनीतिक साझेदारी की स्थापना की घोषणा की। इस घोषणा के साथ ही दोनों देशों ने भविष्य में सहयोग के लिए एक व्यापक खाका तैयार किया।
हस्ताक्षरित पांच प्रमुख समझौते (MoUs)
- डिजिटल प्रौद्योगिकी सहयोग
- भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और थाईलैंड के डिजिटल अर्थव्यवस्था एवं समाज मंत्रालय के बीच सहयोग पर समझौता हुआ।
- उद्देश्य: डिजिटल अवसंरचना, साइबर सुरक्षा, नवाचार और ई-गवर्नेंस जैसे क्षेत्रों में संयुक्त प्रयास।
- समुद्री विरासत संरक्षण
- गुजरात के लोथल में विकसित हो रहे राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर के लिए भारत के सागरमाला प्रभाग और थाईलैंड के संस्कृति मंत्रालय के बीच सहयोग।
- यह समझौता समुद्री इतिहास और सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण में योगदान देगा।
- सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) सहयोग
- भारत की राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम (NSIC) और थाईलैंड के OSMEP के बीच MSME क्षेत्र में सहयोग हेतु समझौता।
- उद्देश्य: उद्यमिता, तकनीकी नवाचार, व्यापारिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना।
- पूर्वोत्तर भारत का विकास
- भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय और थाईलैंड के विदेश मंत्रालय के बीच सहयोग हेतु समझौता।
- थाईलैंड की भागीदारी से पूर्वोत्तर भारत के कनेक्टिविटी, पर्यटन और सामाजिक-आर्थिक विकास को नई दिशा मिलेगी।
- हस्तशिल्प एवं हथकरघा सहयोग
- भारत के उत्तर-पूर्वी हस्तशिल्प एवं हथकरघा विकास निगम (NEHHDC) और थाईलैंड की क्रिएटिव इकोनॉमी एजेंसी (CEA) के बीच समझौता।
- यह समझौता स्थानीय शिल्पकारों और डिज़ाइनरों को वैश्विक बाजार से जोड़ने में मदद करेगा।
प्रमुख सहयोग क्षेत्र: बहुआयामी भागीदारी
भारत और थाईलैंड के बीच संबंध प्राचीन काल से ही सौहार्दपूर्ण रहे हैं। दोनों देशों की सांस्कृतिक जड़ें एक-दूसरे से गहराई से जुड़ी हुई हैं। बौद्ध धर्म, रामायण, वास्तुकला और भाषाई प्रभाव जैसी अनेक साझा विरासतें इन संबंधों को मजबूत आधार प्रदान करती हैं।
1. व्यापार और निवेश
भारत और थाईलैंड के बीच आर्थिक संबंध निरंतर प्रगति कर रहे हैं।
- 2023-24 में द्विपक्षीय व्यापार लगभग 14.94 अरब डॉलर रहा।
- 2024 में भारत थाईलैंड का 11वां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बनकर उभरा, और कुल व्यापार 17.5 अरब डॉलर तक पहुंच गया।
- निवेश, सेवा क्षेत्र, लॉजिस्टिक्स और बुनियादी ढांचे में सहयोग की अपार संभावनाएं मौजूद हैं।
2. रक्षा और सुरक्षा सहयोग
2012 में भारत और थाईलैंड के बीच रक्षा सहयोग पर समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए।
प्रमुख गतिविधियाँ:
- सैन्य संवाद और वार्षिक स्टाफ टॉक्स
- संयुक्त समुद्री गश्त (Coordinated Patrols) – खासकर अंडमान सागर और मलक्का जलडमरूमध्य में।
- प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आदान-प्रदान
- त्रिपक्षीय और बहुपक्षीय सैन्य अभ्यासों में भागीदारी
यह सहयोग क्षेत्रीय सुरक्षा और आतंकवाद, समुद्री डकैती जैसे खतरों से निपटने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
3. सांस्कृतिक, पर्यटन और संपर्क सहयोग
भारत और थाईलैंड के बीच सांस्कृतिक जुड़ाव बहुत गहरा है, जिसे और सुदृढ़ किया जा रहा है।
- स्वामी विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र: 2009 में बैंकॉक में स्थापित, जो भारतीय संस्कृति, योग, नृत्य और भाषा के प्रचार में अहम भूमिका निभा रहा है।
- भारत-थाईलैंड सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम (CEP): 2022–2027 के लिए हस्ताक्षरित।
- पर्यटन:
- 2024 में लगभग 21 लाख भारतीय पर्यटकों ने थाईलैंड की यात्रा की, जो वहां के कुल विदेशी पर्यटकों का 6% है।
- 400 से अधिक साप्ताहिक उड़ानों के जरिए दोनों देशों के बीच मजबूत संपर्क बना हुआ है।
4. शिक्षा और मानव संसाधन विकास
शिक्षा के क्षेत्र में भी दोनों देशों ने मजबूत भागीदारी स्थापित की है।
- 2005 में शिक्षा सहयोग पर समझौता हुआ।
- भारत प्रतिवर्ष 75 छात्रवृत्तियाँ थाई छात्रों को प्रदान करता है।
- ASEAN पीएचडी फेलोशिप स्कीम के तहत थाईलैंड के लिए 100 सीटें आरक्षित हैं।
- तकनीकी प्रशिक्षण, शोध और नवाचार में सहयोग को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
पूर्वोत्तर भारत और थाईलैंड | कनेक्टिविटी का सेतु
भारत के “एक्ट ईस्ट पॉलिसी” के तहत पूर्वोत्तर भारत, थाईलैंड के साथ संपर्क को मजबूत करने का केंद्र बन रहा है।
- भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग परियोजना: यह परियोजना क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभाएगी।
- पूर्वोत्तर राज्यों में थाई निवेश से पर्यटन, कृषि, हस्तशिल्प और सेवाओं के क्षेत्र में विकास को गति मिलेगी।
भारत-थाईलैंड संबंधों का संभावनाओं से भरा भविष्य
रणनीतिक साझेदारी की घोषणा के बाद, भारत और थाईलैंड के बीच सहयोग की गति और दिशा दोनों ही बदल गई है। दोनों देश क्षेत्रीय स्थिरता, आर्थिक विकास और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के साझेदार हैं।
संभावित सहयोग के नए क्षेत्र
- ग्रीन टेक्नोलॉजी और जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त पहल
- अंतरिक्ष और उपग्रह तकनीक में भागीदारी
- फूड प्रोसेसिंग, हेल्थकेयर और डिजिटल स्टार्टअप्स
- युवा उद्यमियों के लिए संयुक्त इनोवेशन हब
थाईलैंड में भारतीय समुदाय की भूमिका
थाईलैंड में 4–5 लाख भारतीय मूल के लोग निवास करते हैं, जिनमें से 25,000 से अधिक प्रवासी भारतीय (NRI) हैं। ये समुदाय दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और व्यावसायिक पुल का कार्य करता है।
- भारतीय समुदाय थाईलैंड की अर्थव्यवस्था, व्यापार, शिक्षा और समाज में सक्रिय भागीदारी निभाता है।
- विभिन्न भारतीय संगठन सांस्कृतिक उत्सवों, व्यापार मेलों और सामुदायिक गतिविधियों के माध्यम से भारत की उपस्थिति को सशक्त बनाते हैं।
एशिया में एक स्थायी साझेदारी की ओर
भारत-थाईलैंड रणनीतिक साझेदारी केवल दो देशों के बीच सहयोग का विस्तार नहीं, बल्कि एक क्षेत्रीय स्थिरता और समृद्धि के नए युग की शुरुआत है। ऐतिहासिक संबंधों से प्रेरित और आधुनिक आवश्यकताओं से संचालित यह साझेदारी, डिजिटल युग में भारत और थाईलैंड को एक-दूसरे के सबसे भरोसेमंद सहयोगियों के रूप में स्थापित करने की दिशा में अग्रसर है।
भविष्य में यह साझेदारी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति, समावेशी विकास और कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। भारत और थाईलैंड की यह मैत्री – संस्कृति से रणनीति तक – एक उज्ज्वल भविष्य की ओर अग्रसर है।
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