भारत में ऊर्जा के स्रोत | Sources of Energy in India

पृथ्वी पर ऊर्जा का मुख्य स्रोत सूर्य है। अन्य ऊर्जा के स्रोत में कोयला, भूतापीय ऊर्जा, पवन ऊर्जा, बायोमास, पेट्रोल, परमाणु ऊर्जा तथा कई अन्य उर्जा के स्रोत शामिल हैं। ऊर्जा को न तो बनाया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है, बल्कि इसे केवल एक रूप से दूसरे रूप में बदला जा सकता है। उर्जा के इस सिद्धांत को भौतिकी में ऊर्जा संरक्षण या ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम के रूप में जाना जाता है।

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ऊर्जा की परिभाषा

ऊर्जा कार्य करने की क्षमता है। यह विभव, गतिज, तापीय, विद्युतीय, रासायनिक, परमाणु या अन्य रूपों में मौजूद हो सकता है। साधारणत: कार्य कर सकने की क्षमता को ऊर्जा कहते हैं।

ऊर्जा को परिभाषित करना कठिन है, क्योंकि यह एक दृष्टिगोचर वस्तु नहीं है और इसकी कोई ठोस स्थिति नहीं है। हम इसे नहीं देख सकते, यह कहीं बदला नहीं जाता और न ही इसकी कोई छाया पड़ती है। इसका संक्षेप में वर्णन करना कठिन है, क्योंकि यह अन्य वस्तुओं की तरह द्रव्य नहीं है, हालांकि इसका घनिष्ठ संबंध अक्सर द्रव्य से होता है। फिर भी, इसका अस्तित्व अत्यंत वास्तविक है, जैसा कि किसी अन्य वस्तु का होता है। इसका घनिष्ठ संबंध बहुत बार द्रव्य के साथ होने के बावजूद, इसमें कोई कमी नहीं होती, जैसा कि किसी पिंड समुदाय में होता है, जिसमें किसी बाहरी बल का प्रभाव नहीं होता है।

ऊर्जा के प्राकृतिक स्रोत

ऊर्जा के प्राकृतिक स्रोत वे स्थान हैं जहाँ से हम ऊर्जा प्राप्त करते हैं, जो प्राकृतिक प्रक्रियाओं द्वारा उत्पन्न होती है। इन स्रोतों से प्राप्त होने वाली ऊर्जा को “प्राकृतिक ऊर्जा” कहा जाता है। यह स्रोत विभिन्न प्रकार की हो सकती हैं और विभिन्न रूपों में आ सकती हैं। यहाँ कुछ प्रमुख प्राकृतिक ऊर्जा स्रोत हैं:

  1. सूर्य ऊर्जा (Solar Energy) सूर्य की किरणों से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा को सौर ऊर्जा कहा जाता है, जो सौर पैनल्स के माध्यम से समय-समय पर इकट्ठा की जा सकती है।
  2. वायु ऊर्जा (Wind Energy) हवा की चलने से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा को वायु ऊर्जा कहा जाता है, जिसे पवन टरबाइन्स के माध्यम से इकट्ठा किया जा सकता है।
  3. जल ऊर्जा (Hydropower) जल स्रोतों से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा को जल ऊर्जा कहा जाता है, जो बांधों, झीलों, और नदियों के माध्यम से प्राप्त की जा सकती है।
  4. जैव ऊर्जा (Biomass Energy) जैव स्रोतों से प्राप्त होने वाली ऊर्जा को जैव ऊर्जा कहा जाता है, जैसे कि गोबर गैस, बायोगैस, बायोमैस, आदि।
  5. ऊर्जा समर्थन (Geothermal Energy) भूमि के अंदर से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा को ऊर्जा समर्थन कहा जाता है, जो उच्चतम और न्यूनतम तापमान के कारण होती है।

इन प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त होने वाली ऊर्जा विविधता और स्थानीय उपयोग की दृष्टि से महत्वपूर्ण है और इसका उपयोग विभिन्न उद्योगों और घरेलू उपयोग के लिए किया जा सकता है।

पाषाण युग के दौरान हमारे पास प्राकृतिक ऊर्जा का स्रोत लकड़ी थी। लौह युग के दौरान, हमारे पास कोयला था। आधुनिक युग में, हमारे पास प्राकृतिक ऊर्जा के स्रोत में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस जैसे जीवाश्म ईंधन हैं।

ऊर्जा के अच्छे स्रोतों में निम्नलिखित गुण होने चाहिए

  • प्रयुक्त आयतन/द्रव्यमान की प्रति इकाई इष्टतम ताप उत्पादन
  • परिवहन में आसान
  • सबसे कम प्रदूषणकारी
  • किफ़ायती

ऊर्जा के प्राकृतिक स्रोतों के प्रकार

ऊर्जा के प्राकृतिक स्रोत दो प्रकार के होते हैं जिन्हें उनकी लोकप्रियता और उपयोग के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है,

  • ऊर्जा के पारंपरिक स्रोत
  • ऊर्जा के गैर-पारंपरिक स्रोत

ऊर्जा के पारंपरिक स्रोत

ऊर्जा के पारंपरिक स्रोत वे स्रोत हैं जो सदियों से मानव समुदायों द्वारा उपयोग किए जा रहे हैं और जो प्राकृतिक प्रक्रियाओं द्वारा उत्पन्न होती हैं। इन स्रोतों का उपयोग आधुनिक समयों में भी हो रहा है, हालांकि इसमें कुछ असुरक्षित तत्वों का उपयोग हो सकता है और इसका अधिक उपयोग कार्बन निकासी में योजना बनाने के साथ जुड़ा हो सकता है।

  1. अग्नि ऊर्जा (Firewood) वन्यजन, लकड़ी, और अन्य पौधमृत सामग्री को जलाकर उत्पन्न होने वाली ऊर्जा को अग्नि ऊर्जा कहा जाता है। यह एक प्राचीन और प्रमुख ऊर्जा स्रोत है जो कई समुदायों में अब भी उपयोग हो रही है।
  2. खनिज ईतर (Coal) कोयला एक अभिन्न खनिज है जो ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए बड़े पैम्बर के रूप में उपयोग होता है। यह विद्युत उत्पादन के लिए एक प्रमुख स्रोत रहा है, लेकिन इसका उपयोग कार्बन निकासी की समस्याओं के कारण कम हो रहा है।
  3. खनिज तेल और गैस (Mineral Oil and Gas) पेट्रोलियम और गैस, जैसे कि क्रूड ऑयल, नैचुरल गैस, और कोयला बेड में से प्राप्त होने वाली ऊर्जा को खनिज तेल और गैस कहा जाता है। यह ऊर्जा स्रोत विभिन्न उद्योगों के लिए उपयोग होते हैं, लेकिन इनका अधिक उपयोग जलवायु परिवर्तन की समस्याओं को बढ़ा सकता है।

इन पारंपरिक स्रोतों से प्राप्त होने वाली ऊर्जा को प्राकृतिक स्रोत कहा जाता है क्योंकि इन्हें प्राकृतिक प्रक्रियाओं द्वारा उत्पन्न किया जाता है और इनका उपयोग सदियों से हो रहा है।

उर्जा के गैर-पारंपरिक स्रोत

उर्जा के गैर-पारंपरिक स्रोत वे स्रोत हैं जो नवीनतम तकनीकी और अनुसंधान के आधार पर विकसित हो रहे हैं और जो परंपरागत ऊर्जा स्रोतों के बारे में अलग हैं। इन स्रोतों का उपयोग सुस्त विकास, ऊर्जा सुरक्षा, और पर्यावरणीय लाभ की प्राप्ति के लक्ष्यों की पूर्ति के लिए किया जा रहा है।

  1. सौर ऊर्जा (Solar Energy) – सौर ऊर्जा सूर्य की किरणों से ऊर्जा उत्पन्न करती है और सौर पैनल्स के माध्यम से इकट्ठा की जा सकती है।
  2. वायु ऊर्जा (Wind Energy) – हवा के गति से ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए विन्ड टरबाइन्स का उपयोग किया जा रहा है।
  3. जल ऊर्जा (Hydropower) – जल स्रोतों से ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए बांधों और जल संयंत्रों का उपयोग किया जा रहा है।
  4. जैव ऊर्जा (Biomass Energy) – जैव ऊर्जा में गैस और बायोमैस का उपयोग खेती के अपशिष्ट, गोबर गैस, बायोगैस, आदि से ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए किया जा रहा है।
  5. भू-तापीय ऊर्जा | गेयज (Geothermal Energy) – भूमि के अंदर से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा को भू-तापीय ऊर्जा (गेयज) कहा जाता है और इसका उपयोग ऊर्वरक्त, ऊर्वरक्त उत्पादन, और विद्युत उत्पादन के लिए किया जा रहा है।
  6. आपशिष्ट से ऊर्जा (Waste-to-Energy) – कचरे से ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए विभिन्न तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है, जैसे कि गैसीकरण, ठोस कचरे के साथ ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए।
  7. आधुनिक बिजली संग्रहण (Modern Battery Technologies) – नए और उन्नत बैटरी प्रौद्योगिकियों का विकास हो रहा है जो अनियमित सौर और वायु ऊर्जा को स्टोर करने के लिए उपयोग हो सकते हैं।

इन गैर-पारंपरिक स्रोतों का उपयोग ऊर्जा सुरक्षा, साफ ऊर्जा, और स्थायी विकास की दिशा में किया जा रहा है, जो परंपरागत स्रोतों की सीमाओं और पर्यावरणीय प्रभावों को कम करने में मदद कर सकता है।

ऊर्जा के पारंपरिक और गैर-पारंपरिक स्रोतों के बीच अंतर

ऊर्जा के पारंपरिक स्रोतऊर्जा के गैर पारंपरिक स्रोत
ये संसाधन समाप्त होने योग्य हैं।ये संसाधन अक्षय हैं
ये संसाधन प्रदूषण का कारण बनते हैं क्योंकि ये धुआं और राख उत्सर्जित करते हैं।ये संसाधन आमतौर पर प्रदूषण मुक्त होते हैं।
इन संसाधनों का रखरखाव, भंडारण और संचारण बहुत महंगा है।ये संसाधन स्थानीय उपयोग के लिए कम महंगे हैं और इन्हें आसानी से बनाए रखा जा सकता है।
उदाहरण- कोयला, प्राकृतिक गैस, पेट्रोलियम और जल ऊर्जा।उदाहरण- सौर, बायोमास, पवन, बायोगैस, और ज्वारीय, भूतापीय।

ऊर्जा के स्रोत का वर्गीकरण

ऊर्जा का शास्त्रीय वर्णन किसी प्रणाली की कार्य करने की क्षमता है, परन्तु ऊर्जा अनगिनत रूपों में मौजूद है, इसलिए इसकी एक व्यापक परिभाषा खोजना कठिन है। उर्जा किसी वस्तु का वह गुण है जिसे एक वस्तु से दूसरी वस्तु में स्थानांतरित किया जा सकता है या विभिन्न रूपों में परिवर्तित किया जा सकता है लेकिन बनाया या नष्ट नहीं किया जा सकता है। 

ऊर्जा के असंख्य स्रोत हैं। ऊर्जा को स्थिरता के आधार पर ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों और ऊर्जा के गैर-नवीकरणीय स्रोतों के रूप में विभिन्न प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है।

  • ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोत
  • ऊर्जा के गैर-नवीकरणीय स्रोत

ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोत

ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोत प्रकृति में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं और टिकाऊ हैं। ऊर्जा के इन संसाधनों की प्राकृतिक रूप से पूर्ति की जा सकती है और ये पर्यावरण के लिए सुरक्षित हैं। अर्थात ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोत प्राकृतिक रूप से निरंतर उत्पन्न होने वाले और टिकाऊ ऊर्जा स्रोत हैं जो पर्यावरण को कम हानि पहुंचाते हैं। ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों के उदाहरण निम्नलिखित हैं –

ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों के उदाहरण

ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों के उदाहरण सौर ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा, पवन ऊर्जा, बायोमास, जल विद्युत और ज्वारीय ऊर्जा आदि हैं।

  1. सौर ऊर्जा (Solar Energy) – सौर ऊर्जा सूर्य से प्राप्त होती है और सौर पैनल्स के माध्यम से इकट्ठा की जा सकती है। यह एक स्वच्छ और असीमित स्रोत है जो विभिन्न रूपों में इस्तेमाल की जा सकती है, जैसे कि सौर ऊर्जा से बिजली उत्पन्न करना और सौर उष्मा से गर्मी उत्पन्न करना।
  2. भूतापीय ऊर्जा (Geothermal Energy) इसे भूमि के अंदर से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा कहा जाता है, जो उच्चतम और न्यूनतम तापमान के कारण होती है। इसका उपयोग ऊर्वरक्त, ऊर्वरक्त उत्पादन, और विद्युत उत्पादन के लिए किया जा सकता है।
  3. पवन ऊर्जा (Wind Energy) पवन ऊर्जा हवा की चलने से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा है और इसका उपयोग विन्ड टरबाइन्स के माध्यम से बिजली उत्पन्न करने के लिए किया जा सकता है।
  4. बायोमास (Biomass) – बायोमास ऊर्जा जैव स्रोतों से प्राप्त होती है, जैसे कि वन्यजन, गोबर, बायोमैस, आदि, और इसे गैस, बायोगैस, बायोमैस, आदि के रूप में इकट्ठा किया जा सकता है। बायोमास से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा बिजली उत्पन्न करने, गर्मी प्रदान करने, और ऊर्जा साक्षरता को बढ़ाने के लिए उपयोग हो सकती है।
  5. जल विद्युत (Hydropower) – जल विद्युत जल स्रोतों से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा है और इसका उपयोग बांधों और जल संयंत्रों के माध्यम से बिजली उत्पन्न करने के लिए किया जा सकता है।
  6. ज्वारीय ऊर्जा (Tidal Energy) ज्वारीय ऊर्जा समुद्र तटों में होने वाली ज्वार और उत्क्षेप से प्राप्त होती है और इसे बिजली उत्पन्न करने के लिए इकट्ठा किया जा सकता है।

ये स्रोत सुरक्षित, स्थायी, और प्रचुर होने के साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी अधिक सही होते हैं, इसलिए इन्हें “नवीकरणीय” स्रोत कहा जाता है।

ऊर्जा के गैर-नवीकरणीय स्रोत

गैर-नवीकरणीय संसाधन एक प्राकृतिक संसाधन है जो पृथ्वी के नीचे पाया जाता है। इनको बनने में लाखों वर्ष लगते हैं। इस प्रकार के ऊर्जा संसाधन उसी गति से पुनः नहीं बन पते हैं, जिस गति से उनका उपयोग किया जाता है। इन स्रोतों का उपयोग विभिन्न उद्योगों, ऊर्जा उत्पादन, और इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए किया जाता है। गैर-नवीकरणीय संसाधनों के मुख्य उदाहरण नीचे दिए गए हैं। –

ऊर्जा के गैर-नवीकरणीय स्रोतों के उदाहरण

ऊर्जा के गैर-नवीकरणीय स्रोतों के उदाहरण प्राकृतिक गैस, कोयला, पेट्रोलियम, परमाणु ऊर्जा और हाइड्रोकार्बन गैस तरल पदार्थ हैं।

  1. कोयला (Coal) कोयला एक गैर-नवीकरणीय स्रोत है जो पौधमृत सामग्री की दबाव और उच्च तापमान में विद्युत उत्पन्न करने के लिए इस्तेमाल होता है।
  2. पेट्रोलियम (Petroleum) – पेट्रोलियम भूमि के नीचे बने जीवाश्मों से उत्पन्न होता है और इसे विभिन्न उद्योगों, वाहनों, और ऊर्जा उत्पादन के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
  3. प्राकृतिक गैस (Natural Gas) – प्राकृतिक गैस भी भूमि के नीचे बनता है और इसका उपयोग विभिन्न उद्योगों और ऊर्जा उत्पादन के लिए होता है।
  4. परमाणु ऊर्जा (Nuclear Energy) परमाणु ऊर्जा नाभिकीय अंधश्रद्धा द्वारा उत्पन्न होने वाली ऊर्जा है, जो यूरेनियम और अन्य परमाणु सामग्री के नाभिकीय परिवर्तन से प्राप्त होती है।
  5. हाइड्रोकार्बन गैस तरल पदार्थ (Liquid Hydrocarbons) इसमें शामिल हैं विभिन्न तरल पदार्थ जैसे कि क्रूड ऑयल और रिफाइंड पेट्रोलियम उत्पाद। इन्हें ऊर्जा उत्पादन, और उद्योगों में इस्तेमाल किया जाता है।

ये स्रोत विभिन्न क्षेत्रों में ऊर्जा पूर्ति के लिए इस्तेमाल होते हैं, लेकिन इनका उपयोग स्थायी नहीं होता, और इसके उत्पन्न होने वाले अपशिष्ट एवं वायु प्रदूषण का कारण बन सकते हैं।

ऊर्जा के नवीकरणीय और गैर-नवीकरणीय स्रोतों में अंतर

ऊर्जा के नवीकरणीय और गैर-नवीकरणीय स्रोतों के बीच निम्नलिखित अंतर हैं –

ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतऊर्जा के गैर नवीकरणीय स्रोत
वे संसाधन जिन्हें उपभोग के बाद नवीनीकृत किया जा सकता है, ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोत कहलाते हैं।वे संसाधन जिन्हें एक बार उपभोग करने के बाद नवीनीकृत नहीं किया जा सकता, ऊर्जा के गैर-नवीकरणीय स्रोत कहलाते हैं।
ये संसाधन किसी भी प्रकार का पर्यावरण प्रदूषण नहीं फैलाते।ये संसाधन पर्यावरण प्रदूषण का कारण बनते हैं।
नवीकरणीय संसाधन अक्षय हैं।गैर-नवीकरणीय संसाधन समाप्त होने योग्य हैं।
नवीकरणीय संसाधन मानवीय गतिविधियों से प्रभावित नहीं होते हैं।गैर-नवीकरणीय संसाधन मानवीय गतिविधियों से प्रभावित होते हैं।
नवीकरणीय संसाधनों के उदाहरण- वायु, जल और सौर ऊर्जा।गैर-नवीकरणीय संसाधनों के उदाहरण- प्राकृतिक गैस, कोयला और परमाणु ऊर्जा।

भारत में ऊर्जा संसाधन | Power Resources in India

भारत में ऊर्जा संसाधन (Power Resources) बिजली पैदा करने के लिए उपयोग किए जाने वाले विभिन्न स्रोतों और तरीकों को संदर्भित करते हैं। भारत, सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक के रूप में, अपने उद्योगों, घरों और बुनियादी ढांचे की बढ़ती ऊर्जा मांगों को पूरा करने के लिए विविध बिजली संसाधनों पर निर्भर करता है।

भारत में ऊर्जा संसाधनों का सबसे उपयोगी और सहारा करने वाला क्षेत्र बिजली उत्पन्न करना है, और यह बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था और विकास के साथ जुड़ा हुआ है। भारत में अपने उद्योगों, शहरों, और ग्रामीण क्षेत्रों के साथ-साथ बुनियादी ढांचे को संचालित रखने के लिए बड़ी मात्रा में ऊर्जा की आवश्यकता है। इसके लिए भारत विभिन्न ऊर्जा स्रोतों का संयोजन करता है, जिससे सुनिश्चित होता है कि ऊर्जा की मांगों को पूरा किया जा सकता है। इन संसाधनों में तापीय ऊर्जा, जलविद्युत ऊर्जा, परमाणु ऊर्जा, सौर और पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत और बहुत कुछ शामिल हैं। यहां कुछ मुख्य ऊर्जा स्रोतों की विस्तारपूर्ण चर्चा की गई है –

  1. तापीय ऊर्जा (Thermal Energy)
    • भारत में तापीय ऊर्जा का बड़ा योगदान है, जिसमें कोयला, तेल, और गैस का उपयोग किया जाता है। यह ऊर्जा स्रोत उद्योगों, बिजली उत्पन्न करने के संयंत्रों, और घरेलू उपयोग के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
  2. जलविद्युत ऊर्जा (Hydropower)
    • भारत में नदियों और झीलों से जलविद्युत ऊर्जा प्राप्त की जाती है, जिससे बिजली उत्पन्न की जा सकती है। बांधों, जलाशयों, और जल संयंत्रों के माध्यम से जलविद्युत उत्पन्न होती है।
  3. परमाणु ऊर्जा (Nuclear Energy)
    • परमाणु ऊर्जा भी भारत के ऊर्जा मिशन का हिस्सा है, जिसमें अद्भुत तकनीकों का उपयोग होता है। यह स्रोत स्वच्छ ऊर्जा प्रदान करता है और बिजली उत्पन्न करने के लिए उपयोगी है।
  4. सौर ऊर्जा (Solar Energy)
    • भारत में सौर ऊर्जा का प्रचुर स्रोत होता है, जिसमें सूर्य के किरणों का उपयोग बिजली उत्पन्न करने के लिए किया जाता है। सौर पैनल्स के माध्यम से घरेलू और व्यावासिक स्थानों पर ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है।
  5. पवन ऊर्जा (Wind Energy)
    • पवन ऊर्जा को प्राप्त करने के लिए वायुमंडल से उच्च गति वाली हवा का उपयोग किया जाता है। विद्युत प्रणालियों के माध्यम से पवन ऊर्जा से बिजली उत्पन्न की जाती है।

भारत ने इन विभिन्न ऊर्जा स्रोतों का सही संयोजन करके बिजली में स्वावलंबी बनने का प्रयास किया है, जिससे विभिन्न क्षेत्रों में ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है।

भारत में ऊर्जा संसाधनों का इतिहास

भारत में ऊर्जा संसाधनों का इतिहास एक रोमांचक यात्रा है, जो समृद्धि और परिवर्तन की कहानी है। यहां एक संक्षेप में भारत में ऊर्जा संसाधनों के विकास के कुछ मुख्य चरणों की चर्चा है –

19वीं सदी | 1899 पहला बिजली संयंत्र

कोलकाता में पहला बिजली संयंत्र स्थापित किया गया था। इसमें वैसा हीटर स्थापित किया गया था जिससे 4000 वॉल्ट की बिजली उत्पन्न होती थी।

स्वतंत्रता पूर्व | उद्योगीकरण की शुरुआत

स्वतंत्रता के बाद, उद्योगीकरण और शहरीकरण के क्षेत्र में बड़ा परिवर्तन हुआ। बिजली की मांग में वृद्धि हुई और नए स्थानीय उत्पादन संयंत्र स्थापित किए गए।

20वीं सदी | सरकारी पहल

सरकार ने बिजली क्षेत्र में विकास के लिए कई पहल कीं। राज्य बिजली बोर्डों की स्थापना की गई और उन्हें बिजली उत्पादन और ट्रांसमिशन का केंद्रीकरण किया गया।

1990 के दशक | आर्थिक सुधार और उदारीकरण

1990 के दशक में भारत ने आर्थिक सुधारों और उदारीकरण की शुरुआत की। इससे बिजली क्षेत्र में भी सुधार हुआ और नए प्रौद्योगिकियों का उपयोग किया गया।

2003 | विद्युत अधिनियम

2003 में विद्युत अधिनियम ने बिजली उत्पादन और वितरण में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दिया और निजी भागीदारी को प्रोत्साहित किया। इससे बिजली उत्पादन में विविधता और सुधार हुई।

इस प्रकार, भारत में ऊर्जा संसाधनों का इतिहास एक स्फूर्ति और विकास की कहानी है, जो देश को आत्मनिर्भरता में मदद कर रही है।

भारत में ऊर्जा संसाधनों की प्रमुख घटनाएँ

  1. केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण की स्थापना – केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) की स्थापना 1945 में भारत में बिजली उत्पादन, पारेषण और वितरण को विनियमित और देखरेख करने के लिए एक वैधानिक संगठन के रूप में की गई थी।
  2. राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना (आरजीजीवीवाई) का शुभारंभ – ग्रामीण घरों तक बिजली पहुंच प्रदान करने और ग्रामीण विद्युतीकरण को बढ़ावा देने के लिए 2005 में आरजीजीवीवाई शुरू की गई थी।
  3. राष्ट्रीय सौर मिशन – 2010 में शुरू किए गए राष्ट्रीय सौर मिशन का लक्ष्य भारत में सौर ऊर्जा के विकास को बढ़ावा देना और 2022 तक महत्वपूर्ण सौर ऊर्जा क्षमता हासिल करना है।
  4. भारत में पवन ऊर्जा का विस्तार भारत में पवन ऊर्जा के उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, सरकार ने पवन ऊर्जा परियोजनाओं को बढ़ावा देने के लिए नीतियां और प्रोत्साहन पेश किए हैं।

भारत में विद्युत संसाधनों का महत्व

भारत के विकास और प्रगति के लिए बिजली संसाधन अत्यधिक महत्व रखते हैं:

  1. औद्योगिक विकास औद्योगिक विकास, विनिर्माण प्रक्रियाओं का समर्थन करने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए पर्याप्त और विश्वसनीय बिजली आपूर्ति महत्वपूर्ण है।
  2. बिजली की पहुंच बिजली की पहुंच जीवन की गुणवत्ता में सुधार करती है, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ाती है और समग्र सामाजिक-आर्थिक विकास को सुविधाजनक बनाती है।
  3. ऊर्जा सुरक्षा –  बिजली संसाधनों के विविधीकरण से जीवाश्म ईंधन और आयात पर निर्भरता कम हो जाती है, जिससे राष्ट्र के लिए ऊर्जा सुरक्षा बढ़ जाती है।
  4. पर्यावरणीय स्थिरता – नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर जोर देने से पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा मिलता है, कार्बन उत्सर्जन कम होता है और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव कम होते हैं।
  5. ग्रामीण विद्युतीकरणग्रामीण क्षेत्रों तक बिजली की पहुंच बढ़ाने से शहरी-ग्रामीण विभाजन को पाटने, ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने और कृषि उत्पादकता में सुधार करने में मदद मिलती है।

भारत में विद्युत संसाधन का संक्षिप्त परिचय

ऊर्जा संसाधनविवरण
ऊष्मा विद्युतकोयला, तेल और प्राकृतिक गैस जैसे जीवाश्म ईंधन का उपयोग करके उत्पन्न किया गया।
जलविद्युत ऊर्जाबहते या गिरते पानी के बल से उत्पन्न।
परमाणु शक्तिपरमाणु ऊर्जा संयंत्रों में नियंत्रित परमाणु प्रतिक्रियाओं के माध्यम से उत्पन्न।
नवीकरणीय ऊर्जाइसमें छोटे पैमाने की परियोजनाओं से सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, बायोमास ऊर्जा और जलविद्युत ऊर्जा शामिल है।

भारत में ऊर्जा संसाधनों से सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्य

  • भारत विश्व स्तर पर ऊर्जा का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता है।
  • भारत में बिजली उत्पादन का अधिकांश हिस्सा थर्मल पावर का है, इसके बाद नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का स्थान आता है।
  • भारत में नवीकरणीय ऊर्जा के प्रमुख स्रोतों में सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जलविद्युत ऊर्जा और बायोमास ऊर्जा शामिल हैं।
  • सौर और पवन ऊर्जा संसाधनों के दोहन पर ध्यान देने के साथ भारत में नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन की महत्वपूर्ण क्षमता है।
  • भारत सरकार ने स्वच्छ और टिकाऊ ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न नीतियों और पहलों को लागू किया है।
  • थर्मल पावर, मुख्य रूप से कोयला आधारित, भारत में बिजली उत्पादन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
  • भारत का सतत ऊर्जा उत्पादन के लिए सौर, पवन, जलविद्युत और बायोमास जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर ध्यान बढ़ रहा है।
  • भारत सरकार ने स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन और ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न नीतियां, लक्ष्य और प्रोत्साहन पेश किए हैं।
  • भारत ने महत्वाकांक्षी नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य निर्धारित किए हैं, जिसका लक्ष्य समग्र ऊर्जा मिश्रण में नवीकरणीय ऊर्जा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हासिल करना है।
  • जट्रोफा एवं पोगामिया ऐसे पौधे हैं जिनसे जैव ईधन (Bio Diesel) प्राप्त करते हैं।
  • भारत में पहले स्थान पर उर्जा का स्रोत तापीय ऊर्जा, दूसरे स्थान पर जल विद्युत् ऊर्जा और तीसरे स्थान पर उर्जा का पवन ऊर्जा हैं।
  • तमिलनाडु में पवन ऊर्जा पहले स्थान पर है। जबकि महाराष्ट्र में पवन ऊर्जा दूसरे स्थान पर और फिर गुजरात में तीसरे स्थान पर है।
  • भारत में इस समय दो प्रकार से सौर ऊर्जा का उत्पादन किया जाता है –
    • फोटो बोल्टिक (प्रकाश वैद्युत प्रभाव)
    • सोलर टेम्प्रेचर (सौर तापीय)
  • राजस्थान सौर उर्जा उत्पादन में पहले स्थान पर है।
  • विश्व में थोरियम का सर्वाधिक भंडार और उत्पादन केरल में है।
  • भारत में जल विद्युत् शक्ति गृह सबसे पहले पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में सन 1897 ई. में स्थापित किया गया।

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