भारत में परिवहन | Transport System in India

परिवहन उस विधि या व्यवस्था को कहा जाता है जिससे व्यक्ति, वस्तुओं, और सन्देश एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचा जा सकता है। परिवहन किसी भी देश की आर्थिक समृद्धि और विकास के लिए एक महत्वपूर्ण माध्यम होता है। व्यक्ति विभिन्न प्रकार के परिवहन साधनों का उपयोग करके एक स्थान से दूसरे स्थान जाता है। साथ ही परिवहन का उपयोग व्यापार के लिए भी किया जाता है। वर्तमान में, राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए प्रत्येक राष्ट्र अपने परिवहन साधनों को विश्व से जोड़ने के लिए प्रयत्नशील है।

भारत में, परिवहन के साधनों में सड़क, रेल, आंतरिक जलमार्ग, और वायु परिवहन प्रमुख हैं। ये साधन देशभर में लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान जाने के लिए अवसर प्रदान करते हैं और व्यापार को बढ़ावा देने में मदद करते हैं। सड़कों का नेटवर्क, रेलवे लाइनें, जलमार्ग, और हवाई मार्ग विभिन्न भागों को जोड़कर राष्ट्रीय संबंधों को मजबूत करते हैं। इस प्रकार, परिवहन ने भारतीय अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने में अहम भूमिका निभाई है और देश को वैश्विक समृद्धि की दिशा में बढ़ावा दिया है।

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भारत में परिवहन क्या है? | What is Transport in India?

भारत में परिवहन का तात्पर्य देश के भीतर लोगों, वस्तुओं और सेवाओं को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने की प्रणाली से है। भारत, अपने विशाल भूगोल और विविध आबादी के साथ, अपने नागरिकों की परिवहन आवश्यकताओं को पूरा करने और आर्थिक गतिविधियों का समर्थन करने के लिए परिवहन के विभिन्न तरीकों पर निर्भर करता है। इन साधनों में सड़क परिवहन, रेलवे, वायुमार्ग, जलमार्ग और पाइपलाइन शामिल हैं।

  • सड़क परिवहन भारत में सबसे आम और प्रचलित परिवहन तंत्र है। राष्ट्र में बनी सड़कों का विस्तार हो रहा है और इससे गाँवों और शहरों को जोड़ने में सहारा मिलता है। यह लोगों को आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचने का अवसर देता है और वस्तुओं का भंडारण और परिवहन करने के लिए भी सुविधा प्रदान करता है।
  • रेलवे भी भारतीय परिवहन का महत्वपूर्ण हिस्सा है, खासकर बड़ी दूरीयों के लिए। रेलवे सेवाएं लोगों को तेजी से एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाने में सहायक होती हैं और भारत के विभिन्न क्षेत्रों को आपस में जोड़ती हैं।
  • वायुमार्ग, यानी हवाई सफर, भी अब तेजी से बढ़ रहा है और लोगों को देश-विदेश जाने का एक आसान और तेज तरीका प्रदान करता है।
  • जलमार्ग, जैसे कि नदियों और समुद्रों पर चलने वाले जहाज, भी व्यापारिक और व्यक्तिगत परिवहन के लिए महत्वपूर्ण हैं।
  • पाइपलाइन भी विभिन्न तरह के अद्भुत तत्वों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाने में मदद करते हैं, जैसे कि ऊर्जा और इंधन।

इस प्रकार, भारत में परिवहन के विभिन्न साधन एक संघटित नेटवर्क की तरह कार्य करते हैं, जो देश की सुरक्षित, तेज़, और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

भारत में परिवहन का इतिहास

भारत में परिवहन का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है। सिंधु घाटी और गंगा के मैदानी इलाकों में प्राचीन सभ्यताओं में व्यापार मार्ग और परिवहन प्रणालियाँ थीं। मौर्य साम्राज्य और गुप्त साम्राज्यों ने अछे शासन व्यवस्था और व्यापर करने के लिए सड़कों का निर्माण किया और डाक प्रणाली बनाए रखी।

मध्ययुगीन काल के दौरान, दिल्ली सल्तनत और मुगल साम्राज्य ने व्यापार और तीर्थयात्रा मार्गों को आसान और सुविधाजनक बनाने के लिए सड़कों, पुलों आदि का निर्माण किया।

ब्रिटिश औपनिवेशिक युग में परिवहन में महत्वपूर्ण प्रगति देखी गई, जिसमें रेलवे, सड़क नेटवर्क, और बंदरगाह जैसी आधुनिक परिवहन प्रणालियाँ शामिल थीं। 1853 में ग्रेट इंडियन पेनिन्सुलर रेलवे जिसे अब भारतीय रेलवे के नाम से जाना जाता है, का निर्माण किया। इस रलवे निर्माण के फलस्वरूप भारत के परिवहन में एक नया युग आरंभ हुआ।

स्वतंत्रता के बाद, भारत सरकार ने परिवहन में महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स को बढ़ावा दिया, जो देश के दूरदराज क्षेत्रों को जोड़ने, व्यापार को बढ़ावा देने, और आर्थिक विकास को समर्थन करने में सहायक हुआ। भारत के परिवहन नेटवर्क को बढ़ाने के लिए कई सड़क परियोजनाएं, रेलवे का विस्तार और हवाई अड्डों और बंदरगाहों का आधुनिकीकरण किया गया है।

भारत में परिवहन की प्रमुख घटनाएँ

भारत में परिवहन के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण घटनाएं हुई हैं। इनमें से कुछ मुख्य घटनाएँ निम्नलिखित हैं-

  1. भारतीय रेलवे का निर्माण (1853): ग्रेट इंडियन पेनिनसुलर रेलवे की स्थापना 1853 में हुई, जिससे भारत में रेलवे परिवहन की शुरुआत हुई। इसके बाद, भारतीय रेलवे ने देश भर में बड़े और छोटे शहरों को जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  2. राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना: 1990 के दशक में शुरू की गई राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना का उद्देश्य राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क को उन्नत और विस्तारित करना, सड़क कनेक्टिविटी को बढ़ाना और अंतरराज्यीय परिवहन को सुविधाजनक बनाना था।
  3. विमानन क्षेत्र का उदारीकरण: 1990 के दशक में, भारतीय विमानन क्षेत्र में उदारीकरण हुआ, जिससे निजी भागीदारी में वृद्धि हुई, एयरलाइन सेवाओं का विस्तार हुआ और घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय हवाई यात्रा में वृद्धि हुई।
  4. राष्ट्रीय जलमार्ग विकास: सरकार ने अंतर्देशीय जल परिवहन को बढ़ावा देने और जल मार्गों के साथ व्यापार को बढ़ावा देने के लिए गंगा-भागीरथी-हुगली नदी प्रणाली और ब्रह्मपुत्र नदी सहित राष्ट्रीय जलमार्ग विकसित करने पर ध्यान केंद्रित किया है।

भारत में परिवहन के प्रकार

भारत में परिवहन को निम्नलिखित प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है

  • स्थल परिवहन (Land Transport)
    • सड़क परिवहन(Road Transport)
    • रेल परिवहन (Rail Transport)
  • वायु परिवहन (Air Transport)
  • जल परिवहन (Water Transport)

सड़क परिवहन (Road Transport)

सड़क परिवहन

भारत में सड़क परिवहन का महत्व प्राचीन काल से ही रहा है। सड़कों का निर्माण और रख-रखाव रेल परिवहन की तुलना में सस्ता होता है। सड़क परिवहन गाँवों और शहरों को जोड़ता है और लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक सुरक्षित और आसान पहुँचने का साधन प्रदान करता है।

स्वतंत्रता के बाद से, सड़कों की लम्बाई में भारत में आठ गुनी वृद्धि हुई है, इससे देश के अलग-अलग क्षेत्रों को जोड़ने में मदद हुई है। भारत की सड़क प्रणाली विश्व की तीसरी बड़ी सड़क प्रणाली है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सड़क परिवहन देश के लिए कितना महत्वपूर्ण है।

देश के सड़क नेटवर्क को चार भागों में बाँटा गया है, जिसमें राष्ट्रीय राजमार्ग, राज्य सड़कें, जिला सड़कें, और ग्रामीण सड़कें शामिल हैं। यह बात बताती है कि सड़कों का नेटवर्क देशभर में समृद्धि और सहज संचार को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत के सड़क नेटवर्क के विभिन्न भागों का विवरण निम्नलिखित है-

  • राष्ट्रीय राजमार्ग/एक्सप्रेस मार्ग  –   70,548 कि.मी.
  • राज्यों के राजमार्ग –    1,28,000 कि.मी.
  • बड़ी एवं अन्य जिला सड़कें     –     4,70,000 कि.मी.
  • ग्रामीण सड़कें                      –     26,50,000 कि.मी.

राष्ट्रीय राजमार्ग (National Highway)

राष्ट्रीय राजमार्ग वे सड़के हैं, जिनके निर्माण एवं मरम्मत की जिम्मेदारी केन्द्र सरकार की होती है। राष्ट्रीय राजमार्ग प्रांतीय राजधानियों एवं अन्य शहरों को जिदने का कार्य करती हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग की लम्बाई देश की कुल सड़कों की लम्बाई की मात्र 1.58% है किन्तु ये सड़कें यातायात के लगभग 40% भाग का भार वहन करती हैं।

प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्ग के नाम व संक्षिप्त विवरण

प्रमुख राष्ट्रिय राजमार्ग के नाम व उनका संक्षिप्त विवरण नीचे दिया गया है –

  •  राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 1 –  यह दिल्ली से अमृतसर के बीच है। (वाया अम्बाला, जलंधर)।
  • राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 1 ‘A’ –  जलंधर को श्रीनगर से जोड़ता है। (वाया माधोपुर, जम्मू, बनिहाल) यह सड़क मार्ग बनिहाल दर्रे (जवाहर टनल) से होकर गुजरती है। यह जम्मू को श्रीनगर से जोड़ने वाला एक मात्र सड़क मार्ग है।
  • राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 1 ‘B’ — यह जम्मू-कश्मीर में ‘बाटोट-दोदा-किश्तवार’ के मध्य है।
  • राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 2 — यह दिल्ली को कोलकाता से जोड़ता है। (वाया मथुरा, आगरा, कानपुर, इलाहाबाद, वाराणसी, मोहनिया, बरही, पलसित-विद्यावती। 
  • शेरशाह सूरी द्वारा बनवाया गया प्रसिद्ध ‘ग्रेंड ट्रंक रोड’ (पेशावर से कोलकाता) भारत में N. H. -1 एवं N. H. – 2 का सम्मिलित रूप है ।
  • राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 3 –  यह आगरा के मुंबई से जोड़ता है। (वाया-ग्वालियर, इंदौर, धूले, नासिक)।
  • राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 4 – यह ठाणे (मुंबई के पास) को चेन्नई से जोड़ता है। (वाया बेलगावं, हुबली, बेंगलुरु, रानीपेट)।
  • राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 5 – यह चेन्नई के बारागोड़ा से जोड़ता है। (वाया-विजयवाड़ा, विशाखापत्तनम, भुवनेश्वर, कटक) बहारागोड़ा के पास यह N.H-6 से मिल जाता है।
  • राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 6 – यह हजीरा (गुजरात) को कोलकाता से जोड़ता है । (वाया-थूले, नागपुर, रायपुर, संबलपुर, बहरागोड़ा) यह मुंबई को कोलकाता से जोड़ने वाला मार्ग भी है । N. H -3 और N. H-6 धूले में मिलते   हैं ।
  • राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 7 – यह वाराणसी से प्रारंभ होकर कन्याकुमारी तक जाने वाला भारत का सबसे लम्बा (2,369km) राष्ट्रीय राजमार्ग है। (वाया-रीवा, जबलपुर, नागपुर, हैदराबाद, कुर्नूल, बैंगलुरु, सेलम, मदुरई, कन्याकुमारी )।  
  • राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 8 – यह दिल्ली को मुंबई से जोड़ता है। (वाया जयपुर, अजमेर, उदयपुर, अहमदाबाद, वड़ोदरा)। 
  • राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 8 A – यह मांडवी बन्दरगाह को अहमदाबाद से जोड़ता है। (वाया-मुंद्रा, कांडला, भरुच, लिम्बडी)। 
  • राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 9 – यह पुणे को मछलीपत्तनम से जोड़ता है। (वाया-शोलापुर, हैदराबाद, विजयवाड़)।  
  • राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 10 – यह दिल्ली को फाजिल्का (पाकिस्तान की सीमा पर स्थित) से जोड़ता है।
  • राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 11 – यह आगरा को बीकानेर से जोड़ता है। (वाया जयपुर, शिकार)।
  • राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 15 – यह पठानकोट से समुख्याली (कच्छ जिला, गुजरात) तक जाने वाला राजमार्ग है। (वाया – अमृतसर, भटिंडा, गंगानगर, बीकानेर, जैसलमेर, बाड़मेर)। यह थार के मरुस्थल से गुजरने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग है।
  • राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 17 – यह पनवेल (नवी-मुंबई) को एडापल्ली (कोचीन के निकट, केरल) से जोड़ता है।
  • राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 24 – यह दिल्ली को लखनऊ से जोड़ता है। (वाया-बरेली)।
  • राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 30 – मोहनिया (कैमूर जिला, बिहार) से बख्तियारपुर (बिहार) तक जाने वाला राजमार्ग। (वाया आरा, पटना, फतुहा)।
  • राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 31 – बरही (तिलैया के पास, हजारीबाग जिला, झारखण्ड) से गुवाहाटी तक जाने वाला राजमार्ग। (वाया बख्तियापुर, मोकामा, बरीनी, पूर्णिया, सिलीगुड़ी, कूच बिहार, पांडू )है।
    •  राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 31 एक मात्र राष्ट्रीय राजमार्ग है जो उत्तर-पूर्वी भारतीय राज्यों (Seven Sisters) को शेष भारत से जोड़ता है। बरही में N H – 2, N H – 31, N H-33 मिलती हैं । 
  • राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 47 – सेलम (तमिलनाडु) से कन्याकुमारी तक जाने वाला राजमार्ग। (वाया-कोयम्बटूर, एर्नाकुलम (केरल), तिरुअनंतपुरम (केरल), कन्याकुमारी (तमिलनाडु)।
  • राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 48 – नेलामंगला (बेंगलुरु के पास) से मंगलौर तक जाने वाला राजमार्ग।   (वाया-हसन)।
  • राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 49 – कोच्चि (केरल) से धनुषकोड़ी। (पम्बन द्वीप, तमिलनाडु) तक जाने वाला राजमार्ग (वाया-मदुरई)।
  • धूले में N H-3 और N H-6 मिलते हैं ।
  • आगरा में N H – 2 और N H-3 मिलते हैं । 
  • नागपुर में N H-6 और N H-7 मिलते हैं । 

भारत के महत्वपूर्ण राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची

भारत के महत्वपूर्ण राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची निम्नलिखित है –

राष्ट्रीय राजमार्ग (NH)मार्ग
राष्ट्रीय राजमार्ग 1 (NH -1)दिल्ली से अमृतसर (अंबाला और जालंधर के रास्ते)
राष्ट्रीय राजमार्ग 1A (NH-1 A)जालंधर से पुरी (माधोपुर, जम्मू, श्रीनगर और बारामुल्ला के रास्ते)
राष्ट्रीय राजमार्ग 2 (NH-2)दिल्ली से कोलकाता (मथुरा और वाराणसी के रास्ते)
राष्ट्रीय राजमार्ग 3 (NH-3)आगरा से मुंबई (ग्वालियर, इंदौर और नासिक के रास्ते)
राष्ट्रीय राजमार्ग 4 (NH-4)ठाणे (मुंबई) से चेन्नई (पुणे, बेलगाम, हुबली, बैंगलोर और रानीपेट के रास्ते)
राष्ट्रीय राजमार्ग 5 (NH- 5)बेरागोडा (कोलकाता के नजदीक) से चेन्नई (कटक, विशाखापट्नम और विजयवाड़ा के रास्ते)
राष्ट्रीय राजमार्ग 6 (NH-6)हज़िरा से कोलकाता (नागपुर, रायपुर और संबलपुर, धुले के रास्ते)
राष्ट्रीय राजमार्ग 7 (NH-7)वाराणसी से कन्याकुमारी (नागपुर, बैंगलोर और मदुरई के रास्ते)
राष्ट्रीय राजमार्ग 8 (NH-8)दिल्ली से मुंबई (जयपुर, अहमदाबाद और वडोदरा के रास्ते)
राष्ट्रीय राजमार्ग 9 (NH-9)पुणे से मछलीलीपट्टनम (शोलापुर और हैदराबाद, विजयवाड़ा के रास्ते)
राष्ट्रीय राजमार्ग 10 (NH-10)भारत-पाक सीमा पर चलने वाली फ़जिलका से दिल्ली
राष्ट्रीय राजमार्ग 14 (NH-14)रावणपुर से बीवर (सिरोही)
राष्ट्रीय राजमार्ग 15 (NH-15)पठानकोट से कांडला (थार रेगिस्तान के पास)
राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-24)दिल्ली से लखनऊ
राष्ट्रीय राजमार्ग 39 (NH-39)नुमालीगढ़ से भारत-म्यानमार सीमा

एक्सप्रेस राजमार्ग 

  • तेज व्यापारिक वाहनों को कम अवधि में गंतव्य तक पहुँचाने हेतु एक्सप्रेस राजमार्ग बनाया गया है।
  • एक्सप्रेस राजमार्ग प्रायः 4 एवं 6 लेन वाली होती हैं।
    • उदाहरण : पुणे-मुंबई एक्सप्रेस राजमार्ग, दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस राजमार्ग (वाया जयपुर), ग्रेट डेक्कन राजमार्ग (N. H -7), आगरा यमुना एक्सप्रेसवे आदि।
  • देश में सड़क यातायात व्यवस्था को सदृढ़ एवं तीव्र करने हेतु सरकार ने स्वर्णिम चतुर्भुज एवं उत्तर-दक्षिण तथा पूर्व-पश्चिम कॉरिडोर सड़कों के निर्माण करने की योजना बनायी है ।

स्वर्णिम चतुर्भुज योजना (कुल लम्बाई-5,846 कि.मी.) 

  • स्वर्णिम चतुर्भुज योजना के तहत देश के चार बड़े मेगा सिटी—दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता को जोड़ने वाली सड़कों को उच्च गुणवत्ता युक्त (4–6 लेन वाली) बनाने की योजना है। इसका अधिकतर कार्य पूरा हो गया है।

उत्तर-दक्षिण, पूर्व-पश्चिम कॉरिडोर योजना (कुल लम्बाई 7,300 कि.मी.)

  • उत्तर-दक्षिण कॉरिडार के अन्तर्गत श्रीनगर को कन्याकुमारी से तथा पूर्व-पश्चिम कॉरिडोर के अन्तर्गत सिल्चर (असम) को पोरबन्दर (गुजरात) से उच्च गुणवत्ता युक्त महामार्गों द्वारा जोड़ने की योजना है।
  • उत्तर-दक्षिण एवं पूर्व-पश्चिम कॉरिडोर एक दूसरे को झांसी में काटती है।
  • प्रथम चरण के अन्तर्गत स्वर्णिम चतुर्भुज सड़कों को, द्वितीय चरण के तहत करिडोर सड़कों को पूरा किया गया। तीसरे चरण में देश के 12 प्रमुख बंदरगाहों को जोड़ने वाली सड़कों को 4 लेन वाली बनाने की योजना है। (सागरमाला परियोजना के तहत)।
  • उपर्युक्त सभी योजनाएँ राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा कार्यान्वित की जा रही हैं।

प्रांतीय राजमार्ग

प्रांतीय राजमार्गों के निर्माण और रख-रखाव का दायित्व राज्य सरकार पर होता है यह राज्य के सभी बड़े कस्बों एवं नगरों को जोड़ती है । प्रांतीय राजमार्ग की सबसे अधिक लम्बाई महाराष्ट्र में है। इसके बाद क्रमशः गुजरात, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और राजस्थान का स्थान आता है।

जिला सड़कें  

 ये सड़कें जिला बोर्डों के अधीन होती हैं जो कस्बों और बड़े गांवों को आपस में जोड़ने के अलावा, उन्हें जिला मुख्यालय से जोड़ती हैं।  

ग्रामीण सड़कें 

ये सड़कें परस्पर गाँवों को जोड़ती हैं। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत भारत के सभी गाँवों को बारहमासी सड़कों द्वारा जोड़ने की योजना है।

सीमावर्ती सड़के 

सीमा सड़क संगठन (B. R. O.) की स्थापना 1960 में देश के सीमावर्ती सड़कों के विकास के लिए किया गया था। इन सड़कों का सामरिक महत्व होने के कारण इनके रख-रखाव पर सरकार का विशेष ध्यान है। 

सड़क परिवहन से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

  • सड़क घनत्व दो रूपों में व्यक्त किया जाता है –
    • प्रति हजार वर्ग किमी क्षेत्रफल पर सड़कों की कुल लम्बाई (किमी में)
    • प्रति हजार व्यक्ति पर सड़कों की कुल लम्बाई (किमी में)
  • यदि प्रति हजार वर्ग किमी पर सड़कों की कुल लम्बाई को देखें तो केरल (5268.69 किमी) का स्थान प्रथम है, इसके बाद क्रमशः त्रिपुरा (3026.23 किमी), असम (2936.51 किमी), गोवा (2854, 94 किमी) एवं पश्चिम बंगाल (2386.09 किमी) का स्थान है।
  • यदि प्रति हजार व्यक्ति पर सड़कों की कुल लम्बाई को देखें तो अरुणाचल प्रदेश (13,77 किमी) का स्थान प्रथम है, इसके बाद क्रमशः नागालैंड (10.27 किमी), त्रिपुरा (9.09 किमी), असम (7.83 किमी) का स्थान है।
  • भारत में राष्ट्रीय राजमार्ग (NH) की कुल लम्बाई 66,754 किमी है, जो देश की कुल सड़क लम्बाई (42,36,429 किमी) का 1.58 % है। 
  • राज्यवार राष्ट्रीय राजमार्गों की कुल लम्बाई (घटते क्रम में)
    • उत्तर प्रदेश (6774 कि.मी.)
    • राजस्थान (5585 कि.मी.)
    • मध्य प्रदेश (5027 कि. मी.)
    • तमिलनाडु (4832 कि. मी.)
  • राज्यवार राष्ट्रीय जलमार्ग की सबसे कम लम्बाई सिक्किम (62 किमी) में है ।
  • केंद्रशासित प्रदेशों में NH की सर्वाधिक लम्बाई अंडमान और निकोबार द्वीप समूह (300 किमी) में है। दादरा एवं नागर हवेली, दमन एवं दीव तथा लक्षद्वीप में NH की लम्बाई शून्य है।
  • 2008 के आँकड़ों के अनुसार राज्यवार सड़कों की कुल लम्बाई (घटते क्रम में)
    • आंध्र प्रदेश (3,45,012 किमी)
    • उत्तर प्रदेश (2,84,673 किमी)
    • कर्नाटक (2,53,901 किमी)
    • असम (2,30,334 किमी)
    • महाराष्ट्र (2,23,322 किमी)
  • राज्यवार सड़कों की सबसे कम लम्बाई सिक्किम (1,873 किमी) में है ।
  • केंद्रशासित प्रदेशों में दिल्ली में सड़क लम्बाई सर्वाधिक (29,559 किमी) है तथा लक्षद्वीप में न्यूनतम (168 कि.मी.) है।

रेल परिवहन (Rail Transport)

रेल परिवहन

भारत में रेलवे का प्रारंभ ब्रिटिश शासन कल के दौरान 1853 ई. में हुआ। इस समय मुंबई से थाणे के बीच (34 km) पहली रेलगाड़ी चलाई गयी। प्रारंभ में भारतीय रेलवे का विकास अंग्रेजों द्वारा इसलिए किया गया ताकि कच्चे माल को निर्यात हेतु कोलकाता, मुंबई, चेन्नई जैसे बंदरगाह नगरों तक पहुँचाया जा सके। स्वतंत्रता के बाद रेलमार्गों के विकास पर सरकार ने विशेष ध्यान दिया क्योंकि यह परिवहन का सस्ता, तीव्रगामी एवं सुरक्षित साधन है।

भारतीय रेलवे एकल प्रबंधन के तहत विश्व का चौथा सबसे बड़ा रेल-तंत्र है। अमेरिका (U.S.A.) का विश्व में प्रथम स्थान है। इसके पश्चात दूसरे स्थान पर चीन (China) तथा तीसरे स्थान पर रूस (Russia) है। भारत में रेलवे का प्रबंधन भारत सरकार के रेल मंत्रालय के अधीन बोर्डों द्वारा किया जाता है।

भारत के उत्तरी समतल मैदान में रेलमार्गों का सर्वाधिक घनत्व है। पंजाब पश्चिम बंगाल, हरियाणा, बिहार, उत्तर प्रदेश क्रमशः अधिक रेल-घनत्व वाले राज्य हैं। भारत के कुल रेलमार्ग के 28% का विद्युतीकरण हो चुका है।

प्रबंधन की सुविधा की दृष्टि से भारतीय रेलवे को 19 जोनों में बाँटा गया है। प्रारंभ में भारतीय रेल 17 ज़ोन में बंटी हुई थी। परन्तु 2022 को रेलवे मंडलो का विस्तार किया गया। इससे अब भारत में रेलवे मंडल की संख्या 17 से बढ़कर 19 हो गई हैं। इसमें कोलकाता मेट्रो भी शामिल है। प्रत्येक जोन (क्षेत्र) में कई मंडल हैं। ये मंडल पूरे भारत में फैले हुए हैं। जिसमे देश में रेलमार्गों की सर्वाधिक लम्बाई उत्तर जोन (NR) (11040 km) के अन्तर्गत है। तथा सबसे कम लम्बाई दक्षिण-मध्य जोन (SCR) (7217 km) का है।

कोंकण रेलवे  

कोंकण रेलवे परियोजना के तहत रोहा (महाराष्ट्र) से मंगलोर (कर्नाटक) के बीच 760 km. लम्बे रेलमार्ग का निर्माण किया गया है। इस रेलमार्ग में 92 सुरंगें, 179 बड़े पुल, एवं 56 रेलवे स्टेशन हैं। इस रेलमार्ग के तहत रत्नागिरि के नजदीक कारगुडे में 6.5 किमी लम्बी सुरंग का निर्माण किया गया है। यह सुरंग एशिया की सबसे लम्बी रेल-सुरंग है। कोंकण रेल महाराष्ट्र, गोवा एवं कर्नाटक राज्यों से होकर गुजरती है। हालाँकि इसका लाभ केरल को भी मिलता है।

कश्मीर घाटी में रेल  

उत्तर रेलवे ने स्थानीय लोगों और पर्यटकों के लिए पहले से ही संचालित रेल नेटवर्क में एक नई और आकर्षक सुविधा जोड़ दी है। कश्मीर में हर मौसम के लिए उपयुक्त ग्लास-सीलिंग एसी ट्रेन- विस्टाडोम कोच चलने लगी है। इससे यहाँ के स्थानीय लोगों और पर्यटकों को बनिहाल से बारामुला तक 135 किमी लंबे ट्रैक के साथ घाटी के सुंदर परिदृश्य का मनमोहक दृश्य देखने को मिलता है।

रेलवे जोन तथा उनके मुख्यालय

भारत में कुल 19 रेलवे ज़ोन हैं, जिनमें कोलकाता मेट्रो रेलवे भी शामिल हैं। कोलकाता मेट्रो को शामिल करने के पहले यह संख्या 16 थी। कोलकत्ता मेट्रो 17वें रेलवे जोन के रूप में 29 दिसंबर 2010 को शामिल हुआ। इसके पश्चात हाल ही में दो नए रेलवे ज़ोन दक्षिण तटीय रेलवे और कोंकण रेलवे के निर्माण के बाद अब रेलवे ज़ोन की कुल संख्या 19 हो गयी है। प्रशासन एवं संचालन की सुविधा की दृष्टि से देश को इन ज़ोन में बांटा गया है। ये ज़ोन आगे “डिवीजनों” में विभाजित होते हैं, और प्रत्येक का एक डिवीजनल मुख्यालय होता है।

इस प्रकार, पूरे देश में कुल 70 मंडल हैं, जिनका प्रबंधन डिवीजनल रेलवे मैनेजर (डी.आर.एम) करता है। डिवीजनल रेलवे मैनेजर जोन के महाप्रबंधक (जी.एम) को रिपोर्ट करता है। भारतीय रेलवे के आठ संगठित सेवाओं में से किसी भी सेवा से एक डी.आर.एम को नियुक्त किया जा सकता है। नीचे दिए गए तालिका में देश के सभी 19 रेलवे ज़ोनों की जानकारी दी गई है।

नीचे दी गयी सूची में रेलवे जोंन और उनके मुख्यालय तथा डिविजन के नाम दिए गए हैं –

क्र. सं.क्षेत्र (Railway Zone)कोडमुख्यालयडिवीजन
1मध्य रेलवे Central Railway Zoneम.रे.मुंबईमुंबई (सीएसटी), भुसावल, नागपुर, पुणे
2उत्तर रेलवे Northern Railway Zoneउ.रे.दिल्लीअंबाला, दिल्ली, लखनऊ, मोरादाबाद, फिरोजपुर
3पूर्वोत्तर रेलवे North Eastern Railwayउ.पू.रेगोरखपुर (उ. प्र.)लखनऊ, इजाजतनगर, वाराणसी
4पूर्वोत्तर सीमा रेलवे Northeast Frontier Railwayउ.सी.रेमालेगांव (गुवाहाटी)कटिहार, अलीपुरदुआर, रंगिया, लुमडिंग, तिंसुकिअ
5पूर्व रेलवे Eastern Railway Zoneपू.रेकोलकाताआसनसोल, हावड़ा, मालदा, सियालदह
6दक्षिण पूर्व रेलवे South Eastern Railwayद.पू.रेकोलकाताआद्रा, चक्रधरपुर, खड़गपुर, रांची
7दक्षिण मध्य रेलवे South Central Railwayद.म.रेसिकंदराबादहैदराबाद, नांदेड़, सिकंदराबाद
8दक्षिण रेलवे Southern Railway Zoneद.रेचेन्नईचेन्नई, मदुरै, पालघाट, त्रिची, त्रिवेन्द्रम, सलेम
9पश्चिम रेलवे Western Railway Zoneप.रेमुंबई (चर्चगेट)मुंबई (मध्य), वडोदरा, रतलाम, अहमदाबाद, राजकोट, भावनगर
10दक्षिण पश्चिम रेलवे South Western Railwayद.प.रेहुबली (कर्नाटक)बैंगलोर, हुबली, मैसूर
11उत्तर पश्चिम रेलवे North Western Railwayउ.प.रेजयपुर (राजस्थान)अजमेर, बीकानेर, जयपुर, जोधपुर
12पश्चिम मध्य रेलवे West Central Railwayप.म.रे.जबलपुर (म.प्र.)भोपाल, जबलपुर, शहर
13उत्तर मध्य रेलवे North Central Railwayउ.म.रेइलाहाबाद (उ.प्र.)इलाहाबाद, आगरा, झांसी
14दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे South East Central Railwayद.पू.म.रेबिलासपुर (छत्तीसगढ़)बिलासपुर, नागपुर, रायपुर
15पूर्व तट रेलवे East Coast Railway Zoneपू.त.रेभुवनेश्वरखुर्दा रोड, संबलपुर, वालटायर
16पूर्व मध्य रेलवे East Central Railwayपू.म.रेहाजीपुर (बिहार)दानापुर, धनबाद, मुग़लसराय, समस्तीपुर, सोनपुर
17कोलकाता मेट्रो Metro Railway, Kolkataएम.टी.पीकोलकाता (पार्क स्ट्रीट)लागू नहीं
18दक्षिण तटीय रेलवे South Coast Railwayद.त.रेविसाखापटनमगुंटकाल, गुंटूर, विजयवाड़ा
19कोंकण रेलवे Konkan Railway Corporation Limitedको.रे.मुम्बई

रेलवे जोनों की स्थापना वर्ष

नीचे दी गयी सूची में रेलवे जोन के नाम और उनके स्थापना वर्ष को दिया गया है –

क्र. सं.स्थापना वर्षरेलवे ज़ोन
1.1951दक्षिण रेलवे
2.1951मध्य रेलवे
3.1951पश्चिम रेलवे
4.1952उत्तर रेलवे
5.1952पूर्व रेलवे
6.1952पूर्वोत्तर रेलवे
7.1955दक्षिण पूर्व रेलवे
8.1958पूर्वोत्तर सीमा रेलवे
9.1966दक्षिण मध्य रेलवे
10.2003दक्षिण पश्चिम रेलवे
11.2003उत्तर पश्चिम रेलवे
12.2003पश्चिम मध्य रेलवे
13.2003उत्तर मध्य रेलवे
14.2003दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे
15.2003पूर्व तट रेलवे
16.2003पूर्व मध्य रेलवे
17.2010कोलकाता मेट्रो
18.2019दक्षिण तटीय

भारतीय रेलवे में सबसे प्रथम (पहली बार)

नीचे दिए गए सारणी (सूची) में भारतीय रेलवे से सम्बंधित शुरुआती तथ्यों को संक्षेप में दिया गया है –

ट्रेनस्टेशन सेस्टेशन तकदिनांक
पहली ट्रेनबॉम्बे (बोरिबंदर)थाने16 अप्रैल 1853
प्रथम यात्री ट्रेनहावड़ाहुगली15 अगस्त 1854
प्रथम इलेक्ट्रिक ट्रेनबॉम्बे (विक्टोरिया टर्मिनस)कुर्ला3 फ़रवरी 1925
प्रथम राजधानी एक्सप्रेसहावड़ानई दिल्ली1 मार्च 1969
पहली शताब्दी एक्सप्रेसनई दिल्लीझांसी1988
पहली गरिब रथ एक्सप्रेससहरसाअमृतसर4 अक्टूबर 2006
पहली दुरंतो एक्सप्रेससियालदहनई दिल्ली19 सितंबर 2009
पहली राज्य रानी एक्सप्रेसमैसूरबैंगलोर01 जुलाई 2011
पहली हमसफर एक्सप्रेसगोरखपुरआनंद विहार16 दिसम्बर 2016
पहली अंत्योदय एक्सप्रेसएर्नाकुलमहावड़ा27 फ़रवरी 2017
पहली तेजस एक्सप्रेसमुंबईगोवा22 मई 2017
भारत में पहली बार भूमिगत रेलवे की शुरुवात 1984 में कोलकाता में हुई थी।
1986 में पहली बार भारतीय रेलवे में कम्प्यूटरीकृत यात्री आरक्षण प्रणाली शुरू की गई थी।

भारतीय रेलवे से सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्य

  • भारत में कुल 19 रेलवे ज़ोन हैं। (कोलकाता मेट्रो ज़ोन को लेकर)
  • लार्ड डलहौजी के समय में 1853 ई. में रेल सञ्चालन शुरू हुआ।
  • पहली रेलगाड़ी मुंबई से ठाणे तक (लगभग 34 किमी) चलाई गयी।
  • भारत में सबसे तेज चलने वाली ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस है। (नई दिल्ली से भोपाल)
  • वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन लोकोमोटिव लैस ट्रेन है, जिसका संचालन विभिन्न रूटों पर किया जाता है। इसकी टॉप स्पीड 180 किलोमीटर प्रतिघंटा है, लेकिन इसे 160 किलोमीटर प्रतिघंटा तक की रफ्तार से दौड़ाया गया है।
  • भारत में दूसरी सबसे तेज़ चलने वाली ट्रेन गतिमान एक्सप्रेस है, जो 160 किलोमीटर प्रति घंटे की टॉप स्पीड के साथ चलाई जाती है।
  • भारत में तीसरी सबसे तेज चलने वाली ट्रेन दिल्ली भोपाल शताब्दी एक्सप्रेस है, जो 140 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड के साथ चलाई जाती है।
  • 1924 ई. से शरू हुए पृथक रेल बजट को एक वर्ध कमिटी की सिफारिस पर वर्ष 2017 से समाप्त कर दिया गया है।
  • वर्तमान में रेल बजट केंद्रीय बजट के साथ संयुक्त रूप से प्रस्तुत किया जाता है।
  • भारत में सबसे लम्बी दूरी तय करने वाली रेलगाड़ी विवेक एक्सप्रेस है। विवेक एक्सप्रेस आसाम में डिब्रूगढ़ से तमिलनाडु के कन्याकुमारी तक 4273 किलोमीटर तक की दूरी तय करती है।
  • भारत की सबसे प्राचीन मेट्रो कोलकाता मेट्रो है, जो 1984 में दमदम से रानीगंज तक शुरू हुई।
  • दिल्ली मेट्रो 2002 में शुरू हुआ।
  • लखनऊ मेट्रो का परिचालन 05 सितम्बर, 2017 को शुरू हुआ।
  • दुनिया की पहली मेट्रो लन्दन में 1863 ई. में चलाई गयी थी।
  • विश्व का सबसे बड़ा मेट्रो रेल नेटवर्क संघाई मेट्रो (चीन) है।
  • रेलवे स्टॉफ कॉलेज गुजरात के बड़ोदरा में है।
  • भारतीय रेलवे ने 24 जुलाई 2016 को तमिलनाडु में रामेश्वरम-मनमदुरै के बीच देश का पहला हरित रेल कॉरिडोर लॉन्च किया। यह 114 किमी लम्बा रेलवे ट्रैक भारत का प्रथम हरित गलियारा कहलाता है।
  • सिक्किम एकमात्र राज्य है जहाँ रेलवे लाइन नहीं है। लेकिन सिबोक पश्चिम बंगाल से संगपो, सिक्किम तक रेलवे ट्रैक प्रस्तावित है।
  • दार्जिलिंग, नीलगिरी, कालका-शिमला विश्व धरोहर में शामिल पर्वतीय रेलवे स्टेशन हैं।
  • छत्रपति शिवाजी स्टेशन (C.S.T.) को उनेसको के विश्व धरोहर में शामिल किया गया है।
  • भारत में इंटीग्रल कोच फैक्ट्री पेरंबूर, चेन्नई, तमिलनाडु में स्थित है, जिसका स्वामित्व भारतीय रेलवे के पास है। भारतीय रेलवे द्वारा इसका संचालन किया जाता है।
  • इंटीग्रल कोच फैक्ट्री की स्थापना 1955 ई. में हुई थी। यह पेरंबूर के चेन्नई उपनगर में स्थित है।
  • रेल कोच फैक्ट्री लखनऊ के कपूरथला में स्थित है।

वायु परिवहन (Air Transport)

वायु परिवहन

वायु परिवहन यातायात का सबसे तीव्र एवं आधुनिक साधन है। भारत जैसे विशाल देश के लिए वायु परिवहन काफी उपयोगी है। परन्तु संसाधन एवं धन की कमी के कारण इसका पर्याप्त विकास नहीं हो पाया है।

भारत में वायु परिवहन की शुरुआत 1911 ई. में हुई। 1911 ई. में पहली बार इलाहाबाद से नैनी तक वायुयान से डाक ले जाया गया। 1920 ई. में कुछ हवाई अड्डे बने तथा 1922 ई. में टाटा सन्स लि. ने घरेलू सेवा की शुरुआत की। स्वतंत्रता के बाद हवाई अड्डे एवं वायुयान सेवाओं का विस्तार किया गया। वर्तमान में 126 हवाई अड्डे हैं जिनमें कई अन्तर्राष्ट्रीय महत्व के हैं।

ग्रीन फील्ड हवाई अड्डा 

जब पुराने हवाई अड्डा से दूर नए स्थल पर बिल्कुल नवीन हवाई अड्डा का निर्माण किया जाता है, तो उसे ग्रीन फील्ड हवाई अड्डा कहा जाता है। इसका निर्माण तब किया जाता है जब पुराने हवाई अड्डे में विस्तार द्वारा यातायात को सुगम बनाने की कोई संभावना नहीं रह जाती  है। ‘ग्रीन फील्ड’ शब्द की उत्पत्ति सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग क्षेत्र से हुई है। यहाँ ग्रीन फील्ड परियोजना ऐसी परियोजनाओं को कहा जाता है जो बिल्कुल नए रूप में शुरू की गई हों, तथा उन पर पहले से किए गए कार्य का कोई प्रभाव न हो।

ब्राउन फील्ड परियोजना

जो परियोजनाएँ पहले से चलाई जा रही परियोजनाओं में सुधार करके या उनका उन्नयन करके बनाई जाती है, उन्हें ‘ब्राउन फील्ड परियोजना’ कहते हैं ।

वायुयान सेवा प्रदान करने हेतु सरकार के नियंत्रण में दो प्रमुख कम्पनियाँ थीं-

  1. इंडियन एयरलाइंस-घरेलू सेवा एवं पड़ोसी देशों की सेवा हेतु।
  2. एयर इंडिया-विदेशी सेवा हेतु।
  • वर्तमान में इंडियन एयरलायन्स का एयर इंडिया में विलय कर दिया गया है। निजी क्षेत्र में कई विमान सेवा प्रदाता कम्पनियाँ कार्यरत हैं, यथा- जेट एयरवेज, इंडिगो आदि । 
  • कुल 26 एयरलाइंस वर्तमान में भारतीय घरेलू क्षेत्र में काम कर रही हैं। जिनमे से प्रमुख एयरलाइंस इंडिगो, जेट एयरवेज, Spice jet, Air India, Go Air, Air Asia India, Vistara Airlines आदि हैं। 
  • ‘पवनहंस हेलीकॉप्टर्स लिमिटेड’ तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम, ऑयल इंडिया लिमिटेड, निजी संस्थानों एवं राज्य सरकारों को हेलीकॉप्टर सेवा प्रदान करती है।

प्रमुख अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे

भारत में प्रमुख हवाई अड्डों के बारे में संक्षिप्त विवरण नीचे दिया गया है –

  • छत्रपति शिवाजी हवाई अड्डा सांताक्रुज, मुम्बई।  
  • इंदिरा गाँधी अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा–पालम, दिल्ली।  
  • सुभाष चंद्र बोस हवाई अड्डा– दमदम, कोलकाता।
  • मीनाम्बकम हवाई अड्डा चेन्नई। (चेन्नई के मीनाम्बकम क्षेत्र में स्थित इस हवाई अड़े के घरेलू एवं अन्तर्राष्ट्रीय टर्मिनलों का नाम क्रमशः तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्रियों के. कामराज एवं सी. एन. अन्नादुरई के नाम पर रखा गया है।
  • श्रीनगर अन्तर्राष्ट्रिीय हवाई अड्डा–श्रीनगर।
  • श्री गुरु रामदास जी अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा राजा साँसी, अमृतसर, पंजाब । [इस हवाई अड्डे का नामकरण सिखों के चौथे गुरु श्री रामदास जी के नाम पर रखा गया है।
  • चंडीगढ़ अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा–भारतीय वायु सेना, चंडीगढ़ के हवाई अड्डा में ही नागरिक उड्डयन क्षेत्र विकसित किया गया है।
  • जौली ग्रांट हवाई अड्डा-देहरादून, उत्तराखंड।  
  • चौधरी चरण सिंह अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा लखनऊ, उत्तर प्रदेश। 
  • लाल बहादुर अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा बाबतपुर, वाराणसी, उत्तर प्रदेश। 
  • जयप्रकाश नारायण अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा-पटना, बिहार।  
  • बिरसा मुंडा अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा-राँची, झारखंड।  
  • जयपुर अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा—संगानेर, जयपुर।  
  • महाराणा प्रताप घरेलू हवाई अड्डा दाबोक, उदयपुर।  
  • सरदार वल्लभ भाई पटेल अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा हुनसोल, अहमदाबाद, गुजरात।
  • राजा भोज अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा-गाँधीनगर (भोपाल से 15 कि.मी. दूर), मध्य प्रदेश।
  • देवी अहिल्याबाई होलकर हवाई अड्डा इन्दौर, मध्य प्रदेश।
  • स्वामी विवेकानंद अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा-माना, रायपुर, छत्तीसगढ़।  
  • लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा बोरझार, गुवाहटी, असम। 
  • बीजू पटनायक अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा-भुवनेश्वर, उड़ीसा। 
  • भारत रत्न बाबा साहेब डा. बी. आर. अम्बेडकर अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा-नागपुर, महाराष्ट्र।
  • गोवा अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा-डाबोलिम, वास्को डिगामा, गोवा।
  • केम्पेगौड़ा अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा देवनहल्ली (बेंगलुरु से 40 कि.मी. दूर स्थित), कर्नाटक। 
  • राजीव गाँधी अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा-शमशाबाद (हैदराबाद से 22 कि.मी. दूर स्थित), तेलंगाना। 
  • कोच्चि अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा नेदुम्बासेरी (Nedumbassery) ( कोच्चि से  30 कि.मी. दूर), केरल।
  • त्रिवेन्द्रम अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा तिरुअनन्तपुरम्, केरल। 
  • वीर सावरकर अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा-पोर्ट ब्लेयर, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह।

निजी क्षेत्र के सहयोग से कोच्चि का अन्तर्राष्ट्रीय ग्रीन फील्ड हवाई अड्डा बनाया गया है। शमशाबाद (हैदराबाद) एवं देवनहल्ली (बंगलुरु) में भी ग्रीन फील्ड हवाई अड्डा निर्माण किया गया है ।

क्षेत्रफल के अनुसार भारत में सबसे बड़े हवाई अड्डे

  1. राजीव गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, हैदराबाद – 5,500 एकड़
  2. इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, नई दिल्ली – 5,106 एकड़
  3. केम्पेगौड़ा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, बैंगलोर – 4,000 एकड़
  4. मनोहर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, गोवा – 2,132 एकड़
  5. डाबोलिम हवाई अड्डा – 1,700 एकड़
  6. नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, कोलकाता – 1640 एकड़
  7. बिरसा मुंडा हवाई अड्डा – 1568 एकड़
  8. छत्रपति शिवाजी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, मुंबई – 1500 एकड़
  9. डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, नागपुर – 1,355 एकड़
  10. कोचीन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, कोच्चि – 1,300 एकड़

वायु परिवहन से सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्य

  • वर्ष 1911 ई. में सर्वप्रथम वायु परिवहन की शुरुआत हुई। जब इलाहाबाद (प्रयागराज) से नैनी तक वायुयान से डाक ले जाया गया।
  • दिसम्बर 1912 में ब्रिटेन स्थित इम्पियरलएयरवेज के सहयोग से Indian State Airlines ने लन्दन – कराची – दिल्ली उड़ान सेवा प्राम्भ की। यह भारत की प्रथम अंतर्राष्ट्रीय उड़ान सेवा थी।
  • भूमि क्षेत्र के संदर्भ में, 5,500 एकड़ में फैला राजीव गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, हैदराबाद भारत का सबसे बड़ा हवाई अड्डा है।
  • इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, नई दिल्ली भारत का दूसरा सबसे बड़ा हवाई अड्डा है।
  • कोचीन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, कोच्चि – केरल का सबसे बड़ा हवाई अड्डा है।
  • भारत में कुल 34 अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे हैं।
  • कुशोक बकुला रिंपोचे विमानपत्तन एयरपोर्ट भारत का सबसे खूबसूरत एयरपोर्ट है। इस एयरपोर्ट से आसपास के बर्फ से ढके सुंदर दृश्य है जो इस एयरपोर्ट को खूबसूरत बना देते हैं।
  • उत्तर प्रदेश में अयोध्या हवाई अड्डे सहित 10 हवाई अड्डे हैं।
  • देश में इस समय कुल 29 अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट हैं। इसमें से सबसे अधिक चार-चार अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट तमिलनाडु और केरल राज्य में हैं।
  • जुआंचो यारूस्किन एयरपोर्ट दुनिया के सबसे छोटे एयरपोर्ट के नाम से जाना जाता है। यहां रनवे काफी छोटा है।
  • उत्तर प्रदेश में कुल 5 अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे हैं, जिसमे लखनऊ हवाई अड्डा, कानपुर हवाई अड्डा, वाराणसी हवाई अड्डा, आगरा हवाई अड्डा और इलाहाबाद हवाई अड्डा शामिल हैं।

जल परिवहन

जल परिवहन

भारत में जल परिवहन का उपयोग प्राचीन काल से हो रहा है। यह परिवहन का सबसे सस्ता एवं पारस्थितिकी-अनुकूल साधन है। भारी एवं वृहत समानों के परिवहन हेतु यह सर्वाधिक उपयुक्त साधन माना जाता  है। जल परिवहन को दो भागों में बांटा गया हैं-

  • आन्तरिक जल परिवहन (अन्तःस्थलीय)।
  • महासागरीय जल परिवहन।

1. अन्तः स्थलीय जल परिवहन  

इसके अन्तर्गत नदियाँ, नहरें, पश्च जल तथा सँकरी खाड़ियाँ आदि आती हैं। वर्तमान में भारत में 14500 किमी लंबा अन्तरिक जलमार्ग नौकायन हेतु उपलब्ध है। देश के कुल परिवहन में इसकी भागीदारी लगभग एक प्रतिशत है। देश में राष्ट्रीय जलमार्गों के विकास, संरक्षण एवं नियमन हेतु 1986 में अन्तःदेशीय जलमार्ग प्राधिकरण (Inland Water ways Authority of India) स्थापित किया गया है। इस प्राधिकरण के द्वारा तीन अन्तः स्थलीय जलमार्गों (आन्तरिक जल परिवहन) को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया गया है –

राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या-1

इलाहाबाद से हल्दिया के बीच तक का यह जलमार्ग गंगा-भागीरथी एवं हुगली नदी तंत्र के अन्तर्गत है। इस जलमार्ग की लम्बाई 1620 किमी है । यह जलमार्ग उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड (साहेबगंज जिला) तथा पश्चिम बंगाल से होकर गुजरता है। यह जलमार्ग भारत के सर्वाधिक महत्वपूर्ण जलमार्गों में से एक है जो यांत्रिक नौका द्वारा पटना तक एवं साधारण नौका द्वारा इलाहाबाद तक नौकायन के योग्य है। इसे तीन भागों में विभाजित किया गया है-   

  • हल्दिया से फरक्का –   560 किमी
  • फरक्का से पटना    –   460 किमी
  • पटना से इलाहाबाद –   600 किमी

फरक्का में गंगा नदी पर 25 मीटर ऊँचा बाँध बनाया गया है। इसके द्वारा गलिया नदी के ऊपरी सिरे के जल को 385 किमी लम्बी सहायक नहर बनाकर भागीरथी नदी में डाला जाता है। यहाँ से जल हुगली नदी में पहुँचता है। इससे हुगली नदी सालों भर जल से भरी रहती है। तथा साथ ही कोलकाता बंदरगाह में जमने वाली मिट्टी बह कर समुद्र में गिर जाती है। 10 मीटर गहराई वाले जहाज कोलकाता बन्दरगाह तक पहुँच सकते हैं।

2010 तक अन्तःस्थलीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) द्वारा हल्दिया (सागर द्वीप) से फरक्का तक नौकायन हेतु जलमार्ग की गहराई 3 मीटर, फरक्का से पटना तक 2 मीटर तथा पटना से इलाहाबाद तक 1.5 मीटर बनाए रखी गई है। 2011 तक फरक्का एवं पटना के बीच गहराई को बढ़ाकर 2.5 मीटर तथा पटना से इलाहाबाद के बीच 2 मीटर करने का लक्ष्य रखा गया था।

राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या – 2

यह जलमार्ग सादिया (असम) से धुबरी (असम) तक ब्रह्मपुत्र नदी में 891 km . की दूरी में विस्तृत है । ब्रह्मपुत्र नदी मुहाने से डिब्रूगढ़ तक स्टीमर चलाने के योग्य है ।

राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या – 3 

राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या-3 की कुल लम्बाई 205 किमी है। इसका विस्तार केरल के पश्चिमी तटीय क्षेत्र में है। इसके अन्तर्गत पश्चिमी तट नहर जो कोट्टापुरम (केरल) से कोल्लम (केरल) तक, उद्योगमंडल नहर कोच्चि (केरल) से पाथलम सेतु (केरल) तक तथा चम्पकारा नहर कोच्चि से अंबलामुगल (केरल) तक को शामिल किया गया है। इस जलमार्ग की घोषणा फरवरी 1993 ई. में की गई। यह भारत का पहला ऐसा राष्ट्रीय जलमार्ग है, जिसके पूरे विस्तार में 24 घंटे नौकायन की सुविधा उपलब्ध है। राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या-3 का ब्यौरा आगे दिया गया है –

  • राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या – 3 की कुल लम्बाई –   205 कि.मी.
    • पश्चिमी तट नहर (कोट्टापुरम से कोल्लम)  -168 किमी
    • उद्योगमंडल नहर (कोच्चि से पाथलम सेतु)  – 23 किमी
    • चम्पाकारा नहर (कोच्चि से अंबलामुगल)     – 14 किमी

राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या – 4

इस जलमार्ग की घोषणा 25 Nov, 2008 को की गई है। राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या-4 के अंतर्गत भद्राचलम से राजमुंद्री के बीच गोदावरी नदी के जलमार्ग को, वजीराबाद से विजयवाड़ा के बीच कृष्णा नदी जलमार्ग को तथा काकीनाडा से पुडुचेरी के बीच नहर-जलमार्ग को शामिल किया गया है। इस जलमार्ग की कुल लम्बाई 1095 किमी है।

काकीनाडा से पुडुचेरी के बीच एक नहर जलमार्ग है। इस नाहर जलमार्ग में उत्तर से दक्षिण की ओर क्रमशः काकीनाडा नहर, इलूरु नहर, कोम्मामुर नहर, उत्तरी बकिंगघम नहर तथा दक्षिणी बकिंगघम नहर शामिल हैं। नहर जलमार्ग के अन्तर्गत सिंचाई नहर एवं खारा जल नहर दोनों शामिल हैं। राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या-4 का ब्यौरा आगे दिया गया है –

  • राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-4 की कुल लम्बाई    –   1095 किमी
    • भद्राचलम से राजमुंद्री (गोदावरी नदी)     –   171 किमी
    • वजीराबाद से विजयवाड़ा (कृष्णा नदी)    –   157 किमी
    • काकीनाडा से पुडुचेरी (नहर)                  –   767 किमी

राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या-5 

इस जलमार्ग की घोषणा भी राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या-4 के साथ ही 25 Nov, 2008 को की गई थी। राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या – 5 के अन्तर्गत तालचेर से धमरा के बीच ब्राह्मणी नदी तंत्र के जलमार्ग को, जियोनखली से चरबतिया के बीच पूर्वी तट नहर जलमार्ग को, चरबतिया से धमरा के बीच मताई नदी जलमार्ग को तथा मंगलगढ़ी से पारादीप के बीच महानदी के डेल्टाई नदियों के जलमार्ग को शामिल किया गया है। इस जलमार्ग की कुल लम्बाई 623 किमी है। राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या-5 का ब्यौरा आगे दिया गया है –

  • राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या-5 की कुल लम्बाई                          –      623 किमी
  • जियोनखली (पश्चिम बंगाल) से चरबतिया (उड़ीसा) [पूर्वी तट नहर]     – 217 किमी
  • चरबतिया (उड़ीसा) से धमरा (उड़ीसा) [मताई नदी]                            – 40 किमी
  • तालचेर (उड़ीसा) से धमरा (उड़ीसा) [ब्राह्मणी, खरसुआ एवं धमरा नदी-तंत्र]   –   265 किमी
  • मंगलगढ़ी (उड़ीसा) से पारादीप (उड़ीसा) [महानदी-डेल्टा नदी-तंत्र]  –  101 किमी

पूर्वी तट नहर (East Coast Canal, ECC) के अन्तर्गत पुराना हिजली ज्वारीय नहर एवं उड़ीसा के तटवर्ती नहर को शामिल किया जाता है ।

2. महासागरीय जल परिवहन

भारत की तट रेखा की लम्बाई 7517 किमी है। परन्तु इसकी तट रेखा बहुत कम कटी-फटी है। इस कारण से इसके तट पर बड़े प्राकृतिक बन्दरगाह बहुत कम विकसित हुए हैं। भारत में 13 बड़े बन्दरगाह तथा 185 छोटे बन्दरगाह हैं। बड़े बन्दरगाहों की देखरेख एवं प्रबंधन का कार्य केन्द्र सरकार करती है। जबकि छोटे बन्दरगाहों की देखरेख का कार्य राज्य सरकार के नियंत्रण में होते हैं।  

अर्थव्यवस्था की दृष्टि से देश के अन्य परिवहन साधनों की तुलना में महासागरीय परिवहन का विशेष महत्व है। भारत में भार की दृष्टि से लगभग 95% तथा मूल्य की दृष्टि से 70% विदेशी व्यापार महासागरीय मार्गों द्वारा होते हैं। इन मार्गों का उपयोग देश की मुख्य भूमि तथा द्वीपों के बीच परिवहन के लिए भी होता है।

भारत के 13 बड़े बन्दरगाह

भारत के बंदरगाहों को दो भागों में वर्गीकृत किया गया है – पश्चिमी तट के बन्दरगाह और पूर्वी तट के बन्दरगाह। भारत के 13 प्रमुख बंदरगाह की संक्षिप्त जानकारी नीचे दी गयी है –

 कांडला बन्दरगाह (पंडित दीन दयाल उपाध्याय बन्दरगाह) | पश्चिमी तट

इस बन्दरगाह का निर्माण 1930 ई. में गुजरात के कच्छ जिले के अंतर्गत आने वाली कच्छ की खाड़ी में किया गया था। शुरुआत में यहाँ सिर्फ साधारण आकार के जहाज ठहर सकते थे। भारत के विभाजन के बाद जब कराची बन्दरगाह पाकिस्तान में चला गया। उस समय उत्तरी गुजरात, राजस्थान, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली एवं जम्मू-कश्मीर राज्यों के सामानों के आयात-निर्यात हेतु कांडला बंदरगाह को विकसित किया गया।

कांडला बंदरगाह का पताश्रय प्राकृतिक एवं सुरक्षित है। कांडला बंदरगाह को मुक्त व्यापार क्षेत्र बनाया गया है। यहाँ आयात-शुल्क एवं चुंगी नहीं देना होता है। पेट्रोलियम उत्पादों के आयात हेतु यह बंदरगाह प्रसिद्ध है। यहाँ से पाइप लाइन द्वारा पेट्रोलियम को देश के आंतरिक मार्गों तक ले जाने की व्यवस्था की गई है। परन्तु इस बंदरगाह की एक समस्या है कि यह भूकंप प्रभावित क्षेत्र (जोन-V) में आता है।

मुम्बई बन्दरगाह | पश्चिमी तट

मुम्बई बंदरगाह सालसट द्वीप के प्राकृतिक कटान में स्थित है। इसका पोताश्रय प्राकृतिक एवं सुरक्षित है। मुंबई बंदरगाह पर चक्रवात एवं तूफान के समय भी जहाज सुरक्षित खड़े रह सकते हैं। मुम्बई बंदरगाह में जल की गहराई 11 मीटर है। स्वेज नहर की गहराई भी इतनी ही है। अतः स्वेज नहर से आने वाले सभी जहाज यहाँ ठहर सकते  है। पेट्रोलियम, खाद्यान्न, सूती एवं ऊनी वस्त्र तथा चमड़ा एवं यात्री परिवहन की दृष्टि से यह बंदरगाह काफी महत्वपूर्ण है। यहाँ मुक्त व्यापार क्षेत्र स्थापित किया गया है।

न्हावा शेवा बन्दरगाह या जवाहरलाल नेहरू बन्दरगाह ( JLNP ) | पश्चिमी तट

नवी मुम्बई में पनवेल के पास इस बंदरगाह का विकास मुम्बई बंदरगाह के भार को कम करने के उद्देश्य से किया गया है। यह देश का आधुनिकतम बंदरगाह है।

मर्मुगाव / मार्मागाओ/ मर्मागुआ बन्दरगाह | पश्चिमी तट

मर्मागुआ बंदरगाह गोवा में जुआरी नदी के बाँये तट पर स्थित है। यह एक प्राकृतिक बंदरगाह है। इस बंदरगाह से लौह अयस्क का बहुतायत में निर्यात किया जाता है। ज्ञातव्य है कि गोवा लौह अयस्क की दृष्टि से धनी राज्य है। यहाँ से काजू, मछलिया, मसाले, चावल आदि का भी निर्यात किया जाता है।

खनिज-तेल, उर्वरक, सीमेंट, खाद्य-पदार्थ, काँच के सामान आदि का आयात किया जाता है। यहाँ से आयात की तुलना में निर्यात अधिक किया जाता है। 

न्यू मंगलौर बन्दरगाह | पश्चिमी तट

मंगलौर से 9 किमी उत्तर में इस बंदरगाह को विकसित किया गया है। यहाँ से कुद्रेमुख के लौह अयस्क को निर्यात करने की सुविधा है। मछलियाँ, उर्वरक, काजू, वनोत्पाद, कहवा यहाँ से निर्यात की जाने वाली प्रमुख वस्तुएँ हैं। यह रेल लाइन एवं NH – 17 द्वारा मुम्बई एवं कोच्चि से जुड़ा है।

कोच्चि बन्दरगाह | पश्चिमी तट

कोच्चि बंदरगाह केरल के तट पर विलिंगटन द्वीप पर स्थित यह एक प्राकृतिक बंदरगाह है। यह समुद्र के समानान्तर विशाल लैगून के मुहाने पर स्थित है। कोच्चि बंदरगाह से मुख्यतः नारियल-उत्पाद, काजू, चाय, रबर, मछली, मसाले निर्यात किए जाते हैं। तथा खनिज तेल, उर्वरक  कोयला, खाद्य तेल का आयात किया जाता है।  

नयी तूतीकोरिन बन्दरगाह | पूर्वी तट

नयी तूतीकोरिन बंदरगाह तमिलनाडु तट के सहारे मन्नार की खाड़ी में स्थित है। यह एक खुला बंदरगाह है जो हेयर द्वीप के पूर्वी किनारे से 9 किमी दूर है। बाद में इसके पोताश्रय को गहरा कर उसे कृत्रिम रूप से विकसित किया गया है। यहाँ से चाय, कपास, चमड़ा, सूती वस्त्र, प्याज आदि वस्तुओं का निर्यात एवं खनिज तेल, कोयला, नमक, उर्वरक खाद्य-तेल का आयात किया जाता है।

चेन्नई बन्दरगाह | पूर्वी तट

चेन्नई बंदरगाह पूर्वी तट पर स्थित भारत का प्रमुख तथा कृत्रिम बंदरगाह है। खुले समुद्र में इसकी अवस्थिति होने से जहाज को लहरों से हानि होती है। इससे बचने के लिए तट से 3 किमी दूर 914 मीटर लंबी दीवार बनाई गई है। मुंबई के पश्चात यह भारत का दूसरा सर्वाधिक व्यापार करने वाला बंदरगाह है।

चेन्नई बंदरगाह बंदरगाह से लौह अयस्क, खाद्यान्न, चमड़ा, चीनी, तम्बाकू, नारियल-उत्पाद आदि पदार्थों का निर्यात किया जाता है। तथा यहाँ से पेट्रोलियम, रासायनिक पदार्थ, कोयला, खाद्य तेल, कपास आदि आयात की जाने वाली प्रमुख वस्तुएं हैं।

एनोर बन्दरगाह | पूर्वी तट

एनोर बन्दरगाह तमिलनाडु के तट पर चेन्नई के उत्तर में स्थित है। एनोर बंदरगाह को चेन्नई के भार को कम करने के लिए विकसित किया गया है। कोयले के व्यापार की दृष्टि से इस बंदरगाह का विशेष महत्व है। तमिलनाडु सरकार अपने लिए आंतरिक एवं आयातित कोयला इस बन्दरगाह से प्राप्त करती है।

विशाखापत्तनम बन्दरगाह | पूर्वी तट

विशाखापत्तनम बंदरगाह आंध्र प्रदेश में स्थित देश का एक गहरा एवं अच्छा प्राकृतिक बंदरगाह है। पोताश्रय के मुख पर “डॉलफिन नोज” नामक पहाड़ी के समुद्र में निकले होने के कारण यह तूफानों से स्वतः सुरक्षित है। इस बंदरगाह से आयात किये जाने वाली वस्तुओं की तुलना में अधिक वस्तुओं का निर्यात किया जाता है। अर्थात आयात से ज्यादा निर्यात के लिए इस बंदरगाह का प्रयोग होता है।

बैलाडीला क्षेत्र के लौह अयस्क का निर्यात इसी बंदरगाह से किया जाता है। मैंगनीज, चमड़े का सामान, खाद्यान्न, कोयला आदि सामानों का भी निर्यात होता है। जबकि आयातित वस्तुओं में खनिज तेल, उर्वरक, रसायन, मशीनरी, कोक आदि प्रमुख हैं।

पारादीप बन्दरगाह | पूर्वी तट

पारादीप बंदरगाह उड़ीसा के तट पर स्थित एक कृत्रिम बंदरगाह है। यहाँ यांत्रिक तरीके से लौह अयस्क एवं कोयला लादने-उतारने की सुविधा है। लौह अयस्क, मैंगनीज, बॉक्साइट, अभ्रक, ग्रेफाइट, कोयला आदि बस्तुओं का यहाँ से निर्यात किया जाता है। तथा इंजीनियरिंग सामान, उर्वरक, मशीन आदि वस्तुओं का आयात किया जाता है।  

हल्दिया बन्दरगाह | पूर्वी तट

पश्चिम बंगाल में हुगली नदी के मुहाने पर हल्दिया बंदरगाह का विकास किया गया है। हल्दिया बन्दरगाह कोलकाता बंदरगाह के भार को कम करता है तथा उन बड़े-बड़े जहाजों का आश्रय-स्थल है जो कोलकाता तक नहीं पहुँच पाते हैं। पेट्रोलियम पदार्थ के व्यापार हेतु इस बंदरगाह का विशेष महत्त्व है।

कोलकाता बन्दरगाह | पूर्वी तट

कोलकाता बन्दरगाह पश्चिम बंगाल में हुगली नदी के बाएँ तट पर अवस्थित एक नदी-पत्तन है। हुगली नदी में गाद जमने की समस्या के कारण कोलकाता तक भारी जलयान नहीं जा पाता। इसके लिए कोलकाता से 64 किमी दूर खुली खाड़ी में डायमंड हार्बर का निर्माण किया गया है। उच्च ज्वार के समय बड़े जहाज कोलकाता के मुख्य पोताश्रय खिदिरपुर तक जाते हैं।

कोलकाता बंदरगाह से जूट निर्मित सामान, कोयला, चमड़े का सामान, कागज, चाय, लोहा-इस्पात, चीनी, अभ्रक आदि का निर्यात किया जाता है। जबकि खनिज तेल, उर्वरक, रसायन, खाद्य तेल, इंजीनियरिंग के सामान, कपास, आदि प्रमुख वस्तुओं का आयात किया जाता हैं।

भारत में परिवहन का महत्व

भारत के विकास और कनेक्टिविटी के लिए परिवहन का अत्यधिक महत्व है। भारत में परिवहन के महत्व को निम्नलिखित प्रमुख बिन्दुओं में संक्षेप में दिया गया है –

  • आर्थिक विकास: एक कुशल परिवहन प्रणाली व्यापार, उद्योग और आर्थिक विकास का समर्थन करते हुए वस्तुओं, सेवाओं और लोगों की आवाजाही को सुविधाजनक बनाती है।
  • पहुंच और कनेक्टिविटी: एक अच्छी तरह से विकसित परिवहन नेटवर्क दूरदराज के क्षेत्रों को जोड़ता है, आवश्यक सेवाओं तक पहुंच की सुविधा देता है, पर्यटन को बढ़ावा देता है और सामाजिक एकीकरण को बढ़ावा देता है।
  • रोजगार सृजन: परिवहन क्षेत्र कई प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा करता है, रोजगार सृजन और आजीविका में योगदान देता है।
  • व्यापार और वाणिज्य: एक मजबूत परिवहन बुनियादी ढांचा माल की सुचारू आवाजाही, व्यापार को प्रोत्साहित करने और घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्य को बढ़ावा देने में सक्षम बनाता है।
  • क्षेत्रीय विकास: परिवहन बुनियादी ढांचे के विकास के माध्यम से बेहतर कनेक्टिविटी क्षेत्रीय असमानताओं को पाटने में मदद करती है, जिससे संतुलित क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा मिलता है।

भारतीय परिवहन का संक्षिप्त विवरण

भारतीय परिवहन का संक्षिप्त विवरण नीचे दी गयी सारणी के माध्यम से आसानी से समझा जा सकता है –

परिवहन के साधनविवरण
रोडवेजव्यापक सड़क नेटवर्क, जिसमें राष्ट्रीय राजमार्ग, राज्य राजमार्ग और ग्रामीण सड़कें शामिल हैं।
रेलवेविश्व स्तर पर सबसे बड़े रेलवे नेटवर्क में से एक, जो यात्री और माल ढुलाई दोनों सेवाएं प्रदान करता है।
एयरवेजदेश भर के हवाई अड्डों द्वारा घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय हवाई यात्रा की सुविधा प्रदान की गई।
जलमार्गअंतर्देशीय और तटीय जलमार्गों का उपयोग माल और यात्रियों के परिवहन के लिए किया जाता है।
पाइपलाइनोंपेट्रोलियम उत्पादों, प्राकृतिक गैस और अन्य पदार्थों के परिवहन के लिए पाइपलाइन।

भारत में परिवहन पर आधारित महत्वपूर्ण तथ्य

भारत में परिवहन पर आधारित महत्वपूर्ण तथ्य नीचे दिए गए हैं –

  • भारत में एक विशाल और विविध परिवहन प्रणाली है जिसमें सड़क मार्ग, रेलवे, वायुमार्ग, जलमार्ग और पाइपलाइन शामिल हैं।
  • राष्ट्रीय राजमार्ग और राज्य राजमार्ग प्रमुख शहरों, कस्बों और ग्रामीण क्षेत्रों को जोड़ने वाले सड़क परिवहन नेटवर्क की रीढ़ हैं।
  • भारत का सड़क नेटवर्क दुनिया के सबसे बड़े सड़क नेटवर्क में से एक है। यह लाखों किलोमीटर तक फैला है और दूरदराज के इलाकों को भी जोड़ता है।
  • राष्ट्रीय राजमार्ग की सर्वाधिक लम्बाई उत्तर प्रदेश में है।
  • राष्ट्रीय राजमार्ग की सबसे कम लम्बाई गोवा में है।
  • राष्ट्रीय राजमार्ग की लम्बाई का क्रम – 1. उत्तर प्रदेश, 2. राजस्थान, 3. महाराष्ट्र, 4. कर्नाटक।
  • सड़क की कुल लम्बाई के मामले में सबसे पहला स्थान अमेरिका, दूसरा स्थान भारत और तीसरा स्थान चीन का है।
  • भारत का सबसे लम्बा राष्ट्रीय राजमार्ग NH 44 है, जिसकी लम्बाई 3745 किमी है।
  • NH 44 को दक्षिण गलियारा भी कहते हैं। यह कश्मीर के श्रीनगर से कन्याकुमारी तक है।
  • NH 44 के पहले NH 7 भारत का सबसे लम्बा राजमार्ग था।
  • भारत का सबसे छोटा राष्ट्रीय राजमार्ग NH 47A है। यह केरल में वेलिंगटन द्वीप पर है। इसका नया नाम NH 966B है। इसकी लम्बाई 5 मील (8 किमी) है।
  • भारत में सड़क सघनता केरल में सर्वाधिक तथा जम्मू काश्मीर में सबसे कम है।
  • पेट्रोलियम उत्पादों, प्राकृतिक गैस और अन्य तरल या गैसीय पदार्थों के परिवहन में पाइपलाइन महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
  • भारतीय रेलवे विश्व स्तर पर सबसे बड़े रेलवे नेटवर्क में से एक है। भारतीय रेलवे यात्री और माल परिवहन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • भारतीय रेलवे दुनिया की चौथी सबसे बड़ी रेलवे सेवा है।
  • 12.27 लाख कर्मचारियों के साथ, भारतीय रेलवे दुनिया की आठवीं सबसे बड़ी व्यावसायिक इकाई है।
  • भारत में विमानन क्षेत्र में तेजी से विकास हुआ है। कई घरेलू और अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों ने देश भर में हवाई यात्रा की सुविधा प्रदान की है।
  • नदियों, नहरों और तटीय क्षेत्रों सहित जलमार्गों का उपयोग अंतर्देशीय और तटीय नेविगेशन, व्यापार और परिवहन का समर्थन करने के लिए किया जाता है।
  • पाइपलाइनों का उपयोग पेट्रोलियम उत्पादों, प्राकृतिक गैस और अन्य तरल या गैसीय पदार्थों के परिवहन के लिए किया जाता है।

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