शाहू जी के शासन के तहत बालाजी विश्वनाथ को 1713 में मराठा साम्राज्य के शासक (पेशवा) के रूप में नियुक्त किया गया था। शाहू जी के शासनकाल में कुशल और बहादुर योद्धा राघोजी भोसले के नेतृत्व में पूर्व में साम्राज्य का विस्तार हुआ। समय के साथ शाहू जी अपने प्रधानमंत्री पेशवा बालाजी विश्वनाथ के हाथों की कठपुतली बन गया, जिसने साम्राज्य की बेहतरी के लिए बड़े फैसले लिए।
मराठा साम्राज्य भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण युग रहा है, जिसने मुगलों के पतन के बाद एक शक्तिशाली शक्ति के रूप में उभरकर भारतीय उपमहाद्वीप पर अपना वर्चस्व स्थापित किया। इस साम्राज्य की नींव छत्रपति शिवाजी महाराज ने रखी थी, लेकिन इसका वास्तविक विस्तार और शिखर पेशवा शासन के दौरान हुआ। शाहू जी के शासनकाल में पेशवा प्रणाली की स्थापना हुई और इस प्रणाली ने मराठा साम्राज्य को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
छत्रपति शाहू जी और पेशवा बालाजी विश्वनाथ
छत्रपति शाहू जी ने 1713 में बालाजी विश्वनाथ को मराठा साम्राज्य का पेशवा नियुक्त किया। बालाजी विश्वनाथ एक कुशल प्रशासक और रणनीतिकार थे, जिन्होंने मराठा साम्राज्य को एक संगठित प्रशासनिक व्यवस्था दी। उन्होंने न केवल मराठा शक्ति को मजबूत किया, बल्कि मुगलों के खिलाफ भी सैन्य और राजनीतिक रणनीतियों का सफल संचालन किया।
मराठा नौसेना का विस्तार | कान्होजी आंग्रे की भूमिका
बालाजी विश्वनाथ ने वर्ष 1714 में कान्होजी आंग्रे के साथ मिलकर जल में मराठा सेना की ताकत बड़ाई। कान्होजी आंग्रे मराठा साम्राज्य की नौसेना के सर्वप्रथम सिपहसालार थे। उन्हें सरख़ेल आंग्रे भी कहा जाता है।
बालाजी विश्वनाथ ने मराठा नौसेना को मजबूत करने के लिए कान्होजी आंग्रे के साथ मिलकर जल सेना का विस्तार किया। कान्होजी आंग्रे मराठा नौसेना के प्रथम सिपहसालार थे, जिन्हें ‘सरख़ेल आंग्रे’ भी कहा जाता था। उन्होंने पुर्तगाली, ब्रिटिश और डच नौसैनिक गतिविधियों के खिलाफ लड़ाई लड़ी और हिन्द महासागर में मराठा साम्राज्य की शक्ति को स्थापित किया। 1719 में दिल्ली पर मराठों के सफल मार्च के पीछे भी कान्होजी आंग्रे की नौसेना शक्ति का महत्वपूर्ण योगदान था।

बाजीराव प्रथम | मराठा साम्राज्य के स्वर्ण युग की शुरुआत
1719 में बालाजी विश्वनाथ के निधन के बाद उनके पुत्र बाजीराव प्रथम को मराठा साम्राज्य का पेशवा बनाया गया। बाजीराव प्रथम ने 1720 से 1740 तक शासन किया और अपने कुशल नेतृत्व में मराठा साम्राज्य को लगभग आधे भारतवर्ष तक फैला दिया। बाजीराव प्रथम ने 40 से अधिक युद्ध लड़े और सभी में विजय प्राप्त की। उनकी प्रमुख विजय में पालखेड़ की लड़ाई (1728), दिल्ली की लड़ाई (1737) और भोपाल की लड़ाई (1737) शामिल थीं।
बाजीराव प्रथम के शासनकाल में मराठा साम्राज्य ने अपने सबसे ताकतवर दौर में प्रवेश किया। उनकी सैन्य रणनीति और तीव्र युद्धनीति के कारण उन्हें भारतीय इतिहास के सबसे महान सेनानायकों में गिना जाता है। उन्होंने उत्तरी भारत में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और मुगलों की कमजोर होती स्थिति का लाभ उठाकर दिल्ली तक पहुंच गए। उनके शासनकाल में मराठों की शक्ति अभूतपूर्व ऊंचाई पर पहुंची।
बालाजी बाजीराव | मराठा साम्राज्य का चरमोत्कर्ष
बाजीराव प्रथम की मृत्यु के बाद 1740 में उनके पुत्र बालाजी बाजीराव (नाना साहेब) को पेशवा नियुक्त किया गया। उनके शासनकाल में मराठा साम्राज्य अपने चरम पर पहुंच गया। बालाजी बाजीराव के शासनकाल में प्रमुख रूप से राघोजी भोंसले का योगदान रहा, जिन्होंने नागपुर जिले को नियंत्रित किया और बंगाल तथा ओडिशा पर विजय प्राप्त की। 1751 में बंगाल के नवाब अलीवर्दी खान ने मराठों को 1.2 मिलियन रुपये वार्षिक कर देने की स्वीकृति दी, जिससे मराठा साम्राज्य की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हुई। 8 मई 1758 को पेशावर पर मराठों का कब्जा हो गया, जिससे उत्तर भारत में उनकी शक्ति और बढ़ गई।
बालाजी बाजीराव के शासनकाल में मराठा साम्राज्य की शक्ति अपने चरम पर थी, लेकिन साथ ही चुनौतियाँ भी बढ़ रही थीं। अफगान आक्रमणकारी अहमद शाह अब्दाली से संघर्ष ने मराठों की शक्ति की वास्तविक परीक्षा ली। 1761 में पानीपत की तीसरी लड़ाई में मराठा सेना को भारी क्षति उठानी पड़ी, जिससे उनकी सत्ता में गिरावट आने लगी।
मराठा साम्राज्य के शासक | छत्रपति व पेशवा
मराठा साम्राज्य भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय है, जिसकी स्थापना छत्रपति शिवाजी महाराज ने की थी। उनके बाद, मराठा शासकों और पेशवाओं ने इस साम्राज्य का विस्तार और संचालन किया। छत्रपति शिवाजी, संभाजी, शाहू महाराज से लेकर पेशवा बालाजी विश्वनाथ, बाजीराव प्रथम और माधवराव तक, सभी ने मराठा शक्ति को संगठित और सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पेशवा प्रशासन ने मराठाओं को भारतीय उपमहाद्वीप की सबसे प्रभावशाली शक्ति बना दिया। लेकिन अंग्रेजों के साथ हुए संघर्षों और पानीपत की तीसरी लड़ाई जैसी घटनाओं के कारण मराठा शक्ति धीरे-धीरे कमजोर होती गई। आगे मराठा इतिहास के अंतर्गत छत्रपतियों और पेशवाओं के शासनकाल, उनकी उपलब्धियों और उनके योगदान का विस्तृत वर्णन शामिल है।
मराठा छत्रपति और उनका शासनकाल
क्रम | छत्रपति | शासनकाल |
---|---|---|
1 | छत्रपति शिवाजी महाराज | 1674-1680 |
2 | संभाजी महाराज | 1681-1689 |
3 | राजाराम महाराज | 1689-1700 |
4 | महारानी ताराबाई (संरक्षिका) | 1700-1707 |
5 | शाहू महाराज | 1707-1749 |
6 | रामराजा (छत्रपति रामराजे) | 1749-1777 |
7 | शाहीरंग जी भोसले | 1777-1808 |
8 | प्रताप सिंह भोसले | 1808-1839 |
9 | शाहू जी महाराज (द्वितीय) | 1839-1848 |
पेशवाओं का शासनकाल
क्रम | पेशवा | शासनकाल |
---|---|---|
1 | बालाजी विश्वनाथ पेशवा | 1714-1720 |
2 | बाजीराव प्रथम | 1720-1740 |
3 | बालाजी बाजीराव (नाना साहेब) | 1740-1761 |
4 | माधवराव प्रथम | 1761-1772 |
5 | नारायणराव पेशवा | 1772-1774 |
6 | रघुनाथराव (अल्पकाल) | 1774-1775 |
7 | सवाई माधवराव | 1774-1796 |
8 | बाजीराव द्वितीय | 1796-1818 |
9 | नाना साहेब द्वितीय | 1818 के बाद (सिंहासन पर नहीं बैठ पाए) |
मराठा छत्रपति और उनका शासनकाल | संक्षिप्त विवरण
1. छत्रपति शिवाजी महाराज (1674-1680)
छत्रपति शिवाजी महाराज ने मराठा साम्राज्य की स्थापना की। उन्होंने मुगलों, आदिलशाही, और कुतुबशाही के खिलाफ कई युद्ध लड़े और एक शक्तिशाली मराठा साम्राज्य की नींव रखी। साम्राज्य की स्थापना के अलावा शिवाजी मराठा शक्ति को एक प्रमुख शक्ति में बदलने के लिए जिम्मेदार थे। शिवाजी महान योद्धा राजा के रूप में आज भी भारत के लोगों के एक विशाल संप्रदाय में पूजे जाते हैं।
2. संभाजी महाराज (1681-1689)
संभाजी महाराज, शिवाजी के ज्येष्ठ पुत्र थे। शिवाजी के निधन के बाद उनके ज्येष्ठ पुत्र संभाजी सिंहासन पर बैठे। पिता की तरह उन्होंने क्षेत्र का विस्तार जारी रखा. हालाँकि संभाजी अपने पिता की तुलना में उतने प्रभावी शासक के रूप में सामने नहीं आ पाए। उन्होंने औरंगजेब से बहादुरी से संघर्ष किया लेकिन अंततः पकड़े गए और उनकी हत्या कर दी गई।
3. राजाराम महाराज (1689-1700)
राजाराम ने कठिन परिस्थितियों में मराठा संघर्ष को जारी रखा और मुगलों के विरुद्ध गुरिल्ला युद्ध की रणनीति अपनाई।
4. महारानी ताराबाई भोसले (1700-1707)
ताराबाई ने 1700 से 1708 तक साम्राज्य के शासक के रूप में कार्य किया। उन्हें अपने पति छत्रपति राजाराम भोसले के निधन के बाद मुगलों को खिलाफ खड़े होने का श्रेय दिया जाता हैं। ताराबाई ने अपने चार वर्षीय पुत्र शिवाजी द्वितीय को छत्रपति नियुक्त कर उनकी ओर से शासन किया और मराठाओं को मुगलों से बचाने के लिए संघर्ष किया।
5. शाहू महाराज (1707-1749)
शाहू शासनकाल में मराठा साम्राज्य ने एक महान विस्तार देखा। वह मराठा साम्राज्य के भीतर पेशवाओं के शासन को शुरू करने के लिए भी जिम्मेदार थे। शाहू महाराज ने पेशवा प्रणाली की शुरुआत की और प्रशासन को पेशवाओं के हाथों में सौंप दिया।
6. रामराजा (छत्रपति रामराजे) (1749-1777)
रामराजा के शासनकाल में मराठा साम्राज्य अपने चरम पर पहुंचा। पेशवाओं ने साम्राज्य की बागडोर संभाली।
7. शाहीरंग जी भोसले (1777-1808)
इनके शासनकाल में अंग्रेजों के साथ संघर्ष हुआ और मराठा शक्ति कमजोर होने लगी।
8. प्रताप सिंह भोसले (1808-1839)
इन्होंने अंग्रेजों के साथ समझौते किए, लेकिन मराठा साम्राज्य की स्वतंत्रता खत्म हो गई।
9. शाहू जी महाराज (द्वितीय) (1839-1848)
यह मराठा साम्राज्य के अंतिम छत्रपति थे। अंग्रेजों के साथ संघर्ष के बाद मराठा साम्राज्य का पतन हुआ।
पेशवाओं का संक्षिप्त विवरण
1. बालाजी विश्वनाथ पेशवा (1714-1720)
बालाजी विश्वनाथ ने पेशवा पद को मराठा प्रशासन का मुख्य केंद्र बना दिया और मुगलों से संधि करवाई। इन्होने 18 वीं शताब्दी के दौरान साम्राज्य पर नियंत्रण हासिल किया। पेशवा के रूप में बालाजी विश्वनाथ द्वारा अपने शासनकाल के दौरान मराठा साम्राज्य का उत्तर की ओर विस्तार किया गया था।
2. बाजीराव प्रथम (1720-1740)
बाजीराव प्रथम एक महान योद्धा और रणनीतिकार थे। उन्होंने मराठा साम्राज्य का बड़ा विस्तार किया और मुगलों को कमजोर किया। बाजीराव ने मराठा साम्राज्य का विस्तार अपने पिता के बाद जारी रखा। बाजीराव प्रथम के शासनकाल के दौरान मराठा साम्राज्य शिखर पर पहुंच गया। उनका शानदार सैन्य अभ्यास था जिसके कारण वह दो दशक की लड़ाइयों में अपराजित रहे।
3. बालाजी बाजीराव (नाना साहेब) (1740-1761)
इनके शासनकाल में पानीपत की तीसरी लड़ाई हुई, जिसमें मराठों को अहमद शाह अब्दाली के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा। बालाजी बाजीराव को नाना साहेब के नाम से भी जाना जाता है, बालाजी बाजीराव साम्राज्य के सबसे महत्वपूर्ण पेशवा में से एक थे क्योंकि वास्तविक राजा उनके कार्यकाल के दौरान मात्र एक व्यक्ति पद के अलावा कुछ नहीं थे।
4. माधवराव प्रथम (1761-1772)
इन्होंने पानीपत की लड़ाई के बाद मराठा साम्राज्य को पुनर्जीवित किया और उसे फिर से शक्तिशाली बनाया। माधव राव प्रथम साम्राज्य का चौथे पेशवा थे। माधवराव प्रथम को एक महत्वपूर्ण समय (जब मराठों ने पानीपत की तीसरी लड़ाई खो दी थी) में मराठा पेशवा बनाया गया। इसलिए माधव राव प्रथम, साम्राज्य के पुनर्निर्माण के लिए काफी हद तक जिम्मेदार थे। इसके पहले कि इसे अंग्रेजों इसे खत्म नहीं कर दिया।
5. नारायणराव पेशवा (1772-1774)
इन्हें उनके ही रिश्तेदारों द्वारा षड्यंत्र रचकर मार दिया गया।
6. रघुनाथराव (अल्पकाल, 1774-1775)
रघुनाथराव को पेशवा नहीं माना गया, क्योंकि मराठा सरदारों ने उन्हें स्वीकार नहीं किया।
7. सवाई माधवराव (1774-1796)
इनके शासनकाल में अंग्रेजों के साथ संघर्ष बढ़ा। मराठा शक्ति धीरे-धीरे कमजोर होने लगी।
8. बाजीराव द्वितीय (1796-1818)
इनके शासनकाल में मराठों की पराजय हुई और अंग्रेजों ने पेशवा सत्ता को खत्म कर दिया।
9. नाना साहेब द्वितीय (1818 के बाद, सिंहासन पर नहीं बैठ पाए)
मराठा सत्ता पूरी तरह समाप्त होने के बाद, इन्हें कोई अधिकार नहीं मिला।
मराठा साम्राज्य का इतिहास साहस, वीरता और प्रशासनिक कुशलता से परिपूर्ण है। शिवाजी महाराज से लेकर माधवराव प्रथम तक, इस साम्राज्य ने कई उतार-चढ़ाव देखे। पेशवा शासन ने इस साम्राज्य को एक संगठित और शक्तिशाली रूप दिया, जिससे यह 18वीं शताब्दी के दौरान भारत की सबसे प्रभावशाली शक्ति बन गया। हालांकि पानीपत की तीसरी लड़ाई (1761) के बाद मराठा शक्ति को गंभीर झटका लगा, फिर भी मराठा साम्राज्य ने अपनी प्रतिष्ठा बनाए रखी और ब्रिटिश शासन के आगमन तक भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मराठा साम्राज्य की सफलता का प्रमुख कारण उनकी सैन्य रणनीति, कुशल प्रशासन और नेतृत्व की गुणवत्ता थी, जिसने उन्हें भारत के सबसे प्रभावशाली राजवंशों में स्थान दिलाया।
इन्हें भी देखें –
- छत्रपति शिवाजी महाराज | 1674 – 1680 ई.
- हिन्द यवन आक्रमण | Indo-Greek Invasion |180 BC – 10 AD
- बाबर | 1483 ई. – 1530 ई.
- चन्द्रगुप्त द्वितीय | 380 ईस्वी – 415 ईस्वी
- बीरबल (1528 ई.-1586 ई.)
- History of Goa गोवा का इतिहास
- भारत के द्वीप समूह | Islands of India
- भारत और उसके पड़ोसी राज्य | India and Its Neighboring Countries
- भारत का भौतिक विभाजन | Physical divisions of India
- भारत का भौगोलिक परिचय | Geographical Introduction of India
- वाच्य किसे कहते है?
- संज्ञा (Noun) किसे कहते हैं? परिभाषा, भेद एवं 50+ उदाहरण
- हिंदी गद्य साहित्य का उद्भव और विकास
- छायावादी युग के कवि और उनकी रचनाएँ