उत्तर की महान पर्वत श्रृंखला | The Great Mountains of North

पश्चिम में भारत-म्यांमार से लेकर पामीर पठार तक लम्बी और महान पर्वत श्रृंखला है। यह शृंखला लगभग 3600 किमी तक निर्बाध रूप से खिंचकर एक चाप बनाती है। इस पर्वत श्रृंखला की सीमा 150 से 400 किमी के बीच है। इन्ही पर्वत श्रृंखला से निकल कर कश्मीर में सिंधु नदी बहती है। पामीर पठार के बीच के पहाड़ काराकोरम आते हैं। 

दुनिया के बड़े-बड़े पर्वतीय ग्लेशियर, सियाचिन और बाल्टोरो, काराकोरम पर्वत श्रृंखला, पामीर पठार आदि इस पर्वत श्रंखला के अंतर्गत आते हैं। दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी पर्वत चोटी K2 गॉडविन ऑस्टिन, जो काराकोरम रेंज के अंतर्गत आती है, वह भी इसी पर्वत श्रृंखला के अंतर्गत आती है। उत्तर की महान पर्वत शृंखला को तीन प्रमुख उपभागों में बांटा गया है:-

  1. ट्रांस हिमालय पर्वत श्रेणी
  2. हिमालय पर्वत श्रेणी
  3. पूर्वोत्तर की पहाड़ियाँ/ पूर्वांचल रेंज

Table of Contents

(I) ट्रांस हिमालय पर्वत श्रेणी

ट्रांस हिमालय को पार हिमालय भी कहा जाता है। ट्रांस हिमालय के सबसे उत्तर में स्थित पर्वत श्रेणी को काराकोरम पर्वत श्रेणी कहा जाता है।हिमालय का उत्थान (निर्माण) टेथिस सागर में इकठ्ठा हुए अवसादी मलबों से हुआ है, परन्तु ट्रांस हिमालय का निर्माण टेथिस सागर में अवसादी मलबों से नहीं हुआ है, बल्कि इसका निर्माण यूरेशियन प्लेट से हुआ है। ट्रांस हिमालय का निर्माण, हिमालय पर्वत के निर्माण से पहले होने के कारण यह हिमालय से भी प्राचीन पर्वत श्रेणी है।

अधिक ऊँचाई होने के कारण ट्रांस हिमालय पूरे साल हिमाच्छादित रहता है, अर्थात बर्फ से ढका रहता है। इसी कारण से यहाँ वनस्पतियां नहीं पायी जाती हैं। ट्रांस हिमालय के अन्तर्गत सबसे उत्तरी श्रेणी काराकोरम पर्वत श्रेणी है। काराकोरम पर्वत श्रेणी ट्रांस हिमालय के साथ साथ भारत की भी सबसे उत्तरी पर्वत श्रेणी है।

ट्रांस हिमालय पर्वत की उप-श्रेणियाँ

  1. काराकोरम श्रेणी (Karakoram Range)
  2. लद्दाख श्रेणी (Laddakh Range)
  3. जास्कर श्रेणी (Zaskar Range)

1. काराकोरम पर्वत श्रृंखला (Karakoram Range)

काराकोरम पर्वत श्रृंखला (Karakoram Range)

ट्रांस हिमालय की सबसे प्रमुख उप-श्रेणियों में से एक काराकोरम रेंज है, जो पाकिस्तान और भारत के सबसे उत्तरी भाग में स्थित है। विश्व की ज्यादातर ऊँची चोटियाँ काराकोरम रेंज में ही पाई जाती हैं। इसमें K-2, (गाडविन आस्टिन) दुनिया का दूसरा सबसे ऊंचा पर्वत भी शामिल है। जिसकी ऊंचाई 8611 मीटर है। यह रेंज अपने ग्लेशियरों के लिए भी प्रसिद्द है।

  • यह भारत के सबसे उत्तर में स्थित पर्वतमाला है, “स्वेन हैन्डेन” ने इसे “उच्च एशिया की रीढ़” बताया है।
  • काराकोरम श्रेणी के विस्तार स्वरूप को ही तिब्बत में कैलाश पर्वत के नाम से जाना जाता हैं।
  • भारत की सबसे ऊँची चोटी (8611 मीटर) गाडविन आस्टिन (K-2) इस पर्वत श्रेणी में स्थित है।
  • K-2 वर्तमान POK क्षेत्र में स्थित है, पाकिस्तान द्वारा इसका नया नाम चागोरी (शाहगोरी) रखा गया है।
  • काराकोरम श्रेणी की नुब्रा घाटी में भारत का सबसे ऊँचा सियाचिन ग्लेशियर स्थित है, जो विश्व का सबसे ऊँचा युद्ध स्थल है।
  • वर्ष 1984 में आपरेशन मेघदूत के तहत भारत ने सियाचिन को पाकिस्तान से वापस लिया था।
  • काराकोरम श्रेणी में भारत के 4 प्रमुख हिमनद / ग्लेशियर स्थित हैं –
क्रमांकग्लेशियर/ हिमनदऊंचाईघाटी
1सियाचिन ग्लेशियर75 मीटरनुब्रा घाटी
2हिस्पर ग्लेशियर61 मीटरहुजा घाटी
3वियाफो ग्लेशियर60 मीटरसिगार घाटी
4वाल्टोरा ग्लेशियर58 मीटरसिगार घाटी

2. लद्दाख पर्वत श्रृंखला (Laddakh Range)

ट्रांस हिमालय की एक अन्य उप-श्रेणी लद्दाख पर्वत श्रृंखला है। लद्दाख पहले भारत के राज्य जम्मू-कश्मीर में स्थित था। 5अगस्त 2019 तक जम्मू और कश्मीर (Jammu and Kashmir,J&K) भारत का एक राज्य था जिसे August 2019 में द्विभाजित कर जम्मू और कश्मीर एवं लद्दाख नामक दो केंद्र शासित प्रदेश के रूप में स्थापित कर दिया गया। नए लद्दाख संघ राज्य क्षेत्र में कारगिल तथा लेह नामक दो जिले हैं।

जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 भारत की संसद का एक अधिनियम है। इसको भारत की उच्च सदन (राज्य सभा) में गृहमन्त्री अमित शाह द्वारा 05 अगस्त, 2019 को प्रस्तुत किया गया था। इस अधिनियम को उसी दिन राज्य सभा द्वारा पारित कर दिया गया तथा अगले ही दिन लोक सभा ने भी इस अधिनियम को पारित कर दिया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 9 अगस्त 2019 को इसे स्वीकृति दे दी।

इस अधिनियम में तत्कालीन जम्मू और कश्मीर राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों – (1) जम्मू और कश्मीर (2) लद्दाख में पुनर्गठित करने का प्रावधान किया गया था जो अत्यन्त क्रान्तिकारी एवं ऐतिहासिक कदम था। इस अधिनियम के प्रावधान 31 अक्टूबर 2019 को लागू कर दिए गए। इसी दिन दोनो केंद्रशासित प्रदेशों के उप-राज्यपालों को जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा पद की शपथ दिलवाई गई।

यह रेंज अपने ऊबड़-खाबड़ इलाकों, गहरी घाटियों और ऊंचाई वाले रेगिस्तानों के लिए जानी जाती है। लद्दाख पर्वत श्रेणी कई ऊंचाई वाले दर्रों का ठिकाना है, जिसमे खारदुंग ला दर्रा और चांग ला दर्रा हैं।

  • यह काराकोरम श्रेणी के दक्षिण भाग में स्थित है।
  • इसका पश्चिमी हिस्सा जम्मू-कश्मीर राज्य में तथा पूर्व भाग तिब्बत चीन में स्थित है।
  • इसकी लम्बाई 300 मीटर और औसत उंचाई 5800 मीटर है।
  • विश्व की सर्वाधिक ढलान वाली चोटी राकापोशी इसी श्रेणी में स्थित है।
  • स्थानीय भाषा में ‘राकापोशी’ का अर्थ होता है – बर्फ से ढका हुआ। राकपोशी विश्व का 27वां सर्वोच्च पर्वत है।
  • भारत का सबसे ऊँचा पठार लद्दाख का पठार इसी श्रेणी में स्थित है। लद्दाख का पठार को भारत का शीत मरुस्थल है।

3. जास्कर पर्वत श्रृंखला (Zaskar Range)

जास्कर पर्वत श्रृंखला (Zaskar Range)

जास्कर पर्वतमाला या जास्कर पर्वत श्रृंखला जम्मू और कश्मीर और लद्दाख के भारतीय क्षेत्रों में स्थित एक पर्वत श्रृंखला है। यह ज़ांस्कर को लद्दाख से अलग करती है। ज़ांस्कर रेंज टेथिस हिमालय का एक हिस्सा है, जिसकी चौड़ाई लगभग 100 किलोमीटर तथा औसत ऊँचाई लगभग 6,000 मीटर (19,700) है  फुट। इसके पूर्वी भाग को रूपशु के नाम से जाना जाता है। यह ट्रांस-हिमालय का भाग है, जो लद्दाख रेंज के दक्षिण में स्थित है। ज़ांस्कर लगभग 7,000 वर्ग किलोमीटर (2,700 वर्ग मील) क्षेत्र को कवर करता है।

ज़स्कर नदी इस सीमा से होकर बहती है और गहरी और संकरी चादर ट्रेक को काटती हुई आगे बढ़ती है। कामेट पर्वत इसका उच्चतम बिंदु है, जिसकी ऊंचाई 25,446 फीट (7,756 मीटर) है। शिपकी ला, लिपु लेख इसके महत्वपूर्ण मार्ग हैं।

ज़ांस्कर पर्वत श्रृंखला ट्रांस हिमालय की एक और उप-श्रेणी है। यह रेंज अपने ऊबड़-खाबड़ इलाके और गहरी घाटियों के लिए जानी जाती है। यहां कई ग्लेशियर और ऊंचाई वाली झीलें स्थित हैं, जैसे पैंगोंग त्सो और त्सो मोरीरी आदि।

  • यह लद्दाख रेंज के दक्षिण में स्थित है। इसकी औसत ऊंचाई 6000 मीटर है।
  • लद्दाख और जास्कर श्रेणी के मध्य सिन्धु नदी प्रवाहित होती है।
  • इस नदी के तट पर स्थित लेह शहर भारत का सबसे कम वर्षा वाला क्षेत्र है।
  • उत्तराखंड में स्थित दर्रे माना, नीति, लिपुलेख दर्रे जास्कर श्रेणी का हिस्सा हैं।
  • भारत में एंथ्रेसाइट कोयले का भण्डार कारगिल में जास्कर पहाड़ी के अंर्तगत पाया जाता है।

इन उप-श्रेणियों के अलावा, ट्रांस हिमालय कई अन्य छोटी श्रेणियों और पठारों का भी घर है जो पर्यटकों को प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत का खजाना प्रदान करती है।

ट्रांस हिमालय के महत्वपूर्ण तथ्य

  • ट्रांस हिमालय के अन्तर्गत हिमालय के उत्तर में जम्मू-कश्मीर राज्य में तीन पर्वत श्रेणियों को शामिल किया गया है। ये तीनों पर्वत श्रेणियां निम्न प्रकार हैं-
    • काराकोरम पर्वत श्रेणी।
    • लद्दाख पर्वत श्रेणी।
    • जास्कर पर्वत श्रेणी।
  • भारत की सबसे ऊँची पर्वत चोटी  K(गॉडविन आस्टिन) काराकोरम पर्वत श्रेणी पर ही स्थित है।
  • काराकोरम पर्वत श्रेणी पर चार प्रमुख ग्लेशियर पाये जाते हैं –
    • सियाचिन ग्लेशियर
    • बाल्तोरो ग्लेशियर
    • बियाफो ग्लेशियर
    • हिस्पर ग्लेशियर
  • काराकोरम पर्वत श्रेणी का विस्तार पूर्व में तिब्बत तक फैला हुआ है, तिब्बत में काराकोरम पर्वत श्रेणी को कैलाश पर्वत श्रेणी कहा जाता हैं।
  • काराकोरम पर्वत श्रृंखला के दक्षिण में लद्दाख पर्वत श्रृंखला है। लद्दाख पर्वत श्रेणी पर ही राकापोषी शिखर है।
  • राकापोषी शिखर दुनिया की सबसे तीव्र ढाल वाली चोटी है।
  • लद्दाख पर्वत श्रेणी दो नदियों के बीच में स्थित है, इसके उत्तर में श्योक नदी तथा दक्षिण में सिन्धु नदी बहती है। श्योक नदी आगे जाकर सिन्धु नदी में ही मिल जाती है, और सिंधु नदी की ही सहायक नदी बन जाती है।
  • सिंधु नदी तिब्बत पठार के चेमायुंगडुंग ग्लेशियर से निकलती है।
  • सिंधु नदी उद्गम स्थान से उत्तर-पश्चिम की ओर लद्दाख एवं जास्कर पर्वत श्रेणियों के बीच प्रवाहित होती है।
  • वर्तमान केन्द्रशासित प्रदेश लद्दाख की राजधानी लेह सिंधु नदी के तट पर ही स्थित है।
  • राजधानी लेह, लद्दाख एवं जास्कर पर्वत श्रेणियों के मध्य तथा सिन्धु नदी के दाहिने तट पर स्थित है।

(II) हिमालय पर्वत श्रेणी

उत्तर की महान पर्वत शृंखला से निकलने वाली ब्रह्मपुत्र और सिंधु के बीच की पर्वत श्रृंखलाओं को हिमालय कहा जाता है। हिमालय पर्वत का निर्माण अंगारालैण्ड में स्थित यूरेशियाई प्लेट तथा गोण्डवानालैण्ड में स्थित इण्डो-ऑस्ट्रेलियन प्लेट के आपस में टेथिस सागर में टकराने हुआ है। इनके आपस में टकराने के कारण टेथिस सागर में जमे अवसादों में दबाव पड़ने से वह भाग ऊपर उठाने लगा और हिमालय पर्वत का निर्माण हुआ। इसीलिए टेथिस सागर को हिमालय का जन्मस्थल कहा जाता है। 

हिमालय विश्व के नवीन मोड़दार (फोल्डेड) पर्वतों में से एक है, जो अभी-भी निर्माणावस्था में है। इसकी ऊंचाई हमेशा बढ़ती रहती है। इसका निर्माण सीनोजोइक कल्प के इयोसीन, मायोसीन तथा प्लायोसीन युग में हुआ। यह पर्वत श्रेणी अनेक पर्वतों के समूह से बनी है। इसकी मुख्य श्रेणी को हिमालय श्रेणी कहा जाता है। इसके उत्तर पश्चिम भाग में काराकोरम, लद्दाख, जस्कर, पीर पंजाल जैसी श्रेणियां मिलती हैं, तो वहीं उत्तर-पूर्व में डफला, मिसमी, नागा, पटकोई, अराकानयोमा जैसी पर्वत श्रेणियां मिलती हैं।

हिमालय पर्वत श्रृंखला विश्व की सबसे ऊँचा पर्वत श्रेणी है, जो भारत की उत्तरी सीमा में स्थित है। यह नंगा पर्वत (पाकिस्तान शासित कश्मीर) से नामचा बरवा (तिब्बत) तक फैला हुआ है। इसकी लम्बाई पश्चिम से पूर्व की ओर 2500 किमी० (15.50 मील) है। जबकि इसकी औसत चौड़ाई 200 से 400 किमी० है। दुनिया की सबसे ऊँची छोटी माउंट एवरेस्ट (नेपाल) इसी हिमालय पर्वत की सबसे ऊँची छोटी है।

भारत में यह पर्वतीय प्रदेश (हिमालय पर्वत) पश्चिम में जम्मू-कश्मीर से लेकर पूर्व में अरुणाचल प्रदेश तक 2,500 किमी में फैला हुआ है। इसकी चौड़ाई पूर्व की अपेक्षा पश्चिम में अधिक है, जिसका प्रमुख कारण पूर्व की तुलना में पश्चिम में दबाव-बल का कम होना है। यही कारण है कि माउन्ट एवरेस्ट और कंचनजंगा जैसी ऊँची चोटियां पूर्वी हिमालय में स्थित है।

महान पर्वत श्रृंखला हिमालय का निर्माण

उत्तर की महान पर्वत श्रृंखला - हिमालय

जहाँ आज हिमालय है वहां कभी टेथिस नाम का सागर हुआ करता था। टेथिस सागर एक लम्बा और उथला सागर था, जो उत्तर और दक्षिण में दो विशाल भू – खन्डो से घिरा हुआ था। इसके उत्तर के भूखंड का नाम अंगारालैन्ड और दक्षिण के भूखंड का नाम गोन्ड्वानालैन्ड था। लाखों वर्षों तक इन दोनों भू – खन्डो का अपरदन होता रहा और अपरदित पदार्थ (मिट्टी, कन्कड, बजरी, गाद आदि) टेथिस सागर में इक्कठा होने लगे।

इसके साथ ही ये दोनों विशाल भूखंड एक – दूसरे की तरफ खिसक भी रहे थे। इस कारण से उत्तर और दक्षिण दोनों विरोधी दिशाओ में पड़ने वाले दबाव के कारण सागर में जमी मिट्टी आदि की परतो में मोड़ (वलय) पड़ने लगे। ये वलय (मोड़) धीरे धीरे और ऊँचे होने लगे। और जैसे जैसे समय बीतता गया ये वलय द्वीपों की एक श्रृंखला के रूप में पानी की सतह से ऊपर आ गए। यह क्रिया निरंतर चलती रही जिसके फलस्वरूप कलान्तर में विशाल वलित पर्वत श्रेणियो का निर्माण हुआ। इन्ही पर्वत श्रेणियों को हिमालय के नाम से जाना जाता हैं। इसी कारण से हिमालय को वलित पर्वत भी कहा जाता है।

हिमालय तीन समानांतर श्रेणियों से बना है और ये श्रृंखलाएं अपनी ऊंचाई के आधार पर भिन्न-भिन्न हैं, जो दक्षिण से उत्तर की ओर बढ़ती हैं।

महान पर्वत श्रृंखला हिमालय का विभाजन

हिमालय पर्वत श्रृंखला/ श्रेणी तीन समानांतर भागों में बॅंटा हुआ है-

  1. महान हिमालय/वृहद् हिमालय/ हिमाद्री The Greater Himalaya /Himadri
  2. मध्य हिमालय/लघु हिमालय/हिमाचल हिमालय The Middle Himalaya / The Lesser Himalaya /Himanchal Himalaya
  3. निचला हिमालय /वाह्य हिमालय/शिवालिक श्रेणी /उप हिमालय The Lower Himalaya / The Outer Himalaya /Shivalik Range

वृहद् हिमालय या हिमाद्री | The Greater Himalaya (Himadri)

हिमालय की सबसे उत्तरी श्रेणी को ‘वृहत हिमालय’ अथवा ‘हिमाद्रि’ के नाम से जाना जाता हैं। यह हिमालय की सबसे ऊँची पर्वत श्रेणी है, इसकी औसत ऊँचाई 6000 मी. है। इसी श्रेणी में भारत की सर्वोच्च चोटी ‘कंचनजंघा’ (सिक्किम) तथा नेपाल में विश्व की सबसे ऊँची पर्वत चोटी ‘ माउन्ट एवरेस्ट’ (8,850 मी.) स्थित है। ग्रेट हिमालय (वृहद् हिमालय) ज़्यादातर बर्फ से ढका होता है, हिमालय के ज़्यादातर ग्लेशियर इसी भाग में पाए जाते हैं।

  • ट्रांस हिमालय के दक्षिण में जास्कर पर्वत श्रेणी के बाद वृहद् हिमालय शुरू होता है, जो हिमालय पर्वत श्रृंखला की सबसे उत्तरी श्रेणी है।
  • वृहद् हिमालय को सर्वोच्च हिमालय, ग्रेटर हिमालय, महान हिमालय तथा हिमाद्रि हिमालय भी कहा जाता हैं।
  • वृहद् हिमालय ट्रांस हिमालय से शचर जोन द्वारा अलग होता है।
  • वृहद् हिमालय, हिमालय के सभी श्रेणियों में सबसे ऊपरी अथवा सबसे ऊँची पर्वत श्रृंखला है।
  • वृहद् हिमालय का विस्तार पश्चिम में नंगा पर्वत से लेकर पूर्व में नामचा बरवा चोटी तक विस्तृत है।
  • नामचा बरवा पर्वत श्रेणी तिब्बत के अन्तर्गत आता है।
  • विश्व की 10 सबसे ऊँची चोटियाँ वृहद् हिमालय के अन्तर्गत ही आती हैं, जिनमें से प्रमुख सबसे ऊंची चोटियों के नाम इस प्रकार है-एवरेस्ट, कंचनजंघा, मकालू, धौलागिरिऔर अन्नपूर्णा।
  • एवरेस्ट दुनिया की सबसे ऊँची पर्वत चोटी है, जिसकी ऊँचाई 8850 मी. है।
  • भारत में स्थित हिमालय की सबसे ऊँची पर्वत चोटी कंचनजंघा है।
  • हिमालय की सबसे पूर्वी पर्वत चोटी नामचाबरवा तिब्बत में स्थित है।
  • हिमालय की सबसे पश्चिमी पर्वत चोटी नंगा पर्वत जम्मू-कश्मीर राज्य में स्थित है।
  • हिमालय की पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर पर्वत श्रेणियों का क्रम इस प्रकार है – नामचाबरवा, कंचनजंघा, मकालू, एवरेस्ट, मंसालू, धौलागिरि और अन्नपूर्णा।
  • भारत के उत्तराखण्ड राज्य में महत्वपूर्ण पर्वत चोटियाँ स्थित है जिनके नाम हैं – कॉमेट, नंदा देवी, त्रिशूल, बन्दरपुच्छ और बद्रीनाथ।
  • एवरेस्ट को तिब्बती भाषा में चोमोलुंगमा कहते हैं, इसका अर्थ पर्वतों की रानी है।
  • उत्तराखण्ड में वृहद् हिमालय पर दो ग्लेशियर स्थित है –गंगोत्री और यमुनोत्री।
  • गंगोत्री गंगा का उद्गम स्थान है जबकि यमुनोत्री से यमुना नदी निकलती है।
  • हिमालय की सबसे पूर्वी पर्वत श्रेणी नामचाबरवा है, जो तिब्बत में स्थित है।

वृहद् हिमालय महान पर्वत श्रृंखला हिमालय के तीनो भाग में सबसे ऊँचा है। इस भाग पाए जाने वाले कुछ प्रमुख चोटियों के नाम इस प्रकार हैं :-

  • माउंट एवरेस्ट – चाईना-नेपाल सीमा (ऊँचाई 8,850 मी० अथवा 29,035 फीट)
  • कंचनजंघा – सिक्किम (ऊँचाई 8,586 मी० अथवा 28,169 फीट) (भारत की सबसे ऊँची चोटी)
  • मकालू – नेपाल (ऊंचाई 8,463 मी० अथवा 27,766 फीट)
  • धौलागिरि I – नेपाल (ऊंचाई 8,167 मी० अथवा 26,795 फीट)
  • मनसालू – नेपाल (ऊंचाई 8,156 मी० अथवा 26,759 फीट)
  • अन्नपूर्णा I – नेपाल (ऊंचाई 8,091 मी० अथवा 26,545फीट)
  • नंदा देवी – उत्तराखंड (ऊँचाई 7,817 मी० अथवा 25,646 फीट)
  • नामचाबरवा – तिब्बत (ऊंचाई 7,782 मी० अथवा 25,539 फीट)
  • कामेत – उत्तराखंड (ऊँचाई 7,755 मी० अथवा 25,446 फीट)
  • त्रिशूल – उत्तराखंड (ऊँचाई 7,120 मी० अथवा 23,359 फीट)

गाडविन आस्टिन (Godwin Austin) (माउंट के-2 /Mount K-2) पर्वत, हिमालय का नहीं, बल्कि पीओके (POK) में कश्मीर के कराकोरम पर्वतमाला श्रेणी की सबसे ऊँची चोटी है। यह चीन के तक्सकोर्गन ताजिक, झिंगजियांग और पाकिस्तान के गिलगित- बाल्टिस्तान की सीमाओं के बीच स्थित है। यह विश्व में एवरेस्ट के बाद दूसरी सबसे ऊँची चोटी है, जो 28,250 फुट / 8611 मीटर ऊँची है। यह चोटी प्राय: हिमाच्छादित रहती है तथा बादलों में छिपी रहती है।

मध्य हिमालय/लघु हिमालय/हिमाचल हिमालय | The Middle or Lesser Himalaya /Himanchal Himalaya

वृहद हिमालय श्रेणी के दक्षिण में स्थित हिमालयी पर्वत श्रेणी को ‘मध्य हिमालय’, ‘हिमाचल’ या ‘लघु हिमालय’ नाम से जाना जाता है। इसकी औसत ऊँचाई 4000-4500 मी. है। डलहौजी, शिमला, धर्मशाला, मसूरी जैसे पर्वतीय पर्यटक स्थल इसी श्रेणी में स्थित हैं। इनकी ढालों पर वन व घास के मैदान पाये जाते हैं। इसकी औसत चौड़ाई लगभग 80 किमी. है।

  • लघु हिमालय वृहद् हिमालय के दक्षिण में, पूर्व से लेकर पश्चिम तक उसके साथ-साथ विस्तृत है।
  • लघु हिमालय एवं वृहद् हिमालय के बीच समतल मैदान पाया जाता है, इन मैदानों को खुली घाटी कहते हैं।
  • लघु हिमालय की सबसे पश्चिमी श्रेणी पीरपंजाल कहलाती है, यह जम्मू-कश्मीर राज्य में स्थित है।
  • पीरपंजाल पर्वत श्रेणी के उत्तर में श्रीनगर तथा इसके दक्षिण में जम्मू है, यहीं पर माता वैष्णों देवी मंदिर है।
  • पीरपंजाल पर्वत श्रेणी पर ही बनिहाल दर्रा है। इस बनिहाल दर्रे में ही जवाहर सुरंग स्थित है।
  • बनिहाल दर्रा जम्मू को श्रीनगर से जोड़ता है।
  • पीरपंजाल एवं वृहद् हिमालय के मध्य में डल झील स्थित है।
  • धौलाधर पर्वत श्रेणी को हिमाचल हिमालय भी कहा जाता हैं, क्योंकि यह पूरी तरह से हिमाचल प्रदेश में ही स्थित है।
  • हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला धौलाधर पर्वत श्रेणी पर ही स्थित है।
  • धौलाधर पर्वत श्रेणी के पूर्व में मसूरी है।
  • मसूरी के पूर्व में नेपाल में नागटिब्बा पर्वत श्रेणी एवं महाभारत पर्वत श्रेणी है।
  • लघु हिमालय वर्ष भर हिमाच्छादित नहीं रहते हैं, शीतोष्ण जलवायु का क्षेत्र होने के कारण यहाँ गर्मियों में बर्फ पिघलने लगते हैं।
  • जहाँ एक ओर वृहद् हिमालय वर्ष भर हिमाच्छादित रहता है जिसके कारण यहाँ वनस्पतियां नहीं पाई जाती हैं, वहीं लघु हिमालय पर शीतोष्ण जलवायु का क्षेत्र होने के कारण इसकी की ढालों पर शीतोष्ण मुलायम घास के मैदान पाये जाते हैं।
  • लघु हिमालय के अंतर्गत शीतोष्ण मुलायम घास के मैदानों को जम्मू-कश्मीर में ‘मर्ग’ कहते हैं। जैसे – गुलमर्ग एवं सोनमर्ग आदि।
  • लघु हिमालय के अंतर्गत शीतोष्ण मुलायम घासों को उत्तराखण्ड में बुग्याल एवं पयाल के नाम से जाना जाता हैं।
  • शीतोष्ण जलवायु का क्षेत्र होने के कारण लघु हिमालय पर अनेक स्वास्थ्यवर्धक पर्यटन स्थलों का विकास हुआ है। विभिन्न राज्यों में इन पर्यटन स्थलों का विवरण निम्नलिखित है –
    • जम्मू-कश्मीर – गुलमर्ग, सोनमर्ग
    • हिमाचल प्रदेश – शिमला, मनाली, डलहौजी
    • उत्तराखण्ड – मसूरी, रानीखेत, नैनीताल, विंडसर 
  • लघु हिमालय की 5 श्रेणियाँ महत्वपूर्ण हैं –
    • पीरपंजाल पर्वत श्रेणी
    • धौलाधर पर्वत श्रेणी
    • महाभारत पर्वत श्रेणी
    • नागटिब्बा पर्वत श्रेणी
    •  मसूरी पर्वत श्रेणी।
  • वृहद् हिमालय एवं लघु हिमालय के बीच समतल-सपाट घाटियाँ पायी जाती हैं, इन घाटियों को अलग-अलग स्थानों पर स्थानीय नाम से जाना जाता है। जैसे –
    • जम्मू-कश्मीर – कश्मीर घाटी
    • हिमाचल प्रदेश – कुल्लू-कांगड़ा घाटी
    • नेपाल – काठमांडू घाटी
  • लघु हिमालय के अंतर्गत महत्वपूर्ण पर्वत श्रेणियों की स्थिति निम्नलिखित है –
    • पीरपंजाल पर्वत श्रेणी – जम्मू-कश्मीर
    • धौलाधर पर्वत श्रेणी – हिमाचल प्रदेश
    • महाभारत पर्वत श्रेणी – नेपाल
    • नागटिब्बा पर्वत श्रेणी – नेपाल
    • मसूरी पर्वत श्रेणी – उत्तराखंड

निचला हिमालय /वाह्य हिमालय/शिवालिक श्रेणी /उप हिमालय | The Lower Himalaya or Outer Himalaya (Shivalik Range)

लघु हिमालय के दक्षिण में हिमालय की सबसे दक्षिणी श्रेणी को ‘शिवालिक’ कहा जाता है। यह हिमालय की सबसे निचली पर्वत श्रेणी है। इसकी औसत ऊँचाई 1200-1500 मी. के बीच है। इस श्रेणी का निर्माण अवसादी चट्टानों, असंगठित पत्थरों व सिल्ट से हुआ है। यह पश्चिम से पूर्व तक लगातार विस्तृत न होकर पूर्व में अन्य श्रेणियों से मिल जाती है। इसकी चौड़ाई 10-50 किमी. के बीच है। इस श्रेणी में पायी जाने वाली कुछ संकरी घाटियों को ‘दून’ कहा जाता है। देहारादून इसी तरह की एक घाटी में स्थित शहर है।

  • शिवालिक हिमालय, हिमालय की सबसे नवीन पर्वत शृंखला है और अन्य तीनों पर्वत शृंखलाओं में सबसे कम ऊँचाई वाला क्षेत्र है।
  • शिवालिक हिमालय को बाह्य हिमालय भी कहा जाता है।
  • वृहद् हिमालय को आन्तरिक हिमालय कहते हैं।
  • शिवालिक हिमालय श्रेणी का स्वतंत्र अस्तित्व कोशी नदी तक ही देखने को मिलता है, क्योकि हिमालय का विस्तार पूर्व में अत्यंत संकरा है जिसके कारण कोशी नदी के पूर्व में शिवालिक हिमालय, लघु हिमालय से बिल्कुल सम्बद्ध हो गया है।
  • कोशी नदी नेपाल से निकलकर भारत के बिहार राज्य में प्रवेश करती है और गंगा नदी से मिल जाती है।
  • अरुणाचल प्रदेश में शिवालिक पर्वत श्रेणी चार अलग-अलग पहाड़ियों के रूप में बिखरा हुआ नजर आता है। पश्चिम से पूर्व की ओर क्रमश: इनके नाम हैं –डफला, मिरी, अबोर और मिश्मी।
  • डफला, मिरी, अबोर और मिश्मी पहाड़ियों का नामकरण यहाँ रहने वाली जनजातियों के नाम पर रखा गया है।
  • लघु हिमालय एवं शिवालिक हिमालय के मध्य घाटियों को उत्तराखण्ड में दून एवं द्वार कहा जाता है। जैसे – देहरादून, हरिद्वार आदि।
  • हिमालय पश्चिमी और पूर्वी छोर पर दक्षिण की ओर मुड़ा हुआ है। पश्चिमी छोर सिन्धु गार्ज के पास एवं पूर्वी छोर दिहांग गार्ज के पास स्थित है। दिहांग ब्रह्मपुत्र नदी को ही कहा जाता है।
  • खड़ी ढाल वालें घाटी को आई (I)आकार की घाटी , गार्ज या कैनियन नाम से जाना जाता हैं।

(III) पूर्वोत्तर की पहाड़ियाँ/ पूर्वांचल श्रेणी

पूर्वोत्तर की पहाड़ियाँ (पूर्वांचल श्रेणी) भारत के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित राज्यों अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड और त्रिपुरा में विस्तृत हैं। इस क्षेत्र की पहाड़ियाँ और पर्वत, हिमालय पर्वत श्रृंखला का एक विस्तार हैं। ऊबड़-खाबड़ इलाके, घने जंगल और समृद्ध जैव विविधता यहाँ की विशेषता हैं। पूर्वांचल श्रेणी की पहाड़ियों में नागा, पटकाई, बरैल रेंज, मिज़ो और नागा हिल्स जैसी पहाड़ियाँ शामिल हैं। ये पहाड़ियाँ बहुत ऊँची नहीं हैं। इन पहाड़ियों पर अत्यधिक वर्षा होती है, जिससे इन पर पेड़-पौधे, वनस्पतियाँ प्रचुर मात्रा में उग जाती हैं। तथा हमेशा हरी-भरी रहती हैं। ये पहाड़ियां घने जंगल से आच्छादित (ढकी) रहती हैं।

पूर्वोत्तर की पहाड़ियाँ कई स्वदेशी समुदायों का घर हैं, जो इस क्षेत्र में पीढ़ी दर पीढ़ी से रह रहे हैं। इन समुदायों की अपनी अनूठी संस्कृतियां, परंपराएं और भाषाएं हैं। ये पहाड़ियाँ अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए भी जानी जाती हैं। यह ट्रेकिंग, कैम्पिंग और साहसिक खेलों के लिए पर्यटकों के बीच लोकप्रिय हैं। यह क्षेत्र कई राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभ्यारण्यों का घर है। जैसे – काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान और मानस राष्ट्रीय उद्यान, जो अपने विविध वनस्पतियों और जीवों के लिए जाने जाते हैं।

इस क्षेत्र में स्थित प्रमुख चोटियाँ-

  • पटकोई बूम तथा मिशमी  – अरुणाचल प्रदेश
  • गारो, खासी, जयंतिका – मेघालय
  • नागा पहाड़ी – नागालैण्ड
  • लैमटोल पहाड़ी – मणिपुर
  • मिज़ो पहाड़ी – मिजोरम

नदियों के आधार पर हिमालय का विभाजन

1910 में, ब्रिटिश सर्वेक्षक और भूगोलवेत्ता सिडनी बर्रार्ड ने अपने सहयोगियों एच.एच. हेडन और एच. एच. हैडो के साथ, “पूर्वी हिमालय का सर्वेक्षण” नामक एक अग्रणी अध्ययन प्रकाशित किया। इस अध्ययन में, उन्होंने हिमालय पर्वत श्रृंखलाओं को उनके माध्यम से बहने वाली नदी प्रणालियों के आधार पर विभिन्न पर्वत श्रृंखलाओं में वर्गीकृत किया था। यहाँ उनकी वर्गीकरण प्रणाली का संक्षिप्त विवरण दिया गया है:

सिडनी बुरार्ड द्वारा महान पर्वत श्रृंखला हिमालय का नदियों के आधार पर किया गया विभाजन निम्नलिखित है –

1. पंजाब / कश्मीर हिमालय

  • सिंधु नदी और सतलज नदी के बीच स्थित हिमालय (560 किमी.) को कश्मीर हिमालय कहा जाता है।
  • कराकोरम, लद्दाख, पीरपंजाल, धौलाधर व जास्कर श्रेणी मुख्य रूप से इसके भाग है।
  • कश्मीर हिमालय में माता वैष्णो देवी मंदिर, बाबा अमरनाथ गुफा एवं मुस्लिमों का तीर्थ स्थल चरार-ए-शरीफ शामिल है।
  • कश्मीर हिमालय में पड़ने वाली सबसे ऊँची चोटी K2 है।

2. कुमाऊं हिमालय

  • सतलज और काली नदी (सरयू) के बीच स्थित हिमालय (320 किमी.) को कुमाऊं हिमालय नाम से जाना जाता है।
  • कुमाऊं हिमालय मुख्य रूप से उत्तराखंड राज्य में विस्तृत है।
  • नंदादेवी, कामेत, केदारनाथ, त्रिशूल, बद्रीनाथ, केदारनाथ एवं बन्दरपूँछ आदि इसके प्रमुख शिखर हैं।
  • उत्तराखण्ड स्थित फूलों की घाटी तथा दून एवं द्वार घाटियाँ भी कुमाऊँ हिमालय का हिस्सा हैं।
  • नंदादेवी पर्वत चोटी, कुमाऊं हिमालय एवं उत्तराखंड राज्य की सबसे ऊँची चोटी है।

3. नेपाल हिमालय

  • काली नदी (सरयू) और तीस्ता नदी के बीच स्थित हिमालय (800 किमी) को नेपाल हिमालय कहा जाता है।
  • यह हिमालय का सबसे लम्बा भू-भाग हैऔर इसकेअन्तर्गत हिमालय की सभी ऊँची चोटियाँ आती हैं।
  • धौलागिरी, अन्नपूर्णा, एवरेस्ट, मकालू और कंचनजंगा इत्यादि इसकी प्रमुख पर्वत चोटियाँ हैं।
  • क्रमशः एवरेस्ट, कंचनजंगा व मकालू नेपाल हिमालय सबसे उंची चोटी हैं।
  • काठमाण्डु घाटी यहां की प्रमुख घाटी है।

4. असम हिमालय

  • तीस्ता नदी और ब्रम्हपुत्र नदी के बीच स्थित हिमालय के भाग (720 किमी) को असम हिमालय कहा जाता है।
  • नामचाबरवा यहाँ की प्रमुख पर्वत चोटी है।
क्रम संख्याहिमालय का विभाजननदी क्षेत्रलम्बाईप्रमुख पर्वत शिखर
1पंजाब/कश्मीर हिमालयसिंधु नदी और सतलज नदी के बीच(560 किमी)कराकोरम, लद्दाख, पीरपंजाल, धौलाधर व जास्कर श्रेणी
2कुमाऊं हिमालयसतलज नदी और काली नदी के बीच(320 किमी)नंदादेवी, कामेत, केदारनाथ, त्रिशूल, बद्रीनाथ, केदारनाथ एवं बन्दरपूँछ
3नेपाल हिमालयकाली नदी और तीस्ता नदी के बीच(800 किमी)धौलागिरी, अन्नपूर्णा, एवरेस्ट, मकालू और कंचनजंगा
4असम हिमालयतीस्ता नदी और ब्रम्हपुत्र नदी के बीच(720 किमी)नामचाबरवा

भारत के राज्यों के आधार पर हिमालय का विभाजन

हिमालय पर्वत श्रेणी भारत के आठ राज्यों में पाई जाती है। जब लद्दाख जम्मू काश्मीर का भाग हुआ करता था, उस समय हिमालय का विस्तार भारत के सात राज्यों में था। परन्तु लद्दाख के अलग हो जाने से जम्मू और काश्मीर तथा लद्दाख दो अलग अलग केंद्र शासित प्रदेश बन गए। जिसके कारण अब हिमालय पर्वत का विस्तार भारत के आठ राज्यों तक है। इन आठ राज्यों के नाम निम्न है:-

  1. लद्दाख
  2. जम्मू काश्मीर
  3. हिमांचल प्रदेश
  4. उत्तराखंड
  5. सिक्किम
  6. पश्चिम बंगाल
  7. आसाम
  8. अरुणाचल प्रदेश

हिमालय का भारत के राज्यों के आधार पर विभाजन इस प्रकार हैं –

काश्मीर या उत्तर पश्चिम हिमालय

  • काराकोरम, लद्दाख, जास्कर और पीरपंजाल पर्वत श्रेणियों के कुछ हिस्से हैं जो काश्मीर में पाए जाते है। हिमालय के इस भाग को उत्तर पश्चिम हिमालय या काश्मीर हिमालय कहते हैं।
  • बृहद हिमालय तथा पीरपंजाल के मध्य विश्व प्रसिद्द काश्मीर घाटी स्थित है। इसी काश्मीर घाटी में डल झील है।
  • सियाचिन और बल्टोरी ग्लेशियर इस उत्तर-पश्चिम हिमालय में पाए जाते है।
  • वैष्णो देवी, चरार ए शरीफ और अमरनाथ गुफा भी इसी उत्तर पश्चिम हिमालय अथवा काश्मीर हिमालय में पाए जाते हैं।
  • दुनिया की सबसे ऊँची चोटी नेपाल की माउंट एवरेस्ट हिमालय के उत्तर पश्चिम हिमालय भाग में स्थित है।
  • विश्व प्रसिद्द, विश्व की दूसरी ऊँची चोटी K 2 गाडविन भी उत्तर पश्चिम हिमालय के काराकोरम श्रेणी में स्थित है। परन्तु यह हिस्सा अब POK में है।

हिमांचल या उत्तराखंड हिमालय

  • इसकी औसत ऊंचाई 1000 से 2000 मीटर है।
  • प्रमुख और प्रसिद्द हिल स्टेशन हिमालय के इसी भाग हिमांचल हिमालय/उत्तराखंड हिमालय में स्थित है जिनके नाम निम्नलिखित हैं :-
    • धर्मशाला
    • मसूरी
    • अल्मोड़ा
    • लैंस डाउन
    • रानी खेत
  • हिमांचल या उत्तराखंड हिमालय में दून घाटी / स्थलाकृत पाई जाती है। जैसे – देहरादून, कालका दून आदि।
  • देहरादून सबसे बड़ा दून है।
  • मध्य हिमालय पर स्थित घास के मैदान को मर्ग कहा जाता है। जैसे- गुलमर्ग आदि।
  • मर्ग को उत्तराखंड में बुग्यार या पयार के नाम से जान जाता है।
  • गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ, बद्रीनाथ भी इसी हिस्से में पाए जाते है।

दार्जिलिंग या सिक्किम हिमालय

  • हिमालय के इस भाग में भारत की सबसे ऊंची चोटी कंचन जंघा पाई जाती है।
  • कंचन जंघा पूर्ण रूप से भारत ने स्थित है।
  • सिक्किम हिमालय दो भागों में बांटा गया है।
  • सिक्किम हिमालय के पश्चिमी हिस्से को नेपाल हिमालय तथा पूर्वी हिस्से को भूटान हिमालय कहा जाता है।

अरुणाचल हिमालय

  • भूटान हिमालय से दीफू दर्रे तक अरुणाचल हिमालय है।
  • कांगतु और रामचाबरवा अरुणांचल हिमालय की दो ऊंची चोटियाँ है।
  • यह विद्युत् उत्पादन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है।
  • यहाँ पर बहुत से जल प्रपात पाए जाते हैं।

पूर्वी पहाड़ियां एवं पर्वत

  • पटकाई बूम, नागा पहाड़ी तथा मणिपुर पहाड़ी आदि यहाँ पर पाई जाती है।
  • ये पहाड़ियां मानसून को दिशा देती हैं। इस कारण से इन पहाड़ियों को जल विभाजक या वायु विभाजक कहा जाता है।

पूर्व से पश्चिम की तरफ हिमालय की पहाड़ियों का सही क्रम इस प्रकार से है-

  • नाम चारबरवा (अरुणाचल प्रदेश)
  • कंचन जंघा (सिक्किम)
  • माउन्ट एवरेस्ट (नेपाल)
  • नंदा देवी पर्वत श्रेणी (उत्तराखंड)

हिमालय में स्थित प्रमुख पर्वत चोटियाँ

हिमालय में स्थित प्रमुख पर्वत चोटियाँ निम्नलिखित हैं –

माउंट एवरेस्ट – 8,848 मीटर (29,029 फीट) – नेपाल-चीन सीमा

माउंट एवरेस्ट दुनिया का सबसे ऊँचा पर्वत है। यह हिमालय की सबसे प्रतिष्ठित चोटियों में से एक है। इसे स्थानीय रूप से नेपाल में सागरमाथा और तिब्बत में चोमोलुंगमा के नाम से जाना जाता है।

K2 – 8,611 मीटर (28,251 फीट) – पाक अधिकृत कश्मीर (POK)

K2, जिसे माउंट गॉडविन-ऑस्टेन के नाम से भी जाना जाता है। यह दुनिया की दूसरी सबसे ऊँची चोटी है, और भारत की सबसे ऊँची चोटी है। हालांकि पाकिस्तान इसे अपनी सबसे ऊँची चोटी मानता है।

कंचनजंगा – 8,586 मीटर (28,169 फीट) – सिक्किम

कंचनजंगा भारत का सबसे ऊँचा तथा दुनिया का तीसरा सबसे ऊंचा पर्वत है। यह भारत में हिमालय की सबसे ऊँची चोटी है। यह नेपाल और भारत के बीच की सीमा पर स्थित है परन्तु अधिकांशत: सिक्किम राज्य में स्थित है। कंचनजंगा को स्थानीय लोगों द्वारा एक पवित्र पर्वत माना जाता है।

ल्होत्से – 8,516 मीटर (27,940 फीट) – नेपाल-चीन सीमा

ल्होत्से दुनिया की चौथी सबसे ऊंची चोटी है। यह माउंट एवरेस्ट के ठीक दक्षिण में स्थित है। ल्होत्से का अर्थ “दक्षिण शिखर” है।

मकालू – 8,485 मीटर (27,838 फीट) – नेपाल-चीन सीमा

मकालू दुनिया की पांचवीं सबसे ऊंची चोटी है। यह नेपाल और चीन की सीमा पर महालंगुर हिमालय में स्थित है। यह अपने तकनीकी चढ़ाई मार्गों के लिए जाना जाता है और इसे चढ़ने के लिए सबसे चुनौतीपूर्ण 8,000 मीटर की चोटियों में से एक माना जाता है।

चो ओयू – 8,188 मीटर (26,864 फीट) – नेपाल-चीन सीमा

चो ओयू दुनिया की छठी सबसे ऊंची चोटी है। यह नेपाल और चीन की सीमा पर स्थित है। इसे चढ़ने के लिए सबसे आसान 8,000 मीटर की चोटियों में से एक माना जाता है।

धौलागिरी – 8,167 मीटर (26,795 फीट) – नेपाल

धौलागिरी दुनिया का सातवाँ सबसे ऊँचा पर्वत है। यह नेपाल के पश्चिमी क्षेत्र में स्थित है। धौलागिरी का अर्थ “व्हाइट माउंटेन” है।

मनास्लु – 8,163 मीटर (26,781 फीट) – नेपाल

मनास्लु दुनिया की आठवीं सबसे ऊंची चोटी है। यह नेपाल के मंसिरी हिमालय में स्थित है। मनास्लु का अर्थ “आत्मा का पर्वत” है।

नंगा पर्वत – 8,126 मीटर (26,660 फीट) – पाक अधिकृत कश्मीर (POK)

नंगा पर्वत दुनिया की नौवीं सबसे ऊंची चोटी है। यह पाक अधिकृत कश्मीर (POK) में हिमालय के पश्चिमी भाग में स्थित है। नंगा का अर्थ”नग्न पर्वत” है।

अन्नपूर्णा – 8,091 मीटर (26,545 फीट) – नेपाल

अन्नपूर्णा दुनिया की दसवीं सबसे ऊंची चोटी है। यह नेपाल के अन्नपूर्णा हिमालय में स्थित है। अन्नपूर्णा का अर्थ “फसल की देवी” है।

शीशपंगमा – 8,027 मीटर (26,335 फीट) – चीन-नेपाल सीमा

शीशपंगमा, जिसे गोसाईंथन पर्वत के नाम से भी जाना जाता है, दुनिया का 14वां सबसे ऊंचा पर्वत है। यह नेपाल और तिब्बत की सीमा पर स्थित है।

नंदा देवी – 7,816 मीटर (25,643 फीट) – उत्तराखंड, भारत

नंदा देवी पूरी तरह से भारत में स्थित चोटी है। यह उत्तराखंड राज्य की सबसे ऊँची चोटी है, जो चमोली जिले के गढ़वाल हिमालय क्षेत्र में स्थित है। यह अपनी आश्चर्यजनक सुंदरता और चुनौतीपूर्ण चढ़ाई मार्गों के लिए जानी जाती है।

राकापोशी – 7,788 मीटर (25,551 फीट) – पाकिस्तान

राकापोशी पाकिस्तान के काराकोरम रेंज में स्थित है, जो अपने विशिष्ट बर्फ से ढके पिरामिड आकार के लिए जाना जाता है। इसे अधिक सुलभ 7,000 मीटर की चोटियों में से एक माना जाता है, फिर भी चढ़ाई करने के लिए उच्च स्तर के तकनीकी कौशल की आवश्यकता होती है।

कामेट – 7,756 मीटर (25,446 फीट) – उत्तराखंड, भारत

कामेट भारत के गढ़वाल हिमालय में स्थित है। यह अपने चुनौतीपूर्ण चढ़ाई मार्गों और आसपास की चोटियों के आश्चर्यजनक दृश्यों के लिए जाना जाता है। इसकी तकनीकी कठिनाई और उच्च ऊंचाई के कारण चढ़ाई करने के लिए इसे 7,000 मीटर की अधिक कठिन चोटियों में से एक माना जाता है।

त्रिशूल – 7,120 मीटर (23,360 फीट) – भारत

त्रिशूल भारत के गढ़वाल हिमालय में स्थित है। यह अपने आश्चर्यजनक दृश्यों और अपेक्षाकृत आसान चढ़ाई मार्गों के लिए जाना जाता है। यह पर्वतारोहियों के लिए एक लोकप्रिय स्थान है जो क्षेत्र में अन्य चोटियों की तकनीकी कठिनाई के बिना 7,000 मीटर की चोटी पर चढ़ना चाहते हैं।

सतोपंथ – 7,075 मीटर (23,218 फीट) – भारत

सतोपंथ भारत के गढ़वाल हिमालय में स्थित है। यह अपने चुनौतीपूर्ण चढ़ाई मार्गों और आसपास की चोटियों के आश्चर्यजनक दृश्यों के लिए जाना जाता है।

नमचा बरवा – 7,782 मीटर (25,531 फीट) – चीन

नमचाबरवा पर्वत चीन में पूर्वी हिमालय में स्थित है। यह अपने खड़ी, ऊबड़-खाबड़ इलाके के लिए जाना जाता है और इसे दुनिया में चढ़ने के लिए सबसे कठिन पहाड़ों में से एक माना जाता है।

हिमालय में स्थित प्रमुख दरें (Main Passes of The Himalayas) 

हिमालय विश्व की अत्यन्त ऊँची पर्वत श्रृंखला है, जिसे केवल दरों के माध्यम से पार किया जा सकता है। हिमालय में पाए जाने वाले प्रमुख दरें निम्नलिखित हैं

काराकोरम दर्रा 

  • यह दर्रा जम्मू-कश्मीर राज्य के लद्दाख क्षेत्र में काराकोरम पहाड़ियों के मध्य स्थित है। यह भारत का सबसे ऊँचा दर्रा है। यहां से चीन को जाने वाली एक सड़क भी बनाई गई है।

जोजिला दर्रा 

  • यह दर्रा जम्मू-कश्मीर की जस्कर श्रेणी में स्थित है, इसी से श्रीनगर से लेह का मार्ग गुजरता है।

बनिहाल दर्रा

  • यह दर्रा जम्मू-कश्मीर के दक्षिण-पश्चिम में पीर पंजाल की श्रेणियों में स्थित है। इसी दरें से जम्मू से श्रीनगर का मार्ग गुजरता है। जवाहर सुरंग भी इसी दरें में स्थित है।

पीर पंजाल दर्रा 

  • यह दर्रा जम्मू-कश्मीर राज्य के दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। यह जम्मू को श्रीनगर से जोड़ता है, परन्तु विभाजन के कारण इसे बंद कर दिया गया है।

शिपकीला दर्रा 

  • यह दर्रा हिमाचल प्रदेश में स्थित है तथा इससे शिमला से तिब्बत जाने का मार्ग गुजरता है। सतलज नदी इसी दरे से होकर बहती है।

बड़ा लाचला दर्रा

  • यह भी हिमालच प्रदेश में स्थित है। यह मनाली को लेह से जोड़ता है।

रोहतांग दर्रा

  • यह हिमलाचल प्रदेश में स्थित है। यह पीर पंजाल श्रेणी को काटता है। यह मनाली को लेह से जोड़ता है।

माना दर्रा

  • यह दर्रा उत्तराखण्ड में स्थित है। कैलाश तथा मानसरोवर जाने का रास्ता इसी दरें से गुजरता है।

नीति दर्रा 

  • यह दर्रा भी उत्तराखण्ड में स्थित है। कैलाश तथा मानसरोवर जाने का रास्ता इसी दरें से गुजरता है। 

नाथुला दर्रा

  • यह दर्रा सिक्किम में स्थित है। यह दार्जलिंग तथा चुम्बी घाटी से तिब्बत जाने का मार्ग प्रशस्त करता है। 

जैलेप्ला दर्रा

  • यह सिक्किम में स्थित है। यह सिक्किम को भूटान से जोड़ता है। तीस्ता नदी ने इस दरें का निर्माण किया है। 

यांग्ययाप दर्रा

  •  यह दर्रा अरुणाचल प्रदेश के उत्तर-पूर्व में स्थित है। ब्रह्मपुत्र नदी इसी दरें से भारत में प्रवेश करती है। यहां से चीन जाने के लिए भी मार्ग है।

दिफू दर्रा 

  • यह दर्रा अरुणाचल प्रदेश के पूर्व में म्यांमार सीमा पर स्थित है।

तुजु दर्रा

  •  यह दर्रा मणिपुर में स्थित है और मणिपुर के इम्फाल को म्यांमार से जोड़ता है।

भारत के उत्तरी पर्वतीय क्षेत्र में जन-जीवन | Life in the Northern Mountains

कई भारतीय राज्य और केंद्र शासित प्रदेश जैसे जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, और पूर्वोत्तर राज्य (Seven Sisters States सप्त भगिनी राज्य – असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, नागालैण्ड) उत्तरी पर्वतीय क्षेत्र का हिस्सा हैं। खेती और पर्यटन इन क्षेत्रों की मुख्य गतिविधियाँ हैं। चावल, गन्ना, गेहूँ आदि फसलें उगाई जाती हैं। मवेशी पालन और लकड़ी पर नक्काशी भी यहां आम है। भारत के उत्तरी पर्वतीय क्षेत्रों में बसने वाले राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के नाम नीचे दिया गया है –

  • जम्मू और काश्मीर
  • लद्दाख
  • सिक्किम
  • हिमांचल प्रदेश
  • उत्तराखंड
  • असम के पूर्वोत्तर राज्य
  • नागालैंड
  • मणिपुर
  • मिजोरम
  • त्रिपुरा
  • मेघालय
  • अरुणाचल प्रदेश

इन राज्यों तथा यहाँ के लोगों के जीवन से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य नीचे दिये गए है –

जम्मू और कश्मीर, और लद्दाख

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उत्तर भारत में स्थित हैं। जम्मू और कश्मीर अपने सेब के बागानों और केसर की खेती के लिए प्रसिद्ध है। लद्दाख लद्दाखी खुबानी के लिए प्रसिद्ध है। पुरुष और महिलाएँ फिरन और सलवार पहनते हैं। गुलमर्ग, श्रीनगर और पहलगाम कुछ पर्यटक आकर्षण हैं। डल झील और वुलर झील दो सबसे प्रसिद्ध झीलें हैं। इन झीलों में लकड़ी की नावें तैरती हैं जिन्हें ‘शिकारा’ कहा जाता है। सर्दियों के दौरान ‘कांगड़ी’ का इस्तेमाल लोग खुद को गर्म रखने के लिए करते हैं। लोग एक विशेष प्रकार की चाय पीते हैं, जिसे केहवा कहा जाता है। चिनाब और झेलम जैसी नदियाँ जम्मू और कश्मीर और सिंधु, लद्दाख से होकर बहती हैं।

जम्मू और काश्मीर
राजधानी (Capital)गर्मियों में श्रीनगर (मई से अक्तूबर तक) और सर्दियों में जम्मू (नवम्बर से अप्रैल तक)।
जलवायु (Climate)गर्मियों में ठंडा रहता है, और सर्दियों में ठण्ड अत्यधिक बढ़ जाती है।
फसल (Crops)यह अपने सेब के बगीचों और केसर की खेती के लिए प्रसिद्ध है।
मुख्य त्यौहार (Main festivals)ईद और शिवरात्रि।
बोली जाने वाली भाषाएँ (Languages Spoken)कश्मीरी, डोगरी, उर्दू और पहाड़ी।
विशेष व्यंजन (Special dishes)फिरनी, गोश्तबा, नदरू यखिनी, और रिश्ता।
लोग और संस्कृति (People & Culture)लोग लंबा ऊनी कुर्ता, (जिसे फिरन कहते हैं) और सलवार पहनते हैं। वे खुद को गर्म रखने के लिए कांगड़ी का उपयोग करते हैं। लोग लकड़ी, पीतल, और चांदी से सुंदर हस्तशिल्प बनाते हैं। वे सुंदर पश्मीना शॉल और कालीन भी बनाते हैं।
पर्यटकों के आकर्षण का स्थान (Places of tourist attraction)श्रीनगर, पहलगाम, गुलमर्ग, और अमरनाथ एवं वैष्णो देवी के तीर्थ स्थल।
वुलर और डल झील ।
लद्दाख
राजधानी (Capital)लेह
जलवायु (Climate)सर्दियाँ काफी लम्बी और ठंडी होती हैं। जबकि गर्मियां हल्की और कम समय के लिए होती हैं।
फसल (Crops)लद्दाख में खेती बहुत कम होती है। लद्दाख में जौ, गेंहू, और सब्जियां उगाई जाती हैं।
मुख्य त्यौहार (Main festivals)हेमिस उत्सव (Hemis Festival) , लद्दाख उत्सव (Laddakh Festival), लोसर (Losar – तिब्बती नया साल ) और डोस्मोचे (Dosmoche)।
बोली जाने वाली भाषाएँ (Languages Spoken)लद्दाखी, बाल्टी, और हिंदी।
विशेष व्यंजन (Special dishes)सक्यु, ठुक्पा और टिग्मो
लोग और संस्कृति (People & Culture)लोग एक लंबा, ढीला गाउन पहनते हैं जिसे गोंचा कहा जाता है और साथ ही सर को ढकने के लिए एक पगड़ी (टोपी) पहनते हैं, जिसे पेराक कहा जाता हैं। जो ऊन से बना होता है और कठोर मौसम से बचाने में मदद करता है।
लद्दाख थांगका पेंटिंग, लकड़ी के काम, धातु के काम और जटिल तिब्बती शैली के कालीनों के लिए प्रसिद्ध है।
पर्यटकों के आकर्षण का स्थान (Places of tourist attraction)नुब्रा घाटी, लेह पैलेस, हेमिस मठ, ज़ांस्कर घाटी, द्रास घाटी – भारत में सबसे ठंडी जगह।

हिमांचल प्रदेश

हिमाचल प्रदेश अपनी घाटियों, जैसे कुल्लू घाटी और कांगड़ा घाटी के लिए प्रसिद्ध है। शिमला, मनाली, धर्मशाला और डलहौजी आदि प्रसिद्ध पर्यटक आकर्षण हैं। यहां के प्रमुख त्योहारों में से एक कुल्लू दशहरा मनाया जाता है। पुरुष कढ़ाईदार रंगीन कुल्लू टोपियाँ पहनते हैं और महिलाएँ अपने सिर के चारों ओर ढाज़ू नामक स्कार्फ पहनती हैं। यह राज्य भारत में सेब का सबसे बड़ा उत्पादक है। इस राज्य में रावी, ब्यास, चिनाब और सतलुज बहती हैं।

हिमांचल प्रदेश
राजधानी (Capital)शिमला
जलवायु (Climate)गर्मियाँ आम तौर पर सुखद होती हैं, जबकि सर्दियाँ ठंडी होती हैं। और कुछ क्षेत्रों में भारी बर्फबारी होने की संभावना भी रहती है।
फसल (Crops)सेब, खुबानी (Apricots), चेरी, आड़ू, नाशपाती, आलू, मक्का, गेंहू और चावल।
मुख्य त्यौहार (Main festivals)दिवाली, होली, बैसाखी, शिमला समर उत्सव (Shimla Summer Festival), कुल्लू दशहरा (Kullu Dussehra), and किन्नौर उत्सव (Kinnaur Festival)।
बोली जाने वाली भाषाएँ (Languages Spoken)हिंदी, पंजाबी, पहरी और किन्नौरी (Kinnauri)।
विशेष व्यंजन (Special dishes)मद्रा (Madra), धाम (Dham), सिदु (Sidu) और ट्राउट मछली (Trout Fish)।
लोग और संस्कृति (People & Culture)महिलाएं अक्सर रंग-बिरंगी पोशाकें पहनती हैं, जिनमे घाघरा और लम्बे शर्ट जैसी पोशाकें होती हैं। जबकि पुरुष कुर्ता-पायजामा जैसे परिधान पहनते हैं।
हिमाचल प्रदेश अपने हस्तशिल्प के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें ऊनी शॉल, कालीन, कढ़ाई वाले वस्त्र, लकड़ी की कलाकृतियाँ, धातु का काम और मिट्टी के बर्तन शामिल हैं।
पर्यटकों के आकर्षण का स्थान (Places of tourist attraction)शिमला, मनाली, धर्मशाला, डलहौजी, स्पीति घाटी, किन्नौर जैसे हिल स्टेशन, कालका से शिमला तक टॉय ट्रेन।

उत्तराखंड

देहरादून उत्तराखंड की राजधानी है। यह बासमती चावल, बेर और लीची के लिए प्रसिद्ध है। लकड़ी पर नक्काशी, पेंटिंग, ऊनी शॉल और गलीचे बुनना राज्य के प्रमुख हस्तशिल्प हैं। यह राज्य तीर्थस्थलों और हिल स्टेशनों के लिए प्रसिद्ध है। मसूरी, नैनीताल, औली, धनोल्टी कुछ महत्वपूर्ण हिल स्टेशन हैं। केदारनाथ, हेमकुंड साहिब, हरिद्वार और बद्रीनाथ तीर्थस्थल हैं। इस राज्य में गंगा और यमुना नदी बहती हैं।

उत्तराखण्ड
राजधानी (Capital)देहरादून
जलवायु (Climate)ग्रीष्मकाल आम तौर पर सुखद होता है, जबकि सर्दियों में ऊंचे स्तरों पर रंगीन बर्फबारी होने की संभावना बनी रहती है।
फसल (Crops)चावल, गेहूं, मक्का, बाजरा, दालें, फल (सेब खुबानी Apricots सहित), और सब्जियां।
मुख्य त्यौहार (Main festivals)कुम्भ मेला (हरिद्वार ), नंदा देवी यात्रा, दिवाली, होली और मकर संक्रांति।
बोली जाने वाली भाषाएँ (Languages Spoken)हिंदी, गढ़वाली और कुमानी (Kumaoni)।
विशेष व्यंजन (Special dishes)कफुली (पालक आधारित करी)
गढ़वाली राजमा (kidney beans curry)
सिंगोरी (मालू के पत्तों में लपेटकर खोये से बनी मिठाई)
लोग और संस्कृति (People & Culture)महिलाएं अक्सर साड़ी, लहंगा या घाघरा पहनती हैं, जबकि पुरुष धोती-कुर्ता या कुर्ता-पायजामा जैसे परिधान पहनते हैं।
शॉल और टोपी भी आमतौर पर ठंड में पहने जाते हैं।
उत्तराखंड अपने हस्तशिल्प सहित के लिए जाना जाता है। जिसमें लकड़ी पर नक्काशी, बेंत और बांस शिल्प, हाथ से बुने हुए कपड़े और मेटल वर्क आदि शामिल हैं।
पर्यटकों के आकर्षण का स्थान (Places of tourist attraction)ऋषिकेश, मसूरी, नानितल, रानीखेत, जिम कार्वेट राष्ट्रीय पार्क, फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान (a UNESCO World Heritage Site)
हरिद्वार, केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री, और यमुनोत्री तीर्थ यात्रा केंद्र।

सिक्किम

सिक्किम एक छोटा राज्य है, जो पूर्वी हिमालय में स्थित है। इसकी राजधानी गंगटोक है। सिक्किम बाग, संतरे और इलायची के लिए प्रसिद्ध है। गंगटोक, नाथुला दर्रा, पेलिंग मुख्य पर्यटक आकर्षण हैं। यहां संतरे, सेब, इलायची और चाय उगाये जाते हैं। लेपचाक, नेपाली और भूटिया सिक्किम की प्रमुख जनजातियाँ हैं। हथकरघा, हस्तशिल्प, कालीन सिक्किम की प्रमुख कला और शिल्प हैं।

सिक्किम
1. सिक्किम की राजधानी गंगटोक (Gangtok) है।
2. भारत की सबसे ऊँची और दुनिया की तीसरी सबसे ऊँची पर्वत चोटी कंचनजंघा सिक्किम में ही है।
3. यहां उगाई जाने वाली महत्वपूर्ण फसलों में संतरे, इलायची, और ऑर्किड शामिल हैं।
4. यहां के लोग लेप्चा (Lepcha Tribes), भूटिया (Bhutia Tribes) और नेपाली (Nepali Tribes) जनजाति के हैं।
5. सिक्किम राज्य की महिलाएं पारंपरिक रूप से बाकू नामक लंबी स्कर्ट और मोतियों से बने रंगीन गहने पहनती हैं।

पूर्वोत्तर की पहाड़ियाँ (पूर्वांचल श्रेणी) के अंतर्गत आने वाले राज्यों का जन-जीवन | Seven Sisters States (SSS )

पूर्वांचल हिल रेंज में उत्तर-पूर्वी राज्य, अर्थात् अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, और त्रिपुरा शामिल हैं। इन राज्यों में खेती और बुनाई लोगों का मुख्य व्यवसाय है। पहाड़ों में लोग पहाड़ों की ढलानों पर सीढ़ियों की शृंखला बनाकर उस पर खेती करते हैं।

‘सिलीगुड़ी कॉरिडोर या ‘चिकन नेक’ एक संकरी पट्टी है, जो सात उत्तर-पूर्वी राज्यों को शेष भारत से जोड़ती है।

अरुणाचल प्रदेश

ईटानगर अरुणाचल प्रदेश की राजधानी है। यह फलों के बगीचों और ऑर्किड के लिए प्रसिद्ध है। याक की सीढ़ीदार खेती और प्रजनन लोकप्रिय है। अरुणाचल प्रदेश में प्रसिद्ध पर्यटन स्थल गंगा झील, तवांग मठ और नामदाफा टाइगर हैं। इसमें विविध प्रकार के जंगल और शानदार वन्य जीवन हैं। इस राज्य में लोहित, दिबांग और सुबनसिरी नदियाँ बहती हैं। ये नदियाँ ब्रह्मपुत्र की सहायक नदियाँ हैं।

असम

असम ब्रह्मपुत्र और बराक नदी घाटियों के बीच स्थित है और अन्य छह उत्तर-पूर्वी राज्यों से घिरा हुआ है। इसकी राजधानी दिसपुर है। असम अपने चाय बागानों, हथकरघा और हस्तशिल्प के लिए प्रसिद्ध है। काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान वन्यजीव पर्यटन के लिए लोकप्रिय है। इस राज्य में ब्रह्मपुत्र नदी बहती है।

मणिपुर

इंफाल मणिपुर की राजधानी है। विभिन्न प्रकार के फल, हल्दी, अदरक और सब्जियाँ यहाँ व्यापक रूप से उगाई जाती हैं। मणिपुर अपने मणिपुरी नृत्य के लिए प्रसिद्ध है। इंफाल, उखरुल और लोकटक झील मुख्य पर्यटक आकर्षण हैं। मणिपुर की अधिकांश नदियाँ अंतर्देशीय नदियाँ हैं। वे लोकटक झील में गिरती हैं। बराक नदी का उद्गम मणिपुर से होता है।

मेघालय

मेघालय की राजधानी शिलांग है। मेघालय के आदिवासी लोग खासी, गारो, जैन्तिया, बोरोस और कोच हैं। यहाँ बोली जाने वाली भाषाएँ खासी, गारो और अंग्रेजी हैं। कृषि मेघालय का मुख्य व्यवसाय है। यहां उगाई जाने वाली मुख्य फसलें चावल, मक्का, आलू, केले और अनानास हैं। यहां मनाया जाने वाला सबसे महत्वपूर्ण त्योहार का शाद शुक माइन्सिएम (Ka Shad Shuk Mynsiem) है। मेघालय का प्रसिद्ध लोक नृत्य लाहो नृत्य है।

मेघालय में कई झरने हैं, जैसे बिशप फॉल्स, एलिफेंट फॉल्स और नोहाकलिकाई फॉल्स। चेरापूंजी के निकट मासिंनराम (Mawnsyram) में विश्व की सर्वाधिक वार्षिक वर्षा दर्ज की जाती है। यहां कई झीलें, वन्यजीव अभयारण्य और राष्ट्रीय उद्यान हैं, सबसे प्रसिद्ध राष्ट्रीय उद्यान नाकरेक राष्ट्रीय उद्यान है।

मिजोरम

मिज़ोरम की राजधानी आइज़वाल है। यह समृद्ध वनस्पतियों और जीवों, समृद्ध परिदृश्य और सुखद जलवायु वाला स्थान है। यहां बड़ी जनजातीय आबादी है। यहाँ के लोग संगीत के शौकीन होते हैं। कृषि के अलावा, लोग बागवानी और बांस शिल्प में भी लगे हुए हैं। इस राज्य की सबसे बड़ी नदी कालादान है। चपचार कुट (Chapchar Kut Festival) यहां मार्च में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है। तुइरियाल, बराक और कई अन्य नदियाँ मिजोरम राज्य से होकर बहती हैं।

नगालैंड

नागालैंड की राजधानी कोहिमा है। यहाँ का बड़ा शहर दीमापुर है। नागालैंड एक पहाड़ी राज्य है जहां कई जनजातियां हैं। नागा प्रमुख जनजातियों में से एक हैं। वे अनोखे डिजाइन और चमकीले रंग की खूबसूरत शॉल बुनते हैं। कृषि, बुनाई, मिट्टी का बर्तन बनाना नागालैंड का महत्वपूर्ण व्यवसाय हैं। यहां हर साल एक भव्य हॉर्नबिल महोत्सव आयोजित किया जाता है। कोहिमा और दीमापुर पर्यटकों की रुचि के स्थान हैं। इस राज्य में दोयांग, दिखू और कई अन्य नदियाँ बहती हैं।

त्रिपुरा

त्रिपुरा की राजधानी अगरतला है। यह सघन वन क्षेत्र है। यहां रबर, बेंत और बांस बहुतायत में पैदा होते हैं। लकड़ी की नक्काशी, बांस शिल्प और बेंत की बुनाई जैसे हस्तशिल्प का बड़े पैमाने पर अभ्यास किया जाता है। इस क्षेत्र में मानसून क्षेत्र के दौरान भारी वर्षा होती है। इसमें समृद्ध वनस्पति और जीव हैं। क्लाउडेड लेपर्ड नेशनल पार्क त्रिपुरा में है। बिजय, गुमती और कई अन्य नदियाँ इस राज्य से होकर बहती हैं।

पूर्वोत्तर राज्य (सात बहनों का राज्य) | Northeastern States (seven Sisters States)
अरुणाचल प्रदेश1. अरुणाचल प्रदेश उत्तर-पूर्वी भारत का सबसे बड़ा राज्य है।
2. अरुणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर है।
3. अरुणाचल प्रदेश की अंतर्राष्ट्रीय सीमा चीन, म्यांमार और भूटान के साथ लगती है।
4. ब्रह्मपुत्र नदी अरुणाचल प्रदेश राज्य से होकर बहती है।
5. चूंकि यहां भारी बारिश होती है, इसलिए लोग कच्चे घरों (स्टिल्ट हाउस) में रहते हैं।
6. यहाँ की फसलों में चावल, मक्का, बाजरा, गेहूँ, दलहन, गन्ना, अदरक और तिलहन प्रमुख हैं।
7. अरुणाचल फलों के उत्पादन के लिए भी आदर्श स्थान है। 
असम1. असम की राजधानी दिसपुर है, जो उपनगर गुवाहाटी क्षेत्र का सबसे बड़ा शहर है।
2. असम की अंतर्राष्ट्रीय सीमा भूटान और बांग्लादेश के साथ लगती है।
3. कछारी, कार्बी, मिरी, मिशिमी, राभा आदि जैसी जनजातियां असम में हैं।
4. अधिकांश जनजातियों की अपनी भाषाएं हैं, हालांकि असमिया राज्य की प्रमुख भाषा है।
5. असम के उत्तर-पश्चिमी हिस्सों का असली जनजातीय समुदाय बोडो जनजाति है। और कचारी बोडो से ही जुड़ी मानी जाती है।
6. असम चाय की खेती के लिए प्रसिद्ध है।
मणिपुर1. मणिपुर की अंतर्राष्ट्रीय सीमा म्यांमार के साथ लगती है।
2. मणिपुर की राजधानी इंफाल है।
3. मणिपुर राज्य में बांस और सागौन के घने जंगल हैं।
4. मणिपुर में तीन प्रमुख जनजातियाँ निवास करती हैं। घाटी में मीतई जनजाति और बिष्णुप्रिया मणिपुरी रहती है तो नागा और कूकी-चिन जनजातियाँ पहा‍ड़ियों पर रहती हैं।
5. अपनी विविध वनस्पतियों व जीव-जंतुओं के कारण मणिपुर को ‘भारत का आभूषण’ व ‘पूरब का स्विट्जरलैंड’ आदि विविध नामों से संबोधित किया जाता है।
मेघालय1. मेघालय पूर्वोत्तर भारत का एक राज्य है, जिसका शाब्दिक अर्थ है बादलों का घर।
2. मेघालय की अंतर्राष्ट्रीय सीमा बांग्लादेश के साथ लगती है।
3. मेघालय की राजधानी प्रसिद्द हिल स्टेशन शिलांग है।
4. विश्व का सबसे आर्द्र स्थान मासिनराम (Mawsynram) मेघालय में स्थित है। विश्व में सर्वाधिक बारिश मसिंरम में ही होती है।
5. मेघालय में मुख्यतः आर्कियन पाषाण संरचनाएं हैं। जिनमे कोयला, चूना पत्थर, यूरेनियम और सिलिमैनाइट जैसे बहुमूल्य खनिज भंडार हैं।
6. मेघालय में बहुत सी नदियाँ भी हैं, जिनमें से अधिकांश नदियाँ वर्षा आश्रित और मौसमी हैं।
7. मेघालय की गारो पर्वतीय क्षेत्र की कुछ महत्त्वपूर्ण नदियाँ हैं – गनोल, दारिंग, सांडा, बाड्रा, दरेंग, सिमसांग, निताई और भूपाई।
8. मेघालय के पठार के पूर्वी (जयन्तिया) एवं मध्य भागों (खासी) में ख्री, दिगारू, उमियम, किन्शी (जादूकता), माओपा, उम्नगोट और मिन्डटू नदियाँ हैं।
मिजोरम1. मिजोरम सात बहनों के राज्य में सबसे दक्षिणी राज्य है और बांग्लादेश एवं म्यांमार के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करता है।
2. अइज़ोल मिजोरम की राजधानी है।
3. 20 फरवरी 1987 को मिज़ोरम को राज्य का दर्जा दिया गया।
4. मिजोरम राज्य में घने जंगल हैं, जो लकड़ी और बांस उपलब्ध कराते हैं।
5. मिज़ो भाषा एक तिब्बती-बर्मन भाषा है जो मुख्य रूप से भारतीय राज्य मिज़ोरम में बोली जाती है, जहाँ यह आधिकारिक भाषा और सामान्य भाषा है। यह मिज़ो लोगों और मिज़ो डायस्पोरा के कुछ सदस्यों की मातृभाषा है।
6. मिज़ो लोगों के वि‍भिन्न त्योहारों में से आजकल केवल तीन मुख्य त्योहार ‘चेराव’, ‘मिम कुट’ और ‘थालफवांगकुट’ मनाए जाते हैं।
7. इसके अतिरिक्त यहाँ की अधिसंख्य जनसंख्या ईसाइ है, इसलिए क्रिसमस का त्योहार भी यहाँ मनाया जाता है।
8. यहाँ बौद्ध और हिन्दू समुदायों के लोग भी रहतें है जो अपने-अपने त्योहारों को मनाते हैं।
नागालैंड1. नागालैंड की राजधानी कोहिमा है। जबकि नागालैंड राज्य का सबसे बड़ा नगर दीमापुर है।
2. नागालैंड अपनी अन्तराष्ट्रीय सीमा मयन्मार के साथ साझा करता है।
3. नागालैंड राज्य की आधिकारिक भाषा अंग्रेजी है। यह शिक्षा की भाषा भी है, और अधिकाँश निवासियों द्वारा बोली जाती है।
4. नागालैंड भारत के उन तीन राज्यों में से एक है, जहाँ ईसाई धर्म के अनुयायी जनसंख्या में बहुमत में हैं।
5. नागालैंड राज्य नागा जनजाति का घर है, जो रंगीन शॉल पहनती हैं। हालाँकि नागालैण्ड राज्य में कुल 16 जनजातियाँ निवास करती हैं। प्रत्येक जनजाति अपने विशिष्ट रीति-रिवाजों, भाषा और पोशाक के कारण एक दूसरे से भिन्न है। भाषा और धर्म दो सेतु हैं, जो इन जनजातियों को आपस में जोड़ते हैं।
त्रिपुरा1. त्रिपुरा की राजधानी अगरतला है।
2. त्रिपुरा राज्य तीन तरफ से बांग्लादेश से घिरा हुआ है।
3. त्रिपुरा के लोग बेंत और बांस का उपयोग करके सुंदर हस्तशिल्प बनाते हैं।
4. यह भारत का तीसरा सबसे छोटा राज्य है।
5. त्रिपुरा का प्रमुख त्यौहार दुर्गापूजा है।
6. त्रिपुरा की प्रमुख भाषा बांग्ला है।

इन्हें भी देखें –

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सर्वनाम (Pronoun) किसे कहते है? परिभाषा, भेद एवं उदाहरण भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग | नाम, स्थान एवं स्तुति मंत्र प्रथम विश्व युद्ध: विनाशकारी महासंग्राम | 1914 – 1918 ई.