मध्य प्रदेश ने बेरोजगार युवाओं के लिए मासिक सहायता की शुरुआत की

मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य के बेरोजगार युवाओं को आर्थिक संबल और व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करने के उद्देश्य से एक अभिनव योजना की शुरुआत की है, जो औद्योगिक इंटर्नशिप के दौरान मासिक वजीफा देने की व्यवस्था करती है। इस योजना के तहत महिलाओं को ₹6,000 और पुरुषों को ₹5,000 प्रतिमाह की सहायता राशि प्रदान की जाएगी। यह योजना राज्य की लोकप्रिय लाड़ली बहना योजना का ही एक विस्तारित स्वरूप मानी जा रही है, जिसमें अब पुरुष लाभार्थियों को ‘लाड़ली भाई’ के रूप में अनौपचारिक रूप से शामिल किया गया है।

यह पहल न केवल युवाओं को कौशल विकास की दिशा में प्रोत्साहित करती है, बल्कि उन्हें उद्योगों से जोड़कर दीर्घकालिक रोजगार के अवसर भी उपलब्ध कराती है। यह कदम राज्य सरकार की उस दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा है, जो मध्य प्रदेश को एक औद्योगिक, आर्थिक और मानव संसाधन के केंद्र के रूप में विकसित करने की दिशा में उठाया जा रहा है।

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पृष्ठभूमि: मध्य प्रदेश में युवाओं की स्थिति

मध्य प्रदेश एक युवा प्रदेश है, जिसकी जनसंख्या में युवाओं की बड़ी भागीदारी है। आंकड़ों के अनुसार राज्य में लगभग 1.5 करोड़ युवा हैं, जिनमें से 1.53 करोड़ की उम्र 20 से 30 वर्ष के बीच है। इतनी बड़ी युवा जनसंख्या, यदि सही मार्गदर्शन, प्रशिक्षण और अवसर प्राप्त करे, तो वह न केवल राज्य की अर्थव्यवस्था को गति दे सकती है, बल्कि भारत की समग्र प्रगति में भी उल्लेखनीय योगदान कर सकती है।

लेकिन यथार्थ में बेरोजगारी और कौशल असंतुलन राज्य की प्रमुख समस्याओं में से एक रहे हैं। युवाओं के पास डिग्रियां तो होती हैं, लेकिन व्यावसायिक प्रशिक्षण और वास्तविक कार्य अनुभव की कमी के कारण उन्हें उपयुक्त रोजगार नहीं मिल पाता। यह स्थिति न केवल व्यक्तिगत स्तर पर हताशा को जन्म देती है, बल्कि सामाजिक असंतोष और आर्थिक ठहराव का कारण भी बनती है।

राज्य सरकार पहले भी इस दिशा में प्रयास कर चुकी है। वर्ष 2019 में शुरू की गई ‘युवा स्वाभिमान रोजगार योजना’ के तहत शहरी क्षेत्र के युवाओं को ₹4,000 प्रतिमाह की आर्थिक सहायता के साथ 100 दिनों के रोजगार की गारंटी दी गई थी। हालांकि, प्रशासनिक बदलावों और फंडिंग की सीमाओं के कारण यह योजना लंबे समय तक नहीं चल सकी।

नई योजना का उद्देश्य

इस बार सरकार ने एक अधिक संगठित, समन्वित और व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाया है। इस नई पहल के निम्नलिखित उद्देश्य स्पष्ट रूप से परिलक्षित होते हैं:

  1. बेरोजगार युवाओं को आर्थिक सहायता प्रदान करना: ताकि वे जीवन यापन के लिए किसी पर निर्भर न रहें और प्रशिक्षण के दौरान उनकी आर्थिक ज़रूरतें पूरी हों।
  2. औद्योगिक इंटर्नशिप को प्रोत्साहित करना: जिससे युवा केवल सैद्धांतिक ज्ञान तक सीमित न रह जाएं, बल्कि व्यावहारिक अनुभव प्राप्त कर सकें।
  3. कुशल कार्यबल का निर्माण: जो उद्योगों की आवश्यकताओं को समझे और उनके अनुसार स्वयं को तैयार करे।
  4. राज्य के औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र को सशक्त बनाना: ताकि मध्य प्रदेश एक औद्योगिक केंद्र के रूप में विकसित हो और निवेश आकर्षित कर सके।

योजना की मुख्य विशेषताएं

इस पहल को व्यापक और समावेशी बनाने के लिए सरकार ने कई महत्वपूर्ण विशेषताएं जोड़ी हैं:

1. मासिक वजीफा:

  • महिलाओं को ₹6,000/माह
  • पुरुषों को ₹5,000/माह
    यह आर्थिक सहायता उन्हें इंटर्नशिप के दौरान दी जाएगी, जिससे वे अपना खर्च स्वयं उठा सकें।

2. औद्योगिक इंटर्नशिप के लिए पात्रता:

  • योजना उन युवाओं के लिए खुली है जो राज्य में पंजीकृत उद्योगों में इंटर्नशिप करना चाहते हैं।
  • युवाओं को उद्योगों के साथ समन्वय कर योजना में पंजीकरण करना होगा।

3. ‘लाड़ली बहना योजना’ से समन्वय:

  • यह योजना लाड़ली बहना योजना का विस्तार मानी जा रही है, जिसमें महिलाएं पहले से ही लाभान्वित हो रही हैं।
  • अब पुरुषों को भी ‘लाड़ली भाई’ के रूप में योजना में अनौपचारिक तौर पर शामिल किया गया है।

4. महिलाओं को अतिरिक्त लाभ:

  • लाड़ली बहनाओं को अब दिवाली के बाद ₹1,500 प्रतिमाह मिलेंगे।
  • यह राशि 2028 तक बढ़कर ₹3,000/माह हो जाएगी।

5. त्योहारों पर विशेष प्रोत्साहन:

  • योजना के अंतर्गत त्योहारों के समय युवाओं को विशेष बोनस या प्रोत्साहन दिया जाएगा, जिससे वे सामाजिक और पारिवारिक दायित्वों को निभा सकें।

6. औद्योगिक विकास को बढ़ावा:

  • भोपाल के निकट अचारपुरा औद्योगिक क्षेत्र को विशेष औद्योगिक हब के रूप में विकसित किया जा रहा है।
  • यह क्षेत्र युवाओं की ट्रेनिंग, रोजगार और उद्योगों के लिए आवश्यक आधारभूत ढांचा उपलब्ध कराएगा।

महत्व और संभावनाएं

यह योजना न केवल बेरोजगारी की समस्या का समाधान करती है, बल्कि एक दीर्घकालिक परिवर्तनकारी प्रक्रिया को आरंभ करती है, जिसके दूरगामी प्रभाव होंगे:

1. आर्थिक स्वावलंबन:

युवाओं को आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाना सबसे बड़ा सामाजिक निवेश है। मासिक सहायता उन्हें आत्मनिर्भर बनाती है और उनमें आत्मसम्मान की भावना को जन्म देती है।

2. लैंगिक समानता की दिशा में कदम:

महिलाओं को पुरुषों की तुलना में अधिक वजीफा देकर सरकार ने महिलाओं की कार्यबल में भागीदारी को बढ़ावा देने का संकेत दिया है। यह एक लैंगिक-संवेदनशील कल्याण नीति की मिसाल है।

3. उद्योगों के लिए प्रशिक्षित कार्यबल:

औद्योगिक विकास के लिए केवल पूंजी नहीं, कुशल मानव संसाधन की भी आवश्यकता होती है। यह योजना उद्योगों को प्रशिक्षित युवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित करेगी।

4. हुनर आधारित विकास:

यह योजना पारंपरिक डिग्री आधारित रोजगार के बजाय ‘हुनर आधारित विकास’ को प्राथमिकता देती है। इससे शिक्षा और रोजगार के बीच की खाई कम होगी।

5. शहरी और ग्रामीण संतुलन:

जहां पहले की योजनाएं शहरी युवाओं तक सीमित थीं, यह योजना शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों के युवाओं को साथ लेकर चलने की कोशिश करती है।

चुनौतियां और सुझाव

हालांकि इस योजना में अपार संभावनाएं हैं, लेकिन इसके कार्यान्वयन में कुछ चुनौतियां भी हो सकती हैं:

1. पंजीकृत उद्योगों की संख्या सीमित हो सकती है, जिससे युवाओं को अवसर मिलने में कठिनाई हो।

सुझाव: अधिक MSMEs और निजी कंपनियों को योजना से जोड़ने के लिए प्रोत्साहन योजनाएं चलाई जानी चाहिए।

2. फंडिंग और निगरानी की पारदर्शिता:

वास्तव में लाभार्थी तक राशि पहुंचे, यह सुनिश्चित करना एक बड़ा प्रशासनिक कार्य है।

सुझाव: डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) सिस्टम का अधिकतम उपयोग किया जाए।

3. इंटर्नशिप की गुणवत्ता और मूल्यांकन:

केवल नाम मात्र की इंटर्नशिप से युवाओं को अपेक्षित लाभ नहीं मिलेगा।

सुझाव: उद्योगों को प्रशिक्षण गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए स्पष्ट गाइडलाइंस दी जानी चाहिए।

निष्कर्ष

मध्य प्रदेश सरकार द्वारा शुरू की गई यह नई योजना युवाओं को कौशल, प्रशिक्षण और रोजगार की त्रयी से सशक्त बनाने का एक महत्त्वपूर्ण प्रयास है। यह न केवल बेरोजगारी के विरुद्ध एक ठोस हथियार है, बल्कि औद्योगिक विकास और सामाजिक न्याय की दिशा में भी एक सकारात्मक कदम है।

लाड़ली बहना योजना की सफलता के बाद लाड़ली भाई के आगमन के साथ यह पहल समाज में लैंगिक संतुलन, आर्थिक समावेशन और कुशल मानव संसाधन निर्माण की दिशा में राज्य को आगे बढ़ाएगी। यदि योजना को पारदर्शिता, निरंतरता और गुणवत्ता के साथ लागू किया जाए, तो मध्य प्रदेश देश के अन्य राज्यों के लिए एक आदर्श मॉडल बन सकता है।


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