मोटापा (Obesity): भारत की एक बढ़ती स्वास्थ्य चुनौती

भारत जैसे विकासशील देश में जहां अब भी कुपोषण एक चिंता का विषय है, वहीं मोटापा एक नई और गंभीर स्वास्थ्य समस्या के रूप में उभर रहा है। आज की तेज रफ्तार जीवनशैली, जंक फूड का अत्यधिक सेवन, शारीरिक गतिविधियों में कमी और बढ़ते मानसिक तनाव ने मोटापे की समस्या को और भी गंभीर बना दिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) के आंकड़े स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि भारत में मोटापा अब केवल शहरी समस्या नहीं रही, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी इसकी जड़ें फैल रही हैं।

यह लेख मोटापे की परिभाषा, भारत व वैश्विक स्तर पर इसकी स्थिति, स्वास्थ्य और सामाजिक प्रभाव, आर्थिक बोझ और नीति-निर्माण से संबंधित विभिन्न पहलुओं का समग्र विश्लेषण प्रस्तुत करता है।

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मोटापा: परिभाषा और पहचान

मोटापा की परिभाषा: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) मोटापे को इस प्रकार परिभाषित करता है:

मोटापा एक असामान्य या अत्यधिक वसा (Fat) का संचय है, जो व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है।
यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब शरीर में कैलोरी का सेवन ऊर्जा खर्च से अधिक होता है, जिससे अतिरिक्त ऊर्जा वसा के रूप में जमा हो जाती है।

मोटापे का मापन: BMI (Body Mass Index)

मोटापे या अधिक वजन की पहचान करने के लिए सबसे सामान्य और वैज्ञानिक विधि है: BMI (बॉडी मास इंडेक्स)

BMI क्या है?

BMI एक सरल गणना है जो किसी व्यक्ति के वजन और ऊँचाई के अनुपात के आधार पर यह निर्धारित करती है कि व्यक्ति स्वस्थ वजन में है या नहीं।

BMI की गणना कैसे करें?

BMI निकालने का सूत्र है:

BMI = शरीर का वजन (किलोग्राम में) ÷ (ऊँचाई मीटर में)²

उदाहरण:

मान लीजिए किसी व्यक्ति का वजन 70 किलोग्राम है और उसकी ऊँचाई 1.75 मीटर है।

तो उसकी BMI होगी:

BMI = 70 ÷ (1.75 × 1.75)
BMI = 70 ÷ 3.0625
BMI = 22.86

➡️ इसका अर्थ है कि यह व्यक्ति सामान्य वजन (Normal Weight) श्रेणी में आता है।

BMI मानकों के अनुसार वजन की श्रेणियाँ (WHO के अनुसार)

BMI (मान)वर्गीकरणस्थिति
< 18.5Underweightसामान्य से कम वजन
18.5 – 24.9Normal Weightस्वस्थ वजन
25.0 – 29.9Overweightअधिक वजन
30.0 – 34.9Obese Class Iमोटापा – श्रेणी I
35.0 – 39.9Obese Class IIमोटापा – श्रेणी II
≥ 40.0Obese Class IIIअत्यधिक मोटापा (Severe)

BMI की सीमाएँ

हालांकि BMI एक सहज और व्यापक उपयोग में लाया जाने वाला संकेतक है, लेकिन इसमें कुछ सीमाएँ भी होती हैं:

  1. वसा के वितरण को नहीं दर्शाता (जैसे पेट या जांघों में जमा चर्बी)
  2. मांसपेशियों के भार और शरीर की बनावट का अंतर नहीं बताता
  3. उम्र, लिंग, जातीयता जैसे कारकों की अनदेखी करता है
  4. एक एथलीट का BMI अधिक हो सकता है, लेकिन वह वसा के कारण नहीं, बल्कि मांसपेशियों की अधिकता के कारण

BMI एक सरल, शुरुआती स्तर का मापक है जो यह तय करने में मदद करता है कि किसी व्यक्ति का वजन स्वास्थ्य की दृष्टि से सामान्य है या नहीं। हालांकि, सटीक स्वास्थ्य मूल्यांकन के लिए कमर की चौड़ाई (Waist Circumference), शरीर में वसा प्रतिशत (Body Fat %), और अन्य परीक्षण भी जरूरी होते हैं।

हालांकि BMI एक सामान्य संकेतक है, लेकिन यह वसा के वितरण, मांसपेशियों की संरचना और नस्लीय भिन्नताओं को ध्यान में नहीं रखता, इसलिए यह आंशिक मापदंड है, फिर भी मोटापे की सामान्य पहचान में सहायक है।

BMI कैलकुलेटर: जानें आपका वजन स्वस्थ है या नहीं

मोटापे के स्तर का मूल्यांकन करने के लिए BMI (Body Mass Index) एक सामान्य लेकिन प्रभावी संकेतक है। नीचे दिए गए कैलकुलेटर की मदद से आप आसानी से अपना BMI जान सकते हैं और यह समझ सकते हैं कि आपका वजन सामान्य है, अधिक है या मोटापे की श्रेणी में आता है।

अपना वजन (किलोग्राम में) और ऊंचाई (मीटर या सेंटीमीटर में) दर्ज करें और तुरंत अपना BMI जानें:

🧮 BMI कैलकुलेटर


भारत में मोटापा: एक उभरता संकट

NFHS-5 (2019–21) के प्रमुख निष्कर्ष:

  • महिलाएँ (15–49 वर्ष): 24% महिलाएं अधिक वजन या मोटापे की शिकार हैं।
  • पुरुष (15–49 वर्ष): 22.9% पुरुषों में अधिक वजन या मोटापा दर्ज किया गया।
  • पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चे:
    • NFHS-4 (2015–16): 2.1%
    • NFHS-5 (2019–21): 3.4% (स्पष्ट वृद्धि)

राज्य, लिंग, क्षेत्रीय विविधताएँ

भारत में मोटापे की स्थिति राज्य दर राज्य, ग्रामीण–शहरी क्षेत्रों और लिंग के आधार पर अलग-अलग है। कुछ शहरी क्षेत्रों में यह आंकड़ा 50% तक भी पहुँच चुका है, जबकि कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में यह 8% तक सीमित है।

मोटापा और सामाजिक आर्थिक स्तर

ध्यान देने योग्य बात यह है कि अब मोटापा केवल उच्च वर्ग की बीमारी नहीं रही। मध्यमवर्ग और निम्न आय वर्ग में भी मोटापे की दर तेजी से बढ़ी है, जो खराब पोषण, उच्च कैलोरीयुक्त सस्ते खाद्य पदार्थों की उपलब्धता और शारीरिक निष्क्रियता का परिणाम है।

वैश्विक परिदृश्य: बढ़ता खतरा

विश्व स्तर पर मोटापे के आँकड़े:

  • बच्चे व किशोर (5–19 वर्ष):
    • 1990 में 2% → 2022 में 8% (चार गुना वृद्धि)
  • वयस्क (18 वर्ष+):
    • 1990 में 7% → 2022 में 16% (दोगुनी से अधिक वृद्धि)

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, अब दुनिया में 1 अरब से अधिक लोग मोटापे से ग्रस्त हैं। इनमें से 650 मिलियन वयस्क, 340 मिलियन किशोर और 39 मिलियन बच्चे शामिल हैं।

मोटापे से जुड़े स्वास्थ्य जोखिम

1. हृदय रोग

मोटापा उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल असंतुलन और हृदय पर अतिरिक्त भार के माध्यम से दिल की बीमारियों का मुख्य कारण बनता है।

विशेष तथ्य:
भारतीयों में 10 साल पहले हृदयाघात होने की संभावना पाई गई है, जो दुनिया के औसत से कहीं अधिक चिंताजनक है।

2. मधुमेह (Diabetes)

मोटापा, विशेषकर पेट के आसपास की चर्बी, इंसुलिन रेजिस्टेंस को बढ़ाती है जिससे टाइप–2 डायबिटीज की संभावना अत्यधिक बढ़ जाती है।

भारत में 101 मिलियन से अधिक मधुमेह रोगी हैं, और इनमें से एक बड़ी संख्या मोटापे से प्रभावित है।

3. कैंसर

वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि मोटापा स्तन, कोलन, एंडोमेट्रियल और किडनी जैसे विभिन्न प्रकार के कैंसर के खतरे को बढ़ाता है।

  • 2022 में भारत में 14.6 लाख कैंसर केस
  • 2025 तक अनुमानित आंकड़ा: 15.7 लाख

4. जोड़ों की बीमारियाँ

अत्यधिक वजन घुटनों और रीढ़ की हड्डी पर दबाव डालता है जिससे ऑस्टियोआर्थराइटिस, पीठ दर्द और अन्य ऑर्थोपेडिक समस्याएं होती हैं।

5. मानसिक व सामाजिक प्रभाव

मोटापा न केवल शारीरिक समस्या है बल्कि इसका असर मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है:

  • बुलिंग और शर्मिंदगी के कारण आत्म–सम्मान में कमी
  • डिप्रेशन और एंग्जायटी
  • बच्चों में पढ़ाई और जीवन गुणवत्ता पर नकारात्मक असर

आर्थिक बोझ

मोटापा केवल स्वास्थ्य ही नहीं बल्कि अर्थव्यवस्था के लिए भी एक बड़ा खतरा बन चुका है।

  • 2019 में भारत को नुकसान:
    $28.95 अरब (₹1,800 प्रति व्यक्ति) — GDP का 0.2%
  • 2030 तक अनुमान:
    ₹4,700 प्रति व्यक्ति — GDP का 5.7%

यह खर्च प्रत्यक्ष चिकित्सा लागत (जैसे इलाज, दवा, अस्पताल) के साथ–साथ परोक्ष लागत जैसे उत्पादकता में कमी, कार्यस्थल अनुपस्थिति और समय से पूर्व मृत्यु के कारण होता है।

मोटापा नियंत्रण हेतु नीतिगत पहल

आर्थिक सर्वेक्षण 2024–25

  • मोटापे को प्रमुख स्वास्थ्य चुनौती के रूप में चिह्नित किया गया है।
  • अत्यधिक प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों (Ultra-Processed Foods – UPF) पर उच्च कर लगाने की सिफारिश की गई है।

भारत सरकार की रणनीति

1. NP-NCD कार्यक्रम (National Programme for Non-Communicable Diseases):

  • हृदय रोग, मधुमेह, कैंसर आदि से संबंधित जागरूकता और इलाज।
  • 2027 तक सभी जिलों में डे-केयर कैंसर केंद्र स्थापित करने की योजना।

2. AYUSH मंत्रालय की पहल:

  • मोटापा नियंत्रित करने हेतु पंचकर्म, आहार, योग, आयुर्वेदिक दवाओं का प्रयोग।
  • व्यक्तिगत जीवनशैली आधारित उपचार को बढ़ावा।

जन-जागरूकता अभियान

Fit India Movement (2019):

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रारंभ।
  • स्कूल फिटनेस सर्टिफिकेशन, साइक्लिंग अभियान, योग प्रोत्साहन।

Eat Right India (FSSAI):

  • स्वस्थ, सुरक्षित और टिकाऊ भोजन की संस्कृति का विकास।
  • “अच्छा खाओ, लम्बा जियो” का संदेश।

‘Aaj Se Thoda Kam’ अभियान:

  • आम जनता को फैट, शुगर और नमक की मात्रा कम करने हेतु प्रेरित करना।

HFSS फूड लेबलिंग:

  • High Fat, Sugar, Salt (HFSS) वाले उत्पादों पर फ्रंट ऑफ पैक लेबलिंग अनिवार्य।
  • उपभोक्ताओं को जागरूक करना।

भविष्य की दिशा और सुझाव

1. शिक्षा और पोषण चेतना

  • विद्यालय स्तर पर पोषण शिक्षा को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए।
  • माता-पिता और अभिभावकों को बच्चों के पोषण पर विशेष ध्यान देना चाहिए।

2. शारीरिक गतिविधियों को बढ़ावा

  • कार्यस्थल पर वॉकिंग ब्रेक, योग, साइकलिंग प्रोत्साहन।
  • पार्क और खेल स्थलों का विकास।

3. खाद्य नीतियों का पुनर्गठन

  • जंक फूड पर नियंत्रण और ताजा, स्थानीय, पौष्टिक खाद्य वस्तुओं की सुलभता।
  • विज्ञापनों पर नियंत्रण, विशेषकर बच्चों को लक्षित करने वाले HFSS उत्पाद।

4. डिजिटल हेल्थ और ट्रैकिंग

  • स्वास्थ्य ऐप्स, फिटनेस ट्रैकर और BMI कैलकुलेटर का प्रयोग।
  • सरकारी पोर्टल से जुड़ाव।

निष्कर्ष

मोटापा एक बहुआयामी समस्या है — यह न केवल स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, बल्कि मानसिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से भी व्यक्ति और समाज पर गहरा प्रभाव डालता है। भारत में यह संकट तेजी से गहराता जा रहा है, विशेष रूप से बच्चों और युवाओं में इसके आंकड़े चिंताजनक हैं।

मोटापे से लड़ने के लिए एक समेकित दृष्टिकोण की आवश्यकता है — जिसमें नीति-निर्माण, व्यक्तिगत व्यवहार परिवर्तन, सामाजिक सहयोग और सरकारी पहल की अहम भूमिका होनी चाहिए।

स्वस्थ भारत तभी संभव है जब उसका हर नागरिक फिट और सक्रिय हो। मोटापे को हराना केवल चिकित्सकीय नहीं, सामाजिक और सांस्कृतिक आंदोलन भी है।


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