राज्यपाल | भारतीय राज्यों का संवैधानिक प्रमुख

भारतीय संविधान में राज्यपाल का उल्लेख राज्य की कार्यपालिका के प्रमुख के रूप में किया गया है। संविधान के अनुच्छेद 153 से 161 के अंतर्गत राज्यपाल की नियुक्ति, शक्तियों और कर्तव्यों का वर्णन है।

यह आलेख भारतीय संविधान के अनुच्छेदों के अनुसार राज्यपाल के प्रावधान, नियुक्ति, कार्यकाल, शक्तियाँ और अन्य महत्वपूर्ण तथ्यों का विस्तार से वर्णन करता है। अनुच्छेद 153 से 161 तक राज्यपाल की परिभाषा, योग्यता, शपथ और कार्यकारी शक्तियों का उल्लेख किया गया है। इसमें राज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति, राज्य महाधिवक्ता की नियुक्ति, और विधानसभा सत्रों के आह्वान और भंग करने के अधिकारों की जानकारी दी गई है।

अनुच्छेद 213 के तहत राज्यपाल की अध्यादेश जारी करने की शक्ति और अनुच्छेद 161 के तहत क्षमा प्रदान करने की शक्ति का भी उल्लेख किया गया है। इसके अलावा, राज्यपाल द्वारा राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में कार्य करने की जानकारी भी शामिल है। यह आलेख राज्यपाल की संवैधानिक भूमिका और उनके कार्यों के व्यापक विवरण को समाहित करता है, जो भारतीय संविधान की व्याख्या और राज्यपाल के महत्वपूर्ण योगदान को समझने में सहायक है।

राज्यपाल की नियुक्ति और कार्यकाल

राज्यपाल राज्य का प्रथम नागरिक होता है और राज्य की कार्यपालिका का प्रमुख होता है। वे राज्य की शासन प्रणाली में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अनुच्छेद 153 के अनुसार, प्रत्येक राज्य का एक राज्यपाल होगा। हालांकि, एक राज्यपाल एक या एक से अधिक राज्यों के लिए भी नियुक्त किया जा सकता है। राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 155 के तहत की जाती है और उनका कार्यकाल सामान्यतः 5 वर्ष होता है, लेकिन वे राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यन्त अपने पद पर बने रहते हैं (अनुच्छेद 156)।

राज्यपाल बनने की योग्यता और शपथ

अनुच्छेद 157 राज्यपाल बनने की योग्यता निर्धारित करता है। राज्यपाल को अपने पद की शपथ राज्य के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा दिलाई जाती है (अनुच्छेद 159)।

राज्यपाल की शक्तियाँ और कर्तव्य

कार्यपालिका शक्तियाँ

अनुच्छेद 154 के अनुसार, राज्य की कार्यपालिका की शक्ति राज्यपाल में निहित होती है। राज्यपाल यह शक्तियाँ मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद की सलाह पर उपयोग करता है। अनुच्छेद 163 के अनुसार, राज्यपाल को मंत्रिपरिषद की सलाह से कार्य करना होता है।

नियुक्तियाँ

  • राज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री की नियुक्ति की जाती है (अनुच्छेद 164)।
  • मुख्यमंत्री की सलाह से अन्य मंत्रियों की नियुक्ति की जाती है। 91वें संविधान संशोधन 2003 के अनुसार, मंत्रिपरिषद का आकार विधानसभा की कुल सदस्य संख्या का 15 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए और न्यूनतम 12 सदस्य होने चाहिए।
  • राज्य महाधिवक्ता की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है (अनुच्छेद 165)। महाधिवक्ता राज्यपाल के प्रसाद पर्यन्त तक अपने पद पर बने रहते हैं।

व्यवस्थापिका शक्तियाँ

  • राज्यपाल विधानमंडल के सत्र को आहूत, सत्रवसान और भंग करने का अधिकार रखते हैं (अनुच्छेद 175)।
  • राज्यपाल का विशेष अभिभाषण राज्य मंत्रिमंडल द्वारा तैयार किया जाता है (अनुच्छेद 176)।
  • राज्य का बजट राज्यपाल की अनुमति से विधानसभा में रखा जाता है। राज्यपाल विधेयकों को अनुमति प्रदान करते हैं (अनुच्छेद 200)।
  • राज्यपाल विधेयक को राष्ट्रपति की अनुमति के लिए भेज सकते हैं (अनुच्छेद 201)।

अध्यादेश जारी करने की शक्ति

अनुच्छेद 213 के अंतर्गत, राज्यपाल को राज्य में अध्यादेश जारी करने की शक्ति प्राप्त है।

अन्य शक्तियाँ

  • राज्यपाल सभी राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति होते हैं।
  • अनुच्छेद 161 के तहत, राज्यपाल को क्षमा प्रदान करने की शक्ति होती है, लेकिन उन्हें मृत्यु दंड को माफ करने का अधिकार नहीं है।

राज्यपाल से सम्बंधित अनुच्छेदों का संक्षिप्त विवरण

अनुच्छेदविवरण
अनुच्छेद 12 और 36– राज्य की परिभाषा।
अनुच्छेद 153– एक या एक से अधिक राज्यों का एक राज्यपाल हो सकता है।
अनुच्छेद 154– राज्य की कार्यपालिका की शक्ति राज्यपाल में निहित थी, इसका प्रयोग वह अनुच्छेद 163 के द्वारा करेगा।
अनुच्छेद 155– राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा।
अनुच्छेद 156– कार्यकाल सामान्य 5 वर्ष और राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यन्त।
अनुच्छेद 157– राज्यपाल बनने की योग्यता।
अनुच्छेद 159– शपथ सम्बंधित (राज्य के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा)
अनुच्छेद 164– राज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री की नियुक्ति, मुख्यमंत्री की सलाह से अन्य मंत्रियों की नियुक्ति।
अनुच्छेद 165– राज्य महाधिवक्ता की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा, महाधिवक्ता राज्यपाल के प्रसाद पर्यन्त तक रहता है।
अनुच्छेद 175– विधानसभा सत्र आहूत, सत्रवसान और भंग करने का अधिकार।
अनुच्छेद 176– राज्यपाल का विशेष अभिभाषण राज्य मंत्रिमंडल द्वारा तैयार किया जाता है।
अनुच्छेद 200– राज्य का बजट राज्यपाल की अनुमति से विधानसभा में रखा जाता है, राज्य के विधेयकों को अनुमति प्रदान करता है।
अनुच्छेद 201– राज्यपाल विधेयक को राष्ट्रपति की अनुमति के लिए भेज सकता है।
अनुच्छेद 213– राज्यपाल की अध्यादेश जारी करने की शक्ति।
अनुच्छेद 161– राज्यपाल को क्षमा प्रदान करने की शक्ति, लेकिन मृत्यु दंड को माफ करने का अधिकार नहीं।
शक्तियाँ और कर्तव्यविवरण
व्यवस्थापिका शक्तियाँ– विधानमंडल के सत्र को आहूत, सत्रवसान और भंग करने का अधिकार।
– विशेष अभिभाषण राज्य मंत्रिमंडल द्वारा तैयार।
– राज्य का बजट राज्यपाल की अनुमति से विधानसभा में रखा जाता है।
– विधेयकों को अनुमति प्रदान करता है।
कार्यपालिका शक्तियाँ– मुख्यमंत्री की नियुक्ति।
– मुख्यमंत्री की सलाह से अन्य मंत्रियों की नियुक्ति।
– राज्य महाधिवक्ता की नियुक्ति।
– राज्यपाल द्वारा 1/6 विधान परिषद सदस्यों की नियुक्ति।
अन्य शक्तियाँ– राज्यपाल सभी राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति।
– क्षमा प्रदान करने की शक्ति, लेकिन मृत्यु दंड को माफ करने का अधिकार नहीं।
– अध्यादेश जारी करने की शक्ति।

राज्यपाल का पद भारतीय संघीय ढांचे में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो राज्य और केंद्र के बीच संतुलन बनाए रखने में सहायक होता है। उनके कर्तव्य और शक्तियाँ राज्य की कार्यपालिका और व्यवस्थापिका के समुचित संचालन में सहायक होती हैं, जिससे राज्य का समुचित विकास और शासन सुनिश्चित होता है।

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