मानव सभ्यता के विकास के साथ ही लेखन कला का भी उत्थान हुआ। लेखन ने न केवल ज्ञान के संरक्षण और प्रसार का कार्य किया, बल्कि समाज की सांस्कृतिक, सामाजिक और नैतिक संरचना को भी गढ़ा। लेखन को विचारों, भावनाओं और अनुभवों को अभिव्यक्त करने का सबसे सशक्त साधन माना जाता है। यही कारण है कि लेखक (Writer) को समाज का पथ-प्रदर्शक और विचारों का संवाहक समझा जाता है।
लेखक की परिभाषा
लेखक वह व्यक्ति है जो विचारोत्तेजक विषयों पर लिखता है या जो कविता, कहानी, उपन्यास, नाटक, निबंध और पटकथा जैसी रचनाओं का सृजन करता है। लेखक केवल भाषा का प्रयोग करने वाला व्यक्ति नहीं होता, बल्कि वह समाज की संवेदनाओं, जीवन-दर्शन और भविष्य की दिशा को भी शब्दों में ढालता है।
लेखक की विशेषताएँ
- विचारों की स्पष्टता – एक लेखक जटिल से जटिल विचारों को भी सरल और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करता है।
- रचनात्मकता – लेखक अपनी कल्पनाशक्ति के आधार पर काल्पनिक और यथार्थपरक संसार रच सकता है।
- सामाजिक भूमिका – लेखक समाज की समस्याओं, आस्थाओं और सांस्कृतिक प्रवृत्तियों को शब्दों में दर्ज करता है।
- माध्यमों का प्रयोग – आधुनिक समय में लेखक अपने विचारों को प्रेषित करने के लिए केवल शब्दों तक सीमित नहीं है। वह चित्र, ग्राफिक्स, फोटो और मल्टीमीडिया का भी सहारा ले सकता है।
- संगीत और भाषा – लेखक संगीत और शब्दों के माध्यम से विचारों और भावनाओं को अधिक प्रभावशाली ढंग से संप्रेषित करता है।
लेखक का पेशेवर स्वरूप
कई लेखक पेशेवर रूप से लेखन कार्य करते हैं। उन्हें उनकी रचनाओं के प्रकाशन के बाद पारिश्रमिक या मानदेय दिया जाता है। लेखन का यह व्यवसायिक स्वरूप साहित्य को केवल अभिव्यक्ति का साधन नहीं रहने देता, बल्कि यह जीविकोपार्जन का एक साधन भी बन जाता है।
लेखक के प्रकार
लेखकों को सामान्यतः दो प्रमुख श्रेणियों में विभाजित किया जाता है –
1. गद्य लेखक
गद्य वह साहित्यिक विधा है जिसमें छंद का बंधन नहीं होता। बोलचाल और सामान्य व्यवहार की भाषा ही गद्य कहलाती है। गद्य के अंतर्गत निबंध, कहानी, उपन्यास, नाटक, आत्मकथा और पटकथा सम्मिलित हैं।
- गद्य लेखक की विशेषता यह होती है कि वह जीवन की जटिलताओं, यथार्थ और समाज की वास्तविक परिस्थितियों को बिना अलंकारिकता के सीधे ढंग से व्यक्त करता है।
2. पद्य लेखक
पद्य या कविता साहित्य की वह विधा है जिसमें भावनाओं और विचारों को छंद और लय के माध्यम से कलात्मक रूप दिया जाता है। इसमें शब्द केवल संप्रेषण का साधन नहीं होते, बल्कि वे संगीतात्मकता और सौंदर्य का भी सृजन करते हैं।
- पद्य लेखक को सामान्यतः कवि कहा जाता है।
- कवि समाज की संवेदनाओं को काव्यात्मक रूप में ढालकर पाठकों के हृदय तक पहुँचाता है।
हिंदी साहित्य के प्रमुख लेखक, कवि एवं उनकी रचनाएँ
भारतीय साहित्य की परंपरा अत्यंत समृद्ध है। विभिन्न युगों में अनेक कवि और लेखक हुए जिन्होंने समाज की चेतना को नई दिशा प्रदान की। हिंदी साहित्य के इतिहास को मुख्यतः चार कालखंडों – आदिकाल, भक्तिकाल, रीतिकाल और आधुनिक काल में विभाजित किया जाता है। प्रत्येक काल की अपनी distinct विशेषताएँ, प्रवृत्तियाँ और प्रमुख रचनाकार हैं। यह तालिका विभिन्न कालखंडों के प्रमुख हिंदी साहित्यकारों, उनके संक्षिप्त परिचय और उनकी प्रसिद्ध रचनाओं का एक संगठित विवरण प्रस्तुत करती है।
क्रम | कालखंड | लेखक | सामान्य परिचय (संक्षिप्त) | प्रमुख रचनाएँ |
---|---|---|---|---|
1 | आदिकाल | चंदबरदाई | पृथ्वीराज चौहान के मित्र और दरबारी कवि। | पृथ्वीराज रासो |
2 | दलपति विजय | खुमान रासो के रचयिता। | खुमानरासो | |
3 | नरपति नाल्ह | पश्चिमी राजस्थानी भाषा के प्रसिद्ध कवि। | बीसलदेव रासो | |
4 | जगनिक | परमाल रासो (लोकगाथा ‘आल्हा’) के रचयिता। | परमालरासो (आल्हाखण्ड) | |
5 | सारंगधर | हम्मीर रासो नामक रचना के लिए जाने जाते हैं। | हम्मीर रासो | |
6 | भक्तिकाल | कबीरदास | 15वीं सदी के निर्गुण निराकार भक्ति धारा के संत कवि, निर्गुण भक्ति के प्रमुख प्रवर्तक। | रमैनी, सबद, साखी |
7 | सूरदास | भक्तिकाल की सगुण (कृष्ण भक्ति) धारा के प्रमुख कवि, ब्रजभाषा के श्रेष्ठ कवि। | सूरसागर, सूर सारावली, साहित्य लहरी | |
8 | तुलसीदास | भक्तिकाल के सगुण (राम भक्ति) धारा के सर्वश्रेष्ठ कवि, अवधी और ब्रजभाषा के महान लेखक। | रामचरितमानस, विनय पत्रिका, कवितावली, दोहावली | |
9 | मलिक मुहम्मद जायसी | निर्गुण प्रेमाश्रयी (सूफी) धारा के प्रमुख कवि, अवधी भाषा के कवि। | पद्मावत, आखिरी कलाम | |
10 | मीराबाई | कृष्ण भक्ति में लीन राजस्थान की संत कवयित्री। | राग गोविन्द, नरसीजी का मेहरा | |
11 | रहीम (अब्दुलरहीम खानखाना) | मुगल बादशाह अकबर के दरबारी नवरत्नों में से एक, ज्ञान और नीति के कवि। | रहीम सतसई, रत्नावली | |
12 | रीतिकाल | बिहारी | रीतिकाल के प्रथम और नीति/शृंगार के श्रेष्ठ कवि, दोहों के लिए प्रसिद्ध। | बिहारी सतसई |
13 | केशवदास | रीतिकाल के प्रवर्तक आचार्य, संस्कृत काव्यशास्त्र को हिंदी में स्थापित करने वाले। | रामचंद्रिका, कविप्रिया, रसिकप्रिया | |
14 | भूषण | वीर रस के अद्वितीय कवि, शिवाजी और छत्रपति के गुणगान के लिए प्रसिद्ध। | शिवा बावनी, शिवराज भूषण, छत्रशाल दशक | |
15 | घनानंद | रीतिमुक्त काव्यधारा के प्रमुख कवि, प्रेम और विरह के कवि। | सुजान सागर, इश्कलता | |
16 | देव | शृंगार रस के कवि, अलंकार और भावुकता के लिए जाने जाते हैं। | भावविलास, रसविलास | |
17 | मतिराम | शृंगार रस के प्रसिद्ध कवि, अलंकार योजना में निपुण। | ललितललाम, रसराज | |
18 | पद्माकर | रीतिकाल के अंतिम चरण के प्रमुख कवि, शृंगार और ऐतिहासिक वर्णन के लिए जाने जाते हैं। | पद्माभरण, जगद्विनोद | |
19 | चिंतामणि त्रिपाठी | रीतिकालीन कवि, अलंकार और रस सिद्धांत के ज्ञाता। | कविकुल कल्पतरु, काव्यविवेक | |
20 | आधुनिक काल | भारतेन्दु हरिश्चंद्र | आधुनिक हिंदी साहित्य के जनक, खड़ी बोली को साहित्यिक रूप देने का श्रेय। | प्रेमफुलवारी, अंधेर नगरी |
21 | मैथिलीशरण गुप्त | खड़ी बोली के प्रथम महत्वपूर्ण कवि, ‘राष्ट्रकवि’ के नाम से प्रसिद्ध। | साकेत, भारत-भारती, यशोधरा | |
22 | जयशंकर प्रसाद | छायावाद के चार स्तंभों में से एक, कवि, नाटककार और कहानीकार। | कामायनी, झरना, आँसू, स्कंदगुप्त | |
23 | सुमित्रानंदन पंत | छायावाद के चार स्तंभों में से एक, प्रकृति के सुकुमार कवि। | ग्रंथि, पल्लव, चिदंबरा | |
24 | सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ | छायावाद के चार स्तंभों में से एक, क्रांतिकारी विचारधारा और मुक्तछंद के प्रवर्तक। | राम की शक्ति पूजा, सरोज स्मृति, अनामिका | |
25 | महादेवी वर्मा | छायावाद के चार स्तंभों में से एक, ‘आधुनिक मीरा’ के नाम से प्रसिद्ध, गद्य और पद्य दोनों में प्रसिद्ध। | यामा, नीहार, रश्मि, स्मृति की रेखाएँ (गद्य) | |
26 | सुभद्रा कुमारी चौहान | राष्ट्रीय चेतना की ओजस्वी कवयित्री, खड़ी बोली की सरल अभिव्यक्ति के लिए जानी जाती हैं। | झाँसी की रानी, मुकुल, त्रिधारा | |
27 | हरिवंश राय बच्चन | हालावाद के प्रवर्तक, ‘मधुशाला’ के रचयिता के रूप में अमर। | मधुशाला, मधुबाला, मधुकलश, निशा निमंत्रण | |
28 | रामधारी सिंह ‘दिनकर’ | वीर रस और राष्ट्रीय ओज के स्वाभाविक कवि, ‘राष्ट्रकवि’ के रूप में प्रतिष्ठित। | उर्वशी, रश्मिरथी, कुरुक्षेत्र, हुँकार | |
29 | सोहनलाल द्विवेदी | ओज और राष्ट्रभक्ति से परिपूर्ण रचनाओं के कवि। | मुक्तिगंधा, कुणाल, युगधारा | |
30 | माखनलाल चतुर्वेदी | ओजपूर्ण राष्ट्रभक्ति की कविताओं और ‘पुष्प की अभिलाषा’ जैसी कोमल कविता के लिए प्रसिद्ध। | हिमतरंगिनी, हिमकिरीटिनी, पुष्प की अभिलाषा | |
31 | अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ | खड़ी बोली के प्रथम महाकाव्य के रचयिता। | प्रियप्रवास, वैदेही वनवास | |
32 | रामनरेश त्रिपाठी | पूर्व छायावाद युग के कवि, ग्राम्य जीवन के चितेरे। | पथिक, मिलन, ग्राम्य गीत | |
33 | श्रीधर पाठक | प्राकृतिक सौंदर्य और स्वदेश प्रेम के कवि। | कश्मीर सुषमा, भारत गीत | |
34 | भवानीप्रसाद मिश्र | गांधीवादी विचारधारा के सहज और मानवीय कवि, ‘दूसरा सप्तक’ के कवि। | गीत-फरोश, खुशबू के शिलालेख | |
35 | बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ | राष्ट्रीय चेतना और ओजस्वी भावनाओं के कवि। | उर्मिला, अपलक, क्वासी | |
36 | सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ | प्रयोगवाद और नई कविता के प्रमुख कवि-सिद्धांतकार, ‘तार सप्तक’ के संपादक। | आंगन के पार द्वार, हरी घास पर क्षण भर, कितनी नावों में कितनी बार | |
37 | रामकुमार वर्मा | हिंदी एकांकी के जनक, रहस्यवादी और छायावादी कवि। | चितौड़ की चिता, एकलव्य, दीपदान | |
38 | धर्मवीर भारती | प्रगतिवाद और नई कविता के बीच के कवि, प्रसिद्ध उपन्यासकार और नाटककार। | अंधा युग, कनुप्रिया, गुनाहों का देवता | |
39 | गजानन माधव ‘मुक्तिबोध’ | प्रगतिवादी और प्रयोगशील कवि, जटिल बिम्बों और intellectual content के लिए प्रसिद्ध। | चाँद का मुँह टेढ़ा है, अंधेरे में | |
40 | सर्वेश्वर दयाल सक्सेना | नई कविता और बाल साहित्य के प्रमुख हस्ताक्षर, सामाजिक यथार्थ के कवि। | काठ की घंटियाँ, बांस का पुल, एक सूनी नाव | |
41 | केदारनाथ सिंह | नई कविता के प्रमुख कवि, सहज और गहन बिम्बों के लिए प्रसिद्ध, ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित। | अकाल में सारस, जमीन पक रही है, बाघ | |
42 | कुंवर नारायण | नई कविता के intellect और गहन चिंतन के कवि, ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित। | आत्मजयी, कोई दूसरा नहीं, अपने सामने | |
43 | उदय प्रकाश | समकालीन हिंदी के प्रमुख कथाकार और कवि, यथार्थ और फैंटेसी के मिश्रण के लिए जाने जाते हैं। | दरियाई घोड़ा, तिरिछ, एक भाषा हुआ करती है, मोहन दास |
(उपरोक्त सूची केवल संक्षेप में है; इनके अतिरिक्त भी अनेक कवि और लेखक हैं जिन्होंने हिंदी साहित्य को समृद्ध किया। आगे 100 लेखकों की सूची उनके संक्षिप्त परिचय के साथ दी गयी है।)
लेखक और समाज
- लेखक केवल मनोरंजन का साधन नहीं होते, बल्कि वे समाज को दिशा देने वाले विचारक भी होते हैं।
- साहित्य में प्रकट विचार समाज की समस्याओं को उजागर करते हैं और उनके समाधान का मार्ग भी सुझाते हैं।
- भक्ति आंदोलन के कवियों ने जहाँ सामाजिक बुराइयों पर चोट की, वहीं आधुनिक कवियों ने स्वतंत्रता संग्राम और सामाजिक चेतना को जागृत किया।
साहित्य और सांस्कृतिक विकास
लेखक समाज के सांस्कृतिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनकी रचनाएँ सामाजिक परंपराओं, धार्मिक आस्थाओं और सांस्कृतिक मूल्यों का संरक्षण करती हैं।
हिंदी साहित्य के प्रमुख कवि–लेखक : परिचय व रचनाएँ
क्रमांक | लेखक/कवि | संक्षिप्त परिचय | प्रमुख रचनाएँ |
---|---|---|---|
1 | सूरदास | भक्तिकाल के महान कृष्णभक्त कवि; ब्रजभाषा के अमर गायक | सूरसागर, साहित्य लहरी |
2 | तुलसीदास | रामभक्ति धारा के सर्वोच्च कवि; अवधी भाषा में रचना | रामचरितमानस, विनय पत्रिका |
3 | कबीरदास | निर्गुण भक्ति आंदोलन के प्रवर्तक संत कवि | साखी, सबद, रमैनी |
4 | मलिक मुहम्मद जायसी | सूफी कवि; प्रेम व त्याग की गाथा के गायक | पद्मावत |
5 | मीरा बाई | कृष्णभक्ति की अनन्य भक्त; लोकभाषा में रचनाएँ | मीरा पदावली |
6 | रहीम (अब्दुर रहीम ख़ानख़ाना) | अकबर दरबार के नवरत्न; नीति और श्रृंगार कवि | रहीम सतसई |
7 | बिहारीलाल | रीतिकालीन कवि; श्रृंगार रस के प्रवर्तक | बिहारी सतसई |
8 | घनानंद | रीतिकालीन कवि; वियोग व प्रेम के गीत | प्रेमपत्रिका |
9 | भूषण | वीर रस के प्रख्यात कवि; शिवाजी की प्रशंसा | शिवराजभूषण |
10 | घनानंद | रीतिकाल के प्रसिद्ध कवि, जिन्हें उनकी विरहपूर्ण और श्रृंगारिक रचनाओं के लिए विशेष रूप से जाना जाता है। | सुजान रसखान, पदावली |
11 | भारतेंदु हरिश्चंद्र | आधुनिक हिंदी साहित्य के जनक; नवजागरण के प्रवर्तक | वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति, अंधेर नगरी |
12 | आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी | द्विवेदी युग के निर्माता; खड़ी बोली हिंदी को प्रतिष्ठा | काव्य मंजरी, साहित्यिक आलोचना |
13 | मैथिलीशरण गुप्त | राष्ट्रकवि; खड़ी बोली के प्रथम महाकवि | भारत-भारती, साकेत |
14 | जयशंकर प्रसाद | छायावाद के स्तंभ; कवि, नाटककार, उपन्यासकार | कामायनी, आँसू |
15 | सुमित्रानंदन पंत | प्रकृति–प्रेमी छायावादी कवि | गुंजन, ग्राम्या |
16 | महादेवी वर्मा | छायावाद की चौथी स्तंभ; आधुनिक मीरा | यामा, नीरजा |
17 | सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ | छायावाद के क्रांतिकारी कवि; गद्य व पद्य दोनों में दक्ष | अनामिका, सरोज स्मृति |
18 | रामधारी सिंह ‘दिनकर’ | राष्ट्रकवि; वीर रस व ओजपूर्ण काव्य | रश्मिरथी, उर्वशी |
19 | हरिवंश राय बच्चन | प्रगतिवादी कवि; काव्य में जीवन दर्शन | मधुशाला |
20 | माखनलाल चतुर्वेदी | कवि, पत्रकार, स्वतंत्रता सेनानी | पुष्प की अभिलाषा |
21 | सुभद्राकुमारी चौहान | राष्ट्रीय चेतना की कवयित्री | झाँसी की रानी |
22 | सोहनलाल द्विवेदी | राष्ट्रकवि; गांधी से प्रेरित | कुणाल, मुक्तिगंधा |
23 | हरिऔध (अयोध्या सिंह उपाध्याय) | खड़ी बोली के कवि; गेय काव्य रचनाएँ | प्रियप्रवास |
24 | बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ | राष्ट्रकवि; ओजस्वी कविताएँ | उन्मुक्त, तारों के गीत |
25 | शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ | प्रगतिवादी कवि; राष्ट्रीय चेतना के गायक | पर्वत प्रदेश में पावस |
26 | रघुवीर सहाय | नई कविता आंदोलन से जुड़े; व्यंग्यात्मक कविताएँ | लोग भूल गए हैं |
27 | शमशेर बहादुर सिंह | प्रयोगवाद व प्रगतिवाद के कवि | कुछ कविताएँ |
28 | दुष्यंत कुमार | हिंदी ग़ज़ल को नया आयाम | साये में धूप |
29 | गोपालदास ‘नीरज’ | कवि और गीतकार; सरल व गेय काव्य | कारवां गुजर गया |
30 | भवानीप्रसाद मिश्र | सरल भाषा में संवेदनशील कविताएँ | अंधेरी कविताएँ |
31 | भवानी भाई | जनकवि; लोककाव्य परंपरा से जुड़े | सतपुड़ा के घने जंगल |
32 | बालकवि बैरागी | जनकवि व गीतकार | झंडा ऊँचा रहे हमारा |
33 | प्रेमचंद | उपन्यास सम्राट; यथार्थवादी कथा साहित्य | गोदान, गबन |
34 | जैनेंद्र कुमार | मनोवैज्ञानिक उपन्यासकार | सुनीता, त्यागपत्र |
35 | यशपाल | क्रांतिकारी लेखक; यथार्थवादी उपन्यास | झूठा सच |
36 | धर्मवीर भारती | कवि व उपन्यासकार | अंधा युग, गुनाहों का देवता |
37 | अज्ञेय | प्रयोगवाद व नई कविता के प्रवर्तक | शेखर एक जीवनी |
38 | गजानन माधव मुक्तिबोध | प्रगतिशील व नई कविता के कवि, विचारधारा आधारित कवि | चाँद का मुँह टेढ़ा है, अंधेरे में, ब्रह्मराक्षस |
39 | रघुवीर चौधरी | आलोचक व साहित्यकार | अमृतपात्र |
40 | मन्नू भंडारी | नारी चेतना की लेखिका | आपका बंटी |
41 | राजेंद्र यादव | आलोचक व कथाकार; स्त्री विमर्श के प्रवर्तक | उस पार |
42 | मोहन राकेश | आधुनिक हिंदी नाटककार | आषाढ़ का एक दिन |
43 | भीष्म साहनी | यथार्थवादी कथाकार | तमस |
44 | निर्मल वर्मा | नई कहानी के प्रमुख लेखक | रात का रिपोर्टर |
45 | उदय प्रकाश | समकालीन कथाकार | तिरिछ |
46 | कमलेश्वर | लोकप्रिय कथाकार | काली आँधी |
47 | कृष्णा सोबती | महिला कथाकार; बोलचाल की भाषा का प्रयोग | ज़िंदगीनामा |
48 | सुधा अरोड़ा | नारी लेखन की प्रमुख लेखिका | यही सच है |
49 | महाश्वेता देवी | सामाजिक चेतना की लेखिका (बांग्ला व हिंदी में) | हज़ार चौरासी की माँ |
50 | अमृता प्रीतम | पंजाबी व हिंदी की प्रख्यात कवयित्री | पिंजर |
51 | गुलज़ार | गीतकार, कवि और पटकथा लेखक; सरल संवेदनशील शैली | रावी पार, दिल का रिश्ता |
52 | फिराक गोरखपुरी | आधुनिक ग़ज़ल और कविता के महान शायर | गुल-ए-नगमा |
53 | रामवृक्ष बेनीपुरी | स्वतंत्रता सेनानी और निबंधकार | गंगा मइया, अछूत |
54 | आचार्य हज़ारीप्रसाद द्विवेदी | आलोचक व उपन्यासकार; हिंदी साहित्य इतिहासकार | पुनर्नवा, बनभट्ट की आत्मकथा |
55 | रामविलास शर्मा | आलोचक और चिंतक; साहित्य और समाज पर गहन लेखन | तुलसीदास और उनका युग |
56 | नामवर सिंह | प्रमुख आलोचक; हिंदी आलोचना को नया आयाम | छायावाद, आलोचना की परंपरा |
57 | विद्यानिवास मिश्र | आलोचक, निबंधकार और भाषा-शास्त्री | हिंदी साहित्य और संस्कृति पर रचनाएँ |
58 | इलाचंद्र जोशी | मनोवैज्ञानिक उपन्यासकार | सच की राह, ज़ंजीरें और दीवारें |
59 | राही मासूम रज़ा | उपन्यासकार और कवि; धर्मनिरपेक्ष चेतना | आधा गाँव, टोपी शुक्ला |
60 | सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ | प्रयोगवाद के प्रवर्तक | अरसे-यायावर, बावरा अहेरी |
61 | धूमिल (सुधीनंदन पंत धूमिल) | तीखे व्यंग्य और आक्रोशपूर्ण कविताएँ | सुदामा पांडे का प्रजातंत्र |
62 | राजकमल चौधरी | नई कहानी और प्रगतिशील साहित्यकार | मुक्तिप्रसंग |
63 | शिवपूजन सहाय | उपन्यासकार और निबंधकार; ग्रामीण जीवन चित्रण | देहाती दुनिया |
64 | नागार्जुन (बाबा नागार्जुन) | जनकवि; सहज भाषा में कविताएँ | बदबू, धरती |
65 | शमशेर बहादुर सिंह | नई कविता के शिल्पकार | अज्ञातवास |
66 | ध्यानेश्वर प्रसाद ‘ध्यानेश्वर’ | लोकधर्मी कवि | गंध |
67 | राजेश जोशी | समकालीन कवि | दूसरा सप्तक |
68 | कुमार विश्वास | समकालीन कवि; मंच पर लोकप्रिय | कोई दीवाना कहता है |
69 | नरेश मेहता | ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता कवि | अरण्य, प्राची |
70 | कृष्णा सोबती | नारी विमर्श की प्रमुख लेखिका | मित्रो मरजानी, ज़िंदगीनामा |
71 | कमलेश्वर | कथाकार और पटकथा लेखक | काली आँधी |
72 | भीष्म साहनी | यथार्थवादी लेखक | तमस, बसंती |
73 | मन्नू भंडारी | नारी मनोविज्ञान की लेखिका | आपका बंटी |
74 | अमृतलाल नागर | सामाजिक और ऐतिहासिक उपन्यासकार | बूंद और समुद्र |
75 | हजारीप्रसाद द्विवेदी | साहित्यकार और चिंतक | चारुचंद्रलेख |
76 | डॉ. धर्मवीर भारती | कवि और उपन्यासकार | गुनाहों का देवता |
77 | नरेन्द्र कोहली | पुराणों को आधुनिक कथा में ढालने वाले | अभ्युदय, महाकाल |
78 | श्यामनंदन सहाय | आलोचक और निबंधकार | साहित्यिक लेख |
79 | विजयदेव नारायण साही | प्रगतिशील कवि और चिंतक | दृष्टि और सृष्टि |
80 | केदारनाथ सिंह | आधुनिक कवि; ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता | यहाँ से देखो, बाघ |
81 | अशोक वाजपेयी | आधुनिक कवि और आलोचक | शहर अब भी संभावना है |
82 | नरोत्तमदास | भक्ति काल के प्रसिद्ध कवि | सुदामा चरित |
83 | डॉ. भीमराव आंबेडकर | समाज सुधारक और लेखक | जाति का विनाश |
84 | महात्मा गांधी | राष्ट्रपिता; आत्मकथा | हिंद स्वराज, सत्य के प्रयोग |
85 | जवाहरलाल नेहरू | प्रथम प्रधानमंत्री; गद्य लेखक | भारत की खोज, मेरी आत्मकथा |
86 | सुभाष चंद्र बोस | स्वतंत्रता सेनानी और लेखक | आज़ाद हिंद, भारत की पुकार |
87 | रामचंद्र शुक्ल | हिंदी साहित्य के महान इतिहासकार | हिंदी साहित्य का इतिहास |
88 | आचार्य शुक्ल (रामचंद्र शुक्ल) | आलोचना के जनक | चिंतामणि |
89 | कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी | गुजराती और हिंदी साहित्यकार | भारत की कथा |
90 | श्यामनारायण पांडेय | काव्य में ऐतिहासिक कथाओं के कवि | हल्दीघाटी |
91 | जगदीश गुप्त | नई कविता के कवि | हंस बलाका |
92 | रामेश्वर शुक्ल ‘अंचल’ | ग्राम्य कवि | ग्राम गीत |
93 | वीरेन्द्र मिश्र | गीतकार और कवि | अंचल गीत |
94 | सोहनलाल द्विवेदी | गांधीवादी कवि | मुक्तिगंधा |
95 | हरिशंकर परसाई | व्यंग्यकार और निबंधकार | रानी नागफनी की कहानी |
96 | श्यामनारायण पांडेय | वीर रस और ऐतिहासिक कवि | हल्दीघाटी |
97 | राजेश जोशी | समकालीन कवि | शोक का सुख |
98 | ज्ञानेंद्रपति | समकालीन कवि | संज्ञा-निर्माण |
99 | कुंवर नारायण | आधुनिक हिंदी कविता के महत्त्वपूर्ण कवि | आत्मजयी |
100 | केशवदास | संस्कृत व हिंदी के विद्वान; रीति काल के आचार्य कवि, जिन्हें ब्रजभाषा का प्रमुख अलंकारिक कवि माना जाता है। | रसिकप्रिया, कविप्रिया, रामचंद्रिका |
निष्कर्ष
लेखक समाज के दर्पण के समान होते हैं। वे अपने लेखन के माध्यम से जीवन की सच्चाइयों, भावनाओं और आदर्शों को उजागर करते हैं। चाहे गद्य हो या पद्य, दोनों ही साहित्यिक विधाओं के लेखक समाज की चेतना को जागृत करते रहे हैं। सूर, तुलसी, कबीर से लेकर अज्ञेय, मुक्तिबोध और उदय प्रकाश तक, प्रत्येक लेखक ने अपने समय की परिस्थितियों को अपनी रचनाओं में उतारा।
इस प्रकार, लेखक केवल शब्दों का शिल्पी नहीं होता, बल्कि वह समाज का मार्गदर्शक, विचारक और संस्कृति का संरक्षक होता है।
इन्हें भी देखें –
- संप्रदाय और वाद : उत्पत्ति, परिभाषा, विकास और साहित्यिक-दर्शनिक परंपरा
- गुरु-शिष्य परम्परा: भारतीय संस्कृति की आत्मा और ज्ञान की धरोहर
- हिंदी साहित्य की विधाएँ : विकास, आधुनिक स्वरूप और अनुवाद की भूमिका
- ब्राह्मी लिपि से आधुनिक भारतीय लिपियों तक: उद्भव, विकास, शास्त्रीय प्रमाण, अशोक शिलालेख
- प्रत्यय | परिभाषा, भेद एवं 100+ उदाहरण
- उपसर्ग | परिभाषा, भेद और 100+ उदाहरण
- लिंग (Gender) – परिभाषा, भेद और नियम
- मुहावरा और लोकोक्तियाँ 250+
- वर्तनी | परिभाषा, भेद एवं 50+ उदाहरण
- रस | परिभाषा, भेद और उदाहरण
- हिन्दी के प्रमुख कवियों और लेखकों के उपनाम