भारत में वस्तु एवं सेवा कर | जीएसटी | Goods and Services Tax | GST

भारत में 1 जुलाई 2017 को लागू किया गया वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Services Tax – GST) देश के कर ढांचे में एक ऐतिहासिक बदलाव का प्रतीक है। यह सुधार, देश की अर्थव्यवस्था में एकीकृत कर प्रणाली की स्थापना करते हुए, विभिन्न अप्रत्यक्ष करों को समाप्त करने और एक ही कर के रूप में समाहित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। जीएसटी को लागू करने के पीछे का उद्देश्य था कि देश के कर ढांचे को सरल, पारदर्शी और अधिक प्रभावी बनाया जा सके, जिससे कर चोरी की संभावना कम हो और राजस्व संग्रहण में वृद्धि हो सके।

वस्तु एवं सेवा कर – जीएसटी (Goods and Services Tax – GST) का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

वस्तु एवं सेवा कर – जीएसटी (Goods and Services Tax – GST) की अवधारणा पहली बार वर्ष 2000 में सामने आई, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने एक समिति का गठन किया था। इस समिति का कार्य था जीएसटी के कार्यान्वयन के लिए एक रोडमैप तैयार करना। इस समिति के अध्यक्ष असीम दासगुप्ता थे, जिन्होंने जीएसटी के प्रारूप को तैयार किया। जीएसटी को लागू करने का सुझाव विजय केलकर समिति ने भी दिया था, जिसने कर ढांचे को अधिक प्रभावी और आधुनिक बनाने की सिफारिश की थी।

जीएसटी (Goods and Services Tax – GST) को लागू करने के लिए संविधान में 122वें संशोधन विधेयक 2016 को संसद में पेश किया गया और 3 अगस्त 2016 को राज्यसभा एवं 8 अगस्त 2016 को लोकसभा में इसे पारित किया गया। इसके बाद, 8 सितंबर 2016 को राष्ट्रपति ने इस विधेयक को मंजूरी दी, जिससे यह संविधान संशोधन कानून बन गया। इसके साथ ही अनुच्छेद 279 ए के तहत जीएसटी परिषद का गठन किया गया, जो केंद्र और राज्य सरकारों का एक संयुक्त मंच है।

जीएसटी का ढांचा और इसके प्रकार

भारत में जीएसटी एक अप्रत्यक्ष, बहुस्तरीय, गंतव्य आधारित प्रकार का कर है, जो कि पूरे देश में एक समान कर दर पर लागू होता है। जीएसटी के तहत तीन प्रकार के कर लगाए जाते हैं:

  1. केंद्रीय जीएसटी (CGST): यह कर केंद्र सरकार द्वारा वसूला जाता है। इसे राज्य के भीतर की गई आपूर्ति पर लागू किया जाता है।
  2. राज्य जीएसटी (SGST): यह कर राज्य सरकार द्वारा वसूला जाता है और इसे राज्य के भीतर की गई आपूर्ति पर लागू किया जाता है।
  3. समेकित जीएसटी (IGST): यह कर केंद्र सरकार द्वारा वसूला जाता है और इसे राज्यों के बीच की गई आपूर्ति पर लागू किया जाता है। यह अंतर्राज्यीय व्यापार और सेवाओं पर लागू होता है।

जीएसटी के अंतर्गत कुल 15 डिजिट की पंजीकरण संख्या होती है। जीएसटी पंजीकरण प्रक्रिया में व्यापारियों और सेवा प्रदाताओं को जीएसटीएन (GST Network) पर पंजीकरण कराना होता है, जिससे उनका व्यापार और कर भुगतान सरकार द्वारा निगरानी में रखा जा सके।

जीएसटी परिषद और उसकी संरचना

संविधान के अनुच्छेद 279(A) के तहत भारत में वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Services Tax – GST) परिषद का गठन किया गया है। यह परिषद जीएसटी से संबंधित सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर केंद्र और राज्य सरकारों के लिए सिफारिशें करती है। जीएसटी परिषद में कुल 33 सदस्य शामिल होते हैं, जिसमें केंद्रीय वित्त मंत्री अध्यक्ष के रूप में कार्य करते हैं। इसके अलावा, राज्य मंत्री, जो वित्त या राजस्व के प्रभारी होते हैं, सदस्य के रूप में शामिल होते हैं। साथ ही, राज्यों के मंत्री प्रभारी वित्त, कराधान या अन्य मंत्री, जिन्हें राज्य सरकार द्वारा मनोनीत किया गया हो, भी सदस्य होते हैं।

जीएसटी परिषद में सम्मिलित सदस्यों के बीच सहमति बनाकर ही महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाते हैं। यह परिषद समय-समय पर विभिन्न दरों, छूटों और कर नियमों के संबंध में सुझाव देती है। इसके अलावा, जीएसटी परिषद यह भी सुनिश्चित करती है कि जीएसटी से जुड़े सभी मुद्दों का समाधान हो और यह कर प्रणाली पूरे देश में समान रूप से लागू हो।

जीएसटी की दरें और इसके प्रभाव

जीएसटी (Goods and Services Tax – GST) के तहत कुल पाँच दरें निर्धारित की गई हैं, जो 0%, 5%, 12%, 18%, और 28% के रूप में लागू होती हैं। विभिन्न वस्तुएँ और सेवाएँ इन दरों के अंतर्गत आती हैं। जीएसटी की दरें वस्तुओं और सेवाओं की प्रकृति के आधार पर निर्धारित की जाती हैं, जिससे उनकी कीमतों पर कर का प्रभाव हो।

जीएसटी के तहत कुछ वस्तुएँ और सेवाएँ ऐसी भी हैं, जो इसके दायरे से बाहर रखी गई हैं। इनमें शराब, पेट्रोलियम वस्तुएँ, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएँ प्रमुख हैं। यह निर्णय लिया गया कि इन वस्तुओं और सेवाओं पर राज्य सरकारें अपने स्तर पर कर लगा सकेंगी, जिससे राज्य सरकारों के राजस्व में कमी न हो।

जीएसटी की चुनौतियाँ और इसके समाधान

जीएसटी के लागू होने के बाद कई चुनौतियाँ भी सामने आईं। इनमें से एक प्रमुख चुनौती थी जीएसटी के तहत विभिन्न दरों और कर नियमों का पालन करना। इसके अलावा, व्यापारियों और व्यवसायियों के लिए जीएसटी की जटिलता को समझना और इसका अनुपालन करना भी कठिनाईपूर्ण था। इन चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने समय-समय पर जीएसटी के नियमों में सुधार किया और व्यापारियों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाए।

जीएसटी के तहत कर चोरी करने पर पाँच वर्षों के लिए कारावास का प्रावधान है। यह प्रावधान उन लोगों के लिए है, जो जानबूझकर जीएसटी के नियमों का उल्लंघन करते हैं और कर चोरी करते हैं। इस प्रकार के सख्त प्रावधानों के कारण जीएसटी के तहत कर अनुपालन में सुधार हुआ है और कर चोरी की संभावना कम हो गई है।

जीएसटी (GST) से राज्यों को होने वाले लाभ और केंद्र की भूमिका

जीएसटी के लागू होने से राज्यों को अपने कर राजस्व में कमी का सामना करना पड़ा। इस समस्या के समाधान के लिए केंद्र सरकार ने यह निर्णय लिया कि वह पाँच वर्षों तक राज्यों को जीएसटी से होने वाले नुकसान की 100% भरपाई करेगी। इससे राज्यों को आर्थिक स्थिरता प्राप्त करने में सहायता मिली और उन्होंने जीएसटी के तहत अधिकतम कर संग्रहण के लिए अपने प्रयासों को तेज किया।

इसके अलावा, केंद्र और राज्य सरकारों के बीच समन्वय स्थापित करने के लिए जीएसटी परिषद का गठन किया गया, जिसमें राज्यों के हितों का ध्यान रखा गया। जीएसटी परिषद के माध्यम से केंद्र और राज्य सरकारों के बीच संवाद को बढ़ावा मिला और उन्होंने एक-दूसरे के साथ मिलकर काम किया।

विश्व में जीएसटी का इतिहास और भारत में इसका स्थान

जीएसटी को लागू करने वाला विश्व का पहला देश फ्रांस था, जिसने 1954 में इसे लागू किया था। फ्रांस के बाद कई अन्य देशों ने भी जीएसटी को अपनाया, जिससे उनका कर ढांचा अधिक सरल और प्रभावी हो सका। भारत में जीएसटी का सुझाव विजय केलकर समिति ने दिया था, जिसके बाद इसे लागू करने के लिए कई वर्षों तक चर्चा और विचार-विमर्श किया गया।

जीएसटी को लागू करने से पहले विभिन्न राज्यों में अलग-अलग प्रकार के कर लागू होते थे, जिससे व्यापारियों और व्यवसायियों को कठिनाई होती थी। जीएसटी के तहत सभी अप्रत्यक्ष करों को एकीकृत कर दिया गया, जिससे व्यापारियों को एक ही कर प्रणाली का पालन करना पड़ा।

जीएसटी में समाहित कुल अप्रत्यक्ष करों और अधिभार (सेस) की संख्या क्रमशः 17 अप्रत्यक्ष कर और 23 अधिभार है। इन सभी करों को जीएसटी के अंतर्गत लाकर व्यापारियों के लिए कर अनुपालन को सरल बनाया गया है।

जीएसटी का लागू होना: राज्यों की प्रतिक्रिया

जीएसटी बिल को सर्वप्रथम असम राज्य ने पारित किया था। इसके बाद अन्य राज्यों ने भी इसे अपनाया। हालांकि, जम्मू-कश्मीर राज्य ने जीएसटी को अपने यहाँ लागू नहीं किया, जिससे यह भारत का एकमात्र राज्य बन गया जहाँ जीएसटी लागू नहीं है।

जीएसटी के तहत राज्यों को केंद्र सरकार की ओर से वित्तीय सहायता भी प्रदान की जाती है, जिससे उन्हें जीएसटी के तहत आने वाली आर्थिक चुनौतियों का सामना करने में मदद मिलती है।

भारत में जीएसटी का लागू होना देश के कर ढांचे में एक महत्वपूर्ण सुधार है। यह कर प्रणाली देश को एकीकृत कर ढांचा प्रदान करती है, जिससे कर अनुपालन में सुधार हुआ है और राजस्व संग्रहण में वृद्धि हुई है। जीएसटी के तहत केंद्र और राज्य सरकारों के बीच समन्वय को बढ़ावा मिला है और इससे व्यापारियों और व्यवसायियों के लिए कर अनुपालन सरल हो गया है।

जीएसटी की सफलता के लिए जीएसटी परिषद का महत्वपूर्ण योगदान है, जिसने समय-समय पर विभिन्न मुद्दों पर सिफारिशें दी हैं और इसके तहत केंद्र और राज्य सरकारों के बीच समन्वय स्थापित किया है।

जीएसटी के लागू होने से पहले भारत में विभिन्न प्रकार के अप्रत्यक्ष कर लागू होते थे, जिससे कर ढांचा जटिल हो गया था। जीएसटी ने इन सभी करों को समाहित कर एक सरल और प्रभावी कर प्रणाली का निर्माण किया है। इससे न केवल व्यापारियों को लाभ हुआ है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिली है।

जीएसटी का भविष्य उज्ज्वल दिख रहा है और इसके तहत भारत की आर्थिक प्रगति को नई दिशा मिलेगी। सरकार के लगातार सुधार प्रयासों और जीएसटी परिषद के मार्गदर्शन में यह कर प्रणाली और भी प्रभावी होती जाएगी, जिससे देश के विकास में योगदान मिलेगा।

Polity – KnowledgeSthali


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