वाक्य किसे कहते है? वाक्य के भेद | 100+ उदाहरण

शब्दों का वह सार्थक समूह जिससे एक विचार की स्पष्ट एवं पूर्ण अभिव्यक्ति होती हो उसे वाक्य कहते हैं। भाषा व व्याकरण का सबसे बड़ा अंग वाक्य होता है। भाव/भावार्थ के आधार पर भाषा की सबसे बड़ी एवं सबसे छोटी इकाई वाक्य होता है, क्योंकि भाव/भावार्थ के आधार पर भाषा का सिर्फ़ एक ही अंग होता है, जो कि वाक्य होता है।

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वाक्य की परिभाषा

“सार्थक शब्दों का क्रमबद्ध समूह जिससे कोई भाव स्पष्ट हो, वाक्य कहलाता है।”

उदहारण – राम पुस्तक पढ़ता है।

इस वाक्य से एक भाव स्पष्ट हो जाता है कि “राम पुस्तक पढ़ता है। क्योंकि उपर्युक्त वाक्य के सभी शब्द सार्थक ही नहीं हैं, वरन् क्रमबद्ध रूप में सजे हुए भी हैं। यदि सभी पद (शब्द) क्रमबद्ध रूप में न हों, तो वाक्य अशुद्ध हो जाएगा, साथ ही अर्थ भी समझ में नहीं आएगा। जैसे –

  • पढ़ता पुस्तक है राम।
  • है पुस्तक पढ़ता राम।
  • राम पुस्तक है पढ़ता।

उपर्युक्त वाक्यों में प्रयुक्त सभी शब्द सार्थक हैं, लेकिन वाक्य-रचना की दृष्टि से सभी वाक्य अशुद्ध हैं। अशुद्धता का एक ही कारण है — सभी शब्द (पद) क्रमबद्ध रूप में नहीं हैं, जिससे उनके अर्थ या भाव को समझने में कठिनाई होती है।

वाक्य के अनिवार्य तत्व

वाक्य

व्याकरण की दृष्टि से एक शुद्ध वाक्य निर्माण में निम्नलिखित गुणों का होना आवश्यक है-

  • आकांक्षा : आकांक्षा अर्थात इच्छा। वाक्य पदों के मेल से बनता है। किसी वाक्य में आने वाले पदों को जानने की इच्छा आकांक्षा कहलाती है।
  • योग्यता : पदों में निहित अर्थ का ज्ञान कराने की क्षमता को योग्यता कहते हैं।
  • निकटता : वाक्य का उचित व पूर्ण अर्थ प्रकट करने के लिए पदों की एक दूसरे से निकटता आवश्यक है। यदि वाक्य में आए एक पद का उच्चारण दूसरे पद से काफी समय बाद किया जाए तो अर्थ प्रकट होने में रुकावट आती है।
  • पदक्रम : वाक्य मे प्रयोग किए जाने वाले सभी शब्दों (पदों) का क्रम निश्चित होता है। यदि वाक्य में पदों का क्रम सही नहीं है, तो अर्थ स्पष्ट नहीं होता।
  • अन्वय : अन्वय का अर्थ है मेल या एकरूपता। व्याकरण के नियमों के अनुसार वाक्य में पदों प्रयोग अन्वय कहलाता है।

वाक्य के अंग अथवा अवयव

वाक्य के दो अवयव होते हैं- उद्देश्य एवं विधेय

उद्देश्य किसे कहते है? 

किसी वाक्य में जिस व्यक्ति या वस्तु के संबंध में कहा जाता है, उस व्यक्ति या वस्तु को दर्शाने वाले शब्दों को उद्देश्य कहते हैं। किसी वाक्य में कर्ता ही उद्देश्य होता है। कर्ता के विशेषण एवं कर्ता विस्तारक को भी उद्देश्य में ही शामिल किया जाता है।

उद्देश्य के उदाहरण

  • राम ने रावण को मारा।
  • रवि दौड़ रहा है।
  • आत्मा अमर है।

उपरोक्त तीनों वाक्यों में ‘राम ने’, ‘रवि’ और ‘आत्मा’ उद्देश्य हैं, क्योंकि वाक्यों में इनके विषय में कुछ न कुछ कहा गया है।

उद्देश्य की रचना प्रायः चार प्रकार से होती है-

  • संज्ञा से
    • रवि दौड़ रहा है।
  • सर्वनाम से
    • वह दौड़ रहा है।
  • विशेषण से
    • सवार दौड़ रहा है।
  • वाक्यांश से
    • स्वतंत्रता का पुजारी दौड़ रहा है।

विधेय किसे कहते है? 

उद्देश्य के विषय में जो कुछ कहा जाता है, उसे दर्शाने वाले शब्दों को विधेय कहते हैं। किसी वाक्य में प्रस्तुत क्रिया, क्रिया का विस्तारक, कर्म, कर्म का विस्तारक, पूरक तथा पूरक का विस्तारक विधेय के अंतर्गत आते हैं।

विधेय के उदाहरण:-

  • राम ने रावण को मारा।
  • रवि दौड़ रहा है।
  • आत्मा अमर है।

उपवाक्य (Clause) किसे कहते है ?

यदि किसी एक वाक्य में एक से अधिक समापिका क्रियाये होती है, तो वह वाक्य उपवाक्यों में बंट जाता है। और उसमे जितनी भी समापिका क्रियाये होती है उतने ही उपवाक्य होते है। इन उपवाक्यों में से जो वाक्य का केंद्र होता है, उसे मुख्य या प्रधान उपवाक्य कहते है और शेष को आश्रित उपवाक्य कहते है। इस प्रकार उपवाक्य के दो भाग होते है-

  • प्रधान उपवाक्य (Main Clause)
  • आश्रित उपवाक्य (Subordinate Clause)

प्रधान उपवाक्य (Main Clause) किसे कहते हैं

वह उपवाक्य जो प्रधान या मुख्य उद्देश्य तथा मुख्य विधेय से मिलकर बना हो उसे प्रधान उपवाक्य कहते हैं। प्रधान उपवाक्य एक प्रकार का साधारण वाक्य होता है। मिश्र वाक्य में सभी आश्रित उपवाक्य प्रधान उपवाक्य पर आश्रित रहते हैं, अर्थात स्वतंत्र नहीं होते है।

प्रधान उपवाक्य के उदाहरण

  • गांधी जी ने कहा कि सदा सत्य बोलो, हिंसा मत करो।
  • रवि ने कहा कि वह मुंबई जा रहा है।
  • जिसकी लाठी उसकी भैंस

उपरोक्त तीनों उदाहरणों में ‘गांधी जी ने कहा’, ‘रवि ने कहा’ तथा ‘उसकी भैंस’ प्रधान उपवाक्य हैं।

आश्रित उपवाक्य (Subordinate Clause) किसे कहते हैं

वह वाक्य जो प्रधान उपवाक्य पर आश्रित रहता है उसे आश्रित उपवाक्य कहते हैं। आश्रित उपवाक्य का आरंभ योजक शब्द से होता है। आश्रित उपवाक्य के तीन भेद होते हैं।

आश्रित उपवाक्य के उदाहरण

  • गांधीजी ने कहा कि सदा सत्य बोलो, हिंसा मत करो
  • रवि ने कहा कि वह मुंबई जा रहा है
  • जिसकी लाठी उसकी भैंस।

उपरोक्त तीनों उदाहरणों में ‘कि सदा सत्य बोलो’, ‘हिंसा मत करो’, ‘कि वह मुंबई जा रहा है’, ‘जिसकी लाठी’ आश्रित उपवाक्य हैं। आश्रित उपवाक्य तीन प्रकार के होते है-

  • संज्ञा आश्रित उपवाक्य – प्रधान उपवाक्य की किसी संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले आश्रित उपवाक्य को संज्ञा उपवाक्य कहते हैं। किसी वाक्य में संज्ञा उपवाक्य का प्रारंभ प्रायः ‘कि’ से होता है।

जैसे:- गांधीजी ने कहा कि सदा सत्य बोलो। इस वाक्य में ‘की सदा सत्य बोलो’ संज्ञा आश्रित उपवाक्य है।

  • विशेषण उपवाक्य – प्रधान उपवाक्य के किसी संज्ञा या सर्वनाम शब्द की विशेषता बतलाने वाले आश्रित उपवाक्य को विशेषण उपवाक्य कहते हैं। किसी वाक्य में विशेषण उपवाक्य का आरंभ प्रायः जिसका, जिसकी, जो, जिसके आदि में से किसी एक शब्द से होता है।

जैसे:- जो विद्वान होते हैं, उनका सभी आदर करते हैं।

  • क्रिया विशेषण उपवाक्य – प्रधान उपवाक्य की क्रिया की विशेषता बताने वाले आश्रित उपवाक्य को क्रिया विशेषण उपवाक्य कहते हैं। किसी वाक्य में क्रिया विशेषण उपवाक्य यदि, जहां, जैसे, तब, जब, यद्यपि, क्योंकि आदि में से किसी एक शब्द से प्रारंभ होता है।

जैसे:- यदि मोहन मेहनत करता, तो अवश्य सफ़ल होता।

पदबंध अथवा वाक्यांश (Phrase) किसे कहते है?

कई पदों के योग से बने वाक्यांशों को, जो एक ही पद का काम करता है, पदबंध कहते है। पदबंध को वाक्यांश भी कहते है।

अर्थात शब्दों के ऐसे समूह को जिनका अर्थ तो निकलता है परन्तु पूरा अर्थ नहीं निकलता है उसे पदबंध अथवा (Phrase) वाक्यांश कहते है। जैसे-

  • सबसे तेज दौड़ने वाला छात्र जीत गया।
  • यह लड़की अत्यंत सुशील और परिश्रमी है।
  • नदी बहती चली जा रही है।
  • नदी कल-कल करती हुई बह रही थी।

उपर्युक्त वाक्यों में रंगीन (लाल रंग में) लिखे गए शब्द पदबंध है। जैसे पहले उदहारण में ‘सबसे तेज दौड़ने वाला छात्र’ में पांच पद हैं किन्तु वे मिलकर एक ही पद अर्थात संज्ञा का कार्य कर रहे है, इन शब्दों को मिलाने पर इसका एक अर्थ तो निकल रहा है परन्तु यह अर्थ पूरा नहीं है। अतः ये सभी मिलकर एक पदबंध हुए।

इसी प्रकार दूसरे वाक्य के ‘अत्यंत सुशील और परिश्रमी’ में भी चार पद हैं, किन्तु वे मिलकर एक ही पद अर्थात विशेषण का कार्य कर रहे हैं। तीसरे वाक्य के ‘बहती चली जा रही है’ में पाँच पद हैं किन्तु वे मिलकर एक ही पद अर्थात क्रिया का काम कर रहे हैं। चौथे वाक्य के ‘कल-कल करती हुई’ में तीन पद हैं, किन्तु वे मिलकर एक ही पद अर्थात क्रिया विशेषण का काम कर रहे हैं।

इस प्रकार रचना की दृष्टि से पदबन्ध में तीन बातें आवश्यक हैं- एक तो यह कि इसमें एक से अधिक पद होते हैं। दूसरे ये पद इस तरह से सम्बद्ध होते हैं कि उनसे एक इकाई बन जाती है। तीसरे, पदबन्ध किसी वाक्य का अंश होता है।

पदबंध मुख्य कार्य वाक्य को स्पष्ट, सार्थक और प्रभावकारी बनाना है। शब्द-लाघव के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है- खास तौर से समास, मुहावरों और कहावतों में। ये पदबंध पूरे वाक्य नहीं होते, बल्कि वाक्य के टुकड़े हैं, किन्तु निश्र्चित अर्थ और क्रम के परिचायक हैं। हिंदी व्याकरण में इन पर अभी स्वतन्त्र अध्ययन नहीं हुआ है।

पदबंध के भेद (प्रकार)

मुख्य पद के आधार पर पदबंध के पाँच प्रकार होते हैं-
(1) संज्ञा पदबंध
(2) विशेषण पदबंध
(3) सर्वनाम पदबंध
(4) क्रिया पदबंध
(5) क्रिया विशेषण या अव्यय पदबंध

1.संज्ञा-पदबंध

वह पदबंध जो वाक्य में संज्ञा का कार्य करे, संज्ञा पदबंध कहलाता है। अर्थात पदबंध का अंतिम अथवा शीर्ष शब्द यदि संज्ञा हो और अन्य सभी पद उसी पर आश्रित हो तो वह ‘संज्ञा पदबंध’ कहलाता है। जैसे-

  • चार ताकतवर मजदूर इस भारी चीज को उठा पाए।
  • राम ने लंका के राजा रावण को मार गिराया।
  • अयोध्या के राजा दशरथ के चार पुत्र थे।
  • आसमान में उड़ता गुब्बारा फट गया।

उपर्युक्त वाक्यों में रंगीन (लाल रंग में ) लिखे शब्द ‘संज्ञा पदबंध’ है।

2.विशेषण पदबंध

वह पदबंध जो संज्ञा अथवा सर्वनाम की विशेषता बतलाता हुआ विशेषण का कार्य करे, विशेषण पदबंध कहलाता है।
अर्थात जब एक से अधिक पद मिलकर विशेषण पद का कार्य करें, तो उसे विशेषण पदबंध कहा जाता हैं। जैसे-

  • तेज चलने वाली गाड़ियाँ प्रायः देर से पहुँचती हैं।
  • उस घर के कोने में बैठा हुआ आदमी जासूस है।
  • उसका घोड़ा अत्यंत सुंदर, फुरतीला और आज्ञाकारी है।
  • बरगद और पीपल की घनी छाँव से हमें बहुत सुख मिला।

उपर्युक्त वाक्यों में रंगीन (लाल रंग में ) लिखे शब्द ‘विशेषण पदबंध’ है।

3. सर्वनाम पदबंध

वह पदबंध जो वाक्य में सर्वनाम का कार्य करे, सर्वनाम पदबंध कहलाता है। अर्थात जब कई पद मिलकर सर्वनाम पद का कार्य करें, तो उसे सर्वनाम पदबंध कहा जाता है। जैसे-

  • बिजली-सी फुरती दिखाकर आपने बालक को डूबने से बचा लिया।
  • शरारत करने वाले छात्रों में से कुछ पकड़े गए।
  • विरोध करने वाले लोगों में से कोई नहीं बोला।


उपर्युक्त वाक्यों में रंगीन (लाल रंग में ) लिखे शब्द सर्वनाम पदबंध हैं क्योंकि वे क्रमशः ‘आपने’ ‘कुछ’ और ‘कोई’ इन सर्वनाम शब्दों से सम्बद्ध हैं।

4.क्रिया पदबंध- 

वह पदबंध जो अनेक क्रिया-पदों से मिलकर बना हो, क्रिया पदबंध कहलाता है। अर्थात जब कई क्रियाएँ मिलकर एक क्रिया पद का कार्य करें, तो उसे क्रिया पदबंध कहा जाता है।

क्रिया पदबंध में मुख्य क्रिया पहले आती है। उसके बाद अन्य क्रियाएँ मिलकर एक समग्र इकाई बनाती है। यही ‘क्रिया पदबंध’ है।जैसे-

  • वह बाजार की ओर आया होगा।
  • मुझे मोहन छत से दिखाई दे रहा है।
  • सुरेश नदी में डूब गया।
  • अब दरवाजा खोला जा सकता है।

उपर्युक्त वाक्यों में रंगीन (लाल रंग में ) लिखे शब्द ‘क्रिया पदबंध’ है।

5.क्रिया विशेषण या अव्यय पदबंध 

वह पदबंध जो वाक्य में अव्यय का कार्य करे, अव्यय पदबंध कहलाता है। अर्थात जब कई पद मिलकर क्रियाविशेषण पद का कार्य करते हैं, तो उसे क्रियाविशेषण या अव्यय पदबंध कहा जाता हैं। इस पदबंध का अंतिम शब्द अव्यय होता है। जैसे-

  • अपने सामान के साथ वह चला गया।
  • सुबह से शाम तक वह बैठा रहा।

इन वाक्यों में रंगीन (लाल रंग में ) लिखे शब्द अव्यय पदबंध हैं।

संज्ञा पदबंध और विशेषण पदबंध में अंतर

संज्ञा पदबंध में संज्ञा के पहले आनेवाले पदबंध प्रायः विशेषण पदबंध ही हुआ करते हैं, इसलिए यदि उन विशेषण पदबंधों को संज्ञा के साथ मिलाकर लिखा जाए तो वे संज्ञा पदबंध तथा संज्ञा से अलग करके लिखा जाए तो वे विशेषण पदबंध होते हैं। जैसे-

  • बेकार बैठने वाले लोग जीवन में कभी सफल नहीं होते।

इसमें बेकार बैठने वाले लोग संज्ञा पदबंध है, जबकि बेकार बैठने वाले विशेषण पदबंध।

पदबन्ध और उपवाक्य में अन्तर

पदबन्ध और उपवाक्य में अन्तर को निम्न प्रकार से समझा जा सकता है-

  • उपवाक्य (Clause) भी पदबन्ध (Phrase) की तरह पदों का समूह है, लेकिन इससे केवल आंशिक भाव प्रकट होता है, पूरा नहीं।
  • इसमें उद्देश्य-विधेय आदि नहीं होते यानी वाक्य के सभी अंग नहीं होते हैं। जबकि इसमें उद्देश्य एवं विधेय दोनों होते हैं।
  • पदबन्ध में क्रिया नहीं होती, उपवाक्य में क्रिया रहती है।

जैसे-‘ज्योंही वह आया, त्योंही मैं चला गया।’ यहाँ ‘ज्योंही वह आया’ एक उपवाक्य है, जिससे पूर्ण अर्थ की प्रतीति नहीं होती। इसी प्रकार ‘रवि ने कहा कि वह मुंबई जा रहा है।’ इसमें उपवाक्य है।

वाक्य के भेद

सामान्यतः वाक्यों का वर्गीकरण दो आधारों पर किया जाता है जो निम्न प्रकार से है —

  • रचना के आधार पर
  • अर्थ के आधार पर

1. रचना के आधार पर वाक्य के भेद

रचना के आधार पर वाक्य के तीन भेद हैं-

  • साधारण वाक्य (Simple Sentence)
  • संयुक्त वाक्य (Compound Sentence)
  • मिश्र वाक्य अथवा मिश्रित वाक्य (Complex Sentence)

1.साधारण वाक्य किसे कहते है?

जिस वाक्य में एक ही उद्देश्य एवं एक ही विधेय हो उसे साधारण वाक्य कहते हैं। यदि किसी वाक्य में एक से अधिक कर्ता हों तथा उनकी क्रिया भी समान हो तो उस वाक्य को साधारण या सरल वाक्य ही माना जाता है, क्योंकि समान क्रिया वाले समस्त कर्ता एक ही उद्देश्य को दर्शाते हैं। 

जिस वाक्य में एक कर्ता और एक क्रिया हो, उसे सरल वाक्य कहते हैं। दूसरे शब्दों में, जिसमें एक उद्देश्य और एक विधेय हो, उसे सरल वाक्य कहते हैं। उदहारण

  • राम पढ़ता है।
  • बिल्ली दूध पीती है।
  • मेहनत करने वाला विद्यार्थी ही सफल होता है।
  • घूमना स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद है।
  • सीता खाना बना रही है।

साधारण वाक्य के कुछ नियम

  • यदि किसी वाक्य में एक कर्ता हो एवं उसकी क्रियाएं एक से अधिक हों तो समस्त क्रियाओं को एक ही विधेय माना जाता है, अर्थात एक कर्ता की एक से अधिक क्रियाएं होने पर भी वाक्य साधारण वाक्य होगा।

जैसे:- रवि पढ़ एवं लिख रहा है।

  • यदि किसी वाक्य में एक से अधिक कर्ता हों तथा समस्त कर्ताओं की क्रियाएं एक से अधिक एवं समान हों तो वाक्य को साधारण वाक्य ही माना जाता है, क्योंकि समान क्रियाएं करने वाले समस्त कर्ताओं को एक उद्देश्य तथा समान कर्ताओं वाली समस्त क्रियाओं को एक विधेय माना जाता है।

जैसे:- महेश रमेश व सुरेश पढ़ एवं लिख रहे हैं।

2.संयुक्त वाक्य किसे कहते हैं?

वह वाक्य जो दो या दो से अधिक स्वतंत्र साधारण वाक्यों या प्रधान उपवाक्यों के मेल से बना हो उसे संयुक्त वाक्य कहते हैं। संयुक्त वाक्य में प्रयुक्त सभी उपवाक्य स्वतंत्र होते हैं, अर्थात किसी भी उपवाक्य को हटा देने से शेष वाक्यों के अर्थ पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

अर्थात जिस वाक्य में दो या दो से अधिक सरल या मिश्र वाक्य किसी अव्यय द्वारा जुड़े हों, उसे संयुक्त वाक्य कहते हैं। जैसे –

  • सुबह हुई और भौरे गुंजार करने लगे।   (और – अव्यय)।
  • वह धनी है, लेकिन बहुत घमंडी है।     (लेकिन – अव्यय)। 

संयुक्त वाक्य के उदहारण

  • मैंने गांव पहुंचकर देखा कि सब होली का त्योहार मना रहे थे।
  • मोहन महान व्यक्ति बनना चाहता है किंतु वह मेहनत नहीं करना चाहता।
  • वह केवल अच्छा धावक ही नहीं अपितु एक अच्छा संगीतकार भी है।
  • अपना काम भी करो तथा दूसरों की सहायता भी करो।
  • मैंने उसे पुस्तक दी और वह चला गया।
  • वह पढ़ाई भी करता है और पैसा कमाने के लिए काम भी करता है।
  • मैंने गीता पढ़ी और मेरा व्यवहार बदलने लगा।
  • कंडक्टर ने सीटी बजाई और बस काशी के लिए रवाना हो गई।
  • उसने दिन-रात कड़ी मेहनत की थी इसलिए वह आज बहुत पैसे कमाता है।
  • मुझे खाना बनाना आता है इसलिए मुझे अकेले रहने में कोई दिक्कत नहीं होती।
  • वह हर वक्त लड़ता रहता है इसलिए मुसीबत उसके सिर पर मंडराती रहती है।
  • मुझे भीड़ में चलना पसंद नहीं इसलिए मैं अकेले चलता हूं।
  • वह अच्छा व्यक्ति है इसलिए दान पुण्य करता रहता है।
  • चंद्रगुप्त एक महान योद्धा थे इसलिए वह अपने शत्रु पर आसानी से विजय प्राप्त कर पाते थे।
  • गर्मी का मौसम आ गया है इसलिए आज का तापमान कल के मुकाबले ज्यादा है।
  • मैंने उसे बहुत समझाया इसलिए वह अच्छे काम करता है।
  • मोहन ने अनेकों पुस्तकें पढ़ी किंतु उसको अपने सवाल का जवाब नहीं मिला।
  • उसने इस वर्ष खूब मेहनत की किंतु वह इस परीक्षा में असफल हो गया।
  • मुझे विद्यालय के लिए सुबह सुबह निकलना था किंतु बारिश होने के कारण मैं घर पर ही रहा।
  • मुझे गाना गाने का कोई शौक नहीं किंतु मुझे हर गाने के बोल याद रहते हैं।
  • उसे मैंने बहुत समझाया किंतु उसके कान पर जूं नहीं रेंगती।
  • वह पैसे से लाचार है किंतु वह व्यवहार का धनी है।

संयुक्त वाक्य में प्रयुक्त सभी वाक्य संयोजक शब्दों (किंतु, परंतु, लेकिन, तथा, या, एवं, अथवा, और, बल्कि, अतः) से जुड़े हुए रहते हैं, लेकिन यह कोई आवश्यक शर्त नहीं है, क्योंकि बिना संयोजक शब्दों के भी संयुक्त वाक्य हो सकता है। जैसे-

  • रवि पुस्तक पढ़ रहा है, विवेक चाय बना रहा है। 
  • सीता बीमार है इसलिए आज ऑफिस नहीं आई है।
  • मैं घर से निकला ही था कि शंकर मिल गया और हम खेलने चले गए।

3.मिश्र वाक्य अथवा मिश्रित वाक्य किसे कहते है ?

जिस वाक्य में एक प्रधान उपवाक्य तथा एक या एक से अधिक आश्रित उपवाक्य हों उसे मिश्रित वाक्य कहते हैं। यदि मिश्र वाक्य के सभी उपवाक्य योजक शब्दों से प्रारंभ हों तो वाक्य का अंतिम उपवाक्य प्रधान उपवाक्य तथा शेष सभी उपवाक्य आश्रित उपवाक्य होते हैं। अर्थात जिस वाक्य में एक सरल वाक्य के अलावा एक या एक से अधिक आश्रित उपवाक्य हों, वह मिश्र वाक्य कहलाता है।

मुहावरे एवं लोकोक्तियां मिश्र वाक्य होती हैं। मिश्रित वाक्य में जब-तब, जैसा-वैसा, कि, जितना-उतना, जिसकी-उसकी, यदि-तो, यद्यपि-तथापि, जो-सो/वह आदि योजक शब्दों का प्रयोग किया जाता है। जैसे –

  • रवि ने कहा कि वह मुंबई जा रहा है।
  • गांधीजी ने कहा कि सदा सत्य बोलो, हिंसा मत करो।
  • जिसकी लाठी उसकी भैंस।
  • मैं चाहता हूँ कि वह निरोग रहे और विद्वान रहे।
  • यदि मैं जयपुर जाऊँगा तो हवामहल देखूँगा।
  • यह वही विद्यालय है जहाँ मैं पढ़ता था। 
  • मैं उस मकान में रहता हूँ जिसमें यादव जी रहते थे।
  • सीता बीमार है इसलिए आज ऑफिस नहीं आई है।
  • यदि तुम भी मेहनत करोगे तो निश्चित ही सफल हो जाओगे।
  • जो विद्यार्थी मेहनत करता है, वह सफल होता है।
  • महेंद्र ने कहा कि वह उदयपुर जा रहा है।
  • जैसी करनी वैसी भरनी।
  • नौकर ने कहा कि जिस दुकान में गया था, उसमें सामान नहीं मिला।

उपरोक्त मिश्र वाक्य में एक प्रधान उपवाक्य है और दो आश्रित उपवाक्य हैं। इस वाक्य में ‘मैं चाहता हूँ’ प्रधान उपवाक्य है और ‘वह निरोग रहे’ और ‘विद्वान रहे’ आश्रित उपवाक्य हैं। अतः मिश्र वाक्य में दो या दो से अधिक आश्रित उपवाक्य भी हो सकते हैं।

  • रवि ने कहा कि वह मुंबई जा रहा है।

उपरोक्त वाक्य में ‘रवि ने कहा’ प्रधान उपवाक्य है और ‘वह मुंबई जा रहा है’ आश्रित उपवाक्य है। अतः उपरोक्त वाक्य में एक प्रधान उपवाक्य तथा एक आश्रित उपवाक्य है। इसलिए यह वाक्य मिश्र वाक्य का उदाहरण होगा।

  • गाँधीजी ने कहा कि सदा सत्य बोलो, हिंसा मत करो।

उपरोक्त वाक्य में ‘गाँधीजी ने कहा’ प्रधान उपवाक्य है, जो कि एक साधारण वाक्य भी है। क्योंकि इसमें एक उद्देश्य (गाँधीजी) और एक ही विधेय (कहा) है।

इस वाक्य में ‘सदा सत्य बोलो’ और ‘हिंसा मत करो’ दो आश्रित उपवाक्य हैं। मिश्र वाक्य की परिभाषा है कि जिस वाक्य में एक प्रधान उपवाक्य तथा एक या एक से अधिक आश्रित उपवाक्य हों उसे मिश्रित वाक्य कहते हैं। अतः उपरोक्त वाक्य मिश्र वाक्य का उदाहरण होगा।

  • जिसकी लाठी उसकी भैंस।

उपरोक्त वाक्य में जिसकी लाठी आश्रित उपवाक्य और उसकी भैंस प्रधान उपवाक्य है हिंदी के सभी मुहावरे एवं लोकोक्तियां मिश्र वाक्य होते हैं क्योंकि मुहावरे एवं लोकोक्तियां में कर्ता और क्रिया नहीं होते जिससे वे साधारण और संयुक्त वाक्य नहीं हो सकते अतः सभी मुहावरे एवं लोकोक्तियां मिश्र वाक्य होते हैं।

  • यदि मैं जयपुर जाऊँगा तो हवामहल देखूँगा।

उपरोक्त वाक्य में ‘ताजमहल देखूँगा’ प्रधान उपवाक्य और ‘यदि मैं जयपुर जाऊँगा’ आश्रित उपवाक्य (क्रिया विशेषण आश्रित उपवाक्य) है। वाक्य में एक प्रधान उपवाक्य और एक आश्रित उपवाक्य है। मिश्र वाक्य की परिभाषा है कि जिस वाक्य में एक प्रधान उपवाक्य तथा एक या एक से अधिक आश्रित उपवाक्य हों उसे मिश्र वाक्य कहते हैं। अतः उपरोक्त वाक्य मिश्र वाक्य का उदाहरण है।

रचना के आधार पर वाक्य के भेद एवं उनकी पहचान नीचे दी गई तालिकानुसार आसानी से समझी जा सकती है।

रचना के आधार पर वाकया के भेद

2.अर्थ के आधार पर वाक्य के भेद

अर्थ के आधार पर वाक्य के निम्नलिखित आठ भेद होते हैं-

  1. विधानार्थक वाक्य / विधानवाचक (Assertive Sentence)
  2. संदेहार्थक वाक्य / संदेहवाचक (Sentence indicating Doubt)
  3. निषेधात्मक वाक्य / निषेधवाचक (Negative Sentence)
  4. आज्ञार्थक वाक्य / आज्ञावाचक (Imperative Sentence)
  5. प्रश्नार्थक वाक्य / प्रश्नवाचक (Interrogative Sentence)
  6. संकेतार्थक वाक्य / संकेतवाचक (Conditional Sentence)
  7. इच्छार्थक वाक्य / इच्छावाचक (Illative Sentence)
  8. विस्मय बोधक वाक्य / विस्मयवाचक (Exclamatory Sentence)

1. विधानार्थक वाक्य किसे कहते हैं ?

वह वाक्य जिसमें क्रिया का होना पाया जाता है उसे विधानार्थक वाक्य कहते हैं। जैसे-

  • राम पढ़ता है।
  • मोहन खाना खाता है।
  • वर्षा हो रही है।
  • बच्चे खेल रहे हैं।
  • मैंने दूध पिया।

2. संदेहार्थक वाक्य किसे कहते हैं?

वह वाक्य जिससे संदेह के भाव का बोध हो उसे संदेहार्थक वाक्य कहते हैं। जैसे-

  • शायद कोई आ रहा है।
  • शायद शाम को वर्षा हो जाये।
  • हो सकता है राजेश आ जाये।
  • वह आ रहा होगा पर हमें क्या मालूम।

3. निषेधात्मक वाक्य किसे कहते हैं?

वह वाक्य जिससे निषेध या मना करने के भाव का बोध हो अर्थात कार्य के न होने का बोध हो, उसे निषेधात्मक वाक्य कहते हैं। जैसे-

  • रमेश घर पर नहीं है।
  • तुम मत लिखो।
  • मैंने दूध नहीं पिया ।
  • मुझे चाय पसंद नहीं है।
  • मैंने खाना नहीं खाया।

4. आज्ञार्थक वाक्य किसे कहते हैं?

 वह वाक्य जिससे आज्ञा, आदेश, उपदेश ,प्रार्थना आदि के भाव का बोध हो उसे आज्ञार्थक वाक्य कहते हैं। जैसे-

  • दरवाज़ा बंद कर दो।
  • बड़ो का सम्मान करो।
  • मोहन तुम बैठ कर पढो।
  • खिड़की खोल दो।
  • बाजार जाकर फल ले आओ।

5. प्रश्नार्थक वाक्य किसे कहते हैं?

वह वाक्य जिससे प्रश्न पूछे जाने के भाव का बोध हो उसे प्रश्नार्थक वाक्य कहते हैं। जैसे-

  • आपका नाम क्या है?
  • सीता तुम कहाँ से आ रही हो ?
  • आप कहां जा रहे हैं?
  • तुम क्या पढ़ रहे हो?
  • रमेश कहाँ जायेगा ?

6. संकेतार्थक वाक्य किसे कहते हैं?

वह वाक्य जिससे शर्त अथवा संकेत के भाव का बोध हो अर्थात एक क्रिया का होना दूसरी क्रिया पर निर्भर करता हो, उसे संकेतार्थक वाक्य कहते हैं। जैसे-

  • यदि तुम पढ़ते तो पास हो जाते।
  • पिताजी अभी आते तो अच्छा होता।
  • अगर वर्षा होगी तो फसल भी अच्छी होगी।
  • यदि परिश्रम करोगे तो अवश्य सफल होगे।

7. इच्छार्थक वाक्य किसे कहते हैं?

वह वाक्य जिससे इच्छा, आशीष एवम शुभकामना आदि के भाव का बोध हो उसे इच्छार्थक वाक्य कहते हैं। आशीर्वाद, दुआ, गाली, शाप, बद्दुआ आदि भावों का बोध करवाने वाले वाक्य भी इच्छार्थक वाक्य होते हैं। जैसे-

  • मेरी इच्छा है कि मैं अभिनेता बन जाऊं।
  • तुम्हारा कल्याण हो।
  • आज तो मई केवल फल खाऊंगा।
  • भगवन तुम्हे लम्बी उम्र दें।

8. विस्मय बोधक वाक्य किसे कहते हैं?

 वह वाक्य जिससे आश्चर्य, घृणा, क्रोध, शोक आदि के भाव का बोध हो उसे विस्मय बोधक वाक्य कहते हैं। जैसे-

  • वाह! क्या स्वाद है।
  • अरे आप! कब आए।
  • वाह! कितना सुंदर दृश्य है।
  • हाय! उसके माता पिता दोनों ही चल बसे।
  • शाबाश! तुमने बहुत ही अच्छा काम किया।

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