विश्व मधुमक्खी दिवस 2025 | Bee Inspired by Nature to Nourish Us All

हर साल 20 मई को विश्व भर में विश्व मधुमक्खी दिवस (World Bee Day) मनाया जाता है। यह दिन मधुमक्खियों और अन्य परागणकर्ताओं की पारिस्थितिक तंत्र और खाद्य सुरक्षा में महत्त्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है। 2025 में इस दिवस का विषय है: ” प्रकृति से प्रेरित मधुमक्खियां हम सभी का पोषण करती हैं ” (Bee Inspired by Nature to Nourish Us All)। यह विषय प्रकृति, परागणकर्ता, कृषि-खाद्य प्रणाली और जैव विविधता के बीच गहरे रिश्ते की ओर संकेत करता है।

इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि यह दिवस क्यों महत्वपूर्ण है, परागणकर्ताओं की भूमिका क्या है, वर्तमान में वे किन खतरों का सामना कर रहे हैं, और हम कैसे इस दिशा में योगदान दे सकते हैं।

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विश्व मधुमक्खी दिवस क्यों मनाया जाता है?

संयुक्त राष्ट्र (UN) ने 2017 में 20 मई को विश्व मधुमक्खी दिवस के रूप में घोषित किया था, जिसका उद्देश्य परागणकर्ताओं की भूमिका के प्रति लोगों को जागरूक करना और उनके संरक्षण को बढ़ावा देना था। यह दिन एंटोन जान्शा (Anton Janša) के जन्मदिवस की स्मृति में मनाया जाता है, जो स्लोवेनिया के एक प्रसिद्ध मधुमक्खीपालक थे और आधुनिक मधुमक्खी पालन के जनक माने जाते हैं।

क्यों चर्चा में है?

विश्व मधुमक्खी दिवस 2025 को वैश्विक स्तर पर 20 मई को मनाया जा रहा है। इस वर्ष का विषय इस ओर ध्यान केंद्रित करता है कि प्रकृति-आधारित समाधान और मधुमक्खियों जैसे परागणकर्ता किस प्रकार:

  • टिकाऊ खाद्य प्रणालियों को समर्थन दे सकते हैं,
  • भूख और कुपोषण को कम कर सकते हैं,
  • और जैव विविधता संकट से लड़ने में सहायता कर सकते हैं।

2025 का विषय | “Bee Inspired by Nature to Nourish Us All

इस वर्ष का विश्व मधुमक्खी दिवस का विषय (थीम) उन समाधानों को सामने लाता है जो प्राकृतिक प्रणालियों से प्रेरणा लेकर परागणकर्ताओं की मदद कर सकते हैं।

  • यह संदेश देता है कि मधुमक्खियाँ और अन्य परागणकर्ता सिर्फ शहद ही नहीं देते, बल्कि वे हमारी खाद्य प्रणाली के आधार हैं।
  • यह विषय एग्रोइकोलॉजी, इंटरक्रॉपिंग, और एग्रोफॉरेस्ट्री जैसे प्राकृतिक खेती मॉडल को समर्थन देता है।
  • साथ ही यह हमें याद दिलाता है कि परागणकर्ताओं के संरक्षण से हम भूख और जैव विविधता संकट को भी कम कर सकते हैं।

2025 की थीम का गूढ़ अर्थ और व्याख्या

अंग्रेज़ी थीम: “Bee Inspired by Nature to Nourish Us All”
हिंदी अनुवाद (भावार्थ): “प्रकृति से प्रेरित मधुमक्खियां हम सभी का पोषण करती हैं”

यह थीम एक बहुस्तरीय संदेश देती है, जिसमें “Bee” शब्द एक क्रिया और एक प्रतीक दोनों के रूप में प्रयुक्त हुआ है। इसका आशय है:

  • मधुमक्खियां स्वयं प्रकृति से प्रेरणा लेकर काम करती हैं—वे बिना किसी लालच के फूलों से पराग इकट्ठा करती हैं, जिससे पेड़-पौधों में फल-फूल लगते हैं और पूरी पारिस्थितिकी को पोषण मिलता है। वे निरंतरता, सामूहिकता और संतुलन का प्रतीक हैं।
  • यह थीम हम सभी से आह्वान करती है कि हम भी मधुमक्खियों की तरह प्राकृतिक संतुलन के साथ जीने का अभ्यास करें, और ऐसे कार्य करें जो सभी के लिए पोषण, पर्यावरणीय संरक्षण और टिकाऊ भविष्य की ओर ले जाएं।
  • “नौरेशन” यानी पोषण न केवल शारीरिक भोजन का, बल्कि पर्यावरण, जैव विविधता और सामूहिक जीवन के लिए आवश्यक संतुलन और सहअस्तित्व का भी संकेत है।

इस विषय के माध्यम से यह भी स्पष्ट होता है कि अगर हम मधुमक्खियों जैसे छोटे लेकिन अति आवश्यक जीवों से प्रेरणा लें, तो हम स्थायी कृषि, खाद्य सुरक्षा, और जलवायु परिवर्तन से निपटने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।

विश्व मधुमक्खी दिवस की वर्षवार थीम | Annual Themes of World Bee Day

हर साल की थीम हमें यह दिखाती है कि किस तरह से वैश्विक समाज मधुमक्खियों के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को बदलते नजरिए से देख रहा है।नीचे विश्व मधुमक्खी दिवस (World Bee Day) की अब तक की सभी आधिकारिक थीमों को अंग्रेज़ी और हिंदी अनुवाद दोनों में तालिका (Table) के रूप में प्रस्तुत किया गया है:

वर्षआधिकारिक थीम (अंग्रेज़ी में)हिंदी अनुवाद (विषय)
2025Bee Inspired by Nature to Nourish Us Allप्रकृति से प्रेरित मधुमक्खियां हम सभी का पोषण करती हैं
2024Bee Engaged with Youthयुवाओं को शामिल करें – मधुमक्खियों के साथ जुड़ें
2023Bee Engaged in Pollinator-Friendly Agricultural Productionपरागणकर्ता-अनुकूल कृषि उत्पादन में सहभागिता बढ़ाएं
2022Bee Engaged: Celebrating the Diversity of Bees and Beekeeping Systemsमधुमक्खियों और मधुमक्खीपालन प्रणालियों की विविधता का उत्सव मनाएं
2021Bee Engaged – Build Back Better for Beesमधुमक्खियों के लिए बेहतर पुनर्निर्माण हेतु सहभागिता बढ़ाएं
2020Save the Beesमधुमक्खियों को बचाइए

इन विषयों के माध्यम से हम यह समझ सकते हैं कि:

  • 2020 में जब COVID-19 चरम पर था, तब “Save the Bees” जैसे संक्षिप्त लेकिन सशक्त संदेश से संरक्षण पर जोर दिया गया।
  • 2021 में “Build Back Better for Bees” के तहत महामारी के बाद टिकाऊ पुनर्निर्माण पर बल दिया गया।
  • 2022-23 में विविधता और कृषि प्रणाली में मधुमक्खियों की भूमिका पर चर्चा हुई।
  • 2024 की थीम ने युवा पीढ़ी को जोड़ने पर जोर दिया।
  • और 2025 की थीम प्रकृति से सीख लेकर समाज और पारिस्थितिकी को पोषण देने का संदेश देती है।

परागणकर्ताओं का महत्व | प्रकृति के असली नायक

विश्व की लगभग 90% जंगली पुष्पीय वनस्पतियाँ और 75% खाद्य फसलें आंशिक रूप से पशु परागण पर निर्भर करती हैं। मधुमक्खियाँ, तितलियाँ, चमगादड़, हमिंगबर्ड्स और कुछ पक्षी फसलों की पैदावार और गुणवत्ता सुनिश्चित करते हैं। दुनिया में 200,000 से अधिक पशु प्रजातियाँ परागणकर्ता हैं, जिनमें अकेले 20,000 से अधिक मधुमक्खी प्रजातियाँ शामिल हैं। परागणकर्ताओं के महत्व को निम्न बिन्दुओं में आसानी से समझा जा सकता है –

खाद्य सुरक्षा में योगदान

  • लगभग 75% खाद्य फसलें (जैसे सेब, बादाम, कॉफी) किसी न किसी रूप में पशु परागण पर निर्भर करती हैं।
  • वहीं, 90% जंगली फूलों वाली वनस्पतियाँ परागण के लिए जानवरों पर निर्भर हैं।

प्रमुख परागणकर्ता

  • मधुमक्खियाँ (20,000+ प्रजातियाँ)
  • तितलियाँ
  • चमगादड़
  • हमिंगबर्ड्स और कुछ पक्षी
  • कुल मिलाकर, 200,000+ जानवर परागण में भाग लेते हैं।

इन परागणकर्ताओं के बिना हमारा खाद्य तंत्र गड़बड़ा सकता है, और इससे पौष्टिक आहार, खाद्य विविधता, और प्राकृतिक पारिस्थितिकीय संतुलन प्रभावित होगा।

परागणकर्ताओं के समक्ष मौजूदा खतरे

आज परागणकर्ता गंभीर संकट में हैं, और इसके पीछे कई मानवजनित कारण हैं:

मानव गतिविधियाँ:

  • गहन कृषि प्रणाली (Intensive Farming)
  • एकल फसल खेती (Monoculture)
  • कीटनाशकों और रसायनों का अत्यधिक प्रयोग
  • वनों की कटाई (Deforestation)
  • शहरीकरण और प्राकृतिक आवासों का विनाश

जलवायु परिवर्तन:

  • तापमान में वृद्धि, वर्षा के पैटर्न में बदलाव, और चरम मौसम की घटनाएँ परागणकर्ताओं के जीवनचक्र को प्रभावित कर रही हैं।
  • वर्तमान में:
    • 35% अकशेरुकी परागणकर्ता (जैसे मधुमक्खियाँ और तितलियाँ) संकटग्रस्त हैं।
    • 17% कशेरुकी परागणकर्ता (जैसे चमगादड़ और पक्षी) विलुप्ति के कगार पर हैं।

वैश्विक प्रयास: क्या किया जा रहा है?

संयुक्त राष्ट्र की पहल:

  • विश्व मधुमक्खी दिवस (World Bee Day) की घोषणा संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2017 में की गई थी।
  • इसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर नीतियों, जागरूकता और सहयोग को बढ़ावा देना है।

IPI – International Pollinator Initiative

  • अंतरराष्ट्रीय परागणकर्ता पहल (IPI) की शुरुआत 2000 में CBD COP-5 सम्मेलन में हुई थी।
  • इसका समन्वय FAO (खाद्य और कृषि संगठन) द्वारा किया जाता है।

प्रमुख लक्ष्य:

  1. परागणकर्ता ह्रास की निगरानी करना।
  2. टैक्सोनॉमिक डेटा की खामियों को भरना।
  3. परागण के आर्थिक योगदान का मूल्यांकन करना।
  4. परागणकर्ता विविधता की रक्षा करना।

FAO की भूमिका | तकनीकी और नीतिगत सहायता

FAO परागणकर्ताओं और विशेष रूप से मधुमक्खियों के संरक्षण में अग्रणी भूमिका निभा रहा है:

  • रानी मधुमक्खी प्रजनन और कृत्रिम गर्भाधान में तकनीकी सहायता।
  • शहद उत्पादन, प्रसंस्करण और निर्यात के लिए टिकाऊ अभ्यासों को प्रोत्साहित करना।
  • कृषकों और पालकों को प्रशिक्षण प्रदान करना।
  • अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग और जानकारी साझा करना।

हम क्या कर सकते हैं?

व्यक्तिगत स्तर पर:

  • देशी फूलों को अपने बगीचों में लगाएं जो विभिन्न मौसमों में खिलते हों।
  • कीटनाशकों और रसायनों का उपयोग न करें।
  • स्थानीय शहद उत्पादकों से शहद खरीदें।
  • मधुमक्खियों के लिए पानी के पात्र रखें और प्राकृतिक कॉलोनियों को सुरक्षित रखें।

किसानों और मधुमक्खीपालकों के लिए:

  • फसल विविधता (Crop Diversity) अपनाएं।
  • खेतों की किनारियों पर झाड़ियाँ और फूलों के पौधे लगाएं।
  • कीटनाशकों का विवेकपूर्ण उपयोग करें और जैविक विकल्प चुनें।
  • मधुमक्खियों को आकर्षित करने वाली फसलें जैसे सूरजमुखी, राई, और सरसों को प्राथमिकता दें।

नीति-निर्माताओं और सरकार के लिए:

  • स्थानीय समुदायों और आदिवासी समूहों को योजना निर्माण में शामिल करें।
  • परागणकर्ता-अनुकूल खेती को सब्सिडी या प्रोत्साहन दें।
  • शोध और निगरानी कार्यक्रमों के लिए वित्त पोषण सुनिश्चित करें।
  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग, सूचना आदान-प्रदान और वैज्ञानिक नेटवर्किंग को प्रोत्साहित करें।

शिक्षा और जागरूकता | दीर्घकालीन समाधान

मधुमक्खियों के संरक्षण में सबसे बड़ा निवेश शिक्षा और जागरूकता है:

  • स्कूल और कॉलेज स्तर पर परागणकर्ताओं के महत्व को पाठ्यक्रम में शामिल करें।
  • स्थानीय कार्यशालाएं और प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाएं।
  • मीडिया और सोशल प्लेटफॉर्म्स पर अभियान चलाएं।

मधुमक्खियाँ और सतत विकास लक्ष्य (SDGs)

परागणकर्ता कई Sustainable Development Goals (SDGs) को सीधे या परोक्ष रूप से समर्थन करते हैं:

लक्ष्यविवरण
SDG 2भूख मिटाना और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना
SDG 12सतत उपभोग और उत्पादन प्रणाली
SDG 13जलवायु परिवर्तन से लड़ाई
SDG 15भूमि जीवन का संरक्षण और जैव विविधता की रक्षा

मधुमक्खियों के बारे में रोचक तथ्य

मधुमक्खियों से जुड़े कुछ रोचक और आश्चर्यजनक तथ्य

विश्व मधुमक्खी दिवस के अवसर पर, आइए जानते हैं मधुमक्खियों से जुड़े कुछ रोचक और आश्चर्यजनक तथ्य:

  • मधुमक्खियां नृत्य (Waggle Dance) के माध्यम से एक-दूसरे से संवाद करती हैं।
  • हनी मधुमक्खियां लगभग 15 मील प्रति घंटे की गति से 6 मील तक उड़ सकती हैं।
  • एक औसत मधुमक्खी अपने पूरे जीवनकाल में केवल एक चम्मच शहद का उत्पादन करती है।
  • 1 किलो शहद बनाने के लिए, मधुमक्खियों को लगभग 90,000 मील उड़ान भरनी पड़ती है और करीब 20 लाख फूलों की यात्रा करनी होती है।
  • केवल मादा मधुमक्खियां डंक मारती हैं, और डंक मारने के बाद वे मर जाती हैं।
  • मधुमक्खियाँ अपने पंखों को प्रति मिनट 11,400 बार फड़फड़ाती हैं, जिससे उनकी विशिष्ट भिनभिनाहट की आवाज़ निकलती है।
  • अंटार्कटिका को छोड़कर मधुमक्खियां विश्व के लगभग सभी महाद्वीपों में पाई जाती हैं।
  • विश्व में मधुमक्खियों की 20,000 से अधिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
  • मधुमक्खियां एकमात्र ऐसे सामाजिक कीट हैं जिन्हें आंशिक रूप से मनुष्यों ने पालतू बनाया है।
  • एक मधुमक्खी एक बार की उड़ान में 50 से 100 फूलों तक जाती है।
  • मधुमक्खियों के संयुक्त पैर होते हैं, लेकिन उनके घुटने नहीं होते

प्रकृति की रक्षा, मानवता की रक्षा

मधुमक्खियाँ और अन्य परागणकर्ता न केवल हमारी खाद्य आवश्यकताओं को पूरा करते हैं, बल्कि वे हमारी संस्कृति, आजीविका और पारिस्थितिकी के भी अभिन्न अंग हैं।

विश्व मधुमक्खी दिवस 2025 एक अवसर है:

  • यह सोचने का कि हम प्रकृति से क्या सीख सकते हैं।
  • यह समझने का कि टिकाऊ खाद्य प्रणाली कैसे बन सकती हैं।
  • और यह सुनिश्चित करने का कि अगली पीढ़ी भी मधुमक्खियों की गुनगुनाहट सुन सके।

विश्व मधुमक्खी दिवस सिर्फ एक पर्यावरणीय आयोजन नहीं, बल्कि यह एक वैश्विक चेतावनी है। यदि हम परागणकर्ताओं की रक्षा नहीं करेंगे, तो हमारा खाद्य तंत्र, पर्यावरण और आर्थिक ढांचे सब खतरे में पड़ सकते हैं।

इसलिए, आइए इस वर्ष — मधुमक्खियों से प्रेरणा लेकर — प्रकृति के साथ मिलकर सभी को पोषण देने की दिशा में कदम बढ़ाएं।

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