हर वर्ष 19 अप्रैल को विश्व लिवर दिवस (World Liver Day) मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य है — यकृत (लिवर) के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाना, यकृत संबंधी रोगों की रोकथाम करना, और एक संतुलित, पौष्टिक जीवनशैली को अपनाने के लिए लोगों को प्रेरित करना। 2025 में इस दिन की थीम है: “भोजन ही दवा है (Food is Medicine)”, जो सीधे तौर पर इस बात को रेखांकित करता है कि हम जो भोजन करते हैं, वही हमारे यकृत की सेहत तय करता है।
यकृत: शरीर का मूक रक्षक
यकृत (Liver) शरीर का सबसे बड़ा आंतरिक अंग है, जो पेट के दाहिने ऊपरी हिस्से में स्थित होता है। यह हमारे शरीर में लगभग 500 से अधिक महत्वपूर्ण कार्यों को अंजाम देता है। इनमें शामिल हैं: पोषक तत्वों का चयापचय (Metabolism), विषैले पदार्थों का निष्कासन (Detoxification), आवश्यक प्रोटीन का उत्पादन, रोग प्रतिरोधक तंत्र का समर्थन, हार्मोनल संतुलन बनाए रखना, और ऊर्जा का भंडारण।
यकृत शरीर की चुपचाप सेवा करता है और जब तक यह काफी क्षतिग्रस्त न हो जाए, तब तक इसके लक्षण प्रकट नहीं होते। इसीलिए इसे “Silent organ” भी कहा जाता है। लेकिन जब यकृत की कार्यप्रणाली बाधित होती है, तो इसके परिणाम बहुत गंभीर हो सकते हैं।
2025 की थीम: “भोजन ही दवा है” – इसका महत्व
वर्ष 2025 की थीम “भोजन ही दवा है” न केवल एक नारा है, बल्कि एक जीवनशैली परिवर्तन का संदेश है। यह थीम पोषण के महत्व को रेखांकित करती है, और यह बताती है कि उचित आहार के जरिए यकृत की बीमारियों को न केवल रोका जा सकता है, बल्कि उनमें सुधार भी लाया जा सकता है।
इस थीम के मुख्य उद्देश्य
- खराब आहार के प्रभावों को उजागर करना
- स्वस्थ खानपान की संस्कृति को बढ़ावा देना
- सार्वजनिक नीति में सुधार जैसे खाद्य लेबलिंग, स्कूलों में पौष्टिक भोजन
- जागरूकता अभियान चलाना जो ‘रोगों से पहले रोकथाम’ पर बल दें
आज की भागदौड़ भरी जीवनशैली में प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, फास्ट फूड, अत्यधिक चीनी और शराब जैसे तत्व आम हो गए हैं, जो यकृत को चुपचाप नुकसान पहुंचाते हैं। वहीं दूसरी ओर, फाइबर, एंटीऑक्सिडेंट, स्वस्थ वसा और पौधे-आधारित खाद्य पदार्थों का सेवन यकृत की मरम्मत और पुनर्जीवन में सहायक हो सकता है।
यकृत के प्रमुख कार्य
यकृत के बिना जीवन की कल्पना संभव नहीं है। इसके कुछ मुख्य कार्यों में शामिल हैं:
1. पोषक तत्वों का मेटाबोलिज्म (Metabolism)
- यकृत कार्बोहाइड्रेट्स को ग्लूकोज में परिवर्तित करता है
- अतिरिक्त ग्लूकोज को ग्लाइकोजन के रूप में संग्रह करता है
- वसा को ऊर्जा में बदलता है
- अमीनो एसिड से प्रोटीन संश्लेषण करता है
2. डिटॉक्सिफिकेशन
- शराब, दवाइयों, रसायनों और पर्यावरणीय विषाक्त पदार्थों को न्यूट्रलाइज करता है
- विषैले तत्वों को पित्त या मूत्र के माध्यम से शरीर से बाहर निकालता है
3. बाइल का उत्पादन
- यकृत पित्त रस (Bile) बनाता है, जो वसा के पाचन और अवशोषण के लिए आवश्यक है
4. विटामिन एवं खनिजों का भंडारण
- विटामिन A, D, E, K और खनिज जैसे तांबा व लोहा को संग्रह करता है
5. इम्यून प्रणाली का समर्थन
- यकृत इम्यून फैक्टर्स उत्पन्न करता है जो संक्रमणों से रक्षा करते हैं
यकृत रोग: एक बढ़ती हुई वैश्विक समस्या
विश्व स्तर पर यकृत रोगों की दर में चिंताजनक वृद्धि देखी जा रही है। वसायुक्त यकृत, हेपेटाइटिस, सिरोसिस, और यकृत कैंसर जैसे रोग आम होते जा रहे हैं, और इनमें से कई को हम अपनी जीवनशैली सुधारकर रोक सकते हैं।
प्रमुख यकृत रोग:
1. वसायुक्त यकृत रोग (Fatty Liver Disease)
- NAFLD (गैर-शराबी वसायुक्त यकृत रोग): मोटापा, मधुमेह, और अस्वस्थ आहार के कारण
- AFLD (शराबी वसायुक्त यकृत रोग): अत्यधिक शराब सेवन
बिना इलाज के ये रोग सिरोसिस और यकृत कैंसर में बदल सकते हैं।
2. हेपेटाइटिस (Hepatitis B & C)
- वायरल संक्रमण जो यकृत की पुरानी सूजन और क्षति का कारण बनते हैं
- संक्रमित रक्त या शारीरिक तरल पदार्थों के संपर्क से फैलते हैं
3. यकृत सिरोसिस (Cirrhosis)
- यकृत ऊतकों का कठोर और धब्बेदार हो जाना
- प्रमुख कारण: पुरानी शराब सेवन, हेपेटाइटिस, ऑटोइम्यून विकार
4. यकृत कैंसर (Liver Cancer – Hepatocellular Carcinoma)
- सिरोसिस या पुरानी हेपेटाइटिस से उत्पन्न होता है
- लक्षण: पेट दर्द, पीलिया, वजन घटना
5. यकृत विफलता (Liver Failure)
- तीव्र या दीर्घकालिक क्षति के कारण यकृत कार्य करना बंद कर देता है
- कारण: हेपेटाइटिस, दवा का ओवरडोज (जैसे पैरासिटामोल), आनुवंशिक स्थितियां
यकृत रोगों के प्रमुख जोखिम कारक
- अत्यधिक शराब का सेवन
- असंतुलित और प्रसंस्कृत भोजन
- मोटापा और शारीरिक निष्क्रियता
- हेपेटाइटिस B और C संक्रमण
- विषाक्त दवाएं और रसायन
- आनुवंशिक विकार और ऑटोइम्यून बीमारियां
यकृत को स्वस्थ रखने के प्रभावी उपाय
एक जागरूक और अनुशासित जीवनशैली ही यकृत को स्वस्थ बनाए रखने का मूलमंत्र है। इसके लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं:
1. पौष्टिक आहार का सेवन करें
- हरे पत्तेदार सब्जियां, फल, साबुत अनाज
- स्वस्थ वसा (जैसे: एवोकाडो, नट्स, जैतून तेल)
- अधिक फाइबर और एंटीऑक्सिडेंट्स युक्त खाद्य पदार्थ
2. नियमित व्यायाम करें
- कम से कम 30 मिनट की शारीरिक गतिविधि प्रतिदिन
- मोटापा और चयापचय संबंधी बीमारियों से बचाव
3. शराब का सीमित या त्याग करें
- शराब यकृत को सीधे नुकसान पहुंचाता है
- AFLD और सिरोसिस के जोखिम से बचाव
4. हेपेटाइटिस B और C के लिए टीकाकरण करवाएं
- संक्रमण से बचाव के लिए टीका एक प्रभावी तरीका है
5. हाइड्रेटेड रहें
- पर्याप्त पानी पीने से यकृत की डिटॉक्सिफिकेशन क्षमता बेहतर होती है
6. दवाओं का सेवन डॉक्टर की सलाह से करें
- स्व-चिकित्सा (Self-medication) खतरनाक हो सकती है, विशेषकर दर्दनिवारक दवाएं
7. नियमित यकृत परीक्षण (LFTs) कराएं
- विशेषकर अगर आप जोखिम समूह में आते हैं: मधुमेह, मोटापा, शराब सेवन, आदि
जागरूकता ही बचाव है
विश्व लिवर दिवस हमें याद दिलाता है कि एक स्वस्थ यकृत के लिए छोटी-छोटी आदतें, जैसे चीनी कम करना, तले-भुने भोजन से परहेज, हरे साग-सब्जियों का सेवन, और धूम्रपान या शराब से दूरी—लंबे समय तक बड़ी बीमारियों से बचा सकती हैं।
इस दिन स्कूलों, कॉलेजों, अस्पतालों और विभिन्न संगठनों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिसमें मुफ्त जांच, व्याख्यान, परामर्श और हेल्थ चेकअप शामिल होते हैं। सोशल मीडिया पर भी व्यापक अभियान चलाए जाते हैं जो इस विषय की जानकारी को जन-जन तक पहुंचाते हैं।
विश्व लिवर दिवस 2025 की थीम “भोजन ही दवा है” हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि हम जो खाते हैं, वह न केवल हमारी ऊर्जा का स्रोत है, बल्कि हमारे स्वास्थ्य का आधार भी है। यकृत का स्वास्थ्य सीधे हमारे जीवन की गुणवत्ता से जुड़ा है। आज का पौष्टिक और संतुलित आहार कल की बीमारियों से बचने का सबसे सरल और प्रभावी तरीका हो सकता है।
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