यमन में राजनीतिक बदलाव | सलीम सालेह बिन ब्रिक नए प्रधानमंत्री नियुक्त

यमन, जो बीते एक दशक से भी अधिक समय से राजनीतिक अस्थिरता, गृह युद्ध और मानवीय संकटों की चपेट में है, ने 5 मई, 2025 को एक नए युग में कदम रखा है। इस दिन यमन की राष्ट्रपति नेतृत्व परिषद (Presidential Leadership Council – PLC) ने देश के वित्त मंत्री सलीम सालेह बिन ब्रिक को नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया। यह फैसला तत्कालीन प्रधानमंत्री अहमद अवद बिन मुबारक के अचानक और अप्रत्याशित इस्तीफे के बाद लिया गया, जिन्होंने संवैधानिक सीमाओं और शासन में सुधार लागू करने के लिए आवश्यक अधिकार की कमी को अपने त्यागपत्र का मुख्य कारण बताया।

यह राजनीतिक घटनाक्रम न केवल सत्ता परिवर्तन का प्रतीक है, बल्कि यह एक ऐसे समय में हुआ है जब देश आर्थिक पतन, राजनीतिक विभाजन और गृह युद्ध के गहरे संकट से गुजर रहा है। ऐसे में यह बदलाव क्या संकेत देता है, सलीम बिन ब्रिक कौन हैं, उनके सामने कौन सी चुनौतियाँ होंगी, और यमन का भविष्य क्या दिशा ले सकता है — इन सभी पहलुओं पर यह लेख विस्तृत प्रकाश डालता है।

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राजनीतिक पृष्ठभूमि: इस्तीफा और नियुक्ति की प्रक्रिया

अहमद अवद बिन मुबारक का इस्तीफा

अहमद अवद बिन मुबारक ने फरवरी 2024 में यमन के प्रधानमंत्री के रूप में पदभार ग्रहण किया था। लेकिन मात्र एक वर्ष से भी कम समय में उन्होंने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। अपने त्यागपत्र में उन्होंने स्पष्ट रूप से उल्लेख किया कि उन्हें सरकार के भीतर संवैधानिक शक्तियों का प्रयोग करने और आवश्यक सुधार लागू करने की अनुमति नहीं दी जा रही थी। विशेष रूप से, उन्हें मंत्रिमंडल में फेरबदल करने तक की स्वतंत्रता नहीं थी।

पूर्व प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि शासन प्रणाली में मौजूद बाधाएँ प्रभावी प्रशासन और सार्वजनिक सेवा की गुणवत्ता में सुधार लाने के प्रयासों में गंभीर अड़चनें पैदा कर रही थीं। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि सुधारों को लागू करने में निरंतर अवरोधों ने उन्हें मजबूर कर दिया कि वे पद छोड़ दें।

सलीम सालेह बिन ब्रिक की नियुक्ति

बिन मुबारक के इस्तीफे के कुछ ही घंटों के भीतर राष्ट्रपति नेतृत्व परिषद ने सलीम सालेह बिन ब्रिक को यमन का नया प्रधानमंत्री घोषित कर दिया। यह नियुक्ति एक तरह से नीतिगत निरंतरता और तात्कालिक नेतृत्व संकट से निपटने का प्रयास मानी जा रही है। इसके साथ ही, बिन मुबारक को PLC अध्यक्ष का सलाहकार नियुक्त किया गया है, जिससे स्पष्ट होता है कि सरकार उनके अनुभव का लाभ आगे भी उठाना चाहती है।

सलीम सालेह बिन ब्रिक: एक परिचय

शैक्षणिक और प्रशासनिक पृष्ठभूमि

सलीम सालेह बिन ब्रिक वर्ष 2019 से यमन के वित्त मंत्री के रूप में कार्यरत हैं। इससे पहले वे उप वित्त मंत्री के पद पर कार्य कर चुके हैं। उनके पास प्रशासनिक, राजकोषीय और वित्तीय नीतियों का गहन अनुभव है। आर्थिक संकटों से जूझते यमन के लिए एक अनुभवी वित्त मंत्री को प्रधानमंत्री बनाना रणनीतिक रूप से समझदारीपूर्ण कदम माना जा रहा है।

वे ऐसे समय में सत्ता में आए हैं जब यमन में न केवल राजनीतिक चुनौतियाँ विकराल हैं, बल्कि आर्थिक मोर्चे पर भी देश लगभग दिवालिया हो चुका है। उनके वित्तीय अनुभव से यह उम्मीद की जा रही है कि वे सरकारी संस्थाओं के पुनर्गठन और राजस्व सृजन की दिशा में ठोस कदम उठाएँगे।

यमन की वर्तमान चुनौतियाँ

1. गृह युद्ध और राजनीतिक बिखराव

यमन में वर्ष 2014 से लगातार गृह युद्ध जारी है। इस युद्ध की शुरुआत तब हुई जब ईरान समर्थित हौथी विद्रोहियों ने राजधानी सना पर कब्जा कर लिया। इसके बाद से देश दो भागों में बँट गया है — सना हौथी विद्रोहियों के नियंत्रण में है, जबकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त यमनी सरकार अदन से संचालित हो रही है।

इस बँटवारे ने देश की राजनीतिक व्यवस्था को नष्टप्राय कर दिया है। सुरक्षा तंत्र, न्याय व्यवस्था और स्थानीय प्रशासनिक इकाइयाँ या तो निष्क्रिय हैं या पूरी तरह बिखर चुकी हैं। इस अशांति ने लाखों यमनी नागरिकों को विस्थापित किया है।

2. आर्थिक पतन

यमन की आर्थिक स्थिति अत्यंत दयनीय है। 2022 में हौथी विद्रोहियों द्वारा किए गए हमलों के कारण देश का तेल निर्यात रुक गया था। तेल निर्यात ही यमन का प्रमुख विदेशी मुद्रा स्रोत था, और उसके बंद हो जाने से सरकार के पास वेतन देने और बुनियादी सेवाएँ चलाने के लिए धन की भारी कमी हो गई।

इसके अतिरिक्त, हौथी विद्रोही अब तेल निर्यात को बहाल करने से पहले राजस्व साझा करने की गारंटी चाहते हैं। इस असहमति ने देश को और अधिक आर्थिक स्थिरता से दूर धकेल दिया है।

यमनी रियाल की लगातार गिरती कीमत ने भी आम नागरिकों के जीवन को बद से बदतर बना दिया है। आवश्यक वस्तुएँ महँगी हो चुकी हैं, और देश की अधिकांश आबादी मानवीय सहायता पर निर्भर हो चुकी है।

3. मानवीय संकट

संयुक्त राष्ट्र ने यमन संकट को “विश्व की सबसे गंभीर मानवीय आपदा” घोषित किया है। देश की लगभग 80% आबादी — जो करीब 2.4 करोड़ लोग हैं — किसी न किसी रूप में मानवीय सहायता पर निर्भर हैं। भूख, कुपोषण, स्वच्छ जल की कमी और चिकित्सा सेवाओं का अभाव यहाँ के आम जीवन की वास्तविकताएँ बन चुकी हैं।

सलीम सालेह बिन ब्रिक के सामने प्राथमिक चुनौतियाँ

नए प्रधानमंत्री के रूप में सलीम सालेह बिन ब्रिक को जिन चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, वे बहुआयामी हैं:

1. राजनीतिक स्थिरता की स्थापना

उन्हें न केवल अलग-अलग गुटों के बीच संतुलन बनाए रखना होगा, बल्कि विभिन्न क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय हितों के बीच भी तालमेल बिठाना होगा। सत्तारूढ़ परिषद के भीतर भी एकजुटता सुनिश्चित करना एक कठिन कार्य होगा।

2. आर्थिक पुनरुद्धार

बिन ब्रिक को तेल निर्यात पुनः आरंभ करवाने के लिए हौथी समूह से बातचीत करनी होगी और राजस्व साझाकरण जैसे संवेदनशील मुद्दों पर समझौता करना होगा। साथ ही, उन्हें बाहरी सहायता प्राप्त करने, विदेशी निवेश आकर्षित करने और राजकोषीय अनुशासन लाने के प्रयास करने होंगे।

3. मानवीय राहत और सामाजिक पुनर्निर्माण

देश की विशाल आबादी को तत्काल राहत पहुँचाना, स्वास्थ्य और शिक्षा सेवाओं को बहाल करना और विस्थापित लोगों का पुनर्वास सुनिश्चित करना बिन ब्रिक की प्राथमिकताओं में होना चाहिए।

4. संस्थागत सुधार

अहमद बिन मुबारक के कार्यकाल की सबसे बड़ी विफलता यह रही कि वे मंत्रिमंडल में आवश्यक फेरबदल नहीं कर सके। बिन ब्रिक को यह सुनिश्चित करना होगा कि उन्हें संवैधानिक रूप से पर्याप्त अधिकार मिले और वे शासन तंत्र में आवश्यक सुधार ला सकें।

अंतर्राष्ट्रीय दृष्टिकोण और भूमिका

सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात की भूमिका

सऊदी अरब और यूएई लंबे समय से यमन में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सरकार के समर्थक रहे हैं। वे सैन्य और मानवीय सहायता प्रदान करते रहे हैं, लेकिन उनके हित यमन में स्थिरता और ईरानी प्रभाव को कम करने तक सीमित हैं। नए प्रधानमंत्री को इन देशों के साथ संतुलित संबंध बनाए रखने होंगे।

संयुक्त राष्ट्र और पश्चिमी शक्तियाँ

संयुक्त राष्ट्र यमन में शांति प्रक्रिया की मध्यस्थता करता रहा है। अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ जैसे देश भी शांति वार्ता और मानवीय सहायता में सक्रिय हैं। बिन ब्रिक की सरकार को इन अंतर्राष्ट्रीय भागीदारों का विश्वास बनाए रखना आवश्यक होगा।

क्या बदल सकता है सलीम बिन ब्रिक का नेतृत्व?

सलीम बिन ब्रिक की प्रधानमंत्री पद पर नियुक्ति यमन के लिए एक निर्णायक मोड़ हो सकती है। उनका वित्तीय और प्रशासनिक अनुभव संकटग्रस्त देश में स्थिरता और पुनर्निर्माण की संभावना जगाता है। लेकिन यह कार्य अत्यंत कठिन है — राजनीतिक विखंडन, आर्थिक दिवालियापन, सामाजिक अव्यवस्था और बाहरी हस्तक्षेप जैसे कारक उनकी राह में बड़े अवरोध बन सकते हैं।

बहरहाल, यदि राष्ट्रपति नेतृत्व परिषद उन्हें पर्याप्त अधिकार देती है, और वे राजनयिक एवं प्रशासनिक रूप से संतुलित निर्णय लेते हैं, तो वे यमन को धीरे-धीरे उस अंधकार से बाहर निकाल सकते हैं जिसमें वह लगभग एक दशक से फँसा हुआ है।

महत्वपूर्ण तथ्य | सारांश तालिका

यमन में राजनीतिक बदलाव और यमन द्वारा सलीम बिन ब्रिक को नया प्रधानमंत्री नियुक्त किये जाने से सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्यों की सारांश तालिका नीचे दी गयी है –

श्रेणीविवरण
चर्चा में क्योंयमन ने वित्त मंत्री सलीम बिन ब्रिक को नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया
पिछले प्रधानमंत्रीअहमद अवद बिन मुबारक
इस्तीफे का कारणसंवैधानिक शक्तियों का अभाव, सुधारों में असमर्थता
नए पीएम की पृष्ठभूमि2019 से वित्त मंत्री, प्रशासनिक अनुभव
गृह युद्ध प्रारंभ2014 (हौथी विद्रोहियों द्वारा सना पर कब्ज़ा)
आर्थिक मुद्देयमनी रियाल में गिरावट, तेल निर्यात पर रोक
हौथी मांगेंतेल निर्यात से पूर्व राजस्व साझाकरण समझौता
सरकारी मुख्यालयअदन (सना हौथी नियंत्रण में है)

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