सोवियत संघ USSR|1922-1991| गठन से पतन तक की ऐतिहासिक यात्रा

सोवियत संघ का इतिहास विश्व के अद्वितीय और महत्वपूर्ण घटनाक्रमों में से एक है। यह एक विशाल साम्राज्य था जिसने दूसरे विश्वयुद्ध के बाद कई दशकों तक दुनिया की राजनीति, सामाजिक संरचना, और आर्थिक प्रणाली पर गहरा प्रभाव डाला। सोवियत संघ विश्व का पहला साम्यवादी (Communist) राज्य था। इसकी स्थापना 30 दिसंबर 1922 में की गई थी। और इसका विघटन 25 दिसंबर 1991 में हुआ।

सोवियत संघ (Soviet Union) 15 स्वशासित गणतंत्रों का एक संघ था। इसको USSR नाम से भी जाना जाता है। USSR का पूरा नाम Union of Soviet Socialist Republics (सोवियत समाजवादी गणतंत्रों का संघ) है। सोवियत एक रूसी शब्द है इस शब्द का अर्थ होता है परिषद, असेंबली, सलाह और सदभाव। USSR गणराज्यों का एक समूह था परन्तु इसमें रूस का प्रभुत्व सबसे ज्यादा था। इसी कारण से बहुत से लोग सोवियत संघ का मतलब रूस समझते है। परन्तु रूस सोवियत संघ के 15 गणराज्यों में से एक गणराज्य का नाम था जो सबसे बड़ा था और उसका प्रभाव सोवियत संघ पर बाकी के गणराज्यों की तुलना में अधिक था।

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सोवियत संघ की स्थापना

सोवियत संघ (USSR) की स्थापना की प्रक्रिया 1917 में शुरू हो चुकी थी इस समय रूस की क्रांति के दौरान व्लादिमीर लेनिन के नेतृत्व में बोल्शेविक पार्टी ने सत्ता पर क़ब्ज़ा कर लिया तथा रूसी साम्राज्य के ज़ार (सम्राट) को सत्ता से हटा दिया गया। उस समय बोल्शेविक पार्टी की लाल सेना थी। और इसके विरोधी को स्वेत मोर्चा के रूप में जाना जाता था।

बोल्शेविक पार्टी सत्ता पर कब्ज़ा के बाद बोल्शेविक-विरोधी श्वेत मोर्चे के साथ गृह युद्ध में फँस गई। परन्तु इस गृह युद्ध के दौरान बोल्शेविक की लाल सेना ने ऐसे कई राज्यों पर क़ब्ज़ा कर लिया जिन्होनें त्सार के पतन का फ़ायदा उठाकर रूस से स्वतंत्रता घोषित कर दी। इस प्रकार दिसम्बर 1922 में बोल्शेविक पार्टी अपनी पूर्ण जीत के साथ रूस, युक्रेन, बेलारूस और कॉकस क्षेत्र को मिलाकर सोवियत संघ की स्थापना का ऐलान कर दिया।

  • सोवियत संघ का गठन तब हुआ जब 1917 की अक्टूबर क्रांति के दौरान ज़ार निकोलस द्वितीय के उत्तराधिकारी बोल्शेविकों द्वारा रूसी अनंतिम सरकार को उखाड़ फेंका गया।
  • 1917 में बोल्शेविक क्रांति मजबूती से स्थापित हुई और उस क्षण से 1921 तक अर्थव्यवस्था सख्त नियंत्रण में थी।
  • 1924 के संविधान ने सरकार की एक संघीय प्रणाली बनाई।
  • यह कस्बों और कारखानों के साथ-साथ शहरों में स्थानीय स्तर पर संगठित कई छोटे संगठनों पर आधारित था।
  • इन सभी कारकों के कारण सोवियत संघ की अखिल-संघ कांग्रेस का गठन हुआ।
  • हालाँकि ऐसा प्रतीत होता था कि कांग्रेस के पास एक स्वतंत्र शक्ति थी, लेकिन वास्तव में यह कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में थी, जिसे सोवियत संघ की राजधानी मॉस्को में पोलित ब्यूरो द्वारा चलाया जाता था।
  • 1924 में लेनिन की मृत्यु के बाद सोवियत संघ में दमनकारी अधिनायकवादी व्यवस्था स्थापित हो गयी।
  • इसके बाद सामूहिक नेतृत्व (ट्रोइका) की एक छोटी अवधि और 1920 के दशक के मध्य में जोसेफ स्टालिन द्वारा सत्ता पर कब्ज़ा कर लिया गया।

सोवियत संघ की स्थापना संक्षिप्त विवरण

सोवियत संघ (USSR) Union of Soviet Socialist Republics (विवरण)
पूरा नामसोवियत समाजवादी गणतंत्रों का संघ
स्थापना (निर्माण)30 दिसंबर 1922
विघटन26 दिसंबर 1991
सोवियत शब्द का अर्थपरिषद, असेंबली, सलाह और सद्भाव
सोवियत संघ में शामिल देशरूस, यूक्रेन, जॉर्जिया, बेलोरूसिया, उज्बेकिस्तान, आर्मेनिया, अजरबैजान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, मोल्दोवा, तुर्कमेनिस्तान, ताजिकिस्तान, लातविया, एस्टोनिया, और लिथुआनिया
सोवियत संघ की जलवायुठंडी जलवायु (यूरोपीय देशों के अनुसार)
संपूर्ण क्षेत्रफल22,402,200 वर्ग किलोमीटर
1989 में जनसंख्या286,730,819 व्यक्ति
सकल घरेलू उत्पाद (GDP)$2.7 ट्रिलियन (1990 अनुमानित)
मानव विकास सूचकांक0.920
मुद्रासोवियत रूबल (SUR)
प्रथम राष्ट्रपति (अध्यक्ष)व्लादिमीर लेनिन (1922 – 1924)
अंतिम राष्ट्रपति (अध्यक्ष)इवान सिलायेव (1991)
शासन व्यवस्थामार्क्सवाद-लेनिनवाद (साम्यवाद)
आधिकारिक भाषारूस (Russian Language)
सबसे बड़ा धर्मईसाई (परन्तु ज्यादातर आबादी नास्तिक है )
राजधानीमॉस्को
आदर्श वाक्यदुनिया के मजदूरों, एक हो जाओ
अन्य मान्यता प्राप्त क्षेत्रीय भाषाएंयूक्रेनी, बेलारूसी, उज़बेक, कजाख, जॉर्जीयन्, आज़रबाइजानी, लिथुआनियाई, मोल्डावियन, लात्वीयावासी, किरगिज़, ताजिको, अर्मेनियाई, तुक्रमेन
सोवियत संघ की स्थापना संक्षिप्त विवरण

सोवियत संघ का इतिहास

निकोलस द्वितीय ने रूस की ओर से प्रथम विश्व युद्ध में भाग लिया और 1917 में व्लादिमीर लेनिन के नेतृत्व में रूस में अक्टूबर क्रांति नामक क्रांति हुई, जिसने रूस में राजशाही को उखाड़ फेंका और साम्यवाद की स्थापना की। इस गृह युद्ध के बाद 1917 से 1922 तक पूरे क्षेत्र में गृह युद्ध छिड़ गया, लेकिन 1922 में लेनिन ने सभी को शांत कर दिया और 1922 में सोवियत संघ का गठन हुआ।

लेकिन 1924 में व्लादिमीर लेनिन की मृत्यु हो गई और सोवियत संघ की सत्ता स्टालिन के पास चली गई। और जैसे ही स्टालिन ने आकर एकदलीय शासन लागू किया, तानाशाही स्थापित कर दी। पहला, पंचवर्षीय योजना सोवियत संघ को स्टालिन का उपहार है। 1953 में जब स्टालिन की मृत्यु हुई तो उन्होंने 1.08 अरब लोगों को गिवलक में फंसा दिया था। इसलिए कई इतिहासकार स्टालिन को हिटलर से भी बड़ा तानाशाह मानते हैं।सोवियत संघ (Soviet Union) के पतन के बाद तत्कालीन विपक्षी नेता बोरिस येल्तसिन रूस के पहले राष्ट्रपति बने।

सोवियत संघ का इतिहास 20वीं सदी के पहले भाग में एक महत्वपूर्ण और स्थायी गठजोड़ है, इस समय तक सोवियत संघ दुनिया की एक प्रमुख शक्ति बन गई थी तथा रूस और अन्य गणराज्यों के बीच आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक सहयोग का प्रतीक था। निचे संक्षिप्त रूप में सोवियत संघ के प्रमुख घटनाक्रमों का विवरण दिया गया है:

प्रारंभिक दशक (1917-1920): सोवियत संघ का आदिकाल क्रांतिकारी आंदोलन और राष्ट्रीयकरण के दौरान उत्पन्न हुआ। 1917 में रूसी साम्राज्य की क्रांति ने अधिकारियों की सत्ता को गिराया और बोल्शेविक पार्टी ने सत्ता हासिल की। व्लादिमीर लेनिन के नेतृत्व में सोवियत सोशलिस्ट गणराज्य की स्थापना हुई।

नगरिक युद्ध (1918-1922): सोवियत संघ ने नगरिक युद्ध के दौरान व्यापारिक और अंतरराष्ट्रीय दबाव का सामना किया। विद्रोहकारी समूहों के साथ संघर्ष, विदेशी दलों के हस्तक्षेप, और आर्थिक संकट की वजह से संघ ने असमंजस में पड़कर अपने विचारों को सम्पादित किया।

नई आर्थिक नीति और वानीकी उन्नति (1920s-1930s): इस दौरान, सोवियत संघ ने नई आर्थिक नीति की शुरुआत की जिसमें कृषि, उद्योग, और वाणिज्य क्षेत्र में सुधार किए गए। इससे देश की आर्थिक गतिशीलता में सुधार हुआ, लेकिन इसमें कई चुनौतियाँ भी थीं।

द्वितीय विश्वयुद्ध (1939-1945): सोवियत संघ ने द्वितीय विश्वयुद्ध में नाजी जर्मनी के खिलाफ युद्ध किया और अगले सालों में विजयी साबित हुआ। यह युद्ध संघ की भूमिका को बदलकर दिखाने का मौका था और उसके अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण ख्याति की आरंभिक घटनाओं में से एक था।

शीर्षकीय और सामाजिक परिवर्तन (1950s-1960s): निकिता ख्रुश्चेव के नेतृत्व में, सोवियत संघ ने खेती और उद्योग में अद्यतन किया, और साथ ही शीर्षकीय योजनाओं की शुरुआत की।

कुछ महत्वपूर्ण घटनाएँ (1960s-1980s): इस दौरान, सोवियत संघ ने अंतरिक्ष में महत्वपूर्ण प्रगति की, और विश्व राजनीतिक मानचित्र में अपनी स्थान को मजबूती से बनाए रखने का प्रयास किया।

गिरावट और अंत (1980s-1991): आर्थिक संकट, राजनीतिक असंतोष, और अंतर्राष्ट्रीय दबाव के कारण सोवियत संघ चूर्ण हो गया। 1991 में उसका विघटन हो गया और विभाजन हुआ।

यह छोटे-छोटे अंशों में सोवियत संघ के इतिहास की एक सारांशिक झलक है, जिसमें इसके महत्वपूर्ण दशक और घटनाक्रमों की मुख्य बिंदुओं का संक्षेप दिया गया है। इस अवधि में, सोवियत संघ ने विश्व इतिहास के महत्वपूर्ण प्रभावों में से एक बन गया, और इसका प्रभाव आज भी विश्व की राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक गतिविधियों पर दिखाई देता है।

सोवियत संघ के महत्वपूर्ण घटनाक्रम (1917-1991)

सोवियत संघ के महत्वपूर्ण घटनाक्रम के बारे में निचे संक्षिप्त में दिया गया है –

दिनांक (Year)घटना
अप्रैल 1917लेनिन और अन्य क्रान्तिकारी जर्मनी से रूस लौटे।
अक्टूबर 1917बोल्शेविकों ने आलेक्सान्द्र केरेंस्की की सत्ता को पलटा और मॉस्को पर अधिकार कर लिया।
1918 – 20बोल्शेविकों और विरोधियों में गृहयुद्ध।
1919पोलैण्ड से युद्ध
1921पोलैंड से शांति संधि, नई आर्थिक नीति, बाजार अर्थव्यवस्था की वापसी, स्थिरता। रूस, बेलारूस और ट्रांसकॉकेशस (१९३६ से जॉर्जिया, अर्मेनिया, अजरबेजान) क्षेत्रों का मिलन; सोवियत संघ की स्थापना।
1922जर्मनी ने सोवियत संघ को मान्यता दी। सोवियत संघ में प्रोलिटैरिएट तानाशाही के तहत नया संविधान लागू। लेनिन की मृत्यु। जोसेफ स्टालिन ने सत्ता संभाली।
1933अमेरिका ने सोवियत संघ को मान्यता दी।
1934सोवियत संघ लीग ऑफ नेशंस में शामिल हुआ।
1939द्वितीय विश्वयुद्ध आरम्भ हुआ।
1941जर्मनी ने सोवियत संघ पर हमला किया।
1943स्टालिनग्राद के युद्ध में जर्मनी की हार।
1945सोवियत सैनिकों ने बर्लिन पर कब्जा किया। याल्टा और पोट्सडैम सम्मेलनों के जरिए जर्मनी को विभाजित कर पूर्वी जर्मनी और पश्चिमी जर्मनी का निर्माण। जापान का आत्मसमर्पण और दूसरे विश्वयुद्ध की समाप्ति।
1948-49बर्लिन नाकेबंदी। पश्चिमी सेनाओं और सोवियत सेनाओं में तनातनी।
1949सोवियत संघ ने परमाणु बम बनाया। चीन की कम्युनिस्ट सरकार को मान्यता दी।
1950-53कोरियाई युद्ध ; सोवियत संघ और पश्चिम के संबंधों में तनाव।
मार्च 1953स्टालिन की मृत्यु। निकिता ख्रुश्चेव कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति के प्रथम सचिव बने।
1953सोवियत संघ ने अपना पहला हाइड्रोजन बम बनाया।
1955वारसॉ की संधि।
1956सोवियत सेना ने हंगरी के विद्रोह को कुचलने में मदद की।
1957पहला अंतरिक्ष यान स्पूतनिक धरती की कक्षा में पहुंचा। चीन की पश्चिम से बढ़ती नजदीकियों ने दोनों कम्युनिस्ट देशों में दूरियां पैदा कीं।
1960सोवियत संघ ने अमेरिका का जासूसी जहाज U2 गिराया।
1961यूरी गागारिन अंतरिक्ष में जाने वाले पहले व्यक्ति (मानव) बने।
1962क्यूबा में सोवियत मिसाइल पहुंची।
1963सोवियत संघ ने अमेरिका और ब्रिटेन के साथ परमाणु संधि की। अमेरिका और सोवियत संघ में हॉट लाइन स्थापित।
1964ख्रुश्चेव की जगह लियोनिड ब्रेजनेव ने सत्ता संभाली।
1969सोवियत और चीनी सेनाओं का सीमा पर विवाद।
1977नए संविधान के तहत ब्रेजनेव राष्ट्रपति चुने गए।
1982ब्रेजनेव का निधन। केजीबी प्रमुख यूरी आंद्रोपोव ने सत्ता संभाला।
1984मिखाइल गोर्बाचेव कम्यूनिस्ट पार्टी के महासचिव बने। खुलेपन और पुनर्निर्माण की नीति की शुरुआत की। चरनोबिल परमाणु दुर्घटना। उक्रेन और बेलारूस के बड़े क्षेत्र विकिरण से प्रभावित।
1987सोवियत संघ और अमेरिका में मध्यम दूरी की परमाणु मिसाइलों को नष्ट करने पर समझौता।
1988गोर्बाचेव राष्ट्रपति बने। कम्युनिस्ट पार्टी के सम्मेलन में निजी क्षेत्र के लिए दरवाजे खोलने पर सहमति।
1989अफगानिस्तान से सोवियत सेनाओं की वापसी। कम्युनिस्ट पार्टी में एक पार्टी की सत्ता खत्म करने पर मतदान। येल्तसिन ने सोवियत कम्युनिस्ट पार्टी छोड़ी।
अगस्त 1991रक्षा मंत्री दिमित्री याजोव, उप राष्ट्रपति गेनाडी यानायेव और केजीबी प्रमुख ने राष्ट्रपति गोर्बाचेव को हिरासत में लिया। तीन दिन बाद ये सभी गिरफ्तार। येल्तसिन ने सोवियत रूस कम्युनिस्ट पार्टी पर प्रतिबंध लगाया। उक्रेन को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दी। उसके बाद कई अन्य देशों ने खुद को स्वतंत्र घोषित किया।
सितम्बर 1991‘कांग्रेस ऑफ पीपल्स डिप्यूटीज’ ने सोवियत संघ के विघटन के लिए वोट डाला।
8 दिसम्बर 1991रूस, उक्रेन और बेलारूस के नेताओं ने ‘कॉमनवेल्थ ऑफ इंडिपेंडेंट स्टेट’ बनाया।
25 दिसम्बर 1991गोर्बाचेव ने पद से इस्तीफा दिया। अमेरिका ने स्वतंत्र सोवियत राष्ट्रों को मान्यता दी।
26 दिसम्बर 1991रूसी सरकार ने सोवियत संघ के कार्यालयों को संभाला।
सोवियत संघ के महत्वपूर्ण घटनाक्रम (1917-1991)

सोवियत संघ: एक ऐतिहासिक यात्रा (निर्माण से विघटन तक)

  • 7 नवंबर 1917 ई.: अक्टूबर क्रांति की स्थापना, जिसमें बोल्शेविक पार्टी ने सत्ता हासिल की और सोवियत सोशलिस्ट गणराज्य की शुरुआत की।
  • 30 दिसंबर 1922 ई.: सोवियत संघ की निर्माण संधि, जिसमें विभिन्न सोवियत गणराज्यों ने एकत्रित होकर संघ की स्थापना की।
  • 16 जून 1923 ई.: गृहयुद्ध समाप्त, जिससे सोवियत संघ ने अपने आंतरिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया।
  • 31 जनवरी 1924 ई.: पहला संविधान, जिसने सोवियत संघ के प्रशासन के ढांचे को परिभाषित किया।
  • 5 दिसंबर 1936 ई.: दूसरा संविधान, जिसमें सोवियत संघ के नए संविधान की नींव रखी गई।
  • 1939-1940 ई.: पश्चिम की ओर विस्तार, जिसमें सोवियत संघ ने पश्चिमी भू-सीमा क्षेत्रों को अपने नियंत्रण में किया।
  • 1941-1945 ई.: महान देशभक्तिपूर्ण युद्ध, जिसमें सोवियत संघ ने द्वितीय विश्वयुद्ध में नाजी जर्मनी के खिलाफ संघर्ष किया।
  • 24 अक्टूबर 1945 ई.: संयुक्त राष्ट्र में शामिल होना, जिससे सोवियत संघ का अंतर्राष्ट्रीय मामलों में भागीदारी बढ़ी।
  • 25 फरवरी 1956 ई.: डी-स्तालिनीकरण, जिसमें सोवियत समाज में परिवर्तन और ख्रुश्चेव के नेतृत्व में बदलाव की शुरुआत हुई।
  • 9 अक्टूबर 1977 ई.: अंतिम संविधान, जिसने सोवियत संघ के नए रूप को परिभाषित किया।
  • 11 मार्च 1990 ई.: पहला गणराज्य जो अलग हुआ, जिससे सोवियत संघ की राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में परिवर्तन हुआ।
  • 19-22 अगस्त 1991 ई.: तख्तापलट, जिसमें गोर्बाचेव के नेतृत्व में प्रयास किए गए बदलाव की कोशिश नाकाम रही और यह सोवियत संघ के अंत की ओर एक प्रमुख कदम था।
  • 8 दिसंबर 1991 ई.: बेलोवेज़ समझौते, जिसके बाद सोवियत संघ का अस्तित्व समाप्त हुआ।
  • 26 दिसंबर 1991 ई.: विघटन, जिसके बाद सोवियत संघ का अस्तित्व समाप्त हुआ और नए निर्मित देशों का आविर्भाव हुआ।

सोवियत संघ से अलग हुए देश उनका नया नाम एवं तारीख

सोवियत संघ से अलग हुए 15 देशों की सूची दी गयी है एवं अलग होने वाले उन देशों का अलग होने का वर्ष तथा उनका अलग होने के बाद नया नाम बी दिया गया है

  1. एस्टोनियन SSR: 8 मई 1990 – एस्टोनिया
  2. लिथुआनियन SSR: 11 मार्च 1990 – लिथुआनिया
  3. लातवियन SSR: 4 मई 1990 – लातविया
  4. अजरबैजान SSR: 30 अगस्त 1991 – अजरबैजान
  5. जॉर्जियन SSR: 9 अप्रैल 1991 – जॉर्जिया
  6. रूसी SFSR: 12 दिसंबर 1991 – रशियन फेडरेशन
  7. उज्बेक SSR: 31 अगस्त 1991 – उज्बेकिस्तान
  8. मोल्दावियन SSR: 27 अगस्त 1991 – मोल्दोवा
  9. यूक्रेनियन SSR: 24 अगस्त 1991 – यूक्रेन
  10. बाइलोरशियन SSR: 10 दिसंबर 1991 – बेलारूस
  11. तुर्कमेन SSR: 27 अक्टूबर 1991 – तुर्कमेनिस्तान
  12. अर्मेनियन SSR: 21 सितंबर 1991 – अर्मेनिया
  13. ताजिक SSR: 9 सितंबर 1991 – ताजिकिस्तान
  14. कजाख SSR: 16 दिसंबर 1991 – कजाखस्तान
  15. किरगिज SSR: 31 अगस्त 1991 – किर्गिस्तान

सोवियत संघ के नेताओं की सूची | List of Leaders of the Soviet Union

सोवियत संघ के नेताओं की सूची नीचे दी गयी है(Here is the list of leaders of the Soviet Union):

  1. व्लादमीर लेनिन (Vladimir Lenin): 30 December 1922 – 21 January 1924
  2. जोसेफ स्टालिन (Joseph Stalin): 21 January 1924 – 5 March 1953
  3. जार्गी मालेंकोव (Georgy Malenkov): 5 March 1953 – 14 September 1953
  4. निकिता ख्रुश्चेव (Nikita Khrushchev): 14 September 1953 – 14 October 1964
  5. लियोनिद ब्रेझनेव (Leonid Brezhnev): 14 October 1964 – 10 November 1982
  6. यूरी एंड्रोपोव (Yuri Andropov): 10 November 1982 – 9 February 1984
  7. कोंस्टेंटिन चेर्नेंको (Konstantin Chernenko): 9 February 1984 – 10 March 1985
  8. मिखाइल गोर्बाचेव (Mikhail Gorbachev): 10 March 1985 – 25 December 1991

सोवियत संघ के राष्ट्रपतियों की सूची और कार्यकाल

सोवियत संघ के राष्ट्रपतियों की सूची और कार्यकाल निचे दिया गया है-

निम्नलिखित तालिका में सोवियत संघ के राष्ट्रपतियों की सूची, उनके कार्यकाल और महत्वपूर्ण कार्यों के साथ दी गई है:

  1. जोसेफ स्टालिन (Joseph Stalin)
    • कार्यकाल: 3 अप्रैल 1922 – 16 अक्टूबर 1952 ई.
    • प्रमुख कार्य: सोवियत संघ में वामपंथी सिद्धांतों की अनुष्ठानिकता, प्रोमोशन की पॉलिसी, पंचवर्षीय योजना और आर्थिक उन्नति, विश्वयुद्धों का सामना और सोवियत संघ को एक शक्तिशाली विश्वगणराज्य बनाने की कोशिश।
  2. निकिता ख्रुश्चेव (Nikita Khrushchev)
    • कार्यकाल: 14 सितंबर 1953 – 14 अक्टूबर 1964 ई.
    • प्रमुख कार्य: ख्रुश्चेव ने स्टालिन के बाद की पार्टी में सुधार की और खुलेपन की नीतियों का परिचय दिलाया। उन्होंने बर्लिन क्रिसिस, क्यूबा संकट, देउस की क्रिसिस आदि के समय में महत्वपूर्ण निर्णय लिए।
  3. लियोनिद ब्रेजनेव (Leonid Brejnev)
    • कार्यकाल: 14 अक्टूबर 1964 – 10 नवंबर 1982 ई.
    • प्रमुख कार्य: ब्रेजनेव का कार्यकाल “ब्रेजनेव डॉक्ट्रिन” के तहत था, जिसमें सोवियत संघ ने अपने सत्ता क्षेत्र में विदेशी देशों के विपरीत प्रयासों के खिलाफ कठोर कदम उठाए।
  4. यूरी एंड्रोपोव (Yuri Andropov)
    • कार्यकाल: 12 नवंबर 1982 – 9 फरवरी 1984 ई.
    • प्रमुख कार्य: उनके कार्यकाल में सोवियत संघ में शासन सुधारों की कई प्रयास किए गए, लेकिन उनका कार्यकाल बहुत ही छोटा रहा।
  5. कॉन्स्टेंटिन चेर्नेंको (Konstantin Chernenko)
    • कार्यकाल: 13 फरवरी 1984 – 10 मार्च 1985 ई.
    • प्रमुख कार्य: चेर्नेंको के कार्यकाल में सोवियत संघ में सत्ता सुधार की प्रयास किए गए, लेकिन उनका कार्यकाल भी बहुत ही छोटा रहा।
  6. मिखाइल गोर्बाचेव (Mikhail Gorbachev)
    • कार्यकाल: 15 मार्च 1990 – 25 दिसंबर 1991 ई.
    • प्रमुख कार्य: गोर्बाचेव ने “ग्लास्नोस्त” (ग्लास्टनास्त) नामक पॉलिसी के तहत सोवियत समाज में खुलेपन और सुधार की प्रक्रिया की। उनके कार्यकाल में सोवियत संघ के आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तनों की शुरुआत हुई, जिससे सोवियत संघ का विघटन हुआ।

तानाशाही (Dictatorship) और सोवियत संघ के चरम घटक

सोवियत संघ में दशकों तक चली तानाशाही और तंत्रांत्रिक शासन ने देश को अनेक सामाजिक और आर्थिक संकटों में डाल दिया। निष्कलंक सामाजवाद के आदर्शों के बावजूद, सोवियत संघ में नेताओं की सत्ता और आर्थिक नियंत्रण की विस्तारशीलता ने उसके अधीन जनता के अधिकारों को कमजोर किया। कुछ महत्वपूर्ण चरम घटक इस प्रकार थे:

  1. तानाशाही और सत्ता का अधिकीकरण: सोवियत संघ के नेता जैसे जैसे शक्तिशाली होते गए, वे तानाशाही की ओर बढ़ते गए और अपने स्वयंसेवकों को सरकार के विभिन्न क्षेत्रों में नियुक्त करने लगे। उन्होंने आपसी विरोधी तत्वों को दमन किया और विभाजन की ओर बढ़ने लगे।
  2. अंतरिक्ष की दौड़ (Space Race): सोवियत संघ ने अमेरिका के साथ अंतरिक्ष में प्रतिस्पर्धा की और सबसे पहले कृत्रिम उपग्रह को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। यह उनकी गरिमा की विजय थी, लेकिन उसने उनके अर्थव्यवस्था को और भी दबाने में मदद की।
  3. आर्म्स रेस (Arms Race): सोवियत संघ ने अपनी सेना और हथियारों की विशाल वृद्धि की, जो एक तानाशाही प्रणाली का परिणाम था। यह न केवल आर्थिक संसाधनों को दबाने में मदद किया, बल्कि उसने समाज को भी प्रतिस्थान देने की दिशा में अपने प्रयास बढ़ाए।
  4. शीत युद्ध (Cold War): सोवियत संघ और अमेरिका के बीच शीत युद्ध के कारण, सोवियत संघ के नेताओं ने राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर सामान्य जनता की आर्थिक आवश्यकताओं को नजरअंदाज कर दिया।
  5. नारकीय नौकरशाही (Bureaucracy): तानाशाही और तंत्रांत्रिक शासन से मिलकर, एक व्यापारी और सुप्रधिकृत नौकरशाही प्रणाली विकसित हुई, जिससे लोगों के आवश्यकताओं को पूरा करने में कठिनाइयाँ आई और अर्थव्यवस्था में स्थिति और भी खराब हुई।
  6. नाकाम अर्थव्यवस्था (Failing Economy): तानाशाही और सामाजवादी अर्थव्यवस्था के परिणामस्वरूप, सोवियत संघ की अर्थव्यवस्था में लगातार गिरावट हुई और वे अमेरिका और पश्चिमी देशों की अर्थव्यवस्था के समृद्धि से पिछड़ गए।
  7. सोवियत-अफगान युद्ध (Soviet-Afghan War): सोवियत संघ की स्थिति और भी खराब हुई जब उन्होंने अफगानिस्तान में दुर्भाग्यवश युद्ध की शुरुआत की। इससे उनकी अंतरराष्ट्रीय स्थिति में भी प्रतिक्रियाएँ आई और उनके पास ज्यादा समर्थन नहीं था।
  8. शिक्षा में सुधार: अन्यथा भी, सोवियत संघ ने शिक्षा में सुधार के क्षेत्र में प्रयास किया, जिससे लोगों के विचारों में परिवर्तन आया और उन्होंने समाज के नीतिकताओं की पुनरावलोकन की दिशा में कदम उठाया।
  9. मीडिया की स्वतंत्रता (Media Freedom): सोवियत संघ के नेताओं ने जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए मीडिया को अधिक स्वतंत्रता दी, जिससे जनता को सरकार के निर्णयों और क्रियावलियों के बारे में जानकारी मिल सके।
  10. मिखाइल गोर्बाचेव की नीतियां: मिखाइल गोर्बाचेव के प्रधानमंत्री और बाद में राष्ट्रपति बनने के बाद, उन्होंने समाजवादी और अर्थव्यवस्था की सुधार की दिशा में कई कदम उठाए। उन्होंने ग्लास्नोस्ट की नीति के तहत स्वतंत्र व्यापार, प्रेस स्वतंत्रता, और नीति में परिवर्तन की दिशा में प्रयास किए, लेकिन यह काम कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।

सोवियत संघ (Soviet Union ) का पतन

जनवरी 1989 में पदभार ग्रहण करने के बाद, अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज एचडब्ल्यू बुश ने मिखाइल गोर्बाचेव और सोवियत संघ से निपटने के लिए रोनाल्ड रीगन के दृष्टिकोण को लागू करने में देरी की। इसके बजाय, उन्होंने सोवियत संघ का सामना करने और उसे निष्क्रिय करने की रणनीति तैयार करने के लिए रणनीतिक सिद्धांत की जांच का आदेश दिया। सोवियत संघ में बहुदलीय चुनावों की अनुमति देने और राष्ट्रपति सरकार बनाने के गोर्बाचेव के फैसले ने लोकतंत्रीकरण की एक लंबी प्रक्रिया की शुरुआत की, जिसने अंततः कम्युनिस्ट शासन को चुनौती दी और सोवियत संघ के पतन में योगदान दिया।

मई 1990 के चुनावों के बाद, गोर्बाचेव की सुधार योजनाओं को बोरिस येल्तसिन के नेतृत्व में कम्युनिस्ट नेतृत्व के तीव्र विरोध का सामना करना पड़ा और बहुलवादी आंदोलन ने तेजी से आर्थिक परिवर्तन और लोकतंत्रीकरण पर जोर दिया। अमेरिकी सरकार ने मुख्य रूप से गोर्बाचेव के साथ काम करना चुना क्योंकि वह उन्हें अधिक विश्वसनीय भागीदार मानती थी और येल्तसिन और गोर्बाचेव के बीच दरार गहरी होने पर अमेरिकी हितों को आगे बढ़ाने के लिए रियायतें देती थी। जैसा कि अपेक्षित था, START समझौते पर हस्ताक्षर किये गये। जब पूर्वी जर्मनी से लाल सेना की टुकड़ियों को हटा लिया गया तो गोर्बाचेव जर्मन पुनर्मिलन के लिए सहमत हुए।

अमेरिकी और सोवियत राजनयिकों के समर्थन ने सद्दाम हुसैन के कुवैत पर आक्रमण को रोक दिया। अपनी सभी अंतर्राष्ट्रीय सफलताओं के बावजूद, गोर्बाचेव की घरेलू समस्याएँ बढ़ती गईं। सोवियत संघ को बचाने के लिए गोर्बाचेव और कम्युनिस्ट पार्टी पर नियंत्रण बनाए रखने का दबाव आ गया क्योंकि मॉस्को के लिए नियंत्रण बनाए रखना कठिन होता जा रहा था। पूर्वी यूरोप में साम्यवादी शासन के पतन के बाद, बाल्टिक और कोकेशियान देशों ने मास्को से अलग होने की इच्छा व्यक्त की। जनवरी 1991 में, लिथुआनिया और लातविया में शत्रुताएँ भड़क उठीं।

लोकतांत्रिक विरोध के दमन में सोवियत टैंकों की भागीदारी की अमेरिकी राष्ट्रपति ने तीखी आलोचना की। 1991 में, सोवियत संघ में बढ़ती आंतरिक अशांति को देखते हुए, बुश प्रशासन ने अपने रणनीतिक विकल्पों की समीक्षा की। मूलतः तीन विकल्प थे। सोवियत संघ को एकजुट रखने के लिए गोर्बाचेव को अभी भी वरिष्ठ अधिकारियों का समर्थन प्राप्त हो सकता था। येल्तसिन और गणराज्यों के नेताओं का पक्ष लेकर, संयुक्त राज्य अमेरिका संभावित रूप से सोवियत संघ के पुनर्गठन या अंततः पतन से निपटने में मदद कर सकता था। अंतिम विकल्प इस शर्त पर गोर्बाचेव का समर्थन करना था कि वह तेजी से और अधिक महत्वपूर्ण राजनीतिक और आर्थिक सुधार लागू करें।

अगस्त 1991 में गोर्बाचेव को उखाड़ फेंकने के प्रयास को सोवियत संघ के पतन के प्रमाण के रूप में देखा गया। कम्युनिस्ट उत्साही लोगों द्वारा नियोजित तख्तापलट से गोर्बाचेव का अधिकार कमजोर हो गया और येल्तसिन और लोकतांत्रिक ताकतों ने अंततः सोवियत और रूसी मामलों पर नियंत्रण हासिल कर लिया। अमेरिकी राष्ट्रपति ने सार्वजनिक रूप से इस विचार की “असंवैधानिक” निंदा की, जिससे गोर्बाचेव खतरे में पड़ गए।
सोवियत संघ के राष्ट्रपति द्वारा पार्टी नेता के रूप में अपने इस्तीफे की घोषणा के बाद, कम्युनिस्ट पार्टी और राज्य के प्रमुख के बीच सत्ता का विभाजन तेज हो गया।

येल्तसिन ने पार्टी की केंद्रीय समिति को भंग कर दिया और इसकी गतिविधि बंद कर दी। तख्तापलट के कुछ दिनों बाद बेलारूस और यूक्रेन ने सोवियत संघ से अपनी स्वतंत्रता की घोषणा कर दी। स्वतंत्रता की पहली घोषणा के बाद, तीन बाल्टिक राज्यों ने अंतरराष्ट्रीय मान्यता के लिए लड़ाई लड़ी। सोवियत संघ के पतन के बाद, संयुक्त राज्य अमेरिका ने रूस, बाल्टिक राज्यों और अन्य पूर्व सोवियत गणराज्यों की सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता बनाए रखने पर बहुत जोर दिया। सभी 12 संप्रभु राज्य, साथ ही रूस, यूक्रेन, बेलारूस, कजाकिस्तान, आर्मेनिया और किर्गिस्तान संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ राजनयिक संबंध बनाए रखते हैं।

अन्य देशों का दौरा करने के बाद, श्री बेकर ने फरवरी 1992 में ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, मोल्दोवा, अजरबैजान और तुर्कमेनिस्तान के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए।

सोवियत संघ (Soviet Union ) के विघटन के कारण

सोवियत संघ के विघटन के विशेष रूप से निम्न कारण थे –

  1. आर्थिक संकट: सोवियत संघ के अंतिम दशकों में, उसकी अर्थव्यवस्था में गंभीर संकट आया था। सामाजवादी अर्थव्यवस्था के कारण, उसकी अर्थव्यवस्था में पूंजी और निवेश की कमी थी और विकास धीमा हो रहा था। यह आर्थिक संकट लोगों की जीवनस्तर में कमी का कारण बन गया था।
  2. राजनीतिक और सामाजिक असंतुलन: सोवियत संघ के अंतिम दिनों में, राजनीतिक और सामाजिक असंतुलन बढ़ गया था। विभिन्न गणराज्यों में लोगों की आवाज बढ़ रही थी और उनकी मांगों को सुनने में साम्यवादी सरकार संघर्ष कर रही थी।
  3. नेतृत्व में परिवर्तन: सोवियत संघ में नेतृत्व में परिवर्तन भी हुआ था। मिखाइल गोर्बाचेव के आगमन के साथ, नई नीतियां और सुधार हुए जिनका आम जनता के बीच असर हुआ।
  4. सत्ता के अविस्तार की समस्या: सोवियत संघ के कुछ गणराज्यों में सत्ता की बढ़ती अविस्तार की समस्या थी। यह समस्या उनके आंतरिक संघर्षों को बढ़ा देती थी और संघ की एकता को कमजोर कर देती थी।
  5. ग्लास्नोस्त और पेरेस्ट्रोइका: मिखाइल गोर्बाचेव के नेतृत्व में, उन्होंने ग्लास्नोस्त (खुलापन) और पेरेस्ट्रोइका (पुनर्निर्माण) जैसी नीतियों की शुरुआत की, जिनसे अर्थव्यवस्था और समाज में सुधार की गई। लेकिन ये सुधार तत्वों के विरोध से भी गुजरने पड़े और संघ की स्थिति को और भी कठिन बना दिया।
  6. गणराज्यों की आत्मनिर्भरता: सोवियत संघ के गणराज्य भारत, पोलैंड, चेकोस्लोवाकिया, हंगरी, और अन्य कुछ देशों की ओर से अपनी आत्मनिर्भरता और स्वतंत्रता की मांगें बढ़ी थी, जिनका सोवियत संघ द्वारा संभालना कठिन हो गया था।
  7. शीत युद्ध के बाद की विश्व दिक्तेटरी और युद्धों की लागत: शीत युद्ध के बाद, सोवियत संघ ने बड़े पैमाने पर अपनी सेनाओं और अंतरिक्ष मिशनों के लिए बड़ी लागत देनी पड़ी, जिससे उनकी अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ा।

ये कुछ प्रमुख कारण थे जिनके संयोजन में सोवियत संघ के विघटन का कारण बना।

सोवियत संघ (Soviet Union ) के विघटन का परिणाम

  • दूसरी दुनिया का पतन।
  • इस समय ने बड़े पैमाने पर विरोध के जवाब में कई कम्युनिस्ट शासनों के अंत को चिह्नित किया।
  • सोवियत संघ का विघटन ने शीत युद्ध का अंत, हथियारों की होड़ का अंत तथा वैचारिक टकराव आदि का अंत कर दिया।
  • सोवियत संघ का विघटन ने सत्ता समीकरणों में परिवर्तन कर दिया जिससे एकध्रुवीय विश्व, पूंजीवादी विचारधारा, आईएमएफ, विश्व बैंक आदि का उदय हुआ।
  • नए देशों और नए गठबंधनों का उदय हुआ इसी। क्रम में जैसे बाल्टिक देशों ने नाटो के साथ गठबंधन किया।

सोवियत संघ के अंतरिक्ष कार्यक्रम

सोवियत संघ के अंतरिक्ष कार्यक्रम निम्नलिखित है:

  1. सोवियत संघ (USSR) ने अगस्त 1957 में दुनिया की पहली अंतरमहाद्वीपीय (ICB) बैलिस्टिक मिसाइल जिसका नाम R7 Semyorka था, का पहला सफल परीक्षण किया।
  2. R7 Semyorka कई वर्षों के अनुसंधान और विकास का परिणाम था तथा यह यह नाजी पार्टी के V2 रॉकेट से प्रेरित था, जिसे द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान मित्र राष्ट्रों में लॉन्च किया गया था।
  3. Semyorka के परीक्षण के बाद दो महीने से भी कम समय में, Korolyov पृथ्वी के चारों ओर कक्षा में पहली कृत्रिम वस्तु को लॉन्च करने में सक्षम था। इस सैटेलाइट का नाम स्पुतनिक था।
  4. लाइका (कुत्ता) पहला अंतरिक्ष यात्री था, जब स्पुतनिक II जिसे एक महीने बाद लॉन्च किया गया था।
  5. वोस्तोक कार्यक्रम 1958 में शुरू हुआ, जो एक अंतरिक्ष यात्री मिशन की योजना के हिस्से के रूप में विकसित किया गया था, और 1960 से 1963 तक संचालित हुआ।
  6. यूरी गगारिन इस परियोजना की बेहतरीन सफलता के फलस्वरूप अप्रैल 1961 में वोस्तोक 1 में पृथ्वी का चक्कर लगाने वाले पहले व्यक्ति बने।
  7. अगले दो वर्षों के दौरान वे पांच अन्य अंतरिक्ष यात्रियों से जुड़ गए, जिनमें पहली महिला अंतरिक्ष यात्री ” वेलेंटीना टेरेश्कोवा” भी शामिल थीं।
  8. वोस्तोक कार्यक्रम के पश्चात, सोवियत संघ ने वोसखोद कार्यक्रम के साथ अनेकों प्रगति की।
  9. 18 मार्च, 1965 को वोशकोड 2 के चालक दल ने उनमें से सबसे महत्वपूर्ण बनाया, जब अलेक्सी लियोनोव ने पहला अंतरिक्ष वॉक पूरा किया, जिसने मानव इतिहास को बदल दिया।
  10. कोरोलीव का अगला लक्ष्य अमेरिका से पहले एक आदमी को चाँद पर भेजना था।
  11. उन्होंने इसको पूरा करने के लिए अपने OKB-1 डिजाइन ब्यूरो के कर्मियों के साथ सोयुज मानवयुक्त अंतरिक्ष यान और N1 रॉकेट डिजाइन पर कार्य किया था।
  12. जनवरी 1966 में कोरोलीव की अपनी नियमित दिनचर्या के दौरान अप्रत्याशित रूप से दिल का दौरा ( Heart Attack) पड़ने से मृत्यु हो गयी।
  13. कोरोलेव के सहायक वासिली मिशिन को एक आदमी को चाँद पर रखने का कार्य दिया गया था।
  14. उन्होंने 1967 में सोयुज 1 के प्रक्षेपण को अधिकृत किया।
  15. अंतरिक्ष यान की टक्कर के फलस्वरूप व्लादिमीर कोमारोव की मृत्यु हो गई।
  16. इस प्रकार सोवियत संघ के इन गलत कदमों के कारण, अमेरिका ने अंतरिक्ष की दौड़ में सोवियत संघ को पछाड़ दिया और 21 जुलाई 1969 को बज़ एल्ड्रिन और नील आर्मस्ट्रांग ने एक सफल चंद्र लैंडिंग की।
  17. 1970 के दशक के दौरान एक रूसी अभियान की योजना थी, लेकिन आख़िरकार 1974 में इस प्रयास को बंद कर दिया गया।

रूसी पंचवर्षीय योजनाएं

  • 1929 में, यूएसएसआर ने आर्थिक पुनर्निर्माण और औद्योगीकरण के अपने जोरदार कार्यक्रम की शुरुआत की, जब उसने अपनी पंचवर्षीय योजनाओं की एक श्रृंखला को अपनाया।
  • सोवियत संघ ने जो असाधारण आर्थिक प्रगति हासिल की वह भारी बाधाओं के खिलाफ थी।
  • यद्यपि विदेशी हस्तक्षेप समाप्त कर दिया गया था, यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका के कई देशों ने क्रांति को नष्ट करने के उद्देश्य से आर्थिक बहिष्कार की नीति का पालन किया। हालाँकि, सोवियत संघ न केवल जीवित रहा, बल्कि आर्थिक रूप से तेज दर से बढ़ता रहा। यह एकमात्र देश था जो 1929-33 के आर्थिक संकट से अप्रभावित रहा। 

रूस में कृषि सुधार: सामूहिक खेती 

  • कृषि में बड़े बदलाव किए गए।
  • क्रांति के बाद जमींदारों, चर्च और कुलीनों की सम्पदा को जब्त कर लिया गया और किसानों के बीच वितरित कर दिया गया।
  • छोटी जोत या खेतों को बहुत उत्पादक नहीं माना जाता था।
  • उत्पादन बढ़ाने के लिए कृषि यंत्रों को लगाना आवश्यक समझा जाता था लेकिन यह तभी किया जा सकता था जब खेतों का आकार बड़ा हो।
  • इसके लिए सरकार ने अपने खेतों की शुरुआत की और किसानों के छोटे-छोटे खेतों को आपस में जोड़कर सामूहिक खेती को बढ़ावा देने की नीति अपनाई।
  • इन खेतों में, किसानों द्वारा खेतों का व्यक्तिगत स्वामित्व समाप्त कर दिया गया था और किसान सामूहिक रूप से इन ‘सामूहिक खेतों’ पर काम करते थे।
  • सरकार ने सामूहिकता की नीति का सख्ती से पालन किया और 1937 तक लगभग सभी कृषि योग्य भूमि को सामूहिक खेतों के तहत लाया गया।

सोवियत संघ के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य

  • 1991 ई. तक सोवियत संघ दुनिया का सबसे बड़ा देश था, और दुनिया की सबसे लंबी तटरेखा भी इसी के पास हुआ करती थी।
  • सोवियत यूनियन 9 समय क्षेत्रों (Time Zone) में फैला हुआ था और एक विशाल देश था।
  • उस समय USSR और USA दोनो के पास मिलकर लगभग 26000 के आसपास परमाणु हथियार थे।
  • लेनिन की मृत्यु के बाद पेत्रोग्राद शहर का नाम बदलकर लेनिनग्राद रख दिया गया।
  • USSR (सोवियत संघ) के लाल झंडे पर हथौड़ा और दरांती प्रतीकात्मक रूप से देश के श्रमिकों के श्रम का घोतक हैं।
  • 26 दिसंबर सन 1991 को सोवियत संघ का आधिकारिक रूप से विघटन हुआ और इस विघटन के परिणामस्वरूप सोवियत यूनियन 15 गणराज्यों में बांटा गया।
  • सोवियत संघ से सबसे पहले अलग होने वाला गणराज्य लिथुआनिया था यह मार्च 1990 में इससे अलग हो गया था।
  • सोवियत संघ से अलग होकर सोवियत संघ से टूटकर आर्मीनिया, अजरबैजान, बेलारूस, इस्टोनिया, जॉर्जिया, कजाकिस्तान, कीर्गिस्तान, लातविया, लिथुआनिया, मालदोवा, रूस, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, यूक्रेन और उज्बेकिस्तान आदि देश बने।
  • सोवियत संघ का प्रथम राष्ट्रपति व्लादिमीर लेनिन थे, जो 1917 से 1924 तक सोवियत रूस के, और 1922 से 1924 तक सोवियत संघ के भी “हेड ऑफ़ गवर्नमेंट” रहे।
  • सोवियत यूनियन की स्थापना 30 दिसंबर 1922 को हुई थी।

इन्हें भी देखें –

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