हिंदी के विराम चिन्ह और उनका प्रयोग | 50 + उदाहरण

हिंदी भाषा में विराम चिन्ह की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण होती है। ये विराम चिन्ह हमारी भाषा को सुचारू और सुंदर बनाने में मदद करते हैं और वाक्यों को समझने में भी मदद करते हैं। अगर विराम चिन्ह का प्रयोग न किया जाए तो कभी-कभी अर्थ का अनर्थ भी हो जाता है।

भाषा के लिखित रूप में विराम या ठहराव को व्यक्त करने वाले सांकेतिक चिह्नों को विराम चिह्न कहा जाता हैं। विराम चिह्न का मतलब ठहराव होता है। हम बातचीत के दौरान अपनी बातों को कहने के लिए, समझाने के लिए, अथवा बात पर विशेष बल देने के लिए या अपनी बात का सम्पूर्ण भाव स्पष्ट करने के लिए कभी कम समय के लिए तो कभी अधिक समय के लिए विराम लेते हैं।

भाषा के लिखित रूप में इस विराम को दर्शाने के लिए अनेक सांकेतिक चिन्हों का प्रयोग किया जाता है, इन्ही चिन्हों को विराम चिन्ह कहते हैं। विराम चिह्न हिंदी व्याकरण के अंतर्गत नहीं आते हैं, अतः विराम चिन्ह शुद्ध व्याकरण का विषय न होकर अपितु भाषा रचना या व्यवहारिक भाषा का विषय है। विराम चिह्नों का प्रयोग व्याकरण के नियमों से अलग हटकर वाक्य के अर्थ पर आधारित होता है, इस प्रकार विराम चिह्नों का सही प्रयोग समझने के लिए वाक्य के अर्थ पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

विराम चिन्ह की परिभाषा

विराम का अर्थ होता है “रुकना”। लिखित भाषा में जो चिन्ह भाषा के भाव को प्रकट करने के लिए लिखित रूप में प्रयोग किए जाते हैं उन लिखित चिन्हों को विराम चिन्ह कहते हैं। विराम चिन्हों की आवश्यकता लेखक के भाव बोध को सुबोध और सरल बनाने के लिए होती है।

हिंदी भाषा में विराम चिन्ह एवं उनके प्रकार

हिंदी भाषा में विराम चिन्ह 13 प्रकार के होते हैं-

  1. पूर्ण विराम Full Stop (।)
  2. अर्द्ध विराम Semi Colon (;)
  3. अल्प विराम Comma (,)
  4. उप विराम Colon (:)
  5. प्रश्नवाचक चिन्ह Question Mark (?)
  6. योजक चिन्ह Hyphen (–)
  7. कोष्ठक चिन्ह Bracket ()
  8. अवतरण या उद्धरण चिन्ह Inverted Comma ( ‘ ‘ ), ( “ ” )
  9. विस्मयादिबोदक चिह्न Sign of Exclamation ( ! )
  10. लाघव चिन्ह/ संक्षेपसूचक Abbreviation Sign (०)
  11. निर्देशक चिह्न Sign of Dash ( — )
  12. विवरण चिन्ह Sign of Following ( :- )
  13. विस्मरण चिन्ह या त्रुटिपूरक चिन्ह/हंसपद Oblivion Sign (^)

ज्यादातर जगहों पर हिंदी भाषा के विराम चिन्ह के लिए उपरोक्त 13 चिन्हों का ही वर्णन मिलता है। परन्तु निम्नलिखित और भी चिन्ह हैं, जो हिंदी भाषा में प्रयोग होते है:-

  1. पुनुरुक्ति चिन्ह Mark of Repetition (” ” ”)
  2. लोप चिन्ह Mark of Elipses (—), (…), (xxx)
  3. तुल्यतासूचक चिन्ह Sign of Equality (=)

पूर्ण विराम चिन्ह (।)

जिस प्रकार बोलते समय वाक्य ख़त्म होने के बाद विराम दिया जाता है। उसी प्रकार प्रकार लिखते वक़्त वाक्य ख़त्म होने के बाद पूर्ण विराम (।) लगाते है। पूर्ण विराम का प्रयोग विस्मायवाचक वाक्यों और प्रश्नवाचक वाक्यों को छोड़ कर हर जगह किया जाता है। इसका उदाहरण इस प्रकार है :-

जैसे-  मोहन का पैर फिसल गया। सब बच्चे उसके पास गए। मोहन को ज्यादा चोट नहीं आई थी 

दोहा शायरी, छंद  में भी पूर्ण  विराम का प्रयोग किया जाता है पहला चरण खत्म होने के बाद एक पूर्ण विराम का प्रयोग किया जाता है और दूसरा चरण ख़त्म होने पर दो पूर्ण विराम का प्रयोग किया जाता है

अर्द्ध विराम चिन्ह (;)

जब पूर्ण विराम की अपेक्षा कम देर तथा अल्पविराम की अपेक्षा अधिक देर तक रुकना हो, वहां अर्द्धविराम चिन्ह (;) का प्रयोग किया जाता है। इसका उदाहरण इस प्रकार है :-

  • सूर्योदय हो गया; आसमान में चारो तरफ लालिमा फ़ैल गयी है।
  • सूर्योदय हो गया; कोयल कू कू करने लगी और पुष्प खिल गए।
  • फलों का राजा आम को माना गया है; परन्तु श्रीनगर में और भी अच्छे किस्म के फल पैदा होते हैं।

अल्प विराम चिन्ह (,)

अल्प विराम चिन्ह (,)

अल्प विराम चिन्हों का प्रयोग वाक्य के बीच में विराम उत्पन्न करने के लिए करते हैं। अल्प विराम का प्रयोग निम्न परिस्तिथियों में होता है-

  • किसी वाक्य में दो या दो से ज़्यादा समान पद वाले शब्दों में- जैसे- आम, अमरूद, सेव, केला आदि।
  • हां/नहीं के बाद – जैसे : नहीं, मैं तुम्हारे साथ नहीं चल सकता हूँ । हां, अगर तुम जाना चाहो तो चले जाओ। 
  • उपाधियों के अलगाव के लिए- जैसे : बी.ए , एम.ए., पी.एच. डी. आदि। 

उप विराम चिन्ह (:)

जब वाक्य में किसी को अलग से दर्शाया जाता है, तो उपविराम चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। इस चिन्ह को अपूर्ण विराम चिन्ह भी कहा जाता है। इसके उदाहरण इस प्रकार है :-

  • शीर्षक – माँ : ममता की मूरत।
  • सवांद –  कुसुम : आइये, आपको आपकी माँ से मिलवाऊं।
  • अमित : भाई, अभी मेरा उनसे बात करने का बिलकुल भी मन नहीं है।  

प्रश्नवाचक चिन्ह (?)

प्रश्नवाचक चिन्ह (?) का प्रयोग प्रश्नवाचक वाक्यों के अंत में किया जाता है। 

  • वाक्य में प्रश्नवाचक शब्दों कब, कहाँ , कैसे , क्यों, कब आदि के साथ। जैसे- 
    • क्या आप अभी जा रही है?
    • आपने उन्हें क्यों बुलाया ?
  • व्यंग्यात्मक भाव प्रकट करने के लिए भी सामान्य कथन के बाद। जैसे-
    • आपके जैसा अमीर आज तक पैदा नहीं हुआ ?

योजक चिन्ह (–)

योजक चिन्ह Hyphen (–)

योजक चिह्न (–) का प्रयोग दो शब्दों में परस्पर संबंध स्पष्ट करने के लिए तथा उन्हें जोड़कर लिखने के लिए किया जाता है। इसके उदाहरण इस प्रकार है :-

  • तत्पुरुष और द्वंद समास दोनों पदों के बीच में : रीता-सीता, ऊँच-नीच, गीता-संगीता, माता-पिता, खरा-खोटा।
  • मध्य  के अर्थ में : कालका-हावड़ा-मेल ।
  • तुलना सूचक सा/सी/से के पहले : तुम-सा नहीं देखा, मीरा-सी भक्त शायद ही कोई हो । 
  • विभिन्न शब्द (युग्मों में)-रबर-वबर, भीड़–भाड़, डर-वर, पानी–वानी ।

कोष्ठक चिन्ह ()

कोष्ठक चिन्ह () का प्रयोग वाक्य के बीच में आए शब्दों अथवा पदों का अर्थ स्पष्ट करने के लिए किया जाता है अथार्त कोष्ठक चिन्ह () का प्रयोग अर्थ को और अधिक स्पष्ट करने के लिए कोष्ठक के अन्दर शब्द अथवा वाक्यांश को लिखकर किया जाता है। इसके उदाहरण इस प्रकार है :-

  • दशहरे के दिन दशानन (रावण) का वध होता है ।
  • लता मंगेशकर भारत की कोकिला (मीठा गाने वाली) हैं।
  • भोले नाथ (भगवान् शिव जी) बड़े दयालु हैं।

अवतरण / उद्धरण चिन्ह ( ‘ ‘ ), ( “ ” )

उद्धरण चिन्ह का प्रयोग किसी महत्वपूर्ण कथन को ज्यों का त्यों लिखने के लिए किया जाता है। इस चिन्ह को अवतरण चिन्ह के नाम से भी जाना जाता हैं। जिस भी कथन को ज्यों-का-त्यों लिखना होता है, उस कथन के दोनों ओर इस चिन्ह को लगाया जाता है। जैसे-

  • सुभाष चंद्र बोस जी ने कहा था, “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।”
  • ‘ईदगाह’ मुंशी प्रेमचंद जी की प्रसिद्ध कहानी का नाम है।
  • ‘निराला’ हिंदी के महान कवि में गिने जाते हैं।
  • स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था, “ख़ुद को कमजोर समझना पाप है।”
  • जयशंकर ‘प्रसाद’ जी ने अपनी रचना ‘कामायनी’ में कहा है कि “नारी तुम केवल श्रद्धा हो।”

उद्धरण चिन्ह का प्रकार

उद्धरण चिन्ह दो प्रकार का होता है।

  1. इकहरा उद्धरण चिन्ह (‘ ‘) Single inverted comma
  2. दुहरा उद्धरण चिन्ह (” “) Double inverted comma

इकहरा उद्धरण चिन्ह (‘ ‘) Single inverted comma

इकहरा उद्धरण चिन्ह (‘ ‘) Single inverted comma का प्रयोग किसी पुस्तक के नाम, पत्र-पत्रिकाओं के नाम, किसी कवि के उपनाम अथवा लेख या कविता के शीर्षक आदि का उल्लेख करने के लिए किया जाता है। जैसे:

  • रामधारी सिंह ‘दिनकर’ ओज के कवि थे।
  • ‘राम चरित मानस’ के रचियता तुलसीदास हैं।
  • बाल्मिकी जी ने महान ग्रन्थ ‘रामायण’ की रचना की।

दुहरा उद्धरण चिन्ह (” “) Double inverted comma

दुहरा उद्धरण चिन्ह (” “) Double inverted comma / अवतरण चिह्न (”…”) का प्रयोग किसी महान पुरुष द्वारा कही गई बात को उद्धरण करने अथवा किसी वाक्य के खास शब्द पर जोर देने के लिए किया जाता है। इसके उदाहरण इस प्रकार है :-

  • महावीर स्वामी ने कहा , “अहिंसा परमो धर्म “।
  • गाँधीजी ने कहा, “हमेशा सत्य बोलो “।
  • सुभाष चन्द्र बोश ने कहा, “तुम मुझे खून दो मै तुम्हे आजादी दूंगा”।, “दिल्ली चलो” ।

विस्मयादिबोधक चिह्न ( ! )

विस्मयादिबोधक चिह्न ( ! ) का प्रयोग वाक्य में हर्ष, विवाद, विस्मय, घृणा, आश्रर्य, करुणा, भय आदि का बोध कराने के लिए होता है। विस्मयादिबोधक चिन्ह (!) का प्रयोग अव्यय शब्द से पहले किया जाता है। इसके उदाहरण इस प्रकार है :-

जैसे – हे भगवान्! यह क्या हो गया।
छी:छी ! यह रुमाल कितना गन्दा है।
आह ! कितना मीठा फल है।

लाघव चिन्ह / संक्षेपसूचक (०)

लाघव चिन्ह/ संक्षेपसूचक (०) का प्रयोग किसी बड़े अंश का संक्षिप्त रूप (Short Form) लिखने के लिए किया जाता है। इसके उदाहरण इस प्रकार है :-

  • माननीय के लिए – मा०
  • डॉक्टर के लिए – डा० 
  • खंड विकास अधिकारी के लिए – ख० वि० अधि०
  • उत्तर प्रदेश के लिए ― उ० प्र०
  • मध्य प्रदेश के लिए – म० प्र०

निर्देशक चिह्न ( — )

निर्देशक चिह्न ( — ) का प्रयोग निम्न परिस्थियों में किया जाता है। यह चिह्न भी बड़ी लकीर की तरह होता है। इसका आकार योजक चिन्ह से बड़ा होता है। इसके उदाहरण इस प्रकार है :-

  • किसी वाक्यांश/ पद की परिभाषा स्पष्ट करने के लिए, जैसे : “मुझे एक अच्छा नागरिक बनना है” – परिश्रम, लगन, निष्ठा से ।
  • किसी व्यक्ति के द्वारा कहे गए कथन को अधिकृत करने से पहले ; जैसे:  गाँधीजी ने कहा – “सत्य और अहिंसा से ही हम देश को आज़ाद करा सकते है। ” 

विवरण चिन्ह ( :- )

विवरण चिन्ह ( :- ) का प्रयोग वाक्यांश के विषयों में कुछ सूचना अथवा निर्देश आदि देने के लिए किया जाता है। इसके उदाहरण इस प्रकार है :-

  • हिमालय से कई नदियाँ निकलती है जिसमे  मुख्य है :- गंगा 
  • जंगल में बहुत से जानवर रहते हैं जिनका राजा है :- शेर

विस्मरण चिन्ह या त्रुटिपूरक चिन्ह / हंसपद (^)

विस्मरण चिन्ह को त्रुटिपूरक चिन्ह अथवा हंसपद भी कहा जाता है | लिखते समय यदि कोई शब्द छूट जाता है तो छूटे हुए शब्द के स्थान पर इस चिन्ह को लगाकर उस शब्द को ऊपर लिख दिया जाता है। इसके उदाहरण इस प्रकार है :-

  • जैसे – मोहन ^ चला गया — मोहन चला गया।
  • रीता ^ खीर लाई — रीता खीर लाई।
  •  कल मुझे ^ आगरा जाना है। कल मुझे आगरा जाना है।

पुनुरुक्ति चिन्ह (” ” ”)

किसी पैराग्राफ में तथ्वा किन्ही दो अथवा दो से अधिक लाइनों में कोई शब्द बार बार आता है तो इस चिन्ह का प्रयोग किया जाता है अर्थात पुनरुक्ति सूचक चिन्ह (” ” “) का प्रयोग ऊपर लिखे किसी वाक्य के अंश को दोबारा लिखने से बचने (दोबारा न लिखना पड़ें) के लिए किया जाता है। इसका उदाहरण इस प्रकार है-

  • राम घर जाता है।
  • मोहन “” “” “”।

लोप चिन्ह (—), (…), (xxx)

जब वाक्य या अनुच्छेद में कुछ अंश छोड़ कर लिखना हो तो लोप चिह्न (…) का प्रयोग किया जाता है। यह चिह्न हमेश तीन के गुणे में लगते हैं अर्थात (—), (…), (xxx)। इसके उदाहरण इस प्रकार है-

  • इंदिरा गाँधी जी ने कहा- “परीक्षा की घड़ी आ चुकी है… हम करेंगे या मरेंगे”।
  • वह सुबह से — नहीं खाया है।

तुल्यतासूचक चिन्ह (=)

तुल्यतासूचक चिन्ह का प्रयोग दो शब्दों अथवा वाक्यांशों के मध्य समानता या बराबरी दर्शाने के लिए किया जाता है। जैसे:

  • बल = शक्ति
  • बद = बुरा
  • फ़न = गुण
  • बिना = रहित

इस आर्टिकल के माध्यम से, हिंदी के विराम चिन्हों के महत्वपूर्ण पहलुओं को जानने और उनका प्रयोग समझाने की कोशिश की गयी है। विराम चिन्ह हिंदी भाषा के लिखित रूप में वाक्य और पाठ को सुचारू बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, और इनके बिना, भाषा का संरचन अधूरा हो सकता है। यहाँ विराम चिन्हों के प्रकार और उनके उपयोग के उदाहरण प्रस्तुत किए गए हैं, जिससे इनकी सही पहचान और उपयोग की समझ मिल सके।

विराम चिन्हों का यथा संभव सही उपयोग वाक्य के संरचना और अर्थ के साथ जुड़ा होता है, और इनका प्रयोग एक वाक्य की पूरी परिप्रेक्ष्य और समझ को दर्शाता है। विराम चिन्हों की सही पहचान और उनके साथ सही प्रयोग सीखना हिंदी भाषा के लेखन कौशल के लिए महत्वपूर्ण है, और यह किसी भी भाषा के व्याकरण का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। इस आर्टिकल में हिंदी भाषा के विराम चिन्हों के सही प्रयोग के लिए मार्गदर्शन दिया गया है। हिंदी में लेखन करने के लिए या हिंदी के विराम चिन्हों के बारे में विस्तार से जानने के लिए यह आर्टिकल अत्यंत उपयोगी साबित हो सकता है।


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