हेपेटाइटिस D वायरस (HDV): कैंसरकारक घोषित, वैश्विक स्वास्थ्य के लिए बढ़ती चिंता

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने हाल ही में हेपेटाइटिस डी वायरस (Hepatitis D Virus — HDV) को आधिकारिक रूप से मानवों में सिद्ध कैंसरकारक (Group 1 Carcinogen) घोषित किया है। यह घोषणा WHO के अधीन कार्यरत अंतर्राष्ट्रीय कैंसर अनुसंधान एजेंसी (IARC) की नवीनतम वैज्ञानिक रिपोर्ट के आधार पर की गई है।
इस वर्गीकरण का अर्थ है कि पर्याप्त वैज्ञानिक प्रमाण मौजूद हैं कि HDV संक्रमण मानवों में सीधे तौर पर कैंसर, विशेष रूप से लिवर कैंसर (Hepatocellular Carcinoma) का कारण बन सकता है।

हेपेटाइटिस डी को लेकर यह निर्णय वैश्विक स्तर पर वायरल हेपेटाइटिस की रोकथाम की आवश्यकता को और भी तत्काल और गंभीर बना देता है। इसका महत्व इसलिए और बढ़ जाता है क्योंकि हेपेटाइटिस डी वायरस अकेले सक्रिय नहीं हो सकता — यह केवल हेपेटाइटिस बी वायरस (HBV) के साथ ही संक्रमण पैदा करता है, लेकिन इस संयोजन से लिवर को होने वाला नुकसान कहीं ज्यादा तीव्र और घातक हो जाता है।

हेपेटाइटिस डी वायरस (HDV) क्या है?

HDV एक रक्तजनित (Blood-borne) छोटा वायरस है, जिसे “डेल्टा वायरस” (Delta Virus) भी कहा जाता है।
इसकी प्रमुख विशेषताएँ:

  1. HBV पर निर्भरता — HDV स्वयं अपनी प्रतिकृति (Replication) नहीं कर सकता। इसे अपनी जीवन प्रक्रिया चलाने के लिए HBV के सतही एंटीजन (HBsAg) की आवश्यकता होती है।
  2. संक्रमण के प्रकार
    • सह-संक्रमण (Co-infection): जब कोई व्यक्ति एक साथ HBV और HDV दोनों से संक्रमित होता है।
    • सुपरइन्फेक्शन (Superinfection): जब पहले से HBV से संक्रमित व्यक्ति में बाद में HDV प्रवेश करता है। यह स्थिति और भी गंभीर होती है।
  3. स्वतंत्र अस्तित्व असंभव — HBV की अनुपस्थिति में HDV संक्रमण नहीं कर पाता, इसलिए HBV से बचाव ही HDV से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका है।

वैश्विक संक्रमण के आंकड़े

  • दुनिया भर में लगभग 2 करोड़ लोग HDV से संक्रमित हैं।
  • यह संख्या क्रॉनिक HBV संक्रमणों का लगभग 5% है।
  • उच्च प्रसार वाले क्षेत्र —
    • एशिया (विशेषकर मध्य और पूर्वी एशिया)
    • अफ्रीका
    • अमेज़न बेसिन
    • इंजेक्शन द्वारा नशीले पदार्थ लेने वाले लोग
    • लंबे समय से डायलिसिस पर रहने वाले मरीज

HDV इतना खतरनाक क्यों है?

HBV और HDV का संयुक्त संक्रमण लिवर के लिए अत्यधिक हानिकारक है। शोध से पता चलता है कि:

  1. लिवर कैंसर का खतरा — केवल HBV की तुलना में HBV+HDV संक्रमण से कैंसर का खतरा 2 से 6 गुना बढ़ जाता है।
  2. सिरोसिस (Cirrhosis) का तेज विकास — HDV संक्रमण वाले लगभग 75% मरीज 15 वर्षों के भीतर लिवर सिरोसिस से पीड़ित हो सकते हैं, जबकि केवल HBV में यह दर लगभग 50% है।
  3. युवा उम्र में गंभीर बीमारी — HDV लिवर में फाइब्रोसिस और फेलियर की प्रक्रिया को तेज कर देता है, जिससे अपेक्षाकृत कम उम्र में गंभीर यकृत रोग हो सकता है।
  4. तेज़ी से प्रगति — सुपरइन्फेक्शन के मामलों में HBV के साथ वर्षों से रह रहे रोगी अचानक गंभीर हेपेटाइटिस या लिवर फेलियर का सामना कर सकते हैं।

संक्रमण के तरीके

HDV का प्रसार मुख्यतः संक्रमित रक्त या शारीरिक द्रव के माध्यम से होता है, ठीक HBV और HCV की तरह:

  1. संक्रमित रक्त चढ़ाना — यदि रक्त स्क्रीनिंग के बिना दिया जाए।
  2. सुई या इंजेक्शन साझा करना — नशीले पदार्थ लेने वाले लोगों में आम।
  3. असुरक्षित यौन संबंध — HBV की तरह HDV भी यौन संबंध से फैल सकता है।
  4. मां से बच्चे को — गर्भावस्था या जन्म के समय संक्रमण।
  5. स्वास्थ्य सेवाओं में जोखिम — यदि सर्जिकल उपकरण, डेंटल उपकरण या टैटू की सुइयाँ ठीक से स्टरलाइज न हों।

HDV संक्रमण के लक्षण

HDV संक्रमण के लक्षण HBV के समान हैं, लेकिन अधिक तीव्र और तेजी से विकसित होते हैं:

  • लगातार थकान और कमजोरी
  • पीलिया (आंख और त्वचा का पीला पड़ना)
  • जी मिचलाना और उल्टी
  • पेट में दर्द या सूजन
  • गहरे रंग का पेशाब
  • भूख में कमी
  • गंभीर मामलों में — मानसिक भ्रम, रक्तस्राव, सूजन और लिवर फेलियर

निदान

HDV का पता लगाने के लिए प्रयोगशाला जांच आवश्यक है:

  1. Anti-HDV एंटीबॉडी टेस्ट — HDV संक्रमण के प्रति शरीर की प्रतिक्रिया का पता लगाने के लिए।
  2. HDV-RNA टेस्ट — सक्रिय संक्रमण की पुष्टि करता है।
  3. HBsAg टेस्ट — चूंकि HDV केवल HBV के साथ होता है, इसलिए HBV की उपस्थिति की जांच जरूरी है।
  4. लिवर फंक्शन टेस्ट (LFTs) — लिवर क्षति का स्तर मापने के लिए।

इलाज

वर्तमान में HDV के लिए सीमित उपचार उपलब्ध हैं:

  • Pegylated Interferon-alpha — कई वर्षों से उपयोग में है, लेकिन प्रभाव सीमित और साइड इफेक्ट्स अधिक।
  • Bulevirtide — यूरोप में स्वीकृत नई दवा, HDV के प्रतिकृति को रोकती है।
  • HBV के लिए एंटीवायरल — HBV नियंत्रण से HDV की तीव्रता कम हो सकती है।
  • लिवर प्रत्यारोपण (Transplant) — गंभीर सिरोसिस या लिवर फेलियर के मामलों में अंतिम विकल्प।

रोकथाम

HDV से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका HBV से बचाव है, क्योंकि HDV HBV के बिना अस्तित्व में नहीं रह सकता:

  1. HBV वैक्सीन — HDV के खिलाफ अप्रत्यक्ष लेकिन पूर्ण सुरक्षा।
  2. सुरक्षित रक्त चढ़ाना — सभी रक्त यूनिट्स की जांच अनिवार्य।
  3. सिर्फ स्टरलाइज्ड सुई और उपकरण का उपयोग।
  4. सुरक्षित यौन संबंध
  5. गर्भवती महिलाओं की HBV जांच — संक्रमित मां को समय पर इलाज।

भारत में स्थिति

भारत में HDV की सामान्य प्रसार दर कई अफ्रीकी या एशियाई देशों से कम है, लेकिन उच्च जोखिम वाले समूहों में इसका खतरा अधिक है:

  • इंजेक्शन द्वारा नशीले पदार्थ लेने वाले
  • लंबे समय से HBV के रोगी
  • हेमोडायलिसिस पर मरीज
  • असुरक्षित यौन व्यवहार वाले व्यक्ति

चिंता का कारण — राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में HBV वैक्सीन शामिल होने के बावजूद भारत में इसका कवरेज केवल लगभग 50% है। इसका मतलब है कि लाखों लोग अब भी HBV और HDV के खतरे में हैं।

WHO और IARC का कार्सिनोजेन वर्गीकरण

IARC ने HDV को Group 1 Carcinogen में रखा है। इस श्रेणी में वे एजेंट आते हैं जिनके मानवों में कैंसर पैदा करने के पर्याप्त और ठोस प्रमाण हैं।
इस वर्गीकरण के पीछे मुख्य कारण:

  • HBV की तुलना में HDV के साथ लिवर कैंसर का खतरा 2–6 गुना अधिक।
  • तेज़ी से सिरोसिस और लिवर फेलियर का विकास।
  • युवा उम्र में गंभीर लिवर रोग और मृत्यु दर में वृद्धि।

इस घोषणा का महत्व

WHO द्वारा HDV को कैंसरकारक घोषित करने के संभावित प्रभाव:

  1. वैश्विक शोध फंडिंग में वृद्धि — HDV पर दवा और वैक्सीन अनुसंधान तेज होगा।
  2. जनस्वास्थ्य जागरूकता — सरकारें और संगठन टीकाकरण व जांच अभियान को बढ़ावा देंगे।
  3. स्क्रीनिंग में सुधार — उच्च जोखिम समूहों की पहचान और जांच में तेजी।
  4. नई दवाओं की उपलब्धता — बुलेवर्टाइड जैसी दवाओं का निम्न और मध्यम आय वाले देशों में प्रसार।

वैश्विक चुनौती

WHO के 2022 आंकड़े चिंताजनक हैं:

  • HBV के केवल 13% मामले ही निदान किए जाते हैं।
  • HCV के 36% मामलों का ही पता चलता है।
  • HBV के सिर्फ 3% मरीज और HCV के 20% मरीज ही इलाज तक पहुँच पाते हैं।

यदि HDV संक्रमण वाले मरीज समय पर पहचान में नहीं आते, तो लिवर कैंसर और फेलियर के मामलों में बड़ी वृद्धि हो सकती है।

HDV और HBV के बीच तुलना

विशेषताHBV (Hepatitis B Virus)HDV (Hepatitis D Virus)
वायरस का प्रकारDNA वायरसRNA वायरस (डेल्टा वायरस)
स्वतंत्र रूप से संक्रमणहाँ, स्वतंत्र रूप से संक्रमित कर सकता हैनहीं, केवल HBV की उपस्थिति में ही संक्रमण करता है
सतही एंटीजन (Surface Antigen)HBsAg स्वयं उत्पन्न करता हैHBsAg के लिए HBV पर निर्भर
संक्रमण के तरीकेरक्त, शारीरिक द्रव, असुरक्षित यौन संबंध, मां से बच्चे कोHBV के सभी तरीके, लेकिन HBV संक्रमित व्यक्ति में ही
रोग की गंभीरतातीव्र से क्रॉनिक संक्रमण, लिवर क्षति और कैंसर का खतराHBV की तुलना में 2–6 गुना अधिक लिवर कैंसर का खतरा
सिरोसिस का खतरा~50% (क्रॉनिक मामलों में)~75% (15 वर्षों में)
वैक्सीन उपलब्धताहाँ (HBV वैक्सीन)नहीं, लेकिन HBV वैक्सीन से अप्रत्यक्ष सुरक्षा
इलाजएंटीवायरल दवाएं, लिवर ट्रांसप्लांटPegylated Interferon, Bulevirtide (सीमित उपलब्धता)
वैश्विक बोझ~296 मिलियन लोग (2022)~20 मिलियन लोग (2022)

HBV वैक्सीन कवरेज के वैश्विक आँकड़े (WHO, 2022)

क्षेत्रजन्म के समय HBV वैक्सीन का कवरेज (%)3 खुराक का पूर्ण कवरेज (%)
विश्व औसत42%82%
अफ्रीका17%71%
अमेरिका (उत्तर + दक्षिण)74%85%
यूरोप55%83%
पूर्वी भूमध्यसागर32%82%
दक्षिण-पूर्व एशिया54%90%
पश्चिमी प्रशांत83%95%
भारत (राष्ट्रीय औसत)~55%~50%

निष्कर्ष

हेपेटाइटिस डी वायरस, भले ही HBV पर निर्भर हो, लेकिन इसके कारण होने वाला नुकसान कहीं ज्यादा गंभीर और घातक है। WHO और IARC का इसे Group 1 कार्सिनोजेन घोषित करना एक वैश्विक चेतावनी है — कि हमें HBV टीकाकरण कवरेज बढ़ाना, उच्च जोखिम समूहों की स्क्रीनिंग करना और दवा अनुसंधान को तेज करना होगा।
HDV को रोकना HBV को रोकने से शुरू होता है, और यही वह कदम है जिससे लाखों लोगों को लिवर कैंसर और समयपूर्व मृत्यु से बचाया जा सकता है।


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