संघ लोक सेवा आयोग | Union Public Service Commission (UPSC)

संघ लोक सेवा आयोग भारतीय प्रशासनिक ढांचे का एक महत्वपूर्ण अंग है। इसके गठन और कार्यप्रणाली का उद्देश्य सरकारी सेवाओं में निष्पक्ष और पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया सुनिश्चित करना है। UPSC न केवल प्रशासनिक सेवाओं के लिए योग्य उम्मीदवारों का चयन करता है, बल्कि सेवा के दौरान उत्पन्न होने वाली विभिन्न समस्याओं का समाधान भी प्रदान करता है। इसके माध्यम से भारतीय प्रशासनिक प्रणाली की गुणवत्ता और कार्यक्षमता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जाती है।

संघ लोक सेवा आयोग (UPSC): भारतीय प्रशासनिक संरचना की रीढ़

संघ लोक सेवा आयोग एक स्वतंत्र संवैधानिक निकाय है जो 26 जनवरी 1950 को संविधान के अनुच्छेद 378(1) के प्रावधानों के तहत अस्तित्व में आया। यूपीएससी के पहले भारतीय अध्यक्ष एच.के. कृपलानी थे। आयोग में एक अध्यक्ष और दस सदस्य होते हैं, और भारत के राष्ट्रपति के पास यूपीएससी के सदस्यों की संख्या तय करने की शक्ति होती है।

भारतीय संविधान का भाग 14, अनुच्छेद 308 से 323, संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के गठन, कार्यों और शक्तियों को निर्दिष्ट करता है। UPSC का गठन भारतीय प्रशासनिक सेवाओं की भर्ती और चयन प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने के लिए किया गया है। संघ लोक सेवा आयोग के गठन, इतिहास, कार्य और इसकी शक्तियों पर एक विस्तृत विवरण आगे दिया गया है-

UPSC का इतिहास और गठन

संघ लोक सेवा आयोग का प्रारंभिक इतिहास 1919 के अधिनियम में पाया जा सकता है। इस अधिनियम में एक ऐसे आयोग के गठन की संस्तुति की गई थी, जो सरकारी सेवाओं में भर्ती प्रक्रिया को संचालित कर सके। इसके पश्चात, 1923 में फर्नहमली कमीशन की सिफारिश पर 1926 में संघ लोक सेवा आयोग का गठन किया गया। इसके प्रथम अध्यक्ष सर रोस बार्कर थे।

1935 के अधिनियम में इस आयोग का नाम फेडरल लोक सेवा आयोग (FPSC) रखा गया। स्वतंत्रता के पश्चात, 1950 में इसका नाम संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) कर दिया गया। UPSC के प्रथम अध्यक्ष एच. के. कृपलानी थे।

UPSC का संगठनात्मक ढांचा

संविधान के अनुच्छेद 315 में संघ लोक सेवा आयोग के गठन का प्रावधान है। आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति अनुच्छेद 316 के अंतर्गत राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। वर्तमान में UPSC में 1 अध्यक्ष और 10 सदस्य होते हैं, यानी कुल 11 सदस्य होते हैं। वर्तमान अध्यक्ष प्रो. डेविड आर. सिम्लिह हैं।

UPSC के अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु, जो भी पहले हो, तक होता है। आयोग के सदस्यों के त्याग पत्र भी राष्ट्रपति को ही सौंपे जाते हैं। आयोग के सदस्यों की शपथ राष्ट्रपति द्वारा दिलाई जाती है। UPSC के अध्यक्ष और सदस्यों का वेतन 90,000 रुपये मात्र होता है।

UPSC के कार्य और शक्तियाँ

संविधान के अनुच्छेद 320 के अंतर्गत संघ लोक सेवा आयोग के कार्य और शक्तियाँ निर्दिष्ट हैं। UPSC का मुख्य कार्य अखिल भारतीय, केंद्रीय और अन्य सेवाओं की भर्ती परीक्षाओं का आयोजन करना है। इसके अलावा, आयोग के अन्य महत्वपूर्ण कार्य और शक्तियाँ निम्नलिखित हैं:

  1. सेवा स्थानांतरण एवं पदोन्नति सिफारिशें: UPSC सरकारी सेवाओं के पदाधिकारियों का एक सेवा से दूसरी सेवा में अंतरण करने की सिफारिश करता है।
  2. सेवा के बीच आकस्मिक अव्यवस्था: यदि किसी सेवा के दौरान आकस्मिक अव्यवस्था होती है, जैसे कि मृत्यु या विकलांगता, तो आयोग ऐसे मामलों में परिलाभों को आश्रितों को देने की सिफारिश करता है।
  3. केंद्र सरकार की सिविल सेवाओं और सिविल पदों पर भर्ती के तरीके।
  4. केंद्र सरकार के कर्मचारियों से संबंधित अनुशासनात्मक मामले।
  5. विभिन्न सेवाओं और पदों के लिए भर्ती से संबंधित नियमों की निर्माण या परिवर्तन के मामले।

इसके अतिरिक्त, यूपीएससी भारत सरकार की सेवाओं में नियुक्ति के लिए विभिन्न परीक्षाएँ और साक्षात्कार भी आयोजित करता है और भारत के राष्ट्रपति द्वारा आयोग को भेजे गए किसी भी मामले पर सरकार को सलाह देता है।

UPSC के सदस्यों की नियुक्ति और हटाना

संविधान के अनुसार, UPSC के सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। यदि आयोग के किसी सदस्य को कार्यकाल से पूर्व हटाना हो, तो यह कार्य केवल सर्वोच्च न्यायालय की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा किया जा सकता है। यह प्रावधान आयोग के सदस्यों की स्वतंत्रता और निष्पक्षता को बनाए रखने के लिए किया गया है।

संयुक्त लोक सेवा आयोग | Joint Public Service Commission

संविधान के अनुच्छेदों में यह प्रावधान भी है कि एक या अधिक राज्यों के लिए संयुक्त लोक सेवा आयोग का गठन किया जा सकता है। ऐसे आयोग के सदस्यों की नियुक्ति और उनके त्याग पत्र राष्ट्रपति द्वारा ही स्वीकार किए जाते हैं।

संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) का संक्षिप्त विवरण

विषयविवरण
भाग और अनुच्छेदभाग 14, अनुच्छेद 308-323
संघ लोक सेवा आयोग का गठन1926 (प्रथम अध्यक्ष – सर रोस बार्कर)
1919 का अधिनियमसंघ लोक सेवा आयोग के गठन की संस्तुति
1923 फर्नहमली कमीशनसंघ लोक सेवा आयोग की स्थापना की सिफारिश
1935 का अधिनियमसंघ लोक सेवा आयोग का नाम फेडरल लोक सेवा आयोग (FPSC) रखा गया
1950 का नामकरणसंघ लोक सेवा आयोग (UPSC)
प्रथम अध्यक्ष सर रोस बार्कर
प्रथम भारतीय अध्यक्षएच. के. कृपलानी (प्रथम भारतीय अध्यक्ष)
अनुच्छेद 315संघ लोक सेवा आयोग के गठन का प्रावधान
अनुच्छेद 316नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा
अनुच्छेद 317अध्यक्ष व सदस्यों का कार्यकाल – 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु, जो भी पहले हो
वर्तमान में सदस्य1 अध्यक्ष + 10 सदस्य = 11 सदस्य
वर्तमान अध्यक्षश्रीमती प्रीति सूदन 
त्याग पत्रसभी राष्ट्रपति को
शपथराष्ट्रपति द्वारा
वेतन90,000 रुपये मात्र
कार्यकाल से पूर्व हटानासर्वोच्च न्यायालय की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा
अनुच्छेद 320कार्य एवं शक्तियाँ
मुख्य कार्यअखिल भारतीय, केंद्रीय तथा अन्य सेवाओं की भर्ती परीक्षाओं का आयोजन
अन्य कार्य1. सेवा स्थानांतरण सिफारिशें
2. सेवा के बीच आकस्मिक अव्यवस्था के मामलों में परिलाभों की सिफारिश
संयुक्त लोक सेवा आयोगएक या एक से अधिक राज्यों के लिए संयुक्त लोक सेवा आयोग का गठन संभव

नोट –

  • सर रॉस बार्कर UPSC के पहले अध्यक्ष हैं । उन्होंने अक्टूबर 1926 में कार्यभार संभाला था जब यह लोक सेवा आयोग था और अगस्त 1932 में कार्यालय का गठन किया गया था।
  • एच.के. कृपलानी संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष पद पर आसीन होने वाले पहले भारतीय थे। 1 अप्रैल 1947 से 13 जनवरी 1949 के बीच उन्होंने संघ के प्रमुख के रूप में इसकी अध्यक्षता की।
  • संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) में एक अध्यक्ष और दस सदस्य होते हैं। आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की सेवा की शर्तें और नियम संघ लोक सेवा आयोग (सदस्य) विनियम, 1969 द्वारा शासित होते हैं।

संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) अध्यक्ष के नाम और कार्यकाल

यूपीएससी अध्यक्ष का नामकार्यकाल
सर रॉस बार्करअक्टूबर 1926 – अगस्त 1932
सर डेविड पेट्रीअगस्त 1932 – 1936
सर आयर गॉर्डन1937 – 1942
सर एफ डब्ल्यू रॉबर्टसन1942 – 1947
एच.के. कृपलानी1 अप्रैल, 1947 – 13 जनवरी, 1949
आरएन बनर्जी14 जनवरी, 1949 – 9 मई, 1955
एन. गोविंदराजन10 मई, 1955 – 9 दिसंबर, 1955
वी.एस. हेजमाडी10 दिसंबर, 1955 – 9 दिसंबर, 1961
बी एन झा11 दिसंबर, 1961 – 22 फ़रवरी, 1967
के.आर. दामले18 अप्रैल, 1967 – 2 मार्च, 1971
राणाधीर चंद्र शर्मा सरकार11 मई, 1971 – 1 फ़रवरी, 1973
अख़लाकुर रहमान किदवई5 फ़रवरी, 1973 – 4 फ़रवरी, 1979
एम.एल. शाहरे16 फ़रवरी, 1979 – 16 फ़रवरी, 1985
एचकेएल कपूर18 फ़रवरी, 1985 – 5 मार्च, 1990
जे.पी. गुप्ता5 मार्च, 1990 – 2 जून, 1992
आर.एम. बाथ्यू23 सितंबर, 1992 – 23 अगस्त, 1996
एसजेएस छतवाल23 अगस्त, 1996 – 30 सितंबर, 1996
जेएम कुरैशी30 सितंबर, 1996 – 11 दिसंबर, 1998
सुरेन्द्र नाथ11 दिसंबर, 1998 – 25 जून, 2002
पूर्ण चंद्र होता25 जून 2002 – सितम्बर 2003
माता प्रसादसितंबर 2003 – जनवरी 2005
एस.आर. हाशिम4 जनवरी, 2005 – 1 अप्रैल, 2006
गुरबचन जगत1 अप्रैल, 2006 – 30 जून, 2007
सुबीर दत्ता30 जून, 2007 – 16 अगस्त, 2008
डीपी अग्रवाल16 अगस्त 2008 – अगस्त 2014
रजनी राजदान16 अगस्त 2014 – 21 नवंबर 2014
दीपक गुप्ता22 नवंबर 2014 – 20 सितंबर 2016
अलका सिरोही21 सितंबर 2016 – 3 जनवरी 2017
डेविड आर. सिमलीह4 जनवरी, 2017 – 21 जनवरी, 2018
विनय मित्तल22 जनवरी, 2018 – 19 जून, 2018
अरविंद सक्सेना20 जून, 2018 – 24 अगस्त, 2020
प्रदीप कुमार जोशी25 अगस्त, 2020 – 4 अप्रैल 2022
डॉ. मनोज सोनी5 मई 2023 – 31 जुलाई 2024
श्रीमती प्रीति सूदन 1 अगस्त 2024 – वर्तमान

संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) में प्रीति सूदन की नियुक्ति

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 31 जुलाई 2024 को 1983 बैच की आईएएस अधिकारी और पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूदन को संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) का नया अध्यक्ष नियुक्त किया है। वह डॉ. मनोज सोनी का स्थान लेंगी, जिन्होंने इस महीने की शुरुआत में इस्तीफा दे दिया था। प्रीति सूदन यूपीएससी की अध्यक्ष के रूप में नियुक्त होने वाली श्रीमती आर.एम. बाथ्यू (खरबुली) (1992-96) के बाद दूसरी महिला हैं।

आईएएस प्रीति सूदन के बारे में

प्रीति सूदन आंध्र प्रदेश कैडर की 1983 बैच की आईएएस अधिकारी हैं। उन्होंने केंद्र सरकार के खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग, महिला एवं बाल विकास और रक्षा मंत्रालय में महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है। उनके कार्यकाल के दौरान, उन्होंने आयुष्मान भारत, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसे महत्वपूर्ण केंद्र सरकार के कार्यक्रमों और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग तथा ई-सिगरेट पर प्रतिबंध जैसे महत्वपूर्ण कानूनों को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

प्रीति सूदन का कार्यकाल

यूपीएससी का अध्यक्ष या सदस्य अपने पद संभालेने की तिथि से छह साल तक या 65 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक, जो भी पहले हो, पद पर रहता है। अध्यक्ष या सदस्य भारत के राष्ट्रपति को अपना इस्तीफा सौंपकर पद से इस्तीफा दे सकते हैं। राष्ट्रपति उच्चतम न्यायालय की रिपोर्ट के आधार पर यूपीएससी के अध्यक्ष या सदस्य को हटा सकते हैं, अगर उन्हें कदाचार का दोषी पाया जाता है।

UPSC का इतिहास, गठन, कार्य और इसकी शक्तियाँ सभी एक साथ मिलकर इसे भारतीय प्रशासनिक संरचना की रीढ़ बनाते हैं। इसके माध्यम से देश को योग्य और सक्षम प्रशासनिक अधिकारी मिलते हैं, जो राष्ट्रीय विकास में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।

Polity – KnowledgeSthali


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