भारत में सेमीकंडक्टर उद्योग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भारत सरकार ने भारत सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) के तहत एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। हाल ही में, टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स प्राइवेट लिमिटेड (TEPL) और टाटा सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग प्राइवेट लिमिटेड (TSMPL) के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं, जिससे भारत की पहली वाणिज्यिक सेमीकंडक्टर फैब (Fabrication) इकाई स्थापित की जाएगी। यह पहल न केवल भारत को आत्मनिर्भर बनाएगी, बल्कि वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में भारत की हिस्सेदारी भी बढ़ाएगी।
भारत में सेमीकंडक्टर परियोजना | एक ऐतिहासिक कदम
भारत में सेमीकंडक्टर निर्माण इकाई की स्थापना ₹91,000 करोड़ की लागत से की जा रही है। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य 50,000 वेफर स्टार्ट्स प्रति माह (WSPM) की उत्पादन क्षमता के साथ अत्याधुनिक सेमीकंडक्टर निर्माण को बढ़ावा देना है। भारत सरकार इस परियोजना को Semicon India Programme के तहत 50% वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है।
India Semiconductor Mission (ISM) क्या है?
India Semiconductor Mission (ISM) को डिजिटल इंडिया कॉरपोरेशन के तहत एक विशेषीकृत और स्वतंत्र व्यावसायिक इकाई के रूप में स्थापित किया गया है। इसका उद्देश्य भारत में सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem) का विकास करना है, जिससे इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण और डिज़ाइन क्षेत्र को मजबूती मिले।
सेमीकंडक्टर क्या हैं?
सेमीकंडक्टर, जिन्हें हिंदी में अर्धचालक कहा जाता है, वे पदार्थ होते हैं जिनकी विद्युत चालकता धातुओं (Conductors) और कुचालकों (Insulators) के बीच होती है। सेमीकंडक्टर की विशेषताएँ इस प्रकार हैं:
- यह कुछ स्थितियों में विद्युत का प्रवाह करते हैं और अन्य स्थितियों में रोधक (Insulator) की तरह कार्य करते हैं।
- आमतौर पर सिलिकॉन (Silicon) और जर्मेनियम (Germanium) से बनाए जाते हैं।
- इन्हें इंटीग्रेटेड सर्किट (ICs) या माइक्रोचिप्स के रूप में उपयोग किया जाता है।
- डोपिंग (Doping) प्रक्रिया द्वारा इनमें अशुद्धियाँ मिलाकर उनकी चालकता को बदला जाता है।
सेमीकंडक्टर के उपयोग
- ट्रांजिस्टर: ये स्विच और एम्प्लीफायर के रूप में कार्य करते हैं।
- इंटीग्रेटेड सर्किट (ICs): कंप्यूटर, मोबाइल फोन, सौर सेल, एलईडी, स्मार्ट डिवाइसेस आदि में उपयोग किए जाते हैं।
- सेन्सर्स और माइक्रोचिप्स: ऑटोमोबाइल, मेडिकल उपकरणों और एआई तकनीक में व्यापक रूप से उपयोग होते हैं।
भारत में सेमीकंडक्टर निर्माण से जुड़ी प्रमुख योजनाएँ
भारत सरकार ने सेमीकंडक्टर निर्माण और डिजाइन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएँ शुरू की हैं। ये योजनाएँ भारत को वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स और चिप निर्माण केंद्र बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं।
1. संशोधित योजना (Modified Scheme)
- सेमीकंडक्टर फैब (Semiconductor Fabs) स्थापित करने के लिए।
- डिस्प्ले फैब (Display Fabs) स्थापित करने के लिए।
- कंपाउंड सेमीकंडक्टर / सिलिकॉन फोटोनिक्स / सेंसर फैब / डिस्क्रीट सेमीकंडक्टर फैब और एटीएमपी (ATMP) / ओएसएटी (OSAT) सुविधाओं के लिए।
2. डिज़ाइन लिंक्ड इंसेंटिव (DLI) योजना
- घरेलू स्तर पर सेमीकंडक्टर डिज़ाइन को बढ़ावा देने के लिए।
- सेमीकंडक्टर चिप डिज़ाइन कंपनियों को आर्थिक सहायता और प्रोत्साहन।
3. इलेक्ट्रॉनिक घटकों और सेमीकंडक्टर्स निर्माण को बढ़ावा देने की योजना
- घरेलू इलेक्ट्रॉनिक घटकों और सेमीकंडक्टर निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए।
- भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए सबसिडी और कर लाभ।
4. पीएलआई योजना (PLI) – बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण के लिए
- मोबाइल फोन और सेमीकंडक्टर पैकेजिंग सहित इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में निवेश आकर्षित करने हेतु।
- विदेशी कंपनियों को भारत में निवेश के लिए प्रेरित करने की योजना।
5. चिप्स टू स्टार्टअप (C2S) प्रोग्राम
- सेमीकंडक्टर डिज़ाइन क्षेत्र में उद्योग-उपयुक्त कुशल मानव संसाधन तैयार करने के लिए।
- भारत में अर्धचालक अनुसंधान और विकास (R&D) को बढ़ावा देने के लिए।
भारत में सेमीकंडक्टर निर्माण के लाभ
सेमीकंडक्टर निर्माण क्षेत्र में भारत के प्रवेश से कई महत्वपूर्ण लाभ होंगे:
- आत्मनिर्भर भारत: भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स और चिप निर्माण में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बड़ा कदम।
- रोजगार के अवसर: लाखों नए रोजगार सृजित होंगे।
- वैश्विक प्रतिस्पर्धा: भारत सेमीकंडक्टर उत्पादन में चीन, ताइवान और दक्षिण कोरिया जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं से प्रतिस्पर्धा कर सकेगा।
- तकनीकी उन्नति: सेमीकंडक्टर निर्माण से भारत में एआई, आईओटी और ऑटोमेशन में नई तकनीकों का विकास होगा।
- राष्ट्रीय सुरक्षा: सेमीकंडक्टर उत्पादन भारत की साइबर सुरक्षा और रक्षा क्षेत्र को मजबूत करेगा।
भारत में पहली वाणिज्यिक सेमीकंडक्टर फैब इकाई की स्थापना न केवल भारत के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह परियोजना डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया, और आत्मनिर्भर भारत अभियानों को सशक्त बनाएगी।
भारत सरकार की पहलें, India Semiconductor Mission (ISM), Semicon India Programme, और विभिन्न इंसेंटिव योजनाएँ इस क्षेत्र को मजबूती प्रदान करेंगी। आने वाले वर्षों में, भारत वैश्विक सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला में एक प्रमुख खिलाड़ी बनकर उभरेगा।
भारत का सेमीकंडक्टर भविष्य उज्ज्वल है, और यह पहल देश को एक नई तकनीकी ऊँचाई पर पहुँचाने की दिशा में अग्रसर है।
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