अमरावती | नवीकरणीय ऊर्जा से चलने वाला पहला शहर बनने की ओर

जब पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण जैसे गंभीर मुद्दों से जूझ रही है, तब भारत का एक राज्य—आंध्र प्रदेश—एक ऐतिहासिक पहल करते हुए ऐसे शहर के निर्माण की दिशा में बढ़ रहा है जो पूरी तरह से नवीकरणीय ऊर्जा से संचालित होगा। यह कोई साधारण शहर नहीं, बल्कि राज्य की नियोजित राजधानी अमरावती है, जिसे आधुनिक तकनीक, हरित ऊर्जा और सतत विकास के सिद्धांतों के आधार पर विकसित किया जा रहा है। यदि यह योजना अपने लक्ष्य तक पहुँचती है, तो अमरावती न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए शहरी नियोजन और स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में एक आदर्श मॉडल बन जाएगा।

एक दूरदर्शी विचार | ‘जनता की राजधानी’

अमरावती परियोजना की कल्पना आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने की थी। यह केवल एक प्रशासनिक केंद्र नहीं, बल्कि एक ऐसी राजधानी के रूप में विकसित की जा रही है जो पूरी तरह से जनकेंद्रित, प्राकृतिक संसाधनों के प्रति संवेदनशील, और ऊर्जा-स्वतंत्र हो। विजयवाड़ा और गुंटूर के बीच स्थित यह शहर कृष्णा नदी के तट पर फैले 217 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में विकसित हो रहा है, और यह आंध्र प्रदेश की कुल 8,352 वर्ग किमी क्षेत्रफल वाली राजधानी क्षेत्र (APCR) का हिस्सा है।

अमरावती का निर्माण एक ग्रीनफील्ड परियोजना के रूप में किया जा रहा है, यानी इसे शून्य से विकसित किया जा रहा है, जिससे कि इसमें कोई पुरानी संरचना या परंपरागत विकास पैटर्न बाधा न बने। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इस परियोजना की आधारशिला रखी गई थी, जो इसे राष्ट्रीय स्तर पर समर्थन मिलने का प्रतीक बनाता है।

विजयवाड़ा और गुंटूर के बीच स्थित अमरावती को एक आधुनिक, पर्यावरण-मित्र “जनता की राजधानी” के रूप में आकार दिया जा रहा है, जिसका उद्देश्य न केवल आंध्र प्रदेश को एक नई पहचान देना है, बल्कि वैश्विक स्तर पर सतत शहरी विकास के मानक स्थापित करना भी है।

₹65,000 करोड़ की योजना | आधुनिकता और पर्यावरण का संगम

करीब ₹65,000 करोड़ की अनुमानित लागत से अमरावती को विकसित किया जा रहा है। इस परियोजना में न केवल भव्य इमारतें, सड़कों और बुनियादी ढांचे का निर्माण हो रहा है, बल्कि इसके केंद्र में है — पर्यावरणीय स्थिरता। इस शहर की विशेषता यह है कि यह जीवाश्म ईंधनों पर निर्भर नहीं रहेगा; इसकी पूरी ऊर्जा आपूर्ति सौर, पवन और जल जैसे स्वच्छ स्रोतों से की जाएगी।

2,700 मेगावाट स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्य

अमरावती को पूरी तरह से नवीकरणीय ऊर्जा पर आधारित बनाने के लिए एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा गया है — 2,700 मेगावाट बिजली उत्पादन, जो पूरी तरह से सौर, पवन, और जल स्रोतों से होगा। यह लक्ष्य न केवल शहर की वर्तमान ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए है, बल्कि 2050 तक की अनुमानित मांग को भी ध्यान में रखकर तय किया गया है। यह भारत ही नहीं, वैश्विक स्तर पर किसी भी राजधानी शहर के लिए एक असाधारण उपलब्धि होगी।

इस कुल लक्ष्य में से आरंभिक चरण में कम से कम 30% ऊर्जा उत्पादन सौर और पवन स्रोतों से सुनिश्चित करने की योजना है।

सौर ऊर्जा को प्राथमिकता

अमरावती में सौर ऊर्जा को प्राथमिक भूमिका दी जा रही है। सरकारी आवासीय परिसरों की कम से कम एक-तिहाई छतों पर सोलर पैनल लगाना अनिवार्य कर दिया गया है। नए भवनों की स्वीकृति प्रक्रिया में यह शर्त शामिल की गई है, जिससे निर्माण के समय से ही ऊर्जा दक्षता सुनिश्चित की जा सके।

नेट मीटरिंग और रूफटॉप सौर परियोजनाएं

ऊर्जा के उत्पादन और उपभोग को संतुलित करने के लिए नेट मीटरिंग को सभी सरकारी और वाणिज्यिक भवनों के लिए अनिवार्य किया गया है। इसका अर्थ है कि अगर किसी इमारत द्वारा उत्पादित अतिरिक्त सौर ऊर्जा ग्रिड में भेजी जाती है, तो इसका आर्थिक लाभ भी उपभोक्ता को मिलेगा।

पायलट प्रोजेक्ट के रूप में, अब तक 415 किलोवाट की रूफटॉप सौर प्रणाली निम्नलिखित जगहों पर स्थापित की जा चुकी है:

  • 16 आंगनवाड़ी केंद्र
  • 14 ई-हेल्थ केंद्र
  • 13 सरकारी स्कूल
  • एक बहु-धार्मिक अंतिम संस्कार सुविधा

ग्रीन बिल्डिंग मानकों का पालन

सभी प्रमुख भवनों जैसे अमरावती गवर्नमेंट कॉम्प्लेक्स, हाई कोर्ट, और सचिवालय को ग्रीन बिल्डिंग मानदंडों के अनुसार बनाया जा रहा है। इन मानकों में शामिल हैं:

  • ऊर्जा दक्षता
  • कम कार्बन उत्सर्जन
  • पुनः उपयोग योग्य संसाधनों का उपयोग
  • वर्षा जल संचयन प्रणाली
  • प्राकृतिक वेंटिलेशन और प्रकाश व्यवस्था

हरित परिवहन | इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और मेट्रो नेटवर्क

अमरावती में सार्वजनिक परिवहन को भी नवीकरणीय ऊर्जा से जोड़ने की योजना है। अमरावती मेट्रो और इलेक्ट्रिक बसें पूरी तरह से स्वच्छ ऊर्जा पर आधारित होंगी। इसके साथ-साथ शहर के हर कोने में EV चार्जिंग स्टेशन लगाए जा रहे हैं ताकि इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा मिल सके।

शहर की प्रमुख सड़कों, पार्कों, वॉकवे, और बस स्टॉप्स पर सोलर पैनल लगाए जाएंगे, जो सार्वजनिक स्थानों को आत्मनिर्भर बनाएंगे।

हीटवेव से निपटने के लिए डिस्ट्रिक्ट कूलिंग सिस्टम

जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभावों को देखते हुए, अमरावती ने एक अभिनव उपाय अपनाया है — डिस्ट्रिक्ट कूलिंग सिस्टम। वर्ष 2024 में जब राज्य का तापमान 47.7°C तक पहुँच गया, तब यह स्पष्ट हो गया कि पारंपरिक एयर कंडीशनिंग समाधान पर्याप्त नहीं होंगे।

इस चुनौती से निपटने के लिए APCRDA ने 2019 में Tabreed कंपनी के साथ साझेदारी की और एक व्यापक कूलिंग प्रणाली विकसित की। इसके प्रमुख बिंदु हैं:

  • 20,000 RT (Refrigeration Ton) क्षमता
  • हाई कोर्ट और सचिवालय जैसे प्रमुख भवनों में सेवा
  • कूलिंग की ऊर्जा मांग में 50% तक की कमी
  • बिजली और कार्बन उत्सर्जन में उल्लेखनीय गिरावट

शहरी योजनाकारों के लिए वैश्विक उदाहरण

जब पूरी दुनिया शहरीकरण की रफ्तार और पर्यावरणीय दबाव के बीच संतुलन खोज रही है, तब अमरावती एक प्रेरणादायक उदाहरण बन रहा है। यह दिखा रहा है कि कैसे आर्थिक विकास, आधुनिकता, और पर्यावरण संरक्षण एक साथ संभव हैं। अमरावती की यह परियोजना भविष्य के स्मार्ट, स्थायी और ऊर्जा-स्वतंत्र शहरों की दिशा में एक बड़ा कदम है।

इस मॉडल से न केवल भारत, बल्कि अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और एशिया के अन्य विकासशील देश भी सीख सकते हैं, जो सतत विकास की राह पर अग्रसर होना चाहते हैं।

भविष्य की राह दिखाता अमरावती

अमरावती सिर्फ एक राजधानी नहीं, बल्कि भविष्य के शहरी भारत की रूपरेखा है। यह हमें बताता है कि सतत विकास कोई विकल्प नहीं, बल्कि आवश्यकता है। नवीकरणीय ऊर्जा पर आधारित एक ऐसा शहर जहाँ लोग, प्रकृति और तकनीक मिलकर एक सामंजस्यपूर्ण जीवनशैली का निर्माण करते हैं — यही अमरावती का सपना है।

जब यह सपना साकार होगा, तो अमरावती न केवल भारत की शान बनेगा, बल्कि एक वैश्विक प्रेरणा के रूप में उभरेगा — आने वाले कल के टिकाऊ शहरों की एक जीवंत मिसाल।

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