यूनेस्को द्वारा घोषित 16 नए वैश्विक जियोपार्क्स (भू-पार्क)

विश्व धरोहर के संरक्षण में यूनेस्को की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही है। 17 अप्रैल 2025 को यूनेस्को ने एक और महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए 16 नए वैश्विक जियोपार्क्स (Global Geoparks) की घोषणा की। इन नई घोषणाओं के साथ अब विश्वभर में 50 देशों में कुल 229 यूनेस्को वैश्विक जियोपार्क्स स्थापित हो चुके हैं। ये जियोपार्क्स न केवल भूवैज्ञानिक चमत्कारों के अद्वितीय उदाहरण हैं, बल्कि पर्यावरणीय शिक्षा, पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण और स्थानीय समुदायों के सांस्कृतिक उत्थान में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

यूनेस्को वैश्विक जियोपार्क्स (UGGPs) — परिचय

शुरुआत और उद्देश्य

यूनेस्को वैश्विक जियोपार्क्स की शुरुआत वर्ष 2015 में इंटरनेशनल जियोसाइंसेज एंड जियोपार्क्स प्रोग्राम (IGGP) के अंतर्गत हुई थी। इनका मुख्य उद्देश्य उन भौगोलिक क्षेत्रों को संरक्षित करना है, जिनकी भूवैज्ञानिक महत्ता वैश्विक स्तर पर है।

परिभाषा

यूनेस्को के अनुसार, एक वैश्विक जियोपार्क एक ऐसा एकीकृत भौगोलिक क्षेत्र है, जिसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भूवैज्ञानिक, पारिस्थितिकीय और सांस्कृतिक महत्वता हो, और जिसका संरक्षण, अनुसंधान तथा सतत विकास स्थानीय समुदायों की भागीदारी से सुनिश्चित किया जाए।

प्रबंधन एवं पुनर्मूल्यांकन

  • हर वैश्विक जियोपार्क को किसी राष्ट्रीय या क्षेत्रीय संस्था के माध्यम से प्रबंधित किया जाता है।
  • हर 4 वर्षों में इन जियोपार्क्स का पुनर्मूल्यांकन होता है, ताकि गुणवत्ता मानकों को सुनिश्चित किया जा सके।

नेटवर्किंग

वैश्विक जियोपार्क्स को ग्लोबल जियोपार्क नेटवर्क (GGN) का सदस्य होना अनिवार्य है, जिसका उद्देश्य वैश्विक सहयोग, अनुभवों के आदान-प्रदान और सर्वोत्तम प्रथाओं के प्रसार को बढ़ावा देना है।

वैश्विक परिदृश्य

2025 के अपडेट के अनुसार, अब कुल 229 वैश्विक जियोपार्क्स 50 देशों में फैले हुए हैं। ये लगभग 8,55,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल को कवर करते हैं, जो नामीबिया देश के आकार के बराबर है।

महत्वपूर्ण तथ्य:

  • 2025 में यूजीजीपी ने अपनी 10वीं वर्षगांठ मनाई।
  • भारत जैसे विशाल देश के पास अभी तक कोई यूनेस्को वैश्विक जियोपार्क नहीं है।

2025 में घोषित 16 नए यूनेस्को वैश्विक जियोपार्क्स

इन नए घोषित स्थलों को मुख्यतः उनके अद्वितीय भूगर्भीय गुणों, जैव विविधता, सांस्कृतिक विरासत और संरक्षण प्रयासों के लिए मान्यता दी गई है। नए जियोपार्क्स एशिया, यूरोप, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में फैले हुए हैं।

इन्हें क्षेत्रीय रूप से निम्नलिखित वर्गों में बांटा जा सकता है:

1. एशिया में नए जियोपार्क्स

चीन

  • कानबुला यूनेस्को ग्लोबल जियोपार्क
    छिंगहाई-तिब्बत पठार के उत्तर-पूर्वी किनारे पर स्थित यह जियोपार्क प्राचीन ज्वालामुखी गतिविधियों और पीली नदी की अद्भुत भौगोलिक विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध है।
  • युनयांग यूनेस्को ग्लोबल जियोपार्क
    यह जियोपार्क 250 मिलियन वर्ष पुराने भूदृश्यों को प्रदर्शित करता है, जो समुद्र से स्थल में संक्रमण के अद्भुत भूवैज्ञानिक प्रमाण प्रस्तुत करता है।

उत्तर कोरिया

  • माउंट पैक्टू यूनेस्को ग्लोबल जियोपार्क
    यह उत्तर कोरिया का पहला यूजीजीपी है, जो ज्वालामुखी विस्फोटों और हिमनद कटावों की विशिष्टताओं के लिए जाना जाता है।

इंडोनेशिया

  • केबुमेन यूनेस्को ग्लोबल जियोपार्क
    महासागरीय और महाद्वीपीय किनारों की अद्वितीय चट्टानी संरचनाएं इस जियोपार्क की विशेषता हैं।
  • मेरातुस यूनेस्को ग्लोबल जियोपार्क
    यह जियोपार्क जुरासिक युग की विरासत और ऐतिहासिक हीरा खदानों के लिए प्रसिद्ध है।

दक्षिण कोरिया

  • डनयांग यूनेस्को ग्लोबल जियोपार्क
    बैकडु डेगन पर्वत श्रृंखला में स्थित यह स्थल 1.9 अरब वर्ष पुराने ग्रेनाइट ग्नाइस की चट्टानों से भरपूर है।
  • ग्योंगबुक डोंघेआन यूनेस्को ग्लोबल जियोपार्क
    डिओकगु घाटी और गर्म जलस्रोतों सहित विविध भूवैज्ञानिक विशेषताएं इस जियोपार्क की पहचान हैं।

2. यूरोप में नए जियोपार्क्स

इटली

  • मुर्जीयोपार्क यूनेस्को ग्लोबल जियोपार्क
    एड्रियाटिक प्लेट और प्राचीन भूगर्भीय संरचनाओं के लिए प्रसिद्ध, यह जियोपार्क मुर्जेस हाइलैंड्स में स्थित है।

नॉर्वे

  • फॉर्ड कोस्ट यूनेस्को ग्लोबल जियोपार्क
    पश्चिमी तटीय क्षेत्र में स्थित, यह जियोपार्क फोर्ड्स, झरनों और हिमनदों से परिपूर्ण है।

स्पेन

  • कोस्टा क्वेब्राडा यूनेस्को ग्लोबल जियोपार्क
    12 करोड़ वर्षों के भूगर्भीय परिवर्तनों की झलक कांटाब्रियन तट के माध्यम से मिलती है।

यूनाइटेड किंगडम (स्कॉटलैंड)

  • एरन यूनेस्को ग्लोबल जियोपार्क
    यह द्वीप 600 मिलियन वर्षों के भूगर्भीय विकास का प्रमाण प्रस्तुत करता है।

3. मध्य पूर्व और लैटिन अमेरिका में नए जियोपार्क्स

सऊदी अरब

  • नॉर्थ रियाद यूनेस्को ग्लोबल जियोपार्क
    तुवैक पर्वत के तलहटी में स्थित, यह स्थल टेबलटॉप पर्वतों और समृद्ध सांस्कृतिक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है।
  • सलमा यूनेस्को ग्लोबल जियोपार्क
    74 करोड़ वर्ष पुराने ज्वालामुखीय और आग्नेय शैलों की विरासत को संरक्षित करता है।

वियतनाम

  • लांग सोन यूनेस्को ग्लोबल जियोपार्क
    चूना पत्थर के पर्वतों और ज्वालामुखीय गतिविधियों के अद्भुत मिश्रण के लिए प्रसिद्ध।

इक्वाडोर

  • नापो सुमाको यूनेस्को ग्लोबल जियोपार्क
    अमेज़न बेसिन में स्थित, सुमाको ज्वालामुखी के अंतर्गत विविध भूगर्भीय घटनाओं का अध्ययन स्थल है।
  • तुंगुराहुआ वोल्केनो यूनेस्को ग्लोबल जियोपार्क
    एंडीज़ पर्वत श्रृंखला में स्थित, यह जियोपार्क 417 मिलियन वर्षों के ज्वालामुखीय और हिमनदीय घटनाओं का साक्षी है।

वैश्विक जियोपार्क्स का महत्व

1. भूवैज्ञानिक धरोहर का संरक्षण

यूजीजीपी उन स्थलों का संरक्षण करते हैं, जो पृथ्वी के भूगर्भीय इतिहास की अमूल्य जानकारियों को समेटे हुए हैं।

2. शिक्षा और अनुसंधान

वैश्विक जियोपार्क पर्यावरणीय शिक्षा और वैज्ञानिक अनुसंधान के उत्कृष्ट केंद्र बनते जा रहे हैं, जहां छात्रों, पर्यटकों और वैज्ञानिकों को पृथ्वी विज्ञान की गहन जानकारी मिलती है।

3. सतत विकास

स्थानीय समुदायों की भागीदारी से जियोपार्क आर्थिक गतिविधियों, जैसे पारिस्थितिक पर्यटन (Eco-tourism) और शिल्प आधारित उद्योगों को बढ़ावा देते हैं।

4. सांस्कृतिक संरक्षण

जियोपार्क क्षेत्र में निवास करने वाले आदिवासी और पारंपरिक समुदायों की सांस्कृतिक विरासत का भी संरक्षण किया जाता है, जिससे सामाजिक पहचान बनी रहती है।

भारत का परिप्रेक्ष्य

वर्तमान में भारत के पास कोई यूनेस्को वैश्विक जियोपार्क नहीं है, जबकि भूगर्भीय विविधता और सांस्कृतिक समृद्धि के आधार पर भारत के कई स्थल इस श्रेणी के लिए उपयुक्त हो सकते हैं। चंबल घाटी, स्पीति घाटी, राजमहल की पहाड़ियाँ, सतपुड़ा क्षेत्र जैसे कई स्थलों को भविष्य में इस दिशा में आगे बढ़ाया जा सकता है।

यूनेस्को वैश्विक जियोपार्क्स पृथ्वी की भूवैज्ञानिक संपदा के संरक्षण, अनुसंधान, शिक्षा और सतत विकास के अद्भुत उदाहरण हैं। 2025 में घोषित नए 16 जियोपार्क्स न केवल वैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि वे स्थानीय समुदायों के आर्थिक एवं सामाजिक उत्थान में भी एक प्रमुख भूमिका निभाएंगे। भारत जैसे देश को भी इस वैश्विक नेटवर्क में शामिल होकर अपनी अद्वितीय भूगर्भीय संपदा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलाने की दिशा में प्रयास करना चाहिए।

पृथ्वी की धरोहर — हम सभी की साझा जिम्मेदारी है।

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