रामानुजन: जर्नी ऑफ अ ग्रेट मैथमेटिशियन | पुस्तक का विमोचन

भारत में जब भी गणित की बात होती है, तो एक नाम स्वाभाविक रूप से सामने आता है – श्रीनिवास रामानुजन। उनके जीवन की रहस्यमयी प्रतिभा, गणित के प्रति अद्भुत समर्पण, और उनके योगदानों ने उन्हें भारत ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व के गणितीय जगत में एक अमर स्थान प्रदान किया है। ऐसे महान व्यक्तित्व पर आधारित एक नई पुस्तक “रामानुजन: जर्नी ऑफ अ ग्रेट मैथमेटिशियन” का विमोचन 30 अप्रैल 2025 को एक भव्य समारोह में किया जाएगा। इस ऐतिहासिक कार्यक्रम का आयोजन भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार (National Archives of India – NAI) और वाणी प्रकाशन के संयुक्त सहयोग से किया जा रहा है।

रामानुजन: जर्नी ऑफ अ ग्रेट मैथमेटिशियन | पुस्तक का परिचय

  • पुस्तक का शीर्षक: रामानुजन: जर्नी ऑफ अ ग्रेट मैथमेटिशियन
  • लेखक: अरुण सिंघल और देवेंद्र कुमार शर्मा
  • प्रकाशक: वाणी प्रकाशन
  • विमोचन तिथि: 30 अप्रैल 2025
  • स्थान: राष्ट्रीय अभिलेखागार, नई दिल्ली

यह पुस्तक श्रीनिवास रामानुजन के जीवन की एक गहराई से शोधित और संवेदनशील प्रस्तुति है। इसमें लेखकद्वय ने न केवल रामानुजन की विलक्षण गणितीय प्रतिभा को दर्शाया है, बल्कि उनके संघर्षों, विचारों, सांस्कृतिक परिवेश, और अभिलेखीय दस्तावेज़ों के माध्यम से उनकी यात्रा को जीवंत किया है।

श्रीनिवास रामानुजन | एक अद्वितीय गणितज्ञ

श्रीनिवास अयंगर रामानुजन का जन्म 22 दिसंबर 1887 को तमिलनाडु के इरोड शहर में हुआ था। एक अत्यंत साधारण पारिवारिक पृष्ठभूमि से आने वाले रामानुजन की प्रतिभा प्रारंभ से ही असाधारण थी। उन्होंने औपचारिक शिक्षा भले ही पूर्ण रूप से प्राप्त नहीं की, परंतु गणित के प्रति उनका समर्पण और स्वाध्याय उन्हें एक ऐसी ऊँचाई तक ले गया, जो दुर्लभ है।

उन्होंने बचपन में ही खुद से जटिल गणितीय प्रमेय विकसित करना शुरू कर दिया था, और उनकी गणना की विधियाँ इतनी मौलिक थीं कि वे ब्रिटिश गणितज्ञों के लिए भी चमत्कार से कम नहीं थीं।

रामानुजन: जर्नी ऑफ अ ग्रेट मैथमेटिशियन | पुस्तक की विशेषताएँ

1. व्यापक शोध पर आधारित सामग्री

यह पुस्तक सामान्य जीवनी नहीं है। यह दुर्लभ मूल अभिलेखों, पत्रों और दस्तावेजों पर आधारित एक शोधपरक ग्रंथ है। रामानुजन द्वारा लिखे गए व्यक्तिगत पत्र, उनके गणितीय सिद्धांतों के प्रारूप, कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में उनके कार्य, और भारत लौटने के बाद के उनके जीवन को सजीव रूप में चित्रित किया गया है।

2. संघर्ष और सांस्कृतिक विरासत को रेखांकित करना

पुस्तक न केवल गणित के क्षेत्र में रामानुजन के योगदानों को दर्शाती है, बल्कि उनके जीवन की सामाजिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि को भी गहराई से उजागर करती है। उन्होंने किस प्रकार विपरीत परिस्थितियों में भी अपनी साधना जारी रखी, यह पाठकों के लिए प्रेरणादायक है।

3. शोधार्थियों और छात्रों के लिए उपयोगी

गणित के छात्रों, शोधकर्ताओं, और इतिहास में रुचि रखने वालों के लिए यह पुस्तक एक अत्यंत महत्वपूर्ण स्रोत है। इसमें गणितीय सूत्रों की व्याख्या, उनके ऐतिहासिक महत्व, और आधुनिक गणित में उनकी भूमिका को विश्लेषणात्मक रूप से प्रस्तुत किया गया है।

विमोचन समारोह की विशेषताएँ

इस पुस्तक का विमोचन 30 अप्रैल 2025 को राष्ट्रीय अभिलेखागार, नई दिल्ली में होगा। यह आयोजन केवल एक औपचारिक विमोचन नहीं, बल्कि भारत की बौद्धिक विरासत और वैज्ञानिक परंपरा के सम्मान का प्रतीक होगा। कार्यक्रम में देश के प्रमुख गणितज्ञ, इतिहासकार, लेखक, और शिक्षाविद शामिल होंगे। साथ ही, इस अवसर पर रामानुजन से जुड़े दुर्लभ दस्तावेजों और पत्रों की प्रदर्शनी भी आयोजित की जाएगी, जो इस महान गणितज्ञ की जीवन यात्रा को और भी करीब से समझने में सहायक होगी।

सहयोगी संस्थाएँ

1. राष्ट्रीय अभिलेखागार (National Archives of India)

NAI भारत सरकार की एक प्रमुख संस्था है, जो देश की ऐतिहासिक दस्तावेजों और अभिलेखों को संजोने और संरक्षित करने का कार्य करती है। रामानुजन से संबंधित कई पत्र और दस्तावेज इस संस्था के पास संरक्षित हैं, जो इस पुस्तक के लिए मूल स्रोत रहे हैं।

2. वाणी प्रकाशन

वाणी प्रकाशन हिंदी साहित्य और शोध प्रकाशनों के क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित नाम है। यह संस्थान वर्षों से ऐसे विषयों को पाठकों तक पहुँचाने का कार्य करता रहा है, जो न केवल ज्ञानवर्धक हैं बल्कि देश की बौद्धिक चेतना को भी जागृत करते हैं।

पुस्तक की पृष्ठभूमि और निर्माण प्रक्रिया

लेखकों अरुण सिंघल और देवेंद्र कुमार शर्मा ने इस पुस्तक के निर्माण में वर्षों तक शोध किया। उन्होंने भारत और ब्रिटेन के अभिलेखागारों में जाकर रामानुजन के मूल पत्रों, लेखों और उनसे जुड़ी कहानियों को एकत्र किया। उनके इस कार्य में इतिहास, गणित और साहित्य का अद्वितीय समावेश है।

रामानुजन का गणितीय योगदान

रामानुजन ने कई अत्यंत जटिल और मौलिक गणितीय प्रमेय प्रस्तुत किए। उनकी सबसे प्रसिद्ध उपलब्धियाँ निम्नलिखित हैं:

  • मॉक थीटा फंक्शन (Mock Theta Functions): आधुनिक संख्या सिद्धांत में इनका अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्थान है।
  • रामानुजन प्राइम्स: जो बाद में कई शोधों का आधार बने।
  • गणितीय श्रेणियों पर कार्य: जैसे π (पाई) के सटीक मानों की खोज।
  • द हाड़ी-रामानुजन संख्या (1729): “सबसे छोटी संख्या जो दो अलग-अलग घनों के योग के रूप में व्यक्त की जा सकती है।”

इन सभी कार्यों ने उन्हें आधुनिक गणित का आधारशिला-निर्माता बना दिया।

रामानुजन की यात्रा | भारत से इंग्लैंड और वापसी

1913 में उन्होंने प्रसिद्ध ब्रिटिश गणितज्ञ प्रो. जी.एच. हार्डी को पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने अपने कुछ प्रमेय भेजे थे। हार्डी उनकी प्रतिभा से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने उन्हें इंग्लैंड बुला लिया। रामानुजन ने 1914 से 1919 तक कैंब्रिज विश्वविद्यालय में कार्य किया। हालांकि, उनका स्वास्थ्य उस वातावरण में बिगड़ने लगा और वे भारत लौट आए। दुर्भाग्यवश, 1920 में मात्र 32 वर्ष की आयु में उनका देहांत हो गया।

समाचारों में क्यों?

यह पुस्तक विमोचन इसलिए भी समाचारों में है क्योंकि यह न केवल रामानुजन की विलक्षणता का उत्सव है, बल्कि भारत की अभिलेखीय धरोहर को भी एक नई पहचान देता है। राष्ट्रीय अभिलेखागार द्वारा ऐसे दस्तावेज़ों का संरक्षण और वाणी प्रकाशन द्वारा उन्हें व्यापक जन तक पहुँचाना एक सराहनीय प्रयास है।

“रामानुजन: जर्नी ऑफ अ ग्रेट मैथमेटिशियन” केवल एक पुस्तक नहीं, बल्कि एक प्रेरणा स्रोत है। यह एक ऐसे व्यक्तित्व की कहानी है, जिसने गरीबी, बीमारी और औपचारिक शिक्षा की कमी के बावजूद अपनी प्रतिभा से दुनिया को चौंका दिया। यह पुस्तक आने वाली पीढ़ियों को गणित के प्रति प्रेम, संघर्ष की प्रेरणा और भारत की बौद्धिक परंपरा की स्मृति प्रदान करेगी।

इस विमोचन के माध्यम से न केवल रामानुजन को श्रद्धांजलि अर्पित की जा रही है, बल्कि यह संदेश भी दिया जा रहा है कि भारत की ज्ञान परंपरा, जब दस्तावेजों, पुस्तकों और शोधों के माध्यम से संरक्षित की जाती है, तो वह भविष्य के निर्माण में एक मजबूत नींव रखती है।

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