भारत में शतरंज का परचम एक बार फिर गर्व से लहराया है। चेन्नई, तमिलनाडु के 19 वर्षीय प्रतिभाशाली खिलाड़ी एल.आर. श्रीहरी ने एशियाई व्यक्तिगत पुरुष शतरंज चैंपियनशिप 2025 में अपनी जबरदस्त प्रतिभा और दृढ़ निश्चय से इतिहास रचते हुए तीसरा और अंतिम ग्रैंडमास्टर (GM) नॉर्म हासिल किया। इसके साथ ही वे भारत के 86वें ग्रैंडमास्टर बन गए हैं। यह उपलब्धि न केवल श्रीहरी की व्यक्तिगत जीत है, बल्कि यह भारत के उभरते शतरंज साम्राज्य का भी प्रतीक है।
श्रीहरी की यह उपलब्धि संयुक्त अरब अमीरात के अल ऐन में आयोजित प्रतिष्ठित एशियन इंडिविजुअल चैंपियनशिप में आई, जहाँ उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर के दिग्गजों को चुनौती दी और शानदार प्रदर्शन करते हुए अंतिम नॉर्म प्राप्त किया। यह उपलब्धि उनकी वर्षों की कठिन परिश्रम, गहन अभ्यास और कुशल कोचिंग का परिणाम है।
श्रीहरी एल.आर.: प्रारंभिक जीवन और पृष्ठभूमि
श्रीहरी एल.आर. का जन्म और पालन-पोषण चेन्नई, तमिलनाडु में हुआ। तमिलनाडु न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में शतरंज की एक मजबूत भूमि रही है। यहीं से भारत को उसका पहला ग्रैंडमास्टर विश्वनाथन आनंद मिला, और अब उसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए श्रीहरी ने भी देश को गौरवान्वित किया है।
श्रीहरी ने अपनी शतरंज यात्रा बहुत कम उम्र में शुरू की और धीरे-धीरे उन्होंने अपनी प्रतिभा और परिश्रम से शतरंज की बारीकियों को आत्मसात किया। वह चेन्नई स्थित चेस तुलिर अकादमी से जुड़े हैं, जहाँ उन्हें ग्रैंडमास्टर श्यामसुंदर के मार्गदर्शन में उच्च स्तरीय प्रशिक्षण मिला।
श्यामसुंदर न केवल एक अनुभवी ग्रैंडमास्टर हैं, बल्कि एक प्रेरणास्पद कोच भी हैं जिन्होंने अनेक प्रतिभाओं को तराशा है। वे विश्व जूनियर चैंपियन रह चुके प्रणव वी. के कोच भी रह चुके हैं। श्रीहरी इस अकादमी से ग्रैंडमास्टर बनने वाले दूसरे खिलाड़ी हैं, जो इस संस्थान की गुणवत्ता और समर्पण को दर्शाता है।
ग्रैंडमास्टर बनने की प्रक्रिया और श्रीहरी की यात्रा
ग्रैंडमास्टर बनने के लिए किसी भी खिलाड़ी को तीन नॉर्म्स हासिल करने होते हैं और साथ ही 2500 एलो रेटिंग पार करनी होती है। यह प्रक्रिया अत्यंत चुनौतीपूर्ण होती है, क्योंकि इसमें विश्वस्तरीय खिलाड़ियों से मुकाबला करना पड़ता है और निरंतर उच्च प्रदर्शन बनाए रखना होता है।
श्रीहरी ने इस यात्रा की शुरुआत वर्ष 2023 में की जब उन्होंने कतर मास्टर्स 2023 में अपना पहला ग्रैंडमास्टर नॉर्म हासिल किया। इसके बाद उन्होंने चेन्नई GM ओपन 2024 में अपना दूसरा नॉर्म पूरा किया। यह दोनों टूर्नामेंट अत्यंत प्रतिस्पर्धी थे, और श्रीहरी ने इनमें बेहतरीन प्रदर्शन कर यह सिद्ध किया कि वे बड़े मंचों के खिलाड़ी हैं।
तीसरा और निर्णायक नॉर्म उन्होंने एशियन इंडिविजुअल चैंपियनशिप 2025 में अर्जित किया, जहाँ उन्होंने दुनिया के शीर्ष ग्रैंडमास्टर्स के विरुद्ध अपने कौशल का लोहा मनवाया। इस टूर्नामेंट में उन्होंने कुल 9 राउंड खेले और उनमें से 8 राउंड में उनका मुकाबला ग्रैंडमास्टर्स से हुआ। यह दर्शाता है कि उनका प्रदर्शन कितना कठिन और उच्च स्तर का रहा।
अल ऐन में श्रीहरी का प्रदर्शन
अल ऐन में हुए इस टूर्नामेंट में श्रीहरी ने अद्वितीय धैर्य और आक्रामकता का परिचय दिया। पहले 8 राउंड तक वे अजेय रहे, जो किसी भी खिलाड़ी के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, विशेषकर जब सामने दुनिया के जाने-माने ग्रैंडमास्टर्स हों।
इस टूर्नामेंट के दौरान उन्होंने भारत के शीर्ष ग्रैंडमास्टर अभिजीत गुप्ता और प्रणव वी. को हराया, जो इस बात का प्रमाण है कि वे अब शीर्ष स्तर के खिलाड़ियों के बीच स्थायी स्थान पाने की क्षमता रखते हैं।
इसके अलावा, उन्होंने निम्नलिखित विश्व स्तरीय ग्रैंडमास्टर्स के खिलाफ ड्रॉ खेला:
- एआर सालेह सालेम (यूएई): एक अनुभवी खिलाड़ी जो कई अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में भाग ले चुके हैं।
- ज़ू ज़ियांगयू (चीन): चीन के शीर्ष युवा खिलाड़ियों में गिने जाते हैं।
- अलेक्सी ग्रेबनेव (FIDE): एक सशक्त रूसी खिलाड़ी जो विश्व स्तर पर कई बड़ी प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले चुके हैं।
इस स्तर पर इन खिलाड़ियों के खिलाफ अजेय रहना और कई को हराना, श्रीहरी की मानसिक मजबूती और खेल की समझ को दर्शाता है।
एलो रेटिंग और ग्रैंडमास्टर उपाधि
ग्रैंडमास्टर बनने के लिए तीसरे नॉर्म के अलावा एक और आवश्यक शर्त होती है – खिलाड़ी की फिडे (FIDE) एलो रेटिंग कम से कम 2500 होनी चाहिए। श्रीहरी ने यह सीमा अगस्त 2024 में पार कर ली थी, जिससे उन्हें अंतिम नॉर्म प्राप्त करते ही ग्रैंडमास्टर की उपाधि स्वीकृत हो गई।
यह भी ध्यान देने योग्य है कि 2500 की एलो रेटिंग केवल अंक नहीं, बल्कि निरंतर उच्च प्रदर्शन और मानसिक सुदृढ़ता का प्रमाण होती है, जिसे प्राप्त करना और बनाए रखना बहुत कठिन कार्य है।
भारत की शतरंज में उन्नति और वैश्विक प्रभाव
श्रीहरी की उपलब्धि केवल व्यक्तिगत नहीं है, यह भारत की सामूहिक शतरंज यात्रा का एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। भारत अब विश्व शतरंज मानचित्र पर एक प्रमुख शक्ति के रूप में उभर चुका है।
भारत के पहले ग्रैंडमास्टर विश्वनाथन आनंद ने 1988 में यह उपाधि प्राप्त की थी। उसके बाद देश ने धीरे-धीरे अपनी गति पकड़ी:
- 1988 से 2013 तक: लगभग 25 वर्षों में 35 ग्रैंडमास्टर्स बने।
- 2013 से 2025 तक: मात्र 12 वर्षों में 51 नए ग्रैंडमास्टर्स बने।
इससे स्पष्ट है कि भारत में शतरंज का आधार तेजी से मजबूत हुआ है। खेल का प्रसार न केवल बड़े शहरों में बल्कि छोटे कस्बों और ग्रामीण क्षेत्रों तक हुआ है। इंटरनेट, ऑनलाइन टूर्नामेंट्स, और विश्वस्तरीय कोचिंग की उपलब्धता ने इस प्रक्रिया को और अधिक गति दी है।
इसके अलावा, भारत की नई पीढ़ी में शतरंज को लेकर जो उत्साह है, वह पहले कभी नहीं देखा गया था। युवा खिलाड़ी अब कम उम्र में ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भाग लेने लगे हैं और विश्व स्तरीय खिलाड़ियों से कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं।
कोच श्यामसुंदर और चेस तुलिर अकादमी की भूमिका
किसी भी खिलाड़ी की सफलता में उसके कोच की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। श्रीहरी के मामले में यह भूमिका निभाई ग्रैंडमास्टर श्यामसुंदर ने, जो न केवल उत्कृष्ट खिलाड़ी हैं बल्कि एक प्रेरणादायक प्रशिक्षक भी हैं। उन्होंने पहले भी विश्व जूनियर चैंपियन प्रणव वी. को प्रशिक्षित किया है।
श्यामसुंदर का प्रशिक्षण तरीका व्यावहारिक, आधुनिक और रणनीतिक दृष्टिकोण पर आधारित है। उन्होंने श्रीहरी को मानसिक दृढ़ता, खेल की गहराई, और विविध रणनीतियों से लैस किया, जिससे श्रीहरी विश्व मंच पर सफल हो सके।
चेस तुलिर अकादमी अब भारत की प्रमुख शतरंज अकादमियों में से एक बन गई है। इस संस्थान ने यह सिद्ध कर दिया है कि उचित प्रशिक्षण, मार्गदर्शन और समर्थन से कोई भी युवा खिलाड़ी ग्रैंडमास्टर बन सकता है।
श्रीहरी एल.आर. की ग्रैंडमास्टर उपाधि केवल एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, यह भारत के लिए एक और स्वर्णिम अध्याय है। यह उपलब्धि उन हजारों युवाओं को प्रेरणा देती है जो शतरंज को केवल खेल नहीं, बल्कि एक जीवनशैली मानते हैं।
भारत अब न केवल ग्रैंडमास्टर्स की संख्या में अग्रणी हो रहा है, बल्कि विश्व चैंपियन बनने की दिशा में भी तेज़ी से बढ़ रहा है। श्रीहरी जैसे युवा खिलाड़ी इस अभियान के ध्वजवाहक हैं, जो भविष्य में भारत को विश्व शतरंज में शीर्ष स्थान दिला सकते हैं।
एक समय था जब भारत में शतरंज को सीमित वर्ग तक ही माना जाता था, लेकिन आज यह एक जनांदोलन बन चुका है। डिजिटल युग, प्रशिक्षकों की बढ़ती संख्या, प्रतियोगिताओं की उपलब्धता और माता-पिता का समर्थन – इन सभी ने मिलकर भारत को एक शतरंज महाशक्ति बना दिया है।
श्रीहरी एल.आर. की यह यात्रा न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि यह दर्शाती है कि लगन, मेहनत और सही मार्गदर्शन से कोई भी सपना साकार किया जा सकता है। भारत को उन पर गर्व है, और पूरा देश अब उनसे और भी बड़ी उपलब्धियों की अपेक्षा रखता है।
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