डिजिटल इंडिया मिशन के 10 वर्ष: उपलब्धियाँ, चुनौतियाँ और आगे की राह

1 जुलाई 2015 को भारत सरकार द्वारा प्रारंभ किया गया डिजिटल इंडिया मिशन एक ऐसी दूरदर्शी पहल थी जिसका उद्देश्य भारत को ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था और डिजिटली सशक्त समाज में परिवर्तित करना था। बीते दस वर्षों में यह मिशन मात्र एक तकनीकी पहल न रहकर एक सामाजिक–आर्थिक परिवर्तन का कारक बन गया है। इस मिशन के माध्यम से न केवल डिजिटल सेवाओं की पहुँच बढ़ी है, बल्कि सरकारी सेवाओं में पारदर्शिता, जवाबदेही और कुशलता भी आई है।

आज, जब हम डिजिटल इंडिया मिशन के दशक पूरा होने का जश्न मना रहे हैं, यह आवश्यक है कि हम इसकी उपलब्धियों, संकटों और भविष्य की दिशा का व्यापक मूल्यांकन करें।

Table of Contents

डिजिटल इंडिया मिशन की प्रमुख उपलब्धियाँ (2014–2024)

1. डिजिटल अर्थव्यवस्था में ऐतिहासिक योगदान

डिजिटल इंडिया ने भारत की अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा दी है।

  • वित्त वर्ष 2022–23 में भारत की राष्ट्रीय आय में डिजिटल अर्थव्यवस्था का योगदान 11.74% रहा।
  • 2024–25 तक इसके 13.42% तक पहुँचने की उम्मीद है।
  • ICRIER की 2024 रिपोर्ट के अनुसार, भारत डिजिटलीकरण के मामले में विश्व में तीसरे स्थान पर है।

डिजिटल स्टार्टअप, ई-कॉमर्स, फिनटेक और हेल्थटेक क्षेत्रों में भारत की डिजिटल क्षमताओं का दायरा उल्लेखनीय रूप से बढ़ा है।

2. कनेक्टिविटी और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर में क्रांतिकारी विकास

  • 2014 में जहाँ इंटरनेट कनेक्शन की संख्या केवल 25.15 करोड़ थी, वहीं 2024 तक यह बढ़कर 96.96 करोड़ हो चुकी है।
  • भारतनेट परियोजना के तहत 2.18 लाख ग्राम पंचायतों को हाई-स्पीड इंटरनेट से जोड़ा गया है, जिससे ग्रामीण भारत को डिजिटल प्लेटफॉर्म्स से जोड़ा गया है।

यह भारत के डिजिटल समावेशन की दिशा में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है।

3. डिजिटल वित्त और समावेशी वित्तीय प्रणाली

  • भारत 2023 में वैश्विक रियल-टाइम डिजिटल भुगतानों का 49% साझा करने वाला देश बन गया।
  • UPI (Unified Payments Interface) एक क्रांति बनकर उभरा है, जो आज 100 अरब से अधिक लेनदेन प्रति वर्ष संभाल रहा है।
  • UPI की सफलता के चलते इसे 7 से अधिक देशों में अपनाया गया है।
  • आधार आधारित DBT प्रणाली ने ₹3.48 लाख करोड़ की बचत की है, जिससे फर्जी लाभार्थियों को हटाया गया और सरकारी योजनाएँ सही पात्रों तक पहुँचीं।

4. रणनीतिक तकनीकी क्षमताओं का विकास

भारत ने डिजिटल इंडिया के अंतर्गत दीर्घकालिक तकनीकी स्वावलंबन की दिशा में कई ठोस पहलें की हैं:

  • IndiaAI मिशन: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को नवाचार और सेवा प्रदायगी में एकीकृत करना।
  • India Semiconductor Mission: घरेलू अर्धचालक निर्माण को बढ़ावा देना, जिसके तहत अब तक 6 प्रमुख परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई है।
  • SEMICON INDIA 2025 के तहत भारत को सेमीकंडक्टर विनिर्माण केंद्र बनाने का लक्ष्य है।

5. ई–गवर्नेंस और डिजिटल सेवाओं का सशक्तिकरण

  • UMANG ऐप (Unified Mobile Application for New-age Governance) ने नागरिकों को केंद्रीय और राज्य सरकार की 1600+ सेवाएँ एक ही प्लेटफ़ॉर्म पर उपलब्ध कराईं।
  • Karmayogi Bharat iGOT प्लेटफॉर्म के माध्यम से लाखों सिविल सेवकों को डिजिटल माध्यम से प्रशिक्षण प्राप्त हुआ।
  • डिजिलॉकर, मेरा राशन ऐप, CoWIN, BHIM जैसे ऐप्स ने आम जनजीवन को डिजिटल सशक्तिकरण की नई परिभाषा दी है।

भारत के डिजिटल इकोसिस्टम से जुड़ी प्रमुख चुनौतियाँ

1. डिजिटल विभाजन (Digital Divide)

  • शहरी भारत में इंटरनेट की पहुँच 66% तक है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह केवल 24% रह गई है।
  • यह असमानता डिजिटल शिक्षा, ई-हेल्थ, और डिजिटल सेवाओं तक समावेशी पहुँच में गंभीर बाधा उत्पन्न कर रही है।
  • अनेक ग्रामीण, आदिवासी और सीमावर्ती क्षेत्रों में ब्रॉडबैंड या 4G कनेक्टिविटी तक नहीं है।

2. साइबर सुरक्षा और डेटा गोपनीयता

  • वर्ष 2024 में भारत दुनिया का दूसरा सबसे अधिक साइबर हमलों का शिकार बना, जिसमें 95 बड़े डाटा लीक हुए।
  • डिजिटल फ्रॉड, फ़िशिंग, रैनसमवेयर और फेक ऐप्स की घटनाओं में भारी वृद्धि देखी गई है।
  • भारत में अभी भी एक संगठित और व्यापक डेटा संरक्षण कानून की कमी महसूस की जा रही है।

3. खंडित डिजिटल अवसंरचना

  • भारत के विभिन्न राज्यों में डिजिटल प्लेटफॉर्म की गुणवत्ता और पहुँच में भारी असमानता है।
  • राज्यों के बीच डेटा इंटरऑपरेबिलिटी की कमी से सरकारी सेवाओं की डिलीवरी बाधित होती है।
  • कई विभागों की वेबसाइटें और ऐप्स पुराने और अनुकूलनहीन हैं।

4. डिजिटल साक्षरता की कमी

  • ग्रामीण क्षेत्रों में कंप्यूटर या स्मार्टफोन का प्रयोग अब भी सीमित है।
  • NSSO (2020-21) के अनुसार, 15 वर्ष+ आयु वर्ग में केवल 7% लोग कंप्यूटर साक्षर हैं।
  • IT और BFSI (Banking, Financial Services & Insurance) क्षेत्रों में 2.9 करोड़ कुशल कर्मियों की कमी का अनुमान है।

5. नवाचार प्रौद्योगिकियों के लिए नियामक शून्य

  • AI, Blockchain, IoT, Metaverse जैसी तकनीकों के लिए स्पष्ट नीति और विनियमन की कमी है।
  • भारत में Generative AI के लिए अभी तक कोई कॉपीराइट, डेटा स्वामित्व या जवाबदेही तंत्र नहीं है।
  • इससे इन क्षेत्रों में नवाचार और निवेश में संकोच उत्पन्न होता है।

6. सरकार और निजी क्षेत्र के समन्वय की कमी

  • GeM, MyGov, CoWIN जैसे सरकारी प्लेटफॉर्म निजी तकनीक और क्लाउड पर आधारित हैं।
  • इससे डेटा स्वामित्व, साइबर लचीलापन, और प्रौद्योगिकी आत्मनिर्भरता पर प्रश्न उठते हैं।
  • अनेक निजी कंपनियों के डेटा संग्रहण और विश्लेषण के तरीकों में पारदर्शिता की कमी है।

7. वंचित समुदायों की डिजिटल बहिष्कृति

  • आदिवासी, पिछड़े वर्ग, और ग्रामीण महिलाएं अभी भी डिजिटल क्रांति से पीछे हैं।
  • NFHS-5 के अनुसार, केवल 33% महिलाएं ही कभी इंटरनेट का उपयोग कर पाई हैं।
  • डिजिटल सेवाओं की डिजाइन और डिलीवरी में सांस्कृतिक, भाषायी और लैंगिक आवश्यकताओं की अनदेखी होती रही है।

भविष्य की दिशा: डिजिटल समावेशन से आत्मनिर्भरता की ओर

1. डिजिटल समावेशन को प्राथमिकता

  • ग्रामीण इंटरनेट इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना, सस्ती डेटा योजनाएँ और स्थानीय भाषाओं में डिजिटल सामग्री उपलब्ध कराना आवश्यक है।
  • महिलाओं, दिव्यांगों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए समर्पित डिजिटल साक्षरता कार्यक्रम चलाए जाएँ।

2. साइबर सुरक्षा तंत्र को मजबूत करना

  • राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति को अपडेट कर, राष्ट्रीय साइबर कमान की स्थापना की जानी चाहिए।
  • सरकारी व निजी क्षेत्र को साइबर प्रशिक्षण, फ्रॉड ट्रैकिंग और डेटा एन्क्रिप्शन पर निवेश बढ़ाना होगा।

3. प्रौद्योगिकी नियमन और नीति निर्धारण

  • AI, IoT, Blockchain जैसे क्षेत्रों के लिए स्पष्ट विनियमन, एथिक्स गाइडलाइंस और डेटा स्वामित्व कानून बनाए जाएँ।
  • Digital Competition Law और Data Protection Act जैसे प्रयासों को तेजी से लागू करना होगा।

4. प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता

  • सेमीकंडक्टर, सर्वर, क्लाउड, OS जैसे क्षेत्रों में भारत को स्थानीय निर्माण और स्वदेशी समाधान को बढ़ावा देना होगा।
  • Startup India, Make in India और PLI योजना को नवाचार के साथ जोड़ा जाए।

5. शिक्षा और कौशल विकास का डिजिटलीकरण

  • स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक डिजिटल लर्निंग प्लेटफॉर्म को सशक्त बनाना होगा।
  • AI, Cloud, Data Science में कौशल प्रशिक्षण के लिए PPP (Public-Private Partnership) मॉडल अपनाया जाए।

निष्कर्ष

डिजिटल इंडिया मिशन ने भारत के डिजिटल परिवर्तन की नींव रखी है। इसने न केवल सेवाओं को नागरिकों के द्वार तक पहुँचाया है, बल्कि एक नवाचार आधारित अर्थव्यवस्था के निर्माण की दिशा भी प्रशस्त की है। परंतु, डिजिटल समावेशन, सुरक्षा, पारदर्शिता और विनियमन जैसे क्षेत्रों में अभी लंबा सफर तय करना बाकी है।

आने वाले वर्षों में यदि भारत इन चुनौतियों से पार पा लेता है और एक समावेशी, सुरक्षित, आत्मनिर्भर डिजिटल राष्ट्र की दिशा में आगे बढ़ता है, तो डिजिटल इंडिया मिशन आने वाले दशक में दुनिया के लिए एक मॉडल बन सकता है।

Polity – KnowledgeSthali
Current Affairs – KnowledgeSthali


इन्हें भी देखें –

Leave a Comment

Table of Contents

Contents
सर्वनाम (Pronoun) किसे कहते है? परिभाषा, भेद एवं उदाहरण भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग | नाम, स्थान एवं स्तुति मंत्र प्रथम विश्व युद्ध: विनाशकारी महासंग्राम | 1914 – 1918 ई.