विश्व जैव उत्पाद दिवस: सतत भविष्य की ओर बढ़ता एक वैश्विक प्रयास

पर्यावरणीय संकट और जलवायु परिवर्तन की बढ़ती चुनौतियों के बीच, वैश्विक समुदाय हरित और सतत विकास की दिशा में ठोस कदम उठा रहा है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए 7 जुलाई 2025 को दुनिया भर में “विश्व जैव उत्पाद दिवस” (World Bioproduct Day) मनाया गया। यह दिन न केवल जैव उत्पादों (Bioproducts) के महत्व को रेखांकित करता है, बल्कि वैश्विक जैव-अर्थव्यवस्था (Bioeconomy) की ओर हो रहे संक्रमण को भी रेखांकित करता है।

पहली बार 2021 में आयोजित किए गए इस दिवस ने धीरे-धीरे एक वैश्विक मंच का रूप ले लिया है जहाँ जैव उत्पादों की नवीनतम प्रगति, अनुसंधान, और नवाचारों को साझा किया जाता है। आज यह दिवस दुनिया भर में टिकाऊ उत्पादों को अपनाने, ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को घटाने, और जैविक संसाधनों के बेहतर उपयोग के प्रति जागरूकता फैलाने का एक महत्वपूर्ण माध्यम बन चुका है।

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जैव उत्पाद: परिभाषा, स्वरूप और महत्त्व

जैव उत्पाद क्या होते हैं?

जैव उत्पाद ऐसे उत्पाद होते हैं जिन्हें पौधों, शैवाल (algae), कृषि अवशेष, खाद्य प्रसंस्करण अपशिष्ट या अन्य जैविक और नवीकरणीय स्रोतों से निर्मित किया जाता है। इनका निर्माण पारंपरिक जीवाश्म ईंधनों – जैसे कोयला, पेट्रोलियम, और प्राकृतिक गैस – पर आधारित नहीं होता। यही कारण है कि इन्हें “हरित उत्पाद” भी कहा जाता है।

महत्वपूर्ण विशेषताएँ:

  • नवीकरणीय स्रोतों से निर्माण: जैव उत्पाद पुनः उपयोग किए जा सकने वाले या नवीकरणीय संसाधनों से बनाए जाते हैं।
  • कम प्रदूषण: इनके उत्पादन और उपयोग से वायु, जल या भूमि प्रदूषण कम होता है।
  • सतत विकास में योगदान: ये उत्पाद परिपत्र अर्थव्यवस्था (Circular Economy) की अवधारणा को मजबूती प्रदान करते हैं।

जैव उत्पादों के प्रमुख प्रकार

जैव उत्पादों को मोटे तौर पर दो श्रेणियों में बाँटा जा सकता है:

1. पारंपरिक जैव उत्पाद (Conventional Bioproducts)

इनमें वे उत्पाद शामिल होते हैं जो लंबे समय से जैविक स्रोतों से बनाए जाते रहे हैं:

  • कागज और कार्डबोर्ड
  • लकड़ी और बांस की वस्तुएँ
  • कपास और जूट आधारित वस्त्र
  • प्राकृतिक गोंद
  • भवन निर्माण की पारंपरिक सामग्री

2. नवोन्मेषी जैव उत्पाद (Emerging Bioproducts)

यह श्रेणी विज्ञान और जैव प्रौद्योगिकी में हालिया नवाचारों का परिणाम है:

  • जैव ईंधन (Biofuels): जैसे कि बायोडीजल, बायोएथेनॉल, जो वाहनों में प्रयुक्त होते हैं।
  • जैव प्लास्टिक (Bioplastics): प्लास्टिक के पर्यावरण-अनुकूल विकल्प जो नष्ट हो सकते हैं।
  • जैव ऊर्जा (Bioenergy): जैसे बायोगैस, बायोमास से उत्पादित ऊर्जा।
  • जैविक सर्फेक्टेंट, एंजाइम और चिपकने वाले पदार्थ (Bio-based Adhesives): उद्योगों में उपयोगी जैविक रसायन।

जैव उत्पादों का वैश्विक महत्व

आज जैव उत्पाद केवल पर्यावरण हितैषी विकल्प भर नहीं हैं, बल्कि वे विश्व अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इनके फायदे बहुआयामी हैं:

1. ग्रीनहाउस गैसों में कमी

जीवाश्म ईंधनों की जगह जैव उत्पाद अपनाकर वैश्विक कार्बन फुटप्रिंट में उल्लेखनीय कमी लाई जा सकती है।

2. ऊर्जा सुरक्षा

बायोफ्यूल जैसे उत्पादों के उपयोग से ऊर्जा आयात पर निर्भरता घटती है और स्थानीय संसाधनों का बेहतर उपयोग होता है।

3. कृषि और ग्रामीण क्षेत्र को बल

जैव उत्पादों का कच्चा माल किसानों और ग्रामीण क्षेत्रों से प्राप्त होता है। इससे न केवल कृषि आय में वृद्धि होती है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार भी सृजित होते हैं।

4. नवाचार और उद्योग

जैव उत्पाद नए व्यवसायों, स्टार्टअप्स और अनुसंधान क्षेत्रों को जन्म देते हैं, जिससे वैज्ञानिक नवाचार और आर्थिक विकास को गति मिलती है।

भारत की बढ़ती जैव-अर्थव्यवस्था: एक वैश्विक अग्रणी के रूप में

भारत, जिसकी अर्थव्यवस्था कृषि और विविध पारिस्थितिक तंत्रों पर आधारित है, जैव उत्पाद क्षेत्र में तेजी से वैश्विक नेतृत्व की ओर अग्रसर है। भारत की जैव-अर्थव्यवस्था ने हाल ही में उल्लेखनीय विकास दर्ज किया है।

भारत की बायोटेक्नोलॉजी में उपलब्धियाँ

  • 2024 तक जैव-अर्थव्यवस्था का मूल्य: ₹130 अरब डॉलर पार कर गया।
  • 2025 तक जैव कृषि का मूल्यांकन: $20 अरब डॉलर तक पहुँचने की संभावना।

भारत की मुख्य भूमिकाएँ:

  1. बायोफार्मास्यूटिकल्स (Biopharmaceuticals):
    भारत विश्व का सबसे बड़ा वैक्सीन उत्पादक है। कोविशील्ड और कोवैक्सीन जैसी सफलताओं ने इस क्षेत्र में भारत को अग्रणी बनाया।
  2. जैव कृषि (Bio-Agriculture):
    • भारत ऑर्गेनिक खेती में शीर्ष पाँच देशों में शामिल है।
    • बीटी कॉटन और अन्य जीएम फसलों के प्रयोग से उत्पादन में वृद्धि।
  3. बायो इंडस्ट्रियल (Bio-Industrial):
    • औद्योगिक अपशिष्टों का जैविक रूपांतरण।
    • शुगर मिलों में बायोगैस और बायोफर्टिलाइज़र का उत्पादन।
  4. बायो आईटी और सेवाएं (Bio IT & Services):
    • बायोइन्फॉर्मेटिक्स, क्लीनिकल ट्रायल्स और आनुवंशिकी अनुसंधान में अग्रणी।

यह सब भारत की हरित नीतियों, विज्ञान में निवेश, और पर्यावरण-उन्मुख दृष्टिकोण का परिणाम है।

विश्व जैव उत्पाद दिवस 2025: वैश्विक पहल और आयोजन

इस वर्ष 7 जुलाई को विश्व भर में जैव उत्पादों के प्रचार-प्रसार और नवाचार को लेकर कई आयोजन हुए। भारत, यूरोप, अमेरिका, जापान और ब्राज़ील जैसे देशों ने इस अवसर पर विभिन्न ईको-फ्रेंडली उत्पादों और नवाचारों को प्रदर्शित किया।

मुख्य वैश्विक पहल

World Bioeconomy Forum की नई पहल – www.worldbiorefineries.com
इस मंच ने एक डिजिटल टूल लॉन्च किया है जिसका उद्देश्य है जैव उत्पादों से जुड़ी बायोरिफाइनरियों की वैश्विक जानकारी देना। इसमें Biorefinery Map™ नामक सुविधा उपलब्ध है जो:

  • विभिन्न देशों में स्थित बायोरिफाइनरियों की लोकेशन दर्शाती है।
  • उनके उत्पाद, उत्पादन क्षमता, और पर्यावरणीय प्रभाव की जानकारी प्रदान करती है।

यह वेबसाइट नवाचार को बढ़ावा देने, सहयोग को प्रोत्साहित करने और नीति-निर्माताओं के लिए निर्णय लेने की दिशा में एक उपयोगी उपकरण बन चुकी है।

चुनौतियाँ और भविष्य की राह

जैव उत्पादों की विशाल संभावनाओं के बावजूद कुछ चुनौतियाँ अब भी मौजूद हैं:

1. लागत और प्रतिस्पर्धा

जैव उत्पादों की उत्पादन लागत अभी पारंपरिक उत्पादों की तुलना में अधिक है। इस कारण आम जनता तक इनकी पहुँच सीमित है।

2. जागरूकता की कमी

ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में जैव उत्पादों की उपयोगिता और महत्व को लेकर पर्याप्त जागरूकता नहीं है।

3. नीतिगत समन्वय

देशों में एकीकृत और स्पष्ट जैव-अर्थव्यवस्था नीति का अभाव विकास को धीमा करता है।

लेकिन आशा की किरण भी स्पष्ट है:

  • वैज्ञानिक अनुसंधान और R&D में बढ़ते निवेश।
  • निजी क्षेत्र और स्टार्टअप्स की भागीदारी।
  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग और ज्ञान-साझाकरण।

निष्कर्ष

विश्व जैव उत्पाद दिवस केवल एक प्रतीकात्मक आयोजन नहीं, बल्कि यह भविष्य की दिशा को इंगित करता है – एक ऐसा भविष्य जो हरित, सतत और समावेशी हो। जैव उत्पाद आज हमारी अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और समाज – तीनों के लिए समाधान बन कर उभरे हैं।

भारत की भूमिका इस परिवर्तन में अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके विशाल कृषि संसाधन, वैज्ञानिक क्षमता और जनसंख्या लाभ इसे जैव-अर्थव्यवस्था का वैश्विक केंद्र बना सकते हैं। इसके लिए आवश्यक है कि सरकार, निजी क्षेत्र, किसान, वैज्ञानिक और आम नागरिक मिलकर काम करें और जैव उत्पादों को दैनिक जीवन का हिस्सा बनाएं।

2025 का “विश्व जैव उत्पाद दिवस” न केवल पिछले वर्षों की उपलब्धियों का उत्सव था, बल्कि एक स्पष्ट संदेश भी – हरित भविष्य अब एक विकल्प नहीं, बल्कि आवश्यकता है।


अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

  1. विश्व जैव उत्पाद दिवस कब मनाया जाता है?
    हर वर्ष 7 जुलाई को।
  2. जैव उत्पाद क्या होते हैं?
    वे उत्पाद जो पौधों, शैवाल या जैविक अपशिष्टों से बनाए जाते हैं।
  3. परंपरागत जैव उत्पाद कौन-से हैं?
    कागज, लकड़ी, भवन सामग्री आदि।
  4. नवोन्मेषी जैव उत्पादों के उदाहरण?
    जैव ईंधन, जैव प्लास्टिक, जैव ऊर्जा, जैव-आधारित गोंद।
  5. भारत की जैव-अर्थव्यवस्था का 2024 में अनुमानित मूल्य कितना था?
    $130 अरब डॉलर।
  6. जैव उत्पाद किस प्रकार सतत विकास में सहायक हैं?
    यह प्राकृतिक संसाधनों की बचत, प्रदूषण नियंत्रण, और रोजगार वृद्धि में सहायक हैं।
  7. Biorefinery Map™ क्या है?
    एक डिजिटल टूल जो दुनिया भर की बायोरिफाइनरियों की जानकारी प्रदान करता है।
  8. बायोफार्मास्यूटिकल्स का क्या अर्थ है?
    जैविक विधियों से निर्मित दवाएं, टीके, और चिकित्सा उत्पाद।
  9. बायो-आईटी में भारत की क्या भूमिका है?
    भारत अनुसंधान, क्लीनिकल परीक्षण, और बायोइन्फॉर्मेटिक्स में अग्रणी है।
  10. क्या जैव उत्पादों का उपयोग पर्यावरण के लिए बेहतर है?
    हाँ, ये पर्यावरणीय प्रदूषण को घटाते हैं और संसाधनों का टिकाऊ उपयोग करते हैं।

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