विश्व स्वास्थ्य पर मंडराते संकटों में खसरा (Measles) एक अत्यंत गंभीर और प्राचीन बीमारी है, जिसने आधुनिक विज्ञान और टीकाकरण के युग में भी अपनी प्रासंगिकता और ख़तरनाक स्वरूप को बनाए रखा है। यह न केवल एक अत्यधिक संक्रामक रोग है, बल्कि इसके परिणामस्वरूप होने वाली जटिलताएं लाखों बच्चों की जान भी ले सकती हैं। वर्ष 2025 में बोलीविया में फैले एक बड़े खसरा प्रकोप के संदर्भ में भारत ने 3 लाख खसरा–रूबेला (Measles-Rubella: MR) वैक्सीन डोज़ भेजकर न केवल एक ज़रूरी मानवीय सहयोग प्रदान किया, बल्कि ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की अपनी सांस्कृतिक और कूटनीतिक भावना को भी प्रत्यक्ष किया।
यह लेख खसरे की संपूर्ण जानकारी—रोग का स्वरूप, संक्रमण, लक्षण, जटिलताएं, रोकथाम, भारत की नीतियाँ और वैश्विक परिप्रेक्ष्य—को व्यापक रूप में प्रस्तुत करता है।
खसरा क्या है? – एक परिचय
खसरा एक वायुवाहित वायरल रोग है जो विशेषकर बच्चों को प्रभावित करता है। यह रोग अत्यधिक संक्रामक होता है और यदि समय पर इसका इलाज न हो, तो जानलेवा साबित हो सकता है।
- वायरस का वर्गीकरण: यह रोग Paramyxovirus परिवार के Measles virus के कारण होता है।
- संक्रमण का माध्यम: यह वायरस श्वसन मार्ग (respiratory tract) से शरीर में प्रवेश करता है और पूरे शरीर में फैल जाता है।
- यह मानव-से-मानव संपर्क से फैलता है, खासकर संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने या सांस लेने से निकलने वाली बूंदों से।
संक्रमण का तरीका: कैसे फैलता है खसरा?
खसरा वायरस का प्रसार अत्यंत तीव्र होता है। जब कोई संक्रमित व्यक्ति खांसता या छींकता है, तो उसके मुंह और नाक से निकली सूक्ष्म बूंदें (aerosols) वायु में फैल जाती हैं, जिन्हें आसपास के व्यक्ति सांस के साथ अंदर ले सकते हैं।
प्रमुख माध्यम:
- वायुवाहित बूंदें (Airborne Droplets)
- प्रत्यक्ष संपर्क (Direct Contact)
- संक्रमित सतहों से अप्रत्यक्ष संपर्क
एक संक्रमित व्यक्ति 90% संभाव्यता के साथ अपने संपर्क में आए व्यक्तियों को संक्रमित कर सकता है, यदि उन्हें पूर्व में टीका नहीं लगाया गया हो।
रोग की अवधि और लक्षण
👉 ऊष्मायन काल (Incubation Period):
खसरा वायरस के शरीर में प्रवेश करने के 10–14 दिनों के भीतर लक्षण प्रकट होते हैं।
👉 प्रमुख लक्षण:
- तेज़ बुखार (104°F तक)
- ज़ोरदार खांसी
- नाक बहना
- आंखों से पानी आना (conjunctivitis)
- गले में खराश
- शरीर पर चकत्ते (rash) — यह आमतौर पर चेहरे से शुरू होकर नीचे की ओर फैलते हैं।
- कोप्लिक स्पॉट्स (Koplik’s spots) – यह मुंह के अंदर, गालों की अंदरूनी सतह पर सफेद धब्बे होते हैं, जो खसरे का विशेष लक्षण माने जाते हैं।
खसरे की जटिलताएं (Complications)
खसरा एक सामान्य त्वचा रोग की तरह दिखाई दे सकता है, लेकिन इसके प्रभाव अत्यंत गंभीर हो सकते हैं, विशेष रूप से कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले बच्चों और कुपोषित समुदायों में।
👉 प्रमुख जटिलताएं:
- निमोनिया (Pneumonia) – बच्चों में खसरे से संबंधित मौतों का प्रमुख कारण।
- डायरिया – शरीर में जल की कमी और इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन।
- कान का संक्रमण (Otitis Media) – स्थायी बहरापन हो सकता है।
- मस्तिष्क में सूजन (Encephalitis) – यह दुर्लभ लेकिन घातक स्थिति होती है।
- अंधापन – विटामिन ए की कमी से खसरे के दौरान दृष्टि हानि।
- Subacute Sclerosing Panencephalitis (SSPE) – यह खसरे की एक विलंबित, लेकिन घातक जटिलता है, जो संक्रमण के वर्षों बाद प्रकट होती है।
खसरा और मृत्यु दर
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, 2022 में वैश्विक स्तर पर लगभग 1,30,000 से अधिक मौतें खसरे के कारण हुईं, जिनमें अधिकांश मौतें पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की थीं।
खासकर उन क्षेत्रों में जहां:
- टीकाकरण कवरेज कम है,
- स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच सीमित है,
- और बच्चों में कुपोषण है।
भारत भी इस वैश्विक आंकड़े में पहले शामिल था, लेकिन हाल के वर्षों में टीकाकरण और अभियान के चलते इसमें गिरावट देखी गई है।
उपचार और प्रबंधन
👉 विशिष्ट उपचार:
खसरा के लिए कोई विशिष्ट एंटीवायरल दवा उपलब्ध नहीं है।
👉 लक्षण आधारित इलाज:
- बुखार और दर्द नियंत्रण – पेरासिटामोल या इबुप्रोफेन
- जल संतुलन बनाए रखना – पर्याप्त तरल पदार्थ
- कुपोषण में सुधार – विशेषकर विटामिन A की खुराक
WHO की सिफारिश है कि खसरा से पीड़ित बच्चों को दो खुराकों में विटामिन A सप्लीमेंट दिया जाए, जो अंधेपन और मृत्यु दर को कम करता है।
खसरा की रोकथाम: टीकाकरण ही एकमात्र उपाय
खसरा एक टीके से पूरी तरह रोके जा सकने वाला रोग है।
👉 Measles-Rubella (MR) वैक्सीन:
भारत में बच्चों को खसरा-रूबेला टीका दो खुराकों में दिया जाता है:
- पहली खुराक: 9 माह की आयु में
- दूसरी खुराक: 16 से 24 माह की आयु में
👉 विशेष अभियान:
भारत सरकार द्वारा ‘खसरा-रूबेला उन्मूलन अभियान’ चलाया गया है, जिसका लक्ष्य देश से खसरे और रूबेला को पूरी तरह समाप्त करना है।
भारत का खसरा-नियंत्रण अभियान
✅ राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (RBSK)
इसके अंतर्गत टीकाकरण, पहचान और प्रबंधन को सुनिश्चित किया जाता है।
✅ मिशन इंद्रधनुष
इस मिशन के माध्यम से 0–2 वर्ष के बच्चों और गर्भवती महिलाओं को पूर्ण टीकाकरण कवरेज सुनिश्चित की जाती है। इसमें MR वैक्सीन भी शामिल है।
✅ निगरानी तंत्र (Surveillance)
भारत में खसरे के मामलों की निगरानी के लिए राष्ट्रीय निगरानी नेटवर्क स्थापित किया गया है।
✅ लक्ष्य: 2026 तक खसरा उन्मूलन
भारत ने 2026 तक खसरा और रूबेला के पूर्ण उन्मूलन का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसे WHO भी समर्थन दे रहा है।
भारत की अंतरराष्ट्रीय भूमिका: बोलीविया को वैक्सीन सहायता
2025 में, बोलीविया में खसरे का भयावह प्रकोप फैला। इस परिप्रेक्ष्य में भारत ने 3 लाख MR वैक्सीन डोज़ भेजीं। यह सहायता भारत की निम्नलिखित नीतियों को परिलक्षित करती है:
🔸 ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की भावना
भारत ने यह संदेश दिया कि वैश्विक मानवता के कल्याण हेतु वह सदैव तत्पर है।
🔸 वैश्विक दक्षिण का नेतृत्व
भारत, वैश्विक दक्षिण (Global South) में एक अग्रणी स्वास्थ्य भागीदार के रूप में उभरा है।
🔸 वैक्सीन मैत्री की निरंतरता
कोविड-19 के दौरान जिस प्रकार भारत ने विश्व को वैक्सीन उपलब्ध कराई थी, उसी प्रकार खसरे के संकट में भी सहायता दी।
वैश्विक परिप्रेक्ष्य में खसरा
🌍 विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के लक्ष्य:
- 2030 तक वैश्विक स्तर पर खसरे को समाप्त करना
- प्रत्येक देश में 95% से अधिक टीकाकरण कवरेज
🌍 खसरे के पुनःप्रकोप का कारण:
- टीकाकरण में गिरावट (Pandemic के कारण)
- स्वास्थ्य सेवाओं में बाधा
- अफवाहें और वैक्सीन हिचकिचाहट (Hesitancy)
🌍 वर्तमान खतरा:
अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका, और दक्षिण एशिया के कुछ हिस्सों में खसरे के मामले पुनः बढ़ रहे हैं।
भविष्य की दिशा: सुझाव और निष्कर्ष
- सार्वभौमिक टीकाकरण कवरेज सुनिश्चित करना
- समय पर दोनों खुराक देना
- विटामिन A सप्लीमेंटेशन का प्रचार
- जनजागरूकता अभियान के माध्यम से अफवाहों का खंडन
- वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देना, जैसे भारत ने बोलीविया को दिया
निष्कर्ष
खसरा एक रोके जाने योग्य लेकिन घातक रोग है, जो विशेष रूप से बच्चों के जीवन को खतरे में डाल सकता है। भारत, अपनी मज़बूत टीकाकरण नीति, वैश्विक दृष्टिकोण और मानवीय मूल्यों के साथ न केवल अपने देश को सुरक्षित कर रहा है, बल्कि दुनिया के अन्य देशों को भी इस बीमारी से लड़ने में सहायता प्रदान कर रहा है।
‘वसुधैव कुटुंबकम्’ का वास्तविक अर्थ यही है—विश्व को एक परिवार समझकर उसके कष्टों को साझा करना और समाधान की दिशा में सक्रिय होना।
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